अन्वेषण का पांच दिवसीय नाट्य उत्सव 24 नवम्बर से, दर्शक पांच दिन तक देखेंगे विविधरंगी नाटक

अन्वेषण का पांच दिवसीय नाट्य उत्सव 24 नवम्बर से, दर्शक पांच दिन तक देखेंगे विविधरंगी नाटक

सागर। कोरोना संकट के लंबे अंतराल के बाद अंततः वह समय आ गया जब अन्य क्षेत्रों के साथ कला जगत भी पुनः सक्रिय हो चला है। इसी क्रम में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहायोग से अन्वेषण थियेटर गु्रप सागर का पांच दिवसीय नाट्य समारोह 24 नवंबर 2021 से स्थानीय रवीन्द्र भवन में आरंभ होने जा रहा है। इस सम्बंध में आयोजित पत्रकार वार्ता में जगदीश शर्मा, अतुल श्रीवास्तव और सतीश साहू ने विस्तार से कार्यक्रम की जानकारी दी।
 पांच दिनी ''अन्वेषण नाट्य समारोह - 2021'' में प्रतिदिन शाम 7 बजे से विभिन्न शहरों के नाट्य निर्देशक व अभिनेता सागर के इस मंच से अपने कला कौशल का प्रदर्शन करेंगे। अन्वेषण नाट्य समारोह 2021 के प्रथम दिन 24 नवम्बर को भोपाल के नाट्य दल भोपाल थियेटर द्वारा हास्य नाटक ''भाग अवंति भाग'' प्रस्तुत किया जायेगा। नाटक का निर्देशन जाने-माने रंगकला विशेषज्ञ एवं फिल्म अभिनेता राजीव वर्मा द्वारा किया गया है। दूसरे दिन 25 नवम्बर को जगदीश शर्मा निर्देशित नाटक ''तुम कितनी खूबसूरत हो'' का मंचन स्वयं आयोजक संस्था अन्वेषण थियेटर ग्रुप द्वारा किया जायेगा। तीसरे दिन 26 नवम्बर को कटनी के संप्रेषणा नाट्य मंच द्वारा सादात भारती के निर्देशन में नाटक ''गांधी ने कहा था'' की प्रस्तुति होगी। चैथे दिन 27 नवम्बर को उज्जैन के अभिनव रंगमण्डल द्वारा ''अरे! शरीफ लोग'' नामक हास्य नाटक खेला जायेगा। इस नाटक का निर्देशन शरद शर्मा ने किया है। पांचवें यानि अंतिम दिन समागम रंगमण्डल जबलपुर द्वारा स्वाति दुबे के निर्देशन में ''अगरबत्ती'' नामक नाटक प्रस्तुत किया जायेगा।
●    डाॅ. सर हरीसिंह गौर को समर्पित है नाट्य समारोह  :
 
नाट्य समारोह के दौरान ही 26 नवम्बर को सागर के महान शिक्षाविद् डाॅ. सर हरीसिंह गौर की जयंती का अवसर भी है। इसीलिए अन्वेषण थियेटर गु्रप द्वारा श्रद्धांजलि स्वरूप यह पूरा नाट्य समारोह डाॅ. गौर को समर्पित किया गया है।

● पूर्वरंग का भी होगा आयोजन :
 
रंगकला के शास्त्रीय नियमों के अनुसार नाटक के मंचन के पहले पूर्वरंग का भी आयोजन किया जाता है। अन्वेषण ने अपने पिछले नाट्य महोत्सव के अनुसार इस बार भी प्रतिदिन नाटक से पहले रवीन्द्र भवन परिसर में पूर्वरंग के तहत लगभग आधे घण्टे की एक प्रस्तुति की व्यवस्था की है।  इसके तहत नगर के विभिन्न विधाओं के कलाकारों को आमंत्रित किया गया है।
●        निःशुल्क प्रवेश पत्र की व्यवस्था -
 अन्वेषण का यह नाट्य समारोह सभी दर्शकों के लिये निःशुल्क है। अन्वेषण ने अपने दर्शकों को आमंत्रण सहित निःशुल्क प्रवेश-पत्र उपलब्ध कराये हैं। इसके अलावा भी नगर के जो दर्शक नाटक देखना चाहते है, उनके लिए नाटक के समय मुख्य द्वार पर निःशुल्क प्रवेश-पत्र उपलब्ध रहेंगे। बैठक व्यवस्था पूर्ण-रूपेण पहले आओ पहले पाओ पर आधारित होगी। 
● कोरोना गाईड लाइंस का होगा पालन  : पांच दिवसीय नाट्य समारोह के दौरान आने वाले   सभी दर्शकों को सरकार द्वारा जारी कोविड-19 के दिशा निर्देशों का पालन करना होगा।


नाटकों के बारे में

1.    भाग अवंति भाग - इस मराठी नाटक के मूल लेखक योगेश सोमण है और इसका हिन्दी रूपांतरण प्रवीण महुवाले ने किया है। महंगाई के दौर मे आम आदमी को अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे में यदि किसी गंभीर बीमारी पर जमा पूंजी खर्च हो जाती है, तब कभी-कभी परेशान होकर व्यक्ति ऐसे निर्णय ले लेता है कि स्थितियां हास्यास्पद हो जाती हैं। नाटक ''भाग अवंति भाग'' भी ऐसी ही स्थितियों की कल्पना पर आधारित है।
2.    तुम कितनी खूबसूरत हो - सुप्रसिद्ध कथाकार यशपाल की कहानी ''तुमने क्यों कहा था कि मैं खूबसूरत हूं'' का अख्तर अली द्वारा किया गया यह नाट्य रूपांतरण, चिकित्सा जगत मे कार्यरत उन समर्पित डाॅक्टरों व उनके सहयोगियों की संवदेनाओं को व्यक्त करता है, जो रोगी के इलाज के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। इस नाटक में बाहरी खूबसूरती के अलावा अंतः की खूबसूरती के महत्व को भी रेखांकित किया गया है।
3.    गांधी ने कहा था - इस नाटक का ताना-बाना 14 अगस्त 1947 के बंटवारे से लिया गया है। उस समय महात्मा गांधी के अनशन संबंधी घटनाक्रम को लेते हुए तात्कालिक दंगों के समाधान के लिए गांधी का मार्गदर्शन और उसकी सत्यता का प्रस्तुतिकरण यह नाटक करता है। नाटक ''गांधी ने कहा था'' के लेखक राजेश कुमार है।
4.    अरे! शरीफ लोग -
 जयवंत दलवी द्वारा लिखित यह नाटक समाज के लोगों की सोच को हास्य और व्यंग के माध्यम से प्रस्तुत करता है। इसमें एक भ्रम के साथ शरीफ लोगों की शराफत की हकीकत को कलाकारों ने अपने अंदाज में प्रस्तुत किया है। यह नाटक आम आदमी द्वारा ओढ़ी गई शराफत और उसके आंतरिक मनोभावों को प्रस्तुत करता है। नाटक हंसते-हंसाते कई गंभीर प्रश्न भी छोड़ जाता है।
5.    अगरबत्ती - यह नाटक फूलन देवी और बेहमई हत्याकाण्ड पर आधारित है। यह हत्याकाण्ड दुनिया के लिए एक सबक ही नहीं बल्कि एक सवाल की तरह सामने आया। राजनीति ने इस घटना और जातीय समीकरणों को अपने पक्ष में साधना शुरू कर दिया। तीव्र भावुकता भारतीय राजनीति का वो उपकरण है, जो सत्ता के शीर्ष पर पल मे पहुंचा सकता है। इसका गंभीर विमर्श से कुछ लेना देना नहीं होता। नाटक ''अगरबत्ती'' इसी गंभीर विमर्श को दोबारा पैदा करने का प्रयास है, जो वास्तविक घटना और भूगोल के धरातल पर काल्पनिक पात्रों और घटनाओं के रंग से रचा गया है। 


    

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नरेंद्र अहिरवार की मौत का मामला,पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी पीड़ित परिजनों के साथ शव रखकर किया चक्काजाम

नरेंद्र अहिरवार की मौत का मामला,पूर्व मंत्री  सुरेन्द्र चौधरी पीड़ित परिजनों के साथ शव रखकर किया चक्काजाम 
 

सागर ।  सोमवार को सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर मोतीनगर क्षेत्र अन्तर्गत संत रविदास वार्ड निवासी स्व. श्री नरेन्द्र अहिरवार की हुई मौत की घटना उपरांत म.प्र.कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी ने मंगलवार तड़के जिला अस्पताल पहुँचकर पीड़ित परिजनों के साथ मौके पर मौजूद प्रशानिक अधिकारियों से सम्पूर्ण घटना की न्याययिक जांच सहित विभिन्न मांगे रखी। और ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के आने के उपरांत ही पोस्टमार्टम हुआ।पोस्टमार्टम उपरांत पीड़ित परिजनों ने मोतीनगर चौराहे पर शव रखकर घटना के दोषियों पर कार्यवाही, मृतक के आश्रितों को शासकीय सेवा में नोकरी व आर्थिक सहायता दिए जाने की आदि की माँग को लेकर प्रदर्शन करते हुए मौके पर मौजूद ए. डी. एम श्री अखलेश जैन व प्रशासनिक अधिकारियों को जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक के नाम  लिखित  ज्ञापन सौंपा।प्रशानिक अधिकारियों द्वारा कार्यवाही के लिखित आश्वासन के बाद पीड़ित परिजन माने और शव का अंतिम संस्कार हुआ। पुलिस अभिरक्षा में हुई स्व. नरेन्द्र अहिरवार की मौत की घटना पर पूर्व मंत्री श्री सुरेन्द्र चौधरी ने सरकार को जमकर घेरते हुये कहा कि स्व. नरेन्द्र अहिरवार की मौत की  घटना से पुलिस व प्रशासन का असंवेदनशील चहरा उजागर हुआ है। इस दौरान पूर्व मंत्री श्री चौधरी के साथ अनेकों कांग्रेसजन मोजूद थे।
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जबलपुर रेल मंडल की बैठक, सांसद राजबहादुर सिंह ने 40 सूत्रीय रेल सुविधाओं की मांग रखी

जबलपुर रेल मंडल की बैठक, सांसद राजबहादुर सिंह ने  40 सूत्रीय रेल सुविधाओं की मांग रखी

जबलपुर।  जबलपुर में रेल मंडल परिक्षेत्र के सांसदगणों के साथ महाप्रबंधक की बैठक का आयोजन किया गया । परिक्षेत्र के सांसदगणों के साथ ही सागर सांसद श्री राजबहादुर सिंह भी इस बैठक में शामिल हुए ।
सांसद सिंह ने संसदीय क्षेत्र के यात्री सुविधाओं को उच्च गुणवत्तायुक्त प्लेटफॉर्म, वेटिंग रुम,पार्किंग के साथ क्षेत्र की रेल समस्याओं एवं रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए अपने सुझाव एवं विचार साझा किए ।
उन्होंने परिचालित ट्रेनों का संसदीय क्षेत्र में स्टॉपेज बढ़ाए जाने, सुगम यातायात सुविधा हेतु नवीन मेट्रो ट्रेन का संचालन कराये जाने एवं सागर, बीना, खुरई एवं मकरोनियां रेलवे स्टेशनों की मूलभूत आवश्यकताओं के साथ संसदीय क्षेत्र के अप डाउनर्स की समस्याओं एवं सुविधा मुहैया कराने के लिए बैठक में 40 सूत्रीय पुरजोर मांग रखी ।
बैठक में सांसद श्री राकेश सिंह, जबलपुर, श्री गणेश सिंह, सतना, श्री जनार्दन मिश्रा, रीवा, राज्यसभा सांसद श्री अजय प्रताप सिंह सहित परिक्षेत्र के माननीय सांसदगण,संजय विश्वास, मंडल रेल प्रबंधक,जबलपुर और अधिकारी-कर्मचारीगण उपस्थित थे । 
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गौर उत्सव : डॉ. गौर के अवदान पर हुए व्याख्यान, ‘मूट कोर्ट’ का हुआ लोकार्पण

गौर उत्सव :  डॉ. गौर के अवदान पर हुए व्याख्यान, 'मूट कोर्ट' का हुआ लोकार्पण 

 

 सागर. 23 नवंबर. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के सदस्य एवं दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर के 152वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 21 नवंबर से 26 नवंबर तक आयोजित 'गौर उत्सव' के तीसरे दिन 'डॉ. गौर का अवदान- एक विश्लेषण' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. डॉ. गौर और माल्यार्पण के दौरान डॉ. अवधेश तोमर ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. 
डॉ. गौर के महान संकल्प की देन है डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय: कुलपति 
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि डॉ. गौर का समग्र जीवन-दर्शन समझने के लिए उनके विराट व्यक्तित्व के हर पहलू को समझना होगा. हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हम उनके परिवार के अंग हैं. यह विश्वविद्यालय उनके ही महान संकल्प की देन है. इस विश्वविद्यालय को गढ़ने-रचने की जिम्मेदारी हम सबके कन्धों पर है. डॉ. गौर के जीवन के विविध आयामों पर केंद्रित कार्यक्रमों की लंबी श्रृंखला के माध्यम से हम उनके सपनों को साकार करने के लिए कार्यरत हैं. डॉक्टर गौर हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। डॉ गौर का योगदान न केवल विश्वविद्यालय की स्थापना तक सीमित है बल्कि उनका योगदान एक विधिवेत्ता के रूप में, एक राजनीतिज्ञ, एक समाज सुधारक तथा महिला सशक्तिकरण के सशक्त प्रणेता के रूप में है। उन्होंने सभी वक्ताओं को शुभकामनाएं दीं.
 
विशिष्ट अतिथि प्रो. बीके श्रीवास्तव ने डॉ. गौर के महत्वपूर्ण योगदानों पर चर्चा करते हुए उनके जीवन से जुड़ी कई घटनाओं की चर्चा की. प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बताया कि जहां सागर में कभी स्याही तक नहीं मिलती थी, उस सागर शहर में उन्होंने कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालय की स्थापना करने की सोची। यह उनकी मातृभूमि एव शिक्षा के प्रति उनका समर्पण बताता है। 
 
कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. पंकज सिंह ने महिला सशक्तीकरण में डॉ. गौर की महती भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि स्त्री शिक्षा और उनके अधिकारों को लेकर डॉ. गौर ने लंबी लड़ाई लड़ी. आज हर क्षेत्र में स्त्रियों का आगे होना डॉ. गौर के अवदानों की फलश्रुति है. 1921 से लेकर 1935 तक सेंट्रल लेजिस्लेटिव एसेंबली के मेंबर रहने के दौरान उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए। डॉ मनोज श्रीवास्तव ने डॉक्टर गौर के विधि वक्ता के रूप में उनके योगदान पर बोलते हुए कहा कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट तथा हिंदू कोड नाम की दो किताबें विधि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कार्य है। 


डॉ. वंदना राजौरिया ने डॉ. गौर के साहित्यिक अभिरुचि और उनकी कृतियों पर प्रकाश डाला और कहा कि डॉक्टर गौर की कविताओं में हमें एक  जीवन के प्रति सकारात्मकता दिखाई पड़ती है। उन्होंने शंकराचार्य के अद्वैत के साथ भी डॉक्टर गौर की विचारों को साम्यता को बताया। प्रसिद्ध रंगकर्मी नाटककार शुभम उपाध्याय ने डॉक्टर गौर के धार्मिक चिंतन पर अपने विचार प्रस्तुत किए और कहा कि डॉ गौर का धर्म मानवतावादी धर्म था।
 
प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा ने कहा कि डॉ. गौर की जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए तथा उनके पद चिन्हों पर चलते हुए उनके सपनों को साकार करना चाहिए। इस प्रकार के व्याख्यानमाला आयोजित किए जाने से न केवल छात्रों को लाभ होगा बल्कि वह डॉक्टर गौर के विचार तथा चिंतन से अवगत हो पाएंगे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. वंदना राजौरिया ने किया और आभार डॉ. संजय बरौलिया ने आभार ज्ञापित किया. 
 
कार्यक्रम में  प्रो.अशोक अहिरवार, प्रो. जी. एल पुणतांबेकर, प्रो.नवीन कांगो प्रो. वंदना सोनी प्रो. जेके जैन प्रो. ममता पटेल प्रो. आर टी बेदरे, डॉ शशि कुमार सिंह डॉ. आरपी सिंह डॉ किरण आर्य, डॉ.अरुण साव, डॉ. अरविंद गौतम, डॉ रेखा सोलंकी, डॉ. नीलम थापा, डॉ हिमांशु, डॉ प्रीति,  डॉ. सुमन पटेल, केंद्रीय विद्यालय के डॉ. बृजेश कुमार पांडे उपस्थित थे। 



ईएमआरसी द्वारा बनाई डोक्युमेंट्री का प्रदर्शन 

कार्यक्रम में ईएमआरसी के निदेशक डॉ. पंकज तिवारी द्वारा निर्देशित डॉ. गौर के जीवन, विचार और दर्शन को समग्रता में प्रस्तुत करती हुई डोक्युमेंट्री ' सूर्य से प्रचंड गौर' का प्रदर्शन किया गया जिसे 2015 में निर्मित किया गया था.  
कुलपति ने किया पेंटिंग का अनावरण  
प्रो. पुणताम्बेकर ने कोरोना महामारी के दौरान समय का सदुपयोग करते हुए 'लॉकडाउन' में बनाई गई 21 पेंटिंग विश्वविद्यालय को भेंट की जिसका अनावरण कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने किया. कुलपति ने प्रो. पुणताम्बेकर को  बधाई देते हुए कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि मैं क्रियाशील और रचनात्मक शिक्षकों के बीच हूँ और ऐसे सृजनशील विश्वविद्यालय में मुझे कार्य करने का अवसर मिला है. इस अवसर पर सागर शहर निवासी सत्यम कला संस्कृति संग्रहालय के संचालक दामोदर अग्निहोत्री ने डॉ. गौर की लेखनी की कुछ प्रकाशित प्रतियां कुलपति को भेंट की.      

 
आज के समय में निर्णय नहीं विवेकपूर्ण न्याय की जरूरत है- न्यायमूर्ति ए. पी. साही  

गौर व्याख्यानमाला के अंतर्गत मुख्य अतिथि के रूप में पधारे राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के निदेशक न्यायमूर्ति ए. पी. साही ने न्यायिक प्रशासन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की प्रत्याशित भूमिका एवं प्रयोग विषय पर बोलते हुए कहा कि आज के समय में सबसे बड़ी जरूरत विवेकपूर्ण न्याय की है. बुद्धि और विवेक, निर्णय और न्याय में फर्क करना होगा. आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस कोई नया आविष्कार नहीं है लेकिन न्यायिक प्रक्रिया में इसका उपयोग बहुत ही संवेदना और विवेक के साथ करना होगा. आज मोबाइल युग में डेटा का इधर से उधर होना आम बात हो गई है. इसकी गति बहुत ही तीव्र है. उन्होंने कहा कि मनुष्य आज प्रकृति को नियत्रित करने की कोशिश करने लगा है जबकि पहले प्रकृति के अनुसार मनुष्य स्वयं को ढालता था. हम अप्राकृतिक चीजों से प्रकृति को निर्णीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि साहित्य और क़ानून का बहुत प्रगाढ़ संबंध है. बिना साहित्य अध्ययन के कोई भी कानूनवेत्ता नहीं बन सकता. मनुष्य की क्षमता असीमित है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एक क्रियेटेड इन्वेंशन है. मनुष्य ही इसका सर्जक है. इसके इस्तेमाल के लिए कानून बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति की सामान्य दिनचर्या पर इसकी तीव्रता और गतिशीलता का प्रभाव न पड़े. डाटा एल्गोरिदम और पैटर्न रीडिंग के माध्यम से कुछ कामों के लिए न्यायिक व्यवस्था में इसका इस्तेमाल होना चाहिए जो सुविधा प्रदान करे. आज के समय में अलग से इस विषय की पढ़ाई भी होनी जरूरी है. 
 

 
डॉ. गौर की धरती पर निर्मित 'मूट कोर्ट' न्यायपूर्ण समाज की आधारशिला साबित होगी- कुलपति
 
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि 'मूट कोर्ट' की आवश्यकता लम्बे समय से महसूस की जा रही थी. आज उद्घाटित यह स्थल न्यायपूर्ण समाज की स्थापना की आधारशिला साबित होगी. विद्यार्थी और शिक्षक अब इसका उपयोग कर पायेंगे और एक समतामूलक समाज की निर्मिति में सहयोग कर पायेंगे, जो गौर साहब की संकल्पना थी. उन्होंने न्यायमूर्ति साही के विश्वविद्यालय आगमन की सहमति के लिए उन्हें धन्यवाद दिया. विषय प्रवर्तन करते हुए उन्होंने कहा कि आज रोबोट का युग आ गया है. हमें यह देखना होगा कि क्या सचमुच मनुष्य की संवेदनशीलता भी रोबोट जैसी अप्राकृतिक चीजें सृजित करने में सक्षम हो सकेगी. उन्होंने कहा कि न्यायालयों में लंबित प्रकरणों को हल करने में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग की संभावनाओं को तलाशा जा सकता है. इस दिशा में अभी बहुत से प्रयोग किये जाने की आवश्यकता है ताकि मनुष्य की संवेदना बने रहने के साथ ही तकनीक आधारित न्याय व्यवस्था मददगार साबित हो. 
 
मनुष्य की संवेदना की समझ न्याय प्रक्रिया का अहम हिस्सा- कुलाधिपति
 
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतिलाल जानी ने कहा कि मनुष्य की संवेदना को समझना बहुत ही आवश्यक है. इसको समझे बगैर न्याय प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकती. इस मशीनी युग में भी हमें देशज ज्ञान परम्परा की अवहेलना नहीं करनी चाहिए. इसकी अपनी विशिष्ट महत्ता है. संवेदनापूर्ण न्याय मनुष्य के विकास को नया मुकाम देगा.  हमें कोगनिटिव साइंस जैसे पाठ्यक्रम को शुरू किये जाने की भी बात कही. 
 
कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य विधि अधययनशाला के अधिष्ठाता प्रो. पीपी सिंह ने दिया. मुख्य अतिथि का परिचय डॉ. अनुपमा सक्सेना ने और संचालन डॉ. विकास अग्रवाल ने किया. आभार कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने माना. कार्यक्रम में सागर शहर के अनेक अधिवक्तागण, जिला अधिवक्ता संघ के पधाधिकारी गण, नागरिक गण, विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित थे. 
 
'मूट कोर्ट' का हुआ लोकार्पण   

मुख्य अतिथि के रूप में पधारे राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के निदेशक न्यायमूर्ति ए. पी. साही और कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति में विधि विभाग परिसर में निर्मित 'मूट कोर्ट'- विक्रमादित्य भवन का लोकार्पण हुआ. इस अवसर पर अधिष्ठाता प्रो. पीपी सिंह, प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा, कुलसचिव संतोष सोहगौरा, प्रो. आशीष वर्मा, प्रो. पुणताम्बेकर, प्रो. गिरीश मोहन दुबे सहित विधि विभाग के समस्त शिक्षक, विद्यार्थी और कर्मचारी उपस्थित थे. 
 
24 नवंबर 2021 को आयोजित कार्यक्रम 

24 नवंबर दोपहर 1.30 बजे 'आचार्य शंकर भवन'  (मानविकी एवं समाज विज्ञान व्याख्यान कक्ष कॉम्प्लेक्स) का  लोकार्पण माननीय श्री मुकुल मुकुंद कानिटकर, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मंडल, नागपुर एवं कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न होगा. दोपहर 02.00 बजे स्वर्ण जयन्ती सभागार में डॉ. हरीसिंह गौर के जीवनवृत्त का प्रदर्शन होगा. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय और आर.एफ.आर.एफ के साथ शैक्षणिक एमओयू हस्ताक्षर कार्यक्रम के उपरान्त गौर व्याख्यानमाला के अंतर्गत राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 : उच्च शिक्षा संस्थानों की नवाचारी भूमिका पर मान. श्री मुकुल मुकुंद कानिटकर, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मंडल, नागपुर एवं मान. सुश्री अरुंधती कावडकर, अखिल भारतीय महिला प्रकल्प सहप्रमुख एवं पालक अधिकारी, महाकौशल प्रान्त एवं मध्यभारत, भारतीय शिक्षण मंडल का व्याख्यान होगा. इसी स्थल पर प्रात: 10 बजे से अपरान्ह 3.00 बजे तक विश्वविद्यालयीन विद्यार्थियो द्वारा फ़ाईन आर्ट, पेंटिंग क्राफ्ट की प्रदर्शनी भी आयोजित होगी. 
 
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“स्वर्णिम विजय मशाल” यात्रा ★ बच्चों ने बांधा समां.....देशभक्ति के जज्बे से गूंजा महार रेजिमेंट विद्यालय

"स्वर्णिम विजय मशाल" यात्रा
★ बच्चों ने बांधा समां.....देशभक्ति के जज्बे से गूंजा महार रेजिमेंट विद्यालय





सागर ।  स्वर्णिम विजय वर्ष को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सागर में भी विजय मशाल के तीसरे दिन महार रेजिमेंट विद्यालय में बच्चों द्वारा देशभक्ति के जज्बे से भरी नृत्य और गीतों की आकर्षिक प्रस्तुति दी गई। यह कार्यक्रम कलेक्टर श्री दीपक आर्य के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।इस अवसर पर सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल राम सिंह, मेजर करण सिंह, प्राचार्य कपिल देव शुक्ला, श्री ऐजाज खान, श्री वीणू राणा सहित आर्मी अधिकारी, विद्यालय के शिक्षक, स्टाफ और आदि संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित थे।


स्वाभिमान से ऊँचे मस्तक, अदम्य साहस व शौर्य से भरा सीना और देशभक्ति के जज्बे के साथ जब सेना के जाबांजों ने रविवार को "स्वर्णिम विजय मशाल" थामी तो सभी रोमांचित हो उठे थे। भारत द्वारा पाकिस्तान पर फतह के 50वे वर्ष को राष्ट्रीय स्तर पर "स्वर्णिम विजय वर्ष" के रूप में मनाया जा रहा है।  भारत माता की जयघोष के नारे लगाते हुए विजय मशाल का जगह जगह स्वागत किया जा रहा है।


ज्ञात हो विजय दिवस 16 दिसम्बर 2020 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नईदिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से 4 स्वर्णिम विजय मशाल प्रज्ज्वलित की थीं। इन विजय मशालों को देश के अलग-अलग कोनों में ले जाया जा रहा है। ये विजय मशालें देश की सभी सैन्य छावनियों एवं उन गाँवों व स्थानों से भी गुजर रही हैं जहाँ 1971 के युद्ध में परमवीर चक्र और महावीर चक्र से सम्मानित सेना के जाबांजों का निवास स्थान रहा है। 
 
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टीकमगढ : नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को 10 वर्ष का सश्रम कारावास

टीकमगढ : नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को 10 वर्ष का सश्रम कारावास

टीकमगढ़। विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो एक्ट)/सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती नर्मदांजलि दुबे ने बताया कि दिनांक 12.06.2016 को 12:00 बजे ग्राम अचर्रा जिला टीकमगढ़ से अभियोक्त्री उम्र 14 वर्ष को आरोपी रामसेवक वंशकार बहला - फुसलाकर दिल्ली भगा ले गया था वहां पर उसके साथ कई बार बलात्संग किया। घटना के समय अभियोक्त्री के पिता अपने परिवार के साथ मजदूरी करने कानपुर गया था, जब वह मजदूरी कर वापिस घर लौटा तो उसे उसकी बच्ची (अभियोक्त्री) घर पर नहीं मिली जिसकी तलाश सभी जगह रिश्तेदारियों में की, जिसका कोई पता नहीं चला अभियोक्त्री के पिता द्वारा सूचना देने पर थाना मोहनगढ़ में गुमईसान सूचना लेख कर प्रथम सूचना अंतर्गत धारा 363, 366 भा.दं.सं. के तहत लेखबद्ध कर प्रकरण में विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान अभियोक्त्री को दस्तयाब कर उसका मेडीकल परीक्षण कराया गया। आरोपी को गिरफ्तार किया गया। साक्षीगण के कथन लेखबद्ध कराये गये अभियोक्त्री एवं आरोपी का डीएनए परीक्षण कराया गया। संपूर्ण अनुसंधान उपरांत विचारण हेतु अभियोग पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। माननीय न्यायालय द्वारा संपूर्ण विचारण उपरांत अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी रामसेवक को दोषसिद्ध ठहराते हुये धारा 376 (2) (एन) भा.दं.सं. के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 10,000/- (दस हजार)  रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी श्री आर. सी. चतुर्वेदी के द्वारा की गई।
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MP बोर्ड परीक्षा का टाईम टेबिल घोषित, दसवीं के 18 फरवरी और बारहवीं के 17 फरवरी से होंगे पेपर

MP बोर्ड परीक्षा का टाईम टेबिल घोषित,  दसवीं के 18 फरवरी और बारहवीं के 17 फरवरी से होंगे पेपर 


भोपाल। माध्यमिक शिक्षा मण्डल, मध्यप्रदेश, भोपाल ने वर्ष 2022 की हाईस्कूल/हायर सेकेण्डरी/ हायर सेकेण्डरी व्यावसायिक पाठ्यक्रम परीक्षा/शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षण एवं विद्यालय पूर्व शिक्षा में डिप्लोमा (डी.पी.एस.ई.) के परीक्षा कार्यक्रम को घोषित कर दिया है। मण्डल द्वारा संचालित समस्त परीक्षाएँ प्रातः 10.00 से 01.00 बजे के मध्य परीक्षा कार्यक्रमानुसार सम्पन्न होंगी। नियमित / स्वाध्यायी/ दृष्टिहीन मूकबधिर (दिव्यांग) परीक्षार्थियों की परीक्षाएँ समान रूप से एक ही तिथि,दिवस एवं समय में सम्पन्न होगी। परीक्षा कार्यक्रम मण्डल वेबसाईट www.mpbse.nic.in पर भी देखे
जा सकते है।










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MP: ग्राम पंचायत/ जनपद पंचायत/ जिला पंचायत क्षेत्र के आरक्षण और परिसीमन को लेकर ,राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कलेक्टर्स से की नवीन अध्यादेश के संबंध में चर्चा

MP: ग्राम पंचायत/ जनपद पंचायत/ जिला पंचायत क्षेत्र के आरक्षण और परिसीमन को लेकर ,राज्य निर्वाचन आयुक्त  ने कलेक्टर्स से की नवीन अध्यादेश के संबंध में चर्चा

सागर। राज्य निर्वाचन आयुक्त श्री बसंत प्रताप सिंह ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिला कलेक्टर्स से राज्य शासन द्वारा जारी नवीन अध्यादेश के संबंध में चर्चा की। श्री सिंह ने कहा कि अध्यादेश के अनुसार पूर्ववर्ती परिसीमन निरस्त हो जाने से ग्राम पंचायत/ जनपद पंचायत/ जिला पंचायत क्षेत्र का निर्वाचन उस परिसीमन एवं विभाजन के आधार पर किया जाना है, जो उनकी संबंधित अवधि की समाप्ति के ठीक पहले विद्यमान थे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सागर जिले के कलेक्टर श्री दीपक आर्य, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री क्षितिज सिंघल , सयुंक्त कलेक्टर श्रीमती सपना त्रिपाठी और अन्य अधिकारियों ने भाग लिया ।
श्री बी.पी. सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायत/जनपद पंचायत/ जिला पंचायत क्षेत्र के प्रवर्ग उन्हीं प्रवर्गों के लिये आरक्षित बने रहेंगे, जैसे कि वे उनकी संबंधित अवधि की समाप्ति पर थे। अध्यादेश ऐसी ग्राम पंचायत/जनपद पंचायत/ जिला पंचायत क्षेत्र पर नहीं होगा, जो संबंधित पंचायतों के अंतिम निर्वाचन के बाद किसी नगरीय क्षेत्र में शामिल हो गये हैं।
श्री सिंह ने कलेक्टर से कहा कि जिला स्तर पर विकासखण्ड को इकाई मानते हुए यह जानकारी तैयार करें कि कितनी ग्राम पंचायतें नवीन परिसीमन में प्रभावित हुई हैं। नये परिसीमन के दौरान ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी/वृद्धि होने अथवा सीमा क्षेत्रों परिवर्तन होने की स्थिति में ऐसी पंचायतों की विकाखण्डवार जानकारी तैयार करें। ग्राम पंचायत के वार्डों का क्षेत्र यदि परिवर्तित हुआ, तो इसकी जानकारी भी तैयार करें। उन्होंने कहा कि पूर्व परिसीमन को आधार मानते हुए, जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत  निर्वाचन क्षेत्रों में शामिल ग्राम पंचायतों की स्थिति अनुसार इन निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण करें।
श्री सिंह ने कहा कि पूर्व परिसीमन एवं उसके बाद किये गये परिसीमन का मिलान कर ऐसी पंचायतों की विकाखण्डवार जानकारी तैयार करें, जिनके क्षेत्र/वार्ड की सीमा में परिवर्तन हुआ है। उन्होंने कहा कि यह जानकारी आगामी 25 नवम्बर तक राज्य निर्वाचन आयोग को भिजवाना सुनिश्चित करें।    
प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्री उमाकांत उमराव ने नवीन अध्यादेश के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अध्यादेश के अनुसार शीघ्र कार्यवाही करें। इस दौरान सचिव राज्य निर्वाचन आयोग श्री बी.एस. जामोद, ओएसडी श्री दुर्गविजय सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
 
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