SAGAR: फर्जी आदेश और जिंदा को मृतक बताकर लिया सरकारी पट्टा : पटवारी सहित चार पर FIR दर्ज▪️ करीब सवा करोड़ की जमीन मुक्त कराई जमीन

SAGAR: फर्जी आदेश और जिंदा को मृतक बताकर लिया सरकारी पट्टा : पटवारी सहित चार पर FIR दर्ज
▪️ करीब सवा करोड़ की जमीन मुक्त कराई जमीन


    ( सीताराम, जिंदा था बताया मृतक)
तीनबत्ती न्यूज : 03 अप्रैल ,2024
सागर
:  मध्य प्रदेश शासन के निर्देश एवं कलेक्टर श्री दीपक आर्य के आदेश अनुसार जिले में माफियाओं पर लगातार कार्रवाई जारी है । प्रशासन ने फर्जी आदेश और जिंदा को मृतक बताकर सरकारी पट्टा हासिल करने के मामले में प्रशासन ने जांचकर शासकीय जमीन वापिस कराई और दोषी पटवारी और पट्टा लेने वालो के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। 
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मालथोन के मौजा अमारी रमगढ़ा तहसील मालथोन स्थित म.प्र.शासन की भूमि ख.नं. 15 रकवा 5.20 हे० छोटा घास के लिए किए गए  फर्जीवाड़े के संबंध में तहसीलदार मालथौन प्रेमनारायण सिंह द्वारा जाँच की गई। एस डी एम श्री रवीश श्रीवास्तव ने बताया कि सीताराम पिता मदनलाल यादव निवासी अमारी रमगढ़ा तह. खुरई को मौजा अमारी रमगढ़ा तहसील-मालथोन की भूमि पुराना ख.नं. 151/1 में रकवा 5.840हे. का पट्टा स्वीकृत हुआ था  । बाद में वह भूमि म.प्र. शासन  में दर्ज कर दी गई थी।

सीताराम को लापता बताकर मृतक घोषित किया

आरोपी रानी बेवा सीताराम नीलेश हेमन्त उर्फ अज्जू पुत्र सीताराम यादव निवासी अमारी रमगढ़ा के द्वारा अतिरिक्त ब्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 खुरई के व्यवहारवाद प्र.क. 1800 / 1996 में सीताराम पिता मदनलाल यादव को आठ वर्ष से लापता बताकर सीताराम पिता रामप्रसाद यादव नि, अमारी रमगढा ने अपने आप को मृत बताकर अपने वारसान रानी बेवा सीताराम नीलेश हेमन्त उर्फ अज्जू पुत्र सीताराम यादव निवासी अमारी रमगढा का नाम दर्ज कराया।

फर्जी आदेश से कराई जमीन दर्ज

रानी बेवा सीताराम, नीलेश हेमन्त उर्फ अज्जू ना.बा. पुत्र सीताराम यादव नि. अमारी रमगढा के द्वारा एक फर्जी आदेश प्र. क.815-एक/2002 आदेश दिनांक 30.01.2002 तैयार कराकर अपील स्वीकार बताकर राजस्व अभिलेख में श्री प्रमोद गौड़ पटवारी से साठगाँठ कर यायालय व्यवहार न्यायालय 1740/अपील/2019-20 आदेश दिनांक 05.06.2021 डालकर खसरा के कालम नंबर 07 पर सीताराम पिता राम प्रसाद यादव जो वर्तमान में जीवित है उसके वारसान रानी बेवा सीताराम, नीलेश हेमन्त उर्फ अज्जू पुत्र सीताराम यादव निवासी अमारी रमगढा शासकीय पट्टेदार दर्ज कर दिया। उपरोक्त कारणों से हल्का पटवारी को तत्काल निलंबित करते हुये उपरोक्त फर्जीवाड़ा के मुख्य कर्णधार सीताराम पिता राम प्रसाद यादव एवं उसके वारसान रानी बेवा सीताराम, नीलेश हेमन्त उर्फ अज्जू पुत्र सीताराम यादव व श्री प्रमोद गौड़ तत्कालीन पटवारी के विरुद्ध भ.दं.सं. 1860 की धारा 419, 420, 467, 468,471 के तहत थाना मालथौन में आज प्रकरण  कायम कराया गया।

सवा करोड़ की जमीन हुई मुक्त
म.प्र.शासन की भूमि ख.नं. 15 रकवा 5. 20हे0  जिसका अनुमानित बाजार मूल्य 1.25 करोड है जो आरोपपियों के नाम दर्ज थी उसे पुनः म.प्र.शासन दर्ज करने की कार्यवाही कर आदेश पारित कर दिया गया है। पोर्टल पर शीघ्र आनलॉइन करा दिया जावेगा। मौके पर शासन का पुनः कब्जा करने हेतु राजस्व निरीक्षक को आदेशित किया गया है।
रहली में 2 एकड़ शासकीय भूमि अतिक्रमण मुक्त कराई


हरसिद्धी देवी मंदिर प्रांगण के परिसर के बाहर दुकानदारों द्वारा एवं अन्य लोगो के द्वारा अतिक्रमण कर रास्ता एवं शासकीय भूमि संकीर्ण कर दी गई थी।  जिसे अनुविभागीय अधिकारी रहली श्री गोविन्द दुबे के निर्देश पर तहसीलदार रहली श्री राजेश पाण्डेय द्वारा दल गठित कर जिसमें राजस्व निरीक्षक हल्का पटवारी एवं अन्य पटवारीगण, कोटवार के साथ मिलकर आज जेसीबी से अतिक्रमण हटाया। 

जिसमें कुछ व्यक्तियों के द्वारा स्वयं से अतिक्रमण हटा लिया गया व कुछ व्यक्तियों का अतिक्रमण बल पूर्वक हटाया गया। शासकीय भूमि खसरा नंबर 26,65,55,51 से लगभग 2 एकड़ शासकीय भूमि अतिक्रमण मुक्त की गई। भूमि का बाजार मूल्य लगभग 20 लाख रुपये है। मौके पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व रहली श्री गोविंद दुबे अनुविभागीय अधिकारी पुलिस रहली श्री प्रकाश मिश्रा , तहसीलदार श्री राजेश  थाना प्रभारी रहली, राजस्व निरीक्षक रहली, पटवारी उपस्थित रहे।

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रिश्वत के आरोपी डिप्टी रेंजर को 4 साल की सजा : 20 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा था लोकायुक्त पुलिस सागर ने

रिश्वत के आरोपी  डिप्टी रेंजर को 4 साल की सजा : 20 हजार की रिश्वत  लेते पकड़ा था लोकायुक्त पुलिस सागर ने




सागर । तेदूपत्ती की गड्डियों के भुगतान हेतु पैसे समिति के खाते में डालने की एवज में रिष्वत लेने वाले आरोपी डिप्टी रेंजर दीपक कुमार अहिरवार को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 25.07.19 को आवेदक देवेंद्र रैकवार ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक लिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि तेंदूपत्ती की 29,150 गड्डी के 72,875/-रू. समिति के खाते में डलना शेष थे, उक्त राशि डलवाने के संबंध में डिप्टी रेंजर अभियुक्त दीपक कुमार अहिरवार से उसके कार्यालय ढाना में जाकर बातचीत करने पर अभियुक्त द्वारा खाते में पैसे डालने के ऐवज् में 25,000/-रु. रिश्वत की मांग की, वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है, अतः कार्यवाही की जाए। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु.स्था. लोकायुक्त कार्यालय, सागर ने उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्यवाही हेतु उप-पुलिस अधीक्षक राजेश खेड़े को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉगवार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई । नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राषि दी गई व अभियुक्त के शासकीय आवास पर आवेदक ने अभियुक्त से रिश्वत लेनदेन हो जाने का निर्धारित इशारा किया तो ट्रेपदल के सदस्यों ने अभियुक्त को घेर लिया। उप-पुलिस अधीक्षक राजेश खेड़े ने अपना व टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत, उससे रिश्वत राशि के संबंध में पूछा, तो अभियुक्त ने 20,000/-रू. रिश्वत राशि आवेदक से अपने हाथ में लेकर पलंग पर रखे तकिये के नीचे रख लेना बताया। मौके पर घोल आदि की अग्रिम कार्यवाही की गई। उक्त आधार पर प्रकरण पंजीवद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया । विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेखबद्ध किये गये , घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया उन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7, 13(1)(बी) सहपठित धारा 13(2)का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।
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