Sagar : उप-संभागीय निरीक्षक, डाकघर को रिश्वत के आरोप में सजा : वेतन निकालने की ऐवज में ली थी रिश्वत
तीनबत्ती न्यूज : 19 जनवरी,2024
सागर : पोस्टमेन का वेतन निकालने की ऐवज में रिष्वत लेने वाले आरोपी अंकित द्विवेदी, उप-संभागीय निरीक्षक,प्रधान डाकघर को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड, घारा- 13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) के अंतर्गत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
________________
________________
देखे : भगवान रामलला की पूरी तस्वीर सामने आ गई है
_________
घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 09.07.2018 को आवेदक मयंक सिंह ठाकुर ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक हस्तलिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि उसका माह अप्रैल, मई, जून 2018 के वेतन का भुगतान होना है, वेतन निकलवाने के लिए अभियुक्त अंकित द्विवेदी द्वारा उससे 5,000/-रु. रिश्वत राशि की मांग की जा रही है, वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। उक्त आवेदन पर कार्यवाही हेतु तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु स्था. सागर ने उप पुलिस अधीक्षक राजेश खेड़े को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉग वार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई ।,नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को रिष्वत राषि देने के उपरांत आवेदक का इशारा मिलने पर टेªपदल के सदस्य अभियुक्त अंकित द्विवेदी के किराये के मकान के अंन्दर पहुंचे, जहां अभियुक्त खड़ा हुआ था।
उपपुलिस अधीक्षक राजेश खेड़े ने अपना व टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत, उससे रिश्वत राशि के संबंध में पूछा, तो उसने आवेदक के द्वारा दी गई रिश्वत राशि अपने हाथ में लेकर पहने हुए लोवर की बायीं जेब में रख लेना बताया तत्पश्चात् अग्रिम कार्यवाही प्रारम्भ की गई। उक्त आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया।विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा- 7, 13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।