पितृपक्ष अयोध्यावासी स्वर्णकार नारी शक्ति मंच द्वारा श्रीमद् भागवत का आयोजन
सागर। पितृपक्ष की पावन पर्व पर अयोध्यावासी स्वर्णकार नारी शक्ति मंच के तत्वाधान में श्रीमद् भागवत के द्वितीय दिवस द्वितीय दिवस पर कथा व्यास श्री जयदीप शास्त्री जी ने कहा कि जिन घरों में पितरों का पूजन होता है जिन घरों में वृद्धो की सेवा होती है उसे घर में पितृ देवता आशीर्वाद देते हैं धन की वृद्धि होती है बल की वृद्धि होती है आयु की वृद्धि होती है तथा जिन घरों में संतानों की प्राप्ति नहीं हो रही है उसे घर में अगर पितृ पूजन हो नारायण बली हो त्रिपिंडी श्राद्ध हो तो पितृ दोष समाप्त होता है और संतान की प्राप्ति होती अतः हमारा सनातन धर्म पितरों की पूजन के लिए यह पितृपक्ष बहुत उपयोगी है।
कथा व्यास श्री जयदीप महाराज जी ने कहा - "आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत् ।"
__________________
_______________________
अपने अधिकारों के प्रति सचेत एवं जागरूक रहकर अन्य के भी सम्मान स्वाभिमान और अधिकारों की अभिरक्षा सुनिश्चित करें। अधिकारों के भान के साथ कर्तव्य बोध मनुष्यत्व की कसौटी है ..! सुख, समृद्धि एवं शान्ति से परिपूर्ण जीवन के लिए सच्चरित्र तथा सदाचारी होना अत्यन्त आवश्यक है, जो उत्कृष्ट विचारों के बिना सम्भव नहीं है। हमें यह दुर्लभ मानव जीवन किसी भी मूल्य पर निरर्थक और उद्देश्यहीन नहीं जाने देना चाहिए। लोकमंगल की कामना ही हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। केवल अपने सुख की चाह हमें मानव होने के अर्थ से पृथक करती है। मानव होने के नाते जब तक दूसरे के दु:ख-दर्द में साथ नहीं निभायेंगे, तब तक इस जीवन की सार्थकता सिद्ध नहीं होगी। वैसे तो हमारा परिवार भी समाज की ही एक इकाई है, किन्तु इतने तक ही सीमित रहने से सामाजिकता का उद्देश्य पूरा नहीं होता। हमारे जीवन का अर्थ तभी पूरा हो सकेगा, जब हम समाज को ही परिवार मानें। यदि हमने समस्त भौतिक उपलब्धियों को एकत्र कर लिया है और हमारा अंतस जीवन के शाश्वत मूल्यों से रिक्त है तो हमारी सारी उपलब्धियाँ निरर्थक रह जायेंगी।
इसलिए मानवता के प्रति समर्पित होकर नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए धर्मशील बनें, मानव जीवन की सार्थकता इसी में निहित है। और, जीवन की वास्तविक सुख-शान्ति भी इसी में है। जीवन में नैतिकता की उपेक्षा करने से आत्मबल अपुष्ट होता है। मानव जीवन में जितने भी आदर्श उपस्थित करने वाले सद्गुण हैं, वे सभी नैतिकता से ही पोषित होते हैं। मनुष्य को उसके आदर्श ही अमरता दिलाते हैं। आदर्शों का स्थान भौतिकता से ऊपर है। मानव मूल्यों की तुलना कभी भौतिकताओं से नहीं की जा सकती, यह नश्वर हैं। अभिमान सदैव आदर्शों और मानव मूल्यों को नष्ट कर देता है। अत: इससे सदैव बचने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा - दूसरों की सहायता करना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। मानव जीवन का उद्देश्य है कि अपने मन, वचन और कर्म से औरों की सहायता करना। हमेशा यह देखा गया है कि जो लोग दूसरों का सहयोग करते हैं, उन्हें कम तनाव रहता है, मानसिक शान्ति और आनन्द का अनुभव होता है। वे स्वयं को अपनी आत्मा से अत्यधिक जुड़े हुए अनुभूत करते हैं, और उनका जीवन संतोषपूर्ण होता है। जबकि स्पर्धा से स्वयं को और दूसरों को तनाव रहता है।
इसके पीछे गुह्य विज्ञान यह है कि जब कोई अपना जीवन दूसरों की सेवा के लिए उपयोग करता है, तब उसे सब कुछ प्राप्त हो जाता है। उसे सांसारिक सुख-सुविधा की कमी कभी नहीं होती। धर्म का आरम्भ 'ओब्लाइजिंग नेचर' से होता है। जब आप दूसरों के लिए कुछ करते हैं, उसी पल चिरस्थाई प्रसन्नता का शुभारम्भ हो जाता है। मानव जीवन का उद्देश्य जन्मों-जन्म के कर्म बन्धन को तोड़ना और सम्पूर्ण मुक्ति को प्राप्त करना है। इसका उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करने के लिए पहले आत्मज्ञान की प्राप्ति करना आवश्यक है। और, यदि किसी को आत्म-ज्ञान प्राप्त करने का अवसर नहीं मिलता तो उसे परोपकार में जीवन व्यतीत करना चाहिए। पूज्य "आचार्यश्री जी" ने कहा कि हमें मोह का त्याग करना चाहिए। मोह का त्याग एक बार यदि हो जाये तो जीवन महान बन जायेगा। मानव को कोई भी चीज क्रोध से नहीं, प्रेम से जीतनी चाहिए। और, क्रोध को क्रोध से नहीं, बल्कि क्षमा से जीतना चाहिए। जो व्यक्ति क्षमा को धारण करता है वह 'महान' बन जाता है। अतः इसमें हमें प्रेम भाव के साथ रहना चाहिए ।
कथा की आरती के समय शैली सोनी बरसात सोनी मधु सोनी कल्पना सोनी रश्मि सोनी रैना सोनी एवं समस्त स्वर्णकार नारी शक्ति संगठन उपस्थिति रही।
निकाली शोभा यात्रा
प्रथम दिवस पर समाज की महिलाओं ने श्री गीता जी एवम श्री कृष्ण भगवान की शोभा यात्रा निकाली बैंड बाजे, डमरू दल,, घुड़बगी के साथ शोभा यात्रा गौरमूर्ति से होती हुई रामबाग मन्दिर तक निकाली गईं।
जिसमें समाज की श्रीमती रक्षा सोनी नैंसी सोनी पायल सोनी संध्या सोनी ममता सोनी सरोज सोनी अम्बा सोनी वर्षा सोनी निशा सोनी अलका सोनी टीना सोनी पायल सोनी अनिता सोनी कीर्ति सोनी शैली सोनी मधु सोनी किरण सोनी आस्था सोनी एवम रोली सोनी आदि अनेकानेक समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।