बंडा विधानसभा सीट : बीजेपी का दांव स्व हरनाम सिंह राठौर और शिवराजसिंह उनके परिवार के बीच : अब तक 11 विधानसभा चुनावों में 5 दफा राठौर और एक बार जीते शिवराज सिंह
▪️ पुर्व विधायक हरवंश राठौर और सुधीर यादव को झटका : बदलेंगे जिले के समीकरण
▪️पूर्व सांसद शिवराज सिंह के बेटे वीरेंद्र सिंह को मिला टिकिट
▪️विनोद आर्य
तीनबत्ती न्यूज : 18 अगस्त,2023
Banda Election 2023:
सागर जिले की बंडा विधानसभा एक ऐसी सीट है जहां कभी भी पासा पलट जाता है। कभी दमदार तो कभी कमजोर प्रत्याशी भी जीतने में सफल हो जाते हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए दोनों ही दल भाजपा और कांग्रेस इस सीट को अपने पक्ष में करने के बराबरी के अवसर देख रहे हैं। वर्तमान में यहां कांग्रेस के तरवर सिंह लोधी विधायक हैं । बीजेपी ने इस हारी सीट पर पूर्व सांसद शिवराज सिंह के बेटे वीरेंद्र सिंह लंबरदार को हाल ही उम्मीदवार बनाया है। यदि चुनावी इतिहास देखे तो इस सीट पर जनसंघ ,जनता पार्टी और अब बीजेपी सिर्फ दो परिवारों के बीच ही सिमटी रही है। कभी भी दूसरे वर्ग को मौका नहीं दे पाई। शिवराज सिंह लोधी और हरनाम सिंह राठौर इन दो परिवारों में ही सन 1972 से लेकर अभी तक टिकिट मिलते आए है। इनके ही इर्दगिर्द राजनीति घूमती रही है। यह फेक्ट भी है कि सर्वाधिक जीत राठौर परिवार के खाते में आई। शिवराज और उनका परिवार 4 दफा और हरनाम सिंह और उनका परिवार 7 दफा मैदान में उतरा। शिवराज सिंह एक दफा ही जीते ।इस बार 2023 के विधानसभा चुनाव में उनके बेटे वीरेंद्र सिंह का भविष्य तय होगा। जबकि राठौर परिवार को 5 बार जीत मिली।
अबकी बार बीजेपी ने हरनाम सिंह के बेटे हरवंश सिंह का टिकिट काटा है। वे पिछला चुनाव हार गए थे। अबकी बार पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे सुधीर यादव ने तेजी से बंडा में दौड़ लगाई थी। लेकिन उनको झटका लगा । इसके पहले सुरखी से बाहर हो चुके है। पार्टी में इनकी उपेक्ष से समीकरण बदलेंगे। दूसरी तरफ कांग्रेस हमेशा टिकिटो में बदलाव करती रही है। इसका फायदा भी उसे मिलता रहा है। यह सीट परिवारवाद की खिलाफत करने बीजेपी की नीति के उलट है।
एक नज़र चुनावी इतिहास पर
बंडा विधानसभा की तासीर हमेशा अलग रही है। हमेशा चर्चा मे यह सीट रहती है। दिग्गजों को हराना और कमजोर को जिताती भी रही है। बीजेपी ने हारी सीट पर उम्मीदवारी तय करके राजनेतिक हलचल बढ़ा दी है।
शिवराज सिंह ठाकुर लोधी और उनका परिवार
बंडा विधानसभा सीट पर लोधी वोटर भले ही निर्णायक की भूमिका में हैं, लेकिन इस सीट से अन्य जातियों के लोग चुनाव जीतते आ रहे हैं। बंडा सीट पर जनसंघ,जनता पार्टी और उसे बाद बीजेपी ने स्व शिवराज सिंह पर ही दांव लगाकर शुरुआत की । शिवराज भैया के नाम मशहूर शिवराज सिंह ने 1972, 1977 और 1980 में चुनाव लडा ।वे 1977 में चुनाव जीते। 1980 में प्रेम नारायण मिश्रा से चुनाव हार गए। इसके बाद 1985 में हरनाम सिंह राठौर को बीजेपी से टिकिट मिला।राठौर परिवार की एंट्री सबसे लंबी चली। सन 2008 में शिवराज सिंह के बेटे रामरक्षा पाल सिंह को टिकिट मिला।वे कांग्रेस के नारायण प्रजापति से चुनाव हार गए। इसके बाद शिवराजसिंह को 2009 में दमोह लोकसभा से बीजेपी के टिकिट से जीत मिली। दमोह लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली बंडा सीट ने लीड भी दिलाई। इसके बाद उनका 19 मई 2021 को निधन हो गया। अबकी बार 2023 के चुनाव में उनके शिक्षक बेटे वीरेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है।
हरनामसिंह राठौर और उनका परिवार
बीजेपी के सबसे प्रभावशाली नेता और बीडी उद्योगपति स्व हरनाम सिंह राठौर बंडा विधानसभा सीट से सबसे ज्यादा समय तक विधायक रहे। भाजपा के स्व. राठौर 1985 ,1990,1993,1998 और 2003 तक लगातार चुनाव लडा वे सिर्फ 1993 में कांग्रेस के प्रत्याशी और आबकारी ठेकेदार संतोष साहू से चुनाव हारे। उस समय बाहुबल और धनबल को लेकर यह सीट सुर्खियों में आई थी। उमाभारती के कट्टर समर्थक और पूर्व जिला अध्यक्ष हरनामसिंह राठौर को उमा मंत्री मंडल में पीएचई मंत्री भी बने।
2008 में उनको टिकिट नही मिला।निजी कारणों से मना कर दिया। यहा से कांग्रेस के नारायण प्रजापति जीते।
सन 2013 के चुनाव में राठौर परिवार की दूसरी पीढ़ी को एंट्री हुई। हरनाम सिंह के बेटे और दो दफा जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे हरवंश सिंह राठौर को बीजेपी ने टिकिट दिया। उन्होंने कांग्रेस विधायक नारायण प्रजापति को करीब 17 हजार वोटो से हराया। लेकिन 2018 में हरवंश सिंह राठौर को कांग्रेस के नए चेहरे ने करीब 24 हजार मतों के लंबे अंतर से हराया।
छोड़ेंगे शिक्षक की नोकरी: लडेंगे चुनाव
पूर्व सांसद शिवराज सिंह के बेटे
भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह लोधी अपनी शिक्षक की सरकारी नौकरी छोड़कर चुनाव मैदान में उतरेंगे। 14 जनवरी 1973 को जन्मे वीरेंद्र सिंह ने एमए समाजशास्त्र, डीएड की पढ़ाई की है। राजनेतिक परिवेश बचपन से मिला। उनकी छवि मिलनसार है।यह छवि कांग्रेस विधायक तरवर सिंह लोधी पर भारी पड सकती है। लोधी समाज के अध्यक्ष भी ही।
वे स्कूल से समय निकालकर जनता के बीच घूम रहे है। वीरेंद्र सिंह लोधी के मुताबिक वे पिछले चार साल से बंडा सीट से विधानसभा से चुनावी तैयारी कर रहे है। भारतीय जनता पार्टी ने मुझ पर भरोसा जताया है। क्षेत्र की जनता ही यह चुनाव लड़ेगी। 2008 में परिस्थितिवश मेरे भाई चुनाव हार गए थे। क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए काम करने की इच्छा है। पार्टी का आदेश मिलते ही मैं शिक्षक की नौकरी छोड़ दूंगा।
हरवंश सिंह राठौर और सुधीर यादव के कदम पर सबकी नजर
बीजेपी से वीरेंद्र सिंह लोधी की उम्मीदवारी से बड़े दावेदारों को झटका लगा है। लंबे समय से राठौर के वर्चस्व वाली बंडा सीट से हरवंश राठौर को टिकिट नही मिला। उनकी नाराजगी स्वाभाविक है। सबसे बड़ा झटका पूर्व
सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे सुधीर यादव को लगा है। पिछले एक साल से तेजी से बंडा में सक्रिय थे। इसके पहले बंडा में 2008 में उमा भारती की जनशक्ति पार्टी से चुनाव लडे थे और 20 हजार से अधिक वोट ले गए थे। इसका त्रिकोणीय मुकाबले में नारायन प्रजापति 2 हजार वोटो से चुनाव जीत गए थे।लोधी और यादव वोट इस सीट पर निर्णायक माने जाते है। इसी के चलते सुधीर यादव ने बंडा सीट पर दावा जताया था। उन्होंने निवास भी यहा बना लिया था। उनकी पार्टी और सामाजिक कार्यक्रमों में जमकर हिस्सेदारी भी बढ़ाई थी।
सुधीर यादव 2018 में सुरखी सीट से चुनाव हारने और राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत के बीजेपी में शामिल होनेऔर उपचुनाव जीतने के बाद सुधीर यादव ने सुरखी सीट की दावेदारी से किनारा कर लिया था। बदली परिस्थितियों में सुधीर यादव के बगावती तेवर नजर आ रहे हैं। यादव का कहना है कि मैं पहले क्षेत्र की जनता व अपने शुभचिंतकों से बात करूंगा। इसके बाद ही चुनाव लड़ने के संबंध में कोई निर्णय लूंगा। बंडा सीट से बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष जाहर सिंह और रंजोर सिंह भी टिकिट की आस लगाए थे।
तरवर सिंह लोधी को भी नारायण प्रजापति से संकट
कांग्रेस में गुटबाजी की अपनी शैली है। कांग्रेस विधायक तरवर सिंह लोधी को 2023 में मुश्किल काम होती नजर नहीं आ रही है। अपनी साफ सुथरी छवि के सहारे क्षेत्र में पकड़ बनाने में सफल तरवर को अपनी ही पार्टी के पिलूर्व विधायक नारायण प्रजापति से चुनौती मिल रही है। मध्यप्रदेश में दलबादल के दौर में सरकार गिरने के बाद तरवर लोधी पर भी बीजेपी ने डोरे डाले ।लेकिन उनकी आस्था कांग्रेस में ही बनी रही इसकी अफवाहें भी खूब उड़ी।
पूर्व विधायक नारायण प्रजापति को उम्मीद है कि कांग्रेस उनको टिकिट देगी। प्रजापति के मुताबिक क्षेत्र की जनता मेरे साथ है। पार्टी के आदेश का इंतजार है। चुनाव लड़ने की मेरी पूरी तैयारी है।