प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक जुलाई को शहडोल में
▪️पकरिया में जनजातीय प्रतिनिधियों से करेंगे चर्चा
▪️ एक करोड़ आयुष्मान कार्डों के वितरण की करेंगे शुरूआत
▪️सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का होगा शुभारंभ
तीनबत्ती न्यूज
भोपाल 30 जून 2023 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का एक जुलाई को मध्यप्रदेश के शहडोल में आगमन हो रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी यहां विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्तर पर सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की लांचिंग और पीवीसी आयुष्मान कार्डों के वितरण का शुभारंभ भी करेंगे।
सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का होगा शुभारंभ
प्रधानमंत्री श्री मोदी शहडोल में राष्ट्रीय स्तर पर सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 का भी शुभारंभ करेंगे। कार्यक्रम में केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य, जनजातीय कार्य, आयुष मंत्रालय और देश के 17 राज्यों के प्रतिनिधि ऑनलाइन शामिल होंगे। कार्यक्रम में प्रदेश के 20 जनजातीय बहुल जिलों के 89 विकास खण्ड के करीब 3 हजार हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर्स के 2 लाख से अधिक हितग्राहियों को सिकल सेल जेनेटिक काउन्सलिंग कार्ड का वर्चुअली वितरण किया जाएगा। इन कार्डों में सिकल सेल एनीमिया के परीक्षण के बाद उसकी रिपोर्ट होगी। प्रधानमंत्री श्री मोदी सिकल सेल ऑपरेशन गाइड-लाइन का अनावरण, नेशनल सिकल सेल पोर्टल एवं डेश बोर्ड का भी शुभारंभ करेंगे। सिकल सेल मेनुअल का भी अनावरण होगा। कार्यक्रम का प्रदेश के 25 हजार 500 से अधिक स्थानों पर सीधा प्रसारण होगा। इनमें प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ सिविल अस्पताल, जिला अस्पताल, हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर, चिकित्सा महाविद्यालय, शहरी स्थानीय निकाय और नगर निगम मुख्यालय शामिल हैं। कार्यक्रम में प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन संबंधी फिल्म का प्रदर्शन होगा। प्रधानमंत्री, ग्रामीणों एवं जन-प्रतिनिधियों से सीधा संवाद करेंगे और सामूहिक भोज में भी शामिल होंगे।
पीवीसी आयुष्मान कार्ड का वितरण
प्रधानमंत्री श्री मोदी शहडोल में पीवीसी आयुष्मान कार्ड वितरण योजना का शुभारंभ करेंगे। देश में पहली बार प्रदेश में 3 करोड़ 57 लाख आयुष्मान हितग्राहियों को डिजिटल आयुष्मान कार्ड का वितरण किया जा रहा है। प्रधानमंत्री द्वारा योजना के शुभारंभ के बाद ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय स्तर पर जन-प्रतिनिधियों की उपस्थिति में पीवीसी आयुष्मान कार्ड वितरित किए जाएंगे। इसके लिए पंचायत स्तर पर आयुष्मान ग्राम सभा होगी, जिसमें आयुष्मान हितग्राहियों के नाम पढ़े जाएंगे। नगरीय निकायों में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के लाइव प्रसारण की व्यवस्था की गई है।
लखपति दीदियों, ग्रामसभाओं, फुटबाल खिलाड़ियों और जनजातीय मुखियाओं से संवाद
प्रधानमंत्री श्री मोदी शहडोल के ग्राम पकरिया में सायं लखपति दीदियों से संवाद करेंगे। महिला स्व-सहायता समूह में जिन दीदियों की वार्षिक आय एक वर्ष में एक लाख रुपये से अधिक होती है, उन्हें लखपति दीदी कहा जाता है। दीदियों ने मेहनत और परिश्रम से अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी है। मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट लागू हुआ है। कई ग्राम सभाओं ने तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य किया है, ऐसी ग्राम सभाओं से भी प्रधानमंत्री श्री मोदी का संवाद होगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी शहडोल के आस-पास गाँव-गाँव में सक्रिय फुटबाल क्लबों के सदस्यों से भी बातचीत करेंगे। साथ ही जनजातीय समाज के मुखियाओं से भी चर्चा करेंगे।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी पकरिया गांव में आनंद लेंगे कोदो भात-कुटकी खीर का
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी शहडोल जिले की स्थानीय जनजातीय, संस्कृति एवं परंपराओं से अवगत होंगे। प्रधानमंत्री श्री मोदी खटिया पर बैठकर देशी अंदाज में जनजातीय समाज के लोगों, फुटबॉल क्रांति के अंतर्गत खिलाड़ियों, स्व सहायता समूह की लखपति दीदियों तथा अन्य लोगों से संवाद करेंगे। एक जुलाई 2023 का दिन शहडोल जिले के लिए बहुत ही ऐतिहासिक होगा। ऐसा पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री देशी अंदाज में जनजातीय समुदाय के साथ जमीन पर बैठकर कोदो भात- कुटकी खीर का आनंद लेंगे। कार्यक्रम में पूरी व्यवस्था को भारतीय परंपरा एवं संस्कृति के अनुसार तैयार जा रहा है। प्रधानमंत्री के भोज में मोटा अनाज (मिलेट) को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। पकरिया गांव की जल्दी टोला में प्रधानमंत्री के भोज की तैयारी जोर - शोर से चल रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का शहडोल जिले के ग्राम पकरिया में 1 जुलाई को कार्यक्रम है।
शहडोल जिले का पकरिया गांव अद्भुत एवं अविस्मरणीय है। जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ सात रंग के इंद्रधनुष की तरह गतिमान है। शहडोल जिले का पकरिया गांव सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा गांव है, जहाँ साल, सागौन, महुआ, कनेर, आम, पीपल, बेल, कटहल, बांस और अन्य पेड़ों की हवाएं उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती है। उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती सोन नदी की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो, वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ है।
पकरिया गांव में 4700 लोग करते हैं निवास
पकरिया गांव में 4700 लोग निवास करते हैं,जिसमें से 2200 लोग मतदान करते हैं। गांव में 700 घर जनजातीय समाज के हैं, जिनमें गोंड समाज के 250, बैगा समाज के 255, कोल समाज के 200, पनिका समाज के 10 तथा अन्य समाज के लोग निवास करते हैं। पकरिया गांव में 3 टोला है, जिसमें जल्दी टोला, समदा टोला एवं सरकारी टोला शामिल है।
जनजातियों का नृत्य-संगीत प्रकृति की लीला-मुद्राओं का अनुकरण
ढोल, माँदर, गुदुम, टिमकी, डहकी, माटी माँदर, थाली, घंटी, कुंडी, ठिसकी, चुटकुलों की ताल पर जब बाँसुरी, फेफरिया और शहनाई की स्वर-लहरियों के साथ भील, गोंड, कोल, कोरकू, बैगा, सहरिया, भारिया आदि जनजातीय युवक-युवतियों की तरह बघेलखंड-शिखर थिरक उठते हैं, जनजातियों का नृत्य-संगीत प्रकृति की इन्हीं लीला-मुद्राओं का अनुकरण है।
पकरिया गांव का जनजातीय समुदाय अद्भुत एवं अद्वितीय इसलिए भी है कि यहां के जनजातियों के रीति रिवाज, खानपान, जीवन शैली सबसे अलहदा है। जनजातीय समुदाय प्रायः प्रकृति के सान्निध्य में रहते हैं। इसलिये निसर्ग की लय, ताल और राग-विराग उनके शरीर में रक्त के साथ संचरित होते हैं। वृक्षों का झूमना और कीट-पतंगों का स्वाभाविक नर्तन जनजातियों को नृत्य के लिये प्रेरित करते हैं। हवा की सरसराहट, मेघों का गर्जन, बिजली की कौंध, वर्षा की साँगीतिक टिप-टिप,पक्षियों की लयबद्ध उड़ान ये सब नृत्य-संगीत के उत्प्रेरक तत्व हैं।
नृत्य-संगीत जनजातीय जीवन-शैली का अभिन्न अंग
नृत्य मन के उल्लास की अभिव्यक्ति का सहज और प्रभावी माध्यम है। संगीत सुख-दुख यानी राग-विराग को लय और ताल के साथ प्रकट करता है। कहा जा सकता है कि नृत्य और संगीत मनुष्य की सबसे कोमल अनुभूतियों की कलात्मक प्रस्तुति हैं। जनजातियों के देवार्चन के रूप में आस्था की परम अभिव्यक्ति के प्रतीक भी। नृत्य-संगीत जनजातीय जीवन-शैली का अभिन्न अंग है। यह दिन भर के श्रम की थकान को आनंद में संतरित करने का उनका एक नियमित विधान भी है।
गोंड समुदाय के ’सजनी’ गीत-नृत्य की चमत्कृत भाव-मुद्राएँ
गांव में गोंड जनजाति समूह में करमा, सैला, भड़ौनी, बिरहा, कहरवा, ददरिया, सुआ आदि नृत्य-शैलियाँ प्रचलित हैं। गोंड समुदाय के ’सजनी’ गीत-नृत्य की भाव-मुद्राएँ चमत्कृत करती हैं। इनका दीवाली नृत्य भी अनूठा होता है। माँदर, टिमकी, गुदुम, नगाड़ा, झांझ, मंजीरा, खड़ताल, सींगबाजा, बाँसुरी, अलगोझा, शहनाई, बाना, चिकारा, किंदरी आदि इस समुदाय के प्रिय वाद्य हैं। बैगा माटी माँदर और नगाड़े के साथ करमा, झरपट और ढोल के साथ दशहरा नृत्य करते हैं। विवाह के अवसर पर ये बिलमा नृत्य कराते हैं। बारात के स्वागत में किया जाने वाला परघौनी नृत्य आकर्षक होता है। छेरता नृत्य नाटिका में मुखौटों का अनूठा प्रयोग होता है। इनकी नृत्यभूषा और आभूषण भी विशेष होते हैं।
पकरिया गांव के जनजातीय समाज के लोगों की पूजन अर्चन शैली
पकरिया गांव के जनजाति समूह में हरहेलबाब या बाबदेव, मइड़ा कसूमर, भीलटदेव, खालूनदेव, सावनमाता, दशामाता, सातमाता, गोंड जनजाति समूह में महादेव, पड़ापेन या बड़ादेव, लिंगोपेन, ठाकुरदेव, चंडीमाई, खैरमाई, बैगा जनजाति में बूढ़ादेव, बाघदेव, भारिया दूल्हादेव, नारायणदेव, भीमसेन और सहरिया जनजाति में तेजाजी महाराज, रामदेवरा आदि की पूजा पारंपरिक रूप से प्रचलित है। पूजा-अनुष्ठान में मदिरा और पकवान का भोग लगता है।
पकरिया गांव के जनजातियों का विशेष भोजन
पकरिया गांव के जनजातियों का विशेष भोजन कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा, साँवा, मक्का, चना, पिसी, चावल आदि अनाज जनजाति समुदायों के भोजन में शामिल हैं। महुए का उपयोग खाद्य और मदिरा के लिये किया जाता है।आजीविका के लिये प्रमुख वनोपज के रूप में भी इसका संग्रहण सभी जनजातियाँ करती हैं। बैगा,भारिया और सहरिया जनजातियों के लोगों को वनौषधियों का परंपरागत रूप से विशेष ज्ञान है।बैगा कुछ वर्ष पूर्व तक बेवर खेती करते रहे हैं।