गुरु का नाम ही पावन, पवित्र है: देवदास जी
▪️दिव्य सत्संग, महालक्ष्मी यज्ञ में उमड़े श्रद्धालु
▪️ मंत्री भूपेंद्र सिंह ने महाराज से आशीर्वाद लिया
▪️ मंत्री भूपेंद्र सिंह ने महाराज से आशीर्वाद लिया
सागर ,25 फरवरी,2023।बम्होरी रेगुंवा स्थित पंडित अजय दुबे के कृषि फार्म हाउस पर आयोजित नौ दिवसीय, नौ कुंडीय महालक्ष्मी यज्ञ एवं दिव्य सत्संग के चौथे दिवस देवदास जी बड़े महाराज ने श्रद्धालु श्रोताओं को दिव्य संत देवराहा बाबा के जीवन से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि गुरु का नाम ही पावन पवित्र है। जब गुरु कृपा करते हैं तो मनुष्य के सभी विकार बाहर कर देते हैं। यदि गुरु की कृपा है तो तुम्हें भगवत प्राप्ति के मार्ग पर जाने से कोई रोक नहीं सकता।
श्रद्धालुओं की जिज्ञासा है कि क्या देवराहा बाबा क्रोध करते थे? का समाधान करते हुए श्री देव दास जी महाराज ने कहा कि दिव्य संत कभी क्रोध नहीं करते। गुरु यदि क्रोध करते हैं तो उन्हें नमो भगवते नरसिम्हा नमः कहकर प्रणाम करें, जब अत्यंत प्रेम करें तो कृष्णं वंदे जगत गुरु कहकर, जब ज्ञान की बात करें तो कपि देवाय नमः और जब आपकी रक्षा करें तो उस समय नमो नारायणा कहकर प्रणाम करें।
देवदास जी महाराज ने कहा कि गुरु की महिमा का तब पता चलता है जब हम गुरु भक्ति में लीन होते हैं। गुरु के प्रति श्रद्धापूर्वक समर्पित रहते हैं। गुरु में वास्तव में ब्रह्मा विष्णु,महेश के साक्षात दर्शन निहित है।
गुणवान की संगत करो:-
देव दास जी महाराज ने कहा कि संगत हमेशा ऐसे लोगों की करें जो गुणवान और चरित्रवान है। यदि दुर्जन व्यक्ति की संगत करोगे तो बनी बनाई बुद्धि भी बिगड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि संगत में गुण होत है, संगति से गुण जात। बांस, फांस और मिश्री एक भाव बिक जात।। बांस में फांस तो होती है लेकिन जब उसकी टोकनी में मिश्री रखी जाती है तो वह भी साथ में बिक जाता है।
अष्ट सिद्धि से परिपूर्ण थे देवराहा बाबा-
श्री देव दास जी महाराज ने देवराहा बाबा द्वारा यात्रा करने तरीकों की जिज्ञासा को शांत करते हुए कहा कि बाबा जी अष्ट सिद्धि योग की क्रियाओं से परिपूर्ण थे। इन्हीं में एक सिद्धि मूचर सिद्धि भी बाबा को प्राप्त थी। इसमें साधु, सन्यासी जमीन के नीचे या जल के भीतर से यात्रा करते थे। बाबा ने ऐसी अनेक यात्राएं भूचर सिद्धि एवं खेचरी सिद्धि के माध्यम से की। सिद्ध संतों की यात्रा अलग होती है एवं आमजन की यात्रा अलग होती है। आज के समय के लोग इन सिद्धियों को नहीं मानेंगे। लेकिन जिन्होंने देवराहा बाबा का सानिध्य पाया है वह यह बातें समझ सकते हैं।
संतों की लीला अनंत होती है:-
देवदास जी महाराज ने कहा कि संतों के दर्शन से मनुष्य तो ठीक, जीव-जंतुओं का भी उद्धार हो जाता है। ऐसे ही संत थे श्री देवराहा बाबा जिनके दर्शन मात्र से प्राणी तर जाता था। देवराहा बाबा की लीला अनंत थी। जिस प्रकार हरि की लीला अनंत होती है उसी प्रकार सिद्ध संतों की लीला भी अनंत होती है। संत कभी लेने की चेष्टा नहीं करते,बल्कि देने में विश्वास करते हैं। संत का काम ज्ञान, मंत्र, सदमार्ग , सदविचार सब देना ही है। जो जितना ग्रहण कर सके उतना पुण्य का भागी होता है।
श्रद्धालुओं की जिज्ञासा है कि क्या देवराहा बाबा क्रोध करते थे? का समाधान करते हुए श्री देव दास जी महाराज ने कहा कि दिव्य संत कभी क्रोध नहीं करते। गुरु यदि क्रोध करते हैं तो उन्हें नमो भगवते नरसिम्हा नमः कहकर प्रणाम करें, जब अत्यंत प्रेम करें तो कृष्णं वंदे जगत गुरु कहकर, जब ज्ञान की बात करें तो कपि देवाय नमः और जब आपकी रक्षा करें तो उस समय नमो नारायणा कहकर प्रणाम करें।
देवदास जी महाराज ने कहा कि गुरु की महिमा का तब पता चलता है जब हम गुरु भक्ति में लीन होते हैं। गुरु के प्रति श्रद्धापूर्वक समर्पित रहते हैं। गुरु में वास्तव में ब्रह्मा विष्णु,महेश के साक्षात दर्शन निहित है।
गुणवान की संगत करो:-
देव दास जी महाराज ने कहा कि संगत हमेशा ऐसे लोगों की करें जो गुणवान और चरित्रवान है। यदि दुर्जन व्यक्ति की संगत करोगे तो बनी बनाई बुद्धि भी बिगड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि संगत में गुण होत है, संगति से गुण जात। बांस, फांस और मिश्री एक भाव बिक जात।। बांस में फांस तो होती है लेकिन जब उसकी टोकनी में मिश्री रखी जाती है तो वह भी साथ में बिक जाता है।
अष्ट सिद्धि से परिपूर्ण थे देवराहा बाबा-
श्री देव दास जी महाराज ने देवराहा बाबा द्वारा यात्रा करने तरीकों की जिज्ञासा को शांत करते हुए कहा कि बाबा जी अष्ट सिद्धि योग की क्रियाओं से परिपूर्ण थे। इन्हीं में एक सिद्धि मूचर सिद्धि भी बाबा को प्राप्त थी। इसमें साधु, सन्यासी जमीन के नीचे या जल के भीतर से यात्रा करते थे। बाबा ने ऐसी अनेक यात्राएं भूचर सिद्धि एवं खेचरी सिद्धि के माध्यम से की। सिद्ध संतों की यात्रा अलग होती है एवं आमजन की यात्रा अलग होती है। आज के समय के लोग इन सिद्धियों को नहीं मानेंगे। लेकिन जिन्होंने देवराहा बाबा का सानिध्य पाया है वह यह बातें समझ सकते हैं।
संतों की लीला अनंत होती है:-
देवदास जी महाराज ने कहा कि संतों के दर्शन से मनुष्य तो ठीक, जीव-जंतुओं का भी उद्धार हो जाता है। ऐसे ही संत थे श्री देवराहा बाबा जिनके दर्शन मात्र से प्राणी तर जाता था। देवराहा बाबा की लीला अनंत थी। जिस प्रकार हरि की लीला अनंत होती है उसी प्रकार सिद्ध संतों की लीला भी अनंत होती है। संत कभी लेने की चेष्टा नहीं करते,बल्कि देने में विश्वास करते हैं। संत का काम ज्ञान, मंत्र, सदमार्ग , सदविचार सब देना ही है। जो जितना ग्रहण कर सके उतना पुण्य का भागी होता है।
देवराहा बाबा की लीलाएं अनंत थी:-
देव दास जी महाराज ने देवराहा बाबा की लीलाओं का संस्मरणों का बखान करते हुए ऐसी अनेक चमत्कारिक घटनाओं का जिक्र किया जिन्हें सुनकर श्रद्धालु आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने बाबा द्वारा उनके सिर पर मटकी फोड़ने का वृतांत भी सुनाया और कहा कि मेरे दिमाग में राजनीति भर गई थी । जिससे बाहर निकालने के लिए उन्होंने मटकी सिर पर फोड़ कर मेरी बुद्धि को सदमार्ग पर लाए। दिव्य सत्संग के दौरान दिल्ली से आए विंग कमांडर सतीश शर्मा एवं विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय मंत्री अशोक तिवारी ने भी श्रद्धालुओं को देवराहा बाबा की चमत्कारिक लीलाओं से रूबरू कराया।
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आशीर्वाद लिया:
महालक्ष्मी यज्ञ एवं दिव्य सत्संग में आज प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पहुंचकर देवदास जी बड़े महाराज से आशीर्वाद लिया। उन्होंने नवनिर्मित मंदिर में पहुंचकर श्री देवराहा बाबा, धूनी वाले बाबा, दुर्गा जी,गणेश जी, हनुमान जी की प्रतिष्ठित प्रतिमाओं के दर्शन किए। तत्पश्चात यजमान पंडित अजय दुबे ने भूपेंद्र सिंह का सम्मान किया । इस अवसर पर महापौर प्रतिनिधि सुशील तिवारी, पार्षद नरेश यादव, सुखदेव मिश्रा, राजेश केशरवानी भी उपस्थित थे।
बम्होरी रेंगुवा ग्राम में अजय दुबे के फार्म हाउस में चल रहे नव कुंडीय हवनातमक महालक्ष्मी यज्ञ के चौथे दिवस महालक्ष्मी की आराधना की गई। ब्राह्मणों एव यजमान परिवार के सदस्यो ने वैदिक मंत्रोचार के बीच पंच तत्वो को साक्षी मानकर महालक्ष्मी की आराधना के साथ नौ हवन कुंडो में घृत, जवा, तिल, धूप की आहुतियां दी। किया जा रहा है । यज्ञ ,अनुष्ठान एवं यज्ञ की परिक्रमा, यज्ञ की परिचर्या, दान यज्ञ हजारों श्रद्धालु अपने को धन्य कर रहे है।
उमड़े श्रद्धालु
यज्ञ के मुख्य यजमान साधना अजय दुबे, शिवानी संजय चौबे, प्रतिभा डॉ अनिल तिवारी, रजनी मनमोहन शर्मा, कोमल प्रसाद जोशी, कामना अभिषेक शर्मा, हितेश अग्रवाल ,सुनीता श्याम मनोहर पचोरी, लक्ष्मीबाई कडोरी लाल विश्वकर्मा, वंदना मनीष सोनी, रोहिणी निर्भय घोषी, साधना देवनारायण दुबे, गिरजा बाई रामदयाल प्रजापति, के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु यज्ञ में आहुति दे रहे हैं एवं परिक्रमा कर धर्म लाभ अर्जित कर रहे हैं ।
सत्संग के दौरान पप्पू तिवारी, भरत तिवारी, गोलू अग्रवाल,रामचरण शास्त्री, हरि महाराज, पंडित कुंज बिहारी शुक्ला,शिव प्रसाद तिवारी,, सुशील रामकृष्ण तिवारी, अमित कटारे , राम शर्मा,अरविंद दुबे,अंकित दुबे, देवव्रत शुक्ला, श्याम मनोहर पचौरी, कुलदीप दुबे, शिव नारायण शास्त्री, संतोष पांडे, राघवेंद्र नायक, मुरारी नायक, सुरेंद्र शास्त्री, श्याम पचौरी के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885
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