विकास यात्रा की तैयारी को लेकर सागर विधानसभा क्षेत्र की बैठक

विकास यात्रा की तैयारी को लेकर सागर विधानसभा क्षेत्र की बैठक

सागर।आगामी 5 फरवरी से 25 फरवरी तक सागर विधानसभा क्षेत्र में विकास यात्रा का आयोजन किया जाना है जिसके माध्यम से विधायक शैलेंद्र जैन नगर में किए गए विकास कार्य को लेकर जनता के बीच पहुंचेंगे उनकी बात को सुनेंगे और अपनी बात उन तक पहुंच जाएंगे इस दौरान विभिन्न निर्माण कार्यों का शिलान्यास एवं लोकार्पण भी किया जाएगा इन सभी की तैयारियों को लेकर वार्ड के संयोजक पार्टी के पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया विधायक शैलेंद्र जैन ने सभी कार्यकर्ताओं को यात्रा की तैयारियों से अवगत कराया। बैठक में सभी कार्यकर्ताओं ने अपने अपने सुझाव विकास यात्रा को लेकर विधायक जैन के समक्ष रखें। ताकि विकास यात्रा को और भी प्रभावी बनाया जा सके।

ये रहे मोजूद

रामकुमार साहू श्याम तिवारी जगन्नाथ गुरैया कमलेश बघेल विक्रम सोनी मनीष चौबे रीतेश मिश्रा शैलेश केसरवानी अर्पित पांडे लक्ष्मण सिंह निकेश गुप्ता धर्मवीर साहू रामावतार पांडे प्रतिभा चौबे मेघा दुबे अमित कच्छवाहा देवी पटेल शरद मोहन दुबे महेंद्र राय प्रभुदयाल साहू रामेश्वर नेमा अंशुल हर्शे राहुल वैद्य अमित बसखिया विवेक सोधिया राजू बड़ोन्या जुगल प्रजापति सुषमा यादव रामसिंह अहिरवार अमन गौतम पराग बजाज श्रीकांत जैन नीलेश जैन प्रासुख जैन जयश्री चढ़ार अमित तिवारी गरीबदास जाटव ब्रिजेस त्रिवेदी देवी पटेल डब्बू साहू शालीन सिंह सुबोध पाराशर राहुल नामदेव कमल चौरसिया कपिल नाहर सुमित यादव हरिनारायण नामदेव कृष्ण कुमार अहिरवार निकिल अहिरवार आनंद विशवकर्मा जय सोनी यशवंत चौधरी दीपक लोधी शैलेंद्र नामदेव विनय मिश्रा आनंद चौहान
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मोटा अनाज : सेहत और सामाजिक समरसता का प्रतीक▪️जागरूकता को लेकर रोटरी क्लब करेगा आयोजन

मोटा अनाज : सेहत और सामाजिक समरसता का प्रतीक
▪️जागरूकता को लेकर रोटरी क्लब करेगा आयोजन

सागर, 31,जनवरी 2023. मोटा अनाज के उपयोग को लेकर ( Millets Food )  दुनिया में बदलाव आ रहा है। UNO ने वर्ष 2023 को अंतराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है। इसको लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहे है। इसको लेकर रोटरी क्लब और उसके संगठनों ने प्रचार प्रसार अभियान में भागेदारी निभा रहा है।  आर.सी.सी. क्लब चैयरमैन रो. वीनू राणा एड,. रो. दिवाकर राजपूत , रोटरी सचिव डॉ. दीपक सिंह , आर.सी.सी. शाहगढ अध्यक्ष मोहित भल्ला , सामाजिक कार्यकर्ता भास्कर रमण, गोपालगंज महिला आर. सी.सी अध्यक्ष विनीता राजपूत ने आज मोटा अनाज को लेकर मीडिया से चर्चा की। 


सागर में बड़ा आयोजन
आर.सी.सी. क्लब चैयरमैन रो. वीनू राणा ने बताया कि बुन्देलखण्ड बाजरा अन्न उत्सव 2023 ( Bundelkhand Millets Food Festival 2023) के आयोजन के संबंध मे रोटरी क्लब सागर संख्या , रोटरी. सामुदायिक केन्द्र (RCC), Rotarect Club द्वारा  18 19 मार्च 2023 को रविन्द्र भवन. मे दो दिवसीय आयोजन करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि  भारत सरकार ने 2018 को Millets का राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया था और तदनुसार संयुक्त राष्ट्र को एक प्रस्ताव भेजा गया था। अब संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को Millet का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है. रोटरी क्लब 1905 से एक अंतरराष्ट्रीय सामाजिक कार्य एजेंसी है। हमने विश्व से पोलियो और अन्य सामाजिक कारणों के लगभग उन्मूलन में काम किया है। सागर मुख्य के रोटरी क्लब में लगभग 100 रोटरी कम्युनिटी कॉर्प्स (आर.सी.सी). रोटरैक्ट और सागर जिले में 980 सदस्यों के साथ इंटरैक्ट क्लब हैं ।(उनमें से ज्यादातर किसान हैं ) बुंदेलखंड मिलेट्स फूड फेस्टिवल 2023 थीम के तहत कृषि और किसान कल्याण विभाग के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए Millets मोटा अनाज पर 02 दिवसीय प्रचार और जागरूकता सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं।


 इस संबंध में केन्द्रीय कृषि मंत्री  नरेन्द्र सिंह तोमर ,. कृषि मंत्री श्री कमल पटेल वन मंत्री श्री विजय शाह , सागर कलेक्टर, डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमति नीलिमा गुप्ता, जिला पंचायत CEO, सागर DFO, आदि गणमान्य लोगो को ये पत्र प्रेषित किया।

सेहत और समरसता का प्रतीक मोटा अनाज

प्रो दिवाकर सिंह राजपूत  ने कहा कि मोटा अनाज जैसे बाजरा, ज्वार, कोदो कुटकी और शमा आदि सेहत को फायदेमंद तो है ही।इसके साथ ही सामाजिक समरसता भी  है । इनकी खेती में किसान सामूहिक निर्णय लेकर करते है। इनके खेती में पानी भी कम लगता है।  इसके कई तरह के व्यंजन भी बाजार में उपलब्ध है। यदि इनकी खेती को बढ़ावा मिलेगा तो अंतराष्ट्रीय सतार पर  फायदा मिलेगा। अभी भी भारत दुनिया प्रमुख उत्पादक देशों में गिना जाता है। 


आर.सी.सी. शाहगढ अध्यक्ष मोहित भल्ला ने बताया कि पहले बुंदेलखंड में इनका प्रचलन में था। लेकिन अब कम हो गया।बदलते दौर में फिर से इनकी मांग बढ़ी है। सामाजिक कार्यकर्ता भास्कर रमन ने बताया कि जनजातीय क्षेत्र में  काम किया है। इसमें देशज ज्ञान की परंपरा मिलती है। मोटे अनाज के साथ ही मोटे कंद को भी बचाना है। विनिता राजपूत ने बताया कि 1960 के बाद बदलाव आया है। जिसमे गेंहू और चावल को बढ़ावा मिला। जिसके नुकसान भी है। स्वास्थ्य रखने के लिए इसको प्रचारित करने की जरूरत है। 
डा दीपक सिंह ने बताया कि कुछ नीतियों के चलते मोटा अनाज बाहर हो गया और हम दूसरे नुकसानदेह खानपान से जुड़ते चले गए। आज यह मोटा अनाज  महंगा बिक रहा है। कुछ अनाज तो जंगलों में उपजता है। फिर भी लोग मंहगा बेच रहे है। इस मौके पर आर के पाठक ने भी अपने  विचार रखे। 


साइकिल पर निकला प्रचार पर दीवार दास


अयोध्या से पूरे देश में नशामुक्ति और पर्यावरण संरक्षण के लिए  साइकिल पर निकले शांतिकुज के दिनकर दास भी अब मोटा अनाज के प्रचारप्रसार में जुड़ गए है। रोटरी क्लब इनके रहने और खानेपीने की व्यवस्था कर रहा है। दिनकर स्कूलों और अन्य संस्थानों में इसका प्रचार प्रसार कर रहे है। 


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Sagar: हत्यारे पति को आजीवन कारावास,शराब के नशे में की थी पत्नी की हत्या

Sagar: हत्यारे पति को आजीवन कारावास,शराब के नशे  में की थी पत्नी की हत्या


 
सागर । शराब के नषे में पत्नी के सिर में डण्डा मारकर हत्या करने वाले आरोपी भैयालाल थाना-मोतीनगर को न्यायालय अष्टम अपर-सत्र न्यायाधीष जिला-सागर श्रीमान अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-302 के तहत आजीवन कठोर कारावास व 500 रूपये अर्थदण्ड एवं धारा- 323 के तहत 06 माह का कठोर कारावास की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी अपर-लोक अभियोजक श्री रामबाबू रावत ने की ।
        जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा ने बताया  कि फरियादी / सूचनाकर्ता देवकी सौर ने दिनाॅक 13.02.2021 को थाना मोतीनगर में उपस्थित होकर रिपोर्ट लेख कराई कि वह ग्राम भापेल में अपनी ननद सावित्रीबाई के घर घटना के करीब 10 दिन पहले आई थी। दिनाॅक 08.02.2021 को रात्रि करीब 10-11 बजे वह अपनी ननद सावित्री के साथ उसके घर में बैठी थी, उसी समय उसका ननदोई आरोपी भैयालाल शराब पीकर आया। सावित्री ने आरोपी भैयालाल से कहा कि खाना खा लो, तो आरोपी भैयालाल ने खाना नहीं खाया बल्कि साबित्रीबाई को गंदी-गंदी गालियाॅ देने लगा , इस पर सावित्री के अभियुक्त को गालियाॅ देने से मना किया और कहा कि खाना खाकर सो जाओ । इस पर से अभियुक्त ने सावित्री को जान से मारने की नियत से उसके सिर में डण्डा मार दिया जिससे सावित्री वहीं गिर पड़ी। सूचनाकर्ता देवकी ने बीच-बचाव किया तो आरोपी ने उसके सिर में डण्डा मार दिया जिससे वह भी गिर पड़ी थी । उसकी ननद मृतिका सावित्रीबाई मौके पर बेहोष हो गई थी, उसी समय मौके पर कलाबाई व उनकी बेटी प्रेमबाई आ गई थी। उसके बाद गाॅव के लोगों ने सरकारी वाहन 108 को बुलाकर तुरंत सावित्रीबाई को जिला अस्पताल सागर ले गये , सावित्रीबाई को सिर मे अधिक चोट लगने व बेहोष  होने के कारण जहाॅ डाॅक्टरों  ने उसे  भोपाल हमीदिया अस्पताल भेज दिया था । इलाज के दौरान दिनाॅक 11.02.2021 को  रात्रि करीब 2ः00 बजे सावित्रीबाई की मृत्यु भोपाल हमीदिया अस्पताल में ही हो गई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-मोतीनगर में धारा-294, 323, 506 भाग-2 एवं 302  भा.दं.सं. का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय मे ंपेष किया उक्त मामले की विवेचना थाना प्रभारी सतीष सिंह द्वारा की गई। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी के विरूद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहाॅ विचारण उपरांत न्यायालय अष्टम अपर-सत्र न्यायाधीश, जिला-सागर श्रीमान अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपी को आजीवन कठोर कारावास की सजा से दंडित किया है।



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Sagar:सरकारी,गेरसारकारी संस्थानों, बैंक ,शादीघरो और बड़े प्रतिष्ठानों पर लाखो बकाया▪️कचरा गाड़ी का शुल्क नही भर रहे संस्थान, सात दिन में बकाया जमा करे, होगी सख्ती

Sagar:सरकारी,गेरसारकारी संस्थानों, बैंक ,शादीघरो और बड़े प्रतिष्ठानों पर लाखो बकाया
▪️कचरा गाड़ी का शुल्क नही भर रहे संस्थान, सात दिन में बकाया जमा करे, होगी सख्ती

सागर। नगर निगम आयुक्त श्री चंद्रषेखर षुक्ला द्वारा आर्थिंक तंगी से निगम की वर्शो से बकाया वसूली को वसूलने हेतु लगातार प्रयास किये जा रहे है, क्योंकि इस बकाया राषि का प्रभाव सीधे निगम की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप विकास कार्य प्रभावित हो रहे है। आष्चर्य की बात है कि निगम के बकायादारों में बडे-बडे षासकीय एवं अर्द्वषासकीय संस्थायें, प्रतिश्ठान, शादी घर, ट्रस्ट, होटल, रेस्टोरेंट सहित बडे-बडे व्यवसायिक प्रतिश्ठान षामिल है ।जिनके द्वारा निगम बकाया करों को जमा नहीं करने से नगर निगम की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है ।उसका सीधा असर आम जनता को उपलब्ध करने वाली सुविधाओं पर पड़ रहा है।
लेकिन अब ऐसे संस्थानों पर भी ठोस अपषिश्ट प्रबध्ांन की शुल्क (कचरा गाडी) बकाया राशि जमा नहीं करने पर उनके खिलाफ भी निगम द्वारा सात दिवस के भीतर राषि जमा नहीं करने पर सख्त कार्यवाही की जायेगी, ऐसे बकायादारों की सूची में रेल्वे, मेडीकल कालेज, जिला चिकित्सालय, बैंक, व्यवसायिक संस्थान, प्रायवेट संस्थान आदि षामिल को सूचीबद्व किया जाकर कार्यवाही के निर्देश दिये गये है।
इस संबंध में निगमायुक्त श्री षुक्ला ने सहायक आयुक्त श्री राजेश सिंह राजपूत, सहायक आयुकत एवं बाजार प्रभारी श्री आनंद मंगल गुरू, सहायक यंत्री श्री संजय तिवारी, राजस्व अधिकारी श्री बृजेष तिवारी, एम.आई.एस.एक्सपर्ट श्री गौरवसिंह राजपूत की बैठक लेकर बकाया वसूली कार्य की समीक्षा की।

जिसके अंतर्गत बाजार प्रभारी श्री आनंद मंगल गुरू ने बताया कि बडे षासकीय और अर्धषासकीय प्रतिश्ठानों, व्यवसायिक प्रतिश्ठानों, बैकों, रेल्वे विभाग, षादी घर, ट्रस्ट आदि पर ठोस अपषिश्ट प्रबंधन (कार्य कचरा गाडी का) का लाखों रूपये की बकाया राषि लेना षेश है जो बार-बार सूचना के बाद भी जमा नहीं कर रहे है जबकि नगर निगम द्वारा जनहित को दृश्टिगत रखते हुये सेवायें जारी रखे है।
इस संबंध में निगमायुक्त ने निर्देश दिये कि अब जो भी संस्थान बकाया निगम की राषि 7 दिवस के भीतर राषि जमा नहीं करते है तो उनके विरूद्व म.प्र.नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 174 के तहत् सख्त कार्यवाही की जाये ताकि वर्षो से बकाया चली आ रही राशि को वसूल किया जाये।  इस कार्यवाही हेतु उन्होने सहायक आयुक्त श्री राजेषसिंह राजपूत को जिम्मेदारी देते हुये कहा है कि निर्धारित अवधि में राषि जमा नहीं करने वालों के विरूद्व कार्यवाही करें।
ये है लाखो के बकायादार
ऐसे बकायादारों में पष्चिम सेंट्रल रेल्वे रू. 15 लाख 40 हजार, जिला चिकित्सालय तिली अस्पताल रू. 2 लाख 31 हजार, बुन्देलखण्ड मेडीकल कालेज सागर के रू. 3 लाख 85 हजार, जिला कृशक सब्जी मंडी रू. 7 लाख 70 हजार, आईबीडीआई बैक परकोटा एवं वनवे रोड़ सेंट्रल बैंक आफ इंडिया नमकमंडी एवं चंदा काम्पलेक्स मोतीनगर वार्ड, बैंक आफ महाराश्ट्र, पंजाब नेषनल बैंक परकोटा एवं कटरा, स्टेट बैंक आफ इंडिया द्वारका बिहार कालोनी एवं चमैली चौक, गोपालगंज,नमकमंडी, मुयुट फायनेंस परकोटा, यूको बैंक कटरा, इलाहाबाद बैंक कटरा, आंध्रा बैंक गंगा काम्पलेक्स रामपुरा वार्ड, बैंक आफ बड़ोदरा सहित रू. 77 हजार से अधिक के 90 शासकीय एवं अर्द्व शासकीय प्रतिश्ठान है । जिसमें अधिकाषतः बैंक, मैरिज गार्डन, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, ट्रस्ट आदि शामिल है ।जबकि रू. 38 हजार से अधिक के 184 प्रतिश्ठान है जिनसे ठोस अपषिश्ट प्रबंधन षुल्क की राषि वसूल किया जाना है।
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पन्ना महाराज राघवेंद्र सिंह जू देव का राज परंपराओं के साथ हुआ अंतिम संस्कार▪️अंत्येष्टि में शामिल होने आ रहे परिवार का हुआ एक्सीडेंट▪️छत्रसाल द्वितीय बने राजा ,हुआ राजतिलक

पन्ना महाराज राघवेंद्र सिंह जू देव का राज परंपराओं के साथ हुआ अंतिम संस्कार
▪️अंत्येष्टि  में शामिल होने आ रहे परिवार का हुआ एक्सीडेंट
▪️छत्रसाल द्वितीय बने राजा ,हुआ राजतिलक

PANNA 31 जनवरी 2023 : पन्ना राजघराने के महाराज राघवेंद्र सिंह जूदेव का लंबे समय से बीमारी के चलते के रविवार को निधन हो गया था। उन्होंने नागपुर के एशियन हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर सुनते ही पन्ना में शोक लहर फैल गई ।पन्ना राजघराने की परंपराओं के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार हुआ। सेकडो लोगो  नम आंखों से विदाई दी। उधर  आज उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने आ रहे परिवार जन एक सड़क हादसे में घायल हो गए। 


उनकी बड़ी बेटी को जयपुर में अस्पता में भर्ती कराया गया। कुछ सदस्यो को मामूली चोटे आई है। पन्ना राजघराना समूचे देश में मशहूर था। महाराजा छत्रसाल के वंसज और पन्ना रियासत के महाराज राघवेंद्र सिंह जू देव वर्ष 2009 से महाराज के दायित्व का निर्वहन कर रहे थे। पन्ना राजघराना देश दुनिया में मशहूर रहा है।  इस घराने के अकूत धनसंपदा को लेकर विवाद भी सुर्खियों में रहे है। 

पन्ना महाराज का पार्थिव शरीर पहुंचा, जनता दर्शन के लिए रखा गया

पन्ना राजघराने के महाराज राघवेंद्र सिंह जूदेव का पार्थिव शरीर नागपुर से एंबुलेंस के जरिए पन्ना पहुंचा। महारानी ज्योति कुमारी महाराज के पार्थिव शरीर के साथ जैसे ही राजमहल पहुंची। वहां पर पहले से मौजूद लोगों ने नम आंखों से अगवानी करते हुए महाराज राघवेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर राज महल के दरबार हाल में जनता के दर्शन के लिए रखा। महाराजा राघवेंद्र सिंह जू देव काफी सहज और मृदुभाषी थे। 





छत्रसाल पार्क के पास हुआ अंतिम संस्कार

राजपरिवार का मुक्तिधाम छत्रसाल पार्क के पास स्थित है जहां पर महाराज राघवेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार किया गया।   प्रात: 10 महाराज की अंतिम यात्रा राजमहल से शुरू होकर मुक्तिधाम पहुंची। जहां पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में कई राजघराने के सदस्य , जनप्रतिनिधि गण और  नागरिक गण शामिल हुए। 


एंबुलेंस में बैठकर किए अंतिम दर्शन




  इस दौरान एक और मार्मिक तस्वीर सामने आई  जब बेटी को अपने पिता के अंतिम दर्शन एम्बुलैंस से करने पड़े । अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए राजस्थान  से घर लौट रहे  उनके पुत्र छत्रसाल द्वितीय एवं पुत्रियों,साले और उनके परिजन  एक्सीडेंट में घायल हो गए हैं । जिसमें उनकी बड़ी बेटी को गंभीर चोटें आई । इसके बाद उनको इलाज के लिए जयपुर रिफर किया गया। 

छत्रसाल द्वितीय का हुआ राजतिलक

महाराज राघवेंद्र सिंह के एक पुत्र व दो पुत्रियां हैं दोनों राजकुमारी से छोटे राजकुमार जिनका नाम छत्रसाल द्वितीय रखा गया था । उनका राजतिलक महाराज राघवेंद्र सिंह की अंतिम यात्रा होने से पूर्व परंपरा अनुसार किया गया।  वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच उनके पुत्र छत्रसाल द्वितीय का क्षत्रिय एवं राजशाही परंपरा के अनुसार राजतिलक किया गया । पहले मुख्य दरबार हाल में महाराज राघवेंद्र सिंह जूदेव के शव को रखा गया । इसके बाद सभी लोगों की मौजूदगी में पंडितों परिजनों और क्षत्रियों ने उनके पुत्र का राजतिलक कर राजा घोषित किया । यह एक राजशाही परंपरा है कि जब तक उत्तराधिकारी को राजा घोषित नहीं किया जाता तब तक अंतिम संस्कार नहीं होता।  इस कारण उस राजशाही परंपरा के अनुसार पूरी प्रक्रियाओं का पालन कऱ राजतिलक किया गया जिसमे छत्रसाल द्वितीय को राजा घोषित किया गया है।

अनेक राजघराने और जनप्रतिनिधि हुए शामिल




अंत्येष्टि में पन्ना राज परिवार के सभी सदस्य, मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह, खजुराहो विधायक एवं इनके रिश्ते की भाई विक्रम सिंह नातीराजा, आसपास की रियासतों के प्रतिनिधि, नगर के गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में पन्ना निवासी शामिल हुए और उन्होंने अपने महाराजा को श्रद्धांजलि दी ।



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MP: किसान का बेटा बना फ्लाइंग ऑफिसर ▪️पहले ही प्रयास में पास की एएफ कैट की परीक्षा▪️सेकंड हेड खरीदी साइकिल से गया चार साल कालेज ▪️जिस स्कूल ने निकाला उसने किया सम्मान

MP: किसान का बेटा बना फ्लाइंग ऑफिसर 
▪️पहले ही प्रयास में पास की एएफ कैट की परीक्षा
▪️सेकंड हेड खरीदी साइकिल से गया चार साल कालेज 
▪️जिस स्कूल ने निकाला उसने किया सम्मान


▪️ मयंक भार्गव, बैतूल
बैतूल, 31 जनवरी 2023.एयरफोर्स में कॉमन एडमिशन टेस्ट (एएफ-कैट) को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में माना जाता है लेकिन आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले के एक किसान के बेटे ने इस परीक्षा को पहले ही प्रयास में बिना कोचिंग के उत्तीर्ण कर लिया। आज किसान का बेटा फ्लाइंग आफिसर बन चुका है। उसकी इस उपलब्धि पर परिजनों सहित जिले को गर्व है। 
संघर्ष भरा रह है स्नेहल का सफर 
जिले के भरकावाड़ी निवासी स्नेहल वामनकर ने वर्ष 2020 में एएफ -कैट पास किया था। एयर फोर्स में फ्लाइंग आफिसर बनने का जुनून ऐसा था कि उसने कई नौकरियां छोड़ दी। दो साल की मेहनत के बाद 21 जनवरी 2023 को फ्लाइंग ऑफिसर की पासिंग आउट परेड के बाद वे ऑफिसर बन गए। उन्होंने बताया कि कक्षा 8 वीं और 9 और 10 वीं में वह स्वतंत्रता दिवस पर परेड में हिस्सा लेना चाहता था लेकिन हर बार उसे हाईट कम होने के कारण फेर कर दिया गया। वह बहुत रोया और अंतत: कालेज में आने के बाद एनसीसी में हिस्सा लिया। यहां पर जी तोड़ मेहनत कर स्टेट लेवल परेड में मेरा 3 बार सिलेक्शन हुआ। 

इसके अलावा मैंने कर्तव्य पथ (राजपथ) में भी प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए पार्टिसिपेट किया। कालेज जाने के लिए एक सेकेंड साइकिल खरीदकर चार साल तक पढ़ाई की क्योंकि बस में प्रतिदिन 30 से 40 रुपए लगते थे और मेरे पास रुपए नहीं होते थे। स्नेहल ने बताया कि उन्होंने भोपाल की आरजीपीवी यूनिवर्सिटी से स्नेहल ने कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया।

लक्ष्य पाने छोड़ दी नौकरी 
आरजीपीवी में कैंपस आए। पहला मौका उन्हें आईसीआईसीआई बैंक में मिला। ज्वाइनिंग लेटर भी मिला, लेकिन स्नेहल ने ज्वाइन नहीं किया। इसके बाद इंडिगो एयरलाइंस में एक्जीक्यूटिव के पद पर भोपाल एयरपोर्ट में जॉब मिली। उन्होंने गुडग़ांव में ट्रेनिंग ली, वापस भोपाल लौए, एक महीने जॉब की और फिर रिजाइन दे दिया। इसके बाद वेदांता से कॉल लेटर आ गया। ट्रेनिंग के लिए स्नेहल चंडीगढ़ चला गया, पोस्टिंग ओडिशा में हुई। वहां भी 20 दिन ही काम करके रिजाइन दे दिया। जुलाई 2020 में एफ-कैट की तैयारी शुरू की। परीक्षा से 22 दिन पहले ओडिशा वाली जॉब छोड़ी। स्नेहल ने बताया कि गाड़ी, बंगला, अच्छी सैलरी को छोडऩे आसान नहीं था। लेकिन आर्मी के जुनून के कारण फैसला लेना आसान हो गया।


युवाओं को दिया संदेश ले रिस्क 
एफ-कैट की इस परीक्षा में देश भर के 204 प्रतिभागी पास हुए थे। इसमें स्नेहल भी शामिल थे। सिलेक्शन के बाद हैदरबाद एयरफोर्स एकेडमी में एक साल की ट्रेनिंग हुई और फिर 1 साल तकनीक कॉलेज बेंगलुरु में ट्रेनिंग चली। 2 साल की मेहनत के बाद 21 जनवरी को स्नेहल पास आउट हो गया। 

स्नेहल का कहना है की युवा अपना एक लक्ष्य रखे। अपने गोल को अचीव करने के बीच में परेशान न हो। कभी-कभी असफलताएं आती हैं, लेकिन इसका मुकाबला करें। कभी यह न सोचे की मेरा सिलेक्शन नहीं होगा रिस्क लें।


गर्व से चौड़ा किया पिता का सीना

स्नेहल के पिता घनश्याम वामनकर के पास 12 एकड़ खेत हैं। घनश्याम ने बताया कि मैं ज्यादा पढ़ नहीं सका। बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले यह सोचता था। इसके लिए भरकावाड़ी से रोज बच्चों को बैतूल ले जाता था। इस वजह से खेती पर ध्यान नहीं दे पाता था। खेती बस गुजर बसर के लिए ही हो पाती थी। कई मौके ऐसे आए कि बच्चों की फीस के लिए रुपए नहीं होते थे। अपने खर्च कम किए अभाव में समय काटा। बच्चों ने इस संघर्ष को देखा तो उन्होंने कभी कुछ मांगा नहीं। आज एक बेटा फ्लाइंग आफिसर बन गया तो दूसरा तपत्युस एग्रीकल्चर फील्ड ऑफिसर का मेंस एग्जाम दे रहा है। हमारी मेहनत आज सफल हो गई।


जिस स्कूल ने निकाला उसने किया सम्मान

स्नेहल के लिए यह गौरव का विषय था कि उन्हें 26 जनवरी को जिस स्कूल ने चीफ गेस्ट बनाकर बुलाया था, वह वही स्कूल था, जिसने कभी 11 वीं क्लास में कम नंबर के कारण एडमिशन नहीं दिया था। ये वही स्कूल था, जिसने कम हाइट के कारण स्नेहल को परेड में शामिल नहीं होने दिया था। हालांकि, अब स्कूल प्रशासन का कहना है कि अब वे कभी भी किसी को कम हाइट के कारण परेड में शामिल होने से नहीं रोकेंगे और न ही किसी को कम नंबर होने के कारण एडमिशन देने से रोकेंगे।



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श्री हनुमान चालीसा के दोहे में छिपा है जीवन रहस्य▪️पंडित अनिल पाण्डेय

श्री हनुमान चालीसा के दोहे में छिपा है जीवन रहस्य
▪️पंडित अनिल पाण्डेय


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हरेक मंगलवार को पढ़ेंगे श्री हनुमान चालीसा के दोहों का भावार्थ
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गुरु चरणश्री सरोज रज निज मन मुकुर सुधार । 
वरनउ रघुबर बिमल यश जो दायक फल चार ।।

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरो पवन कुमार ।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार।।

 अर्थ :- श्री गुरु के चरण कमल की पराग रूपी धूल से अपने मन रूपी दर्पण को निर्मल करके रघुवर की विमल यश गाथा का वृतांत कह रहा हूं जो चारों प्रकार के फल देने वाला है।
मैं  बुद्धिहीन  हनुमान जी का सुमिरन कर रहा हूं । हनुमान जी से प्रार्थना कि वे मुझे बल बुद्धि एवं विद्या प्रदान कर मेरे सारे क्लेश एवं विकारों का हरण कर लें।

भावार्थ :- मेरा मन एक गंदे दर्पण की तरह है ।इसके ऊपर माया मोह  , मत्सर, लोभ   विषय वासना   आदि की मैल  लगी हुई है । यह साधारण साबुन और पानी से साफ होने वाली नहीं है । इसको साफ करने के लिए मैंने अपने गुरुदेव के चरण कमलों के पराग रूपी धूल को लिया है और उससे मैंने अब  अपने मन को साफ कर लिया है । 
अपने मन को साफ करने के उपरांत अब मैं भगवान शंकर और गुरुदेव की कृपा से रघुवर के सुयश का वर्णन करूंगा जो चारों प्रकार के फल अर्थ धर्म काम मोक्ष को देने वाली है ।

संदेश- यह दोहा यही संदेश देता है कि जब आप हनुमान चालीसा का पाठ करने बैठें तो पहले अपने  गुरुदेव को स्मरण कर मन को पूरी तरह से पवित्र कर लें। अपने ईश्वर को याद करें और मन को साफ रखें। भगवान श्री राम की महिमा का वर्णन करने पर आपको शुभ फल प्राप्त होगा, इसलिए खुद को राम भक्त हनुमान जी को समर्पित करते हुए उनकी कृपा से बल, बुद्धि और विद्या पाएं और अपने जीवन के हर कष्ट से मुक्ति पा लें।


 दोहे को बार-बार पढ़ने से होने वाला लाभ:-
दोहा क्र.-1    गुरु चरणश्री सरोज रज निज......…  हनुमान चालीसा के इस दोहे के पाठ से गुरुकृपा प्राप्त होती है ।
दोहा क्र.- 2    बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरो.......
हनुमान चालीसा के इस दोहे के बार-बार पाठ से बुद्धि और विद्या प्राप्त होती है ।

भावार्थ:-
इस दोहे की सबसे पहली पंक्ति में महाकवि तुलसीदास जी ने सबसे पहले अपने गुरुवर की वंदना की है । तुलसीदास जी की इस कृति के अतिरिक्त उनकी किसी भी अन्य कृति के आरंभ में गुरु वंदना का उल्लेख नहीं मिलता है। उदाहरण स्वरूप रामचरितमानस के प्रारंभ में कवि ने सबसे पहले वाणी की देवी सरस्वती और गणेश जी की वंदना की है। उसके उपरांत शिव और पार्वती की वंदना की है । कवितावली दोहावली आदि अन्य ग्रंथों में भी सबसे पहले गुरु की वंदना नहीं है । प्रायः अन्य कवियों ने भी अपने ग्रंथों में सर्वप्रथम गणेश जी की वंदना की है । गुरु की सबसे पहले वंदना यह भी दर्शाती है कि हनुमान चालीसा लिखते समय तुलसीदास जी पर सबसे ज्यादा प्रभाव उनके गुरु का था ।  यह छात्र जीवन में ही  संभव है। प्रथम पंक्ति से ही हम हनुमान चालीसा लिखने के समय के बारे में अनुमान लगा सकते हैं।  इस पंक्ति से यह स्पष्ट है कि गोस्वामी जी ने यह रचना अपने छात्र जीवन अर्थात किशोरावस्था में की थी।
तुलसीदास जी लिखते हैं रघुवर के विमल यश के गायन से हमें चार फलों की प्राप्ति होगी।  यह चार फल कौन से हैं उन्होंने यह नहीं बताया है । ऐसा मानना है कि सृष्टि के निर्माण में संख्या चार का बहुत योगदान है । 


आप ध्यान दें भगवान विष्णु की चार भुजाएं हैं, ब्रह्मा जी भी चतुर्भुज है ।  उनके चार मुख हैं जिससे चार वेदों की उत्पत्ति हुई है । विश्व के सभी प्राणियों को 4 वर्ग अंडज, जरायुज, स्वेदज एवं उद्भिज्ज में बांटा गया है । प्राणियों की जीवन की चार अवस्थाएं हैं जिन्हें जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति एवं तुरीय कहा जाता है। काल अर्थात समय को भी चार भागों में बांटा गया है, सतयुग, त्रेता, युग द्वापर युग और कलियुग ।  हमारे चार धाम है बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारका धाम और जगन्नाथ । उत्तराखंड में भी चार ही धाम कहे जाते हैं यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ । कहां जाता है कि भगवान विष्णु ने चतुर्भुज रूप धारण कर भक्तों को चार तत्व धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान किया ।  इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारे सनातन धर्म में चार  का बड़ा महत्व है।

गुरुवाणी में भी इसी प्रकार का कुछ लिखा हुआ है।
चारि पदारथ लै जगि जनमिया सिव सकती घरि वासु धरे। (गुरूवाणी-1/1013) 
जिस समय एक बच्चा माता के उदर में आता है तो उसे चार पदार्थों का ज्ञान होता है किन्तु जन्म के पश्चात् वह ज्ञान भूल जाता है। पूर्ण सद्गुरु की कृपा से उसे पुनः ज्ञान की प्राप्ति होती है।
चार पदार्थों का वर्णन हमें कई स्थानों पर मिलता है परंतु वे चार पदार्थ कौन-से हैं इससे हम अनभिज्ञ हैं। चार पदार्थों के बारे में कहा है-


संसार में जब जन्म लिया तो चारों पदार्थों को साथ लेकर आए तो विचार करना है कि क्या धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को साथ लाए हैं? वे कौन से चार पदार्थ हैं जिन्हें लेकर संसार में जन्म लिया है। और यदि धर्म, अर्थ, काम या मोक्ष को ही हम चार पदार्थ मान लें तो इसका भाव है कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हमारे साथ ही आए हैं। लेकिन फिर इनकी प्राप्ति के लिए क्यों कहा है कि-
सतिगुरु कै वसि चारि पदारथ। तीनि समाए एक क्रितारथ। (गुरूवाणी-1/1345).
चारों पदार्थ सतगुरु के वश में हैं। जब यदि हम चारों पदार्थ साथ लेकर आए हैं तो वे सतगुरु के पास कैसे हैं? यही जानना है कि वे चारों पदार्थ वास्तव में कौन से हैं जिन्हें मीरा ने कहा-
गली तो चारों बंद हुई, मैं हरि से मिलु कैसे जाय।
गलियाँ तो चारों ही बंद पड़ी हैं, मैं प्रभु से कैसे मिलूँ?
वास्तव में, ये तो- अभिव्यक्तिकराणि योगे - पूर्ण योग (ब्रह्मज्ञान) के सूचक और लक्षण हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि वहाँ प्रभु प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्मा जी को 'चतुष्पदी भागवत' का ज्ञान प्रदान किया। 

बौद्ध धर्म में महात्मा गौतम बुद्ध ने जिन्हें 'चार आर्य सत्य' कहा है एवं महावीर ने जिन्हें 'चार घाट' कहा है, इस प्रकार ये कौन-सी चार उपलब्धियाँ हैं जिनकी चर्चा संत, महापुरुषों, ऋषि, गुरु, अवतारों ने अपनी वाणी में की है।  
सभी धार्मिक ग्रंथ भी चार पदार्थों की महिमा गाते है। इन मुक्ति प्रदान करने वाले चारों पदार्थों को भक्त गुरु कृपा से ही प्राप्त कर पाते हैं, इसलिए हमें ज़रूरत है ऐसे सतगुरु की जो हमें ब्रह्मज्ञान प्रदान कर चार पदार्थों का बोध करवा दें।
एक :-
क्या पहला पदार्थ ब्रह्म ज्ञान का प्रकाश है, दूसरा अनहद नाद है, तीसरा ईश्वर का नाम और और चौथा ब्रह्म ज्ञान का अमृत है । आइए इस पर भी विचार कर लेते हैं।
हम जो दीपक मंदिरों में प्रज्वलित करते है, वह इसी अर्थात ब्रह्म ज्ञान के प्रकाश की अभिव्यक्ति है। जिसे कोई बिना आँख वाला व्यक्ति भी देख सकता है।
 गुरु वाणी में कहा गया है :-
कासट महि जिउ है बैसंतरु मथि संजमि काढि कढीजै।
राम नामु है जोति सबाई ततु गुरमति काढि लईजै।।  (गुरवाणी-1/1323)
जिस प्रकार लकड़ी में आग छिपी हुई है जो युक्ति के द्वारा प्रकट होती है। ठीक उसी प्रकार सभी जीवों में प्रभु के नाम की ज्योति समाई हुई है। जरूरत है गुरु के द्वारा उस युक्ति को जानने की, जिसके हम परम् ज्योति (Divine Light) का दर्शन कर सकें। 
गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते है-
ज्योतिषामपि तज्ज्योतिस्मतस: परमुच्यते।
ज्ञानं ज्ञेयं ज्ञानगम्यं हृदि सर्वस्य विष्ठितम् ।।
अर्थात् परमात्मा जो कि ज्योतियों की भी परम् ज्योति है जिसे अंधकार से परे कहा जाता है। वह परमात्मा ज्ञान (Divine Knowledge) के द्वारा ही जानने योग्य है।  यह ज्ञान केवल गुरु ही प्रदान कर सकता है।


दो :-
क्या दूसरा फल या पदार्थ अनहद नाद है ।  हम मंदिरों में घंटियाँ बजाते है, वह इसी अनहद नाद की अभिव्यक्ति है। जिसे कोई बहरा व्यक्ति भी सुन सकता है। जब अनहद नाद सुषुम्ना में प्रवेश कर ऊपर की ओर उठता है, तो इस प्रक्रिया में अनहद नाद का प्रकटीकरण होता है। इससे पहले साधक इस नाद को सुन या प्राप्त नहीं कर सकता। जिसे बजाया नहीं जाता, जो स्वतः अपने आप ही बजता है। लेकिन उस संगीत की प्राप्ति गुरु के द्वारा ही सम्भव है। उसके लिए गुरूवाणी में कहा गया है-
निरभउ कै घरि बजावहि तुर। अनहद बजहि सदा भरपूर। (गुरूवाणी-971)
उस प्रभु के घर में अर्थात् इस मानव शरीर में वह संगीत बज रहा है जो अनहद है। जिसकी कोई सीमा नहीं है, वही अनहद है।
ऋग्वेद में इस आवाज के बारे में कहा है कि-
ऋतस्य श्लोको बधिराततर्द कर्णा बुधानः शुचमान आयोः।। (ऋ.-4/23/8)
सत्य को जगाने वाली देदीप्यमान आवाज़ बहरे मनुष्य को भी सुनाई देती है। इसी प्रकार जैसे हम शिव के हाथों में डमरू देखते हैं, बिष्णु के हाथ में शंख और सरस्वती के हाथ में वीणा है। यह सब कुछ अनहद नाद के लिए ही है।
तीन:-
तीसरा पदार्थ है ईश्वर का नाम और उसका जाप करना । शास्त्रों में कहा गया है- जब एक शिशु माँ के गर्भ में होता है तो वह ईश्वर नाम  का जाप करता है। फिर क्या है नाम-सुमिरन? जिससे मन वश में आए। संतों की वाणी है-
सुमिरन सूरत लगाई कै, मुखते कछु न बोल।
बाहर के पट बंद कर, भीतर के पट खोल।।
तेरे बाहर के पट बंद हो जाए, तू सुमिरन ऐसा कर।
कबीर दास जी कहते है-
सतगुरु ऐसा कीजिए पड़े निशाने चोट।
सुमिरन ऐसा कीजिए जीभ हिले न होठ।।
सुमिरन वही करना है जिसे करने के लिए न जुबान हिलानी पड़े न ही होंठ।
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं-
चहुँ जुग तीनि काल तिहुँ लोका।
भए नाम जपि जीव बिसोका।
 (रा.च.मा.-1/27/1)
चारों युगों में, तीनों लोकों में और तीनों कालों में केवल नाम का सुमिरन करने से ही जीव शोक से रहित हो गए।
जब पूर्ण सतगुरु मिलते हैं तो उस अव्यक्त अक्षर को बता देते हैं जो मनुष्य के ह्रदय में पहले से ही रमा हुआ है। 
चार:-
क्या चौथा पदार्थ या फल अमृत है। सभी शास्त्रों में अमृत की चर्चा की गई है। यह अमृत कहां है । क्या यह चरणामृत में है । परंतु चरणामृत को हम अमृत कैसे कह सकते हैं । चरणामृत तो हमारे अधरों पर लगने के उपरांत अपवित्र हो जाता है ।अमृत को तो सदैव पवित्र रहना चाहिए।  शिवलिंग पर कलश से बूँद-बूँद जल निरंतर बरसता रहता है। यह एक गूढ़ आध्यात्मिक मर्म को समेटे हुए है। हमारे सूक्ष्म जगत में सिर के ऊपरी भाग याने शिरोभाग में एक स्थल है, जिसे सहस्त्रार चक्र, ब्रह्मरंध्र या सहस्त्रदल कमल कहते हैं।

गगन मंडल अमृत का कुआ तहाँ ब्रह्मा का वासा।
सगुरा होवे भर भर पीवे निगुरा मरत प्यासा।।

गगन में उल्टा कुँआ है, जहाँ वह परमात्मा स्वयं विराजमान है। अब यदि हम आकाश में खोजने लग जाएँ तो सारी जिंदगी यह कुआं नहीं मिलेगा । क्योंकि यहाँ सांसारिक कुएँ की नहीं बल्कि उस 'कुएँ' की बात की गई है जो शरीर के अंदर ही है ।
उपनिषद् में इस स्थल की स्पष्ट व्याख्या की गई है-
अब्जपत्रमधः पुष्पमुर्ध्वनालमधोमुखम्।
अर्थात् ऊपर की ओर नाल वाला तथा अधोभाग (नीचे) की ओर मुख किए पुष्पित एक कमल ब्रह्मरंध्र में स्थित है।
एक अन्य सरस वाणी में संत दरिया ने गाया- 'बुन्द अखंडा सो ब्रह्मंडा' - हमारे सिर में व्याप्त अन्तर्गगन या ब्रह्माण्ड से निरंतर, अखण्ड रूप में अमृत की बूँदे टपकती रहती हैं।


पर इस अमृत की अनुभूति केवल ब्रह्मज्ञान की दीक्षा और उसकी साधना के द्वारा ही की जा सकती है। अमृत का यह रसमय पान ही जीवात्मा की जन्म-जन्मांतर की प्यास बुझाता है। 
इस प्रकार इन चार फल का अर्थ  अत्यंत गूढ़ है जो कि बगैर गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान के प्राप्त नहीं हो सकता है।
अंत में यह कहना उचित होगा कि आपको सबसे पहले गुरु का महत्व समझना है फिर गुरुवर की ही आज्ञा से उनके ही आशीर्वाद से आपको आगे बढ़ना है फिर अपने बुद्धि को आप निर्मल करें अगर आपके बुद्धि में कोई दूसरी चीजें हैं तो वह आपकी बुद्धि को बिगाड़ लेंगे अतः सबसे पहले ईश्वर की आराधना करने से पहले आप अपने बुद्धि को बिल्कुल ही निर्मल कर ले उसके अंदर किसी भी तरह की कोई दूसरी चीज ना अर्थात ना तो बुद्धि में आपके प्रकाश आपकी बुद्धि में हो और ना ही आपकी बुद्धि में अंधकार हो आपकी बुद्धि तरह से पूरी तरह से तब आपको अगर आप हनुमान जी को याद करोगे कहोगे आपको बल बुद्धि विद्या आपको प्रदान करेंगे और आपके सभी कष्टों को दूर करेंगे।

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यादव समाज ने जिंप सदस्य शारदा खटीक का जलाया पुतला▪️जग्गू यादव हत्या कांड के आरोपियों का साथ देने पर जताया विरोध

यादव समाज ने जिंप सदस्य शारदा खटीक का जलाया पुतला
▪️जग्गू यादव हत्या कांड के आरोपियों का साथ देने पर जताया विरोध


सागर ।  यादव समाज ने जिला पंचायत सदस्य शारदा खटीक का स्थानीय कबूला पुल पर पुतला जलाते हुए तीखा विरोध किया है। यादव महासभा के तत्वाधान में पुतला जलाते हुए शारदा खटीक को कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से निष्कासित करने की मांग करते हुए यादव समाज ने कहा कि जिला पंचायत सदस्य शारदा खटीक मकरोनिया कोरेगांव निवासी स्वर्गीय जग्गू उर्फ जगदीश यादव हत्याकांड के आरोपियों का साथ दे रही है जिसका स्पष्ट प्रमाण है कि कल दिनांक 28 जनवरी 2023 को शारदा खटीक ने जिला योजना समिति की बैठक में स्वर्गीय जग्गू उर्फ जगदीश यादव हत्याकांड के मामले में हत्यारे गुप्ता परिवार की होटल तोड़ने की कार्यवाही पर सवाल उठाये हैं। जो यादव समाज का अपमान है और हत्यारे गुप्ता परिवार और शारदा खटीक की मिलीभगत होने का प्रमाण है। 


स्वर्गीय जग्गू यादव हत्याकांड को लेकर यादव समाज और अन्य समाजों के लोगों ने एक साथ होकर हत्यारों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की है किंतु बड़े दुख की बात है कि शारदा खटीक फरार अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग उठाने के बजाए हत्यारों के पक्ष में बात कर मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। जिसकी कड़े शब्दों में निंदा की जाती है और शारदा खटीक जैसे नेताओं को मुंहतोड़ जवाब देने के लिये शारदा खटीक जिला पंचायत सदस्य का कड़ा विरोध कर स्वर्गीय जग्गू उर्फ जगदीश यादव हत्याकांड के आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग कर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की बात कही गई हैं। 

पुतला दहन कर विरोध दर्ज कराने वालों में मुख्य रूप से प्रमोद यादव पथरिया, सरपंच शिव शंकर गुड्डू यादव, मुकुल यादव, रोशन यादव, संजय यादव, कौशल यादव, सोनू यादव कोरेगांव, शंकर यादव सदर, चंद्रशेखर यादव,विजय यादव, पवन यादव, संदीप यादव,अनुज यादव,राजेश यादव,दीपक यादव,आकाश यादव, कैलाश यादव,राहुल यादव, परसोत्तम यादव,लक्ष्मण यादव, आफिसर यादव, विमल यादव, सोनू यादव, मनीष यादव, पुष्पेंद्र यादव,गुलशन यादव सहित अनेकों यादव समाज के लोग मौजूद थे।

जिला पंचायत सदस्य शारदा खटीक ने कहा अर्थ गलत निकाला जा रहा है

इस मामले में जिला पंचायत सदस्य शारदा खटीक का कहना है कि जिला योजना समिति की बैठक में मैंने सभी तरह के अपराधियों के परिप्रेक्ष्य में यह बात कही थी कि जो भी अपराधी हो उन पर कार्रवाई होना चाहिए। अपराधी की बिल्डिंग, होटल/ लॉज भी गिराई जाना चाहिए। मेरे कहने का अर्थ गलत निकाला जा रहा है। मैंने आरोपी गुप्ता परिवार और होटल जयराम के संबंध में यह बात नहीं कही थी। मैं होटल गिराने की कार्रवाई का समर्थन करती हूं। यदि मेरे किसी वक्तव्य से यादव समाज और पीड़ित परिवार की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं। मैं मृतक परिवार और यादव समाज के साथ हूं।


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