स्त्री विमर्श और स्त्री यात्रा सदैव लेखन का विषय रहा है : मुकेश शुक्ला ,कमिश्नर
▪️सुजाता मिश्र की किताब "हिंदी सिनेमा की स्त्री यात्रा" पर चर्चा
सागर,22 जनवरी 2023. नगर के साहित्यिक इतिहास में पहली बार सिनेमा और फिल्मों की समीक्षा पर केंद्रित कार्यक्रम करने का यह पहला मौका था जब रविवार को सिविल लाइंस स्थित वरदान सभागार में श्यामलम् और अ.भा. महिला काव्य मंच के सह आयोजन में पुस्तक चर्चा के अंतर्गत युवा समीक्षक, डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में अतिथि विद्वान डॉ.सुजाता मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक "हिंदी सिनेमा की स्त्री यात्रा" पर गहन और सारगर्भित चर्चा की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सागर संभाग के कमिश्नर मुकेश शुक्ला ने कहा कि
स्त्री विमर्श और स्त्री यात्रा सदैव लेखन का विषय रहा है। हिंदी सिनेमा ही नहीं विश्व सिनेमा या इतिहास पर नजर डाले तो हम देखते हैं कि स्त्रियों का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है।इस पुस्तक की विशेषता यह है कि लेखिका ने इन फिल्मों पर अपने समीक्षकीय विचार रखते हुए फिल्मकार के उस मूल विचार को पकड़ा है जो वह अपनी फिल्म के माध्यम से रखना चाहता था। अमूमन आम दर्शक फिल्म को देखता तो है पर मूल विचार तक या फिल्म के संदेश तक नहीं पहुंच पाता। बॉबी फिल्म के प्रसिद्ध डायलॉग "मेरे पिता को बात करनी नहीं आती पर तुम्हारे पिता समझ तो जायेंगे न" का उल्लेख करते हुए फिल्मों में संवादों के माध्यम से यथार्थ जीवन की संवेदनशीलता पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि "हिन्दी सिनेमा की स्त्री यात्रा " फिल्मों में स्त्री जीवन - यात्रा का सुंदर कोलाज है। लेखिका डॉ.सुजाता मिश्र ने पुरुष सत्तात्मक समाज में एक सशक्त हस्तक्षेप किया है। उन्होंने कहा कि नि:संदेह यह पुस्तक सिनेमा के बहाने समाज में स्त्री के संघर्ष और व्यक्तित्व विकास, उसकी बदलती सोच में एक सशक्त दस्तक है।
वरिष्ठ लेखिका तथा स्त्रीविमर्शकार डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डाॅ. सुजाता मिश्र की यह पुस्तक वैचारिक आंदोलन का आग्रह करती और स्त्रीविमर्श का नया प्रतिमान गढ़ती है। डॉ सुजाता के पास अपनी एक मौलिक दृष्टि है। यह मात्र एक पुस्तक नहीं बल्कि विचारों के बंद दरवाजे पर एक ज़ोरदार दस्तक है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान अध्यक्ष प्रो. चंदा बेन ने कहा कि यह पुस्तक सिनेमा के इतिहास पर एक जोरदार दस्तक है जो हिंदी सिनेमा की स्त्री यात्रा पर बात करती है, जिसमें सिर्फ सिनेमाई यात्रा नहीं बल्कि स्त्री की सामाजिक यात्रा,आर्थिक यात्रा और राजनीतिक यात्रा भी शामिल है।
लेखकीय वक्तव्य देते हुए डॉक्टर सुजाता मिश्र ने कार्यक्रम की आयोजक संस्थाद्वय एवं कार्यक्रम में शामिल सागर के प्रबुद्ध जनों का आभार व्यक्त करते हुए सागर कोअपना घर बताया।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और कु.दीपाली गुरु द्वारा की गई मधुर सरस्वती वंदना से हुई। मंचासीन अतिथियों का पुष्पहार से स्वागत उमा कान्त मिश्र, डॉ.चंचला दवे, श्रीमती सुनीला सराफ व सुजाता मिश्र ने किया। महिला काव्य मंच की अध्यक्ष डॉ अंजना तिवारी ने स्वागत भाषण दिया साथ ही कार्यक्रम का सुचारू और सराहनीय संचालन किया। इस अवसर पर नगर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा लेखिका का शॉल,श्रीफल, पुष्प गुच्छ व अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया गया। श्रीमती पटैरिया ने लेखिका के जीवन परिचय और सुश्री सुमन झुड़ेले ने सम्मान पत्र का वाचन किया। श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया ने आभार व्यक्त किया।
ये रहे मोजूद
इस अवसर पर डॉ श्याम मनोहर सिरोठिया, डॉ राजेश दुबे, मनीष झा, मुन्ना शुक्ला, डॉ. राकेश शर्मा, हरि सिंह ठाकुर, आर के तिवारी, डॉ सरोज गुप्ता, डॉ वंदना गुप्ता, दामोदर अग्निहोत्री, डॉ.गजाधर सागर डॉ अशोक कुमार तिवारी, टीकाराम त्रिपाठी, संध्या सरवटे, डॉ अनिल जैन, निरंजना जैन, डॉ राजेंद्र यादव, डॉ.आशुतोष मिश्र,डॉ. पंकज तिवारी, डॉ शशि कुमार सिंह,अनुराग पटेरिया, माधव चंद्रा, ज्योति झुड़ेले, ममता भूरिया, डॉ. जी एल दुबे, उदय खेर,पूरन सिंह राजपूत,अभिषेक ऋषि, रमेश दुबे, डॉ.सिद्धार्थ शुक्ला,डॉ. अलका शुक्ला,डॉ. आशुतोष गोस्वामी,मुकेश तिवारी, डॉ. विनोद तिवारी, पीआर मलैया, वीरेंद्र प्रधान, सी एल कंवल, कपिल चौबे, कुंदन पाराशर, हरी शुक्ला, संतोष पाठक, पुष्पेंद्र दुबे, अयाज सागरी, अबरार अहमद, एम शरीफ, एम नासिर, साहिबा नासिर, डॉ अतुल श्रीवास्तव,ज. ल.राठौर, सोमेंद्र शुक्ला,दीपा भट्ट,के एल तिवारी, अखिलेश शर्मा सहित बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।