भगवान कभी किसी का कर्ज नही रखते -पं. राजेंद्र मिश्र
▪️संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह का दूसरा दिन
सागर। ज्योति नगर कृश्णा नगर मकरोनिया में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दूसरे दिन कथा व्यास पंडित राजेंद्र मिश्रा ने भगवान द्वारा अपने भक्तों पर कृपा करने एवं उनका कर्ज उतारने के वारे में चर्चा करते हुए बताया कि एक बार भगवान श्री कृश्ण ने बिना कोई वजह से सुर्दशन चक्र छोड दिया और जब वापस सुदर्षन चक्र आया तो उनकी सुदर्षन चक्र से उंगली कट गई और खून बहने लगा इस पर दूर से देख रही द्रोपदी ने अपनी साड़ी की पल्लू को फाड़ कर तत्काल श्री कृश्ण की उंगली पर लपेट दी जिस पर श्री कृश्ण ने कहा कि इससे तुम्हारी साडी की षोभा बिगड़ गई है तब द्रौपदी ने कहा कि मैंने खुद कुछ नहीं किया श्रीकृश्ण ने कहा मैं इस दिन को कभी नहीं भूलूंगा और जब भी तुम्हारे ऊपर कोई संकट आएगा तो तुम मुझे पुकार ना मैं तुरंत तुम्हारे संकट को दूर कर दूंगा कुछ समय पष्चात जब पांडव और कौरवों के बीच ध्रुत कीड़ा हुआ और पांडव अपनी सारी संपत्ति और यहां तक कि अपनी पत्नी द्रौपदी को भी उसमें हार गए तब दुर्योधन नें दुषासन को आदेष दिया कि वह तत्काल जाकर द्रोपति को बाल पकड़कर घसीटता हुआ यहां लाए और उसका चीर हरण कर मेरी जांघ पर बैठा दे जब दुषासन ने द्रौपदी को सभा में लाकर उसका चीर हरण कर रहे थे तब द्रौपदी ने सभी की ओर देखकर सहायता की पुकार कर रही थी लेकिन तमाम महान बुजुर्ग संबंधियों ने उसकी कोई मदद नहीं की तो द्रोपदी ने भगवान श्रीकृश्ण पुकारते हुए कहा कि हे द्वारिकाधीष अब आप ही मेरी मदद कर सकते हैं श्रीकृश्ण ने द्रोपति की मदद की और दुषासन थक कर चूर हो गया लेकिन साड़ी का कोई और छोर नहीं मिल रहा था उसने थक हार कर एक ओर बैठ गया । दूसरी ओर द्रोपदी ने जब श्री कृश्ण से पूछा कि आपने तो कहा था कि मैं जब भी आपको मदद के लिए बुलाऊंगी तो आप तुरंत आ जाएंगे पर आपने इतनी देर कैसे कर दी तब श्री कृश्ण ने कहा कि तुमने अगर अपने भाई को बुलाया होता तो मैं तत्काल आ जाता लेकिन तुमने तो कहा कि द्वारिकाधीष जल्दी आओ इसलिए मुझे पहले द्वारिका जाना पड़ा फिर वहां से यहां तक आया इस कारण मुझे देरी हुई है अगर तुम मुझे भाई समझ कर बुलाती तो मेें ततकाल आ जाता इस प्रकार श्री कृश्ण ने द्रोपदी का चीर हरण होने से बचा लिया । इस प्रकार श्री कृष्ण ने द्रोपति से लिया गया कर्ज क्षण मात्र में ही चुका दिया। कथा व्यास पंडित राजेंद्र मिश्रा ने बताया कि धर्म से जोड़ने से ही मनुश्य महान बनता है और षिषु जब मां की गर्भावस्था में होता है उस समय यदि मां को भगवत ज्ञान अर्थात भागवत गीता का कीर्तन सुनाया जाए तो जीव की नीव मजबूत होगी और वह संसार में भगवान के भजन और भक्ति का प्रचार करेगा कथा व्यास पंडिते राजेंद्र मिश्रा ने अमरनाथ कथा का प्रसंग सुनाते हुए शुकदेव के जन्म का विस्तृत वर्णन किया साथ ही राजा परीक्षित की कथा भी सुनाईं कथा के प्रारंभ में मुख्य यजमान पं. सिद्धगोपाल सुन्दरलाल तिवारी ( स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार व दैनिक सागर सरोज परिवार ) द्वारा सपरिवार आरती की गई।