कांग्रेस को एकऔर झटका, पूर्व विधायक बृज बिहारी पटेरिया बीजेपी में शामिल

कांग्रेस को एकऔर झटका, पूर्व विधायक बृज बिहारी पटेरिया बीजेपी में शामिल



भोपाल। मध्यप्रदेश में  कांग्रेस   को एक और झटका लगा है। सागर जिले की देवरी विधानसभा से  कांग्रेस के विधायक रह चुके बृज बिहारी पटेरिया। ( गुड्डा ) ने कांग्रेस छोड दी है। पटेरिया शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए। सीएम शिवराज सिंह के समक्ष ब्रज बिहारी पटेरिया को मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बीजेपी की सदस्यता दिलाई। बुंदेलखंड अंचल  से एक और कांग्रेस नेता के टूटकर भाजपा में शामिल होने की घटना को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कुछ महीने पहले सागर जिले के ही खुरई के पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे ने भी कांग्रेस छोड़ दी है।   मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान, भूपेंद्र सिंह और वीडी शर्मा समेत अन्य भाजपा नेताओं ने पटेरिया को बधाई दी है।

ब्रज बिहारी पटेरिया ने शनिवार को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। वे कुछ दिनों से कांग्रेस पार्टी से नाराज चल रहे थे। ब्रज बिहारी पटेरिया 1998 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहे बृज बिहारी पटेरिया को 2013 में  कद्दावर मंत्री गोपाल भार्गव ने सागर जिले की रहली सीट से 52 हजार  वोटों से हराया था। पूर्व विधायक बृज बिहारी के भतीजे और बीजेपी नेता विनीत पटेरिया की पत्नी देवरी जनपद की अध्यक्ष है। 

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बृज बिहारी पटेरिया के भाजपा में शामिल होने पर ट्वीट पर बधाई दी है। भूपेंद्र सिंह ने लिखा है कि सागर जिले की देवरी विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक ब्रज बिहारी पटेरिया जी आज भाजपा परिवार में शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व व नीतियों से प्रेरित होकर पटेरिया ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है।


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Sagar: बिना लाइसेंस के बिक रही चाय पत्ती ,मामला दर्ज

Sagar: बिना लाइसेंस के बिक रही चाय पत्ती ,मामला दर्ज


सागर 23 दिसंबर 2022।
मिलावट से मुक्ति अभियान के अंतर्गत कलेक्टर दीपक आर्य के निर्देशानुसार पर एसडीएम सपना त्रिपाठी तहसीलदार दुर्गेश तिवारी खाद्य सुरक्षा अधिकारी अमरीश दुबे, प्रीति राय एवं कोतवाली पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा नए बाजार स्थित श्रीराम टी कॉर्नर की जांच की गई।
जांच के दौरान श्रीराम टी कॉर्नर के नाम से दो दुकानें संचालित होना पाया जिसमें एक प्रतिष्ठान के लाइसेंस रिनुअल की रसीद पाई गई एवं दूसरी दुकान का कोई लाइसेंस नहीं पाया गया। संचालक मनीष चौरसिया द्वारा चायपत्ती बाहर से बुलाकर स्वयं का ब्रांड बनाकर विक्रय की जा रही थी जबकि उनके द्वारा की पैकिंग का कोई लाइसेंस नहीं लिया गया। श्रीराम टी कॉर्नर पर धौलपुर, वास्तु आदि कंपनियों के घी एवं अनेक कंपनियों का डिस्ट्रीब्यूशन पाया गया। प्रतिष्ठान से जांच के दौरान धौलपुर वास्तु कंपनियों के घी एवं श्री राम चाय पत्ती का नमूना जांच के लिए लिया गया। मनीष चौरसिया के विरुद्धचाय पत्ती पैकिंग का एवं होलसेल रिटेल विक्रय का लाइसेंस न होने से खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। नमूनों के संबंध में रिपोर्ट आने पर कार्रवाई की जाएगी।


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जनयोद्धा नाट्य समारोह के अंतिम दिन "बुंदेला विद्रोह -1842" नाटक का हुआ मंचन

 जनयोद्धा नाट्य समारोह के अंतिम दिन "बुंदेला विद्रोह -1842"  नाटक का हुआ मंचन
 
सागर। स्वराज संस्थान संचालनालय, संस्कृति विभाग, मप्र शासन द्वारा 'रंग प्रयोग' थिएटर ग्रुप एवं जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय जनयोद्धा नाट्य समारोह के अंतिम दिन युवा नाट्य मंच, दमोह के कलाकारों द्वारा "बुंदेला विद्रोह -1842" नाटक की प्रस्तुति हुई। इस नाटक का निर्देशन राजीव अयाची ने किया। यह नाटक सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पंद्रह वर्ष पूर्व 1842 में शुरू हुए बुंदेलखंड विद्रोह के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए उसके खिलाफ सशस्त्र विद्रोह करने वाले प्रमुख नायक और 1857 की क्रांति में बलिदानी भूमिका निभाते हुए पूरे परिवार के साथ शहीद होने वाले हीरापुर बुंदेलखंड के राजा हृदेयशाह लोधी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर आधारित नाटक "बुंदेला विद्रोह-1842"  न सिर्फ बुंदेलखंड  बल्कि समस्त भारतवासियों के लिए गौरवान्वित करने वाला विषय है । 

राजा हृदेयशाह जी ने बुन्देलखण्ड की पावन भूमि पर सबसे पहले अपने शौर्य और साहस से आज़ादी का शंखनाद किया। बुन्देलखण्ड के वीरों संगठित कर अंग्रेज़ो को खदेड़के देश से भागने के लिए जो प्रयत्न किए और जो संघर्ष किये उन्ही घटनाओं को नाटक के केंद्र में रखा है । बुंदेला विद्रोह 1842 को यदि एक विस्तृत पटल पर देखें तो हैं देश के जनमानस को अंग्रेजों के विरुद्ध एकजुट करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । हृदेयशाह जू देव को अपने साथियों के द्वारा किए गए विश्वासघात के कारण 1842 की क्रांति में हार स्वीकार करनी पड़ी थी,  पर उनके मन ने हार नही मानी ।

राजा हृदय शाह जूदेव ने अपनी तमाम बीमारियों एवं परेशानियों के बाद भी अंग्रेज़ो से लड़ते रहे। हालाँकि उन्हें अग्रेज़ों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन 15 वर्ष बाद सन 1857 के गदर में अपने साथियों के साथ पुनः रणक्षेत्र में कूद गए ।  उनके परिवार के अनेक लोगों को मार दिया गया पर  रोगग्रस्त हृदयशाह जू अंग्रेजों के विरुद्ध न झुके और न रुके।
राजा हृदय शाह जू देव का नाम और स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए योगदान को इतिहास के पन्नों में वह स्थान नही दिया गया जिसके वे हक़दार थे। बुंदेलखंड के ऐसे वीर सपूत, अमर शहीद राजा हृदेयशाह जू देव की गौरवशाली गाथा को इस नाटक के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का प्रयास और सच्ची श्रद्धांजलि है "बुंदेला विद्रोह १८४२"..... 


राजा हृदय शाह जूदेव के  कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर आधारित इस नाटक में। बुंदेलखंड के गीत संगीत परिधान और उसके साथ-साथ परिवेश का भरपूर इस्तेमाल किया गया है । इस नाटक में बुंदेलखंड के पारंपरिक नृत्य और गीतों जैसे बधाई ढिमरयाई आदि के इस्तेमाल के साथ साथ बुंदेलखंड के परंपरागत अखाड़े एवम् युद्धकला के दृश्यों का समावेश किया गया है। छोटे-छोटे दृश्य बंधों के माध्यम से कलाकारों ने एक जीवंत प्रस्तुति इस नाटक के माध्यम से दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत की। 
दमोह की संस्था युवा नाट्य मंच। रंगमंच के क्षेत्र में दो पक्षों को लेकर लगातार कार्य कर रही है एक वह बड़ों के साथ रंगमंच करते हैं दूसरा कच्ची माटी अभियान के अंतर्गत वह बच्चों के साथ भी काम लगातार कर रहे हैं पिछले 32 वर्षों से बुंदेलखंड के अंचल में काम करने वाली संस्था ने अभी तक लगभग 20 राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन किया है और इन राष्ट्रीय नाट्य समारोह में देश के अलग-अलग क्षेत्रों से आए हुए ख्याति लब्ध कलाकारों ने अपनी हिस्सेदारी की है इसके अलावा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के साथ मिलकर युवा नाट्य मंच में एक माह की आवासीय कार्यशाला का आयोजन भी दमोह में किया है दमोह शहर में रंगमंच को जिंदा रखना अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसे युवा नाट्य मंच के कलाकार बखूबी अंजाम तक पहुंचाने में लगे हुए हैं। 

पात्र परिचय - राजा हिरदेशाह अनिल खरे, सूत्रधार .राजीव अयाची,दीक्षा सेन, कैप्टन स्लीमन -शिवानी बाल्मीक, अंग्रेज अफसर-दानिया खान, अंग्रेज सैनिक और गांववाले -आलिया खान , तनीषा खरे, वैष्णवी चौरसिया, सानिध्य खरे, अनुनय श्रीवास्तव, कोरस एवंम विभिन्न भूमिकाओं में - हरिओम खरे,अथर्व खरे, वेदांत अयाची,
नयन खरे, पारस गर्ग ,देवांश राठौर ,देवांश राजपूत ,प्रियांशु अयाची ,ध्रुव राय ,अभिनव श्रीवास्तव, महेंद्र पटेल ,अहकाम खान, संगीत संयोजन- रवि बर्मन 
ढोलक देवेश श्रीवास्तव ड्रम- राजेश श्रीवास्तव,अक्षत रैकवार , स्वर -लक्ष्मीशंकर सिंह रघुवंशी,दीक्षा सेन,महेंद्र पटेल,राजीव अयाची
प्रकाश संयोजन-संजय खरे
वस्त्र विन्यास -अमृता जैन,प्रिंस चौरसिया, रूपसज्जा-अनिल खरे
मंच सामग्री सहायक-राजबहादुर अग्रवाल,हेमेंद्र चंदेल आदि । नाटक के समापन पर रंगप्रयोग संस्था के संचालक एवं वरिष्ठ रंगकर्मी राजकुमार ने उपस्थित जन समूह का आभार प्रदर्शन कर जिला प्रशासन एवं स्वराज संस्थान का धन्यवाद ज्ञापित किया।



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कैम्ब्रिज हाईटस स्कूल अच्छी षिक्षा के साथ ही बच्चों के विकास पर जोर देता है : मंत्री गोविंद राजपूत

कैम्ब्रिज हाईटस स्कूल अच्छी षिक्षा के साथ ही बच्चों के विकास पर जोर देता है : मंत्री गोविंद  राजपूत


सागर 23 दिसंबर 2022
कैम्ब्रिज हाईटस स्कूल के वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में राजस्व एवं परिवहन मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि कैम्ब्रिज हाईटस स्कूल अच्छी षिक्षा के साथ-साथ बच्चों के सर्वगीण विकास पर जोर देता है। उन्होंने छोटे-छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक का्रय्रक्रमों की प्रषंसा करते हुए कहा कि बच्चों की प्रस्तुति को देखकर मन प्रफुल्लित हो गया। कैम्ब्रिज हाईटस स्कूल के षिक्षक परिवार का प्रयास रहता है कि बच्चों को गुणवत्ता युक्त षिक्षा मिले और उनका सर्वगीण विकास हो। राजस्व मंत्री ने कहा कि स्कूली छात्र छात्राओं का वार्षिकोत्सव ऐसा अवसर होता है जब उसमें प्रत्येक बच्चे के माता पिता अपनी सारी व्यस्तताओं के बावजूद भी उसमें शामिल होते है। उन्होंने छात्र छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना की।




स्कूल के वार्षिकोत्सव में आजादी का अमृत महोत्सव थीम पर छोटे-छोटे छात्र छात्राओं द्वारा विभिन्न मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई । जिन्हें अभिभावकों द्वारा सराहा गया। इस अवसर पर स्कूल की चेयर परसन श्रीमती सविता सिंह राजपूत कुलपति ज्ञानोदय विष्वविद्यालय श्री आदित्य सिंह राजपूत, स्कूल के संचालक श्रीमती सुरभि सिंह राजपूत , स्कूल की प्राचार्य श्रीमती अनुपमा श्रीवास्तव तथा उप प्राचार्य श्री हेमन्त खरे और बडी संख्या में बच्चों के अभिभावक मौजूद थे।



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SAGAR: चुनावी रंजिश पर युवक को कार से कुचला, भाजपा नेता सहित परिजनों पर मामला दर्ज▪️आक्रोशित लोगो ने किया चक्काजाम, स्थिति तनावपूर्ण

SAGAR: चुनावी रंजिश पर युवक को कार से कुचला, भाजपा नेता सहित परिजनों पर मामला दर्ज

▪️आक्रोशित लोगो ने किया चक्काजाम, स्थिति तनावपूर्ण

 ▪️मृतक जग्गू   ▪️आरोपी मिश्री गुप्ता



सागर 23 दिसंबर । मकरोनिया थाना अंतर्गत चौराहे पर गुरूवार-शुक्रवार की देर रात निकाय चुनाव की रंजिश के चलते एक युवक की भाजपा नेता मिश्री चंद गुप्ता व उनके परिजनों ने कार से कुचलकर हत्या कर दी. हत्या से आक्रोशित लोगों एवं यादव समाज के द्वारा आज लगभग दिन भर चौराहे पर आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और उनकी होटल पर कार्रवाई की मांग को लेकर जाम लगाए रखा. इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल एवं प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे. इस दौरान पुलिस को व्यवस्था बनाने लाठी चार्ज कर खदेड़ना भी पड़ा।




       सीसीटीवी में कैद हुई वारदात









मिली जानकारी के अनुसार गुरूवार-शुक्रवार की देर रात जगदीश पिता पूरन यादव 30 वर्ष निवासी कोरेगांव जो कि एक डेयरी फार्म में काम करता है. वह रात में सोनू यादव की डेयरी पर कार उठाने गया था. बताया जाता है कि इसी दौरान जगदीश उर्फ जग्गू का भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद प्रतिनिधि मिश्रीचंद गुप्ता के परिजनों के साथ उसका विवाद हो गया. बताया जाता है कि दोनों पक्षों में जमकर झड़प हुई. इस दौरान भाजपा नेता श्री गुप्ता के पक्ष के लोगों द्वारा जग्गू यादव के साथ लॉठी व हथियारों के साथ मारपीट की गई. इस दौरान वहां सूचना मिलने पर  पार्षद सोनू यादव भी पहुंचा तो उसके साथ भी मारपीट की गई. बताया जाता है कि आरोपियों द्वारा थॉर जीप से उनपर हमला किया गया जिसमें जीप की चपेट में आकर जग्गू गंभीर रूप से घायल हो गया. सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस घायल जग्गू को लेकर जिला अस्पताल पहुंची जहाँ चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.






 

इन पर हुआ मामला दर्ज

मकरोनिया थाना प्रभारी महेंद्र जगेत के अनुसार सोनू यादव की रिपोर्ट पर आरोपी लवी गुप्ता, लकी गुप्ता, हनी गुप्ता, मिश्रीचंद गुप्ता, वकील गुप्ता, धर्मेंद्र गुप्ता, जितेंद्र गुप्ता एवं आशीष मालवीय के खिलाफ हत्या सहित अन्य धाराओं  302,323, 294, 506, 147, 148,  के तहत मामला दर्ज किया गया है. थाना प्रभारी के अनुसार एक आरोपी वकील गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है.





आरोपी की होटल पर चला बुलडोजर






चुनावी रंजिश पर हुई इस हत्या को लेकर आज सुबह 9 बजे से ही कोरेगांव के ग्रामीण एवं जिला यादव महासभा के लोगों द्वारा शव को मकरोनिया चौराहे पर रख चक्काजाम कर दिया गया. मामले की गंभीरता समझते हुए मौके पर एसडीएम, सीएसपी सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा. करीब 8 घंटे तक लोगों द्वारा चौराहे को जाम रखा गया जो आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और उनकी बटालियन रोड स्थित होटल पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे.


        ASP विक्रम सिंह कुशवाहा


              पार्षद शिवशंकर यादव



चाचा सोनू यादव


इस दौरान भारी पुलिस बल यहां पर तैनात है पूरा मकरोनिया चौराहा छावनी बना हुआ है चप्पे-चप्पे पर पुलिस कर्मी तैनात रहे ।एसडीएम सपना त्रिपाठी एडिशनल एसपी विक्रम सिंह और एडिशनल एसपी ज्योति सिंह, डीएसपी सीएसपी भी मौके पर रहे।  वही इसके अलावा मकरोनिया बहेरिया सिविल लाइन रहेली गोपालगंज केंट बंडा थाना प्रभारी सहित पुलिस लाइन से कई इंस्पेक्टर और अन्य पुलिसकर्मी तैनात हुए।  दोपहर में प्रशासन के अधिकारियों द्वारा आरोपियों की होटल पर जेसीबी मशीन से कार्रवाई की गई जिसमें होटल का बड़ा हिस्सा तोड़ दिया गया. जिसके बाद लोगों ने जाम हटाया.

यादव समाज हुआ प्रदर्शन में शामिल








जग्गू यादव हत्याकांड में आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर यादव समाज भी आगे आया। इसमें , पार्षद: रुपेश यादव विक्रम यादव रानू यादव आशीष यादव यादव महासभा के अध्यक्ष शिवशंकर यादव ,नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष बब्बू यादव ,जितेंद्र रोहण सरपंच प्रमोद यादव जनपद सदस्य संजय यादव  रमाकांत यादव युवा यादव महासभा के अध्यक्ष अतुल यादव मुकेश यादव राजेन्द्र यादव पगारा अनिकेत यादव देव यादव मुकुल यादव दुलारे यादव गोपीलाल यादव गोपाल यादव संजीव यादव बासु यादव  आर पी यादव कमलेश यादव  सहित यादव समाज के सैकड़ों लोग उपस्थित ओंकार  यादव रामबाबू यादव आदि शामिल हुए। 




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कांग्रेसियों ने भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा और गीतकार मनोज मुन्तशिर का फूंका पुतला▪️ पुलिस और कांग्रेसियो के बीच हुई झड़प

कांग्रेसियों ने भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा और गीतकार मनोज मुन्तशिर का फूंका पुतला

▪️ पुलिस और कांग्रेसियो के बीच हुई झड़प

सागर। गत दिवस भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा एवं गीतकार मनोज मुन्तशिर द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं सांसद मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी पर की गई अमर्यादित व अशोभनीय बयानबाजी से गुस्साये कांग्रेसियों ने एन.एस.यू.आई सागर के तत्वाधान में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी की अगवाई में स्थानीय कटरा नमक मंडी में जमकर नारेवाजी करते हुये एक के बाद एक विधायक रामेश्वर शर्मा और गीतकार मनोज मुन्तशिर के पुतले फूंककर अपना विरोध प्रकट किया। पुतला दहन को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। 





▪️ पुलिस और कांग्रेसियो के बीच हुई झड़प


इस दौरान पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी ने भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ की अमर्यादित बयानबाजी की कड़े शब्दों निन्दा करते हुए कहा कि इस तरीके की बयानबाजी को कांग्रेस पार्टी किसी भी सूरत में वर्दाश्त नही करेंगी।उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक के बयान पर भारतीय जनता पार्टी और शिवराज सिंह चौहान तत्काल माफी मांगे अन्यथा कांग्रेस पार्टी चुप बैठने वाली नही है। 


पुतला दहन कार्यक्रम में पूर्व विधायक सुनील जैन, वरिष्ठ कांग्रेस नेता पुरुषोत्तम मुन्ना चौबे, शहर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जगदीश यादव, जितेन्द्र सिंह चावला, पप्पू गुप्ता, राकेश राय,चक्रेश सिंघई,सुरेन्द्र चौबे,नेता प्रतिपक्ष बब्बू यादव, सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे, युवा कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष अशरफ खान, युवा कांग्रेस जिला अध्यक्ष राहुल चौबे, युकां प्रदेश सचिव आशीष चौबे,एन. एस. यू. आई जिला अध्यक्ष अक्षय दुबे, विधानसभा अध्यक्ष सन्दीप चौधरी, दीपक दुबे,महेश जाटव, मुकेश खटीक, प्रदेश सचिव जैद खान, अक्षत कोठारी, निखिल चौकसे,चक्रेश रोहित, जितेंद्र चौधरी,समीर मकरानी,सागर साहू, पवन केशरवानी,दीपक कुर्मी आदि ने जमकर हल्ला बोला। कार्यक्रम में मुख्य रूप से वरिष्ट कांग्रेस नेता कैलाश सिंघई,आर. आर. पाराशर,गोवर्धन रैकवार,रमा कांत यादव,अवदेश सिंह,शरद पुरोहित, प्रदीप राय,मुन्ना विश्वकर्मा,शरद राजा सेन, फिरदोश कुरैशी, एड.धन सिंह अहिरवार, आशीष ज्योतिषी,मनोज पवार,हेमराज रजक, ऋषभ जैन, रवि सोनी, इम्तियाज हुसैन, पार्षद रोशनी बसीम खान, चमन अंसारी, मार्शल खान,गब्बर पठान, एड. गोपाल तिवारी,जाहिद ठेकेदार,अजय अहिरवार,वीरेन्द्र राजे,राजिया खान, रितेश रोहित,बसंजय रोहिदास, सहजाद निहारिया,नीलेश अहिरवार,महेश कुमार, अभिषेक पाठक, गोलू पचौरी,शहबाज कुरेशी, हर्ष रैकवार, हर्षित तिवारी,ब्रजेन्द्र दीक्षित, अक्षय रजक, वीरू चौधरी,राकेश अहिरवार, सुनील पावा,अम्बर खत्री, राजा राय,राजा खान, रोमी खान,नरेश सनकत,शनशाह खान, सलमान खान,आशू लंबरदार, आमिर वीरू, आदिल राईन, नदीम खान, अनुराग गुप्ता, शाहरुख ख़ान छोटे वाले,आर्यन सेन आदि मौजूद थे।



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विचार समिति ने किया हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना



विचार समिति ने किया हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना





सागर। विचार समिति द्वारा आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा से स्वदेशी वस्त्रों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र से 300 सफल हथकरघा बुनकरों के बाद नये हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र का शुभारंभ श्रीमति सरोज मलैया जी द्वारा मैजेस्टिक प्लाजा के पास ट्रू वैल्यू तिलकगंज में किया गया। हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र की जानकारी देते हुए समिति कार्यकारी अध्यक्ष सुनीता अरिहंत ने कहा कि 8 हथकरघा मशीनों के साथ यह प्रशिक्षण दो सत्रों के माध्यम से संचालित होगा। जिसमें 1:00  बजे से 3:30 बजे व दूसरा बैच 3:30 से 6:00 तक नियमित जारी रहेगा। प्रत्येक बैच में 15 से 20 प्रशिक्षणार्थी ट्रेनिंग ले सकते हैं। प्रशिक्षण के लिए महिलाएं एवं पुरुष विचार समिति कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। यह प्रशिक्षण पूर्णता निःशुल्क होगा, जिसका लाभ इच्छुक महिला एवं पुरुष वर्ग सभी ले सकते हैं।  प्रशिक्षण में उन्हें चादर बनाना, टॉवल, साड़ी, धोती एवं पंचा बनाना सिखाया जाएगा।



       समिति संस्थापक अध्यक्ष कपिल मलैया ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा विचार समिति हथकरघा को आजीविका का साधन  बना रही है। साथ ही सागर के सामाजिक, आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है। समिति उपाध्यक्ष सौरभ रांधेलिया ने हौसला अफजाई करते हुए सबसे पहले कपड़ो का ऑडर दिया।  साथ ही उन्होंने कहा स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। यह लघु उद्योगों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हथकरघा केंद्र प्रशिक्षक भाग्यश्री राय केंद्र की जानकारी साझा करते हुए कहा कि 75 दिवस के अंतराल में इस कार्य को कुशलता पूर्वक सीखा जा सकता है।
कार्यक्रम में सचिव आकांक्षा मलैया, प्रीति मलैया, आकाश जैन, प्रीति जैन, रजनी जैन, नीलू सागर आदि उपस्थित थीं।


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जनयोद्धा नाट्य समारोह के दौरान दूसरे दिन "महाबली छत्रसाल" नाटक का हुआ मंचन

जनयोद्धा नाट्य समारोह के दौरान दूसरे दिन "महाबली छत्रसाल" नाटक का हुआ मंचन


सागर। स्वराज संस्थान संचालनालय, संस्कृति विभाग, मप्र शासन द्वारा ‘रंग प्रयोग’ थिएटर ग्रुप एवं जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय जनयोद्धा नाट्य समारोह के दूसरे दिन शंखनाद नाट्य मंच छतरपुर के कलाकारों द्वारा "महाबली छत्रसाल" नाटक की प्रस्तुति हुई।  जिसका निर्देशन शिवेंद्र शुक्ला ने किया है। महाबली छत्रसाल बुंदेलखंड के उस वीर सपूत की गाथा है जिसने कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए अपना साम्राज्य स्थापित किया।छतरपुर (छत्रपुर)नगर उन्ही के नाम पर बसा है।उनके जीवन की खास बात यह है कि उन्होंने अपने जीवन मे 52 छोटे बड़े युद्ध लड़े और किसी मे पराजित नहीं हुए।प्राणनाथ और शिवाजी से मुलाकात ने उनका जीवन बदल दिया और यमुना से लेकर नर्मदा और चंबल से लेकर टोंस नदी तक अपना साम्राज्य स्थापित किया और मुगलों को बुंदेलखंड में पैर जमाने का मौका नहीं दिया। 

नाटक की शुरुआत छत्रसाल और मुगलों के बीच चल रहे संघर्ष से होती है, जिसमें छत्रसाल और मुगलों के बीच संघर्ष दिखाया गया है। इस संघर्ष में छत्रसाल की जीत होती है। उसके पश्चात बुंदेलखंड बुंदेली फोक मार्शल आर्ट शैली में छत्रसाल और डकैतों के बीच होने वाली लड़ाई को मंच पर जिस तरह से प्रस्तुत किया गया उसे देखकर ऐसा लगा जैसे इस संघर्ष में हम खुद शामिल हो। इसी दौरान शिवाजी और छत्रसाल की भेंट होती है और छत्रसाल की वीरता और साहस को देखकर शिवाजी अपनी भवानी तलवार छत्रसाल को देते हैं। जिसके बाद छत्रसाल अपनी सेना तैयार करते हैं। उनकी सेना की शुरुआत में मात्र 25 सैनिक एवं पांच घुड़सवार थे। फिराई खान से युद्ध करते हैं।  छत्रसाल के राज में हर गांव में एक छात्रसाली चबूतरा होता था। जिस पर न्याय होता था और न्याय करने वाले 7 लोग अलग-अलग जातियों से होते थे। इस नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से उनके जीवनकाल में विभिन्न प्रसंगों को रोचक तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास बुंदेलखंड के कलाकारों द्वारा किया गया है। महाराजा छत्रसाल की वीरता और कूटनीति ने उन्हें प्रणामी संप्रदाय में भी स्थान दिया और प्रणामी संप्रदाय के 5 शीर्ष पुरुषों में उनका स्थान है।  इस नाटक की अवधि लगभग 1 घंटा की रही। उनकी अंतिम अवस्था में बंगस खां ने जब बुंदेलखंड पर आक्रमण किया तब उन्होंने पेशवा बाजीराव को पत्र लिखकर मदद मांगी और अपनी जिंदगी का अंतिम युद्ध भी जीता। 

इस प्रकार उन्होंने 52 युद्धों में विजय हासिल की। इस नाटक का लेखन शिवेंद्र शुक्ला एवं नीरज खरे ने किया है। इस नाटक में मंच पर अंकुर यादव, जितेंद्र विद्यार्थी , विकास चौबे, सीताराम अहिरवार, सर्वेश खरे, अंकित अग्रवाल, अनिल कुशवाहा, राजेश कुशवाहा, साक्षी द्विवेदी, अंजली शुक्ला, माधुरी कुशवाहा, राशि सिंह, शिल्पा रैकवार, रोशनी यादव, आदर्श सोनी, अभिदीप सुहाने, राजेश कुशवाहा, मानस गुप्ता, आकाश मिश्रा, प्रमोद साराश्वत थे। नाटक में संगीत संयोजन महेंद्र तिवारी,मिंटू ने किया। ढोलक पर अश्विनी दुबे एवं गायन में  खनिज देव सिंह चौहान के साथ कोरस प्रमोद सारस्वत, शिवेंद्र शुक्ला एवं रोशनी। प्रकाश व्यस्था अभिदीप सुहाने, रूप सज्जा रवि अहिरवार
ने की।

"अबुआ दिशुम...!" जननायक बिरसा मुंडा की हुंकार से गूंजा रवीन्द्र भवन

▪️ समीक्षा :डाॅ. शरद सिंह, नाट्य समीक्षक एवं वरिष्ठ साहित्यकार


नाटक का अंतिम दृश्य समाप्त होते ही हॉल में कुछ देर का सन्नाटा छा जाए और फिर अचानक समूचा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से भर जाए तो यह है नाटक की अपार सफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण। इस बात का भी प्रमाण कि दर्शक अपनी दीर्घा में होते हुए भी मानसिक रूप से मंच पर पात्रों के साथ नाटक की घटनाओं और तत्कालीन समय के साथ एक-एक पल को जी रहे थे। यही है एक सफल नाट्य-मंचन। दर्शक जिसके साक्षी बने 21 दिसम्बर की शाम को, रवींद्र भवन में।

             जनयोद्धा नाट्य समारोह के त्रिदिवसीय नाट्य मंचन का आरम्भ हुआ जननायक बिरसा मुण्डा के जीवन पर आधारित नाटक ‘‘अबुआ दिशुम अबुआ राज बिरसा मुंडा’’ से। स्वराज संस्थान संचालनालय, संस्कृति विभाग, मप्र शासन द्वारा स्थानीय नाट्य संस्था ‘रंग प्रयोग’ एवं जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित इस नाट्य समारोह के प्रथम दिवस रंग प्रयोग संस्था ने सतीश दवे लिखित नाटक ‘‘अबुआ दिशुम अबुआ राज बिरसा मुंडा’’ राजकुमार रायकवार के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया।

‘‘अबुआ दिशुम अबुआ राज’’ का अर्थ है हमारा देश हमारा राज्य। यह  नारा देने वाले लोकनायक बिरसा मुंडा ने आदिवासिओं के सम्मान, स्वाभिमान, स्वतंत्रता और जनजातीय संस्कृति को बचाने के लिए जो बलिदान दिया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। आदिवासी जगत उन्हें अपना ‘‘भगवान’’ मानता है। बिरसा मुंडा ने मात्र 25 वर्ष का छोटा-सा जीवन जिया लेकिन अपने इस संक्षिप्त जीवन में वे साहस और शौर्य का परिचय दे कर देशभक्ति एवं वीरता का प्रतीक बन गए। उनका दाखिला अंग्रेजी स्कूल में हो चुका था वे चाहते तो इसाई धर्म में रहते हुए अंग्रेजी स्कूल में पढ़ कर एक सफल दिखने वाली जिंदगी पा सकते थे। लेकिन उन्होंने रास्ता चुना स्वराज का, जिसमें अनंत कठिनाइयां थीं। ईसाई धर्म के प्रचारक अपने प्रवचनों में मुंडा जनजाति के पुराने रीति-रिवाजों की आलोचना करते थे। यही बात बिरसा के कोमल मन को अखर गई और उन्होंने  उसी समय से अंग्रेजों को जवाब देने की ठान ली। उन्होंने आगे चलकर न सिर्फ अंग्रेजों से लोहा लिया, बल्कि महज 25 साल की जिंदगी में आदिवासियों के भगवान भी बन गए। उनके मन में जज़्बा था अपने लोगों का साथ देने का और अपनी संस्कृति को उपनिवेशी ताकतों से बचाने का । 


 मुंडा ने आदिवासियों को ब्रिटिश सरकार द्वारा ज़बरदस्त भूमि हड़पने के खिलाफ लड़ने के लिए ललकारा, जो आदिवासियों को बंधुआ मजदूरों में बदल देगा और उन पर गरीबी को खत्म करने के लिए दबाव डालेगा। 'धरती आबा' या पृथ्वी पिता के रूप में लोकप्रिय  बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को अपने धर्म का अध्ययन करने और अपनी सांस्कृतिक जड़ों को न भूलने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अपने लोगों को अपनी भूमि के मालिक होने और उन पर अपना अधिकार जताने के महत्व को महसूस करने के लिए प्रभावित किया। बिरसा आदिवासी समाज में सुधार करना चाहते थे और इसलिए, उन्होंने उनसे जादू-टोना में विश्वास करने का आग्रह किया और इसके बजाय, प्रार्थना के महत्व पर जोर दिया, शराब से दूर रहना, भगवान में विश्वास करना और एक आचार संहिता का पालन करना। बिरसा मुंडा एक युगांतकारी व्यक्तित्व थे, जिन्होंने आदिवासी जनजीवन के मसीहा के रूप में केवल 25 सालों में बिहार, झारखंड और ओडिशा में जननायक की पहचान बनाई। बंदूकों का मुक़ाबला तीरकमान से। यह अदम्य साहस ही तो था। अन्याय और उत्पीड़न से लड़ने के वीरतापूर्ण प्रयासों से भरी बिरसा मुण्डा की जीवनकथा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध की एक मजबूत आवाज़ का प्रतिनिधित्व करती है। नाटक में दिखाया गया कि दिखाया गया कि कैसे ग्रामीण, किसान और आदिवासी जमींदारों के चंगुल में फंस जाते हैं। अंग्रेज भी जमींदारों का साथ देते हैं। बिरसा शोषित आदिवासियों के पक्ष में तो हुंकार भरते ही हैं साथ ही वे हैजा और चेचक की महामारी से जूझ रहे ग्रामीणों के इलाज में जुट जाते हैं। इसी दौरान सन् 1878 में जब जंगल कानून लागू होता है़ तो 'धरती आबा' अर्थात धरतीपालक बन कर बिरसा समाज की पीड़ा को देख आंदोलन छेड़ देते हैं। जिसमें उन्हें अपने प्राण की आहुति तक देनी पड़ती है।

       नाटक में बिरसा मुण्डा बने प्रयाग साहू ने जिस प्रकार जननायक के चरित्र को आत्मसात कर के अपने अभिनय द्वारा मंच पर प्रस्तुत किया, उसे देख कर समूची दर्शकदीर्घा रोमांचित हो गई। हर दर्शक का मन बिरसा की ललकार के साथ स्वर मिला कर अन्याय के विरुद्ध किसी नादस्वर की भांति प्रतिध्वनित होता प्रतीत हुआ। यह बेजोड़ अभिनय और कुशल निर्देशन का कमाल था। जहां तक नाटक के निर्देशक राजकुमार रायकवार के निर्देशन का प्रश्न है तो वे रूस, थाईलैंड, कोलंबिया, बांग्लादेश, सुरीनाम, वेनेजुएला, भूटान, सिंगापुर, पाकिस्तान आदि अनेक देशों में अपना हुनर दिखा चुके हैं। उन्हें एक लंबा नाट्य अनुभव है जिसका प्रभाव इस नाटक के मंचन के दौरान स्पष्ट दिखाई दिया।
सभी कलाकारों ने अपने-अपने हिस्से का अभिनय अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रस्तुत किया। पूर्वी रायकवार ने तस्कीर और मास्टर साहब, विशाल चतुर्वेदी ने सूत्रधार और अंग्रेज अजय श्रीवास्तव अज्जू ने सूत्रधार और मामा का रोल निभाया। इनके अतिरिक्त अंबर अली, अरुण भट्ट, रेणुका वरमैया, गुंजन मालवीय, गायत्री निगम, प्रिंस बॉबी श्रीवास्तव, रविकांत वासनिक, महेंद्र शुक्रवारी, राज शर्मा, गिरीश भूतिया, उमंग चैधरी, अमन खान, प्रदीप मंदरे, अखिलेश पाटीदार, रितिक यादव, शिरीन, साहिबा, महक तथा सपना दुबे ने शानदार अभिनय करके आदिवासी संघर्ष की जो तस्वीर प्रस्तुत की दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ने में सक्षम रही।

       विशाल चतुर्वेदी, मोहम्मद शहंशाह तथा अमन द्वारा खूबसूरत मंच व्यवस्था एवं मंच सज्जा की गई थी। कथानक के अनुरूप पात्रों की रूप-सज्जा सीमा मोरे ने की तथा वस्त्र विन्यास विशाल चतुर्वेदी और रेणुका का रहा।  पृष्ठभूमि और वेशभूषा ने प्रदर्शन में तत्कालीन संघर्षकाल के जीवन दशाओं को मंच पर जीवंत कर दिया, जिससे मुण्डा जनजाति के जीवन की झलक देखने को मिली।
     संगीत संयोजन अभिषेक दुबे का तथा गायन शिरीन, साहिबा, महक एवं साथियों का था। संगीत ध्वनियों के सटीक प्रयोग ने कलाकारों की भावप्रवणता को सलीके से रेखांकित किया। संगीत की भांति ही किसी भी नाटक में प्रभाव डालने का दायित्व प्रकाश संयोजक का होता है। तनवीर अहमद ने घटनाक्रम के अनुरूप लाईट, शैड, फेड इन, फेड आउट का प्रकाश संयोजन करके नाटक को अत्यंत प्रभावी बना दिया। कुलमिला कर कहा जाए तो नाटक ‘‘अबुआ दिशुम अबुआ राज बिरसा मुंडा’’ स्वराज की भावना एवं बिरसा मुण्डा के जीवन को प्रस्तुत करने में पूरी तरह सफल रहा। इस नाटक को दर्शक कभी भुला नहीं सकेंगे बल्कि इसे बार-बार देखना चाहेंगे।
     
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▪️ डाॅ (सुश्री) शरद सिंह
नाट्य समीक्षक व वरिष्ठ साहित्यकार
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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885

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