SAGAR: अपहरण के आरोपी ने थाने में फांसी लगाई, मजिस्ट्रियल जांच होगी,▪️एसपी ने थाना प्रभारी जैसीनगर सहित तीन पुलिस अधिकारी कर्मचारियों को किया लाइन हाजिर

SAGAR: अपहरण के आरोपी  ने थाने में फांसी लगाई, मजिस्ट्रियल जांच होगी

▪️एसपी ने थाना प्रभारी जैसीनगर सहित तीन पुलिस अधिकारी कर्मचारियों को किया लाइन हाजिर



सागर। सागर जिले के जैसीनगर थाने में पुलिस कस्टडी में अपहरण के एक आरोपी युवक ने फांसी लगा ली। उसे गंभीर हालत में  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के बाद  सागर जिला हॉस्पिटल में लाया गया। जहा उसकी मौत हो गई। पुलिस हिरासत में मौत की खबर से  पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। घटना की खबर लगते ही अधिकारी हॉस्पिटल और जेसीनगर थाना पहुंचे। इस मामले में  मजिस्ट्रियल जांच होगी। पुलिस सारे पक्षों की जांच कर रही है। मृतक के परिजनों ने थाने में पुलिस प्रताड़ना के भी आरोप लगाए है। 



जानकारी के अनुसार अपहरण के मामले में पकड़ाए आरोपी क्रतेश पुत्र राजू पटेल उम्र 19 साल निवासी सेमरा गोपालमन को जैसीनगर थाना पुलिस ने नाबालिग के अपहरण के मामले में गिरफ्तार किया था। उसे थाने में रखा गया था। इसी दौरान आज मंगलवार को दिन में आरोपी क्रतेश ने फंदा लगा लिया। थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों की जैसे ही उस पर नजर पड़ी तो हड़कंप मच गया। तुरंत उसके गले से फंदा खोला और अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन जिला अस्पताल लाते समय क्रतेश की मौत हो गई। मामले में पुलिस ने शव का पंचनामा बनाकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। 
घटना की 

मजिस्ट्रियल जांच होगी,पुलिस होगी दोषी तो करेंगे कार्यवाई :एसपी


थाना जैसीनगर अंतर्गत थाना जैसीनगर के अपराध क्रमांक 376/22 के आरोपी द्वारा पुलिस अभिरक्षा के दौरान हुई मृत्यु को  पुलिस अधीक्षक सागर तरुण नायक द्वारा गंभीरता से लेते हुए न्यायिक जांच हेतु प्रस्ताव जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय को प्रेषित किया गया था। उक्त प्रस्ताव पर न्यायिक जांच आदेशित की गई है । उक्त न्यायिक जांच न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी श्री हर्षवर्धन धाकड़ जी द्वारा की जा रही है ।एसपी तरुण नायक के अनुसार जांच के दौरान आए तथ्यों पर उचित वैधानिक कार्यवाही की जावेगी। आज दिनांक को पंचायत नामा जे एम एफ सी महोदय द्वारा लिया गया है एवं पीएम की कार्यवाही की जा रही है ।न्यायिक जांच के निष्कर्षों के आधार पर अग्रिम कार्यवाही होगी यदि उक्त जांच में कोई पुलिस कर्मचारी दोषी पाया जाता है तो उसके विरुद्ध भी  यथोचित सख्त कार्रवाई की जावेगी



एएसपी विक्रम सिंह कुशवाहा ने बताया कि  जैसीनगर थाना में पुलिस अभिरक्षा में मौत का मामला सामने आया है।अपहरण के आरोपी के फांसी लगाने की जानकारी है। इसमें  मजिस्ट्रियल जांच  के लिए पत्र भेजा है। एफएसएल की जांच रिपोर्ट के बाद पूरा मामला सामने आएगा। पुलिस कार्यवाई जारी है।
उधर घटना के बाद थाना में  मर्तक के परिजनों और  गांववालों की भीड़ जमा हो गई। युवक के मां बाप का रो रोकर बुरा हाल हो गया है।मृतक के पिता  राजू पटेल के अनुसार उसका बेटे और  लडकी साथ में भाग गए थे। कल देर रात में भोपाल से लेकर दोनो को वापिस लाए थे। पुलिस और लडकी पक्ष के लोगो ने मिलकर उसे मारा है आज सुबह जब मिले थे तब स्वास्थ्य और सही था। 

19 अक्टूबर को नाबालिग को लेकर गया था मृतक 

जानकारी के अनुसार मृतक आरोपी क्रतेश पटेल 19 अक्टूबर को पास के गांव की नाबालिग किशोरी को भागकर साथ ले गया था। मामले में नाबालिग के परिवार वालों ने जैसीनगर थाने में शिकायत की थी। जिस पर पुलिस ने अपहरण की धारा 363 के तहत प्रकरण दर्ज किया था। मामले में जांच करते हुए पुलिस ने आरोपी क्रतेश को नाबालिग के साथ भोपाल से पकड़ा था। मंगलवार सुबह ही पुलिस भोपाल से *पुलिस अधीक्षक ने थाना प्रभारी जैसीनगर सहित तीन पुलिस अधिकारी कर्मचारियों को किया लाइन हाजिर*

थाना जैसीनगर अंतर्गत जैसीनगर के अपराध क्रमांक 376 /22 के आरोपी की अभिरक्षा दौरान घटित घटना के अनुक्रम में, थाना जैसीनगर के थाना प्रभारी कार्य. निरीक्षक राकेश शर्मा, सउनि बदन सिंह, का.प्र. आर. (लेखक) 766 मुन्नालाल राज, द्वारा प्रथमदृष्टया प्रदर्शित कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही हेतु एवं प्रचलित न्यायिक जांच के दृष्टिगत उपरोक्त अधि / कर्म. को तत्काल प्रभाव से पुलिस अधीक्षक सागर श्री तरुण नायक द्वारा रक्षित केन्द्र सागर सम्बद्ध किया गया हैआरोपी को लेकर जैसीनगर पहुंची थी। जहां आरोपी ने सुसाइड कर लिया। मामले में जांच की जा रही है ।

पुलिस अधीक्षक ने थाना प्रभारी जैसीनगर सहित तीन पुलिस अधिकारी कर्मचारियों को किया लाइन हाजिर

थाना जैसीनगर अंतर्गत जैसीनगर के अपराध क्रमांक 376 /22 के आरोपी की अभिरक्षा दौरान घटित घटना के अनुक्रम में, थाना जैसीनगर के थाना प्रभारी कार्य. निरीक्षक राकेश शर्मा, सउनि बदन सिंह, का.प्र. आर. (लेखक) 766 मुन्नालाल राज, द्वारा प्रथमदृष्टया प्रदर्शित कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही हेतु एवं प्रचलित न्यायिक जांच के दृष्टिगत उपरोक्त अधि / कर्म. को तत्काल प्रभाव से पुलिस अधीक्षक सागर श्री तरुण नायक द्वारा रक्षित केन्द्र सागर सम्बद्ध किया गया है।

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एडिटर: विनोद आर्य
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पत्रकारीय कार्यशैली में उद्दंडता और स्वतंत्रता की महीन रेखा को समझना जरूरी ◾ ममता यादव / मल्हार मीडिया

पत्रकारीय कार्यशैली में उद्दंडता और स्वतंत्रता की महीन रेखा को समझना जरूरी

 ◾ ममता यादव / मल्हार मीडिया


उद्दंडता और स्वतंत्रता दो विपरीत शब्द और मानवीय जीवनशैली में बरते जाने वाले विपरीत कार्यव्यवहार हैं। पर इन दो व्यवहारों की यदि पत्रकारीय कार्यव्यवहार यानि मीडिया की कार्यशैली के संदर्भ में बात करें तो यहां उद्दंडता और स्वतंत्रता के बीच की रेखा बहुत बारीक है जिसके बारे में फर्क करना जरूरी है। जिसके बारे में पत्रकारों को अंतर करना और समझना बहुत जरूरी है। स्वनियमन स्वअनुशासन के माध्यम से यह किया जा सकता है पर यह बहुत कम हो पा रहा है। 
आमतौर पर देखने में यह आता है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के बहाने मीडिया उद्दंडता और स्वतंत्रता के बीच की महीन रेखा को लांघ ही नहीं चुका है बल्कि उसे लगभग खत्म करने पर आ चुका है।  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बात तो बहुत होती है पर इसे समझने की कोशिश बहुत कम होती है। अनुच्छेद 19 की ही बात करें तो प्रेस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सर्वाधिकार सुरक्षित मानकर इसका उपयोग करना शुरू कर दिया है। 
इसका परिणाम यह हो रहा है कि कई बार पत्रकार सामने वाले के स्वतंत्रता और निजता के अधिकारों का हनन जाने-अनजाने कर रहे होते हैं। यही पत्रकारीय कार्यव्यवहार पत्रकारिता की गरिमा को तो कम कर ही रहा है साथ ही उसे अविश्वनीय भी करता जा रहा है। 


यही कारण है कि समाज के एक बड़े वर्ग का पत्रकारिता के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मोहभंग होने लगा है। समाज का प्रबुद्ध वर्ग का एक तबका तो टीवी मीडिया से पहले ही दूरी बना चुका है लेकिन इस पर चर्चा ज्यादा गंभीरता से अब इसलिए होने लगी है क्योंकि देश की सर्वोच्च अदालतों की तरफ से भी इस कार्यव्यवहार पर सवाल उठने लगे हैं। 

अदालत  ने की कार्यशैली पर टिप्पणी 

बात बहुत पुरानी नहीं है 8 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जसिटस एनवी रमन्ना ने टिप्पणी की कि प्रिंट मीडिया जवाबदेह है, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया गैरजिम्मेदार। 
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने विभिन्न न्यूज चैनलों के मीडिया कवरेज को लेकर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मीडिया बिना जांचे-परखे 'कंगारू कोर्ट' चला रहा है।
प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में शून्य जवाबदेही है” वहीं सोशल मीडिया का हाल और बुरा है। 
जवाबदेही और गैरजिम्मेदारी अपने आप में बहुत ही महत्वपूण शब्द हैं, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वह भी पत्रकारीय कार्यव्यवहार में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से इनका सीधा संबंध इसलिए है क्योंकि जब एक पत्रकार चाहे वह किसी भी माध्यम का हो जब सूचना, विचार प्रचारित-प्रसारित करने की जिम्मेदारी लेता है तो उसकी जवाबदेही भी उसी की होती है। 
अगर पूर्व मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी के आलोक में ही बात करें तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रिंट माध्यम ने घोषित-अघोषित तरीके से अपने दिशा-निर्देश तय कर रखे हैं और ये उसके कर्ताधर्ताओं के गुणसूत्र में बस गये  हैं। जिससे उनका अवचेतन लगातार सक्रिय रहता है,  प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही बाकी है।
इसके विपरीत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कोई जवाबदेही नहीं है और सोशल मीडिया  पर कुछ भी टिप्पणी करना सही नहीं है। सोशल मीडिया तो ज्यादा बेलगाम और अशिष्ट होता जा रहा है।
फेक न्यूज, भ्रामक जानकारी के साथ ही तोड़े-मरोड़े तथ्यों को प्रस्तुत करने से ही सोशल मीडिया को नियंत्रित करने की मांग होती रही है। सोशल मीडिया पर लगाम की किंचित कोशिशें भी हो रही हैं, लेकिन पारंपरिक मीडिया के विस्तार के तौर पर स्थापित इलेक्ट्रॉनिक माध्यम पर रोक लगाने की सीधी कोशिश  के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। 
इसे कुछ उदाहरणों से समझा जा सकता है उदाहरण के लिए कहीं दंगे हुए तो यह हमेशा से एक तय गाईडलाईन थी कि खबरों प्रसारित करते समय समुदाय का नाम उपयोग नहीं किया जाएगा पर अब यह किया जा रहा है। बकायदा समुदायों का बल्कि व्यक्तियों के नाम भी लिख दिए जाते हैं। 
इस गाईडलाईन के पीछे मकसद यह था कि अगर इस तरह से समुदाय या व्यक्ति का नाम प्रसारित किया गया तो समाज का माहौल और दूषित हो सकता है। पर अब यह ध्यान नहीं रखा जा रहा है। 
दूसरा सबसे बड़ा उदाहरण है दुष्कर्म की घटनाओं के बाद पीड़िता की पहचान उजागर कर देना अब आम होता जा रहा है। कभी परिवार के लोगों को इंटरव्यू, कभी पड़ोसियों का यह पहचान वालों से लाईव बातचीत भी दिखा दी जाती है। 
ऐसा करके मीडिया द्वारा उस रेप पीड़िता के बतौर इंसान मौलिक सम्मान के अधिकार का हनन तो होता ही है एक अघोषित प्रताड़ना भी उसके हिस्से आती है जिससे उसकी मानिसक शांति और भावनाओं को आघात पहुंचता है। परंतु अपने संवैधानिक मूल्यों और अधिकारों की जानकारी के अभाव में वह यह भी नहीं कह पाती कि आप यह सब मेरे साथ गलत कर रहे हैं। 



तीसरा सबसे बड़ा उदाहण है मुंबई के ताज होटल पर हुए हमले के दौरान मीडिया द्वारा अपने कार्यव्यवहार में बरता गया अतिउत्साही और लापरवाह रवैया। 
पत्रकारिता में यह वह गैरजिम्मेदाराना कार्यव्यवहार था जिससे देश की अस्मिता पर तो खतरा बढ़ा ही साथ ही उस समय आतंकवादियों से दो-दो हाथ कर रही हमारी सुरक्षा एजेंसियों के रास्ते भी मुश्किल कर दिए गए।
अमानवीयता का एक चेहरा यह भी है मीडिया का कि किसी सैनिक के शहीद होने पर या अन्य किसी दुर्घटना में किसी इंसानी मौत पर उनके परिजनों से पूछा जाना आपको कैसा लग रहा है? 
कुलमिलाकर यह कि पत्रकारिय कार्यव्यवहार में मानवीय संवदेना, मानवीय अधिकारों का संरक्षण, देश के सम्मान सुरक्षा के प्रति सजगता पहली और अनिवार्य शर्त पत्रकार को खुद पर ही लागू करनी चाहिए। 
चिंतनीय विषय यह है कि प्रिंट मीडिया भी कुछ हद तक अब इस तरह से समाचार प्रकाशित करने लगा है। 
मीडिया के इस कार्यव्यवहार से सोशल मीडिया पर हेट स्पीच का माहौल बनते-बनते यह समाज में भी व्याप्त होने लगा है। 
सिर्फ हेट स्पीच ही नहीं निजता के अधिकार का हनन भी जाने-अनजाने मीडिया द्वारा किया जा रहा है। किसी भी विषय या विवाद के सारे पहलू, तथ्य, पक्ष जाने बिना मीडिया ट्रायल जैसा माहौल बना दिया जाता है। यही ट्रेंड फिर सोशल मीडिया पर आकर संबंधित व्यक्ति के लिए मानसिक प्रताड़ना, सामाजिक अवहेलना या अपमान का कारण बनने लगता है। 



भारत में मीडिया को लेकर जो बहस चल रही है, उसके मुख्य बिन्दुओं में टीवी पर होने वाली बहसें 'पक्षपाती', 'दुर्भावना से भरी' और 'एजेंडा चलित' हैं। जैसी राय उभर कर सामने आ रही है। 
आज मीडिया भले ही तमाम रूपों में सूचनाओं और विचारों का प्रसार कर रहा है, लेकिन मौजूदा दौर में वर्चस्व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया यानी टीवी चैनलों का ही है। समाज में होने वाली किसी भी घटन-दुर्घटना आदि का पैमाना आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उपस्थिति से तय हो रहा  है। इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों में मसाला पत्रकारिता अब चरम दौर में है।
इसके विपरीत समाज का बौद्धिक और संजीदा वर्ग इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से दूरी बनाकर रखने लगा है। ऐसे में सवाल उस आम जनता का है कि इस दौर में वह क्या करे, जो अब भी मीडिया साक्षरता से दूर है? आम जनता वितंडावादी दृश्यों को ही हकीकत मान लेती है। शायद यही कारण देश के सर्वोच्च न्यायाधीश तक को अब मीडिया पर टिप्पणी करनी पड़ी है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कर्ताधर्ताओं को सर्वोच्च  न्यायालय की टिप्पणी को समझना चाहिए।
आमतौर पर, न्यायपालिका किसी मुद्दे पर सार्वजनिक विचार व्यक्त करने से बचती है, परन्तु  जब वह खुलकर बोलने लगे, तो समझना चाहिए कि वह उस मुद्दे को लेकर क्या सोच रही है? न्यायपालिका कुछ आगे करे, उससे पहले  मीडिया को खुद अपने अंदर झांकने की कोशिश करनी चाहिए।
अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन ने कहा था, ''यदि मुझे कभी यह निश्चित करने के लिए कहा गया कि अखबार और सरकार में से किसी एक को चुनना है तो मैं बिना हिचक यही कहूंगा कि सरकार चाहे न हो, लेकिन अखबारों का अस्तित्व अवश्य रहे। 
वर्तमान परिवेश में अगर सरकार और अखबार की जगह यह पूछा जाए कि आप मीडिया माध्यमों में से समाचार चैनल और अखबार में से किसी एक को चुनना है तो आप किसे चुनना पसंद करेंगे तो ज्यादातर जवाब यही आएंगे कि हम अखबार चुनना पसंद करेंगे।
इसके पीछे का जो मुख्य कारण समझ आता है वह यह कि कम से कम अखबारों के कंटेंट में इतनी विश्वसनियता तो बची ही है कि उसे संदर्भ के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। 
हालांकि इंटरनेट के दौर में यह भी बहुत बड़ा मुद्दा नहीं रह गया है, बावजूद इसके अगर पुख्ता संदर्भ सामग्री की आवश्यकता होती है तो व्यक्ति प्रिंट माध्यम पर ही भरोसा करता है। 
प्रिंट मीडिया में खबरों को प्रस्तुत करने का सलीका आज भी तथ्यपूर्ण और मर्यादित और संवैधानिक मूल्यों का अनुसरण करते परिलक्षित होता है पर फटाफट के चक्कर में टीवी मीडिया ने सारी लक्ष्मण रेखाएं पार कर ली हैं। 
इसी का नतीजा है कि सोशलमीडिया और टीवी मीडिया आज सवालों के घेरे में हैं। लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं है कि प्रिंट मीडिया पूरी तरह से कार्यव्यवहार में बरती गई लापरवाहियों से मुक्त है। 
कई बार संदर्भ सामग्री की त्रुटियां, बिना परखे गलत समाचार देना यहां भी होता है लेकिन उसमें खंडन जारी करने, भूल सुधार जैसी गुंजाईश बची हुई है जो कि टीवी और सोशल मीडिया में न के बराबर है। 
जितनी तेजी से ह्यूमर इन दोनों माध्यमों से फैलते हैं उतनी तेजी से उसकी हकीकत पता चलते बहुत देर हो जाती है। 
इसीलिए एक शब्द उपयोग में अब ज्यादा आने लगा है फेक न्यूज और फेक न्यूज आई तो फैक्ट चैक भी आया। 
कुलमिलाकर यह कि पत्रकारिय कार्यव्यवहार में मानवीय संवदेना, मानवीय अधिकारों का संरक्षण, देश के सम्मान सुरक्षा के प्रति सजगता पहली और अनिवार्य शर्त पत्रकार को खुद पर ही लागू करनी चाहिए। 
दूसरे शब्दों में कहें तो पत्रकारिता का कर्तव्य निभाते हुए सतत सजगता इसकी पहली शर्त है। दूसरी शर्त है प्रेस का लोकप्रहरी होना। तीसरी शर्त है लोक शिक्षक होना और चौथी शर्त है पत्रकार न पक्ष हो न प्रतिपक्ष हो अपितु जनपक्ष हो। 
पत्रकार का मुख्य दायित्व होता है कि वह समाज तक सही सूचना, सही रूप में पहुंचाए। क्योंकि उसकी सूचना नागरिकों को वैचारिक स्तर पर तो समृद्ध बनाती ही है, उन्हें  उनके अधिकारों के प्रति सजग भी करती है। सही सूचना सही रूप में देने से आशय कि समाचार की विषय-वस्तु  को तोड़-मरोड़कर पेश न किया जाए। क्योंकि इससे समाज में विपरीत माहौल निर्मित हो सकता है। सामाजिक सरोकार, समाज में शांति, न्याय व्यवस्था और मानवीय संवदेना हर समय पत्रकार के मन और मस्तिष्क में जागृत रहें।
लेकिन अब आए दिन ऐसे दृश्य देखने को मिल जाते हैं कि सोशल मीडिया या टीवी पर चलने वाली सूचनाओं से प्रभावित होकर समाज में माहौल प्रभावित होता है। 
आज से कुछ सालों पीछे देखें तो हम पाते हैं कि एक समय था जब पत्रकारिता का एक माध्यम प्रिंट पत्रकारिता इतना विश्वनीय हुआ करता था कि जो अखबार ने लिखा वही सच है। उससे इतर अगर मौखिक तौर पर कोई बात कोई तर्क दिया जा रहा है तो उसे सिरे से खारिज कर दिया जाता था। यह उस दौर के पत्रकारों का कार्यव्यवहार ही था जो कि जनता में इतना विश्वनीय था और कभी-कभी लोकमान्यताओं से उपर चला जाता था। 
तब संभवत: उद्दंडता और स्वतंत्रता के बीच की महीन लक्ष्मणरेखा को पत्रकार न सिर्फ समझते थे बल्कि उस पर अमल करके अपने कार्यव्यवहार में बरतते भी थे।
आज मीडिया अखबारों तक सीमित नहीं है परंतु इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेब मीडिया की तुलना में प्रिंट मीडिया की पहुंच और विश्वसनीयता कहीं अधिक है। प्रिंट मीडिया का महत्व इस बात से और बढ़ जाता है कि आप छपी हुई बातों को संदर्भ के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं और उनका अध्ययन भी कर सकते हैं। ऐसे में प्रिंट मीडिया की जिम्मेदारी और जवाबदेही भी निश्चित रूप से बढ़ जाती है। 
मानवाधिकार की बात करें तो संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकार मोटे तौर पर मानवाधिकार ही हैं। हर व्यक्ति को स्वतंत्रता व सम्मान के साथ जीने का अधिकार है चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, वर्ग का क्यों न हो। 
लोकतंत्र में मानवाधिकार का दायरा अत्यंत विशाल है। राजनैतिक स्वतंत्रता, शिक्षा का अधिकार, महिलाओं के अधिकार, बाल अधिकार, निशक्तों के अधिकार, आदिम जातियों के अधिकार, दलितों के अधिकार जैसी अनेक श्रेणियां मानवाधिकार में समाहित हैं। 
पत्रकारों के लिए भी मोटे तौर पर ये संवेदनशील मुद्दे ही उनकी रिपोर्ट का स्रोत बनते हैं। परन्तु मानवधिकार मुख्यत: एक राजनैतिक अवधारणा है, जिसका विकास और निर्वहन लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के अंतर्गत ही संभव है। 
एक विकासशील देश में जहां मानवाधिकारों का दायरा व्यापक है, वहां मीडिया के सहयोग के बिना सामाजिक बोध जगाना लगभग असंभव है। 
इसके लिए आवश्यक है कि पत्रकारों को आरंभ से ही मानवाधिकार मामलों की भी ट्रेनिंग दी जाए। उनके विषयों में भारतीय संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकारों की पढ़ाई, कानून की समझ इत्यादि शामिल किए जाएं तथा कार्यक्षेत्र में भी उन्हें पुलिस बीट, लीगल बीट आदि पर भेजने से पहले कुछ ट्रेनिंग दी जाए। 
आधी अधूरी तैयारी व सतही समझ से मुद्दे कमजोर पड़ जाते हैं और उनके समाधान की राह कठिन हो जाती है। 
भारत में पूर्णत: स्वतंत्र प्रेस की परिकल्पना आरंभ से ही रही है। 1910 के प्रेस एक्ट के खिलाफ बोलते हुए पं. जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि- “I would rather have a completely free press with all the dangers involved in the wrong use of the freedom than a suppressed or regulated press.” उन्होंने यह बात 1916 में कही थी। स्वतंत्रता पश्चात् प्रेस की स्वतंत्रता को समझते हुए संविधान में इसका प्रावधान किया गया। यहां यह उल्लेखित करना आवश्यक है कि प्रेस की स्वतंत्रता सिर्फ उसके मालिक, संपादक और पत्रकारों की निजी व व्यवसायिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं होती बल्कि यह उसके पाठकों की सूचना पाने की स्वतंत्रता और समाज को जागरुक होने के अधिकार को भी अपने में समाहित करती है। 
विचारों की अभिव्यक्ति के अधिकार में असहमति का अधिकार भी आता है। कोई भी लोकतंत्र तभी तक लोकतंत्र बना रह सकता है। जब तक लोग अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करते रहेंगे। चाहे वह राज्य के शासन की कितनी ही तीखी आलोचना क्यों न हो।

◾ ममता यादव / मल्हार मीडिया, भोपाल 
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सुरखी में कांग्रेसियों पर झूठे प्रकरण दर्ज कराए जा रहे है: प्रभुसिंह ठाकुर

सुरखी में कांग्रेसियों पर झूठे प्रकरण दर्ज कराए जा रहे है: प्रभुसिंह ठाकुर
▪️मंत्री गोविंद राजपूत ने आरोपों को नकारा


सागर। जिले के कुछ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। झूठे प्रकरण बनाकर उन्हें दबाव में लेने की कोशिश हो रही है। यह लोकतंत्र के लिए दुखदायी है। यह बात वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व मंत्री प्रभु सिंह ठाकुर ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि भाजपा अपनी नाकामी छुपाने जनता को मुद्दों से भटकाने का काम कर रही है।


 अतिक्रमण हटाने के मामलों में नियम अनुसार एक समान कार्रवाई होना चाहिए। इस समय किसान खाद के लिए परेशान है। गौवंश पूरी तरह असुरक्षित है। जिले के प्रशासनिक अधिकारी भाजपा नेताओं के दबाव में एकतरफा नियम विरूद्ध कार्रवाई कर रहे हैं। इन सब मुद्दों को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता जमीनी संघर्ष जारी रखेंगे। 

जेसीनगर में जबरन दुकानें तोड़ी

इस अवसर पर मौजूद जैसीनगर युवा कांग्रेस के नगर अध्यक्ष तुलसीराम घोषी ने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय मंत्री के इसारे पर जैसीनगर में 5 लोगों की दुकानें अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दी गई हैं। यहां के 64 दुकानदारों को नोटिस दिए गए थे। किन्तु कार्रवाई सिर्फ 4 लोगों पर की गई है। क्योंकि वे कांग्रेसी हैं। बीच में भाजपा के 2 लोगों की दुकानें है उन
पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने बताया कि प्रीतम घोषी, मनोज सेन, मेहताब सिंह, महेन्द्र घोषी और तुलसीराम घोषी की दुकानें तोड़ी गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि मंत्री जी की रीति नीति ठीक नहीं है। उन्होंने दल बदलकर कांग्रेस की सरकार गिराई थी। ऐसे में कांग्रेसजन उनके साथ नहीं है। वे सिर्फ दबाव बनाने की राजनीति कर रहे हैं। इस अवसर पर जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल चौबे भी मौजूद थे।

युवा कांग्रेस निकालेगी सुरखी बचाओ यात्रा

सुरखी विधानसभा क्षेत्र के युवा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गर्ग के नेतृत्व में 4 नवंबर से सुर्खी बचाओ यात्रा निकाली जाएगी यह यात्रा 4 नवंबर को सुर्खी से प्रारंभ होगी जो बिलहरा जैसीनगर होकर राहतगढ़ पहुंचेगी इस यात्रा में युवा कांग्रेस के 30 साथी चलेंगे ।जो सुरखी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किए जाने के विरोध में क्षेत्र में चल रही राजनैतिक व प्रशासनिक मनमानी के खिलाफ जनता को अवगत कराएंगे।
मंत्री गोविंद राजपूत ने आरोपों को नकारा
सागर जिले के जैसीनगर में हुई अतिक्रमण की कार्यवाही लगे आरोपों को मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने नकारते हुए कहा की सुरखी क्षेत्र में कभी किसी गरीब को नहीं सताया जाता है, न ही कहीं कोई गलत कार्यवाही होती है। कांग्रेस के द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि अतिक्रमण की कार्यवाही वही होती है जहां लोग सरकारी जमीन पर कब्जा किए रहते हैं और मेरे संज्ञान में ऐसी कोई बात नहीं है जैसीनगर में जो जनप्रतिनिधि है आपस में चर्चा करने के बाद तय करते हैं कहां क्या कार्रवाई होना है यहां अच्छे लोग भी है पढ़े लिखे लोग हैं सभी बैठकर निर्णय करते हैं और जो भी काम होता है गलत कहीं नहीं होता है कभी किसी गरीब को नहीं सताया जाता है सुर्खी क्षेत्र में ।

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सरदार पटेल और इंदिरा गांधी की जयंती कांग्रेस ने स्मरण कार्यक्रम आयोजित कर श्रद्धांजली दी

सरदार पटेल और इंदिरा गांधी की जयंती कांग्रेस ने स्मरण कार्यक्रम आयोजित कर श्रद्धांजली दी

   
सागर। अंतर्राष्ट्रीय नेत्री और पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी जी के बलिदान दिवस तथा लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती पर शहर जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा स्मरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में स्व इंदिरा जी व सरदार पटेल के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
राष्ट्र की एकता अखंडता के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले दोनों ही महान नेताओं के स्मरण दिवस पर कांग्रेस कार्यालय राजीव गांधी भवन में आयोजित कार्यक्रम के प्रारंभ में पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष रेखा चौधरी तथा उपस्थित कांग्रेसजनो ने उनके चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की।
               कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला कांग्रेस की निवृतमान अध्यक्ष रेखा चौधरी ने कहा कि आजादी के बाद भारत के नवनिर्माण में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के अनन्य सहयोगी व गृहमंत्री के रूप में सरदार पटेल ने देश की रियासतों को खत्म कर एक भारत का निर्माण किया था। इस एक भारत को मजबूत और विकसित राष्ट्र बनाने का काम श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा कि इंदिरा जी ने 1967 में जिस चीन को करारी शिकस्त देकर सबक सिखाने का काम किया था आज वही चीन भाजपा शासित मोदी सरकार की कमजोरी का फायदा उठाकर हमारी सीमाओं पर लगातार कब्जा कर रहा है।
               प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष त्रिलोकीनाथ कटारे ने कहा कि दोनो ही महान नेताओं के फौलादी निर्णयों के कारण ही उन्हें लौह व्यक्तित्व के रूप में दुनिया में प्रतिष्ठा हासिल की। सुरेंद्र सुहाने व मुन्ना चौबे ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता बताया। 
               प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ संदीप सबलोक ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि पण्डित नेहरू ने आजादी के बाद रियासतों में बटे भारत को अखंड भारत बनाने का काम सरदार पटेल के सहयोग से ही पूरा किया था। लेकिन विश्व की महाशक्ति के रूप में भारत को प्रतिष्ठा दिलाने का काम इंदिरा जी ने किया। उनके द्वारा पाकिस्तान को तोड़कर बांग्लादेश के निर्माण व सिक्किम व गोवा को भारत में मिलाकर दुनिया के नक्शे को बदलने का ऐतिहासिक काम किया है। लेकिन देश की सत्ता पर काबिज सरकार उनके योगदान को मिटाने में लगी है।
                     स्मरण कार्यक्रम में पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष रेखा चौधरी के साथ ही  मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष त्रिलोकी कटारे सुरेंद्र सुहाने पुरुषोत्तम मुन्ना चौबे प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ संदीप सबलोक दीनदयाल तिवारी ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष शरद पुरोहित पार्षद ताहिर खान महेश जाटव नीलोफर चमन अंसारी सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे  महिला सेवादल अध्यक्ष रजिया खान गोवर्धन रैकवार महेंद्र दुबे हेमराज रजक सुनील पावा प्रदीप कुल्फी प्रवक्ता डॉ दिनेश पटेरिया व आशीष ज्योतिषी समेत जितेंद्र सिंह चावला रंजीता राणा मानसींग चौधरी इम्तियाज़ हुसैन वीरू चौधरी कुंजीलाल लडिया साजिद राईन समेत बड़ी संख्या में कांग्रेस पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं ने उपस्थित होकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर राष्ट्र की एकता अखंडता और भाईचारे का संकल्प लिया।

                               
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कांग्रेस ने सरदार पटेल की जयंती व इंदिरा गांधी के बलिदान दिवस को पूरी श्रद्धा व गरिमा के साथ मनाया

कांग्रेस ने सरदार पटेल की जयंती व इंदिरा गांधी के बलिदान दिवस को पूरी श्रद्धा व गरिमा के साथ मनाया

लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी की जयंती व देश की पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी जी के बलिदान दिवस को ब्लॉक कांग्रेस कमेटी मकरोनिया के तत्वाधान में म.प्र. कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री श्री सुरेन्द्र चौधरी के मुख्यातिथ्य में पूरी श्रद्धा और गरिमा के साथ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर मनाया गया। जहां कांग्रेसजनों ने प्रातः रजाखेड़ी बजरिया स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा पर माल्यर्पण करते हुए देश की पूर्व प्रधानमंत्री स्व.इंदिरा गांधी जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किये।

कार्यक्रम में म.प्र.कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री श्री सुरेन्द्र चौधरी ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल व स्व. इंदिरा गांधी जी के द्वारा देश को सौंपी गई विरासत को बचाने का संकल्प लें तथा देश को बांटने वाली ताकतों को मुहतोड़ जबाब दें। कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेस नेता जीवन पटेल,ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष देवेंन्द्र कुर्मी, पार्षद कलु गोविन्द पटेल, प्रदेश कांग्रेस के सचिव राकेश राय,युवा कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष अशरफ खान,अमोल सिंह, मुल्ले चौधरी,युवा कांग्रेस अध्यक्ष राजा बुन्देला,मोतीलाल पटेल,धनश्याम पटेल,हर्ष वर्धन कुर्मी आदि ने विचार व्यक्त किये। 

कार्यक्रम में मुख्य रूप से जिला कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष देवेंन्द्र पटेल,कांग्रेस पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष शरद राजा सेन, अवदेश सिंह,बिहारी कुर्मी, मुकेश खटीक, रोहित वर्मा,अजय अहिरवार,कमल चौधरी, सुभाष अहिरवार,दिनेश कुर्मी, कमल चौधरी, राजेश कुर्मी, महेन्द्र पटेल, सोनू शुक्ला, हरप्रसाद पटेल, राजेन्द्र सिंह, दीपक कुर्मी,दुर्गेश अहिरवार आदि मौजूद थे।
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अग्रवाल विकास सभा के चुनाव,आलोक अग्रवाल अध्यक्ष एवं मोहन अग्रवाल हुए सचिव निर्वाचित

अग्रवाल विकास सभा के चुनाव,आलोक अग्रवाल अध्यक्ष एवं मोहन अग्रवाल हुए सचिव निर्वाचित

सागर ।अग्रवाल विकास सभा की प्रबंध कार्यकारिणी के निर्वाचन संपन्न हुए चुनाव में अग्रवाल समाज में काफी उत्साह देखने मिला। विकास सभा के सदस्यों ने लोकतांत्रिक प्रणाली से अपने मताधिकार का उपयोग करते हुए प्रबंध कार्यकारिणी को निर्वाचित किया। निर्वाचन प्रक्रिया में पुरुषो के साथ-साथ महिलाओं ने भी बढ़चढ़ कर सम्मिलित होकर अपने मताधिकार का उपयोग किया |

निर्वाचन अधिकारी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश सोनी ने बताया कि अग्रवाल विकास सभा के चुनाव में निर्वाचन हेतु 85 प्रत्याशियो का एक बृहद बेलेट पेपर तैयार किया गया था ।जिसमे पांच सदस्यों को टिक लगाकर वोट करना थी, जिसमे अधिकतम वोट की वरीयता के आधार पर प्रथम सात निर्वाचित सदस्यों को प्रबंध कार्यकारणी के रूप मे क्रमशः श्री आलोक अग्रवाल को अध्यक्ष, विवेक अग्रवाल को कोषाध्यक्ष, मोहन अग्रवाल को सचिव  राजेन्द्र अग्रवाल को उपाध्यक्ष,श्री मनीष अग्रवाल को सहसचिव एवं कार्यकारणी सदस्य के रूप मे श्री रूपकिशोर अग्रवाल एवं श्री आशीष अग्रवाल को निर्वाचित घोषित किया गया |
निर्वाचन अधिकारी सतीश जोशी  एवं डॉ जयंत दुबे  ने अग्रवाल विकास सभा की निर्वाचन प्रकिया को आदर्श प्रणाली बताते हुए सभी समाजो एवं ट्रस्ट्रो को यही प्रकिया अपनाने की बात कही |
गजेन्द्र गुप्ता एवं संतोष बैरागी  ने सभी निर्वाचित पदाधिकारियों को बधाई देते हुए सभी को साथ लेकर समाज हित कार्य करने की बात कही |अग्रवाल विकास सभा द्वारा निर्वाचन अधिकारियों को स्मृति चिन्ह भेट किया गया |

निर्वाचित अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने मतदान अधिकारियों एवं निर्वाचन प्रकिया मे भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया | सचिव मोहन अग्रवाल ने सभी वरिष्ठ समाज जनो से चर्चा कर समाज के मांगलिक भवन निर्माण और परिचय समम्मेलन आयोजित करने की बात कही |
निर्वाचन कार्य मे शिव कुमार भीमसरिया, राकेश गर्ग,मनोज अग्रवाल,कमल अग्रवाल, संजय अग्रवाल सीए, गीतेश अग्रवाल गोलू,अंशुमान अग्रवाल, रामकुमार अग्रवाल एडवोकेट,रिन्कू अग्रवाल, सौरभ अग्रवाल शगुन, अभिषेक अग्रवाल,शरद पोद्दार गौरव अग्रवाल,हिमांशु अग्रवाल आदि ने सक्रिय योगदान दिया |
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डा गौर विवि: सरदार पटेल जी की जन्म जयंती पर "एकता के लिए मार्च" का आयोजन

डा गौर विवि: सरदार पटेल जी की जन्म जयंती पर "एकता के लिए मार्च" का  आयोजन 

सागर. 31 अक्टूबर. डॉ हरीसिंह गौर विश्विद्यालय, सागर में विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के स्वयंसेवकों द्वारा सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म जयंती 31 अक्टूबर 2022 को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस  के रूप में मनाया गया । सरदार पटेल ने देश की रियासतों को एक करने में महती भूमिका निभाई थी, जिसके कारण उन्हें  लौह पुरुष के रूप में जाना गया । इसके उपलक्ष्य में 31 अक्टूबर को भारत सरकार द्वारा  रन फॉर यूनिटी का  आयोजन किया गया है। 

विश्वविद्यालय के शिक्षकों, प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों, शोधार्थियों एवम् विद्यार्थियों ने  "एकता के लिए मार्च" का आयोजन बालक छात्रावास के मुख्य गेट के सामने से नवीन प्रशासनिक भवन तक राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा संचालित किया गया । मार्च फॉर यूनिटी में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को माननीया कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता द्वारा प्रशासनिक भवन के सामने सरदार वल्लभ भाई पटेल के चित्र पर माल्यार्पण कर सभी को  एकता की शपथ दिलाई गई। विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री संतोष सोहगौरा, विभिन्न स्कूलों के निदेशक, प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थियो ने शपथ एवं एकता मार्च में सहभागिता कर राष्ट्रीय एकीकरण में भूमिका निभाई. 

इसी क्रम में विश्वविद्यालय के सावित्रीबाई फुले ( टीएलसी) भवन में दोपहर 2:30. पर समस्त विद्यार्थियों के लिए आशुभाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया. जिसका विषय "राष्ट्रीय एकीकरण में युवाओं की भूमिका" विषय पर केंद्रित था। इस प्रतियोगिता में अनेक विद्यार्थियों ने सहभागिता की।


प्रतियोगिता में डॉ आशुतोष, डॉ. वंदना विनायक ने निर्णायक के रूप में प्रथम स्थान पर प्रवीण उदय, द्वितीय स्थान पर खुशी सलूजा एवं तृतीय स्थान पर अजय सिंह का चयन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीत वालिया ने किया। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ संजय शर्मा ने सम्पूर्ण कार्यक्रम के लिए सभी की सहभागिता के लिए आभार जताया।
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सिटी स्टेडियम व इन्क्यूबेशन सेंटर बिल्डिंग के संचालन के लिए एजेंसी का चयन होगा▪️सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक

सिटी स्टेडियम व इन्क्यूबेशन सेंटर बिल्डिंग के संचालन के लिए एजेंसी का चयन होगा
▪️सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक 


सागर। 31 अक्टूबर 2022।सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड शहर में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के साथ नागरिकों की जीवन गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न परियोजनाओं के तहत निर्माणकार्य करा रही है। इन सभी परियोजनाओं में दी जाने वाली सुविधाओं का कुशलता के साथ संचालन सुनिश्चित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ सक्षम एजेंसियों के चयन का निर्णय लिया गया। सिटी स्टेडियम में दी गई खेल सुविधाओं व इन्क्यूबेशन सेंटर बिल्डिंग में कमर्शियल स्पेस, वर्किंग वुमन हॉस्टल आदि अन्य ऐसी परियोजनाओं के कुशल संचालन के लिए उक्त प्रोजेक्ट्स का प्रजेंटेशन विभिन्न एजेन्सियों की बैठक बुलाकर कराने और टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से सबसे श्रेष्ठ एजेंसी से इनका संचालन कराने का निर्णय सोमवार को सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में लिया गया। कलेक्टर सह अध्यक्ष एसएससीएल श्री दीपक आर्य की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई।
बैठक में कलेक्टर सह अध्यक्ष एसएससीएल श्री दीपक आर्य, नगर निगम आयुक्त सह कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ श्री चंद्रशेखर शुक्ला, डायरेक्टर्स श्री आरके पांडेय, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से श्री विजय गुप्ता, श्री नबरून भट्टाचार्य, श्री राजेंद्र सिंह ठाकुर, श्री केएल वर्मा मौजूद रहे। सीएस श्री रजत गुप्ता ने कार्यवाही का संचालन किया।
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में प्रस्ताव रखा गया कि अक्षय ऊर्जा के लिए सोलर पॉवर प्लांट जो कि ऊर्जा विभाग के माध्यम से स्मार्ट सिटी द्वारा विभिन्न स्थानों पर लगाया जाना है, वह 1000 किलोवॉट का सोलर पॉवर प्लांट राजघाट पर चिह्नित स्थल पर लगाया जाए। एक ही स्थल पर प्लांट होने से इसका रखरखाव बेहतर ढंग से किया जा सकेगा। निर्माणाधीन ट्रांसपोर्ट नगर के पास अमावनी में डंप कचरे व लेगीसी वेस्ट को हटाने का भी निर्णय लिया गया। इसके साथ ही बैठक में ऑडिटेड फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स आदि अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की गई।
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