संत और पत्रकारों की राष्ट्र निर्माण में भूमिका अहम: विरंजन सागर
◾ संभागीय पत्रकार अधिवेशन का आयोजन
सागर। राष्ट्र एक व्यापार नहीं एक परिवार है। जहां संतो और परकारों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। पत्रकारों के पास कलम है और दिगम्बर संतो के पास कमंडल है। कलम और कमंडल के संयुक्त आभामंडल से राष्ट्र की जय जय कार हो सकती है। यह बात पूज्य विरंजनसागर जी महाराज ने संभाग स्तरीय पत्रकार अधिवेशन में वर्णी वाचनालय में संबोधित करते हुए कही।
ज्ञात है कि अखिल भारतीय दिगम्बर जैन परिषद और गौराबाई दिगम्बर जैन ट्रस्ट एवं प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा संभाग स्तरीय पत्रकार अधिवेशन का आयोजन किया गया। जिसने संभाग स्तर के पत्रकार शामिल हुए| इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन एवं चित्र अनावरण कैलाश चन्द्र जी दाऊ,पूर्व विधायक सुनील जैन, मुकेश ढाना,हरी चौबे ने किया। मंगलाचरण की भव्य प्रस्तुति अनोखी पडेले ने दी। इसके बाद सभी पत्रकारों का सम्मान आयोजन समिति द्वारा किया गया। अधिवेशन के विषय भारतीय संस्कृति के उत्थान में पत्रकारों की भूमिका विषय पर वक्ता परकारों द्वारा व्याख्यान दिया गया।
इसके बाद छुल्लक विसौम्य सागर जी ने प्रवचन देते हुए कहा कि पहले खबर आती थी अब न्यूज़ आती है। समाचार का अर्थ होता हैसम और आचार अर्थात जो सम्यक विचारों को बतलाए वही समाचार हैं। उन्होंने कहा हमेशा अच्छा देखो अच्छा बोलो और अच्छा सुनो यदि आप सबके साथ अच्छा करते हैं तो आपके साथ भी अच्छा होगा। उन्होंने कहा संत सबसे बड़े पत्रकार होते हैं जो पूरे देश में अच्छी बातों को फैलाते हैं।
इसके बाद जैन संत पूज्य विरंजन सागर जी महाराज ने कहा कि पत्रकारों के पास शब्द होते हैं संतो के पास अर्थ होते हैं। पत्रकारों के पास कलम होती है संतो के पास कमंडल होता है। पत्रकार शब्दों से चीजों को प्रकाशित करते हैं। संत धर्म से समाज में उजियारा करते हैं। जो लड़ाई हथियारों और तोपों से नहीं जीती जा सकती वह कलम से जीती जाती है।
उन्होंने कहा यदि पत्रकारों का और संतों का संयुक्त योगदान हो जाए तो राष्ट्र का कल्याण हो सकता है। भारतीय संस्कृति में पत्रकारों की आवश्यकता अनादि काल से ही रही है। देव ऋषि नारद को उन्होंने दुनिया का पहला पत्रकार कहा। उन्होंने कहा भारत देश में राम महावीर और कृष्ण जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया है। इस देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था। पर आज हिंदुस्तान की संस्कृति पर पश्चिमी संस्कृति हावी हो गई है। उन्होंने कहा जो लोग अपने माता पिता को वृद्ध आश्रम में छोड़ देते हैं उन लोगों का नाम और उनकी तस्वीर अखबारों में आनी चाहिए ताकि सारी समाज को पता चले इस समाज में कैसे-कैसे लोग रहते हैं। उन्होंने कहा शब्दों में ब्रह्मा होता है और ब्रह् शक्ति निर्माण करती है विध्वंस नहीं। उन्होंने कहा आजकल लोग पत्रकारों की बुराई करते हैं पर इस राष्ट्र के निर्माण में पत्रकारों की अहम भूमिका है। घटनास्थल पर जाकर तत्वों का निरीक्षण करने पत्रकार रात रात भर जाकर जोखिम में खुद को डालकर खबरें तैयार करते हैं उनका सम्मान होना चाहिए अपमान नहीं।
उन्होंने कहा संत और पत्रकार इस राष्ट्र के निर्माण में विशेष भूमिका निभा सकते हैं। अंत में उन्होंने कहा पत्रकारों तुम कलम तैयार रखना मैं कमंडल तैयार रखूंगा। कलम और कमंडल के आभामंडल से हम कोशिश करेंगे हिंदुस्तान की संस्कृति की जय जय कार करें। इस कार्यक्रम में विशेष रुप से राकेश चच्चा जी, श्रीमती निधि जैन, पूर्व विद्यायक सुनील जैन जी का सहयोग रहा। संपूर्ण कार्यक्रम में प्रदीप जैन बिलहरा, कवि अखिल जैन संजय सवाई राजीव गायक आदि उपस्तिथ रहे। आमंत्रित पत्रकारों में राजेश राजी बक्सवाहा, राजेंद्र जैन अटल, आशीष जैन दमोह, स्वदेश तिवारी, विनोद आर्य,अभिषेक यादव, रेशू जैन,मुकेश ढाना, अवनीश जैन संघी,राजेश श्रीवास्तव, अरविंद रवि, रश्मि ऋतु आदि उपस्तिथ रहे। कार्यक्रम का संचालन मनीष शास्त्री और आलोक जैन ने किया।