गौर विवि: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की राष्ट्र के विकास में महती भूमिका- कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता
◾समतामूलक शिक्षा व्यवस्था समय की सबसे बड़ी आवश्यकता- प्रो. सुमित्रा कुकरेती
सागर. डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में शिक्षक पर्व 2022 के अंतर्गत दिनांक 05 सितंबर को शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में किया गया. कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट वक्ता इग्नू, नई दिल्ली की उपकुलपति प्रो. सुमित्रा कुकरेती एवं विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त अधिष्ठाता प्रो. डीपी गुप्ता की उपस्थिति रही. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की. अतिथियों ने ज्ञान की देवी सरस्वती और डॉ. गौर की प्रातिमा पर माल्यार्पण किया. फैकल्टी अफेयर्स के निदेशक प्रो. पी. के. कठल ने स्वागत वक्तव्य दिया एवं शिक्षक पर्व 2022के अंतर्गत आयोजित किये जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की.
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की राष्ट्र के विकास में महती भूमिका- कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि शिक्षण एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें एक बार जुड़ जाने पर वह आजीवन इससे जुड़ा रहता है. एक शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होता है. सेवा से अलग होने पर भी उनके ज्ञान एवं अनुभव का लाभ बहुत महत्त्वपूर्ण हैं जो हमें भविष्य की दिशा दिखाती हैं. उन्होंने विवि के सभी सेवानिवृत शिक्षकों से अपने ज्ञान और अनुभवों को साझा करने का आवाह्न किया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी और महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी शिक्षकों की है. इस नीति के अनुसार पाठ्यचर्या बनाने में विश्वविद्यालय तेजी से कार्य कर रहा है. हमारी जिमीदारी समाज और विद्यार्थी दोनों के प्रति है. हमें स्वयं को पहचानना होगा और एक समग्र अप्रोच के साथ आगे बढ़ना होगा तभी हम विद्यार्थियों के भी समग्र व्यक्तित्व का विकास कर पाने में सक्षम होंगे. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से ही देश के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा. उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षकों की विभिन्न उपलब्धियों पर बधाई देते हुए सभी को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दीं.
समतामूलक शिक्षा व्यवस्था समय की सबसे बड़ी आवश्यकता- प्रो. सुमित्रा कुकरेती
विशिष्ट वक्ता प्रो .सुमित्रा कुकरेती ने कहा कि गुरु की महिमा के बारे में हम बचपन से सुनते आये हैं. व्यक्ति के जीवन में शिक्षक की बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. शिक्षा एक त्रिध्रुवीय व्यवस्था है जिसमें विद्यार्थी, पाठ्यचर्या और शिक्षक तीन महत्त्वपूर्ण स्तम्भ होते हैं. समाज की जरूरत, विद्यार्थी की क्षमता और आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पाठ्यचर्या का निर्माण करना शिक्षक की जिम्मेदारी है. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं इसके क्रियान्वयन के कई पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की.
उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के इस समय में शिक्षकों के समक्ष बहुत सी चुनौतियां हैं. आज के विद्यार्थी को इंटरनेट पर मौजूद ज्ञान से आगे की जानकारी की आवश्यकता महसूस होती है. इसके लिए शिक्षक को और अधिक ज्ञान संसाधनों से लैस होने की जरूरत है. इस वैश्वीकृत समय में हमें तुलनात्मक रूप से चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहना होगा तभी हम अपने इक अलग पहचान बनाने में कामयाब हो पायेंगे. उन्होंने कौशल, भारतीय ज्ञान परंपरा, संस्कृतिबोध, सिद्धांत एवं प्रयोग के बीच सामंजस्य, बहुभाषिकता, नवाचार, मूल्य जैसे कई चीजों को शामिल करते हुए नवीन शिक्षण शास्त्र विकसित करने की बात कही. उन्होंने कहा कि आज समतामूलक शिक्षा की आवश्यकता है और यह हमारे लिए एक चुनौती भी है.
शिक्षा पर्यटन का केंद्र बनेगा भारत-प्रो डी पी गुप्ता
विशिष्ट वक्ता प्रो डीपी गुप्ता ने कहा कि हम देश को अच्छे मुकाम पर देखना चाहते है. शिक्षा का उपयोग कर देश का विकास करने का प्रयास शिक्षा नीति द्वारा करने का प्रयत्न पहली बार हुआ है. उन्होंने विभिन्न आंकड़ों के जरिये बताया कि 60 से 90 प्रतिशत तक संस्थानों की शिक्षा व्यवस्था औसत से भी कम है. देश में अभी भी गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा का अभाव है जिसके विद्यार्थी बाहर जाकर पढ़ते हैं।
उन्होंने अपने देश में ही गुणवत्ता पूर्ण संस्थान बनाने की बात कही. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालय, अन्तरानुशासनिकता, बहुभाषिकता जैसे प्रयास सराहनीय हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा पर जीडीपी के खर्च के प्रतिशत को बढ़ाना होगा. उन्होंने दूसरे देशों की शिक्षा व्यवस्था एवं आंकड़ों का उदहारण देते हुए भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अच्छी पहल बताया और कहा कि कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रम देश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाएंगे. अर्थव्यवस्था, तकनीकी दक्षता और आत्मनिर्भरता, विकास आदि सभी बिना शिक्षा के संभव नहीं है.
विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षकों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम में पिछले अकादमिक सत्र में विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षकों को मंचासीन अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया जिसमें व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित प्रो. आर पी मिश्रा, प्रो. जे डी आही, प्रो. आर. के. त्रिवेदी, प्रो. फरीद खान, प्रो. अर्चना पांडेय, प्रो. ए. पी. दुबे को शाल, श्रीफल, पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया. कार्यक्रम का संचालन डॉ आशुतोष एवं डॉ. वंदना राजौरिया ने किया. आभार ज्ञापन शिक्षा विभाग के अधिष्ठाता प्रो. जी एस गिरी ने किया।
समारोह में विश्वविद्यालय शिक्षक प्रो. एडी शर्मा, प्रो. नवीन कानगो, प्रो. आशीष वर्मा, प्रो. दिवाकर राजपूत, प्रो. चंदा बेन, प्रो. उमेश पाटिल, प्रो. श्वेता यादव, डॉ. राजेन्द्र यादव, डॉ. हिमांशु, डॉ. राकेश सोनी, डॉ. अवधेश, डॉ. आर पी सिंह, डॉ. वंदना विनायक सहित अनेक शिक्षक, अतिथि शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित रहे.