बिना भवन व संसाधनों के दे दी स्कूल की मान्यता, हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब
सागर में सरस्वती शिशु मंदिर कक्षा एक से लेकर आठवीं तक की मान्यता दिये जाने को हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है । दायर मामले में दावा है कि स्कूल के पास न तो स्वयं का भवन है और न ही किसी प्रकार के पर्याप्त संसाधन । इसके बावजूद भी उन्हें मान्यता प्रदान की गई, जबकि पूर्व में उक्त स्कूल याचिकाकर्ता गौ सेवा संघ सागर के दो कमरों में किराये से संचालित होता आ रहा है । चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई 13 जुलाई 2022 के पश्चात् अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं । युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त को निर्धारित की है ।
यह जनहित का मामला गौ सेवा संघ सागर के अध्यक्ष श्री लालचंद घोषी की ओर से दायर किया गया है। जिसमें कहा गया कि सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल मोतीनगर सागर ने वर्ष 2006 मेें गौ सेवा संघ सागर से एक एग्रीमेंट कर दो कमरे किराये पर लेकर केजी- वन, केजी-टू का संचालन शुरू किया था । एक्त एग्रीमेंट 11 महीने का था , उसके बाद उसका रिन्यूवल नहीं हुआ । इसके बाद स्कूल ने वर्ष 2011 में कक्षा एक से आठवीं तक की कक्षाओं की मान्यता के लिये जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय मं आवेदन किया, जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से आपत्ति पेश की गई और बताया गया कि स्कूल के पास न तो बिल्डिंग है और न ही पर्याप्त संसाधन, यदि ऐसे में कक्षाएं बढ़ाने की अनुमति दी गई तो बच्चों का भविष्य खतरे में होगा । इसके बावजूद डीईओ ने स्कूल को कक्षा आठवीं तक की मान्यता प्रदान कर दी, जबकि उक्त स्कूल किराये के भवन में है, जिससे संबंधित दस्तावेज भी उनके पास नहीं हैं । मामले में प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, डायरेक्टर स्कूल शिक्षा विभाग कलेक्टर सागर, जिला शिक्षा अधिकारी सागर, ब्लॉक एजुकेशन आफीसर व अध्यक्ष सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल मोतीनगर सागर को पक्षकार बनाया गया है। मामले की सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं । याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता काशीराम पटेल ने पैरवी की ।