डॉ गौर विवि : ‘मोदी@20: ड्रीम्स मीट डिलिवरी’ पर केंद्रित परिचर्चा एवं व्याख्यान का आयोजन
सागर, 03 अगस्त. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के सामाजिक एवं राजनीतिक योगदान को रेखांकित करने वाली पुस्तक ‘मोदी@20: ड्रीम्स मीट डिलिवरी’ पर केंद्रित परिचर्चा एवं विशेष व्याख्यान का आयोजन विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में 03 अगस्त को प्रातः 11 बजे से आयोजित किया गया. विवि की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. डॉ हरीसिंह गौर एवं देवी सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ. सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया. कार्यक्रम की मुख्य समन्वयक एवं विवि की वरिष्ठ आचार्य प्रो जे डी आही ने स्वागत भाषण देते हुए पुस्तक के विभिन्न खण्डों का सार प्रस्तुत किया और इसके महत्त्व को रेखांकित किया.
अंतर्विरोधों से ऊपर उठकर देश के लिए कार्य करना ही सर्वोच्च प्राथमिकता- प्रो. संजीव शर्मा
व्याख्यान सत्र के मुख्य अतिथि महात्मा गांधी केन्द्रीय विवि, मोतिहारी (बिहार) के पूर्व कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने अपने उद्बोधन में महाभारत का उल्लेख करते हुए कहा कि शासक ही सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक रूपांतरण का कारक होता है. आज हम जो आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे है, यह वास्तव में राजनैतिक स्वतंत्रता का उत्सव है. लेकिन हमे अभी नए आयामों में स्वतंत्रता प्राप्त करना है. उन्होंने कहा कि ब्रिटिशों ने सम्पूर्ण संसाधन का दोहन किया. आज़ादी के बाद कई आयामों में हम साधन संपन्न हुए. इसी के साथ उन्होंने कहा कि देश की जनता में आकर्षण पैदा करने वाले प्रधानमंत्री कम ही हुए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ऐसे ही आकर्षक व्यक्तित्व हैं जिनके प्रति जनता में आकर्षण के साथ ही उन्हें सम्मान भी हासिल है. एक स्वप्नद्रष्टा और कर्मठ प्रधान शासक को जनता ह्रदय से स्वीकार करती है. प्रधानमंत्री मोदी का व्यक्तित्व इसी रूप में है. हमें सारे राजनीतिक, सामाजिक अंतर्विरोधों से ऊपर उठकर देश के लिए कार्य करना चाहिए. वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को आत्मसात कर आज का भारत आत्मनिर्भरता और सशक्त भूमिका के साथ प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. मुख्य अतिथि का परिचय प्रो. यू, के. पाटिल ने प्रस्तुत किया.
सपनों को सच करने के लिए लगन और प्रतिबद्धता जरूरी- प्रो. नीलिमा गुप्ता
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि अक्सर सपने देख कर लोग भूल जाते हैं. रात या दिन में देखे गये सपने का यूं ही सच हो जाना और खुद के सपने को सच करके दिखाना, दोनों में बहुत अंतर है. हमें खूब सपने देखने चाहिए और उन्हें कर्मठता और लगन से पूरा करने के लिए मेहनत करनी चाहिए. स्वच्छता अभियान, नमामि गंगे परियोजना, कोरोना आपदा प्रबंधन, आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना, डिजिटल इंडिया, गुड गवर्नेंस, जन धन जैसी जनप्रिय योजनाओं का सूत्रपात और इनका सफल क्रियान्वयन सपनों का ही परिणाम है जो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में क्रियान्वित हुईं. उनके सपने और उन सपनों को सच कर दिखाने की यात्रा-संसार को इस पुस्तक में उल्लिखित किया गया है. हमें श्री मोदी जी के संकल्पों से सीख लेकर अपने जीवन में प्रेरणादायी बातें लागू करना चाहिए ताकि हम स्वयं, समाज और देश हित के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर सकें..
*पुस्तक चुनौतियों से सामना करने का हौसला देती है- कपिल मलैया*
परिचर्चा सत्र में पुस्तक पर त्वरित टिप्पणी करते हुए सागर शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी कपिल मलैया ने सभी से इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक को पढने का आग्रह किया, उन्होंने कहा कि यह पुस्तक जीवन में आने वाली चुनौतियों को पार करने का हौसला तथा सकारात्मकता के साथ जीवन में आगे बढ़ने की सीख देती है. उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की बदलती भूमिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत की जनसँख्या अधिक अवश्य है लेकिन यह हमारे लिए एक शक्ति भी है. इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए.
कुशल राजनीतिक नेतृत्व से ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण संभव है- कर्नल धाकड़
एनसीसी के ग्रुप कमांडर कर्नल एन.एस. धाकड़ ने पुस्तक को सभी के लिए प्रेरणादायी बताते हुए कहा कि मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद नेशन फर्स्ट की अवधारणा को और अधिक मजबूती मिली. उन्होंने भारत की बढ़ती सामरिक सुदृढ़ता और क्षमता पर बोलते हुए कहा कि वर्तमान भारतीय सेना बहुत समर्थ, सशक्त और आत्मनिर्भर है. पहले हम हथियारों की तकनीक और उपलब्धता के मामले में दूसरे देशों पर काफी निर्भर थे लेकिन अब हथियार एवं तकनीक के मामले में भारत तेज़ी से आत्मनिर्भर बन रहा है. यह एक कुशल राजनीतिक नेतृत्व से ही संभव है.
*कोविड वैक्सीन निर्माण कर भारत ने विश्व पटल पर ख्याति अर्जित की- डॉ. वर्मा*
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ आर एस वर्मा ने कहा कि पुस्तक कठिन परिस्थितियों में उत्साह के साथ काम करने के लिए प्रेरित करती है. उन्होंने कहा कि सरकारी चिकित्सा व्यवस्था ने कोरोना संकट के समय लोगों की काफी मदद की जिसमें पूरी व्यवस्था ने प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता के साथ कार्य किया. सरकारी व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बढ़ा है. भारत ने सबसे आगे आते हुए वैक्सीन निर्माण और निर्यात का काम किया और विश्व पटल पर भारत ने परचम लहराया है.
भारतीय ज्ञान परंपरा के बोध से ही आत्मनिर्भर बनेगा भारत- डॉ. संजय शर्मा
शिक्षाशास्त्री डॉ संजय शर्मा ने कहा कि इस पुस्तक के पाठकों को किसी व्यक्ति विशेष से न जोड़कर उसे एक फेनोमेना के रूप में देखना चाहिए. भारतीय नेतृत्व की संकल्पना को इस पुस्तक के माध्यम से पुनः परिभाषित किया गया है. राष्ट्र सरोकारी एवं राष्ट्रीय एकीकरण से जुड़े सवाल पर डॉ शर्मा ने कहा कि भारत की औपनिवेशिक परंपरा पर होने वाली चर्चाओं एवं विमर्शों के माध्यम से ही एकीकरण की भावना को विकसित किया जा सकता है. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में बदलती भारतीय शिक्षा पद्धति का उद्धरण देते हुए पुस्तक के समग्र दृष्टिकोण को स्पष्ट किया .
भारत का साभ्यातिक-सांस्कृतिक स्वाभिमान बढ़ा है- प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा
प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री प्रो ए डी शर्मा ने पुस्तक को भारत की विजयगाथा का आख्यान बताते हुए कहा कि भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने की संकल्पना इस पुस्तक के माध्यम से की गयी है. पाठक को सिर्फ तथ्यात्मक प्रमाणों से ऊपर आकर निहित अर्थ को समझना चाहिए. पुस्तक को तैयार करने नींव पर दृष्टिपात करना चाहिए तभी सही अर्थों में इसके महत्त्व को समझा जा सकता है. पहली बार देश में आर्थिक निजीकरण और नागरिक सुरक्षा दोनों में संतुलन देखने को मिला है. आज भारत का साभ्यातिक-सांस्कृतिक स्वाभिमान बढ़ा है.
कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं द्वारा पुस्तक पर केंद्रित बनाए गये पोस्टर की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई. अंत में पुस्तक से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजित प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया. युवक छात्रावास के लिए आयोजित निबंध प्रतियोगिता में सत्यम दीवान ने प्रथम, राहुल ने द्वितीय एवं अभिषेक त्रिपाठी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. महिला छात्रावास के लिए आयोजित निबंध प्रतियोगिता में अनन्या मौर्य ने प्रथम, प्रज्ञा दुबे ने द्वितीय एवं प्रिया और अंकिता मेहरा ने तृतीय स्थान अर्जित किया. पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता में अंजलि जैन ने प्रथम, अभिषेक और महेंद्र ने द्वितीय, एवं कृष्णा और अतुल ने तृतीय स्थान अर्जित किया. राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.
कार्यक्रम का मॉडरेशन एवं संचालन डॉ आशुतोष ने किया एवं आभार ज्ञापन प्रो अम्बिका दत्त शर्मा ने किया. कार्यक्रम में शिक्षक प्रो नवीन कानगो, डॉ राकेश सोनी, प्रो वन्दना सोनी, प्रो चंदा बेन, प्रो अशोक अहिरवार, प्रो आशीष वर्मा, प्रो ए पी मिश्रा, प्रो सुबोध जैन, डॉ. श्री भागवत, डॉ. पंकज तिवारी, डॉ राजेन्द्र यादव, डॉ हिमांशु, डॉ वीरेंद्र मत्सानिया सहित कई शिक्षक एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं शोधार्थी, अधिकारीगण, कर्मचारी, प्रबुद्ध पत्रकारगण एवं सागर शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.