MP : महापौर व नगरपालिका, नगरपरिषद के अध्यक्ष पद के चुनाव सीधे जनता करेगी
★ प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने अध्यादेश के लिए आयुक्त को किया सूचित: नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह
भोपाल।नगरीय निकायों और पंचायत चुनावों के बीच सुप्रीम कोर्ट के ओबीसी आरक्षण के फैसले के बाद मचे घमासान के बीच शिवराज सरकार एक बड़ा बदलाव नगरीय निकायों के महापौर, नगरपालिका, नगरपरिषद के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर कर रही है। अब नगर निगमों में महापौर, नगर पालिका एवं नगर परिषदों में अध्यक्ष पद के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाएंगे, यानी इन्हें सीधे जनता चुनेगी। इसके लिए नगरीय निकाय विभाग अध्यादेश बना रहा है। नगरीय विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह के मुताबिक चूंकि महापौर या अध्यक्ष पूरी जनता का होता है इसलिए सीधे चुनाव होना चाहिए। इसके अध्यादेश के लिए आयुक्त को सूचित कर दिया गया है।
शिवराज सरकार अध्यादेश के जरिये कमल नाथ सरकार के उस फैसले को पलट देगी, जिसके अनुसार महापौर और अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता द्वारा न करके पार्षदों के माध्यम से होना था। राज्य निर्वाचन आयोग की अभी तक कि चुनावी प्रक्रिया में कमलनाथ सरकार का अप्रत्यक्ष प्रणाली ही चल रही थी। प्रदेश के दो निकायों में अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव हुए।
प्रत्यक्ष प्रणाली में पार्षदो की खरीद फरोख्त नही होगी : नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र
नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि महापौर या नगरपालिका का अध्यक्ष पूरे शहर का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए जनता से निर्वाचित होना चाहिए।इसमें पार्षदों की जोड़तोड़ खरीदफरोख्त की गुंजाईश नंही रहती है। निष्पक्षता से चुनाव होता है। जनता को अपना महापौर - अध्यक्ष चुनने का मौका मिलता है। एक अध्यादेश बदलाव के लिए ला रहे है। आयुक्त को इसके बारे में सूचित कर दिया है।
शिवराज सरकार ला चुकी है अध्यादेश ,लेकिन समाप्त हो गया था
कमलनाथ सरकार के बदलने के बाद शिवराज सरकार अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव के फैसले को पलटने विधानसभा में अध्यादेश लाई थी। दिसंबर 2020 में पलटने के लिए कैबिनेट से पारित करवाया था। लेकिन विधानसभा से विधेयक पारित नहीं होने के चलते यह अध्यादेश स्वत: समाप्त हो गया था।वर्ष 2019 में तत्कालीन कमल नाथ सरकार ने मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर महापौर, नगर पालिका एवं नगर परिषद के अध्यक्षों के सीधे निर्वाचन को खत्म कर दिया था। यानी इन पदों पर निर्वाचन पार्षदों द्वारा होने का नियम लागू हो गया था, जो आज भी प्रभावशील है।