सागर क्षेत्र में लग रहे हैं शताधिक स्थानों पर जेन समाज के संस्कार शिक्षण शिविर, 5 मई से 15 मई तक
सागर। श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान साँगानेर जयपुर द्वारा सागर संभाग क्षेत्र के शताधिक स्थानों पर श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण शिविरों का आयोजन ग्रीष्मावकाश कर रही हैं। सम्पूर्ण भारत वर्ष में इन शिविरों का आयोजन चल रहा है। उसी तारतम्य में, संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद एवं निर्यापक मुनिपुंगव सुधा सागरजी महाराज की पावन प्रेरणा से 5 मई से 15 मई 2022 तक शिविरों का आयोजन किया जा रहा हैं। श्रमण संस्कृति संस्थान साँगानेर अनेक वर्षों से नैतिक शिक्षा, धार्मिक शिक्षा एवं राष्ट्र निर्माण भूमिका निभाने के लिए बालआबाल को शिक्षित कर रही हैं।
सागर संभाग क्षेत्रीय प्रभारी डॉ. आशीष जैन आचार्य शाहगढ़ ने बताया कि 5 मई से प्रारंभ होने शिविर - सागर शहर के नेहा नगर, पायगा, लिंक रोड, अर्हत्कूट जिनालय आदि एवं आसपास के क्षेत्र शाहगढ़,बडागाँव धसान, पथरिया, देवरी, राहतगढ़, खडेरी, बड़ामलहरा, हीरापुर, बंडा, कर्रापुर, मालथौन आदि अनेक स्थान पर लगेंगे। इन शिविरों में लगभग 5000 शिविरार्थी भाग लेंगे और लगभग 100 से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाएँ
अध्यापन करायेंगे। सभी शिविरों का सामूहिक समापन समरोह 15 मई 2022 को आर्यिका दृढमति माताजी के सान्निध्य में भाग्योदय तीर्थ सागर पर होने की निश्चय चल रहा है। शिविरों के सफल संचालन के लिए श्री सुनील सुधाकर शास्त्री द्रोणगिरि, श्री आनंद जैन शास्त्री रामटौरिया, श्री अरिहंत शास्त्री बडामलहरा, श्री सुनील शास्त्री खरगापुर, श्री कपिल शास्त्री सेसई आदि अनेक विद्वानों का सहयोग प्राप्त हुआ है।
नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देते हैं ये शिक्षण शिविर - डॉ. आशीष जैन आचार्य
संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद एवं निर्यापक मुनिपुगंव सुधासागरजी महाराज की प्रेरणा से सागर संभाग क्षेत्र में श्रमण संस्कृति संस्थान साँगानेर जयपुर द्वारा आयोजित होने वाले श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण शिविरों के सफल संचालन हेतु 4 मई 2022 को श्री दिगम्बर जैन वर्णी भवन मोराजी सागर में शिक्षण शिविर कार्यशाला एवं पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। डॉ. आशीष जैन आचार्य शाहगढ़ बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य है नैतिक संस्कारों को बढ़ाना, राष्ट्र के प्रति समर्पण और निष्ठा का भाव जागृत करना, जीव मात्र के प्रति दया का भाव और सौहार्द्र-प्रेम की भावना के साथ-साथ हित-अहित का परिज्ञान। आज युवापीढ़ी नैतिक मूल्यों से दूर होती जा रही है, व्यसनों की प्रवृत्तियाँ बढ़ रही है, दया और प्रेम के भावों में भी कमी आयी है, ऐसे में एक स्वस्थ्य उद्देश्य लेकर हम कार्य करने आये हैं। इन शिविरों में लगभग 5000 से अधिक शिविरार्थी सम्मिलित होंगे और 100 से अधिक अध्यापक विद्वानों द्वारा अध्यापन कराया जायेगा। यह कार्यशाला अध्यापक विद्वानों को मार्गदर्शन और आयोजन संबंधी दिशा-निर्देशों के लिए आयोजित की गई हैं। जिसका उद्देश्य यही है कि जनजन तक इन शिविरों के नैतिक मूल्यों की चर्चा हो, और जो भी इन शिविरों की खबरों से मुखातिब हो, वह अपने जीवन में नैतिक मूल्यों को प्रकट कर सकें। इस मौके पर कार्यक्रम के पोस्टर और कैलेंडर का विमोवन किया गया।