छोटे-छोटे कांधों पर हैं भारी-भारी बस्ते,मंद-मंद मुस्कान बिखेरें सबको करें नमस्ते"
★ कवि पुष्पदंत को साहित्य-संस्कृति जगत ने दी श्रद्धांजली
सागर। नगर के लोकप्रिय कवि पुष्पदंत हितकर के निधन पर सागर के साहित्य-संस्कृति जगत ने शुक्रवार को श्यामलम् संस्था द्वारा जे जे इंस्टिट्यूट सिविल लाइंस में आयोजित गरिमामय कार्यक्रम के माध्यम से श्रद्धांजली अर्पित की। कार्यक्रम की शुरुआत में श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने हितकर जी का जीवन परिचय देते हुए उनकी रचनाओं को पुस्तकाकर में प्रकाशित करने की बात कही।उनके अभिन्न साथी गायक कवि शिखरचंद शिखर ने उनके साथ बिताए क्षणों को अश्रुपूरित नेत्रों के साथ उल्लेखित किया। कथाकार डॉ.सुश्री शरद सिंह ने उनके बारे में बहिन स्व.डॉ.वर्षा सिंह द्वारा सागर के साहित्यकारों पर लिखी श्रंखला में पुष्पदंत के ऊपर लिखे गए लेख का वाचन करते हुए उनकी बाल-कविता "छोटे-छोटे कांधों पर हैं भारी-भारी बस्ते,मंद-मंद मुस्कान बिखेरें सबको करें नमस्ते" का उल्लेख कर आंखें नम कर दीं।
आशीष ज्योतिषी ने पुष्पदंत से पारिवारिक संबंधों को उद्धृत किया।महिला काव्य मंच अध्यक्ष डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने कहा कि भले ही वे विभिन्न आयोजनों में पिछली पंक्ति में बैठे रहते थे किंतु उनका आभा मंडल पूरे वातावरण को प्रभावित करता था। सहपाठी अखिलेश शर्मा ने विश्वविद्यालयीन छात्र जीवन के संस्मरण सुनाए। श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया, कवि पूरनसिंह राजपूत, कवि मुकेश तिवारी,डॉ.अनिल जैन, डॉ.अशोक कुमार तिवारी, कवि डॉ.बी डी पाठक, संस्कृति कर्मी अतुल श्रीवास्तव, कवि वीरेन्द्र प्रधान, हिन्दी सेवा समिति अध्यक्ष जे एल राठौर प्रभाकर, श्रीराम सेवा समिति अध्यक्ष डॉ.विनोद तिवारी,पी आर एस वेलफेयर सोसायटी अध्यक्ष प्रदीप पाण्डेय ने भी हितकर से जुड़े संस्मरण व्यक्त करते हुए उन्हें एक सहृदयी, सौम्य,सरल और मिलनसार व्यक्ति के रूप में अभिव्यक्त करते हुए उनके निधन को सागर के साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति बताया। संचालन स्वर संगम समिति अध्यक्ष हरीसिंह ठाकुर ने किया।
कार्यक्रम में डॉ.आशीष द्विवेदी, हरी शुक्ला,संतोष पाठक,डॉ.आर आर पाण्डेय,डॉ.ऋषभ भारद्वाज ने भी हितकर को भावभीनी श्रद्धांजली दी।
स्व. हितकर के पुत्रों पंकज व राकेश ने कृतज्ञता ज्ञापित की। कार्यक्रम के अंत में दो मिनिट का मौन रखकर श्रद्धांजली अर्पित की गई।