" महाकाल के अद्भुत प्रसंग " महाकाल की ही प्रेरणा है-आनंद कुमार शर्मा
सागर । सागर की प्रतिष्ठित संस्था "श्यामलम्" के तत्वावधान में वरदान होटल सिविल लाइंस के सभागार में पूर्व आयुक्त सागर एवं मुख्यमंत्री के विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी आनंद कुमार शर्मा की पुस्तक "महाकाल के अद्भुत प्रसंग" पर चर्चा हुई जिसमें मुख्य अतिथि साहित्यकार डा. सुरेश आचार्य, अध्यक्षता कवयित्री डा. चंचला दवे,विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शुक्ला आयुक्त सागर एवं श्री आर पी अहिरवार नगर निगम आयुक्त सागर, चर्चा विश्लेषक उपन्यासकार सुश्री डा.शरद सिंह व डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में संस्कृत प्राध्यापक डा. शशिकुमार सिंह मौजूद रहे ।
कार्यक्रम की शुरुआत मे मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन पश्चात् बुंदेली गायक शिव रतन यादव द्वारा मधुर सरस्वती गायन तथा रुद्राष्टक प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात् संस्थाध्यक्ष उमा कान्त मिश्र द्वारा कार्यक्रम का विवरण देते हुये स्वागत भाषण दिया । अतिथि स्वागत आर के तिवारी, कपिल बैसाखिया, सुनीला सराफ, हरी सिंह ठाकुर,हरी शुक्ला ने किया। संतोष पाठक ने लेखक का जीवन परिचय वाचन किया। डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने कुशल संचालन किया और रमाकांत शास्त्री ने आभार व्यक्त किया।
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पुस्तक पर चर्चा करते हुये डॉ. सुश्री शरद सिंह ने कहा कि आनंद कुमार शर्मा एक समर्थ लेखक हैं। यह संस्मरण पुस्तक है, विशुद्ध साहित्यिक जिसमें उन्होंने अपने लौकिक, अलौकिक अनुभवों को पिरोया है। उनकी यह पुस्तक एक टाईममशीन की तरह है जिसे पढ़ते हुए पाठक विशेष कालखंड में जा पहुंचता है। वस्तुतः अपने कथ्य की विलक्षणता और भाषाई सादगी के कारण यह पुस्तक सभी पाठकवर्ग के लिए पठनीय है।
डा. शशिकुमार सिंह ने कहा कि भारत की अखंड सांस्कृतिक एकता के प्रतीक हैं भगवान् शिव। सम्पूर्ण भारत में लोक आस्था के केन्द्र के रूप में ख्यात द्वादश ज्योतिर्लिंग इसके प्रमाण हैं। उज्जयिनी में स्थित महाकाल का ज्योतिर्लिंग दक्षिण मुखी होने के कारण विशेष महत्व को प्राप्त है क्योंकि दक्षिणमुखी अवस्था शिव की समाधि की अवस्था होती है जो अत्यधिक कृपामय होती है। आनन्द कुमार शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक महाकाल के अद्भुत प्रसंग महाकाल परिसर के प्रशासनिक अधिकारी रहते हुए लिखा गया महाकाल की चमत्कारिक कृपाशीलता का स्वानुभवसिद्ध संस्मरणात्मक आख्यान है।
मुख्यमंत्री कार्यालय में विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी के रूप में पदस्थ एवं महाकाल एक अद्भुत प्रसंग के लेखक आनंद कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि सन् 1995 में महाकाल मंदिर में घटित दर्दनाक हादसे जिसमें 34 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी और मंदिर की व्यवस्था से लोगों का विश्वास डिग गया था ऐसे में मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी का दायित्व मुझे इस उम्मीद के साथ दिया गया कि मंदिर के व्यवस्था पर श्रद्धालुओं के विश्वास पुनः वापस कायम हो सके । इसी क्रम में व्यवस्था सुधार के विभिन्न कार्य मेरे द्वारा कराए गए। इसी दौरान हमने ऐसा अनुभव किया कि अनेक ऐसे कार्य भी बड़े सहज रूप में पूर्ण हुए जा रहे हैं जिनको कर पाना लगभग असम्भव होता था। बिल्कुल ठीक समय पर असम्भव को सम्भव बना देने की कोई न कोई युक्ति स्वयं ही उपस्थित हो जाती थी। इस पुस्तक में उन्हीं घटनाओं का शब्द रूप में वर्णन करने का एक प्रयास है।महाकाल के अद्भुत प्रसंग महाकाल की ही प्रेरणा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा.सुरेश आचार्य ने अपनी विशिष्ट वक्तव्य शैली में भगवान शिव से अपना साले - बहनोई का रिश्ता व्यक्त करते हुए कहा कि मैं तो कभी- कभी उनसे लड़ता भी हूं। एक बार मन्दिर जाते समय मैं स्कूटर से गिरते-गिरते बचा। मंदिर पहुंचकर भगवान से कहा अब नईं आहें, मरत- मरत बचे। अब तो हम जब चार चकों की गाड़ी आ जाहे तबई आहें। लेकिन जब वापस घर पहुंचा तो दरवाजे पर नई कार खड़ी दिखी। पता चला एक शुभचिंतक दे गए हैं। इस अप्रत्याशित घटना से मैं हतप्रभ हो गया और अगले ही दिन मंदिर जाकर भगवान से क्षमा मांगी। उन्होंने पुस्तक में लेखक द्वारा महाकाल में उद्धृत भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद को आस्था और विश्वास का प्रतीक कहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डा. चंचला दवे ने कहा
शिव पीड़ित मानवता के आराध्य हैं.शिव जहाँ हमें वैचारिक निष्ठा से जोडते हैं,उसमें वसुधैव कुटुंबकम की भावना अंतर्निहित है.जीवन के संघर्षों में मनुष्य सदैव शिव की शरण जाता रहा है.महाकाल जहाँ संहार के प्रतीक है,वहीं सृष्टि के निर्माण में भी संलग्न है.महाकाल को जब भी सच्चे ह्रदय से पुकारा,आकर सहायक बने हैं.
इस अवसर पर प्रदीप पाण्डेय ने अपने उपन्यास "पक्षद्रोह ", डा. विनीत मोहन औदिच्य ने गजल संग्रह, डॉ.मनीष झा ने गीत गीता, गुंजन शुक्ला ने काव्य संग्रह की प्रतियां आनंद शर्मा जी को भेंट कीं । कार्यक्रम मे साहित्य एवं सामाजिक क्षेत्र से जुड़े नगर के प्रबुद्धवर्ग के शुकदेव प्रसाद तिवारी,जे पी पांडे,टी आर त्रिपाठी, सिटी मजिस्ट्रेट शैलेंद्र सिंह, पी आर मलैया, महिला लेखिका संघ अध्यक्ष सुनीला सराफ, आशीष ज्योतिषी, जे एल राठौर, डॉ मनीष झा, डॉ. आर आर पांडेय, डॉ. सिद्धार्थ शुक्ला, अंबर चतुर्वेदी, डॉ.नलिन जैन, मुकेश तिवारी, डॉ.ऋषभ भारद्वाज, डॉ.विनोद तिवारी, कुंदन पाराशर, दामोदर अग्निहोत्री,के एल तिवारी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।