SAGAR : मारपीट के आरोपियों को
आजीवन कारावास की सजा
सागर। न्यायालय- श्रीमान अनिल चैहान द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश बीना, जिला सागर के न्यायालय ने सभी आरोपीगण चैनसिंह पिता दयाराम कुषवाहा़ उम्र 24 वर्ष, दयाराम पिता छुट्टे कुषवाहा उम्र 52 वर्ष, भारत पिता दयाराम कुषवाहा ़ उम्र 30 वर्ष हल्काई पिता छृटटे कुषवाहा उम्र 60 वर्ष, सभी निवासी ग्राम बम्होरी केला थाना बीना, जिला सागर को धारा 302/34 भादवि में आजीवन कारावास एवं 2000-2000 रूपए के अर्थदण्ड एवं धारा 323 भादसं. में 03-03 माह का सश्रम कारावास एवं 500-500 रूपए से दण्डित करने का आदेश दिया गया। राज्य शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक/सहा. जिला अभियोजन अधिकारी डी.के मालवीय ने शासन का पक्ष रखा।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि फरियादी द्वारा दिनांक 27.07.2020 को थाना बीना में इस आशय की रिपोर्ट लेखकरायी कि दिनांक 27.07.2020 को शाम 5ः30 बजे उसके बडे भाई खेत से घर आ रहे थे तभी अभियुक्त दयाराम कुषवाहा के घर के सामने से निकले तो अभियुक्त दयाराम कुषवाहा, हल्काई कुषवाहा, चैन सिंह, एवं भारत कुषवाहा बैठे थे तभी उसके बडे भाई ने दयाराम से कहां की तुम लोगो ने उसके भाई के साथ सुबह मारपीट क्यो की थी। तो इसी बात पर से अभियुक्त दयाराम लाठी एवं चैन सिंह हाथ मे कुल्हाडी लेकर पास में आया और मां बहन की गंदी-गंदी गालियां देने लगा तभी उसके भाई ने गालियां देेने से मना किया तो चैन सिंह ने जान से मारने की नियत से कुल्हाडी फरियादी के भाई केे सिर में मारी जो कट कर खून निकलने लगा। अभियुक्त दयराम ने लाठी से फरियादी के बडे भाई की मारपीट की जिससे सिर में गंभीर चोटे आई। वह चिल्लाया तो उसका छोटा भाई एवं भतीजा बचाने आये तो उनके साथ भी लाठी डंडे से मारपीट की। और कहने लगे कि अगली बार मिले तो जान से खत्म कर देंगे। उक्त घटना के संबंध में प्रकरण को पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत अभियुक्तगण के विरूद्ध अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उपचार के दौरान आहत देवकीनंदन की मृत्यु हो गयी। जहां अभियोजन ने महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किये।माननीय न्यायालय द्वारा उभय पक्ष को सुना गया। न्यायालय द्वारा प्रकरण के तथ्य परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए व अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर सभी आरोपीगण चैनसिंह, दयाराम, भारत, हल्काई कुषवाहा को धारा 302/34 भादवि में आजीवन कारावास एवं 2000-2000 रूपए के अर्थदण्ड एवं धारा 323 भादसं. में 03-03 माह का सश्रम कारावास एवं 500-500 रूपए से दण्डित करने का आदेश दिया गया। मामले के काउंटर प्रकरण में भी माननीय न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि का निर्णय पारित किया गया।