भारतीय भाषाओं पर महामना मालवीय जी का अतुलनीय योगदान: डा0 अतुल कोठारी
★ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के तत्वाधान में देश के प्रख्यात शिक्षाविद्ों के व्याख्यान के क्रम में महामना व्याख्यानमाला के तहत राष्टीय शिक्षा नीति और भारतीय भाषाएं विषय पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के राष्टीय सचिव डा0 अतुलभाई कोठारी ने ऑनलाईन व्याख्यान दिया। आपने महामना को नमन करते हुए कहा कि मालवीय जी ने ही सर्वप्रथम भारतीय भाषाओं की आधारभूत नींव के समान बहुत गहराई से कार्य किया। महामना जी की मातृभाषा के प्रति प्रतिबतद्धता थी। भाषा का मूल हमारी संस्कृति और परंपरा से है। आपने राष्टीय शिक्षा नीति के उद्ेश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसमंे ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो कार्यव्यवहार से भारतीय बनें। इसके लिए मालवीय जी के रास्ते पर चलना होगा क्योंकि बिना भाषा के शिक्षा का कार्य पूर्ण नही हो सकता है। आपने कहा कि यह दुखद है कि वर्तमान में 200 से ज्यादा भाषाएं समाप्त हो गई है अतः भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए भारतीय भाषाओं को बचाना होगा। आपने एक भारत, श्रेष्ठ भारत की चर्चा करते हुए कहा कि हम सबका यह कर्तव्य है कि हम आगामी 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस पर व्यापक रूप से कार्ययोजना बनाकर कार्य करें। आपने वैज्ञानिक शोधों का हवाला देते हुए कहा कि मातृभाषा में दी गई शिक्षा ही सर्वाधिक ग्राहय होती है।
व्याख्यानमाला की अध्यक्षता केन्द्र के समन्वयक प्रो0 आशाराम त्रिपाठी ने करते हुए कहा कि संस्कृति के उत्थान के लिए हमे अपनी भाषा पर गर्व करना होगा। शिक्षा को धर्म एवं संस्कृति के साथ जोडकर व्यक्तित्व संपन्न नागरिक का निर्माण करना ही महामना मालवीय की शिक्षा का उद्देश्य था। अन्य भाष हद्य से नही निकलती लेकिन मातृभाषा मे निकले उद्गार हमारे अपने होते है। अपनी इज्जत तभी बढेगाी जब हम अपनी भाषा का सम्मान करेगें।
स्वागत भाषण प्रो0 गिरिजाशंकर शास्त्री ने किया। मंगलाचरण डा. रमेश कुमार निर्मेष ने किया। तकनीकी संचालन डा0 अभिषेक त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम मे डा. रामकुमार दांगी, डा0 नवल मिश्रा, डा0 प्रीति वर्मा, डा0 विवेकानंद उपाध्याय, डा0 धर्मजंग, डा0 राजीव वर्मा, डा0 रमेश लाल, अरविन्द पाल, छोटेलाल, दिलीप यादव का सहयोग रहा। मंच संचालन डा0 संजीव सराफ ने किया तथा आभार डा0 उषा त्रिपाठी ने किया।