परीक्षाओं में वीक्षण मानदेय बढाने की मांग को लेकर अतिथि विद्वानो ने कुलपति के नाम ज्ञापन सौंपा

परीक्षाओं में वीक्षण मानदेय बढाने की मांग को लेकर अतिथि विद्वानो ने कुलपति के नाम ज्ञापन सौंपा

सागर।  महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर की परीक्षाओं में वीक्षण मानदेय बढ़ाकर 300/- प्रति पाली देने की मांग को लेकर शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय सागर के अतिथि विद्वान शिक्षकों ने कुलपति के नाम प्राचार्य को ज्ञापन सौंपा। मानदेय नहीं बढ़ाने पर शिक्षकों ने परीक्षा कार्य में असहयोग करने की चेतावनी भी दी है।
                 महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर के अंतर्गत स्नातकोत्तर स्तर की सेमेस्टर परीक्षाएं अगले माह में शुरू हो रही है। इन परीक्षाओं में वीक्षण कार्य करने वाले शिक्षकों को विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में 175/- प्रति पाली मानदेय दिया जाता था। लेकिन 2 साल पहले इस मानदेय को घटाकर 125/- कर दिया गया था। मानदेय राशि बढ़ाने को लेकर महाविद्यालय के अतिथि विद्वान एक बार फिर लामबंद हो गए हैं। महाविद्यालय के अतिथि विद्वानों डॉ उमाकांत स्वर्णकार डॉ संदीप सबलोक डॉ अंकुर गौतम डॉ स्वदीप श्रीवास्तव डॉ संदीप तिवारी डॉ अमित मेहरोलिया डॉ धीरेंद्र साकेत आदि ने कॉलेज के प्राचार्य तथा उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक डॉ जी एस रोहित को कुलपति छतरपुर विश्वविद्यालय के नाम ज्ञापन सौंपकर परीक्षा वीक्षण मानदेय की राशि 300/- प्रति पाली देने की मांग की है। अतिथि विद्वानों ने कहा है कि भीषण महंगाई के इस दौर में विश्वविद्यालय द्वारा दिया जा रहा मानदेय काफी कम है और सम्मानजनक भी नहीं है। ऐसे में यदि विश्वविद्यालय उनके पक्ष में जल्द निर्णय नहीं लेता है तो महाविद्यालय के अतिथि विद्वान परीक्षा कार्य में विनय पूर्वक असहयोग करने को बाध्य होंगे 
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गौर उत्सव : आचार्य शंकर भवन का लोकार्पण और राष्ट्रीय शिक्षा नीति:2020 पर हुआ व्याख्यान

गौर उत्सव : आचार्य शंकर भवन का लोकार्पण और राष्ट्रीय शिक्षा नीति:2020 पर हुआ व्याख्यान




सागर. 24 नवंबर. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के सदस्य एवं दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर के 152वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 21 नवंबर से 26 नवंबर तक आयोजित 'गौर उत्सव' के चौथे दिन 'आचार्य शंकर भवन' (मानविकी एवं समाज विज्ञान व्याख्यान कक्ष कॉम्प्लेक्स) का लोकार्पण  श्री मुकुल मुकुंद कानिटकर, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मंडल, नागपुर, कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतीलाल जानी एवं कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ. बुन्देली परम्परा से अतिथियों का स्वागत हुआ. लोकार्पण के अवसर पर मान. कानिटकर जी ने बोलते हुए कहा कि यह भवन आचार्य शंकर के नाम पर रखा गया है. सभी को बराबर भाव से देखना ही अद्वैत है. उनकी अद्वैत परम्परा को पुनर्जीवित करने का काम यहाँ के विद्यार्थी और शिक्षक करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है. आचार्य शंकर मत वैभिन्नता का सम्मान करते थे. यह भवन उनके इस सिद्धांत का केंद्र बनेगा. स्वागत वक्तव्य अधिष्ठाता प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा ने दिया और संचालन कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने किया. इस अवसर पर संयोजक डॉ. ललित मोहन, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित थे. 

अनुभवजनित शिक्षा से बनेगा आत्मनिर्भर भारत- कुलपति 




विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में आयोजित गौर व्याख्यानमाला श्रृंखला के अंतर्गत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: उच्च शिक्षा की नवाचारी भूमिका विषय पर आयोजित कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि आज के समय में विद्यार्थियों को केवल कक्षाओं तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि उन्हें अनुभव आधारित शिक्षा की तरफ प्रेरित करना चाहिए ताकि वे स्वयं के अनुभवों से बहुत कुछ सीख सकें. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में हमें नवाचारी तरीके से बहुआयामी कार्य करने होंगे. इस शिक्षा नीति के माध्यम से देश को बदलने का संकल्प लिया गया है. देश तभी बदलेगा जब शिक्षा बदलेगी. हम भाग्यशाली हैं कि डॉ. गौर के जन्मोत्सव पर हम उनके ही शिक्षा के केंद्र में शिक्षा में नवाचार पर चर्चा कर रहे हैं. इंडस्ट्री कोलैबोरेशन, एमओयू के माध्यम से शिक्षा एवं शोध को नई दिशा मिलेगी. भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसलिए हम रूरल डेवलेपमेंट के लिए नए प्रोग्राम बना रहे हैं. इससे गाँवों की आर्थिकी के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा. 

विश्वविद्यालय बनें ज्ञान-गुरुत्व के केंद्र- अरुंधति कावड़कर 

विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए सुश्री अरुंधती कावडकर, अखिल भारतीय महिला प्रकल्प सहप्रमुख एवं पालक अधिकारी, महाकौशल प्रान्त एवं मध्यभारत, भारतीय शिक्षण मंडल ने कहा कि विश्वविद्यालय ज्ञान और  गुरुत्व के केंद्र के रूप में होने चाहिए. विद्यार्थी गुरुत्व के स्पर्श से ही आगे बढ़ता है. उसके जीवन में गुरु का बहुत महत्त्व होता है. गुरु को भी अपने विद्यार्थियों को समझने की योग्यता होनी चाहिए. शिक्षक अपने विद्यार्थियों के कारण ही शिक्षक कहलाता है. बिना विद्यार्थी के शिक्षक अस्तित्वहीन है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाव से प्रेरित है. एर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन की संकल्पना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अहम हिस्सा है. यहीं से एक विद्यार्थी की नींव पड़ती है. उन्होंने कहा कि नए भारत को गढ़ने के लिए भारतमाता को जानना बहुत ही आवश्यक है. नदियों, पर्वतों और प्रकृति के सभी घटकों को जानना-पहचानना एक विद्यार्थी के लिए बहुत ही जरूरी है. 

गुरु ही बनाएंगे भारत को विश्वगुरु- मुकुल कानिटकर 




मुख्य अतिथि मान. मुकुल कानिटकर ने कहा कि गुरु के बिना भारत का विश्वगुरु बनाना असंभव है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ऐसे कई बिंदु हैं जो शिक्षक को नवाचार की पूरी स्वायत्तता देते हैं. एक शिक्षक को नवाचार करने के लिए संस्था और सरकारों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. शासन केंद्रित व्यवस्था से समाज के अंतिम व्यक्ति का हित नहीं संभव है. समाज केंद्रित व्यवस्था से ही अंतिम व्यक्ति का कल्याण संभव है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति पढ़ते समय उसमें हमें स्व मन का भाव मिलता है. उसमें बहुत सी जीवनोपयोगी और तार्किक बातें हैं जिनके माध्यम से भारतीयता का बोध पैदा होता है. शिक्षक और संस्था दोनों का कार्य नवोन्मेष करना है. आज के शिक्षक और विद्यार्थी को लीक से हटकर सोचना चाहिए. यही समय की मांग है. पहले हम आयातित ज्ञान पर निर्भर थे लेकिन आज इस शिक्षा नीति के माध्यम से हम भारतीय शिक्षा पद्धति की बात कर पा रहे हैं. यही इसका सुफल है. मातृभाषा में पठन-पाठन के लिए हमें अनुवाद पर निर्भरता ख़त्म करते हुए मातृभाषा में पाठ्य सामग्री तैयार करना चाहिए. यह काम शिक्षकों का है. यह चुनौती भी है. हमें इसी को अवसर में बदलना है और यही नवाचार है. यह सृजनशीलता का अवसर भी है. 

गौर उत्सव चरित्र निर्माण का उत्सव है- कुलाधिपति

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. बलवंत राय शांतिलाल जानी ने कहा कि डॉ. हरीसिंह गौर की दैवीय विलक्षणता ही है कि हम प्रतिवर्ष उनके जन्मदिन को एक उत्सव के रूप में मनाते हैं. वह एक विश्वविद्यालय स्थापित करने और सब कुछ दान कर देने वाले एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक स्वप्नद्रष्टा थे जो उन्होंने भावी भारतीय युवा पीढ़ी के लिए देखा था. आज बहुत सी विदेश की संस्थायें भारतीय युवा मेधा को अपने यहाँ शिक्षा और रोजगार के लिए आकर्षित कर रही हैं. डॉ गौर ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने कैम्ब्रिज में पढ़ाई तो की लेकिन वे भारतीय युवा पीढी के लिए भारत में कैम्ब्रिज जैसी संस्था शुरू करने का संकल्प लेकर भारत वापस आ गये. यह विश्वविद्यालय उसी सपने की देन है. भारतीय युवाशक्ति प्रचंड मेधा संपन्न है, इसका पलायन नहीं होना चाहिए. राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसके लिए संकल्पित है कि भारतीय मेधा का सदुपयोग राष्ट्र निर्माण के लिए हो, ताकि हम परमवैभवशाली राष्ट्र निर्माण में गति ला सकें. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बहुआयामी क्रियान्वयन के माध्यम से  डॉ. गौर द्वारा स्थापित यह विश्वविद्यालय केवल सागर और मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए अनुकरणीय बनेगा. 

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. हरीसिंह गौर और देवी सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई जिसमें संगीत विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. संचालन डॉ. शशि कुमार सिंह ने किया. प्रो. अर्चना पाण्डेय ने अतिथियों का परिचय वाचन किया. कार्यक्रम के मध्य में संगीत विभाग की शिक्षका डॉ. स्मृति त्रिपाठी ने गीत प्रस्तुत किया. कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने आभार ज्ञापन किया. राष्ट्रगीत वन्देमातरम के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. इस अवसर पर प्रो.अशोक अहिरवार, प्रो. जी. एल पुणतांबेकर, प्रो.नवीन कांगो, प्रो. वंदना सोनी, प्रो. जेके जैन, प्रो. ममता पटेल, प्रो. आर टी बेदरे, डॉ. आरपी सिंह, डॉ किरण आर्य, डॉ.अरुण साव, डॉ. अरविंद गौतम, डॉ रेखा सोलंकी, डॉ. नीलम थापा, डॉ हिमांशु, डॉ प्रीति सहित कई शिक्षक, विद्यार्थी, कर्मचारी, सागर शहर एवं मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। 
विश्वविद्यालय और रिसर्च फॉर रिसर्जेन्स फाउंडेशन के बीच हुआ अकादमिक अनुबंध  

कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय और  रिसर्च फॉर रिसर्जेन्स फाउंडेशन, नागपुर के बीच अकादमिक समझौता पत्रक पर हस्ताक्षर हुए. विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने और फाउंडेशन की ओर से मान. मुकुल कानिटकर ने समझौता-पत्रक पर हस्ताक्षर किये. इस अकादमिक समझौते के तहत सेंटर फॉर रिसर्च एंड रिसर्जेंस स्थापित किया जाएगा. इससे अकादमिक शोध और नवाचारी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.




फ़ाईन आर्ट, पेंटिंग क्राफ्ट की प्रदर्शनी आयोजित

विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई फ़ाईन आर्ट, पेंटिंग क्राफ्ट की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इसमें प्रो. पुणताम्बेकर द्वारा बनाई गई पेंटिंग भी प्रदर्शनी के लिए रखी गई थी. सभी अतिथियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर कलाकारों को शुभकामनाएं दीं. यह प्रदर्शनी डॉ. ललित मोहन और डॉ. सुप्रभा दास के संयोजन में आयोजित की गई थी. डॉ सुप्रभा दास ने डॉ. गौर की स्वनिर्मित मूर्ति कुलपति को भेंट की. 

'आज़ादी की आग- बुंदेलखंड की वीरांगनाओं की शौर्य गाथा' पुस्तक का विमोचन 
कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा डॉ सरोज गुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक 'आज़ादी की आग- बुंदेलखंड की वीरांगनाओं की शौर्य गाथा' का विमोचन भी किया गया.    

 25 नवम्बर के कार्यक्रम

25 नवंबर प्रात: 11.00 बजे 'डॉ. गौर के सपनों का सागर और उनका विश्वविद्यालय' पर आधारित परिसंवाद कार्यक्रम का आयोजन होगा. इस कार्यक्रम में विशेषज्ञ के रूप में विश्वविद्यालय की कुलपति माननीया प्रो. नीलिमा गुप्ता, श्री रघु ठाकुर वरिष्ठ समाजवादी चिन्तक, डॉ. जी.एस. चौवे वरिष्ठ चिकित्सक, प्रो.एस.पी. व्यास शिक्षाशास्त्री एवं पूर्व कुलपति डॉ.हरीसिंह गौर वि.वि सागर एवं प्रो सुरेश आचार्य , वरिष्ठ साहित्कार विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे. सायं 07.00 बजे अखिल भारतीय कवि सम्मलेन का आयोजन होगा जिसमें शायर अशोक मिज़ाज बद्र, सागर, श्री अशोक सुन्दरानी,सतना, सुश्री विभा सिंह, बनारस, श्री संतोष शर्मा सागर, विदिशा, श्री राम भदावर, इटावा द्वारा काव्य पाठ की प्रस्तुति होगी. दोनों कार्यक्रम स्वर्ण जयन्ती सभागार में आयोजित होंगे.
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बनारस में भी मनेगी डॉ गौर जयंती


बनारस में भी मनेगी डॉ गौर जयंती

सागर। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कार्यरत सागर विश्वविद्यालय के पुरा छा़त्र एवं सागर विश्वविद्यालय में पूर्व में कार्यरत शिक्षक, शहर में रहने वाले सागर विश्वविद्यालय से शिक्षित गणमान्य नागरिक बनारस में विगत 13 वर्षों से गौर जयंती का आयोजन करते आ रहे है।
आयोजन समिति के संयोजक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में पदस्थ डिप्टी लाइब्रेरियन डा0 संजीव सराफ ने बताया कि इस वर्ष भी गौर जयंती पर विभिन्न आयोजन किए जायेंगें। जिनमें गौर जयंती की पूर्व संध्या पर डा0 गौर के जीवन पर आॅफलाईन एवं आॅनलाईन मोड में संगोष्ठी एवं गौर जयंती के दिन बुंदेलखंड के पूज्य संत गणेश प्रसाद वर्णी जी की प्रेरणा से भदैनी स्थित स्याद्वाद महाविद्यालय के जैन घाट पर दीपदान का आयोजन किया जायेगा।
इस हेतु आयोजन समिति का गठन किया गया है जिसमें प्रो0 धमेन्द्र मिश्रा, प्रो0 हेमंत मालवीय, डा0 विवेकानंद जैन, डा0 आर0एन0सिंह, डा0 नवलकुमार मिश्रा, डा0 रामकुमार दांगी, डा0 नीरज खरे, डा0 ओमप्रकाश सिंह, सुरेन्द्र कुमार जैन, मनीष शास्त्री, अंकित दांगी प्रमुख है।


 
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स्वच्छता किट का वितरण किया किशोरी बालिकाओं को

स्वच्छता किट का वितरण किया किशोरी बालिकाओं को

सागर।  कासा एवं कैड संस्था द्वारा स्वच्छता किट का वितरण किशोरी बालिकाओं को किया गया एवं वैक्सीनेशन के लिए लोगों को प्रेरित कर वैक्सीनेशन सेंटर पर लाकर वैक्सीनेशन कराया गया । स्वच्छता किट में बालिकाओं के लिए सेनेटरी पैड साबुन हैंड वास मास्क सैनिटाइजर इत्यादि का वितरण किया गया और स्वयं को साफ सुथरा रख कोरोना गाइड लाइन का पालन करने के लिए प्रेरित किया गया यह कार्यक्रम 4 गांव में चलाया गया। जिसमें 23 नवंबर को मैन पानी एवं मझगुंवा एवं 24 नवंबर को बेरखेड़ी सुवंश से लहरा गांव में अभियान चलाया गया साथ ही आजीविका मिशन के तहत संस्था द्वारा ₹5000 का जो आर्थिक सहायता जिन लोगों को प्रदान की गई ।उनके घर जाकर उनके द्वारा शुरू व्यवसाय के बारे में पूछा गया और आर्थिक सहायता के लिए उन लोगों ने संस्था का धन्यवाद भी किया दो दिवसीय कार्यक्रम में कासा संस्था से अरूणिका सीएमएचओ से डी एच ओ 1 अचला जैन  ए एच एम रंजना अवस्थी जी एमपीडब्ल्यू मुन्ना लाल चौरसिया  आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पूजा यादव आशा कार्यकर्ताओं बबीता हर बार रामसखी अनीता नेहा प्राइमरी स्कूल की प्रधान अध्यापक आशालता अहिरवार एवं बेरखेड़ी वंश के सहायक सचिव जगदीश अहिरवार एवं वैक्सीनेशन को आए ग्रामीण महिलाएं एवं किशोरी बालिकाएं महिला श्रम शक्ति सेवा संस्थान से रेखा राजपूत जी सामाजिक कार्यकर्ता जयश्री चढ़ार एवं उत्तम अहिरवार कपिल ठाकुर जी उपस्थित रहे।
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अन्वेषण का पांच दिवसीय नाट्य उत्सव 24 नवम्बर से, दर्शक पांच दिन तक देखेंगे विविधरंगी नाटक

अन्वेषण का पांच दिवसीय नाट्य उत्सव 24 नवम्बर से, दर्शक पांच दिन तक देखेंगे विविधरंगी नाटक

सागर। कोरोना संकट के लंबे अंतराल के बाद अंततः वह समय आ गया जब अन्य क्षेत्रों के साथ कला जगत भी पुनः सक्रिय हो चला है। इसी क्रम में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहायोग से अन्वेषण थियेटर गु्रप सागर का पांच दिवसीय नाट्य समारोह 24 नवंबर 2021 से स्थानीय रवीन्द्र भवन में आरंभ होने जा रहा है। इस सम्बंध में आयोजित पत्रकार वार्ता में जगदीश शर्मा, अतुल श्रीवास्तव और सतीश साहू ने विस्तार से कार्यक्रम की जानकारी दी।
 पांच दिनी ''अन्वेषण नाट्य समारोह - 2021'' में प्रतिदिन शाम 7 बजे से विभिन्न शहरों के नाट्य निर्देशक व अभिनेता सागर के इस मंच से अपने कला कौशल का प्रदर्शन करेंगे। अन्वेषण नाट्य समारोह 2021 के प्रथम दिन 24 नवम्बर को भोपाल के नाट्य दल भोपाल थियेटर द्वारा हास्य नाटक ''भाग अवंति भाग'' प्रस्तुत किया जायेगा। नाटक का निर्देशन जाने-माने रंगकला विशेषज्ञ एवं फिल्म अभिनेता राजीव वर्मा द्वारा किया गया है। दूसरे दिन 25 नवम्बर को जगदीश शर्मा निर्देशित नाटक ''तुम कितनी खूबसूरत हो'' का मंचन स्वयं आयोजक संस्था अन्वेषण थियेटर ग्रुप द्वारा किया जायेगा। तीसरे दिन 26 नवम्बर को कटनी के संप्रेषणा नाट्य मंच द्वारा सादात भारती के निर्देशन में नाटक ''गांधी ने कहा था'' की प्रस्तुति होगी। चैथे दिन 27 नवम्बर को उज्जैन के अभिनव रंगमण्डल द्वारा ''अरे! शरीफ लोग'' नामक हास्य नाटक खेला जायेगा। इस नाटक का निर्देशन शरद शर्मा ने किया है। पांचवें यानि अंतिम दिन समागम रंगमण्डल जबलपुर द्वारा स्वाति दुबे के निर्देशन में ''अगरबत्ती'' नामक नाटक प्रस्तुत किया जायेगा।
●    डाॅ. सर हरीसिंह गौर को समर्पित है नाट्य समारोह  :
 
नाट्य समारोह के दौरान ही 26 नवम्बर को सागर के महान शिक्षाविद् डाॅ. सर हरीसिंह गौर की जयंती का अवसर भी है। इसीलिए अन्वेषण थियेटर गु्रप द्वारा श्रद्धांजलि स्वरूप यह पूरा नाट्य समारोह डाॅ. गौर को समर्पित किया गया है।

● पूर्वरंग का भी होगा आयोजन :
 
रंगकला के शास्त्रीय नियमों के अनुसार नाटक के मंचन के पहले पूर्वरंग का भी आयोजन किया जाता है। अन्वेषण ने अपने पिछले नाट्य महोत्सव के अनुसार इस बार भी प्रतिदिन नाटक से पहले रवीन्द्र भवन परिसर में पूर्वरंग के तहत लगभग आधे घण्टे की एक प्रस्तुति की व्यवस्था की है।  इसके तहत नगर के विभिन्न विधाओं के कलाकारों को आमंत्रित किया गया है।
●        निःशुल्क प्रवेश पत्र की व्यवस्था -
 अन्वेषण का यह नाट्य समारोह सभी दर्शकों के लिये निःशुल्क है। अन्वेषण ने अपने दर्शकों को आमंत्रण सहित निःशुल्क प्रवेश-पत्र उपलब्ध कराये हैं। इसके अलावा भी नगर के जो दर्शक नाटक देखना चाहते है, उनके लिए नाटक के समय मुख्य द्वार पर निःशुल्क प्रवेश-पत्र उपलब्ध रहेंगे। बैठक व्यवस्था पूर्ण-रूपेण पहले आओ पहले पाओ पर आधारित होगी। 
● कोरोना गाईड लाइंस का होगा पालन  : पांच दिवसीय नाट्य समारोह के दौरान आने वाले   सभी दर्शकों को सरकार द्वारा जारी कोविड-19 के दिशा निर्देशों का पालन करना होगा।


नाटकों के बारे में

1.    भाग अवंति भाग - इस मराठी नाटक के मूल लेखक योगेश सोमण है और इसका हिन्दी रूपांतरण प्रवीण महुवाले ने किया है। महंगाई के दौर मे आम आदमी को अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे में यदि किसी गंभीर बीमारी पर जमा पूंजी खर्च हो जाती है, तब कभी-कभी परेशान होकर व्यक्ति ऐसे निर्णय ले लेता है कि स्थितियां हास्यास्पद हो जाती हैं। नाटक ''भाग अवंति भाग'' भी ऐसी ही स्थितियों की कल्पना पर आधारित है।
2.    तुम कितनी खूबसूरत हो - सुप्रसिद्ध कथाकार यशपाल की कहानी ''तुमने क्यों कहा था कि मैं खूबसूरत हूं'' का अख्तर अली द्वारा किया गया यह नाट्य रूपांतरण, चिकित्सा जगत मे कार्यरत उन समर्पित डाॅक्टरों व उनके सहयोगियों की संवदेनाओं को व्यक्त करता है, जो रोगी के इलाज के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। इस नाटक में बाहरी खूबसूरती के अलावा अंतः की खूबसूरती के महत्व को भी रेखांकित किया गया है।
3.    गांधी ने कहा था - इस नाटक का ताना-बाना 14 अगस्त 1947 के बंटवारे से लिया गया है। उस समय महात्मा गांधी के अनशन संबंधी घटनाक्रम को लेते हुए तात्कालिक दंगों के समाधान के लिए गांधी का मार्गदर्शन और उसकी सत्यता का प्रस्तुतिकरण यह नाटक करता है। नाटक ''गांधी ने कहा था'' के लेखक राजेश कुमार है।
4.    अरे! शरीफ लोग -
 जयवंत दलवी द्वारा लिखित यह नाटक समाज के लोगों की सोच को हास्य और व्यंग के माध्यम से प्रस्तुत करता है। इसमें एक भ्रम के साथ शरीफ लोगों की शराफत की हकीकत को कलाकारों ने अपने अंदाज में प्रस्तुत किया है। यह नाटक आम आदमी द्वारा ओढ़ी गई शराफत और उसके आंतरिक मनोभावों को प्रस्तुत करता है। नाटक हंसते-हंसाते कई गंभीर प्रश्न भी छोड़ जाता है।
5.    अगरबत्ती - यह नाटक फूलन देवी और बेहमई हत्याकाण्ड पर आधारित है। यह हत्याकाण्ड दुनिया के लिए एक सबक ही नहीं बल्कि एक सवाल की तरह सामने आया। राजनीति ने इस घटना और जातीय समीकरणों को अपने पक्ष में साधना शुरू कर दिया। तीव्र भावुकता भारतीय राजनीति का वो उपकरण है, जो सत्ता के शीर्ष पर पल मे पहुंचा सकता है। इसका गंभीर विमर्श से कुछ लेना देना नहीं होता। नाटक ''अगरबत्ती'' इसी गंभीर विमर्श को दोबारा पैदा करने का प्रयास है, जो वास्तविक घटना और भूगोल के धरातल पर काल्पनिक पात्रों और घटनाओं के रंग से रचा गया है। 


    

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नरेंद्र अहिरवार की मौत का मामला,पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी पीड़ित परिजनों के साथ शव रखकर किया चक्काजाम

नरेंद्र अहिरवार की मौत का मामला,पूर्व मंत्री  सुरेन्द्र चौधरी पीड़ित परिजनों के साथ शव रखकर किया चक्काजाम 
 

सागर ।  सोमवार को सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर मोतीनगर क्षेत्र अन्तर्गत संत रविदास वार्ड निवासी स्व. श्री नरेन्द्र अहिरवार की हुई मौत की घटना उपरांत म.प्र.कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी ने मंगलवार तड़के जिला अस्पताल पहुँचकर पीड़ित परिजनों के साथ मौके पर मौजूद प्रशानिक अधिकारियों से सम्पूर्ण घटना की न्याययिक जांच सहित विभिन्न मांगे रखी। और ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के आने के उपरांत ही पोस्टमार्टम हुआ।पोस्टमार्टम उपरांत पीड़ित परिजनों ने मोतीनगर चौराहे पर शव रखकर घटना के दोषियों पर कार्यवाही, मृतक के आश्रितों को शासकीय सेवा में नोकरी व आर्थिक सहायता दिए जाने की आदि की माँग को लेकर प्रदर्शन करते हुए मौके पर मौजूद ए. डी. एम श्री अखलेश जैन व प्रशासनिक अधिकारियों को जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक के नाम  लिखित  ज्ञापन सौंपा।प्रशानिक अधिकारियों द्वारा कार्यवाही के लिखित आश्वासन के बाद पीड़ित परिजन माने और शव का अंतिम संस्कार हुआ। पुलिस अभिरक्षा में हुई स्व. नरेन्द्र अहिरवार की मौत की घटना पर पूर्व मंत्री श्री सुरेन्द्र चौधरी ने सरकार को जमकर घेरते हुये कहा कि स्व. नरेन्द्र अहिरवार की मौत की  घटना से पुलिस व प्रशासन का असंवेदनशील चहरा उजागर हुआ है। इस दौरान पूर्व मंत्री श्री चौधरी के साथ अनेकों कांग्रेसजन मोजूद थे।
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जबलपुर रेल मंडल की बैठक, सांसद राजबहादुर सिंह ने 40 सूत्रीय रेल सुविधाओं की मांग रखी

जबलपुर रेल मंडल की बैठक, सांसद राजबहादुर सिंह ने  40 सूत्रीय रेल सुविधाओं की मांग रखी

जबलपुर।  जबलपुर में रेल मंडल परिक्षेत्र के सांसदगणों के साथ महाप्रबंधक की बैठक का आयोजन किया गया । परिक्षेत्र के सांसदगणों के साथ ही सागर सांसद श्री राजबहादुर सिंह भी इस बैठक में शामिल हुए ।
सांसद सिंह ने संसदीय क्षेत्र के यात्री सुविधाओं को उच्च गुणवत्तायुक्त प्लेटफॉर्म, वेटिंग रुम,पार्किंग के साथ क्षेत्र की रेल समस्याओं एवं रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए अपने सुझाव एवं विचार साझा किए ।
उन्होंने परिचालित ट्रेनों का संसदीय क्षेत्र में स्टॉपेज बढ़ाए जाने, सुगम यातायात सुविधा हेतु नवीन मेट्रो ट्रेन का संचालन कराये जाने एवं सागर, बीना, खुरई एवं मकरोनियां रेलवे स्टेशनों की मूलभूत आवश्यकताओं के साथ संसदीय क्षेत्र के अप डाउनर्स की समस्याओं एवं सुविधा मुहैया कराने के लिए बैठक में 40 सूत्रीय पुरजोर मांग रखी ।
बैठक में सांसद श्री राकेश सिंह, जबलपुर, श्री गणेश सिंह, सतना, श्री जनार्दन मिश्रा, रीवा, राज्यसभा सांसद श्री अजय प्रताप सिंह सहित परिक्षेत्र के माननीय सांसदगण,संजय विश्वास, मंडल रेल प्रबंधक,जबलपुर और अधिकारी-कर्मचारीगण उपस्थित थे । 
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गौर उत्सव : डॉ. गौर के अवदान पर हुए व्याख्यान, ‘मूट कोर्ट’ का हुआ लोकार्पण

गौर उत्सव :  डॉ. गौर के अवदान पर हुए व्याख्यान, 'मूट कोर्ट' का हुआ लोकार्पण 

 

 सागर. 23 नवंबर. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के सदस्य एवं दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर के 152वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 21 नवंबर से 26 नवंबर तक आयोजित 'गौर उत्सव' के तीसरे दिन 'डॉ. गौर का अवदान- एक विश्लेषण' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. डॉ. गौर और माल्यार्पण के दौरान डॉ. अवधेश तोमर ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. 
डॉ. गौर के महान संकल्प की देन है डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय: कुलपति 
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि डॉ. गौर का समग्र जीवन-दर्शन समझने के लिए उनके विराट व्यक्तित्व के हर पहलू को समझना होगा. हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हम उनके परिवार के अंग हैं. यह विश्वविद्यालय उनके ही महान संकल्प की देन है. इस विश्वविद्यालय को गढ़ने-रचने की जिम्मेदारी हम सबके कन्धों पर है. डॉ. गौर के जीवन के विविध आयामों पर केंद्रित कार्यक्रमों की लंबी श्रृंखला के माध्यम से हम उनके सपनों को साकार करने के लिए कार्यरत हैं. डॉक्टर गौर हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। डॉ गौर का योगदान न केवल विश्वविद्यालय की स्थापना तक सीमित है बल्कि उनका योगदान एक विधिवेत्ता के रूप में, एक राजनीतिज्ञ, एक समाज सुधारक तथा महिला सशक्तिकरण के सशक्त प्रणेता के रूप में है। उन्होंने सभी वक्ताओं को शुभकामनाएं दीं.
 
विशिष्ट अतिथि प्रो. बीके श्रीवास्तव ने डॉ. गौर के महत्वपूर्ण योगदानों पर चर्चा करते हुए उनके जीवन से जुड़ी कई घटनाओं की चर्चा की. प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बताया कि जहां सागर में कभी स्याही तक नहीं मिलती थी, उस सागर शहर में उन्होंने कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालय की स्थापना करने की सोची। यह उनकी मातृभूमि एव शिक्षा के प्रति उनका समर्पण बताता है। 
 
कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. पंकज सिंह ने महिला सशक्तीकरण में डॉ. गौर की महती भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि स्त्री शिक्षा और उनके अधिकारों को लेकर डॉ. गौर ने लंबी लड़ाई लड़ी. आज हर क्षेत्र में स्त्रियों का आगे होना डॉ. गौर के अवदानों की फलश्रुति है. 1921 से लेकर 1935 तक सेंट्रल लेजिस्लेटिव एसेंबली के मेंबर रहने के दौरान उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए। डॉ मनोज श्रीवास्तव ने डॉक्टर गौर के विधि वक्ता के रूप में उनके योगदान पर बोलते हुए कहा कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट तथा हिंदू कोड नाम की दो किताबें विधि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कार्य है। 


डॉ. वंदना राजौरिया ने डॉ. गौर के साहित्यिक अभिरुचि और उनकी कृतियों पर प्रकाश डाला और कहा कि डॉक्टर गौर की कविताओं में हमें एक  जीवन के प्रति सकारात्मकता दिखाई पड़ती है। उन्होंने शंकराचार्य के अद्वैत के साथ भी डॉक्टर गौर की विचारों को साम्यता को बताया। प्रसिद्ध रंगकर्मी नाटककार शुभम उपाध्याय ने डॉक्टर गौर के धार्मिक चिंतन पर अपने विचार प्रस्तुत किए और कहा कि डॉ गौर का धर्म मानवतावादी धर्म था।
 
प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा ने कहा कि डॉ. गौर की जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए तथा उनके पद चिन्हों पर चलते हुए उनके सपनों को साकार करना चाहिए। इस प्रकार के व्याख्यानमाला आयोजित किए जाने से न केवल छात्रों को लाभ होगा बल्कि वह डॉक्टर गौर के विचार तथा चिंतन से अवगत हो पाएंगे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. वंदना राजौरिया ने किया और आभार डॉ. संजय बरौलिया ने आभार ज्ञापित किया. 
 
कार्यक्रम में  प्रो.अशोक अहिरवार, प्रो. जी. एल पुणतांबेकर, प्रो.नवीन कांगो प्रो. वंदना सोनी प्रो. जेके जैन प्रो. ममता पटेल प्रो. आर टी बेदरे, डॉ शशि कुमार सिंह डॉ. आरपी सिंह डॉ किरण आर्य, डॉ.अरुण साव, डॉ. अरविंद गौतम, डॉ रेखा सोलंकी, डॉ. नीलम थापा, डॉ हिमांशु, डॉ प्रीति,  डॉ. सुमन पटेल, केंद्रीय विद्यालय के डॉ. बृजेश कुमार पांडे उपस्थित थे। 



ईएमआरसी द्वारा बनाई डोक्युमेंट्री का प्रदर्शन 

कार्यक्रम में ईएमआरसी के निदेशक डॉ. पंकज तिवारी द्वारा निर्देशित डॉ. गौर के जीवन, विचार और दर्शन को समग्रता में प्रस्तुत करती हुई डोक्युमेंट्री ' सूर्य से प्रचंड गौर' का प्रदर्शन किया गया जिसे 2015 में निर्मित किया गया था.  
कुलपति ने किया पेंटिंग का अनावरण  
प्रो. पुणताम्बेकर ने कोरोना महामारी के दौरान समय का सदुपयोग करते हुए 'लॉकडाउन' में बनाई गई 21 पेंटिंग विश्वविद्यालय को भेंट की जिसका अनावरण कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने किया. कुलपति ने प्रो. पुणताम्बेकर को  बधाई देते हुए कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि मैं क्रियाशील और रचनात्मक शिक्षकों के बीच हूँ और ऐसे सृजनशील विश्वविद्यालय में मुझे कार्य करने का अवसर मिला है. इस अवसर पर सागर शहर निवासी सत्यम कला संस्कृति संग्रहालय के संचालक दामोदर अग्निहोत्री ने डॉ. गौर की लेखनी की कुछ प्रकाशित प्रतियां कुलपति को भेंट की.      

 
आज के समय में निर्णय नहीं विवेकपूर्ण न्याय की जरूरत है- न्यायमूर्ति ए. पी. साही  

गौर व्याख्यानमाला के अंतर्गत मुख्य अतिथि के रूप में पधारे राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के निदेशक न्यायमूर्ति ए. पी. साही ने न्यायिक प्रशासन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की प्रत्याशित भूमिका एवं प्रयोग विषय पर बोलते हुए कहा कि आज के समय में सबसे बड़ी जरूरत विवेकपूर्ण न्याय की है. बुद्धि और विवेक, निर्णय और न्याय में फर्क करना होगा. आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस कोई नया आविष्कार नहीं है लेकिन न्यायिक प्रक्रिया में इसका उपयोग बहुत ही संवेदना और विवेक के साथ करना होगा. आज मोबाइल युग में डेटा का इधर से उधर होना आम बात हो गई है. इसकी गति बहुत ही तीव्र है. उन्होंने कहा कि मनुष्य आज प्रकृति को नियत्रित करने की कोशिश करने लगा है जबकि पहले प्रकृति के अनुसार मनुष्य स्वयं को ढालता था. हम अप्राकृतिक चीजों से प्रकृति को निर्णीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि साहित्य और क़ानून का बहुत प्रगाढ़ संबंध है. बिना साहित्य अध्ययन के कोई भी कानूनवेत्ता नहीं बन सकता. मनुष्य की क्षमता असीमित है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एक क्रियेटेड इन्वेंशन है. मनुष्य ही इसका सर्जक है. इसके इस्तेमाल के लिए कानून बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति की सामान्य दिनचर्या पर इसकी तीव्रता और गतिशीलता का प्रभाव न पड़े. डाटा एल्गोरिदम और पैटर्न रीडिंग के माध्यम से कुछ कामों के लिए न्यायिक व्यवस्था में इसका इस्तेमाल होना चाहिए जो सुविधा प्रदान करे. आज के समय में अलग से इस विषय की पढ़ाई भी होनी जरूरी है. 
 

 
डॉ. गौर की धरती पर निर्मित 'मूट कोर्ट' न्यायपूर्ण समाज की आधारशिला साबित होगी- कुलपति
 
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि 'मूट कोर्ट' की आवश्यकता लम्बे समय से महसूस की जा रही थी. आज उद्घाटित यह स्थल न्यायपूर्ण समाज की स्थापना की आधारशिला साबित होगी. विद्यार्थी और शिक्षक अब इसका उपयोग कर पायेंगे और एक समतामूलक समाज की निर्मिति में सहयोग कर पायेंगे, जो गौर साहब की संकल्पना थी. उन्होंने न्यायमूर्ति साही के विश्वविद्यालय आगमन की सहमति के लिए उन्हें धन्यवाद दिया. विषय प्रवर्तन करते हुए उन्होंने कहा कि आज रोबोट का युग आ गया है. हमें यह देखना होगा कि क्या सचमुच मनुष्य की संवेदनशीलता भी रोबोट जैसी अप्राकृतिक चीजें सृजित करने में सक्षम हो सकेगी. उन्होंने कहा कि न्यायालयों में लंबित प्रकरणों को हल करने में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग की संभावनाओं को तलाशा जा सकता है. इस दिशा में अभी बहुत से प्रयोग किये जाने की आवश्यकता है ताकि मनुष्य की संवेदना बने रहने के साथ ही तकनीक आधारित न्याय व्यवस्था मददगार साबित हो. 
 
मनुष्य की संवेदना की समझ न्याय प्रक्रिया का अहम हिस्सा- कुलाधिपति
 
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतिलाल जानी ने कहा कि मनुष्य की संवेदना को समझना बहुत ही आवश्यक है. इसको समझे बगैर न्याय प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकती. इस मशीनी युग में भी हमें देशज ज्ञान परम्परा की अवहेलना नहीं करनी चाहिए. इसकी अपनी विशिष्ट महत्ता है. संवेदनापूर्ण न्याय मनुष्य के विकास को नया मुकाम देगा.  हमें कोगनिटिव साइंस जैसे पाठ्यक्रम को शुरू किये जाने की भी बात कही. 
 
कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य विधि अधययनशाला के अधिष्ठाता प्रो. पीपी सिंह ने दिया. मुख्य अतिथि का परिचय डॉ. अनुपमा सक्सेना ने और संचालन डॉ. विकास अग्रवाल ने किया. आभार कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने माना. कार्यक्रम में सागर शहर के अनेक अधिवक्तागण, जिला अधिवक्ता संघ के पधाधिकारी गण, नागरिक गण, विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित थे. 
 
'मूट कोर्ट' का हुआ लोकार्पण   

मुख्य अतिथि के रूप में पधारे राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के निदेशक न्यायमूर्ति ए. पी. साही और कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति में विधि विभाग परिसर में निर्मित 'मूट कोर्ट'- विक्रमादित्य भवन का लोकार्पण हुआ. इस अवसर पर अधिष्ठाता प्रो. पीपी सिंह, प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा, कुलसचिव संतोष सोहगौरा, प्रो. आशीष वर्मा, प्रो. पुणताम्बेकर, प्रो. गिरीश मोहन दुबे सहित विधि विभाग के समस्त शिक्षक, विद्यार्थी और कर्मचारी उपस्थित थे. 
 
24 नवंबर 2021 को आयोजित कार्यक्रम 

24 नवंबर दोपहर 1.30 बजे 'आचार्य शंकर भवन'  (मानविकी एवं समाज विज्ञान व्याख्यान कक्ष कॉम्प्लेक्स) का  लोकार्पण माननीय श्री मुकुल मुकुंद कानिटकर, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मंडल, नागपुर एवं कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न होगा. दोपहर 02.00 बजे स्वर्ण जयन्ती सभागार में डॉ. हरीसिंह गौर के जीवनवृत्त का प्रदर्शन होगा. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय और आर.एफ.आर.एफ के साथ शैक्षणिक एमओयू हस्ताक्षर कार्यक्रम के उपरान्त गौर व्याख्यानमाला के अंतर्गत राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 : उच्च शिक्षा संस्थानों की नवाचारी भूमिका पर मान. श्री मुकुल मुकुंद कानिटकर, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मंडल, नागपुर एवं मान. सुश्री अरुंधती कावडकर, अखिल भारतीय महिला प्रकल्प सहप्रमुख एवं पालक अधिकारी, महाकौशल प्रान्त एवं मध्यभारत, भारतीय शिक्षण मंडल का व्याख्यान होगा. इसी स्थल पर प्रात: 10 बजे से अपरान्ह 3.00 बजे तक विश्वविद्यालयीन विद्यार्थियो द्वारा फ़ाईन आर्ट, पेंटिंग क्राफ्ट की प्रदर्शनी भी आयोजित होगी. 
 
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