ज्ञान के सागर थे जैन संत आचार्य ज्ञानसागर ,सागर से था गहरा जुड़ाव
वाराणसी। ज्ञानसागर सांईस फांउडेशन के तत्वाधान में प्रख्यात जैन संत सराकों के राम आचार्य ज्ञानसागर के प्रथम समाधि दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में देश विदेश के जैन वैज्ञानिकों ने अपनी श्रद्धा सुमन के माध्यम से उनके अवदानों को याद किया। वक्ताओं ने कहा कि आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज बिना किसी भेदभाव के सभी धर्म के व्यक्तियों को मानव सेवा हेतु प्रोत्साहित करते थे तथा भारतीय संस्कृति के अनुपम पक्षों को विश्व में फैलाने में अपना आर्शीवाद देते थें। इस अवसर पर सागर मूल की ब्र0 अनीता दीदी ने कहा कि आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज बहुआयामी व्यक्तित्व थे तथा उनका सागर से विशेष जुडाव रहा है। सागर मूल के जैन विद्धत महासंघ के प्रचार मंत्री डा0 संजीव सराफ ने बताया कि आचार्य ज्ञानसागर महाराज का सागर में चातुमार्स हुआ था तथा विभिन्न संगोष्ठियों के माध्यम से उन्होंनें सभी को अपना आर्शीवाद दिया था। इस अवसर पर फीनिक्स अमेरिका के किरीट जैन, लंदन विश्वविद्यालय के प्रो0 पीटर फ्यूगल, न्यायमूर्ति अभय गोहिल, डा0 संजीव सोगानी, प्रो0 प्रेमसुमन जैन, डा0 सोहनलाल तांतेड, डा0 कल्याण गंगवाल, जैन विश्व भारती लंदन की समणी प्रतिभा प्रज्ञा सहित देश विदेश के आचार्य ज्ञानसागर महाराज के शिष्यों ने प्रतिभागिता की तथा आचार्य ज्ञानसागर को ज्ञान का सागर निरूपित किया।अध्यक्षता कुंदकुंद ज्ञानपीठ के प्रख्यात जैन गणितज्ञ प्रो0 अनुपम जैन ने की।