SAGAR : लोक अदालत में 49
खण्डपीठो में निपटे 1815 प्रकरण
★ मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों में क्षतिपूर्ति राशि रूपये 3,49,01,500/- पीड़ित पक्षकारों को दी गई
सागर । प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सागर श्री डी.एन. मिश्र के मार्गदर्शन में 11 सितंबर को नेशनल लोक अदालत का सफल आयोजन जिला मुख्यालय सागर एवं सभी तहसील न्यायालयों में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री डी.एन. मिश्र, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ,के द्वारा किया गया।
11 सितंबर को आयोजित नेशनल लोक अदालत हेतु संपूर्ण जिले में 49 खण्डपीठों का गठन किया गया, जिसमें न्यायालय में लंबित प्रकरणों में से 758 प्रकरण एवं प्री-लिटिगेशन के 1057 प्रकरण निराकृत किए गए, जिसमें मोटर दुर्घटना के 130 प्रकरणों का निराकरण कर क्षतिपूर्ति राशि रूपये 3,49,01,500/- के अवार्ड पारित किए गए, चैक बाउंस के 171 प्रकरणों के निराकरण में कुल राशि रूपये 19,57,91,430/- परिवादी पक्ष द्वारा प्राप्त किये गए। आपराधिक प्रकृति के शमन योग्य 138 प्रकरण, विद्युत के 98 प्रकरण, पारिवारिक विवाद के 123 प्रकरण तथा दीवानी एवं अन्य प्रकृति के 98 प्रकरणों का निराकरण किया गया। विभिन्न बैंकों के 280 प्री-लिटिगेशन प्रकरण, विद्युत विभाग के 329 प्री-लिटिगेशन प्रकरण, नगर निगम के 372 प्री-लिटिगेशन प्रकरण एवं अन्य 76 प्री-लिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण भी इस अवसर पर हुआ जिसमें राशि रूपये 15,23,6,096/- का राजस्व प्राप्त हुआ।
नेशनल लोक अदालत के शुभारंभ कार्यक्रम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/ अध्यक्ष डी.एन. मिश्र, एवं अन्य न्यायाधीशगण, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री विवेक शर्मा, अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ, सागर श्री अंकलेश्वर दुबे, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री अनुज कुमार चन्सौरिया, अधिवक्तागण, बीमा कंपनियों के अधिकारीगण, बैंक, विद्युत, नगर निगम एवं अन्य विभागों के अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर फलदार वृक्षों का वितरण भी राजीनामा करने वाले पक्षकारों को न्याय वृक्ष के प्रतीक के रूप में प्रदान किया गया। विशेष प्रकरण के रूप मेंः- लोक उपयोगी सेवाओं से संबंधित प्रकरणों के निराकरण हेतु श्री विवेक शर्मा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, श्री एच.एस. जायसवाल, कार्यपालन यंत्री (लो.नि.वि.), श्री सुरेश बौद्ध, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की खण्डपीठ में श्री सुरेन्द्र गुप्ता, नगर पालिका परिषद, मकरोनिया के द्वारा दीनदयाल वार्ड नं0 03 में स्थिति देवकृपा पार्क से मिट्टी एवं गिट्टी हटवाने हेतु एवं 01 अन्य प्रकरण जो श्री सुरेन्द्र गुप्ता द्वारा ही न्यू टाउन प्रभाकर नगर, वार्ड नं. 02 में स्थित प्रजापिता ब्रह्मकुमारी आश्रम के आस-पास से कीचड़, पानी, गंदगी एवं सीवर लाईन का पानी हटवाने के लिए एवं उचित साफ-सफाई के लिए प्रस्तुत किये गए थे, में सुलह कार्यवाही की गई जिसके फलस्वरूप नगर पालिका परिषद्, मकरोनिया द्वारा देवकृपा पार्क के पास से गिट्टी एवं मिट्टी हटाकर के साफ-सफाई कराई गई और ब्रह्म कुमार आश्रम से मेनगेट तक सी.सी. रोड का निर्माण कराकर आवश्यक साफ-सफाई करा देने के आधार पर आपसी सहमति से प्रकरणों का निराकरण किया गया।
इसी प्रकार व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खण्ड बीना, श्री संतोष तिवारी की खण्डपीठ में लगभग 21 वर्ष पुराना दीवानी प्रकरण जो ख्याति प्राप्त परिवार की बहन द्वारा बड़े भाई के विरूद्ध मकान, कृषि भूमि एवं अन्य अचल संपत्तियों में अपने हक के आधार पर पेश किया गया था, में खण्डपीठ के प्रयासों से भाई-बहन के मध्य आपसी सहमति से राजीनामा के आधार पर प्रकरण का निराकरण हुआ जिसमें दोनो पक्षों ने संपत्ति से बढ़कर रिश्तों को अहमियत दी। उक्त खण्डपीठ के प्रयासों से ही 17 वर्षो से विचाराधीन 01 अन्य व्यवहार वाद का निराकरण भी आपसी राजीनामा के आधार पर इस नेशनल लोक अदालत में हुआ।
ग्राम मीरखेड़ी, तहसील राहतगढ़ निवासी श्री वीरसिंह को सेंट््रल बैंक ऑफ इंडिया, सीहोरा शाखा द्वारा ऋण खाते की बकाया राशि के भुगतान हेतु नोटिस दिया था किन्तु नोटिस उपरांत भी बकाया राशि अदा न करने पर उक्त बैंक द्वारा प्री-लिटिगेशन प्रकरण के रूप में उक्त प्रकरण को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सागर के कार्यालय में प्रस्तुत किया था, जिसमें कार्यालय द्वारा विपक्षी को सूचना पत्र जारी किया गया जिसके परिणाम स्वरूप बकायादार नेशनल लोक अदालत में उपस्थित हुआ जिसमें अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ श्री अंकलेश्वर दुबे के द्वारा दोनो पक्षों को समझाईश दी गई तो बैंक के द्वारा बकायादार को राशि में कुछ छूट प्रदान की गई, बकायादार द्वारा एक मुश्त राशि जमा कराई गई जिससे उसके ऋण खाता की अदायगी पूर्ण हो गई।
इसी प्रकार न्यायिक मजिस्ट््रेट प्रथम श्रेणी, सुश्री साक्षी मसीह की खण्डपीठ के द्वारा ग्राम बाबूपुरा, पुलिस थाना, सिविल लाईन अंतर्गत निवासी महिला आवेदिका द्वारा वर्ष 2018 में उसके पति के विरूद्ध भरण-पोषण प्राप्ति हेतु प्रकरण प्रस्तुत किया गया था, में उभयपक्षों के मध्य सुलह कार्यवाही कराई गई जिसके फलस्वरूप पति-पत्नि ने पुनः साथ में रहने का निश्चय किया तथा आपसी सहमति से प्रकरण का निराकरण हुआ।