सागर मूल के दो विद्वानों का हुआ दिल्ली में सम्मान
सागर मूल के दो विद्वानों का हुआ दिल्ली में सम्मान
महात्मा स्वामी रामचंद्र वीर जी महाराज की जन्म जयंती पर राम कथा अमृत का आयोजन 6 अक्टूबर से
पति के निधन के बाद पोल्ट्री फार्म किया शुरू सुनीता ने , अब मुर्गी पालक सोसाईटी की अध्यक्ष भी है
सागर । देवरी विकासखंड के ग्राम गोपालपुर की अनुसूचित जनजाति वर्ग से जुड़ी श्रीमती सुनीता गौड़ आज पोल्ट्री फॉर्म चलाकर अपना परिवार पाल रही है। उन्होंने बताया कि 2019 में उनके पति का देहांत हो गया। परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। आजीविका मिशन के देश देश समूह से जुड़े होने के कारण उन्होंने पोल्ट्री फॉर्म शुरू किया।
वर्तमान में उनके पास 600 से अधिक पोल्ट्री उपलब्ध है उनके दो बेटे एक बेटे का मशीन में हाथ फस जाने के कारण बेटा एक तरह से दिव्यांग हो गया है। नौवीं कक्षा के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी छोटा बेटा दसवीं कक्षा पर है। उनके पास थोड़ी खेती भी है। जिसमें उन्होंने मक्का और कींद लगा रखा है।
वह बताती हैं कि पति के नहीं होने और बेटे की दिव्यांगता के कारण उन्हें ही परिवार में सारे काम करना होते हैं। वे अपने गांव की मुर्गी पालक सोसायटी की अध्यक्ष भी है यद्यपि वे कम शिक्षित है। पर वे अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी दक्षता और कुशलता से कर रही है वर्तमान में वे 600 से 800 पोल्ट्री बोर्ड की इकाइयों का साल में कम से कम 6 राउंड पालन कर बीच लेती है। 25 से इस काम से उन्हें इस काम से उन्हें 45 दिन में 8000 से 10000 रूपये की आमदनी हो जाती है।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ इच्छित गढ़पाले का कहना है कि इन परिवारों के कुशलतापूर्वक कार्य संचालन के लिए मनरेगा के अंतर्गत पोल्ट्री शेड के निर्माण किए गए हैं ताकि वे अपना काम प्रोफेशनल तरीके से कर सके।
जिला कलेक्टर श्री दीपक सिंह का कहना है कि आजीविका मिशन से जुड़ी प्रत्येक वर्ग की महिलाओं ने अपनी सफलता की दास्तान लिखी है वह अब नेतृत्व विकास के साथ-साथ परिवार के संचालन में आमदनी को बढ़ाने में आगे आ रही है।
जिला परियोजना प्रबंधक श्री हरीश दुबे का कहना है कि देवरी विकासखंड में 400 से अधिक परिवार इस काम को कर रहे हैं और वह इस काम को करके खुशहाल जीवन यापन कर पा रहे।
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SAGAR : निजी अस्पतालों एवं पैथोलॉजी लैबों का निरीक्षण , नही मिले डाक्टर और पैथालॉजिस्ट, नोटिस जारी
सागर । सीएमएचओ डॉ. सुरेश बौद्ध ने शिवाजी अस्पताल तिली, शांति अस्पताल मकरोनिया, सेवा अस्पताल मकरोनिया, गुरूकृपा पैथोलॉजी मकरोनिया, लाल पैथोलॉजी परकोटा एवं कलेक्शन सेंटर का औचक निरीक्षण गया।
निरीक्षण के दौरान शिवाजी अस्पताल तिली में पंजीकृत चिकित्सक अनुपस्थित पाये गये। साथ ही मेडीकल शॉप में पंजीकृत फार्मासिस्ट अनुपस्थित मिले। शांति अस्पताल मकरोनिया में वॉयोमेडीकल वेस्ट का उचित प्रबंधन नहीं किया जा रहा था। सेवा अस्पताल मकरोनिया में कोविड-19 गाईड लाईन का पालन नहीं हो रहा था। अस्पताल में सोनोग्रॉफी का पंजीयन चस्पा नहीं था। मेडीकल शॉप द्वारा दवाओं के बिल नहीं दिये जा रहे थे। इस हेतु ड्रग्स इंस्पेक्टर श्री प्रीत स्वरूप को दूरभाष पर जॉच करने के निर्देश दिये गये। गुरूकृपा पैथालॉजी मकरोनिया पर पैथालॉजिस्ट अनुपस्थित थे। मिलने का समय का उल्लेख नहीं था। उपस्थित नर्सिंग स्टॉफ द्वारा सैम्पलिंग के समय व प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा था । रिकार्ड में कमी पाई गई साईंनाथ पैथालॉजी एवं कलेक्शन सेंटर में बुटी की दुकान के साथ संचालित हो रहा था। इसको बंद करने के निर्देश दिये एवं सभी संस्था संचालकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ यह भी बताया गया कि इस प्रकार की कार्यवाही भविष्य में होती रहेगी। अतः आप लोग अपनी संस्था में नियमानुसार व्यवस्थायें करना सुनिश्चित करें।
निरीक्षण दौरान डॉ.एम.एल.जैन नर्सिंग होम शाखा प्रभारी, फार्मासिस्ट विनोद नामदेव आदि उपस्थित रहे।
महंगाई के खिलाफ कांग्रेस ने झाड़ू बेलन लेकर निकाला आक्रोश मार्च ★ प्रशासन ने किए ऐन मौके पर प्रदर्शन रोकने के नाकाम प्रयास
एमपी-: शांति के टापू में क्यों है अशांति,,,, ★ ब्रजेश राजपूत/ एबीपी न्यूज़ पर ब्लॉग
एमपी : शांति के टापू में क्यों है अशांति,,,,
★ ब्रजेश राजपूत/ एबीपी न्यूज़ पर ब्लॉग
उज्जैन - उन्नीस अगस्त की रात, मोहर्रम का मौका और गीता कालोनी में जुटी भीड़ में हो गयी ऐसी विवादित नारेबाजी जो विवाद का विषय बनी। अगले दिन जो वीडियो आया जिसमें पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने के दृश्य सामने आये। सरकार सख्त हुयी और राजद्रोह की धाराओं में सात नामजद और करीब बीस लोगों के खिलाफ मामले दर्ज हो गये। कुछ दिनों बाद बात आयी कि वो पाकिस्तान नहीं काजी साहब जिंदाबाद के नारे थे मगर जितना नुकसान होना था हो चुका था। एक खास वर्ग की बदनामी, मीडिया का भारी कवरेज और आरोप में धरे गये लोग लंबे समय के लिये जेल में।
इंदौर - बाईस अगस्त की दोपहर, गोविंद नगर में एक चूडी वाले को स्थानीय लोगों ने जमकर पीटा सामान की तलाशी ली पता चला कि यूपी से आया है साथ में दो आधार कार्ड हैं नाम तस्लीम। आरोप लगाया गया कि चूडी बेचने के बहाने छेड़छाड़ कर रहा था। वीडियो वायरल होता है तो रात में पिटाई के विरोध में बाणगंगा थाने का घेराव होता है। पुलिस पहले घेराव करने वालों पर कार्रवाई करती है। साथ ही चूडी वाले को पीटने वालों को भी पकड़ा जाता है और एक दिन बाद ही पढ़ने वाले तसलीम को पास्को एक्ट के तहत पकडकर जेल भेज दिया जाता है। वैसे इंदौर में पंद्रह अगस्त के बाद से लगातार ऐसी छोटी छोटी घटनाएं हो रही थी जिसमें दोनों समाजों में वैमनस्य बढ रहा था।
नीमच- छब्बीस तारीख को थाना सिंगोली में पुलिस को खबर मिली कि किसी चोर को पकडा है और उससे मारपीट की जा रही है। मौके पर पुलिस पहुंची तो देखा कि कान्हा भील को चोर समझकर कुछ लोगों ने बुरी तरह पीटा, पिकअप गाडी में पैर बांधकर घसीटा जिससे बाद में उसकी मौत हो गयी। बर्बरता का वीडियो वाइरल हुआ और पुलिस ने आठ आरोपियों के खिलाफ मौत का मामला दर्ज किया और उनके घर गिराये और गिरफ्तार किया।
देवास- छब्बीस तारीख को हाटपिपलिया के बरौली गांव में टोस और जीरा बेचने वाले मुस्लिम फेरी वाले जहीर को बामनिया रोड के पास गांव के कुछ लोगों ने रोका, गांव में क्यों आये इस पर पूछताछ की आधार कार्ड मांगा और नहीं मिलने पर मारपीट की। गांव वालों ने जहीर को बाद में बताया पुलिस ने दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
उज्जैन - उनतीस अगस्त, उज्जैन जिले के महिदपुर के सेकली गांव में पहुंचे कबाडी अब्दुल रशीद को गांव के कुछ लोगों ने रोका, गांव में आने पर ऐतराज जताया, उसकी गाडी से सामान फेंका और धौंस देकर जय श्री राम के नारे भी लगवाये। कबाडी की शिकायत पर अगले दिन पुलिस ने झाडला थाने में मारपीट का मामला दर्ज किया।
पिछले दिनों लगातार एक के बाद हुयी इन घटनाओं से मध्य प्रदेश खबरों में गर्माया रहा। बीच के पंद्रह महीनों को छोड़ दें तो 2005 से मध्य प्रदेश की सरकार चला रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा मध्यप्रदेश को शांति का टापू कहते आये हैं। तो ये दिल का हद्य प्रदेश अशांति का चौराहा क्यों बन बैठा है ये सवाल प्रदेश की जनता के मन में है। ऐसा अचानक क्या हो गया है कि कुछ लोगों की हरकत के कारण प्रदेश की इतनी बदनामी हो रही है। मगर इन सारी घटनाओं को वीडियो के मार्फत से हम देखेंगे तो एक बात साफ नजर आती है वो है समाज में बढ रही नफरत और वैमनस्यता साथ ही कानून के डर का खत्म होना। कोई भी किसी को रोक कर परिचय पत्र मांगने लगता है। किसी के पहनावे पर एतराज करने लगता है। हमारे गांव क्यों आए इस पर सवाल खडे करने लगता है।
मौका मिलते ही कानून को एक तरफ रखकर सामने वाले को सबक सिखाना शुरू कर दिया जाता है। छोटे छोटे गांव और कस्बों में मोरल पुलिसिंग के नाम पर गले में पटटा डालकर किसी को भी सबक सिखाने वालों की एक नयी जमात पनप गयी है। जो किसी को चोर किसी को विदेशी एजेंट बताकर उसके साथ मारपीट पर उतारू हो जाती है।
निश्चित ही ये घटनाएं दुखद और चिंताजनक हैं आखिर किस प्रकार का समाज हम अपने प्रदेश में बनने जा रहे हैं। एक वर्ग विशेष को निशाना बनाना फासिज्म है। किसी के कहीं आने जाने पर पाबंदी लगाना कम्युनिस्ट देशों में होता है। धर्म और पहनावे के नाम पर नफरत फैलाने से देश फिर वैसा ही बंटेगा जैसा पचहत्तर साल पहले टूटा था।
इन पूरी घटनाओं में अच्छी बात ये है कि पुलिस ने कार्रवाई की है सख्ती दिखाई है। मगर इन घटनाओं पर सरकार में बैठे जनप्रतिनिधी अक्सर चूक कर जाते हैं और हमेशा कमजोर के खिलाफ ही खडे दिखते हैं। छोटी छोटी घटनाओं को तालिबान और पाकिस्तान से जोड़कर देखने की और उनके नाम पर दूसरों को डराने की ये प्रवृत्ति खतरनाक है। भारी भरकर जुमलों को कैमरों के सामने बोलकर नेता मंत्री के बयान सनसनी तो बन जाते हैं मगर इसके असर दूरगामी होते हैं। उन जैसी भाषा और दूसरे लोग भी बोलने लगते हैं। पर इन घटनाओं में एक और सबसे खतरनाक पक्ष है वो है आम आदमी की खामोशी और चुप्पी।
मध्यप्रदेश में पहले जैसी शांति रहे इसके लिये जरूरी है प्रशासन की सख्ती और आम जनता की इन घटनाओं को रोकने की प्रवृत्ति तभी मध्यप्रदेश शांति का टापू बना रहेगा। ...
★ ब्रजेश राजपूत ,एबीपी न्यूज़ ,भोपाल