संघर्ष को वरदान समझे उसे अभिशाप नहीं : आचार्यश्री निर्भयसागरजी महाराज
★ प्रो. बिमल कुमार जैन स्मृति व्याखानमाला
सागर। जीवन में संघर्ष से ड़रना नहीं चाहिए वरन् उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए। संघर्ष को वरदान समझे उसे अभिशाप नहीं। जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान का होना बहुत ही जरूरी है। आप लायक बने, नालायक नहीं अन्यथा जीवन मूल्यों का कोई मतलब नहीं है। मूल्यों का मतलब दूसरों के लिए उपयोगी बनना होगा, क्योंकि हम जितने उपयोगी होते है उतने ही मूल्यवान होते है। उक्त उद्गार संत आचार्य श्री निर्भयसागरजी महाराज ने प्रो. बिमल कुमार जैन स्मृति व्याख्यानमाला के तहत प्रथम आॅनलाईन व्याख्यान में व्यक्त किए। कार्यक्रम में बाबा साहेब भीमराव अम्बेडर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू इंदौर के नैक सलाहकार एवं मानव मूल्यों के विशेषज्ञ प्रो. सुरेन्द्र पाठक ने मुख्य वक्ता के रूप मानव मूल्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि मानव में समझने और जीने के आयामों को समझकर ही मूल्यों के साथ जीया जा सकता है। उन्होंनंे संबंधों में मूल्यों की भूमिका को स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि संबंध में मूल्य निर्वाह होता है तभी मानव सुखी होता है। कार्यक्रम की प्रस्तावना तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत महासंघ के महामंत्री एवं कुंदकंुद ज्ञानपीठ के सचिव प्रो. अनुपम जैन ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि बैंक आॅफ बड़ौदा की वरिष्ठ शाखा प्रबंधक दीप्ति श्रीवास्तव ने कहा कि वर्तमान की आपाधापी वाली जिन्दगी में हम मूल्यों से दूर होते जा रहे है। इसके लिए हमें गंभीरता से सोचना होगा क्योंकि जीवन बहुत मूल्यवान है। इस अवसर पर उदयपुर विश्वविद्यालय के डा. प्रभात सिंह राजपूत, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डा. विवेकानंद जैन,डा.रामकुमार दांगी यंग लाइब्रेरी एसोसियेशन के डा. अजित कुमार जैन, प्रमोद बारदाना, पवन मेडीकल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
प्रो. जैन के परिजनों ने उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष मानव मूल्यों के लिए समर्पित विभूति को देने के निर्णय के तहत सत्य साई सेवा समिति के पूर्व संयोजक श्री राज जैमिनी को प्रो. जैन की पत्नी ने सम्मानित किया।
इस अवसर पर डा. विवेक सराफ, कमलेश जैन, सोनू शर्मा, भगवानदास ने भी अपनी श्रद्धाजंलि प्रदान की। कार्यक्रम के संयोजक सुकमाल जैन ने आभार व्यक्त किया एवं संचालन डा. संजीव सराफ ने किया।
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