बारिश में लगाए यें प्लांट, ताकि मिले भरपूर ऑक्सीजन ★प्रीति द्विवेदी

बारिश में लगाए यें प्लांट, ताकि मिले भरपूर ऑक्सीजन

★प्रीति द्विवेदी

भोपाल। कोरोना ने किस कदर हम सभी की जिंदगी में कोहराम मचाया है इससे तो सभी वाकिफ हैं। इस दौरान जो सभी जरूरी चीज रही है वो है प्राण वायु यानि की ऑक्सीजन। जिसके लिए हर तरफ हाहाकार मची। बारिश का मौसम शुरू हो चुका है तो ऐसे में क्यों न हम कुछ ऐसे पौधों के बारे में जानें जो हमारे घर की सुंदरता तो बढ़ाते ही हैं साथ ही साथ भरपूर ऑक्सीजन भी देते हैं। इन पौधों को ज्यादा केयर की जरूरत भी नहीं होती। यह मौसम भी पर्याप्त अनुकूल होता है इन्हें लगाने के लिए। 
   घर में ऑक्सीजन देने वाले इंडोर प्लांट्स को रखना बेहतर विकल्प है। पौधों को घर के अंदर रखने से न केवल हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि आप मानसिक तौर पर खुद को स्वस्थ महसूस करते हैं। घर बैठे ऑक्सीजन लेने का ये वो तरीका है, जो आपकी जेब पर भारी नहीं पड़ेगा और आपका स्वास्थ्य भी बनाए रखेगा। 
तो आइए ऐसे रूम प्लांट्स के बारे में जानते हैं, जो न केवल वातावरण में ऑक्सीजन बढ़ाते हैं बल्कि बेंजीन, फॉर्मेल्डिहाइड, जाइलीन, टोलुइन और ट्राईक्लोरोएथिलीन जैसे हानिकारक रसायनों को सोख भी लेते हैं।

तुलसी — 

हर भारतीय घर में तुलसी का पौधा जरूर होता है। इसे घर में रखने से घर में अच्छा स्वास्थ्य और भाग्य आता है। माना जाता है कि तुलसी के पौधे को घर के अंदर रखा जाए, तो ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है। ये दिनभर में 20 घंटे ऑक्सीजन तो देता ही है साथ ही साथ यह हवा से कार्बन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करता है। 

रोजाबैंबू — 

रोजाबैंबू का पौधा हवा से टोल्यूनि को हटाता है। टोल्यूनि तीखी गंध वाला रंगहीन तरल होता है। जब टोल्यूनि हवा में फैलता है, तो यह नाक, आंख और गले में जलन जैसे हानिकारक प्रभाव डालता है। अन्य पौधों की तरह इसका काम भी हवा में पाए जाने वाले बेंजीन, फॉर्मलडिहाइड जैसे विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करना है। घर में बैंबू प्लांट रखने से ऑक्सीजन लेवल काफी बढ़ जाता है।

एलोवेरा — 

एलोवेरा ऐसा पौधा है, जो आमतौर पर लगभग हर घर में लगा मिल जाएगा। आुयर्वेद में भी इसके फायदों का जिक्र किया गया है। ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए इसे घर में रखना बहुत जरूरी है क्योंकि इसकी पत्तियों में वातावरण में मौजूद बेंजीन और फॉर्मलडिहाइड को अब्जॉर्ब करने की बेहतरीन क्षमता है। चूंकि यह पौधा धूप में पनपता है, इसलिए इसे घर में ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां पर्याप्त धूप आती हो।

स्पाइडर प्लांट — 

स्पाइडर प्लांट घर के अंदर की हवा को स्वच्छ रखने के लिए बेहतरीन पौधा है। इस सुंदर पौधे की देखभाल करना काफी आसान है। ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए यह एक अच्छा इंडोर प्लांट है। इसे रिबन प्लांट के नाम से भी जानते हैं। यह पौधा कार्बन मोनोऑक्साइड, बेंजीन और फॉर्मलडिहाइड को छानकर हवा की क्वालिटी में सुधार करता है। इतना ही नहीं, ज्यादातर लोग हैप्पी वाइब्स और स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए इस पौधे को घर में लगाते हैं। इसे आप घर के लिंविंग रूम में रखें और हफ्ते में मात्र एक बार पानी दें।

एरिका पाम — 

एरिका पाम हवा को शुद्ध करने वाले ऑक्सीजन प्लांट्स में से एक है। यह इंडोर प्लांट आपके आसपास हवा में मौजूद खतरनाक गैसों को अब्जॉर्व कर लेता है। इस पौधे की खासियत है कि ये कम रोशनी और कम पानी में भी रह सकता है। नासा के अनुसार, घर के अंदर कंधे के बराबर के चार एरिका प्लांट रखे जाएं, तो अच्छा होता है। यह पौधा केवल ऑक्सीजन की आपूर्ति ही नहीं करता, बल्कि बच्चों और भ्रूण के संपूर्ण विकास में भी सहायक है।

स्नेक प्लांट — 

स्नेक प्लांट को नासा द्वारा हवा को शुद्ध करने और फॉर्मलडिहाइड, बेंजीन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, जाइलीन और ट्राइक्लोरोइथाइलीन जैसे विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करने के लिए मान्यता दी गई है। इसमें ऑक्सीजन को लाने और कार्बनडाई आक्साइड को अवशोषित करने की बेहातरीन क्षमता होती है। इस पौधे की खासियत है कि यह रात के समय में ऑक्सीजन का उत्पादन ज्यादा करता है। इसे आप चाहें, तो अपने बेडरूम या फिर किचन में भी रख सकते हैं।

गरबेरा डेजी — 

वैसे तो कई लोग इसे घर की सजावट के लिए इस्तेमाल करते हैं लेकिन रंग-बिरंगे फूलों वाला यह पौधा ऑक्सीजन भी देता है। नासा के स्वच्छ वायु अध्ययन के अनुसार गरबेरा डेजी हवा से फॉर्मलडिहाइड, बेंजीन और ट्राइक्लोरोइथाइलीन को साफ करता है। यह रात में ऑक्सीजन छोड़ता है और कार्बनडाईआक्साइड को अवशोषित करता है। इसे सीधी धूप की जरूरत होती है इसलिए आप इसे घर में किसी ऐसी जगह पर रखें, जहां कुछ घंटे धूप आती हो।

ड्रैगन ट्री

इस प्‍लांट को रेड-एज ड्रैसेनिया भी कहते हैं। यह हमेशा हरा-भरा रहने वाला पौधा है। यह पौधा बेनजेन, फॉर्मेल्डिहाइड, जाइलीन, टोलुइन और ट्राईक्लोरोएथिलीन को सोख लेता है।  इस पौधे को सूरज की रोशनी की भी जरूरत होती है। इसलिए इसे ऐसी जगह भी रखा जा सकता है जहां धूप आती हो। इसमें नमी के अनुसार पानी की जरूरत होती है। आप इस पौधे को बालकनी या लिविंग रूम में ऐसी जगह पर रख सकते हैं जहां धूप आती हो।

पीपल का पेड़ — 

हिंदु धर्म में पीपल, तो बौद्ध धर्म में इसे बोधी ट्री के नाम से जानते हैं। कहते हैं कि इसी पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्‍त हुआ था। पीपल का पेड़ 60 से 80 फीट तक लंबा हो सकता है। यह पेड़ सबसे ज्‍यादा ऑक्‍सीजन देता है। इसलिए पर्यावरणविद पीपल का पेड़ लगाने के लिए बार-बार कहते हैं।

बरगद का पेड़ — 

इस पेड़ को भारत का राष्‍ट्रीय वृक्ष भी कहते हैं। इसे हिंदू धर्म में बहुत पवित्र भी माना जाता है। बरगद का पेड़ बहुत लंबा हो सकता है और यह पेड़ कितनी ऑक्‍सीजन उत्‍पादित करता है ये उसकी छाया कितनी है, इस पर निर्भर करता है।

नीम का पेड़ — 

एक और पेड़ जिसके बहुत से फायदे हैं वो है नीम का पेड़। इस पेड़ को एक एवरग्रीन पेड़ कहा जाता है और पर्यावरणविदों की मानें तो यह एक नैचुरल एयर प्‍यूरीफायर है। ये पेड़ प्रदूषित गैसों जैसे कार्बन डाई ऑक्‍साइड, सल्‍फर और नाइट्रोजन को हवा से ग्रहण करके पर्यावरण में ऑक्‍सीजन को छोड़ता है। इसकी पत्तियों की संरचना ऐसी होती है कि ये बड़ी मात्रा में ऑक्‍सीजन उत्‍पादित कर सकता है। ऐसे में हमेशा ज्‍यादा से ज्‍यादा नीम के पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है। इससे आसपास की हवा हमेशा शुद्ध रहती है।

अशोक का पेड़

अशोक का पेड़ न सिर्फ ऑक्‍सीजन उत्‍पादित करता है बल्कि इसके फूल पर्यावरण को सुंगधित रखते हैं और उसकी खूबसूरती को बढ़ाते हैं। यह एक छोटा सा पेड़ होता है जिसकी जड़ एकदम सीधी होती है। पर्यावरणविदों की मानें तो अशोक के पेड़ को लगाने से न केवल वातावरण शुद्ध रहता है बल्कि उसकी शोभा भी बढ़ती है। घर में अशोक का पेड़ हर बीमारी को दूर रखता है। ये पेड़ जहरीली गैसों के अलावा हवा के दूसरे दूषित कणों को भी सोख लेता है।

अर्जुन का पेड़ — 

अर्जुन के पेड़ के बारे में कहते हैं कि यह हमेशा हरा-भरा रहता है। इसके बहुत से आर्युवेदिक फायदे हैं। इस पेड़ का धार्मिक महत्‍व भी बहुत है और कहते हैं कि ये माता सीता का पसंदीदा पेड़ था। हवा से कार्बन डाई ऑक्‍साइड और दूषित गैसों को सोख कर ये उन्‍हें ऑक्‍सीजन में बदल देता है।

जामुन का पेड़

भारतीय अध्‍यात्मिक कथाओं में भारत को जंबूद्वीप यानी जामुन की धरती भी कहा गया है। जामुन का पेड़ 50 से 100 फीट तक लंबा हो सकता है। इसके फल के अलावा यह पेड़ सल्‍फर ऑक्‍साइड और नाइट्रोजन जैसी जहरीली गैसों को हवा से सोख लेता है। इसके अलावा कई दूषित कणों को भी जामुन का पेड़ ग्रहण करता है।

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मनी प्लांट — 

बेहद कम रोशनी में कमरों में आसानी से बढ़ने वाला मनी प्लांट भी तेजी से ऑक्सीजन बनाता है। नासा के अनुसार मनी प्लांट वातावरण से बेंजीन, फॉर्मेल्डिहाइड, जाइलीन, टोलुइन और ट्राई क्लोरो एथिलीन जैसे विषैले रसायनों को भी सोख लेते हैं। अपने इन गुणों के बावजूद मनी प्लांट बच्चों और पालतू जानवरों के लिए विषैले होते हैं। इसके पत्ते खाने से उल्टी-दस्त, मुंह और जीभ पर सूजन हो सकती है। घर में एक शख्स के लिए 18 इंच ऊंचा पौधा ठीक रहता है। मनी प्लांट को सीधी धूप की जरूरत नहीं होती। इसे भी सप्ताह में केवल एक बार पानी देने की जरूरत होती है। इसे किसी भी कमरे में, लेकिन बच्चों और पालतू जानवरों की पहुंच से दूर रखना चाहिए।

वीपिंग फिग — 

वीपिंग फिग महारानी विक्टोरिया के समय से ही काफी पसंद किया जाने वाला रूम प्लांट है। प्राकृतिक अवस्था में यह 20 मीटर तक ऊंचे हो सकते हैं। दरअसल, इनके तनों से ही जड़ें निकलने लगती हैं, जब यह जड़ लटकते हुए जमीन तक पहुंच जाती हैं तो खुद एक अतिरिक्त तना बन जाती है। इसकी पत्तियां नीचे लटकती हुई ऐसी दिखती हैं जैसे आंसू टपक रहे हों। यह घर की हवा में मौजूद फॉर्मेल्डिहाइड, जाइलीन और टोलुइन को सोख लेता है। यह कार्बन डाइऑक्साइड को भी तेजी से सोखकर ऑक्सीजन रिलीज करते हैं। गमले या जमीन में इसकी जड़ें बहुत तेजी से फैलती हैं। यह बगीचे या मिट्टी के गमले को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे पालतू जानवरों को एलर्जी भी हो सकती है। इस पौधे को आराम भी चाहिए होता है यानी आमतौर पर सर्दियों में सूख जाए, तो भी इसे पानी या खाद नहीं दी जाती। इसे बालकनी या लिविंग रूम में ऐसी जगह रखना चाहिए जहां सूरज की रोशनी आती हो।


घरों में पौधे लगाने के फायदे

घर के भीतर कई तरह के परागण, धूल और यहां तक कि अच्छे से अच्छा पेंट भी हवा की गुणवत्ता पर असर डालते हैं। ऐसे में घर के भीतर ऐसे पौधे लगाना बढ़िया विकल्प है, जो एयर प्यूरिफायर की तरह काम करते हुए ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखते हैं। ऐसे पौधों को ऑक्सीजन फैक्ट्री भी कहा जा सकता है। ये हवा को शुद्ध करने के साथ ही मानसिक तनाव को कम करने में भी मददगार हैं। यानी कोरोना काल में ये पौधे सबसे बढ़िया काम कर सकते हैं।

पौधे चुनते समय रखें इन बातों का ध्यान
पौधों का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि ऐसे पौधे लें जो तेजी से बढ़ते हों। ये पौधे ज्यादा से ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड कंज्यूम करते हैं। यानी ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ते हैं। साथ ही इन्हें मौसम के हिसाब से चुना जाना चाहिए। इसके अलावा इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि पौधों में किसी तरह की कोई बीमारी या फंगल संक्रमण न हो। कोरोना के दौर में ब्लैक फंगस जैसी बीमारी तेजी से फैल रही है, ऐसे में स्वस्थ पौधे लेना और उन्हें स्वस्थ बनाए रखना ही सही है।

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पीएम स्वनिधि योजना एवं स्वनिधि से संमृद्वि योजना के क्रि सागर मध्यप्रदेश के चयनित 9 शहरों में अव्वल




पीएम स्वनिधि योजना एवं स्वनिधि से संमृद्वि योजना के क्रि सागर मध्यप्रदेश के चयनित 9 शहरों में अव्वल


साग़र । कोरोना महामारी की रोकथाम हेतु लगाए गए लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए रेहड़ी और पटरी वालों (छोटे स्ट्रीट वेंडर्स) को अपना खुद का काम नए सिरे से शुरू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 10000 रूपये तक का लोन मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना( स्ट्रीट वेंडर्स आत्म निर्भर निधि योजना) अंतर्गत नगर पालिक निगम के द्वारा सागर के पात्र स्ट्रीट वेंडर्स को 10000 रूपये तक का ब्याज मुक्त लोन बैंकों के माध्यम से दिलाया रहा है।  
स्वनिधि से संमृद्वि योजना के तहत मध्यप्रदेश के 09 शहरों क्रमशः (इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, खंडवा, बुरहानपुर, उज्जैन, सागर, गुना, छतरपुर) का पायलट आधार पर चयन किया गया है। इस योजना अंतर्गत 1 लाख से 10 लाख तक की जनसंख्या वाले शहरों में नगर पालिक निगम सागर ऋण वितरण कर लाभ दिलाने में मध्यप्रदेश के चयनित 9 शहरों में प्रथम स्थान पर है। इसके साथ ही स्वनिधि से संमृद्वि योजना में भी सागर मध्यप्रदेश के चयनित अन्य 9 शहरों में प्रथम स्थान पर है। सागर में पीएम स्वनिधि के सभी लाभार्थियों की सामाजिक एवं आर्थिक जानकारी एकत्र कर डाक्यूमेंट तैयार किये जा रहे है और उनके परिवारों को भारत सरकार की अन्य 9 योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।
जिसके अंतर्गत पीएम स्वनिधि के लाभार्थियों एवं उनके परिवार जनों में से पीएम सुरक्षा बीमा योजना के लिए 2906 नागरिकों ने आवेदन किये और 2788 नागरिकों को हितलाभ दिया जा चुका है। इसी प्रकार पीएम जीवन ज्योति योजना में 2036 नागरिकों ने आवेदन किये और 1953 नागरिकों को, पीएम जन धन योजना में 74 नागरिकों में से 73 नागरिकों को, वन नेशन वन राशन कार्ड योजना में 2430 नागरिकों में से 2221 नागरिकों को, पीएम श्रमयोगी मनधन योजना में 2297 नागरिकों ने आवेदन किये और सभी 2297 ही नागरिकों को, कंस्ट्रक्शन कार्यो हेतु रजिस्ट्रेशन योजना में 174 नागरिकों ने आवेदन किये और सभी 174 नागरिकों को, इनके परिवारों की महिला सदस्यों द्वारा जननी सुरक्षा योजना में किये गए 54 आवेदनों मे से 50 महिलाओं को एवं पीएम मातृ वंदना योजना आदि के अंतर्गत लाभान्वित किया गया है। उक्त सभी योजनाओं अंतर्गत सागर शहर के कुल 9972 लोगों द्वारा दिये गये आवेदनों में से 9556 लोगों को लाभान्वित किया गया है।


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SAGAR : सात योजनाओं के लिए की गई भूमि आवंटित, बस स्टैंड को तिली में मिली जमीन

SAGAR : सात योजनाओं के लिए की गई भूमि आवंटित, बस स्टैंड को तिली में मिली जमीन

सागर । साग़र में सात योजनाओंके लिए जमीन आवंटित की गई है। इसमे  जिला एवं सत्र न्यायाधीश सागर तिलीमाफी के कुटुम्ब न्यायालय एवं श्रम न्यायालय नवीन भवन निर्माण , नगर पालिक निगम सागरखास नगर निगम सागर के नवीन बस स्टेण्ड विस्थापन हेतु तिलीमाफी सागर में,  जिला शिक्षा अधिकारी सागर तिलीमाफी में दिव्यांग बालक / बालिका छात्रावास निर्माण , बुन्देलखण्ड चिकित्सा महाविद्यालय सागर में 250 एमबीबीएस एवं 50 पीजी  शीट्स वृद्धि हेतु चिकित्सा शिक्षा विभाग को आवंटित किये जाने , उद्यमियों को उनकी परियोजना एवं आवश्यकतानुसार औद्योगिक ईकाईयों की स्थापना हेतु ,ढाना मिलिट्री स्टेशन  , महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं बाछलौन उघोग केन्द्र सागर , कर्नल एडमिनिस्ट्रेटिव कमांडेट जसराज मैं स्टेशन हेड क्वार्टर ढाना सागर  मैं भूमि आवंटित की गई है ।


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नहीं भुलेंगे वो भयावह दो महीने... ★ ब्रजेश राजपूत

नहीं भुलेंगे वो भयावह दो महीने...


★ ब्रजेश राजपूत

( एबीपी न्यूज़ का ब्लॉग )

खबर एक - भोपाल के भदभदा विश्राम घाट के सचिव मम्तेष शर्मा ने बताया कि 14 जून को उनके श्मशान घाट पर कोरोना प्रोटोकॉल के तहत एक भी अंतिम संस्कार नहीं हुआ। कोरोना से दम तोड़ने वाले स्टैंड पर तीन महीनों बाद ऐसा सन्नाटा रहा।

खबर दो - एमपी के स्वास्थ्य विभाग के 14 जून के कोविड मीडिया बुलेटिन में प्रदेष के 52 जिलों में से सिर्फ तीन जिलों में ही दो अंकों में मरीज दिख रहे थे। बीस जिलों में एक भी मरीज नहीं सामने आये। 
खबर तीन  - एमपी में 14 अप्रैल को एक दिन में ही पांच लाख दस हजार लोगों को कोविड का टीका लगा और वैक्सीनेशन के डेढ़ सौ दिन पूरे होने वाले दिन अब तक एक करोड तैंतालीस से लोगों को टीका लग चुका है। 
 
ऊपर लिखी ये तीन खबरें जानलेवा महामारी कोविड के नियंत्रण में आने की ओर इशारा कर रहीं है। इस साल की शुरुआत से ही कोविड दबे पांव आया या कहें कि वो गया ही नहीं था। मगर उसने कहर बरपाया साल के पिछले दो महीने में। आप क्या ये दो महीने भुला पाएंगे शायद नहीं। नये वित्त वर्ष के पहले महीने यानी अप्रैल के टेबल कैलेंडर की तारीखें हम पढ ही रहे थे मुंबई से कोविड के पैर पसारने की खबरें आने लगीं। मुंबई के पहले हफ्ते में कोरोना से 166 तो आखिरी हफ्ते में 490 लोगों ने दम तोडा। अप्रैल का महीना खत्म होते होते मुंबई में कोरोना के केस निकले सवा दो लाख से ज्यादा और मरने वालों की संख्या थी तकरीबन डेढ़ हजार। 
हमारा मध्यप्रदेश  महाराष्ट्र से लगा जरूर था और इन खबरों के बाद सरकार ने महाराष्ट्र से आने वाली बसों का आना जाना बंद कर दिया। मगर अप्रैल के दूसरे हफ्ते की शुरू होते ही हालत बेकाबू होने लगी। कोरोना केस आने की रफतार यूं बढी कि दो लाख एक्टिव केस एमपी में सिर्फ अप्रैल में ही आ गये। पिछले महीने की अपेक्षा ये चालीस फीसदी से ज्यादा की रफतार थी। इन नये आ रहे केस को संभालने के लिए अस्पतालों में बिस्तरों की मारामारी शुरू हो गयी थी। हमारे दोस्तों, रिश्तेदारों के फोन भोपाल, इंदौर और जबलपुर में किसी भी अस्पताल में मरीजों को भर्ती कराने के आने लगे। पहचान के डॉक्टर फोन तो हमारे उठा रहे थे मगर उनका पहला वाक्य होता था हॉस्पिटल में बेड की बात छोड कर कुछ भी बोलो अस्पताल फुल हैं। सच ये था कि कोरोना का कोई भी मरीज दो हफते से पहले ठीक हो नहीं पाता था इसलिये जो एक बार अस्पताल में आ गया तो फिर उसका बेड कम से कम दो हफ्ते के लिए बुक हो जाता था। अपने संपर्कों के दम पर किसी को अस्पताल में भर्ती कराना जंग जीतने जैसा काम हो गया था। इसके बाद शुरू हुआ अस्पतालों में आक्सीजन की तंगी का बुरा सपना। जिस भोपाल शहर में मेडिकल आक्सीजन की खपत सिर्फ अस्सी मीट्रिक टन रोज होती थी वो कुछ दिनों में ही दोगुनी हो गयी। उस पर कोढ में खाज ये कि आक्सीजन दूसरे प्रदेशों से ही आती रही है। इसलिये आक्सीजन को दूसरे प्रदेष से लाने और अस्पतालों तक पहुंचाने में सरकार लगी रही। सबसे बुरा होता है किसी मरीज  अस्पताल में दम तोड़ देना। और ये हुआ कई जगहों पर कई बार कभी भोपाल तो कभी इंदौर तो कभी शहडोल अस्पतालों में आयी आक्सीजन की तंगी ने अस्पतालों में हालत मौत के बना दिये और बडी मेहनत से अस्पतालों तक लाये गये कोविड मरीज दम घुट कर मर गये। अस्पताल में बिस्तर आक्सीजन के बाद दवा यानिकी रामबाण बना दिये गये इंजेक्शन रेमडेसिवीर की मारामारी ने भी इतिहास रच दिया। दवा बाजारों के बाहर रेमडेसिवीर के लिये ऐसी लंबी कतारें लगी जो हमने कभी अपने बचपन में शक्कर और मिट्टी के तेल के लिये राशन की दुकानों के बाहर लगी देखीं थीं। अस्पताल आक्सीजन और रेमडेसिवीर की तमाम परेशानियों के बीच मई का महीना आते ही मौतों ने तांडव दिखाया। जिन रिश्तेदारों और दोस्तों और परिचितों को आप हमने बड़ी मुश्किलों के बीच अस्पतालों में भर्ती कराकर आये थे और उनकी सलामती की रोज भगवान से दुआ मांगते थे अब उनकी मौत की खबरें आने लगीं थी। दिल्ली इंदौर भोपाल के शमशान घाट अब खबरें उगल रहे थे। रोज यहां तडके सुबह से देर रात तक चलने वाली चिताएं की तस्वीर अखबारों के पहले पन्नों पर जगह पा रहीं थीं। हम सबने अपने करीबी मित्रों रिश्तेदारों को खाना शुरू कर दिया था। सुबह उठकर फेसबुक या व्हाट्सएप चेक करना किसी बुरी खबर के सामना करने से ही होता था। 15 मई के बाद कोई दिन ऐसा नहीं छूट रहा था जब अपने करीबियों के बिछड़ने का समाचार ना सुनना पडा हो। भोपाल में मेरे घर के पचास मीटर की परिधि में एक हफ्ते में चार अपने वालों ने दम तोडा। इतना दुख दर्द शोक पीड़ा का सामना हमने कभी अब तक की जिंदगी में नहीं किया था। मौत के आंकड़े सरकार कुछ और सच्चाई कुछ कह रही थी। चेन्नई में रहने वाली डाटा जर्नलिस्ट रूकमनी एस ने पिछले साल की जन्म मृत्यु का हिसाब रखने वाले विभाग सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के आंकडों की तुलना कर बताया कि एमपी में पिछले महीनों के मुकाबले अप्रैल मई में तीन गुना ज्यादा मौतें हुयी हैं। ये सभी कोरोना से तो नहीं है मगर इनमें से सत्तर से अस्सी फीसदी कोरोना से ही हुयी होगी ऐसा अंदाजा है। 
दो महीने बाद अब मौतें थम रहीं है, भदभदा घाट में कोरोना प्रोटोकॉल की चिताएं कम जल रही हैं, अस्पताल में कोरोना के मरीज कम आ रहे हैं और कोरोना के टीकाकरण में तेजी आयी है। उम्मीद है ये दिन अब लंबे चलेंगे। मगर इसके लिये जरूरी है कि हम ये सोचें कि कोरोना गया नहीं है वो यहीं है हमारे साथ हमारे आस पास हमें और हमारे वालों को फिर जकडने के लिये। 

★ ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज , भोपाल
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जिला अस्पताल में व्यक्ति पर पेट्रोल डालकर आग लगाने से हुई मौत का मामला ★ कांग्रेस ने कलेक्टर - एस.पी को ज्ञापन सौंपकर मजिस्ट्रियल जांच की उठाई माँग

जिला अस्पताल में  व्यक्ति पर पेट्रोल डालकर आग लगाने से हुई मौत का मामला

★ कांग्रेस ने कलेक्टर - एस.पी को ज्ञापन सौंपकर मजिस्ट्रियल जांच की उठाई माँग

सागर । जिला अस्पताल परिसर में गत बुधवार की रात्रि में एम.एल.सी कराने आए अनुसूचित जाति वर्ग के काकागंज निवासी श्री दामोदर कोरी पर पेट्रोल डालकर आग लगाकर मौत के घाट उतारने की घटना की मजिस्ट्रियल जांच कर जिम्मेवारों पर कार्यवाही की मांग को लेकर कांग्रेसजनों ने म.प्र. कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री श्री सुरेन्द्र चौधरी के नेतृत्व में  कलेक्टर श्री दीपक सिंह व पुलिस अधीक्षक श्री अतुल सिंह को ज्ञापन सौंपा। पूर्व मंत्री श्री सुरेन्द्र चौधरी ने पुलिस व प्रशासन पर तीखा प्रहार करते हुये कहा कि प्रशासनिक लापरवाही का लाभ उठाते हुए घटना को अंजाम दिया गया हैं इसके लिये पुलिस व प्रशासन अपने उत्तरदायित्व से नही बच सकता। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो थाना मोतीनगर, गोपालगंज, और सिटी कोतवाली पुलिस अपने -अपने क्षेत्राधिकार का बहाना बनाकर कार्यवाही करने से बचती नजर आई वही दूसरी ओर जिला अस्पताल के अमले व सुरक्षा गार्डस आदि की गैर मोजूदगी के साथ ही बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा सुविधाएं होने के बावजूद पीड़ित को  प्रशासन द्वारा इलाज के लिये छतरपुर भेजा गया जहाँ इलाज के आभाव में उसकी मौत हो गई। श्री चौधरी ने चेतावनी दी हैं कि निश्चित समय सीमा में कार्यवाही न होने की दशा में कांग्रेस पार्टी आंदोलन को वाध्य होगी जिसका सम्पूर्ण उत्तर दायित्व शासन / प्रशासन का होगा। इस दौरान मुख्य रूप से म.प्र. कांग्रेस के सचिव राकेश राय, जिला कांग्रेस पि. वर्ग के अध्यक्ष शरद राजा सेन, युवा कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष अशरफ खान, अनिल कुर्मी, बलराम साहू, मुकेश खटीक,अबरार सौदागर, संदीप चौधरी आदि मौजूद थे।

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साग़र :उपभोक्ता बिजली कनेक्शन कटने के बाद ही कर रहे बिल का भुगतान, 488 कनेक्शन कटे

साग़र: उपभोक्ता बिजली कनेक्शन कटने के बाद ही कर रहे  बिल का भुगतान, 488 कनेक्शन कटे


साग़र। नगर संभाग सागर के अधिकांश उपभोक्ता बिजली तो भरपूर उपयोग कर रहे है लेकिन बिजली बिल का भुगतान समय रहते हर महीने नही कर रहे है ,पिछले 2 महीने से ज्यादातर उपभोक्ता बिजली तो भरपूर उपयोग कर रहे है परंतु बिजली बिल जमा करने आगे नही आ रहे है जिससे बिजली कंपनी की आर्थिक स्तिथि दयनीय हो गयी है। , सहायक अभियंता  शुभम त्यागी ने बताया कि कोरोना कर्फ्यू हटने के बाद से "सिन्हा एंड टीम के जोर शोर से प्रयास के बाद कुल 488 बिजली उपभोक्ताओं के कनेक्शन जिसकी राशि लगभग 53 लाख है,काटे गए है जिनमे से 429 उपभोक्ताओं ने बिजली बिल जमा कर दिया है जो कि साफ दर्शाता है कि   शहर का उपभोक्ता बिजली बिल बिना संपर्क किए जमा नही करता है ।

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कार्यपालन अभियंता स्वयं उतरे मैदान पर


सहायक अभियंता शुभम त्यागी ने बताया कि बुधवार को डीइ सिटी सिन्हा जी स्वयं मैदान पर कनेक्शन विछेदन कर रही टीम का औचक निरीक्षण करने काकागंज वार्ड पहुचे और टीम को सोशल डिस्टेन्स का पालन करने के लिए निर्देश देते हुए डिस्कोननेक्शन की समीक्षा की,इसके साथ ही उपभोक्ताओं को समय से बिल भरने के लिए स्पीकर से अनाउंसमेंट भी करवाया।

जून महीने में 9.50 करोड़ का दिया है टारगेट

कार्यपालन अभियंता एस. के.सिन्हा ने बताया कि मुख्य अभियंता के.एल.वर्मा ने सिटी डिवीज़न को 9.50 करोड़ वसूली का टारगेट दिया है जिसमे से अभी तक 80000 उपभोक्ताओं में से  8643 उपभोक्ताओं से लगभग 2 करोड़ की ही वसूली हो पाई है।

बिजली बिल जमा न होने की वजह से आंधी ,तूफान में नही होगी कंप्लेंट अटेंड

कार्यपालन अभियंता सिन्हा जी ने बताया कि आंधी बारिश आने पर उपभोक्ताओं की कंप्लेंट आती है ऐसे में जो उपभोक्ता बिजली बिल समय पर जमा करते ह या कोई भी राशि बिजली बिल में पेंडिंग नही है सिर्फ उनकी कंप्लेंट अटेंड की जाएंगी,बाकी उपभोक्ता जब तक बिजली बिल्कि राशि जमा नही करता है तब तक वो कंप्लेंट अटेंड नही की जाएंगी।


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अक्षय दुबे NSUI की सागर इकाई के जिलाध्यक्ष नियुक्त

अक्षय दुबे NSUI की सागर इकाई के  जिलाध्यक्ष नियुक्त  


सागर। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी , के निर्देश पर  मप्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी, एनएसयूआई के राष्ट्रीय महासचिव मध्यप्रदेश प्रभारी नीतेश गौड की अनुशंसा, पूर्व मंत्री हर्ष यादव व पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे की सहमति से मध्यप्रदेश एनएसयूआई अध्यक्ष विधायक विपिन वानखेड़े ने जिला  सागर इकाई  का जिला अध्यक्ष अक्षय दुबे को नियुक्त किया । दुबे लंबे समय से एनएसयूआई के लिए कार्य कर रहे थे, कई बार प्रदेश पद पर रहे कई आंदोलन की है व जेल भी गए । अक्षय दुबे ने नियुक्ती पर वरिष्ठ कांग्रेस नेताओ का अभार व्यक्त किया साथ ही साथ उन्होंने कहा की जिले मे एनएसयूआई वा कांग्रेस पार्टी को मजबूती प्रदान कर जिले की आठों ही विधानसभा पर कांग्रेस पार्टी को मजबूत करेगे ।

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नेशनल लोक अदालत 10 जुलाई को , आवश्यक दिशा-निर्देश जारी


नेशनल लोक अदालत 10 जुलाई  को , आवश्यक दिशा-निर्देश जारी


सागर ।  राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली, एवं म.प्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के निर्देशानुसार तथा प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष श्री बी.आर.पाटिल के  मार्गदर्शन में 10 जुलाई, 2021 को जिला न्यायालय, परिवार न्यायालय, श्रम न्यायालय एवं समस्त तहसील न्यायालयों में आगामी नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है।
उक्त नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण के लिये एवं सफल आयोजन हेतु प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष श्री बी.आर.पाटिल के द्वारा आज को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सभाकक्ष में जिला न्यायालय सागर के समस्त न्यायाधीशों एवं सभी तहसील न्यायालयों में पदस्थ न्यायाधीशों की मीटिंग ली गई। मीटिंग में अध्यक्ष महोदय के द्वारा नेशनल लोक अदालत में पारिवारिक विवाद, चैक बाउंस, विद्युत मामलें, दावा प्रकरण जैसें अन्य प्रकरणों के निराकरण हेतु प्रत्येक न्यायाधीश से पृथक-पृथक चर्चा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। अध्यक्ष महोदय के द्वारा सभी न्यायाधीशों को यह भी निर्देश दिया कि वे समझौता होने वाले संभावित प्रकरणों में दोनो पक्षकारों के साथ लोक अदालत के पूर्व प्री-सिटिंग भी करें जिससे पक्षकारों के बीच विवाद को आपसी समझौते से निराकरण के लिए प्रेरित किया जा सके।
बैठक में नेशनल लोक अदालत प्रभारी श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत, विशेष न्यायाधीश, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री विवेक शर्मा सहित जिला न्यायालय के समस्त न्यायाधीश उपस्थित हुए एवं विभिन्न तहसीलों में पदस्थ न्यायाधीश वीडियो कॉंन्फं्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए। 


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