पायलोनेफ्राइटिस बीमारी से पीड़ित वैष्णवी की सफल सर्जरी, तीन दिन में डिस्चार्ज होकर पहुंचेगी घर : शैलेन्द्र जैन

पायलोनेफ्राइटिस बीमारी से पीड़ित वैष्णवी की सफल सर्जरी, तीन  दिन में डिस्चार्ज होकर पहुंचेगी घर :  शैलेन्द्र जैन

सागर |  शहर के बाघराज वार्ड स्थित छत्रसाल नगर कॉलोनी निवासी बिटिया वैष्णवी सोनी जो कि किडनी की गंभीर बीमारी (पायलोनेफ्राइटिस) से पीड़ित होने की सूचना जैसे ही विधायक शैलेंद्र जैन को लगी थी बिटिया के घर पहुंचे और उसके स्वास्थ्य की पूरी जानकारी ली और उसके इलाज का पूरा आश्वासन  परिवार को दिया था  
उल्लेखनीय है कि बिटिया के पिता ऑटो चालक है और उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है कि वे बिटिया का अपने खर्चे पर इलाज करा सकें इसके बाद विधायक जैन ने सागर श्री अस्पताल प्रबंधन से चर्चा कर बेटी वैष्णवी के इलाज मैं रियायत देने का आग्रह किया इसे प्रबंधन ने स्वीकार किया प्रारंभिक जांच के बाद यह निष्कर्ष निकला की बेटी वैष्णवी का ऑपरेशन कर इन्फेक्शन को दूर किया जाएगा डॉ. चंद्रकांत मुन्जेवार (यूरोलोजिस्ट) ने बिटिया वैष्णवी की पूर्ण जाँच के बाद पाया की उनके अपर पोल किडनी के नॉन फंक्शनल टी. बी के कारण थी तथा सर्जरी के दौरान यूट्रास (बायीं साइड) में स्ट्रेकचर है जिसकी सर्जरी लगभग दो माह के बाद किया जाएगा | 

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विधायक जैन ने बताया कि बिटिया वैष्णवी 3 दिन पश्चात अपने घर वापस आ जाएगी और लगभग 2 माह बाद एक छोटी सर्जरी डॉक्टर मुंजेवार के अनुसार और की जाएगी जिसके बाद बिटिया पूर्णत स्वस्थ होगी।
उल्लेखनीय है कि बिटिया वैष्णवी के इलाज में प्रारंभिक रूप से जांचों में ₹50000 का खर्च आया था जिसे विधायक जैन और सागर श्री अस्पताल प्रबंधन ने संयुक्त रूप से वहन किया था और सर्जरी में लगभग ₹160000 का खर्च आया है ₹70000 मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान  से एवं शेष ₹90000 की राशि का वहन विधायक जैन और सागर की अस्पताल प्रबंधन ने किया है।


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टीकाकरण चाही गई व्यवस्था होनी चाहिए या थोपी गई' , जानिये वैक्सीनेशन से कैसे बनते हैं कीर्तिमान ★ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट

टीकाकरण चाही गई व्यवस्था होनी चाहिए या थोपी गई' , जानिये वैक्सीनेशन से कैसे बनते हैं कीर्तिमान

होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट 


उत्तर पूर्वी बिहार में नेपाल से बहकर आने वाली कोसी नदी मधुबनी सहरसा और दरभंगा जिले के हजारों एकड़ जमीन को रेत और दलदली मैदान में बदलती रही है । असम में ब्रम्हपुत्र की तरह बिहार में कोसी नदी की बाढ़ से इस क्षेत्र के लोगों का गहरा नाता है । सपाट जमीन पर फैली वही कोसी, पहले उन्हें बाढ़ से तबाह करती है और फिर वही बाढ़ इस क्षेत्र को उपजाऊ जमीन, पीने का जल और जीवन देती है । वहां का जनजीवन मैदानी इलाकों में तालाब की भांति खेतों गांवों मैदानों में फैली कोसी के आँचल और उसके इर्दगिर्द ही अपनी आजीविका जीती है ।  तालाबों झीलों कहीं नाले बन कर नस-नस की तरह फैले जल के स्रोत ही यहां के पीने के पानी का भी कभी स्रोत था , जिसने यहां की ग्रामीण आबादी को पोलियो जैसा भयंकर अभिशाप दिया था । जलजनित वायरस से होने वाले इस रोग ने तब यहां भयंकर महामारी का रूप ले लिया था ।
सन 2003 में  केंद्रीय और बिहार राज्य  स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम में शामिल एक युवा डॉक्टर ने जब अपने एम्बेसेडर कार से उतर कर कोसी नदी के ऐसे ही बैक वाटर वाले खुले जल-स्रोत से एक पनिहारिन को पानी भरते देखा तो वह , उस महिला के और करीब पहुच गए । गांव की वह औरत तैरते खरपतवार को हटाकर पीने का पानी भर रही थी और किनारे उसका मासूम बच्चा शौच कर रहा था । बच्चे के शौच के कुछ अंश,  बेशक ! बहकर उसके पानी के घड़े में ही वापस भर रहा था । 
उस युवा डॉक्टर के लिये वह बड़ा शॉकिंग था क्योंकि शौच मिले उस पानी के दो बूंद भी पोलियो के "दो बूंद" पर भारी पड़ रहा था । 
 लेकिन जाहिर है बिहार के अधिकारियों के लिए पिछड़े इलाके में शामिल इस क्षेत्र के लिए वह सामान्य बात थी । और गांव गांव शहर शहर पिछले कुछ सालों से चल रहे उस 'दो बूंद' के पोलियो 'वैक्सीन' का कोई विशेष फायदा नही मिल रहा था । 

वह युवा डॉक्टर थे मप्र में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र एन एच आर एम के वर्तमान उप संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, और मप्र में "प्रभारी कोविड वैक्सीनेशन" डॉ संतोष शुक्ला ।

जल-जन्य महामारी पोलियो के यहां फैलाव और बिहार के अति पिछड़े इस क्षेत्र को पोलियो से बचाने का सूत्र डॉक्टर शुक्ला के हाथ लग गया । और केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में सहायक आयुक्त राष्ट्रीय टीकाकरण के दायित्व को निभाते उन्होंने चंद महीनों में इस क्षेत्र को पोलियो मुक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । 

डॉ संतोष शुक्ला ने इसके पिछले साल 2002 में  ही विश्व भर मे सबसे ज्यादा पोलियो से प्रभावित उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ मऊ और गाजीपुर में पोलियो प्रभावित क्षेत्रों में 500 मीटर और 5000 मीटर के पैकेट बनाकर 48 घण्टों में विशेष वैक्सीनेशन कर चंद महीनों में पोलियो से इन क्षेत्रों को जड़ उखाड़ फेंका था । केंद्रीय स्वाथ्य मंत्रालय में डॉ संतोष शुक्ला को इस नई नई जिम्मेदारी ने अपने खास शैली और रिसर्च के साथ बनी रणनीति ने अप्रत्याशित सफलता दिलाई और मंत्रालय में उनका महामारी इरिडिकेशन का  काम बढ़ गया । 

डॉ शुक्ला ने यहां 'रिंग इम्युनाइजेशन' पद्धति अपनाई और देश में पोलियो के लिए सुर्खियों का दाग और उसे धोने के लिए चैलेंज बने  उत्तरप्रदेश के  इन क्षेत्रो में ग्रामीण क्षेत्रों में पीड़ित से 500 मीटर से 5 किमी और शहरी क्षेत्रों में  50 मीटर से 500 मीटर तक के पैकेट बनाए और 48 घण्टों में टारगेटेड आबादी का वैक्सीननेशन करवाया । इस नवाचार पद्धति को तब "महामारी प्रत्युत्तर टीकाकरण" नाम दिया गया ।
इस आशातीत सफलता से अभिभूत डॉ शुक्ला को अगले साल बिहार सरकार के अधिकारियों के  साथ कोसी नदी से लगे उन्ही जिलों में पोलियो के उन्मूलन के  लिए काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई और वह उन क्षेत्रों के दौरे पर निकले थे , जो बिहार में देश का एक और बड़ा पोलियो प्रभावित क्षेत्र था और पोलियो उन्मूलन के दो बूंद लेने के बावजूद यहां  लगातार केस आने का कारण किसी को समझ नही आ रहा था ।

कहते हैं -'एक चित्र सौ शब्द समान' ।  तब डॉ शुक्ला ने उस मां बेटे की बोलती तस्वीरें केंद्र सरकार और WHO को भेजा तो यहां  इम्यूनाइजेशन की कोशिशों  को मिल रहे असमान्य  झटकों को समझने में समय नही लगा । उनके इसी रिपोर्ट को आधार मानकर पूरे देश मे पुनः  गम्भीर श्रेणी के ऐसे 107 ब्लॉक को चिन्हित किया गया जहां पोलियो को केवल टीकाकरण से ही नही बल्कि पीने के साफ पानी, सड़क और बिजली के अतिरिक्त इंतजाम  कर  वैक्सीनेशन की बहुत महत्वपूर्ण स्ट्रेटजी बनाई गई । यह सम्भवतः विश्व मे नया रहा होगा । उस नए स्ट्रेटजी के साथ डॉ शुक्ला ने अपने एक साल पहले अपनाए उत्तरप्रदेश के पैटर्न पर ही बिहार के दरभंगा में अभियान चलवाया और उसे जल्द  पोलियो से मुक्त क्षेत्र बना दिया ।

यह अनुभवी अधिकारी इस समय मप्र में इस समय कोविड वैक्सीनेशन का कमान सम्हाले हुए हैं  जो मप्र राष्ट्रीय स्वाथ्य मिशन NHRM में उप संचालक रहते मप्र कोविड इम्यूनाइजेशन के प्रभारी भी हैं ।
19 नवंबर 1985 को देश मे UPI का जन्म हुआ तब पोलियो से बुरी तरह प्रभावित सागर जिले  के टीकाकरण अधिकारी के पद पर उन्होंने मप्र सरकार के चिकित्सा सेवा को ज्वाइन किया । मप्र के इसी सागर जिले से अपने नौकरी की शुरुआत करने वाले  इस अधिकारी को आज देश मे  सबसे वरिष्ठ 'इन सर्विस इम्यूनाइजेशन विशेषज्ञ अधिकारी' के रूप में जाना जाता है । 
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की अपनी पढ़ाई करते-करते ही स्टूडेंट संतोष शुक्ला को तब भोपाल में फैली बड़ी माता (small Pox) के इरिडिकेशन (उन्मूलन)में वालिंटियर के रूप में काम करने का अनुभव  किसी महामारी के  वैक्सीनेशन से उन्मूलन का पहला अनुभव था ।
1985 में देश के 16 जिलों में पोलियो की जबरदस्त रोगी मिले जिसमें मप्र का सागर भी एक था । डॉ शुक्ला यहां अपने पेशे में, इस दूसरी महामारी के उन्मूलन में लग गए ।  यह लंबा अनुभव काम आया और उन्हें केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग में जाकर काम करने का भी मौका मिला ।  उत्तरप्रदेश और बिहार की घटनाएं उन्ही दिनों के थे।
2011 में वापस मध्यप्रदेश लौटे डॉ शुक्ला को 2015 में गर्भवती माता और नवजात के टिटनेस के टीके पर काम करने का बड़ा अवसर मिला । पिछले तीन चार सालों से वे प्रदेश में खसरा के उन्मूलन के लिए पहले चरण में ढाई करोड़ बच्चों को टीका लगवा चुके हैं और उन्हें उम्मीद है कि 2023 तक मध्यप्रदेश को खसरा मुक्त कर देंगे । इसी बीच अचानक आए वैश्विक महमारी कोरोना से मध्यप्रदेश को  वैक्सीनेशन से इरिडिकेशन का दायित्व उन्हें सौपा गया है ।
डॉ शुक्ला का कहना है कि उत्तरप्रदेश में अपने नेतृत्व में किये उसी ''रिंग इम्यूनाइजेशन'' और ''महामारी प्रत्युत्तर टीकाकरण'' के पैटर्न को मध्यप्रदेश के  कोविड इम्यूनाइजेशन में भी कुछ जगह अपनाया है और उनका दावा है कि कोविड इरिडिकेशन में वही पैटर्न कारगर साबित होगा । इस पैटर्न में शहरी क्षेत्र में 500 लोगों को और ग्रामीण क्षेत्रों में 5 किमी का पैकेट बनाकर आवागमन रोक कर इम्यूनाइजेशन किया जा सकता है । 
अपने दायित्वों के इतर डॉ संतोष शुक्ला का कहना है कि लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के बजाय  उन क्षेत्रों को इंटरनल  लॉक फ्री किया जाना चाहिए जहां की आबादी में कोई कोरोना नही है ।  पैकेट आधारित वैक्सीनेशन की तरह पैकेट आधारित इरिडिकेशन भी करना होगा उनका दावा है कि जिसको वह अपना रहे हैं । 
उनका कहना है कोरोना एक आतंकी वायरस है । कोई भी वायरस हवा में रहेगा ही । हम उसे पूरी तरह नष्ट नही कर सकते लेकिन उस वायरस से लड़ाई के बजाय हमे उससे बचने या उसकी हमले के प्रवृत्ति को समझ कर स्वयं में कड़ाई  वाले नियम बरतनी होंगे । इसके लिए वह उसी "एस एम एस"- सेनेटाइजर मास्क और सोशल डिस्टेन्स पर आकर अपनी बात खत्म  करना चाहते हैं ..

अंततः , इम्यूनाइजेशन अभियान के प्रभारी के बतौर उनका मानना है  कोरोना खत्म नही होगा न ही उसे खत्म कर सकते है। वातावरण या किसी खास वस्तु में विद्यमान किसी  वायरस को खत्म नही किया जा सकता उसे समूल खत्म करने उस से लड़ने के बजाय उसके हमले होने के पहले अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करना ही इम्यूनाइजेशन है । 
भोपाल में 1975 के अपने पहले टीकाकरण अभियान में सिखाया गया था कि इम्यूनाइजेशन थोपी गई व्यवस्था नही बल्कि लोगों द्वारा चाही गई आवश्यकता होनी चाहिए ,यह आज बहुत महत्वपूर्ण बात है । और सरकारें चाहती हैं कि जनता खुद वैक्सीनेशन के प्रति जागरूक हों और बढ़ चढ़ कर आगे आएं ।

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डॉ सन्तोष शुक्ला..
2005 में केंद्रीय सरकार के एक प्रतिनिधि मंडल का  रवांडा में प्रतिनिधित्व किया ।
वर्ष 2008 में महाराष्ट्र के गन्ना क्षेत्र में रात्रिकालीन अंडर फ्लडलाइट टीकाकरण प्रारंभ कराया, जिससे हजारों किमी में फैले खेतिहर मजदूरों के बच्चों के टीकाकरण का नायाब तरीका निकाला।
2009 में  पंजाब में लुधियाना के नरकीय जीवन यापन करते हुए चाल में रह रहे गरीब बच्चों का  टीकाकरण सुनिश्चित कराया।
2010 में जालंधर और  अमृतसर के शहरी क्षेत्र के गली-गली ,मुहल्ले-मुहल्ले की कार्य योजना बनाई , जिससे पंजाब भी पोलियो-मुक्त हो सका।
2011 में बंगाल के 'आखरी केस' हेतु 7 जिलों का सर्विलांस ऑडिटर की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई।

2014 के पोलियो विक्ट्री के जश्न में रैपिड रेस्क्यू टीम सदस्य हैसियत से विशेष रूप से शामिल हुए ।
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 होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट,एबीपी न्यूज़, भोपाल 

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रात में घायल व्यक्ति को पुलिस वाहन की मदद से अस्पताल पहुंचा कर कराया इलाज

रात में घायल व्यक्ति को पुलिस वाहन की मदद से अस्पताल पहुंचा कर कराया इलाज

साग़र।  साग़र शहर में रात्रि करीब 12 बजे मोहननगर वार्ड निवासी अमित गुप्ता के पिताजी फिसलकर चोटिल हो गये थे वारिस होने और वाहन उपलब्ध ना होने के कारण उनको प्राथमिक उपचार नही मिल पा रहा था यह बात जैसे ही शहर अध्यक्ष सिंटू कटारे की जानकारी में आयी उन्होने कोतवाली थाने की गस्त वाहन को रूकवाकर मदद मांगी वाहन मे कोतवाली थाना प्रभारी नवल आर्य मौजूद थे उन्होने मानवता और इंसानियत का उदाहरण प्रस्तुत करते हुये गस्त वाहन से घायल को चिरंजीवी अस्पताल छोडा,जहां अस्पताल संचालक डा.दशरथ मालवीय ने स्वयं घायल का उपचार किया।
 तत्पश्चात थाना प्रभारी और अस्पताल प्रबंधन की संवेदनशीलता की तारीफ करते हुये सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे ने दोनो का धन्यवाद ज्ञापित किया।.          
आज सुबह से वैक्सीनेशन सेंटर पर लोगौ को  मोबाईल लगाकर कोवैक्सीन का 2 डोज लगवाने बुलाया एवं 18+को राजिस्टैन के बारे जानकारी दै।सेवादल अध्यक्ष सिन्टू कटारे के साथ ब्लॉक अध्यक्ष नितिन पचौरी जयदीप यादव मयंक तिवारी अकुर यादव  निक्की यादव रोहित यादव अरविंद ठाकुर आदि सेवादल सदस्य उपास्थित रहे।
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सम्भावित तीसरी कोरोना लहर के लिए सरकार तैयार , कुछ जिलो को छोड़कर स्थिति नियंत्रण में , कोरोना योद्धाओं के लिए बनाई जा रही पालिसी ★ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अध्यक्षता में केबिनैट की बैठक


सम्भावित तीसरी कोरोना लहर के लिए सरकार तैयार , कुछ जिलो को छोड़कर स्थिति नियंत्रण में ,
कोरोना योद्धाओं के लिए बनाई जा रही पालिसी
★ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अध्यक्षता में केबिनैट की बैठक





भोपाल । मध्यप्रदेश कैबिनेट की वर्चुअल बैठक आज मुख्यमंत्री Shivraj Singh Chouhan की अध्यक्षता में संपन्न हुई। आज पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक माननीय जुगल किशोर बागरी, पूर्व मंत्री और विधायक  ब्रजेन्द्र सिंह राठौर, विधायक श्रीमती कलावती भूरिया के निधन पर कैबिनेट के द्वारा आज शोक प्रस्ताव पारित किया गया। इसकी जानकारी गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दी। 

उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के उत्तर तथा मालवा अंचल के दो तीन जिलों को को छोड़कर सम्पूर्ण प्रदेश के अंदर अब कोरोना कि स्थिति नियंत्रण में आ रही है। आज प्रदेश में पांच माह का राशन तीन माह में देने का प्रधानमंत्री जी के द्वारा और मुख्यमंत्री जी के द्वारा जो तय किया है, उसकी भी मुख्यमंत्री जी द्वारा समीक्षा की गई।


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तीसरी लहर के लिए सरकार तैयार

संभावित तीसरी लहर के लिए राज्य सरकार पूरी तैयारी कर रही है। वेंटीलेटर, ऑक्सीजन, बेड या आईसीयू की बात हो हर तैयारी राज्य सरकार लगातार कर रही है। चूंकि इसमें बच्चों का भी शामिल होना बताया गया है, इसलिए कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। 

एक करोड़ टन गेंहू की खरीदी

अभी तक राज्य सरकार ने 1 करोड़ मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी किसानों से कर ली है, खरीद लगातार जारी है। सरसों, चना एवं मसूर में भी इस वर्ष समर्थन मूल्य से ज्यादा किसानों को दिलवाया है। जो लगभग 10 हजार करोड़ से अधिक होगा।

कोरोना योद्धाओं के लिए बनाई जा रही पालिसी


आज कैबिनेट में मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि कोरोना योद्धाओं या कोरोना कार्य में जो भी हमारे शासकीय कर्मचारी अधिकारी लगे हुए हैं, उनको एक जैसा ही ट्रीट किया जाएगा। सभी के लिए एक पॉलिसी बन रही है। 

भिंड जिले में खुलने जा रहे सैनिक स्कूल की स्थापना करने के लिए ग्राम मालनपुर जिला भिंड में शासकीय भूमि प्रदान करने का कैबिनेट ने तय किया है। डीएपी, पोटाश और यूरिया खाद के लिए मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ को राज्य की नोडल एजेंसी घोषित किए जाने व मार्कफेड के माध्यम से प्रदेश में आवश्यक उर्वरकों की निर्धारित मात्रा की व्यवस्था करने के लिए अग्रिम भण्डारण करने का निर्णय लिया है।

कृषक मित्र चयन की आयु अब 25 साल

कृषक मित्र चयन की आयु सीमा 40 के स्थान पर 25 वर्ष होगी। जिला सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों में सेवायुक्त परिसमापन के साथ उनके सेवायुक्तों के सम्मेलन हेतु संविलियन योजना दिनांक 31 दिसंबर 2019 तक की गई थी, उक्त योजना के अंतर्गत सेवायुक्तोंं का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है, इसलिए इन सेवायुक्तो के लिए संविलियन योजना की अवधि 30 जून 2021 तक बढ़ाएं जाने का आज तय किया  है।

नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट कंपनी लिमिटेड को वर्ष 2020–21 में द्वितीय अनुपूरक  में आवंटित की गई राशि 1 हजार 500 करोड़ तक की इक्विटी शेयर जारी कराए जाने का भी आज कैबिनेट के द्वारा तय किया गया है। 

आज सहकारिता विभाग द्वारा सोयाबीन प्रसंस्करण प्लांट पचावां जिला सीहोर की स्क्रैप की जो नीलामी 7 करोड़ 58 लाख की गई थी, उसे भी मंजूरी दी गई है। इसी तरह से ग्वालियर स्थित 5 भूखंड; सिरोल, कास्मों आनंद को भी अनुमति दी गई है। अल्फा नगर कॉलोनी, ग्राम बहरा, वार्ड –60 जिला ग्वालियर को भी 5 करोड़ 87 लाख रुपए की अनुमति प्रदान की गई है। 

आज कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना को भी लागू करने का अनुसमर्थन किया गया है। यह अपने आप में एक ऐतिहासिक योजना है, जिसमे 88 से 90 प्रतिशत आबादी इसमें शामिल होगी। प्रदेश के अंदर यह ऐतिहासिक योजना लागू की गई है कि अब दवाई के अभाव में किसी भी गरीब की मृत्यु नही होगी। इसमें सभी को शामिल करने का निर्णय किया गया है और कैबिनेट ने भी आज इसे पारित किया है। 

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मिसाल: केंसर पीड़ित पत्नी कोरोना पाजिटिव, दो मासूम बच्चे गांव पर भेजे और डाक्टर विजय पांडे ड्यूटी पर

मिसाल: केंसर पीड़ित पत्नी कोरोना पाजिटिव, दो मासूम बच्चे गांव पर भेजे और डाक्टर विजय पांडे ड्यूटी पर

सागर  : तीन वर्ष की बेटी और सात वर्ष के बेटे को गाँव में दादी के पास छोड़कर डॉक्टर विजय पांडे गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी मेडिकल मोबाइल यूनिट और कोविड केयर सेंटर के नोडल अधिकारी के रूप में लगातार अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। डॉ पांडे ऐसा सब सामान्य परिस्थितियों में नहीं, बल्कि तब कर रहे हैं जबकि, उनकी पत्नी जो कैंसर पीड़ित हैं और जिनकी पिछले महीने ही कीमोथैरेपी कराई गई है। ऐसे विपरीत हालातो में डॉ पांडे ड्यूटी कर रहे है। 

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जहाँ एक और डॉक्टर विजय पांडे की पत्नी श्रीमती प्रीति पांडे का कैंसर का इलाज चल रहा है , वहीं दूसरी ओर पिछले महीने ही वे कोरोना संक्रमित हो गई। संक्रमण का प्रभाव ऐसा कि, 16 अप्रैल से लगातार ऑक्सिजन सपोर्ट पर ही उनका इलाज चल रहा है।
ऐसी विषम परिस्थितियों में भी डॉक्टर विजय पांडे ने अपना डॉक्टर धर्म निभाते हुए एक भी दिन कार्य को थमने नहीं दिया और निरंतर एमएमयू एवं कोविड केयर सेंटर पर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। ऐसे असामान्य व्यक्तित्व हमारा को सौ बार सलाम।


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SAGAR : झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई शुरू, एलोपैथी इलाज करते मिला आयुर्वेदिक डाक्टर, अस्पताल सील

SAGAR : झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई शुरू, एलोपैथी इलाज करते मिला आयुर्वेदिक डाक्टर, अस्पताल सील

सागर।  कलेक्टर श्री दीपक सिंह के द्वारा कोरोना समीक्षा बैठक में दिये गये निर्देशों के अनुसार सिटी मजिस्ट्रेट श्री सीएल वर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर सुरेश बौद्ध के द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस क्रम में मंगलवार को मोतीनगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए आयुर्वेदिक डॉ श्री अजय विश्वकर्मा पर कार्रवाई की गई।


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सिटी मजिस्ट्रेट श्री सीएल वर्मा ने बताया कि, आयुर्वेदिक डॉक्टर के द्वारा अवैधानिक तरीक़े से एलोपैथिक उपचार किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि संबंधित डॉक्टर के पास जो डिग्री नहीं है वह उसके अंतर्गत इलाज कर रहा था जो कि, मरीज़ों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। संबंधित डॉक्टर के अस्पताल में मरीज़ भी भर्ती पाए गए थे जिन्हें शासकीय अस्पताल में शिफ़्ट करा दिया गया हैं और डॉ विश्वकर्मा के अस्पताल को सील कर दिया गया है।

प्रायः यह देखने में आ रहा है कि, शहर गांवों में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा ग़लत उपचार एवं ग़लत तरीक़े से संक्रमण का इलाज करने के कारण संक्रमण फैलने का ख़तरा बनता है। अतः कलेक्टर श्री दीपक सिंह के निर्देश की तत्काल पश्चात नगर दंडाधिकारी श्री सीएल वर्मा द्वारा मोतीनगर थाना अंतर्गत बड़े बाजार में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश बहुत मोतीनगर थाना प्रभारी के साथ झोलाछाप डॉक्टर पर अस्पताल पर ना केवल उसी अस्पताल से की गई साथ में पुलिस कार्रवाई भी की गई।  नगर दंडाधिकारी ने बताया कि कार्रवाई करते समय उक्त अस्पताल में 8 से 10 व्यक्ति इलाज करा रहे थे जिन्हें तत्काल एंबुलेंस के माध्यम से जिला चिकित्सालय भेजा गया है और अस्पताल को सील किया गया है श्री वर्मा ने बताया कि उक्त डॉक्टर आयुर्वेदिक कि डिप्लोमा लिए हुए था और इलाज एलोपैथी दवाई का कर रहा था। 
श्री दीपक सिंह के निर्देश के तत्काल तत्काल पश्चात संपूर्ण जिले में समस्त  प्रशासनिक अधिकारियों ने पुलिस  अधिकारियों की मदद से झोलाछाप डॉक्टरों के ख़लिफ़ सख़्त कार्रवाई करने का अभियान प्रारंभ किया है।



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SAGAR : कोरोना महामारी में 108 एंबुलेंस वाहन बना संजीवनी , 24 घंटे निरंतर दे रहे सेवा

SAGAR : कोरोना महामारी में 108 एंबुलेंस वाहन बना संजीवनी , 24 घंटे निरंतर दे रहे सेवा



साग़र। साग़र जिले में कोरोना काल मे 108 एम्बुलेंस सेवा संजीवनी का काम कर रही है। 24 घण्टे सेवाएं दे रही है। सागर जिले में इस समय 24 वाहन 108 
एम्बुलेंस के सड़को पर दौड़ रहे है। जो जी जान से मेहनत कर रहे है। 
खुरई नगर के शासकीय 108 वाहन की बात की जाए तो कोरोना के इस काल में अपनी 24 घंटे सेवा दे रही है । कोरोना फाइटर बनकर जिसमें रोज के 5 से 6 केस  होते हैं उसमें संक्रमित केस भी होते हैं । 108 एंबुलेंस वाहन के डॉ जितेंद्र राय  एवं पायलट मनोज राय ने बताया कि ज़िला अधिकारी गौरव साहू निर्देश अनुसार इस कोरोना काल के चलते हमें हर समय सजग रहना पड़ता है , कब कहां से सूचना आ जाए । वैसे तो रोज 5 से 6 केस प्रतिदिन हो जाते हैं जिसमें संक्रमित मरीजों को भी एडमिट करना रहता है, वहीं गंभीर मरीज को सागर ज़िला अस्पताल दिन हो या रात तुरंत ले जाया जाता है ।  108 एम्बुलेंस के डॉ जितेंद्र राय एवं पायलट मनोज राय धन्यवाद के पात्र हैं जो हर समय इस कठिन समय मे अपना घर परिवार छोड़कर मानव सेवा में लगे हुए हैं।  जब भी कॉल आता है, दोनों के द्वारा तुरंत घटनास्थल पहुंचकर मरीज को बड़ी जिम्मेदारी से अस्पताल पहुंचाया जाता है । वहीं अगर खुरई, बीना, मालथोंन, जरूवाखेड़ा से मरीज़ रेफर के कॉल आते हैं तो तुरंत उन्हें भी जिला अस्पताल ले जाया जाता है। उल्लेखनीय है कि यह सेवा सभी के लिए निशुल्क है ।

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एमपीईबी कर्मचारियों से सौतेला व्यवहार, वैक्सीन लगाने से इनकार ★ सरकार ने माना फ्रंटलाइन वर्कर, स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण कराने से किया इनकार

एमपीईबी कर्मचारियों से सौतेला व्यवहार, वैक्सीन लगाने से इनकार
★ सरकार ने माना फ्रंटलाइन वर्कर, स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण कराने से किया इनकार 

सागर। बिजली कंपनी के फील्ड वर्कर और शहर को रोशन रखने वाले फ्रंट लाइन वर्कर से स्वास्थ्य विभाग सौतेला व्यवहार कर रहा है।   सरकार ने इन्हें फ्रंटलाइन वर्कर जरूर माना है, लेकिन  स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें वैक्सिनेशन कराने से इनकार कर दिया है, जिस कारण विभाग के सैकड़ों कर्मचारियों में नाराजगी बनी हुई है। 
जानकारी अनुसार मंगलवार को पीटीसी ग्राउंड में 18 साल से ऊपर वाले फ्रंट लाइन वर्कर के लिए कोरोना की वैक्सिनेशन कैम्प लगाया गया था। जब बिजली विभाग के कर्मचारी यहां वैक्सिनेशन कराने पहुंचे तो जिला टीकाकरण अधिकारी ने उन कर्मचारियों को वैक्सीन लगवाने से इनकार कर दिया। बिजली विभाग के अधिकारियों ने जब कोरोना योद्धा और फ्रंट लाइन वर्कर होने का सरकार का पत्र दिखाया तो भी स्वास्थ्य विभाग नहीं माना और बिजली कर्मचारियों को बैरंग लौटा दिया।
उल्लेखनीय है कि बिजली कंपनी के सैकड़ो कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग के इस रवैये से नाराज हैं। कई कर्मचारी बीमार भी हैं तो दर्जनों अधिकारी-कर्मचारी कोरोना संक्रमित भी हो चुके हैं। 2 अधिकारियों की कोरोना से जान भी जा चुकी है। ऐसे में यदि सामूहिक अवकाश या हड़ताल जैसी स्थिति बनी तो BMC, जिला अस्पताल, अन्य कोविड सेंटरों, अस्पतालों सहित शहर में अंधेरा छा जाएगा।

इधर जानकारी अनुसार मौके पर कर्मचारी वैक्सिनेशन करा रहे थे, बिजली विभाग के कुछबल कर्मचारियों को वैक्सीन लगी भी थी, लेकिन मौके पर पहुंचे जिला टीकाकरण अधिकारी ने मना करा दिया। 

उन्हें फ्रंट लाइन वर्कर का सर्टिफिकेट अपलोड करना पड़ेगा

पीटीसी ग्राउंड पर 45 से ऊपर वालों का वैक्सिनेशन हो रहा है। 18 से ऊपर वालों का नहीं है। यदि एमपीईबी वालों को फ्रंटलाइन वर्कर के तहत टीकाकरण कराना है तो उन्हें पहले यह सर्टिफिकेट अपलोड करना पड़ेगा, उसके बाद ही वैक्सिनेशन हो सकेगा। 

- एसआर रोशन, जिला टीकाकरण अधिकारी।
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