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ट्रेडमार्क उल्लंघन सूट में जब्त किए गए 1.5 करोड़ मूल्य के पानी के पंप

 ट्रेडमार्क उल्लंघन सूट में जब्त किए गए 1.5 करोड़ मूल्य के पानी के पंप

★ ट्रेडमार्क उल्लंघन की छापेमारी , बैंगलोर और शिमोगा (शिवमोगा) में अधिवक्ताओं की टीम ने

बेंगलोर । कैलामा एक्वा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, बैंगलोर के खिलाफ, एक 60 वर्षीय कंपनी, इंदौर के कैलामा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, द्वारा दिल्ली कोर्ट में ट्रेडमार्क उल्लंघन का मुकदमा भरा गया था, जिसमें कैलाश एक्वा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के परिसर में तलाशी के लिए एक स्थानीय आयुक्त को नियुक्त किया गया था।  , बैंगलोर और शिमोगा (शिवमोग्गा) में। कैलामा एक्वा प्रा.लि.  बंगलौर में एक मुख्य आउटलेट और शिमोगा (शिवमोग्गा) में अन्य आउटलेट हैं, जहां वे कलमा सेलस प्राइवेट लिमिटेड, इंदौर के ब्रांड कालमा का उपयोग करके पानी पंप और अन्य उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं।

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वादी के अधिवक्ता  अंकुर तिवारी और कंपनी के प्रतिनिधि  मुकेश मेहता की उपस्थिति में  वरुण खन्ना को बैंगलोर परिसर के लिए स्थानीय आयुक्त नियुक्त किया गया।अकेले शिमोगा (शिवमोग्गा) परिसर में कैलामा के ब्रांड नाम से 1.5 करोड़ रुपये के भारी मात्रा में पानी के पंप जब्त किए गए हैं।
शिमोगा (शिवमोग्गा) परिसर में छापेमारी वादी अधिवक्ता श्री विश्वजीत अहिरवार और आईपीआर के सलाहकार मिस नम्रता जैन और श्री विजय सोनी की मौजूदगी में की गई, जहाँ भारी मात्रा में पानी के पंप जब्त किए गए हैं।


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SAGAR : कोरोना कर्फ्यू 26 अप्रैल तक बढा, दिशा निर्देश जारी ★ कार्यालयों में दस फीसदी कर्मचारी ही काम करेंगे, बाकी वर्क फ्रॉम होम ★ किराना दुकानों से होम डिलीवरी पर संचालक को कोविड टेस्ट कराना जरूरी ★ ऑटो रिक्शा में दो और कार में तीन सवारी ही रहेंगी ★ वैवाहिक आयोजनों की सूचना थानों में, लेकिन बारात नही निकलेगी

SAGAR :  कोरोना कर्फ्यू 26 अप्रैल तक बढा, दिशा निर्देश जारी 
★  कार्यालयों में दस फीसदी कर्मचारी ही काम करेंगे, बाकी वर्क फ्रॉम होम
★ किराना दुकानों से होम डिलीवरी पर संचालक को कोविड टेस्ट कराना जरूरी
★ ऑटो रिक्शा में दो और कार में तीन सवारी ही रहेंगी 
★ वैवाहिक आयोजनों की सूचना थानों में, लेकिन बारात नही निकलेगी

साग़र। (तीनबत्ती न्यूज़ ) । कलेक्टर दीपक सिंह ने साग़र जिले के नगरीय और अन्य क्षेत्रों में कोरोना कर्फ्यू को 26 अप्रैल की सुबह तक के लिए बढा दिया है। इसके साथ नए दिशा निर्देश जारी किए है। कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट सागर दीपक सिंह ने  जिला सागर अंतर्गत निम्नानुसार क्षेत्रों में समस्त सामाजिक / राजनैतिक/खेलकूद/मनोरंजन/शैक्षणिक / सांस्कृतिक/सार्वजनिक तथा धार्मिक गतिविधियों व आयोजनों के लिए लोगों का एकत्रित होना पूर्णतः वर्जित करने हेतु "कोरोना कर्फ़्फ्यू" आदेश
को दिनांक 26-04-2021 को प्रातः 06.00 बजे तक के लिए निरंतर रखने का आदेश जारी  किया है ।

इन क्षेत्रों में रहेगा कर्फ्यू

1. जिले के समस्त नगरीय क्षेत्रों - नगर निगम सागर, छावनी बोर्ड केंट, नगरीय निकाय मकरोनिया, शाहपुर,
राहतगढ़, सुरखी. बिलहरा, बांदरी, मालथौन, खुरई, बीना, देवरी, बण्डा, शाहगढ़, रहली, गढ़ाकोटा।

2. थाना क्षेत्र बहेरिया, सिविल लाइन, केंट, मोतीनगर एवं मकरोनिया की संपूर्ण सीमा ।

3. तहसील सागर अंतर्गत ग्राम पंचायत परसोरिया, सानौधा, नरयावली ढाना, कर्रापुर, जरूआखेड़ा, तहसील
रहली अंतर्गत ग्राम पंचायत पटना बुजुर्ग, चॉदपुर एवं तहसील गढ़ाकोटा अंतर्गत रोन, बलेह, चुनौआ बुजुर्ग,
तहसील खुरई अंतर्गत ग्राम पंचायत खिमलासा, तहसील मालथौन अंतर्गत बरौदिया, रजवास, उजनेट तहसील
बीना अंतर्गत मण्डी बामौरा, भानगढ़, कजिया, सिरचौथी, आगासौद तहसील राहतगढ़ अंतर्गत सिहौरा, झिला,
तहसील केसली अंतर्गत ग्राम पंचायत केसली, टड़ा, सहजपुर, तहसील देवरी अंतर्गत ग्राम पंचायत महाराजपुर,
गौरझामर, तहसील बण्डा अंतर्गत ग्राम पंचायत बरा, जमुनिया, सौरई, डिलाखेड़ी, बहरोल, तहसील शाहगढ़
अंतर्गत ग्राम पंचायत दलपतपुर, हीरापुर, विनायका, बरायठा, छानबीला, बराज, तहसील जैसीनगर अंतर्गत
ग्राम पंचायत जैसीनगर आदि की संपूर्ण सीमा।

इन गतिविधियों को कोरोना कर्फ्यू में प्रतिबंध से छूट रहेगी :

1. केन्द्र सरकार के अत्यावश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले कार्यालयों को छोड़कर शेष कार्यालय 10 प्रतिशत
कर्मचारियों के साथ कार्यालय चलायें, शेष कर्मचारी "Work From Home" करेगें।

2. अत्यावश्यक सेवाएं देने वाले कार्यालय यथा जिला कलेक्ट्रेट, पुलिस, होमगार्ड, सिविल डिफेंस, अग्निशमन एवं आपात कालीन सेवायें, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, जेल, कोषालय, राजस्व, विद्युत आपूर्ति, पेयजल आपूर्ति, नगरीय प्रशासन, ग्रामीण विकास, सार्वजनिक परिवहन आदि को छोड़कर शेष कार्यालय 10 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ कार्यालय चलायें, शेष कर्मचारी "Work From Home" करेगें।
राजस्व न्यायालयों में आकस्मिक परिस्थितियों को छोड़कर सुनवाई स्थगित रहेगी।

3. आईटी कंपनियों, बीपीओ/मोबाईल कंपनियों का सपोर्ट स्टॉफ एवं यूनिटस को छोड़कर शेष निजी कार्यालय भी 10 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ अपना कार्य संपादित करेगें, शेष कर्मचारी "Work From Home" करेगें।

4. अन्य राज्यों/जिलो से माल, सेवाओं, नागरिकों का आवागमन 

5. अस्पताल, नर्सिग होम, केमिस्ट दुकाने, अन्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाएं।

6. समस्त किराना दुकान बंद रहेंगी।
 समस्त इच्छुक किराना व्यापारी आर्डर पर किराना सामग्री होम सप्लाई अधिकतम 20 रू0 के चार्ज पर संबंधित निवास पर कर सकेगें। इसके लिए वे पूर्व से होम डिलेवरी सेवा देने की सूचना, डिलेवरी बॉय की सूची सहित संबंधित थाना को देगें। संबंधित संचालक इस हेतु
अपने स्टाफ का कोविड टेस्ट अनिवार्यतः करायेगें।

7. किराना के थोक व्यापारी केवल खुदरा व्यापारियों को प्रातः 06.00 से 09.00 बजे तक सामान वितरित कर सकेगें।

8. पेट्रोल पम्प, बैंक एवं ATM. इनमें कैश डिलीवर करने वाले वाहन व स्टॉफ ।

9. बीमा कम्पनीज, वित्तीय संस्थान (जैसे मुथूट फायनेंस आदि) ।

10. डी0एन0सी0बी0, खेल परिसर के बाजू में, दीनदयाल नगर स्थित केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक 2 के सामने
वाला मैदान में सब्जी/फल मण्डी 02 घण्टे प्रातः 07.00 बजे से 09.00 बजे तक खुलेगी। यहाँ के थोक विक्रेता केवल खुदरा सब्जी/फल विक्रय करने वाले विक्रेताओं को ही विक्रय करेगे ।

11. फल/सब्जी के ठेले, दूध वितरित करने वाले विभिन्न आवासीय क्षेत्रों में घर-घर फल/सब्जी/ दूध का वितरण कर सकेंगे।

12. दूध डेयरी/सांची पार्लर प्रातः 06.00 बजे से 09.00 बजे तक खुले रहेगे ।

13. औघोगिक मजदूरों, उद्योगों हेतु कच्चा / तैयार माल, उद्योगों के अधिकारियों/कर्मचारियों का आवागमन ।

14. एम्बुलेंस, फायर बिग्रेड, टेली कम्युनिकेशन, विद्युत प्रदाय, रसोई गैस, होम डिलेवरी सेवायें, दूध एकत्रीकरण
एवं वितरण के लिये परिवहन ।कार्यालयों/घरों में पानी के कैनन/कैम्पर का वितरण करने वाले वाहन आदि ।

15. सावर्जनिक वितरण प्रणाली की दुकाने ।
16. समस्त आटा चक्कियां खुली रहेगी।

17. इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, कारपेंटर आदि के द्वारा सेवा प्रदाय के लिये आवागमन। इस हेतु वे पूर्व से संबंधित थाने में सूचना देकर पावती हमेशा अपने पास रखेगें ।

18. निजी कंस्ट्रक्शन गतिविधियों (यदि मजदूर कंस्ट्रक्शन कैंपस/परिसर में रूके हो)।
19. विभिन्न शासकीय विभागों द्वारा किये/कराये जा रहे निर्माण कार्य । इस हेतु संबंधित एजेंसी के कार्मिकों को आवागमन हेतु परिचय पत्र विभागीय अधिकारी द्वारा दिये जायेगें। इस हेतु दैनिक निर्माण श्रमिकों का आवागमन । इस हेतु हार्डवेयर सामग्री के दुकानदार विभागीय अधिकारी के लिखित पत्र पर आवश्यक सामग्री दे सकेगें।

20. कृषि संबंधी सेवायें (जैसे किसी उपज मण्डी, उपार्जन केन्द्र, खाद बीज, कीटनाशक दवायें कस्टम हायरिंग
सेंटर, कृषि यंत्र की दुकाने आदि।) सागर जिले के सभी कृषक अपनी फसल कटाई, कृषि कार्य हेतु हार्वेस्टर ट्रेक्टर एवं अन्य मशीनी उपकरणों इत्यादि का पूर्ववत उपयोग कर सकेंगे । यदि उक्त उपकरणों में कोई खराबी आती है अथवा मरम्मत आवश्यक होती है, तो संबंधित मैकेनिक अथवा तकनीकी कर्मचारी
स्थल पर जाकर उक्त सुधार / मरम्मत कार्य कर सकेंगे ।
21. परीक्षा केन्द्र आने एवं जाने वाले प्रशिक्षार्थी तथा परीक्षा केन्द्र एवं परीक्षा आयोजन से जुड़े कर्मी, अधिकारीगण।

22. टीकाकरण व स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु आवागमन कर रहे नागरिक/कर्मी।
23. राज्य शासन द्वारा फसलों के उपार्जन कार्य से जुड़े कर्मी तथा उपार्जन स्थल हेतु आवागमन कर रहे किसान बंधु ।
24. बस स्टेण्ड, रेल्वे स्टेशन, ढाना हवाई पट्टी से आने-जाने वाले नागरिक।

25. टी0वी0 केवल नेटवर्क से संबंधित व्यक्ति ।

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26. एम.पी. ऑनलाईन के सेंटर व आधार कार्ड बनाने वाले केन्द्र ।

27. समाचार पत्र वितरण करने वाले हॉकर्स। प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया में कार्यरत पत्रकारगण। इस हेतु वे अपने संस्थान द्वारा जारी अधिकृत परिचय पत्र साथ रखेगे।
28. यात्रियों के रूकने हेतु होटल। ये होटल अपने यहां रूकने वाले यात्रियों को केवल रूम में खाना सप्लाई करेंगे।

29. शव यात्रा में अधिकतम 20 व्यक्ति शामिल हो सकेगे।

30. लॉकडाउन अवधि के दौरान शादी समारोह वर पक्ष, वधु पक्ष एवं व्यवस्थापक सहित 50 से अधिक शामिल
नहीं होंगे। इस संबंध में संबंधित क्षेत्र के कार्यपालिक मजिस्ट्रेट/थाना प्रभारी आयोजक व सम्मिलित होने वाले व्यक्तियों की सूची प्राप्त होने पर अधिकतम 50 व्यक्तियों की सूची का अनुमोदन कर सकेगें । इस हेतु शादी घरों के संचालकों को संबंधित थाना में समारोह आयोजन की पहले से सूचना देनी होगी एवं बारात नहीं निकाली जायेगी। आयोजकों द्वारा आगंतुकों की थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्यतः कराई जायें ।

31. मेडिकल इमरजैसी हेतु दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों का आवागमन। दो पहिया वाहन पर 02 व्यक्ति  व चार पहिया वाहन में वाहन चालक सहित अधिकतम 03 व्यक्ति रहेगें।

32. रेलवे स्टेशन / बस स्टेण्ड/अस्पताल/नर्सिंग होम से केवल यात्री/मरीजों को घर/अस्पताल तक लाने
ले जाने के लिये आटो/ई-रिक्शा चालन की अनुमति उपरोक्त स्थानों पर ही होगी। इनमें वाहन चालक सहित अधिकतम 03 व्यक्ति रहेगें।
33. धार्मिक स्थलों पर प्रातः काल एवं सायं काल अधिकतम 05 व्यक्ति अपने रीति रिवाज अनुसार उपासना कार्य संपादित कर सकेंगे।
34. यात्री बसों का संचालन कोविङ गाईडलाईन का पालन करते हुये यथावत चालू रहेगा।
35. विभिन्न एन0जी0ओ0/स्वंयसेवी संगठनों के कार्यकर्ता कोरोना महामारी के काल में किये जा रहे समाज सेवी कार्य हेतु आवागमन कर सकेगें ।
36. उपरोक्त छूट प्राप्त विभाग/संस्थान/दुकानदार/प्रतिष्ठान / नागरिक अनिवार्यतः सोशल डिस्टेसिंग के
नियम, मास्क आदि का कड़ाई से पालन करेंगे। सभी अपने संस्थान द्वारा जारी परिचय पत्र अनिवार्यतः साथ रखते हुए गले में प्रदर्शित करेगें।

इस आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध भा०८०सं0 की धारा 188 एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के
प्रावधानों के अंतर्गत कार्यवाही की जायेगी। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा।

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साग़र: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भर्ती सूची जारी



साग़र: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भर्ती सूची जारी





साग़र। मुख्य स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारी साग़र की जिला स्वास्थ्य समिति ने  संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भोपाल के निर्देश पर भर्ती सम्बन्धी सूची जारी की है। यह भर्ती 31 मई तक रहेगी। 

देखे सूची। 






















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वाराणसी: न इलाज मिला, न ही एंबुलेंस, बेटे के शव को ई-रिक्शा में ले जाने पर मजबूर हुई मां

वाराणसी: न इलाज मिला, न ही एंबुलेंस, बेटे के शव को ई-रिक्शा में ले जाने पर मजबूर हुई मां

वाराणसी: कोरोना वायरस के वीभत्स रूप ने वैसे तो कई परेशानियां सामने ला दी हैं लेकिन काशी की एक तस्वीर से प्रशासनिक तंत्र पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. वाराणसी में बेटे की मौत के बाद उसकी मां एक ई-रिक्शा में शव लेकर जाती दिख रही हैं.

दरअसल, जौनपुर निवासी इस मां का बेटा मुम्बई में काम करता था. लेकिन किडनी की समस्या का इलाज कराने वह वाराणसी आया था. पहले वह बीएचयू गया लेकिन वहां एडमिट नहीं किया गया. लिहाजा निराश होकर ककरमत्ता के निजी चिकित्सालय गया जहां पर भी इसे निराशा हाथ लगी. शरीर ने साथ छोड़ा तो मां के गोद का लाल उसके पैरों में दम तोड़ गया.

शव घर ले जाने के लिए नहीं मिली एम्बुलेंस


किसी ने सोचा नहीं था कि जीते जी एम्बुलेंस से परहेज करने वाले शरीर को प्राण छोड़ने के बाद भी एम्बुलेंस मयस्सर नहीं होगी. लेकिन वाराणसी में ये हुआ है और इसकी हृदय विदारक तस्वीर भी सामने आ गयी है. बेटा मां के पैरों तले इलाज के अभाव में दम तोड़ देता है और मां मृत बेटे को ले जाने के लिए एम्बुलेंस खोजती है. जब कुछ नहीं मिलता तब ई-रिक्शे पर बेटे के शव को लेकर अंतिम संस्कार के लिए घर निकल जाती है.

साभार : एबीपी न्यूज़
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निग्रंथ सेंटर ऑफ आर्कियोलॉजी द्वारा विश्व धरोहर दिवस का आयोजन

निग्रंथ सेंटर ऑफ आर्कियोलॉजी द्वारा विश्व धरोहर दिवस का आयोजन

सागर, ।  निग्रंथ सेंटर ऑफ  आर्कियोलॉजी एवं आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया जबलपुर एवं औरंगाबाद मंडल द्वारा संयुक्त तत्वाधान में विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
 दीप प्रज्वलन   टी के वेद एवं जिनेंद्र जैन द्वारा किया गया। मंगलाचरण डॉ रंजना पटोरिया, कटनी द्वारा किया गया।
 प्रस्तावना उद्बोधन एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ यतीश जैन द्वारा विश्व धरोहर दिवस के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यक्रम की उपादेयता एवं वर्तमान समय में इसकी आवश्यकता पर बल दिया गया।
उद्घाटन भाषण  भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ संरक्षणी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष  निर्मल सेठी द्वारा दिया गया। जिसमें महासभा का कार्य एवं निगंथ सेंटर आफ आर्कियोलॉजी के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी गई ।
 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ सुजीत जी नयन, सुपरिंटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट द्वारा जबलपुर मंडल में पुरातत्व विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और पुरातात्विक धरोहर को कैसे संरक्षित करना है इसके बारे में लोगों को अवगत कराया गया।
                कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ मिलन कुमार चावले सुपरिंटेंडेट आर्कियोलॉजिस्ट औरंगाबाद मंडल द्वारा किए जा रहे कार्यों को बारे में एवं विश्व धरोहर एलोरा के संबंध में जैन पुरातत्व के बारे में जानकारी दी गई साथ ही दौलताबाद के पास उत्खनन में प्राप्त जैन मंदिर एवं गुफाओं के संरक्षण के संबंध में विस्तार से लोगों को जानकारी दी गई। जबलपुर से इंजीनियर के सी जैन द्वारा 'तमिलनाडु में जैन विरासत धरोहर दुर्गम रहे एवं अनिश्चित भविष्य' विषय पर विस्तार से चर्चा की गई। प्रसिद्ध वक्ता प्रोफेसर लक्ष्मीचंद जैन द्वारा 'जैन धर्म का पुरातात्विक वैभव' विषय पर जानकारी श्रोताओं को दी गई।
 'नोहटा दमोह का पुरातत्व संबंधी जानकारी जबलपुर मान कुवंरबाई महाविद्यालय की इतिहास विभाग के प्राध्यापक रंजना जैन द्वारा दी गई । 'विश्व धरोहर दिवस एवं सिंधु घाटी सभ्यता एवं जैन धर्म' के विषय पर डॉ रंजना पटोरिया, कटनी द्वारा अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया गया।
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कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन  राजकुमार जैन सेठी, कोलकाता, महामंत्री  भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा द्वारा दिया गया। इसके साथ ही एडवोकेट अमिताभ भारती, कोषाध्यक्ष द्वारा जबलपुर मंडल श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा की ओर से धन्यवाद ज्ञापन दिया गया । इस अवसर पर महासभा के सचिव जिनेंद्र जैन द्वारा भी महत्वपूर्ण सहयोग दिया गया।  ऑनलाइन वेबीनार के संयोजक समिति के सदस्य  जिनेंद्र जैन सचिव, सीए संजय सिंघई सतना, उपाध्यक्ष,  पिंकेश पटोरिया परासिया छिंदवाड़ा, उपाध्यक्ष, अवनीश संघी सागर,  विकास जैन जबलपुर सह सचिव, श्री सतीश जैन सह सचिव सागर, एडवोकेट अमिताभ भारती जबलपुर, प्राध्यापक तारेन्द्र जैन छतरपुर, प्राध्यापक दीपिका जैन कटनी, प्राध्यापक ज्योति जैन जबलपुर, प्राध्यापक रंजना जैन जबलपुर, प्राध्यापक दीप्ति संघी सागर, प्राध्यापक समता जैन जबलपुर, श्रीमती नीलांजना जैन एवं इंजीनियर सुनील जैन नरसिंहपुर द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष सहयोग प्रदान किया गया।  कार्यक्रम का संचालन डॉ यतीश जैन द्वारा किया गया एवं तकनीकी सहयोग  पारस जैन  नासिक द्वारा किया गया।

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सरकार फेल,उच्च न्यायालय को कहना पड़ा कुछ करिये ★ मानवता हमारी ओर आशा और विश्वास से देख रही है ★कांग्रेसजन सेवा और राष्ट्र निर्माण की अपनी प्रतिबद्धता पर चलते रहें-पूर्व सीएम कमलनाथ

सरकार फेल,उच्च न्यायालय को कहना पड़ा कुछ करिये
★ मानवता हमारी ओर आशा और विश्वास से देख रही है
★कांग्रेसजन सेवा और राष्ट्र निर्माण की अपनी प्रतिबद्धता पर चलते रहें-पूर्व सीएम कमलनाथ

भोपाल। पूर्व सीएम कमलनाथ ने एक बयान में कहा है कि कोरोना संकट काअभी जो समय है वह घड़ी हमें प्रेरित कर रही है कि सभी कांग्रेसजन सजगता और सावधानी और कोविड गाईडलाईन्स के पालन  के साथ उन मरीजों की सेवा में जुट जायें जिनको हमारी जरूरत है। सेवा और समर्पण का रास्ता हमें गांधी जी ने सिखाया था अब कांग्रेस जनों को उसी भूमिका का निर्वाह करना है । कांग्रेस का गौरवशाली इतिहास सेवा,समर्पण और देश निर्माण का रहा है। आज फिर वही घड़ी हमें ऐसा समय दिखा रही है, जब कांग्रेसजनों को उसी भूमिका का निर्वाह करना पड़़ रहा है और आगे भी करना पड़ेगा जिसके लिए कांग्रेस प्रतिबद्ध है।
आप सभी से मेरा आव्हान है कि कोई कुछ भी कहे,आपकी विचारधारा पर आरोप लगाये,आपकी सेवाभावना पर सवाल उठाये, लेकिन उन  बातों पर ध्यान नहीं देना है। व्यक्तिगत सावधानी बरतते हुए उस कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते रहना है जो जनता जनार्दन की सेवा और सहायता का मार्ग है।
उन्होंने कहा था कि  जो जहां है और जिसकी जितनी सामर्थ्य है वह  अपने तन-मन और धन से संकट की इस घड़ी में लोगों की सहायता करे। उन्हें उम्मीद बंधाये और मदद करे।  जिनके हाथों में सत्ता है वे इस संकटकाल में पूरी तरह विफल नज़र आ रहे हैं।वे केवल गाल बजा रहे हैं । जब हम उन्हें इस बात की ताकीद करते हैं तो वे जनता की सुध बुध छोड़कर हमें ही दोषी ठहराने में लग जाते हैं।   कांग्रेसजन जिस कर्तव्य भावना के साथ बढ़ रहे हैं,उसे ही एकमात्र ध्येय मानकर सावधानी,सुरक्षा,सजगता के साथ लोगों की सेवा करते रहें।
प्रदेश की पहले से चरमरायी स्वास्थ व्यवस्था अब तो पूरी ध्वस्त हो चुकी है। माननीय उच्च न्यायालय को भी हस्तक्षेप कर यह कहना पड़ा है कि सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर पा रही है।
"जनता मेरी भगवान,प्रदेश मेरा मंदिर  और मैं पुजारी चौहान" कहने वाले शिवराज सिंहजी  ने अपना रूप दिखा दिया है और जनता को तिल तिल मरने छोड़ दिया है।लोग प्राणवायु के अभाव में जान गंवा रहे हैं।दवाई और इंजेक्शन नहीं मिल  रहे हैं।सरकारी अस्पतालों से इंजेक्शन भी चोरी हो रहे हैं ।अब तो भाजपा के लोग ही इस चौपट व्यवस्था पर उंगली उठा रहे हैं।

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यह समय लोगों की सेवा और मदद करने का है

कमलनाथ ने कहा कि  आप सभी जानते हैं कि भाजपा द्वारा कुटिलता से लोगों को बरगला कर  सत्ता तो प्राप्त की जा सकती है पर वह जज़्बा नहीं लाया जा सकता जो हर सच्चे कांग्रेसी के खून की पहचान है। 
उंगली कटाकर शहीद होने का दम भरने वाले लोग इस बात को कभी नहीं समझेंगे कि कांग्रेस क्या है?वे  कांग्रेस पर हमेशा कीचड़ उछालते रहते हैं।हमें इन सभी बातों से विचलित नहीं होना है। 
वैसे तो व्यक्तिगत स्तर पर हर कांग्रेसी लोगों की मदद  कर ही रहा है,हमें आगे भी करते रहना है।यही समय का तकाजा है। अपने संपर्कों का उपयोग कर आप लोगों को आक्सीजन,इंजेक्शन व दवाई उपलब्ध कराये और अन्य जरूरत की वस्तुयें मुहैया करायें।मानवता आपकी ओर आशा से देख रही है । आइए हम  मिल-जुल कर सेवा केपथ पर आगे बढ़ें और आरोपों से अविचलित रहकर अपना कर्तव्य निभाकर मानव सेवा की प्रतिबद्धता को दुहरायें।


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बीएमसी में बीते 24 घण्टे में दो दर्जन से अधिक मौतें ★ बीएमसी के चारों फ्रीजर खराब, शवों को जमीन पर रखना पड़ रहा। गर्मी में कई शव 18 से 20 घण्टे में सड़ने की कगार पर पहुंच रहे। ★ अव्यवस्थाओं से परेशान शव प्रबंधन प्रभारी ने आहत होकर दिया इस्तीफा @ चैतन्य सोनी

बीएमसी में बीते 24 घण्टे में  दो दर्जन से अधिक मौतें

★ बीएमसी के चारों फ्रीजर खराब, शवों को जमीन पर रखना पड़ रहा। गर्मी में कई शव 18 से 20 घण्टे में सड़ने की कगार पर पहुंच रहे।

★ अव्यवस्थाओं से परेशान शव प्रबंधन प्रभारी ने आहत होकर दिया इस्तीफा

@ चैतन्य सोनी

सागर। कोरोना से भयावह स्थिति बनती जा रही है। अकेले बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज में बीते 24 घण्टों के दौरान 24 से अधिक मरीजों की मौत हुई है। इनमें से अधिकांश कोविड अस्पताल में भर्ती थे। मर्चुरी के चारों फ्रीजर खराब पड़े हैं। शव सड़ने तक कि कगार पर पहुंच रहे हैं। अव्यवस्थाओं व सहयोग  न मिलने के बाद शव प्रबन्धन में जुटे मर्चुरी प्रभारी डॉक्टर शैलेन्द्र पटेल ने प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया है। 

बीएमसी की मर्चुरी के हालात काफी खराब हो गए हैं। यहां शव रखने की जगह नहीं बची है। डेड बॉडी रखने की जगह नहीं बची है। कोरोना रिपोर्ट के इंतजार में कई कोविड अस्पताल के मृतकों की देह को 10 से 20 घण्टे तक रखना पड़ रहा है, यहां शव रखे रखे डिस्पोज होने तक कि नौबत बन रही है। मंगलवार रात से दोपहर तक यहां 23 शव पहुंच चुके थे। 


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चारों फ्रीजर बन्द, विभागाध्यक्ष ने नहीं दिया वर्क ऑर्डर

 सूत्रों के अनुसार बीएमसी की मर्चुरी में शवों को रखने के लिये 4 फ्रीजर हैं। लेकिन ये कई महीनों से बंद पड़े हैं। पूर्व में इन्हें सुधरवाया गया था, लेकिन पैमेंट नहीं किया गया। बीते दिनों पुनः फ्रीजर सुधरवाने के कर्मचारी आया था, लेकिन फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के एचओडी द्वारा लिखित में वर्क ऑर्डर न दिए जाने से वह वापस चला गया। पुराना भुगतान भी नहीं किया गया। 
इधर सुनवाई न होने, बार बार लिखने के बावजूद व्यवस्थाओं में सुधार नहीं होने, फ्रीजर न सुधरवाने शव प्रबन्धन कमेटी के अन्य सदस्यों के निष्क्रिय होने से आहत होकर शव प्रबन्धन व मर्चुरी के काम से इस्तीफा दे दिया है।


मामले में बीएमसी डीन डॉक्टर आरएस वर्मा का कहना है कि नया फ्रीजर ऑर्डर कर दिया है। पुराने भी सुधरवाये जा रहे हैं।

यहां बता दे साग़र में कोरोना संक्रमण तेजी से बढा है। व्यवस्थाएं सुधारने के नाम पर मंत्रियों , विधायको और प्रशासन के सिर्फ दौरे, निरीक्षण और बैठके भर है। कई व्यवस्थाएं सुधरी तक नही है। 

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सागर : साहित्य एवं चिंतन साहित्य साधिका डॉ. विद्यावती ‘मालविका’ ★ डॉ. विद्यावती ‘मालविका’ आज ब्रह्मलीन हुई, उनको याद करती साहित्यकार बेटी डॉ. वर्षा सिंह

सागर : साहित्य एवं चिंतन
साहित्य साधिका डॉ. विद्यावती 'मालविका' 

★ डॉ. विद्यावती 'मालविका' आज ब्रह्मलीन हुई, उनको याद करती  साहित्यकार बेटी डॉ. वर्षा सिंह


डॉ. विद्यावती 'मालविका' सागर नगर की एक ऐसी साहित्यकार हैं जिनका साहित्य-सृजन अनेक विधाओं, यथा- कहानी, एकांकी, नाटक एवं विविध विषयों पर शोध प्रबंध से ले कर कविता और गीत तक विस्तृत है। लेखन के साथ ही चित्रकारी के द्वारा भी उन्होंने अपनी मनोभिव्यक्ति प्रस्तुत की है। सन् 1928 की 13 मार्च को उज्जैन में जन्मीं डॉ. विद्यावती 'मालविका' ने अपने जीवन के लगभग 6 दशक बुन्देलखण्ड में व्यतीत किए हैं, जिसमें 30 वर्ष से अधिक समय से वे मकरोनिया, सागर में निवासरत हैं। डॉ. 'मालविका' को अपने पिता संत ठाकुर श्यामचरण सिंह एवं माता श्रीमती सुमित्रा देवी "अमोला" से साहित्यिक संस्कार मिले। पिता संत श्यामचरण सिंह एक उत्कृष्ट साहित्यकार एवं गांधीवादी स्वतं़त्रता संग्राम सेनानी थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ क्षेत्र में अस्पृश्यता उन्मूलन एवं नशाबंदी में उल्लेखनीय योगदान दिया था। डॉ. विद्यावती अपने पिता के विचारों से अत्यंत प्रभावित रहीं और उन्होंने 12-13 वर्ष की आयु से ही साहित्य सृजन आरम्भ कर दिया था। बौद्ध धर्म एवं प्रणामी सम्प्रदाय पर उन्होने विशेष अध्ययन एवं लेखन किया।

डॉ. विद्यावती 'मालविका' का जीवन  संघर्षमय

डॉ. विद्यावती 'मालविका' का जीवन अत्यंत संघर्षमय रहा। दो बेटियों के जन्म के कुछ समय बाद ही उन्हें वैधव्य का असीम दुख सहन करना पड़ा, किन्तु वे अपने कर्त्तव्य से विमुख नहीं हुईं। ससुराल पक्ष से कोई सहायता न मिलने पर उन्होंने शिक्षिका के रूप में आत्मनिर्भरतापूर्वक अपने वृद्ध पिता को सहारा दिया और अपने अनुज कमल सिंह को पढ़ा-लिखा कर योग्य बनाया जो कि आदिम जाति कल्याण विभाग मघ्यप्रदेश शासन के हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए। डॉ. विद्यावती ने अपने बलबूते पर अपनी दोनों पुत्रियों वर्षा सिंह और शरद सिंह का लालन-पालन कर उन्हें उच्च शिक्षित किया। उन्होंने व्याख्याता के रूप में मध्यप्रदेश शासन के शिक्षा विभाग में उज्जैन, रीवा एवं पन्ना आदि स्थानों में अपनी सेवाऐं दीं और सन् 1988 में सेवानिवृत्त हुईं। वे शासकीय सेवा के साथ ही लेखन एवं शोध कार्यां में सदैव संलग्न रहीं। स्वाध्याय से हिन्दी में एम.ए. करने के उपरांत सन् 1966 में आगरा विश्वविद्यालय से उन्होंने ''मध्ययुगीन हिन्दी संत साहित्य पर बौद्ध धर्म का प्रभाव'' विषय में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। पीएच.डी. में उनके शोध निर्देशक (गाइड) हिन्दी तथा बौद्ध दर्शन के प्रकाण्ड विद्वान राहुल सांकृत्यायन एवं पाली भाषा तथा बौद्ध दर्शन के अध्येता डॉ. भिक्षु धर्मरक्षित थे। उनका यह शोध प्रबंध आज भी युवा शोधकर्ताओं के लिए दिशानिर्देशक का काम करता है। 

उनकी प्रकाशित पुस्तके

इनकी अब तक अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकीं हैं जिनमें प्रमुख हैं - कामना, पूर्णिमा, बुद्ध अर्चना (कविता संग्रह) श्रद्धा के फूल, नारी हृदय (कहानी संग्रह), आदर्श बौद्ध महिलाएं, भगवान बुद्ध (जीवनी) बौद्ध कलाकृतियां (पुरातत्व), सौंदर्य और साधिकाएं (निबंध संग्रह), अर्चना (एकांकी संग्रह), मध्ययुगीन हिन्दी संत साहित्य पर बौद्ध धर्म का प्रभाव, महामति प्राणनाथ-एक युगान्तरकारी व्यक्तित्व (शोध ग्रंथ) आदि। ''आदर्श बौद्ध महिलाएं'' पुस्तक का बर्मी एवं नेपाली भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हुआ।


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कई पुरस्कारों से हुई सम्मानित

डॉ. 'मालविका' को हिन्दी साहित्य सेवा के लिए अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हुए। जिनमें उल्लेखनीय हैं- सन् 1957 में स्वतंत्रता संग्राम शताब्दी सम्मान समारोह में मध्यप्रदेश शासन का साहित्य सृजन सम्मान, सन् 1958 में उत्तरप्रदेश शासन का कथा लेखन सम्मान, सन् 1959 में उत्तरप्रदेश शासन का जीवनी लेखन सम्मान, सन् 1964 में मध्यप्रदेश शासन का कथा साहित्य सम्मान, सन् 1966 में मध्यप्रदेश शासन का मीरा पुरस्कार प्रदान किया गया। सेवानिवृत्ति के बाद भी डॉ. विद्यावती ने अपना लेखन सतत् जारी रखा। उनके इस साहित्य के प्रति सर्मपण को देखते हुए उन्हें सन् 1998 में महारानी लक्ष्मीबाई शास. उ.मा. कन्या विद्यालय क्रमांक-एक, सागर द्वारा ''वरिष्ठ साहित्यसेवी सम्मान'', सन् 2000 में भारतय स्टेट बैंक सिविल लाइनस् शाखा सागर द्वारा ''साहित्यसेवी सम्मान'', वर्ष 2007 में मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन सागर द्वारा ''सुंदरबाई पन्नालाल रांधेलिया स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सम्मान'' एवं सन् 2016 में हिन्दी दिवस पर श्यामलम् संस्था सागर द्वारा ''आचार्य भगीरथ मिश्र हिन्दी साहित्य सम्मान'' से सम्मानित किया गया। 

उल्लेखनीय है कि अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों में डॉ. विद्यावती 'मालविका' का ससम्मान उल्लेख किया गया है, यथा :- मध्यभारत का इतिहास (चतुर्थ खंड), बुद्ध की देन, हिन्दी की महिला साहित्यकार , आधुनिक हिन्दी कवयित्रियों के प्रेमगीत, मध्यप्रदेश के साहित्यकार, रेत में कुछ चिन्ह, डॉ. ब्रजभूषण सिंह 'आदर्श' सम्मान ग्रंथ आदि। उनकी कुछ पुस्तकें इंटरनेट पर भी पढ़ी जा सकती हैं। नाट्यशोध संस्थान, कोलकता में उनका एकांकी संग्रह '''अर्चना' संदर्भ ग्रंथ के रूप में पढ़ाया जाता है। इसी प्रकार नव नालंदा महाविहार, नालंदा, सम विश्वविद्यालय, बिहार के एम.ए. हिन्दी पाठ्यक्रम के चौथे प्रश्नपत्र बौद्ध धर्म- दर्शन और हिन्दी साहित्य के अंतर्गत ''मध्ययुगीन हिन्दी संत साहित्य पर बौद्ध धर्म का प्रभाव'' ग्रंथ पढ़ाया जाता है।

बुन्देलखण्ड पर विशेष लेखन कार्य करते हुए डॉ. विद्यावती ने ''दैनिक भास्कर'' के सागर संस्करण में वर्ष 1997-98 में सागर संभाग की कवयित्रियां शीर्षक धारावाहिक लेखमाला तथा वर्ष 1998-99 में बुंदेली शहीद महिलाओं पर आधारित ''कलम आज उनकी जय बोल'' शीर्षक धारावाहिक लेखमाला लिखी। इसके साथ ही दैनिक ''आचरण'' सागर में बुन्देली इतिहास, साहित्य, संस्कृति एवं वैभव से संबंधित अनेक लेख प्रकाशित हुए हैं। आकाशवाणी के इंदौर, उज्जैन, भोपाल एवं छतरपुर केन्द्रों से उनके रेडियो नाटकों का धारावाहिक प्रसारण किया जाता रहा है। उनकी कविताओं का नियमित रूप से पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहा है। अपने बुजुर्गों से मिली साहित्य सृजन की इस परम्परा को डॉ. विद्यावती ने न केवल अपनाया अपितु अपनी दोनों पुत्रियों को भी साहित्यिक संस्कार दिए। उनकी बड़ी पुत्री (यानी मैं) डॉ. वर्षा सिंह हिन्दी गजल में एक विशेष स्थान बना चुकी हैं तथा छोटी पुत्री डॉ. (सुश्री) शरद सिंह उपन्यास एवं कथा लेखन के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित कर चुकी हैं।

आज हुई ब्रम्हलीन डॉ विद्यावती

डा. वर्षा सिंह, डा. शरद सिंह की मां साहित्य कार डा.विद्यावती सिंह मालविका 93 वर्ष की आयु में आज सुबह 9.30 पर ब्रम्हलीन हो गयीं है। हृदयाघात के बाद सुयश अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। पिछले कई दिनों से साहित्यकार दोनो बहिने अपनी माँ की सेवा में लगी हुई थी। उनके निधन से साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति पहुची है। उनके निधन पर साहित्यप्रेमियों, शुभचिन्तको और जनप्रतिनिधियों ने शोक व्यक्त किया है। 


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