मध्यप्रदेश में लगभग 135 लाख मैट्रिक टन किया जाएगा गेंहू उपार्जित
-खाद्य, नागरिक आपूर्ति प्रमुख सचिव श्री किदवई
★ सीमावर्ती राज्यों में उपार्जन परिवहन पर नजर रखी जाए
गोदाम में पूर्व से रखे हुए अनाज की समीक्षा के दौरान प्रमुख सचिव श्री किदवई ने कहा कि किसी भी स्थिति में बहुत पुराना अमानक अनाज उचित मूल्य दुकानों पर न जाने पाए। अन्यथा संबंधित अधिकारी के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी। गोदाम में रखे हुए अनाज का एफसीआई से तुरंत उठाव के लिए प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए गए।
-खाद्य, नागरिक आपूर्ति प्रमुख सचिव श्री किदवई
★ सीमावर्ती राज्यों में उपार्जन परिवहन पर नजर रखी जाए
सागर । मध्यप्रदेष में रबी उपार्जन 20-21 में लगभग 135 लाख मैट्रिक टन गेंहू उपार्जित किया जाएगा एवं कम से कम दस प्रतिषत उपार्जन केन्द्र स्व-सहायता समूहों द्वारा संचालित कराएं। साथ ही सीमावर्ती राज्यों में उपार्जन परिवहन पर नजर रखी जाए। उक्त निर्देष प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण श्री फैज अहमद किदवई ने आज शुक्रवार को कलेक्टर सभाकक्ष में रबी उपार्जन 2020-21 की समीक्षा बैठक के दौरान के दौरान दिए।
इस अवसर पर संचालक खाद्य श्री तरुण पिथोड़े, प्रबंध संचालक नागरिक आपूर्ति निगम श्री अभिजीत अग्रवाल, महाप्रबंधक उपार्जन नागरिक आपूर्ति निगम श्री केके श्रीवास्तव, रीजनल मैनेजर नागरिक आपूर्ति श्री पवन अरमोती, संभागायुक्त श्री मुकेश शुक्ला, सागर कलेक्टर श्री दीपक सिंह सहित समस्त जिलों के कलेक्टर एवं खाद्य अधिकारी मौजूद थे।
प्रमुख सचिव श्री किदवई ने निर्देष दिए कि राजस्व एवं कृषि अमले द्वारा पंजीकृत रकबे का सटीक सत्यापन किया जाए। रकबे के साथ साथ पंजीकृत फसल का भी सत्यापन कराएं। सत्यापन का रेंडमली क्रास वेरीफिकेशन किया जाए। सत्यापित रकबे की सूची ग्राम पंचायतवार चस्पा की जाए तथा इसका बी-1 की तरह वाचन किया जाए। सत्यापन के बाद ही पंजीकृत किसान से उपज की खरीदी की जाए।
उन्होंने कहा कि उपार्जन केन्द्रों की संख्या खरीफ उपार्जन के दौरान बनाए गए केन्द्रों के समान ही रहेगी। लॉक डाउन अवधि में बनाए गए केन्द्रों की संख्या में परिवर्तन नहीं किया जाएगा। किसी वजह से कोई केन्द्र बंद करना पड़े तो अन्य एजेंसी उपार्जन का कार्य करेगी। उन्होंने निर्देश दिए कि जहां तक हो गोडाउन स्तर पर ही उपार्जन किया जाए एवं साइलो बेग की अपेक्षा गोडाउन में ही भंडारण को प्राथमिकता दी जाए। गोडाउन स्तर पर उपार्जन होने से ट्रांसपोर्टेशन का व्यय एवं होने वाली क्षति से बचत हो सके।
श्री किदवई ने नई नीति के तहत रबी उपार्जन के अंतर्गत किसानों का पंजीयन, रकबा सत्यापन सहित भंडारण, परिवहन आदि की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने कहा कि किसान द्वारा बताई गई तीन दिनांकों में से ही किसी तिथि पर एसएमएस किया जाएगा। एसएमएस में दिनांक, विक्रय योग्य मात्रा, उपार्जन केन्द्र का कोड एवं नाम की जानकारी रहेगी। एसएमएस तीन से पांच दिन पूर्व भेजा जाएगा। उपार्जन केन्द्रों पर सभी दिन नियमित रूप से उपार्जन किया जाए ताकि किसी दिन भीड़- किसी दिन खाली रहने की नौबत न आए। उपार्जन का कार्य सहकारी समिति के अतिरिक्त कम से कम 10 प्रतिषत राज्य आजीविका मिषन के स्वसहायता समूह, एफपीओ एवं गोदाम संचालकों से भी करवाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि उपार्जन केन्द्र स्थल का निर्धारण जिला उपार्जन समिति द्वारा कलेक्टर अनुमोदन के पष्चात किया जाए। जिसमें सामान्यतः गोदाम परिसर पर खोला जायेगा। केन्द्र पर पूर्ण पंचायत का ही टैग की जाये। प्रत्येक तहसील में कम से कम एक केन्द्र खोला जाये। कृषकों की संख्या 200 से 750 तक रखी जाये । संचालक खाद्य, कृषक संख्या में 50 प्रतिशत तक कमी अथवा वृद्धि कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि सामान्यतः केन्द्र पर 3000 से 5000 मैट्रिक टन मात्रा का उपार्जन किया जाये, जिसमें 50 प्रतिशत तक की कमी अथवा वृद्धि संचालक खाद्य द्वारा की जा सकेगी । यथासंभव मैप किये गये उपार्जन केन्द्र पंचायतों के केन्द्र में हो जिससे कृषकों को सामान्यतः 25 कि0 मी0 से अधिक दूरी तय ना करना पडे़। जिन जिलों में गेहूं का पंजीयन कम हुआ हो वहां मण्डी स्तर पर कम से कम एक केन्द्र खोला जाये , जिसमें न्यूनतम किसान संख्या तथा दूरी का बंधन नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा कि जिला उपार्जन समिति द्वारा सुनिश्चित किया जाये कि केन्द्र पर न्यूनतम 3000 मैट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हो। इससे कम उपार्जन की संभावना होने पर आय-व्यय आंकलित कर केन्द्र प्रस्तावित हो। किसी भी केन्द्र का समानान्तर उपकेन्द्र नहीं खोला जाये ।
संभागायुक्त श्री मुकेष शुक्ला ने संभाग की जानकारी देते हुए बताया कि रबी उपार्जन-2020-2021 के गिरदावरी की जानकारी के गेंहू 1268027, चना 401903, मसूर 127735, सरसों 49475 हेक्टेयर रकबें फसल बोई गईं हैं। उन्होंने बताया कि पंजीकृत किसानों की संख्या 359703 एवं रकवा 629882 हेक्टेयर, उपार्जन केन्दों में इस वर्ष कुल 625 केन्द्र बनाये गए एवं गोदाम 219 बनाये गए।
किसानों को उपार्जन केन्द्रों पर उपलब्ध हों समस्त मूलभूत सुविधाएं
इस अवसर पर संचालक खाद्य श्री तरुण पिथोड़े, प्रबंध संचालक नागरिक आपूर्ति निगम श्री अभिजीत अग्रवाल, महाप्रबंधक उपार्जन नागरिक आपूर्ति निगम श्री केके श्रीवास्तव, रीजनल मैनेजर नागरिक आपूर्ति श्री पवन अरमोती, संभागायुक्त श्री मुकेश शुक्ला, सागर कलेक्टर श्री दीपक सिंह सहित समस्त जिलों के कलेक्टर एवं खाद्य अधिकारी मौजूद थे।
प्रमुख सचिव श्री किदवई ने निर्देष दिए कि राजस्व एवं कृषि अमले द्वारा पंजीकृत रकबे का सटीक सत्यापन किया जाए। रकबे के साथ साथ पंजीकृत फसल का भी सत्यापन कराएं। सत्यापन का रेंडमली क्रास वेरीफिकेशन किया जाए। सत्यापित रकबे की सूची ग्राम पंचायतवार चस्पा की जाए तथा इसका बी-1 की तरह वाचन किया जाए। सत्यापन के बाद ही पंजीकृत किसान से उपज की खरीदी की जाए।
उन्होंने कहा कि उपार्जन केन्द्रों की संख्या खरीफ उपार्जन के दौरान बनाए गए केन्द्रों के समान ही रहेगी। लॉक डाउन अवधि में बनाए गए केन्द्रों की संख्या में परिवर्तन नहीं किया जाएगा। किसी वजह से कोई केन्द्र बंद करना पड़े तो अन्य एजेंसी उपार्जन का कार्य करेगी। उन्होंने निर्देश दिए कि जहां तक हो गोडाउन स्तर पर ही उपार्जन किया जाए एवं साइलो बेग की अपेक्षा गोडाउन में ही भंडारण को प्राथमिकता दी जाए। गोडाउन स्तर पर उपार्जन होने से ट्रांसपोर्टेशन का व्यय एवं होने वाली क्षति से बचत हो सके।
श्री किदवई ने नई नीति के तहत रबी उपार्जन के अंतर्गत किसानों का पंजीयन, रकबा सत्यापन सहित भंडारण, परिवहन आदि की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने कहा कि किसान द्वारा बताई गई तीन दिनांकों में से ही किसी तिथि पर एसएमएस किया जाएगा। एसएमएस में दिनांक, विक्रय योग्य मात्रा, उपार्जन केन्द्र का कोड एवं नाम की जानकारी रहेगी। एसएमएस तीन से पांच दिन पूर्व भेजा जाएगा। उपार्जन केन्द्रों पर सभी दिन नियमित रूप से उपार्जन किया जाए ताकि किसी दिन भीड़- किसी दिन खाली रहने की नौबत न आए। उपार्जन का कार्य सहकारी समिति के अतिरिक्त कम से कम 10 प्रतिषत राज्य आजीविका मिषन के स्वसहायता समूह, एफपीओ एवं गोदाम संचालकों से भी करवाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि उपार्जन केन्द्र स्थल का निर्धारण जिला उपार्जन समिति द्वारा कलेक्टर अनुमोदन के पष्चात किया जाए। जिसमें सामान्यतः गोदाम परिसर पर खोला जायेगा। केन्द्र पर पूर्ण पंचायत का ही टैग की जाये। प्रत्येक तहसील में कम से कम एक केन्द्र खोला जाये। कृषकों की संख्या 200 से 750 तक रखी जाये । संचालक खाद्य, कृषक संख्या में 50 प्रतिशत तक कमी अथवा वृद्धि कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि सामान्यतः केन्द्र पर 3000 से 5000 मैट्रिक टन मात्रा का उपार्जन किया जाये, जिसमें 50 प्रतिशत तक की कमी अथवा वृद्धि संचालक खाद्य द्वारा की जा सकेगी । यथासंभव मैप किये गये उपार्जन केन्द्र पंचायतों के केन्द्र में हो जिससे कृषकों को सामान्यतः 25 कि0 मी0 से अधिक दूरी तय ना करना पडे़। जिन जिलों में गेहूं का पंजीयन कम हुआ हो वहां मण्डी स्तर पर कम से कम एक केन्द्र खोला जाये , जिसमें न्यूनतम किसान संख्या तथा दूरी का बंधन नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा कि जिला उपार्जन समिति द्वारा सुनिश्चित किया जाये कि केन्द्र पर न्यूनतम 3000 मैट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हो। इससे कम उपार्जन की संभावना होने पर आय-व्यय आंकलित कर केन्द्र प्रस्तावित हो। किसी भी केन्द्र का समानान्तर उपकेन्द्र नहीं खोला जाये ।
संभागायुक्त श्री मुकेष शुक्ला ने संभाग की जानकारी देते हुए बताया कि रबी उपार्जन-2020-2021 के गिरदावरी की जानकारी के गेंहू 1268027, चना 401903, मसूर 127735, सरसों 49475 हेक्टेयर रकबें फसल बोई गईं हैं। उन्होंने बताया कि पंजीकृत किसानों की संख्या 359703 एवं रकवा 629882 हेक्टेयर, उपार्जन केन्दों में इस वर्ष कुल 625 केन्द्र बनाये गए एवं गोदाम 219 बनाये गए।
किसानों को उपार्जन केन्द्रों पर उपलब्ध हों समस्त मूलभूत सुविधाएं
प्रमुख सचिव श्री किदवई ने सभी कलेक्टरों से कहा कि उपार्जन के पूर्व ही किसानों तक इस संदेश का व्यापक प्रचार किया जाए कि उपयुक्त गुणवत्ता का अनाज ही लाएं, एफएक्यू के अलावा निम्न गुणवत्ता की उपज का उपार्जन नहीं किया जाएगा। उपज को पर्याप्त सूखा हुआ मिट्टी विहीन साफ होना चाहिए। साथ ही केन्द्रों पर उपज की सुरक्षा के लिए तिरपाल, कवर, अग्निशमन यंत्र, रेत, बाल्टी, फर्स्ट एड बॉक्स आदि की सुविधाएं सुनिश्चित हों। उपार्जन केन्द्रों पर किसानों को पर्याप्त एवं बेहतर सुविधा सुनिश्चित की जाए। किसानों के बैठने के लिए टैबिल, कुर्सी या दरी, पेयजल, शौचालय की व्यवस्था हो साथ ही उपार्जन के लिए पर्याप्त तौल कांटे, सिलाई मशीन, छलने आदि का इंतजाम रहे।
उन्होंने कहा कि सभी उपार्जन केन्द्र निर्धारित संख्या में बारदाने का स्टाक रखें। किसान द्वारा नॉन एफएक्यू का अनाज लाने पर एंट्री न की जाए। परिवहन के दौरान होने वाली उपज की क्षति को कम करने के सभी कारगर उपाय किए जाएं। किसानों से सहकारी बैंकों के खाता नंबर लिए जाएं ताकि समय पर भुगतान किया जा सके।
पूर्व वेयर हाउसिंग भण्डारण की समीक्षा की
उन्होंने कहा कि सभी उपार्जन केन्द्र निर्धारित संख्या में बारदाने का स्टाक रखें। किसान द्वारा नॉन एफएक्यू का अनाज लाने पर एंट्री न की जाए। परिवहन के दौरान होने वाली उपज की क्षति को कम करने के सभी कारगर उपाय किए जाएं। किसानों से सहकारी बैंकों के खाता नंबर लिए जाएं ताकि समय पर भुगतान किया जा सके।
पूर्व वेयर हाउसिंग भण्डारण की समीक्षा की
गोदाम में पूर्व से रखे हुए अनाज की समीक्षा के दौरान प्रमुख सचिव श्री किदवई ने कहा कि किसी भी स्थिति में बहुत पुराना अमानक अनाज उचित मूल्य दुकानों पर न जाने पाए। अन्यथा संबंधित अधिकारी के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी। गोदाम में रखे हुए अनाज का एफसीआई से तुरंत उठाव के लिए प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए गए।
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