लेखन आपके अंदर एक अच्छे इंसान को तराशता है, हिंदी में खेलों पर लिखना कठिन कार्य : अतुल सिंह
★ डॉ. आशीष द्विवेदी की पुस्तक " खेल पत्रकारिता के आयाम " का लोकार्पण
सागर। लेखन आपके अंदर एक अच्छे इंसान को तराशता है। डिजिटल और ऑनलाइन माध्यमों के इस दौर में आजकल लेखन शैली विलुप्त होती जा रही है। स्तरीय लेखन का समय खत्म होता जा रहा है। ऐसे समय में हिंदी में लिखना और खेलों पर लिखना अत्यंत कठिन कार्य है। जो डॉक्टर आशीष द्विवेदी ने किया है। यह बात पुलिस अधीक्षक अतुल सिंह ने शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में कार्यक्रम के दौरान कही। श्यामलम व इंक मीडिया के संयोजन में खेल पत्रकारिता के आयाम पुस्तक पर संवाद व लोकार्पण कार्यक्रम में एसपी ने कहा कि बसंत पंचमी के पर्व पर इस पुस्तक का लोकार्पण हो रहा है। जो अद्भुत संयोग है। यह पुस्तक एक संपूर्ण रिसर्च है। इसमें खेलों के बारे में ऐसी जानकारियां मिलती हैं जो गूगल पर भी नहीं है। इस पुस्तक को लिखकर सागर में गागर भरने का कार्य डॉ. द्विवेदी ने किया है।
कॉलेज के बच्चों से एसपी ने कहा कि हार के बाद अगले मैच की तैयारी कैसे करना है ? यह हमें स्पोर्ट्स से सीखने मिलता है। सिर्फ पढ़ाई और नौकरी ही जीवन नहीं है। जीवन में जो काम हम कर रहे हैं। उससे कितना खुश हैं और अगले दिन की शुरुआत हम कितनी खुशी से कर रहे हैं। जीवन में यह महत्वपूर्ण है। एटीट्यूड कोई भी किताब और सिलेबस नहीं सिखाता यह मैदान में किए गए संघर्ष और अनुभव से ही आता है।
पुस्तक की समीक्षा करते हुए एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार सूर्यकांत पाठक ने कहा कि खेल पत्रकारिता के आयाम पुस्तक यह एक ग्रंथ की तरह है। जिसमें सब कुछ है। खेल पत्रकारिता को लेकर हिंदी में पुस्तकें नहीं मिलती। खिलाड़ियों व विद्यार्थियों के लिए यह बहुत उपयोगी है। पुस्तक के आधे हिस्से में डॉ. द्विवेदी खेलों की वर्तमान हालातों से लड़ते नजर आते हैं। तो वहीं दूसरी आधे हिस्से में शिक्षक की तरह विद्यार्थियों को लेखन की बारीकियों के बारे में बताया है।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जीएस रोहित ने कहा कि यह पुस्तक अद्वितीय महत्व रखती है। यह पूर्ण संदर्भ ग्रंथ व शोध ग्रंथ है। इसमें खेलों की संपूर्ण जानकारी मिलती है। देश में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है बस उन्हें तलाशने और तराशने की जरूरत है। खेल प्रतिभाएं जरूर मिलेंगी।
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जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी प्रदीप आविद्रा ने कहा कि इस किताब को लिखकर डॉ. द्विवेदी ने खेलों के अभी एक द्वार को खोला है, अंदर जाने के लिए और भी द्वार खोले जाने की जरूरत है। तभी हम खेलों में बेहतर कर पाएंगे। खेलों की स्थिति सुधारने के लिए अभी और लिखे जाने की जरूरत है। अतिथि वीनू शमशेर जंग बहादुर राणा ने कहा कि मुझे जब भी अवसर मिला मैंने खेलों को आगे बढ़ाया है। वरिष्ठ जिम्नास्ट बृज मोहन द्विवेदी कहा कि पेरेंट्स बच्चों को खेलों के बारे में जानकारी दें और उन्हें खेलों में आने के लिए प्रेरित करें। डॉ. गौर विवि के शारीरिक शिक्षा विभाग की सहायक संचालक डॉ. सुमन पटेल ने कहा कि युवा पीढ़ी को खेलों के प्रति जागरूक करें। खेलों से इंसान अनुशासन, शक्ति, विकास प्राप्त करता है व शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है।
वरिष्ठ कलाविद् मुन्ना शुक्ला द्वारा की गई समीक्षा का वाचन करते हुए श्यामलम् अध्यक्ष उमाकांत मिश्र ने कहा पुस्तक में हमारी खेल परंपरा के बारे में भी अच्छा उल्लेख मिलता है। हिंदी भाषा में खेलों को लेकर उच्च स्तरीय लेखन का अभाव था। जिसे यह पुस्तक पूरा करती है। पुस्तक खेलों के अलावा हिंदी सेवीभाव भी समाहित करती है।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती पूजन से हुई। स्वागत भाषण व लेखक परिचय इंक मीडिया के शिक्षक अंबिका यादव ने दिया। सभी अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. अमर जैन ने किया और अंत में आभार डॉ. अशोक पन्या ने माना। अंत में सभी ने पुस्तक लेखक डॉ आशीष द्विवेदी का शॉल श्रीफल व पुष्पगुच्छ देकर सम्मान किया।
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में जनसंपर्क विभाग की सहा. संचालक सौम्या समैया, डॉ. सुरेश आचार्य,मदन मोहन द्विवेदी, स्वाति द्विवेदी, डॉ एस एम सिरोठिया,आशीष ज्योतिषी, डॉ आर आर पांडेय, डॉ जी एल दुबे,डॉ. वर्षा सिंह, डॉ. चंचला दवे,अनीता पाठक, डॉ.उमाकांत स्वर्णकार, प्रो.राजेश पाठक, आर के तिवारी, टी आर त्रिपाठी, पी आर मलैया,रमेश दुबे,शिव रतन यादव, वरिष्ठ अधिवक्ता संजय द्विवेदी, डॉ. सुश्री शरद सिंह, हरी शुक्ला, संतोष पाठक, कपिल बैसाखिया, डॉ. सुभाष हार्डीकर ,दामोदर अग्निहोत्री,मुकेश तिवारी, असरार अहमद सहित अन्य मौजूद रहे।
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