आदि शंकराचार्य का प्रादुर्भाव ना होता तो आज भारत पूर्ण पाश्चात्य अपना चुका होता : राजीव शर्मा
सागर। रविवार को सिविल लाइन स्थित चंद्रापार्क में आदि शंकराचार्य पर आधारित व्याख्यान माला का आयोजन किया गया जिसमें बतौर मुख्य अतिथि हथकरघा एवं हस्तशिल्प आयुक्त आईएएस राजीव शर्मा ने कहा कि यदि भारत भूमि पर आदिशंकराचार्य का जन्म ना हुआ होता तो आज भारत भी सनातन संस्कृति को बचाने में सक्षम नही होता पाश्चात्य संस्कृति में विश्व के साथ भारत भी विलीन हो गया होता।अब संस्कृति और सनातन संस्कार बचाने हमे उनके बताए मार्ग का अनुशरण करने की आवश्यकता है अन्यथा आधुनिकता में तो अब जन्म और मृत्यु भी सामान्य नही बची।पूरे देश में भ्रमण और चारों पीठों की स्थापना शंकराचार्य ने इसलिये ही की थी कि हम सब प्रेरणा लेकर धर्म और संस्कृति को बचायेंगे।
सनातन धर्म अनादि और अनन्त: दीपक तिवारी
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार और एम सी यू भोपाल के पूर्व कुलपति दीपक तिवारी ने कहा कि सनातन धर्म अनादि और अनंत है जिसने कई धर्म पंथों का जनक होने का गौरव भी हासिल किया है,सिख,जैन,बौद्ध आदि पंथ सनातन से ही प्रादुर्भूत हुए हैं।स्वामी विवेकानंद ने आदि शंकराचार्य के अद्वेत सिद्धांत को ही आगे बढ़ाया था आज भी साधु संत देश की धर्म संस्कृति की रक्षा में लगे हुए हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि सागर के कुल सचिव संतोष सहगौरा ने कहा कि हमारे संस्कार संस्कृति में तो कंकर भी शंकर है इसलिये विश्व को ज्ञान देने का कार्य भारत ने ही किया है अर्पण समर्पण और तर्पण आदि शंकराचार्य की देन है,विश्व को शून्य भी भारत ने दिया है।
सारस्वत वक्ता के रूप में विवि हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ सुरेश आचार्य ने कहा कि आदि शंकराचार्य को 8वर्ष से14वर्ष की आयु में वेद वेदांग उपनिषद और शास्त्रों का सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो गया था विधि की गति से 32वर्ष की आयु में वो छणभंगुर संसार को त्याग चुके थे,महापुरुष अल्प समय के लिये ही अवतरित होते है।
कार्यक्रम को बाल अतिथि कु बांसुरी तिवारी ने भी संबोधित किया।इसके पहले स्वागत भाषण कार्यक्रम आयोजक और युवा सर्व ब्राह्मण समाज बुंदेलखंड के अध्यक्ष पं.भरत तिवारी ने दिया।संचालन पं.पप्पू तिवारी ने किया आभार शिक्षाविद डॉ एम डी त्रिपाठी ने व्यक्त किया।
इनका हुआ सम्मान
बिभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिये योगाचार्य विष्णु आर्य,आर के अरजरिया,श्याममनोहर चतुर्वेदी,पुरषोत्तम गौतम,रामेश्वर दुबे,डॉ रामचंद शर्मा,मस्तराम घोषी,योगेश दीक्षित,रघु शास्त्री,अमन ठाकुर,राहुल तिवारी,विवेक तिवारी,डॉ उमाकांत स्वर्णकार,कु दीक्षा दुबे,सचिन तिवारी,विनोद शुक्ला, विकाश यादव,अनिल दुबे,दीपक ठाकुर आदि को सम्मानित भी किया गया।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर पं.शिवप्रसाद तिवारी,डॉ श्याममनोहर सिरोठिया,सुखदेवप्रसाद तिवारी,टीकाराम त्रिपाठी,रमाकांत मिश्रा, डॉ प्रमोद शास्त्री,मुकेश जैन ढाना,आशीष ज्योतिषी,रामावतार तिवारी,डॉ दिवाकर मिश्रा, कृष्णकांत मिश्रा, सुशील पांडेय,नबीनबिहारी,श्याम तिवारी,मुकेश तिवारी,रामेश्वर प्रसाद तिवारी,ओ पी दुबे,भगवत तिवारी, मथुराप्रसाद पाराशर, प्रभात चौबे,मिण्टे महाराज,जयदीप चौबे,अरविंद्रभूषण मिश्रा, संदीप नागायच,दीपक पौराणिक,रामचरण शास्त्री,कुंजबिहारी शुक्ला, श्रीराम दुबे,बारिज तिवारी सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग और साहित्यकार उपस्थित थे।
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