कोरोना काल मे दी खूब सेवाएं , मोत के बाद नही मिला कोविड योद्धा कल्याण योजना का लाभ
★ सागर के NHM के डाटा एंट्री आपरेटर स्व:भीष्म दुबे के परिजन वापिस करेंगे सम्मान पत्र
सागर। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सागर में 14 सालों से कार्यरत सविदा डाटा एंट्री आपरेटर भीष्म दुबे ने कोरोना काल मे 18 -20 घण्टे तक सेवाएं दी । विभागीय प्रताड़ना भी कई बार झेली। उनके बेहतर कार्यो के लिए कलेक्टर ने सराहा और सम्मानपत्र भी किया । लेकिन उनकी मौत के बाद भीष्म दुबे का परिवार असहाय और अवसाद की स्थिति में है। उनको कोविड योद्धा कल्याण योजना का लाभ नही मिल पाया। अब पत्नी और बच्चों ने सम्मानपत्र सरकार को वापिस करने का निर्णय लिया है।
स्व भीष्म दुबे की पत्नी अर्चना दुबे, परिजन और सविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रांतीय संयोजक अमिताभ चौबे ने मीडिया से इस बारे में चर्चा भी की।
श्री मति अर्चना दुबे ने बताया कि मेरे पति स्व.श्री भीष्म दुबे एन.एच.एम. के अंतर्गत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय सागर में डाटा एंट्री ऑपरेटर के संविदा के पद पर विगत 14 वर्षो से कार्यरत थे। कोविड-19 के चलते उन्हें उच्च अधिकारियों द्वारा जिला स्तरीय डाटा प्रबंधक का कार्य प्रभार सौंपा गया था। जिसके तहत कोविड-19 की समस्त विस्तृत जानकारियों का कलेक्शन एवं पोर्टल अपडेशन का मेरे पति द्वारा किया जा रहा था।
काम के चलते तनावग्रस्त रहे भीष्म दुबे
उन्होंने बताया कि वे सुबह 6.00 बजे से लगातार कार्य करते थे एवं रात्रि 1.00 बजे उनके द्वारा पोर्टल को अपडेट किया जाता था। अत्याधिक कार्य व उक्त कार्य हेतु नियुक्त अन्य सहकर्मियों से आपेक्षित सहयोग प्राप्त न होने व कुछ उच्च अधिकारियों द्वारा उनको अनावश्यक मानसिक रूप से प्रताड़ित किये जाने से उनको तनावग्रस्त स्थिति में हम लोगों ने देखा था।
अगस्त में उनकी तबियत खराब होने पर भी सहकर्मी उच्च अधिकारियों के निर्देश पर घर पर आकर भी मेरे पति से कार्य करवाते थे।
27 अगस्त को हुई मौत
दिनांक 27 अगस्त 2020 की रात को पोर्टल अपडेट करते हुए भीष्म दुबे को सीने में दर्द उठा और कुछ समय बाद उनकी मृत्यु हो गई। जबकि उनकी कभी भी किसी भी प्रकार की मेडिकल हिस्ट्री नहीं रही।
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कोविड योद्धा कल्याण योजना में किया दावा, अनुशंसा भी हुई
भीष्म दुबे की मृत्यु के पश्चात् परिजनों नेकोविंड योद्धा कल्याण योजना के तहत दावा प्रस्तुत किया। जिस पर कोई भी सकारात्मक कार्यवाही नहीं की गई, जबकि परिजनों को सक्षम अधिकारियों द्वारा आश्वासन भीदिया गया था।
पत्नी ने बताया कि उनकी मृत्यु के पश्चात् हमें घर से ही, उनके द्वारा दिये गये त्याग पत्र प्राप्त हुआ। जिस हेतु मेरे द्वारा जॉच हेतु आवेदन भी दिया गया परन्तु आज तक उस संदर्भ में कोई भी कार्यवाही नहीं की गई।कोविड योद्धा कल्याण योजना के तहत हाल ही में जिला स्तरीय कमेटी द्वारा एक गैर स्वास्थ्य सहायक ग्रेड-2 कर्मचारी को भी पात्र मानकर 50 लाख रूपये की राशि स्वीकृत करने हेतु अनुशंसा की गई है। जबकि मेरे पति के संबंधित सेवाओं के विषय में जिला, संभाग व राज्य स्तर के किसी
भी कर्मचारी/ अधिकारी से यह कमेटी बयान ले सकती है। मेरे पति ने 6 माह तक लगातार प्रतिदिन 16-18 घण्टे कार्य किया है पर आज उनको कोविंड योद्धा मानने से इंकार किया जा रहा है, जबकि उन्हें पूर्व कलेक्टर प्रीति मैथिल एवं वर्तमान कलेक्टर दीपक सिंह द्वारा सम्मानित भी किया गया था।
सम्मानपत्र वापिस करेंगे
पत्नी अर्चना दुबे का कहना है कि यदि मेरे पति को कोविड योद्धा स्वीकार नहीं किया जा सकता है तो माननीय उच्चाधिकारियों से लिखित में स्पष्ट कथन चाहूँगी कि उनकी सेवाओं में
क्या कमी थी। अतः मेरे पति की मृत्यु व मृत्यु के उपरांत विभागीय स्तर पर हो रही हीलाहवाली के चलते मेरा परिवार बुरी तरह से अवसाद की स्थिति में है। यदि मृत्यु के 12 दिवस पूर्व मेरे पति को कोरोना योद्धा के रूप में जिला प्रशासन
सम्मानित कर रहा था तो वही उनकी मृत्यु के पश्चात् ना सिर्फ मेरे प्रकरण को स्वीकृत नहीं कर रहा है। साथ ही मेरे द्वारा पूर्व में दिये गये आवेदनों पर कोई कार्यवाही भी नहीं कर रहा है।
प्रशासनिक स्तर पर इस उदासीनता को देखते हुए अब मैं अपने बच्चों सहित आगामी दिनांक 22 दिसम्बर दिन मगलवार को कलेक्टर के समक्ष जाकर मेरे पति को दिये गये सम्मान पत्रों को वापस करूँगी।
उधर सविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ प्रांतीय संयोजक अमिताभ चौबे ने बताया कि यदि स्वास्थ्यकर्मियों को योजना का लाभ नही मिला तो जिला स्तर पर स्वास्थ्य कर्मी आंदोलन करेंगे।
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