श्रम न्यायपालिका का अस्तित्व खत्म करने का प्रयास, अभिभाषक संघ ने सौपा ज्ञापन
सागर। श्रमविधि में न्यायपालिका के अस्तित्व समाप्त किये जाने के विरूद्ध म.प्र. श्रम एवं औद्योगिक न्यायालय अभिभाषक संघ सागर ने प्रमुख श्रम सचिव, म.प्र. शासन के नाम कलेक्टर सागर को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया है कि केन्द्र सरकार ने 44 श्रम कानूनों को 4 श्रम संहिता में परिवर्तित कर
दिया है। केन्द्र सरकार द्वारा जो श्रम संहितायें लागू करने जा रही है उसमें कई विसंगतियां है। म.प्र. श्रम विभाग ने 4 श्रम कानूनों के न्यायिक अधिकार सहायक श्रमायुक्त एवं श्रम विभाग के अधिकारियों को न्यायिक अधिकार नहीं दिये जा सकते है। नवीन संहिता के अंतर्गत श्रम न्यायालय से प्रकरण निराकरण करने हेतू अधिकृत किया जा रहा है। जो कि अनूचित है। श्रम विभाग के पास विवादों के निराकरण के
अतिरिक्त अन्य प्रशासकीय उत्तरदायित्व भी है। यह नवीन कार्यभार से विभिन्न विवादों का निराकरण शीघ्र होना असंभव है। केन्द्र शासन द्वारा बनाई गई श्रम संहिताओं में न्यायिक एवं कार्यभारी शक्तियों में विभेद करने हेतु संविधान के अनुच्छेद 50के अंतर्गत व्यवस्था करना आवश्यक है। नियमों में प्राधिकृक एवं अपीलीय
अधिकारी न्यायिक होना चाहिये। श्रम संहिताओं के नियमों में प्रकरण के निराकरण एवं आदेश के कियान्वयन के लिये न्यायिक अधिकारियों को ही अधिकार दिये जावे।
ज्ञापन सौंपे जाने के समय म.प्र. श्रम एवं औद्योगिक न्यायालय अभिभाषक संघ के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अधिवक्ता पेट्रिस फुसकेले, राजेन्द्र स्वर्णकार, विजय सर्वटे, विनीत ताम्रकार, सुरेश सेन, अरविंद सिंह राजपूत, देवेन्द्र सिंघई, धीरज ताम्रकार, भूपेन्द्र पाठक, नारायण पटेल, उदय हर्डीकर इत्यादि अधिचक्ता मौजूद रहे।
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