पाजिटिव मरीज के साथ टिकटाक वीडियो बनाने वाले अनवर की माँ और दोनो बहिन भी हुई डिस्चार्ज प्रशासन बोला अभी खतरा टला नही,सतर्कता जरूरी

पाजिटिव मरीज के साथ टिकटाक वीडियो बनाने वाले अनवर की माँ और  दोनो  बहिन हुई  डिस्चार्ज 
प्रशासन बोला अभी  खतरा टला नही,सतर्कता जरूरी


★सागर के सभी पाँचो मरीज हुए स्वस्थ्य
भाई - बहिन दोनो बोले मास्क लगाए,सोसल डिस्टेंस का पालन करे

#COVID19_SAGAR

सागर। सम्भागीय मुख्यालय सागर के लिए मंगलवार का दिन बड़ी राहत की ख़बर लाया।  जब तीन और कोरोना पॉजिटिव मरीजों को ठीक होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई । 
इसके साथ ही पांचों कोरोना पॉजिटिव मरीज अब ठीक होकर अपने घर पहुंच चुके हैं । इनकी कहानी टिकटाक वीडियो से चर्चित हुई थी। पहले पाजिटिव मरीज समीर खान के साथ टिकटाक बनाने वाले दोस्त अनवर खान  भी संक्रमित हुआ। नतीजा यह निकला  कि अनवर की माँ और दोनो बहिन भी कोरोना का शिकार बनी। कोरोना वारियर्स की मेहनत रंग लाई सभी पांच स्वस्थ्य होकर घर  पहुच गए। हालांकि ख़तरा टला नही है । कलेक्टर प्रीति मैथिल के मुताबिक लगातार सोसल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। साथ ही बाहर से आने वाले या सर्दी खांसी वालो की सूचना देनी होगी।

पढ़िए : चम्बल में आतंक का पर्याय बने और फिर हीरो ,आत्मसमर्पित डकैत मोहर सिंह का निधन

आज कोविड हॉस्पिटल से पी-2 मरीज अनवर खान की मां और दोनों बहनों के आज बीएमसी कोविद अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। रेड कार्पेट पर तालियों की गड़गड़ाहट के बीच इनको विदा किया गया। मेडिकल स्टाफ की ओर से उपहार भी दिया गया।  विधायक शैलेंद्र जैन  डॉ्क्टरों और ठीक हुए मरीजों पर पुष्प वर्षा की । विधायक शेलेन्द्र जैन ने कहा कि यह एक बड़ी उपलब्धि है। सभी की मेहनत का नतीजा है। 

सावधानी रखना जरूरी,मरीज आ सकते  है: डीन

बीएमसी के डीन डॉ जी एस पटेल ने कहा कि इसमें खास बात ये रही कि समय से भर्ती से लेकर समय से इलाज हुआ और कोई मौत नहीं हुई ये बहुत महत्वपूर्ण बात है । उन्होंने डॉक्टरों और पूरे स्टॉफ को बधाई देते हुए कहा कि हम आने वाली किसी भी चुनौती के लिए तैयार हैं मगर लोगों को ध्यान रखना होगा । अब लोगों का एक जगह से दूसरी जगह जाना शुरू हो गया है । ऐसे में लोगों की सतर्कता ही  सबसे बड़ा बचाव है । बाहरी लोगों से ख़तरा है। डीन ने कहा कि मरीज आने की संभावना बनी है। एक या दो मिलेंगे। इसके लिए रणनीति तैयार की जा रही है। 

पढ़े : सड़क हादसे में हुई  दो पुलिस आरक्षकों की मौत

अब ज्यादा सतर्कता की जरूरत :कलेक्टर प्रीति मैथिल

सागर कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक ने कहा कि अभी भी सभी लोगों को बहुत सतर्क रहने की  जररूत है ।  हर दम लॉक डाऊंन या कर्फ्यू सम्भव नही है। हमे खुद नियमो का पालन करना होगा। मेरे या  पुलिस के कहने से नियमो का पालन नही बल्कि इस बीमारी से बचाव के लिए नियमो का पालन करे। दुकानों पर भीड़ नही लगाए।  बाहरी लोगों की सूचना दे।

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नही दिखा सोसल डिस्टेंस मेडिकल कालेज में मरीजों को डिस्चार्ज करते वक्त

कोविड 19 की  गाईड लाईन में सोशल डिस्टेंस बेहद जरूरी है। लेकिन सागर के कोविड हॉस्पिटल बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज में इसकी धज्जियां उड़ती नज़र आई। आज तीन  मरीज डिस्चार्ज हुए। इनको  ताली बजाकर विदा किया गया। वही विधायक शेलेन्द्र जैन इनपर फूल बरसाने पहुच गए । इस दौरान भीड़ जैसा माहौल बना हुआ था। 
जबकि  कलेक्टर  प्रीति मैथिल और डीन जी एस पटेल का साफ कहना है कि  अभी खतरा टला नही है।सोसल डिस्टेंस का पालन जरूरी है । लंबे  समय तक खुद को सावधान रहना होगा।

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चम्बल में आतंक का पर्याय बन और फिर से हीरो ,आत्मसमर्पित डकैत मोहर सिंह का निधन

चम्बल में आतंक का पर्याय बन और फिर से हीरो ,आत्मसमर्पित डकैत मोहर सिंह का निधन

ग्वालियर। डकैतों की असली कहानियों में  चम्बल के आत्मसमर्पित डकैत मोहर सिंह की ढेरों कहानियां आज भी सुनाई जाती है। ऐसे आतंक का पर्याय बन पूर्व दस्यु सम्राट मोहर सिंह गुर्जर का लम्बी बीमारी के चलते आज सुबह निधन हो गई।  92 साल के मोहर सिंह दद्दा  मेहगांव  नगर पंचायत अध्यक्ष भी रहे है। 
सन 60 के दशक में था, 2 लाख का ईनाम घोषित किया गया था। सन 1972 में समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।  उनके खिलाफ पुलिस रिकॉर्ड में  315 अपराध  दर्ज थे। जिनमें 85 हत्याओ केआरोप थे। 

मोहर- माधो की जोड़ी की थी दहशत

साठ से लेकर सत्तर के दशक तक चम्बल में दो सबसे बड़े डाकू गिरोह थे मोहर सिंह और माधो सिंह । मोहर सिंह ने 1972 में अपने गिरोह के साथ पगारा बांध परजयप्रकाश नारायण से भेंट की और फिर 14 अप्रैल 1972 को गांधी सेवा आश्रम जौरा जिला मुरेना में अपने साथियों सहित गांधी जी की तस्वीर के सामने हथियार रखकर आत्मसमर्पण कर दिया । उस समय मोहर सिंह पर एमपी,यूपी,राजस्थान आदि राज्यो की पुलिस ने दो लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था जिसका आज के अनुसार मूल्यांकन दस करोड़ से अधिक है । मोहर सिंह के खिलाफ देश के विभिन्न थानों में तीन सौ से अधिक हत्या के मामले दर्ज थे लेकिन बकौल मोहर सिंह ये गिनती बहुत कम थी ।

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नगर पालिका अध्यक्ष भी बने

आत्मसमर्पण के बाद मोहर सिंह ने भिण्ड जिले के मेहगांव कस्बे को अपना घर बनाया और वही रहने लगे। वे दाड़ी रखाते थे इसलिए वे वहां दाढ़ी के नाम से ही विख्यात थे। वे हँसमुख और मिलनसार ठगे इसलिए हर उम्र के लोगों में उनकी खासी लोकप्रियता थी । यह इतनी ज्यादा थी कि वे एक बार नगर पालिका मेहगांव के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े और निर्दलीय ही जीत गए । उंन्होने इस दौरान विकास के काम भी कराए । लोगो ने उनसे फिर चुनाव लड़ने को भी कहा तो उन्होंने मना कर दिया ।

कैसे बने डकैत
अपने समय के सबसे खूंखार डकैत मोहर सिंह ग्राम जटेपूरा गांव में दबंगो ने उनकी जमीन छुड़ा ली और पुलिस से मिलीभगत करके बन्द भी करा दिया । इसके बाद मोहर सिंह डकैत हो गया और फिर उसने अपने आतंक से पूरे उत्तर भारत को दहलाकर रख दिया। समर्पण के समय इसके गैंग में 37 लोग थे । जब मोहर सिंह गैंग ने समर्पण किया तब उज़के पास सारे ऑटोमेटिक हथियार थे जो पुलिस के पास भी नही थे।

ये हथियार किये थे समर्पित
समर्पण करते समय मोहर सिंह 37 साल का था । वह पूरी तरह निरक्षर था । बकौल उसके-हमने तो स्कूल का मुंह भी नहीं देखा। उसने जब समर्पण किया तो एक एसएलआर,टॉमी गन,303 बोर चार रायफल,ऑटोमेटिक  चार एलएमजी,स्टेनगन ,मार्क 5 रायफल सहित भारी असलाह गांधी के चरणों मे रखा ।
जेल भी काटी और फ़िल्म में हीरो भी बने

मोहर सिंह और माधो सिंह कहने को तो अलग-अलग गिरोह थे लेकिन दोनों के बीच खूब याराना था । मोहर सिंह द्वारा माधो सिंह का बहुत आदर किया जाता था । दोनों गैंग ने एक साथ आत्मसमर्पण किया और फिर जेल में रहकर मुकद्दमे निपटाने के बाद ही बाहर आये ।  बाद में चम्बल के डाकू नाम से एक फ़िल्म भी बनी इसमें मोहर सिंह और माधो सिंह दोनों ने अपनी भूमिकाएं भी निभाई।

पढ़िए : पीएम केयर फंड  से राज्यो को राशि मिले, ताकि वित्तीय संकट कम हो सके राज्यो के: मोतीलाल वोरा

ऐसी कहानी है मोहर सिंह की
चंबल में पचास के दशक में जैसे बागियों की एक पूरी बाढ़ आई थी।  मानसिंह, रूपा, लाखन, गब्बर, सुल्ताना जैसे डाकूओं से चंबल थर-थर कांप रही थी। साठ के दशक की शुरूआत में इनमें से ज्यादातर डाकू पुलिस की गोलियों का निशाना बन चुके थे या फिर उनके गैंग छोटे हो चुके थे। लेकिन इस दशक में एक नाम ऐसा उभरा जिसने बाकि सब नामों की चमक को फीका कर दिया। ये नाम था मोहर सिंह का। डाकू मोहर सिंह साठ के दशक में चंबल का राजा। 
मानसिंह के बाद चंबल घाटी का सबसे बड़ा नाम था मोहर सिंह का। मोहर सिंह जिसके पास डेढ़ सौं से ज्यादा डाकू थे। मोहर सिंह चंबल घाटी में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान की पुलिस फाईलों में E-1 यानि दुश्मन नंबर एक के तौर पर दर्ज था। साठ के दशक में चंबल में मोहर सिंह की बंदूक ही फैसला थी और मोहर सिंह की आवाज ही चंबल का कानून। 
चंबल में पुलिस की रिकॉड़ चैक करे तो 1960 में अपराध की शुरूआत करने वाले मोहर सिंह ने इतना आतंक मचा दिया था कि पुलिस चंबल में घुसने तक से खौंफ खाने लगी थी। एनकाउंटर में मोहर सिंह के डाकू आसानी से पुलिस को चकमा देकर निकल जाते थे। मोहर सिंह का नेटवर्क इतना बड़ा था कि पुलिस के चंबल में पांव रखते ही उसको खबर हो जाती थी। और मोहर सिंह अपनी रणनीति बदल देता था। 
1958 में पहला अपराध कर पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज होने वाला मोहर सिंह ने जब अपने कंधें से बंदूक उतारी तब तक वो ऑफिसियल रिकॉर्ड में दो लाख रूपए का ईनामी था और उसका गैंग 12 लाख रूपए का इनामी गैंग था। 1970 में इस रकम को आज के हिसाब से देंखें तो ये रकम करोड़ों का हिसाब पार कर सकती है। पुलिस फाईल में 315 मामले मोहर सिंह के सिर थे और 85 कत्ल का जिम्मेदार मोहर सिंह था। मोहर सिंह के अपराधों का एक लंबा सफर था लेकिन  अचानक ही इस खूंखार डाकू बंदूकों को रखने का फैसला कर लिया। 

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@ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट

मोहर सिंह चंबल की डांग में बसे हुए गांवों में एक छोटा सा गांव अनाम सा लड़का। गांव कुछ जमीन और खेती बाड़ी। चंबल में नाइँसाफी और बदले के जुनून की सैकड़ों कहानियां बिखरी हुई है। लेकिन हर कहानी का रिश्ता जाकर जुड़ जाता है एक ही कहानी से। यानि जमीन को लेकर जंग से। मोहर की जिंदगी में भी अपनी छोटी सी जमीन को बचाने की जंग थी और नाकामयाब मोहर सिंह की जिंदगी की बटिया भी बीहड़ में भटक गई।

झाड़ियां ही झाड़ियां और बीच में एक सफेद रंग से पुता हुआ एक मंदिर।  ये सत्तर साल पहले एक भरा-पूरा गांव था। लेकिन अब सिर्फ बीहड़ ही बीहड़ है। गांव अब इससे लगभग एक किलोमीटर दूर जाकर बस गया है और पुराना गांव बिसुली नदी के कछार में समा गया है। लेकिन इसी गांव से शुरू हुई एक डाकू मोहर सिंह की कहानी।
मोहर सिंह इसी गांव का रहने वाला एक छोटा सा किसान था। गांव में छोटी सी जमीन थी। जिंदगी मजे से चल रही थी। लेकिन चंबल के इलाके का इतिहास बताता है कि किसानों की जमीनों में फसल के साथ साथ दुश्मनियां भी उगती है। जमीन के कब्जें को मोहर के कुनबे में एक झगड़ा शुरू हुआ। और इसी झगड़े में मोहर सिंह की जमीन का कुछ हिस्सा दूसरे परिवार ने दबा लिया। गांव में झगड़ा हुआ। पुलिस के पास मामला गया। और पुलिस ने उस समय की चंबल में चल रही रवायत के मुताबिक पैसे वाले का साथ दिया। केस चलता रहा। इस मामले में मोहर सिंह गवाह था। 
गांव में मुकदमें में गवाही देना दुश्मनी पालना होता है। जटपुरा में एक दिन मोहर सिंह को उसके मुखालिफों ने पकड़ कर गवाही न देने का दवाब डाला। कसरत और पहलवानी करने के शौंकीन मोहर सिंह ने ये बात ठुकरा दी तो फिर उसके दुश्मनों ने उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी। घायल मोहर सिंह ने पुलिस की गुहार लगाई लेकिन थाने में उसकी आवाज सुनने की बजाय उस पर ही केस थोप दिया गया। 
1960 के दशक की चंबल घाटी से संबंध
चंबल घाटी में जब मान सिंह राठौर, तहसीलदार सिंह (मानसिंह और तहसीलदार पिता-पुत्र), डाकू रूपा, लाखन सिंह, गब्बर सिंह, लोकमान दीक्षित उर्फ लुक्का पंडित, माधो सिंह (माधव), फिरंगी सिंह, देवीलाल, छक्की मिर्धा, रमकल्ला और स्योसिंह (शिव सिंह) जैसे खूंखार बागी-गैंग (डकैत और उनके गिरोह) अपने चरम या फिर खात्मे (उतार/ समाप्ति) की ओर थे. डाकू फिरंगी सिंह, देवीलाल और उसका पूरा गिरोह, छक्की मिर्धा और गैंग, स्यो सिंह और रमकल्ला मारे जा चुके. उसी वक्त सन् 1958 में एक नौसिखिया मगर उस जमाने का सबसे ज्यादा खतरनाक और खून-खराबे पर उतरा बागी (डाकू) मोहर सिंह चंबल के बीहड़ में बंदूक लेकर कूदा था. पुराने गैंगों की चिंता किए बिना मोहर सिंह ने 150 से ज्यादा खूंखार डाकूओं को अपना गिरोह चंबल घाटी में उतार दिया.
श्रापित चंबल का बीहड़ और जिंदगी का वो पहला कत्ल
इतिहास गवाह है कि, चंबल की जमीं ने अपने घने कांटेदार बबूल के साए में सैकड़ों डाकूओं को पनाह दी. चंबल घाटी ने अनगिनत दुश्मन पहले तो पाल-पोसकर बड़े किए. फिर उन्हीं दुश्मनों ने दुश्मन और दुश्मनी को बंदूकों के बलबूते नेस्तनाबूद करके चंबल की गहरी डरावनी घाटियों में हमेशा-हमेशा के लिए जमींदोज कर दिए. फिर भला ऐसी श्रापित चंबल के असर से कभी गांव के अखाड़े में अल-सुबह 'जोर' (पहलवानी) करने वाला बीते कल का हट्टा-कट्टा गबरू जवान मोहर सिंह गुज्जर भी कैसे बच पाता? भिंड जिले के महगांव में रह रहे चंबल घाटी के इस पूर्व बागी के मुताबिक पुश्तैनी जमीन को लेकर कुछ लोगों ने उन्हें पीट दिया. बदले में मोहर सिंह ने दुश्मन को गोलियों से भून डाला. इसके बाद बंदूक उठाई और बागी होकर चंबल के जंगल में कूद गया. बाद में यही मोहर सिंह गुज्जर उस एक अदद कत्ल की बदौलत चंबल घाटी के उस वक्त के सबसे खूंखार डाकू मानसिंह राठौर के बाद दूसरे नंबर के क्रूर बागी की कुर्सी पर काबिज हो गया.
वो बंदूक जिसने चंबल में कोहराम मचा दिया
चंबल में मोहर सिंह की बंदूक गरजी तो उसकी आवाज से तीन राज्यों (उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य-प्रदेश) की पुलिस के कान बहरे होने लगे. पुलिस चंबल में एक ओर मोहर गैंग से लोहा ले रही होती, तब तक गैंग के दूसरे सदस्य चंबल के ही किसी और कोने में पुलिस वालों को ढेर करके जा चुका होता. यूं तो चंबल घाटी में मौजूद तमाम गिरोह के सरगनाओं के कानों में भी मोहर सिंह गैंग के हथियारों की तड़तड़ाहट पहुंची, मगर मोहर सिंह गैंग का लोहा सबसे पहले माना चंबल में उस वक्त दो नंबर की कुर्सी पर काबिज माधो सिंह (माधव उर्फ माधो सिंह पूर्व फौजी बागी) ने. माधो-मोहर गैंग की दोस्ती ने चंबल के बीहड़ में कहर बरपा कर पुलिस के होश फाख्ता कर दिए.

पढ़िए : सागर में शराब दुकान खोलने के हुए आदेश, नाम ,मोबाइल नम्बर भी दर्ज होगा ग्राहक का

चंबल के पूर्व डकैत मोहर सिंह ने पीएम मोदी को खत लिखकर लगाई थी गुहार
कभी चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रहे दस्यु सरगना मोहर सिंह ने पिछले साल  सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित नौवीं शताब्दी के क़रीब 200 मंदिरों का जीर्णोद्धार कराने की अपील की है। मुरैना के महगांव निवासी 92 वर्षीय मोहर सिंह ने मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है कि उनके पूर्वजों द्वारा बनवाए गए "मंदिरों को एक-एक करके गिरते हुये नहीं देखा जाता।"
मोहर सिंह ने  उन्होंने छह सितंबर को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बटेश्वर स्थित इन मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम फिर से शुरु कराने की अपील की है। पूर्व दस्यु ने कहा, उन्हें " उम्मीद है कि वे हमारी बात को सुनेंगे।

(कुछ कंटेंट इंडिया शाम तक .कॉम से)
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सड़क हादसे में हुई दो पुलिस आरक्षकों की मौत

सड़क हादसे में हुई  दो पुलिस आरक्षकों की मौत

सिवनी। सिवनी जिले के लखनवाड़ा के पास छिंदवाड़ा रोड में देर रात हुए सड़क हादसे में बाइक सवार दो आरक्षकों की मौत हो गई। दोनों लोग एक डंपर की चपेट में आ गए थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है। 

जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा के चांद निवासी आरक्षक जगन्नाथ चोरे और सुंदर लाल गढ़वाल बाइक से कहीं जा रहे थे। हाइवे मिडवे ट्रीट के पास सिवनी आ रहे डंपर ने टक्कर मार दी। दोनों की मौके पाए ही मौत हो गई। डंपर का चालक मौके से फरार हो गया है। पुलिस डंपर चालक को तलाश रही है।
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सागर में थोक दुकान से फुटकर बिका,तीन किराना दुकान सील

सागर में थोक दुकान से फुटकर बिका,तीन  किराना दुकान सील

सागर।सागर के कटरा क्षेत्र में पूर्णतः लॉक दाओं है। थोक दुकानों पर फुटकर बिक्री होने पर प्रशासन ने तीन किराना व्यापारियों पर लॉक दाओं के उल्लंघन का मॉम्ला दर्ज किया है। इनकी दुकान सील की गई है। 

प्रशासन के सागर नगर के भ्रमण के समय  नगर के कटरा क्षेत्र में स्थित थोक किराना व्यापरियों द्वारा दुकान पर ग्राहकों की भीड़ एकत्रित कर किराना सामग्री विकय करते पाया गया । कलेक्टर  के निर्देशानुसार कटरा क्षेत्र को
पूर्णत: लॉकडाउन किया गया हैं। लाकडाउन का उल्लघन करते पाये जाने से कटरा बाजार
स्थिति खेमचंद शिखरचंद किराना स्टोर, सफल किराना स्टोर एवं आनंद किराना स्टोर की
दुकानों को शील किया गया । उक्त कार्यवाही नगर दण्डाधिकारी पवन बारिया, नगर पुलिस
अधीक्षक सागर एम.पी. प्रजापति एवं नायब तहसीलदार कुलदीप सिंह की उपस्थिति में की गई ।

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जैसीनगर जनपद की उपयंत्री की सेवाऐं समाप्त

जैसीनगर जनपद की  उपयंत्री की सेवाऐं समाप्त
सागर । सागर जिले की  जनपद पंचायत जैसीनगर में मनरेगा योजनान्तर्गत पदस्थ श्रीमति श्रेया श्रीवास्तव उपयंत्री (संविदा) माह जनवरी 2019 से लगातार अपने कर्तव्य पर अनुपस्थित रहने के कारण कलेक्टर एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक सागर द्वारा सेवाऐं समाप्त कर दी गई है। संविदा नीति 2015 की शर्त क्रमांक 13 के अनुसार ''यदि संविदा पर नियुक्त कोई अभ्यर्थी किसी विशिष्ट कारण के और बिना किसी सूचना के अपने कर्तव्य से लगातार 15 दिवस या अधिक समय तक अनुपस्थित रहता है तो उसकी संविदा नियुक्ति उसकी अनुपस्थिति तिथि से स्वतः समाप्त मानी जायेगी'' अतः संविदा नीति 2015 की शर्त क्रमांक 13 के अनुसार श्रीमति श्रेया श्रीवास्तव उपयंत्री (संविदा) जनपद पंचायत जैसीनगर की संविदा सेवाऐं अनुपस्थिति दिनांक से समाप्त कर दी गई है।
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सागर में शराब दुकान खोलने के हुए आदेश, नाम ,मोबाइल नम्बर भी दर्ज होगा ग्राहक का

सागर में शराब दुकान खोलने के हुए आदेश, नाम ,मोबाइल नम्बर भी दर्ज होगा ग्राहक का

सागर। सरकार की गाईड लाईनों के मुताबिक सागर में शराब दुकान खुलेंगी । कलेक्टर प्रीति मैथिल ने इसके आदेश जारी कर दिए है। सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक खुलेंगी। हालांकि ठेकेदारों द्वारा दुकान नही  खोलने की भी चर्चाएं है। 
आदेश के मुताबिक सागर जिला आरेज जोन में स्थित होने से एवं कन्टोनमेंट एरिया में कोई मदिरा दुकान स्थापित न होने से सागर नगर,
निगम, केंट एवं मकरोनियां स्थित मदिरा दुकानें, भांग/भांगधोंटा दुकानें तथा वाइन रिटेल 
आउटलेट को छोड़कर जिले की समस्त देशी/विदेशी मदिरा दकान, मांग/भांगघाँट
दकानें देशी/विदेशी मदिरा स्टोरेज भाण्डागार/वाईन शॉप भारत सरकार द्वारा जारी
गाईडलाईन दिनांक 01.05.2020 के बिन्द कमांक 09 एवं गाइडलाइन के परिशिष्ट 1 के
बिन्द कमांक 07.08 में उल्लेखित शर्तों के अधीन मूल लायसेंस प्राप्त कर लॉकडाडन
अवधि में दिनांक 05.05.2020 से प्रातः 07 बजे से सायंकाल 07 बजे तक खोले जाने की
अनुमति आगामी आदेश तक  दी जाती है।

पढ़िए : सागर का दूसरा पाजिटिव मरीज  हुआ डिस्चार्ज,  मेडिकल स्टाफ ने बरसाए फूल और बजाई तालिया*

ये शर्ते होंगी लागू

1. मदिरा दुकानों के सामने 2 गज के फासले पर गोल घेरे के निशान (माक) बनाये जावे ताकि दो उपभोक्ता के मध्य एक दूसरे से पर्याप्त दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनी रहे ।
2. मदिरा दुकानों पर कार्यरत कर्मचारियों को हाईजिन की दृष्टि से जागरूक करें तथास्वय सेनेटाईज होकर मारक एवं दस्तानों का उपयोग कर डयूटी करें और उपभोक्ताओं को जागरूक करें ।
3. मदिरा दुकानों के सामने भीड एकत्रित न हो एक समय में 05 से अधिक व्यक्ति इकट्ठे न हो एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कड़ाई से किया जावे ।
4 मदिरा दुकानों पर प्रतिदिन आने वाले उपभोक्ताओं की दिनांकवार पंजी संधारण की
जाये जिसमें उपभोक्ता का नाम एवं पता तथा मोबाईल नंबर अंकित किया जाये ।
5. मदिरा दुकानों पर अहाता बंद रहेंगें एवं उपभोक्ताओं को बैठकर मदिरापान की।सुविधा नहीं दी जायेगी ।
6. जिले में एफ.एल.-2 रेस्तरां बार एवं एफ.एल,-3 होटल बार का संचालन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा
7. अनुज्ञप्तिधारी द्वारा दुकान संचालन अनुमति दिनांक 05.05.2020 से 07 दिवस के भीतर वांछित औपचारिकताओं की पूर्ति यथा प्रावधानित अनुसार प्रतिभूति राशि के रूप में बैंक गांरटी, पोस्टडेटेड चैक एवं प्रतिरूप करार अनिवार्यतः जिला कार्यालयमें प्रस्तुत करना होगें ।
8. विदेशी मदिरा भाण्डागार सागर एवं देशी मदिरा स्टोरेज भाण्डागार सागर/ खरई/रहली से मदिरा का प्रदाय प्रातः 10:00 बजे से सायं 06:00 बज तक किया जाये।
उपरोक्त आदेश की अवहेलना की दशा में संबंधित के विरूद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही की जावेगी । उक्त आदेश का कठोरता से पालन किया जावे ।

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सेवादल काँग्रेस ने बांटा 27 परिवारों को राशन

सेवादल काँग्रेस ने बांटा 27 परिवारों को राशन

सागर। बेशक देश कोरोना वायरस से जूझ रहा हो, लेकिन सागर शहर कोरोना वायरस को फाइट दे रहा है और यहां पर सेवादल की फौज वंचितों की सेवा में जुटी है। मतलब कांग्रेस सेवादल का हर सदस्य अपनी क्षमता से बढकर गरीब, लाचार, मजदूर वर्ग की सेवा को समर्पित है। शहर सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे द्वारा सागर नगर के इतवारी और संतकंवर वार्ड के 15 परिवारों की महिलाओ को राशन सामग्री वितरित करके  उनकी तकलीफ कम करने की कोशिश की। राशन मे आटा-दाल भाई नेवी जैन और बिस्किट-दूध-चावल सेवादल की तरफ से वितरित किया गया।

पढ़िए : सागर का दूसरा पाजिटिव मरीज  हुआ डिस्चार्ज,  मेडिकल स्टाफ ने बरसाए फूल और बजाई तालिया

सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे का कहना है कि इस दुख की घड़ी में जिस तरह से समाज के लोग, समाजसेवी संस्थाएं आगे आए हैं, यह हमारी संस्कृति की खूबसूरती है। सागर तो वैसे भी दान और त्याग के मामले में इतिहास में दर्ज है। यहां डा.गौर  जैसे कई उदाहरण मौजूद है । उसी पथ पर चलते हुए उन्होंने बताया कि जरूरतमंद की मदद के लिए कांग्रेस सेवादल के सभी कार्यकर्ता पूरी तरह तन मन धन से समर्पित है।
आज सेवादल के इस अभियान मे ब्लाकाध्यक्ष नितिन पचौरी, जयदीप यादव, प्रवीण यादव, नवीन यादव, आकाश नामदेव, मोंटी साहू, शैलेंद्र नामदेव, गोलू सोनी सोरई, अंकुर यादव आदि सदस्य मौजूद थे।

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सागर का दूसरा पाजिटिव मरीज हुआ डिस्चार्ज, मेडिकल स्टाफ ने बरसाए फूल और बजाई तालिया

सागर का दूसरा पाजिटिव मरीज  हुआ डिस्चार्ज,  मेडिकल स्टाफ ने बरसाए फूल और बजाई तालिया

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सागर।  सागर में कोरोना के पाँच पॉजिटिव मरीजो में दूसरा मरीज  P2  अनवर को स्वस्थ्य होने पर छुट्टी  मिली।बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज से डिस्चार्ज होते समय पूरे मेडिकल स्टाफ और अधिकारियों ने तालिया बजाकर विदा किया। वही उस पर फूल भी बरसाए। स्वस्थ्य हुए अनवर ने कहा कि छोटी सी गलती से पूरा परिवार मुसीबत में फंस गया। सभी को नियमो का पालन करना चाहिए। पहले कोरोना पाजिटिव  मरीज समीर खान का दोस्त था।  दोनो के टिकटाक वीडियो भी जमकर वायरल हुई थे।  दोनो दोस्त स्वस्थ्य हुए और अपनी गलती भी स्वीकारी ।

पढ़िए: कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..!
@ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट


आज  कोविड हॉस्पिटल बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज में खुशियों का क्षण था। दूसरा मरीज ठीक होकर विदा हुआ। इस मौके पर डीन डॉ जी इस पटेल सहित पूरा स्टाफ  मौजूद था। रेड  कार्पेट पर जैसे  मरीज बाहर निकला तो सभी ने तालिया बजाकर स्वागत किया और  फूल बरसाए और उपहार भी दिए।वही मरीज ने अभी का हाथ जोड़कर आभार जताया ।
मेडिकल कालेज के कोविड हॉस्पिटल के प्रमुख डॉ उमेश पांडे के अनुसार  दूसरे मरीज की उसकी बाद कि रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इसलिए छुट्टी हुई। वही मरीज ने कहा कि छोटी से गलती से इतनी बड़ी परेशानी हुई। सभी की मदद से आज स्वस्थ्य हुआ। आज कोरोना हार गया हिंदुस्तान जीत गया। उसने कहा कि सभी को मास्क पहनना चाहिए । घर पर रहे स्वस्थ्य रहे। सरकार के नियमो का पालन करे। सागर में अभी तीन पाजिटिव मरीजों का इलाजे जारी है। ये सभी दूसरे मरीज के परिजन है। 
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