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चम्बल में आतंक का पर्याय बन और फिर से हीरो ,आत्मसमर्पित डकैत मोहर सिंह का निधन

चम्बल में आतंक का पर्याय बन और फिर से हीरो ,आत्मसमर्पित डकैत मोहर सिंह का निधन

ग्वालियर। डकैतों की असली कहानियों में  चम्बल के आत्मसमर्पित डकैत मोहर सिंह की ढेरों कहानियां आज भी सुनाई जाती है। ऐसे आतंक का पर्याय बन पूर्व दस्यु सम्राट मोहर सिंह गुर्जर का लम्बी बीमारी के चलते आज सुबह निधन हो गई।  92 साल के मोहर सिंह दद्दा  मेहगांव  नगर पंचायत अध्यक्ष भी रहे है। 
सन 60 के दशक में था, 2 लाख का ईनाम घोषित किया गया था। सन 1972 में समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।  उनके खिलाफ पुलिस रिकॉर्ड में  315 अपराध  दर्ज थे। जिनमें 85 हत्याओ केआरोप थे। 

मोहर- माधो की जोड़ी की थी दहशत

साठ से लेकर सत्तर के दशक तक चम्बल में दो सबसे बड़े डाकू गिरोह थे मोहर सिंह और माधो सिंह । मोहर सिंह ने 1972 में अपने गिरोह के साथ पगारा बांध परजयप्रकाश नारायण से भेंट की और फिर 14 अप्रैल 1972 को गांधी सेवा आश्रम जौरा जिला मुरेना में अपने साथियों सहित गांधी जी की तस्वीर के सामने हथियार रखकर आत्मसमर्पण कर दिया । उस समय मोहर सिंह पर एमपी,यूपी,राजस्थान आदि राज्यो की पुलिस ने दो लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था जिसका आज के अनुसार मूल्यांकन दस करोड़ से अधिक है । मोहर सिंह के खिलाफ देश के विभिन्न थानों में तीन सौ से अधिक हत्या के मामले दर्ज थे लेकिन बकौल मोहर सिंह ये गिनती बहुत कम थी ।

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नगर पालिका अध्यक्ष भी बने

आत्मसमर्पण के बाद मोहर सिंह ने भिण्ड जिले के मेहगांव कस्बे को अपना घर बनाया और वही रहने लगे। वे दाड़ी रखाते थे इसलिए वे वहां दाढ़ी के नाम से ही विख्यात थे। वे हँसमुख और मिलनसार ठगे इसलिए हर उम्र के लोगों में उनकी खासी लोकप्रियता थी । यह इतनी ज्यादा थी कि वे एक बार नगर पालिका मेहगांव के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े और निर्दलीय ही जीत गए । उंन्होने इस दौरान विकास के काम भी कराए । लोगो ने उनसे फिर चुनाव लड़ने को भी कहा तो उन्होंने मना कर दिया ।

कैसे बने डकैत
अपने समय के सबसे खूंखार डकैत मोहर सिंह ग्राम जटेपूरा गांव में दबंगो ने उनकी जमीन छुड़ा ली और पुलिस से मिलीभगत करके बन्द भी करा दिया । इसके बाद मोहर सिंह डकैत हो गया और फिर उसने अपने आतंक से पूरे उत्तर भारत को दहलाकर रख दिया। समर्पण के समय इसके गैंग में 37 लोग थे । जब मोहर सिंह गैंग ने समर्पण किया तब उज़के पास सारे ऑटोमेटिक हथियार थे जो पुलिस के पास भी नही थे।

ये हथियार किये थे समर्पित
समर्पण करते समय मोहर सिंह 37 साल का था । वह पूरी तरह निरक्षर था । बकौल उसके-हमने तो स्कूल का मुंह भी नहीं देखा। उसने जब समर्पण किया तो एक एसएलआर,टॉमी गन,303 बोर चार रायफल,ऑटोमेटिक  चार एलएमजी,स्टेनगन ,मार्क 5 रायफल सहित भारी असलाह गांधी के चरणों मे रखा ।
जेल भी काटी और फ़िल्म में हीरो भी बने

मोहर सिंह और माधो सिंह कहने को तो अलग-अलग गिरोह थे लेकिन दोनों के बीच खूब याराना था । मोहर सिंह द्वारा माधो सिंह का बहुत आदर किया जाता था । दोनों गैंग ने एक साथ आत्मसमर्पण किया और फिर जेल में रहकर मुकद्दमे निपटाने के बाद ही बाहर आये ।  बाद में चम्बल के डाकू नाम से एक फ़िल्म भी बनी इसमें मोहर सिंह और माधो सिंह दोनों ने अपनी भूमिकाएं भी निभाई।

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ऐसी कहानी है मोहर सिंह की
चंबल में पचास के दशक में जैसे बागियों की एक पूरी बाढ़ आई थी।  मानसिंह, रूपा, लाखन, गब्बर, सुल्ताना जैसे डाकूओं से चंबल थर-थर कांप रही थी। साठ के दशक की शुरूआत में इनमें से ज्यादातर डाकू पुलिस की गोलियों का निशाना बन चुके थे या फिर उनके गैंग छोटे हो चुके थे। लेकिन इस दशक में एक नाम ऐसा उभरा जिसने बाकि सब नामों की चमक को फीका कर दिया। ये नाम था मोहर सिंह का। डाकू मोहर सिंह साठ के दशक में चंबल का राजा। 
मानसिंह के बाद चंबल घाटी का सबसे बड़ा नाम था मोहर सिंह का। मोहर सिंह जिसके पास डेढ़ सौं से ज्यादा डाकू थे। मोहर सिंह चंबल घाटी में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान की पुलिस फाईलों में E-1 यानि दुश्मन नंबर एक के तौर पर दर्ज था। साठ के दशक में चंबल में मोहर सिंह की बंदूक ही फैसला थी और मोहर सिंह की आवाज ही चंबल का कानून। 
चंबल में पुलिस की रिकॉड़ चैक करे तो 1960 में अपराध की शुरूआत करने वाले मोहर सिंह ने इतना आतंक मचा दिया था कि पुलिस चंबल में घुसने तक से खौंफ खाने लगी थी। एनकाउंटर में मोहर सिंह के डाकू आसानी से पुलिस को चकमा देकर निकल जाते थे। मोहर सिंह का नेटवर्क इतना बड़ा था कि पुलिस के चंबल में पांव रखते ही उसको खबर हो जाती थी। और मोहर सिंह अपनी रणनीति बदल देता था। 
1958 में पहला अपराध कर पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज होने वाला मोहर सिंह ने जब अपने कंधें से बंदूक उतारी तब तक वो ऑफिसियल रिकॉर्ड में दो लाख रूपए का ईनामी था और उसका गैंग 12 लाख रूपए का इनामी गैंग था। 1970 में इस रकम को आज के हिसाब से देंखें तो ये रकम करोड़ों का हिसाब पार कर सकती है। पुलिस फाईल में 315 मामले मोहर सिंह के सिर थे और 85 कत्ल का जिम्मेदार मोहर सिंह था। मोहर सिंह के अपराधों का एक लंबा सफर था लेकिन  अचानक ही इस खूंखार डाकू बंदूकों को रखने का फैसला कर लिया। 

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@ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट

मोहर सिंह चंबल की डांग में बसे हुए गांवों में एक छोटा सा गांव अनाम सा लड़का। गांव कुछ जमीन और खेती बाड़ी। चंबल में नाइँसाफी और बदले के जुनून की सैकड़ों कहानियां बिखरी हुई है। लेकिन हर कहानी का रिश्ता जाकर जुड़ जाता है एक ही कहानी से। यानि जमीन को लेकर जंग से। मोहर की जिंदगी में भी अपनी छोटी सी जमीन को बचाने की जंग थी और नाकामयाब मोहर सिंह की जिंदगी की बटिया भी बीहड़ में भटक गई।

झाड़ियां ही झाड़ियां और बीच में एक सफेद रंग से पुता हुआ एक मंदिर।  ये सत्तर साल पहले एक भरा-पूरा गांव था। लेकिन अब सिर्फ बीहड़ ही बीहड़ है। गांव अब इससे लगभग एक किलोमीटर दूर जाकर बस गया है और पुराना गांव बिसुली नदी के कछार में समा गया है। लेकिन इसी गांव से शुरू हुई एक डाकू मोहर सिंह की कहानी।
मोहर सिंह इसी गांव का रहने वाला एक छोटा सा किसान था। गांव में छोटी सी जमीन थी। जिंदगी मजे से चल रही थी। लेकिन चंबल के इलाके का इतिहास बताता है कि किसानों की जमीनों में फसल के साथ साथ दुश्मनियां भी उगती है। जमीन के कब्जें को मोहर के कुनबे में एक झगड़ा शुरू हुआ। और इसी झगड़े में मोहर सिंह की जमीन का कुछ हिस्सा दूसरे परिवार ने दबा लिया। गांव में झगड़ा हुआ। पुलिस के पास मामला गया। और पुलिस ने उस समय की चंबल में चल रही रवायत के मुताबिक पैसे वाले का साथ दिया। केस चलता रहा। इस मामले में मोहर सिंह गवाह था। 
गांव में मुकदमें में गवाही देना दुश्मनी पालना होता है। जटपुरा में एक दिन मोहर सिंह को उसके मुखालिफों ने पकड़ कर गवाही न देने का दवाब डाला। कसरत और पहलवानी करने के शौंकीन मोहर सिंह ने ये बात ठुकरा दी तो फिर उसके दुश्मनों ने उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी। घायल मोहर सिंह ने पुलिस की गुहार लगाई लेकिन थाने में उसकी आवाज सुनने की बजाय उस पर ही केस थोप दिया गया। 
1960 के दशक की चंबल घाटी से संबंध
चंबल घाटी में जब मान सिंह राठौर, तहसीलदार सिंह (मानसिंह और तहसीलदार पिता-पुत्र), डाकू रूपा, लाखन सिंह, गब्बर सिंह, लोकमान दीक्षित उर्फ लुक्का पंडित, माधो सिंह (माधव), फिरंगी सिंह, देवीलाल, छक्की मिर्धा, रमकल्ला और स्योसिंह (शिव सिंह) जैसे खूंखार बागी-गैंग (डकैत और उनके गिरोह) अपने चरम या फिर खात्मे (उतार/ समाप्ति) की ओर थे. डाकू फिरंगी सिंह, देवीलाल और उसका पूरा गिरोह, छक्की मिर्धा और गैंग, स्यो सिंह और रमकल्ला मारे जा चुके. उसी वक्त सन् 1958 में एक नौसिखिया मगर उस जमाने का सबसे ज्यादा खतरनाक और खून-खराबे पर उतरा बागी (डाकू) मोहर सिंह चंबल के बीहड़ में बंदूक लेकर कूदा था. पुराने गैंगों की चिंता किए बिना मोहर सिंह ने 150 से ज्यादा खूंखार डाकूओं को अपना गिरोह चंबल घाटी में उतार दिया.
श्रापित चंबल का बीहड़ और जिंदगी का वो पहला कत्ल
इतिहास गवाह है कि, चंबल की जमीं ने अपने घने कांटेदार बबूल के साए में सैकड़ों डाकूओं को पनाह दी. चंबल घाटी ने अनगिनत दुश्मन पहले तो पाल-पोसकर बड़े किए. फिर उन्हीं दुश्मनों ने दुश्मन और दुश्मनी को बंदूकों के बलबूते नेस्तनाबूद करके चंबल की गहरी डरावनी घाटियों में हमेशा-हमेशा के लिए जमींदोज कर दिए. फिर भला ऐसी श्रापित चंबल के असर से कभी गांव के अखाड़े में अल-सुबह 'जोर' (पहलवानी) करने वाला बीते कल का हट्टा-कट्टा गबरू जवान मोहर सिंह गुज्जर भी कैसे बच पाता? भिंड जिले के महगांव में रह रहे चंबल घाटी के इस पूर्व बागी के मुताबिक पुश्तैनी जमीन को लेकर कुछ लोगों ने उन्हें पीट दिया. बदले में मोहर सिंह ने दुश्मन को गोलियों से भून डाला. इसके बाद बंदूक उठाई और बागी होकर चंबल के जंगल में कूद गया. बाद में यही मोहर सिंह गुज्जर उस एक अदद कत्ल की बदौलत चंबल घाटी के उस वक्त के सबसे खूंखार डाकू मानसिंह राठौर के बाद दूसरे नंबर के क्रूर बागी की कुर्सी पर काबिज हो गया.
वो बंदूक जिसने चंबल में कोहराम मचा दिया
चंबल में मोहर सिंह की बंदूक गरजी तो उसकी आवाज से तीन राज्यों (उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य-प्रदेश) की पुलिस के कान बहरे होने लगे. पुलिस चंबल में एक ओर मोहर गैंग से लोहा ले रही होती, तब तक गैंग के दूसरे सदस्य चंबल के ही किसी और कोने में पुलिस वालों को ढेर करके जा चुका होता. यूं तो चंबल घाटी में मौजूद तमाम गिरोह के सरगनाओं के कानों में भी मोहर सिंह गैंग के हथियारों की तड़तड़ाहट पहुंची, मगर मोहर सिंह गैंग का लोहा सबसे पहले माना चंबल में उस वक्त दो नंबर की कुर्सी पर काबिज माधो सिंह (माधव उर्फ माधो सिंह पूर्व फौजी बागी) ने. माधो-मोहर गैंग की दोस्ती ने चंबल के बीहड़ में कहर बरपा कर पुलिस के होश फाख्ता कर दिए.

पढ़िए : सागर में शराब दुकान खोलने के हुए आदेश, नाम ,मोबाइल नम्बर भी दर्ज होगा ग्राहक का

चंबल के पूर्व डकैत मोहर सिंह ने पीएम मोदी को खत लिखकर लगाई थी गुहार
कभी चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रहे दस्यु सरगना मोहर सिंह ने पिछले साल  सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित नौवीं शताब्दी के क़रीब 200 मंदिरों का जीर्णोद्धार कराने की अपील की है। मुरैना के महगांव निवासी 92 वर्षीय मोहर सिंह ने मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है कि उनके पूर्वजों द्वारा बनवाए गए "मंदिरों को एक-एक करके गिरते हुये नहीं देखा जाता।"
मोहर सिंह ने  उन्होंने छह सितंबर को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बटेश्वर स्थित इन मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम फिर से शुरु कराने की अपील की है। पूर्व दस्यु ने कहा, उन्हें " उम्मीद है कि वे हमारी बात को सुनेंगे।

(कुछ कंटेंट इंडिया शाम तक .कॉम से)
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सड़क हादसे में हुई दो पुलिस आरक्षकों की मौत

सड़क हादसे में हुई  दो पुलिस आरक्षकों की मौत

सिवनी। सिवनी जिले के लखनवाड़ा के पास छिंदवाड़ा रोड में देर रात हुए सड़क हादसे में बाइक सवार दो आरक्षकों की मौत हो गई। दोनों लोग एक डंपर की चपेट में आ गए थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है। 

जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा के चांद निवासी आरक्षक जगन्नाथ चोरे और सुंदर लाल गढ़वाल बाइक से कहीं जा रहे थे। हाइवे मिडवे ट्रीट के पास सिवनी आ रहे डंपर ने टक्कर मार दी। दोनों की मौके पाए ही मौत हो गई। डंपर का चालक मौके से फरार हो गया है। पुलिस डंपर चालक को तलाश रही है।
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सागर में थोक दुकान से फुटकर बिका,तीन किराना दुकान सील

सागर में थोक दुकान से फुटकर बिका,तीन  किराना दुकान सील

सागर।सागर के कटरा क्षेत्र में पूर्णतः लॉक दाओं है। थोक दुकानों पर फुटकर बिक्री होने पर प्रशासन ने तीन किराना व्यापारियों पर लॉक दाओं के उल्लंघन का मॉम्ला दर्ज किया है। इनकी दुकान सील की गई है। 

प्रशासन के सागर नगर के भ्रमण के समय  नगर के कटरा क्षेत्र में स्थित थोक किराना व्यापरियों द्वारा दुकान पर ग्राहकों की भीड़ एकत्रित कर किराना सामग्री विकय करते पाया गया । कलेक्टर  के निर्देशानुसार कटरा क्षेत्र को
पूर्णत: लॉकडाउन किया गया हैं। लाकडाउन का उल्लघन करते पाये जाने से कटरा बाजार
स्थिति खेमचंद शिखरचंद किराना स्टोर, सफल किराना स्टोर एवं आनंद किराना स्टोर की
दुकानों को शील किया गया । उक्त कार्यवाही नगर दण्डाधिकारी पवन बारिया, नगर पुलिस
अधीक्षक सागर एम.पी. प्रजापति एवं नायब तहसीलदार कुलदीप सिंह की उपस्थिति में की गई ।

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जैसीनगर जनपद की उपयंत्री की सेवाऐं समाप्त

जैसीनगर जनपद की  उपयंत्री की सेवाऐं समाप्त
सागर । सागर जिले की  जनपद पंचायत जैसीनगर में मनरेगा योजनान्तर्गत पदस्थ श्रीमति श्रेया श्रीवास्तव उपयंत्री (संविदा) माह जनवरी 2019 से लगातार अपने कर्तव्य पर अनुपस्थित रहने के कारण कलेक्टर एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक सागर द्वारा सेवाऐं समाप्त कर दी गई है। संविदा नीति 2015 की शर्त क्रमांक 13 के अनुसार ''यदि संविदा पर नियुक्त कोई अभ्यर्थी किसी विशिष्ट कारण के और बिना किसी सूचना के अपने कर्तव्य से लगातार 15 दिवस या अधिक समय तक अनुपस्थित रहता है तो उसकी संविदा नियुक्ति उसकी अनुपस्थिति तिथि से स्वतः समाप्त मानी जायेगी'' अतः संविदा नीति 2015 की शर्त क्रमांक 13 के अनुसार श्रीमति श्रेया श्रीवास्तव उपयंत्री (संविदा) जनपद पंचायत जैसीनगर की संविदा सेवाऐं अनुपस्थिति दिनांक से समाप्त कर दी गई है।
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सागर में शराब दुकान खोलने के हुए आदेश, नाम ,मोबाइल नम्बर भी दर्ज होगा ग्राहक का

सागर में शराब दुकान खोलने के हुए आदेश, नाम ,मोबाइल नम्बर भी दर्ज होगा ग्राहक का

सागर। सरकार की गाईड लाईनों के मुताबिक सागर में शराब दुकान खुलेंगी । कलेक्टर प्रीति मैथिल ने इसके आदेश जारी कर दिए है। सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक खुलेंगी। हालांकि ठेकेदारों द्वारा दुकान नही  खोलने की भी चर्चाएं है। 
आदेश के मुताबिक सागर जिला आरेज जोन में स्थित होने से एवं कन्टोनमेंट एरिया में कोई मदिरा दुकान स्थापित न होने से सागर नगर,
निगम, केंट एवं मकरोनियां स्थित मदिरा दुकानें, भांग/भांगधोंटा दुकानें तथा वाइन रिटेल 
आउटलेट को छोड़कर जिले की समस्त देशी/विदेशी मदिरा दकान, मांग/भांगघाँट
दकानें देशी/विदेशी मदिरा स्टोरेज भाण्डागार/वाईन शॉप भारत सरकार द्वारा जारी
गाईडलाईन दिनांक 01.05.2020 के बिन्द कमांक 09 एवं गाइडलाइन के परिशिष्ट 1 के
बिन्द कमांक 07.08 में उल्लेखित शर्तों के अधीन मूल लायसेंस प्राप्त कर लॉकडाडन
अवधि में दिनांक 05.05.2020 से प्रातः 07 बजे से सायंकाल 07 बजे तक खोले जाने की
अनुमति आगामी आदेश तक  दी जाती है।

पढ़िए : सागर का दूसरा पाजिटिव मरीज  हुआ डिस्चार्ज,  मेडिकल स्टाफ ने बरसाए फूल और बजाई तालिया*

ये शर्ते होंगी लागू

1. मदिरा दुकानों के सामने 2 गज के फासले पर गोल घेरे के निशान (माक) बनाये जावे ताकि दो उपभोक्ता के मध्य एक दूसरे से पर्याप्त दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनी रहे ।
2. मदिरा दुकानों पर कार्यरत कर्मचारियों को हाईजिन की दृष्टि से जागरूक करें तथास्वय सेनेटाईज होकर मारक एवं दस्तानों का उपयोग कर डयूटी करें और उपभोक्ताओं को जागरूक करें ।
3. मदिरा दुकानों के सामने भीड एकत्रित न हो एक समय में 05 से अधिक व्यक्ति इकट्ठे न हो एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कड़ाई से किया जावे ।
4 मदिरा दुकानों पर प्रतिदिन आने वाले उपभोक्ताओं की दिनांकवार पंजी संधारण की
जाये जिसमें उपभोक्ता का नाम एवं पता तथा मोबाईल नंबर अंकित किया जाये ।
5. मदिरा दुकानों पर अहाता बंद रहेंगें एवं उपभोक्ताओं को बैठकर मदिरापान की।सुविधा नहीं दी जायेगी ।
6. जिले में एफ.एल.-2 रेस्तरां बार एवं एफ.एल,-3 होटल बार का संचालन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा
7. अनुज्ञप्तिधारी द्वारा दुकान संचालन अनुमति दिनांक 05.05.2020 से 07 दिवस के भीतर वांछित औपचारिकताओं की पूर्ति यथा प्रावधानित अनुसार प्रतिभूति राशि के रूप में बैंक गांरटी, पोस्टडेटेड चैक एवं प्रतिरूप करार अनिवार्यतः जिला कार्यालयमें प्रस्तुत करना होगें ।
8. विदेशी मदिरा भाण्डागार सागर एवं देशी मदिरा स्टोरेज भाण्डागार सागर/ खरई/रहली से मदिरा का प्रदाय प्रातः 10:00 बजे से सायं 06:00 बज तक किया जाये।
उपरोक्त आदेश की अवहेलना की दशा में संबंधित के विरूद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही की जावेगी । उक्त आदेश का कठोरता से पालन किया जावे ।

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सेवादल काँग्रेस ने बांटा 27 परिवारों को राशन

सेवादल काँग्रेस ने बांटा 27 परिवारों को राशन

सागर। बेशक देश कोरोना वायरस से जूझ रहा हो, लेकिन सागर शहर कोरोना वायरस को फाइट दे रहा है और यहां पर सेवादल की फौज वंचितों की सेवा में जुटी है। मतलब कांग्रेस सेवादल का हर सदस्य अपनी क्षमता से बढकर गरीब, लाचार, मजदूर वर्ग की सेवा को समर्पित है। शहर सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे द्वारा सागर नगर के इतवारी और संतकंवर वार्ड के 15 परिवारों की महिलाओ को राशन सामग्री वितरित करके  उनकी तकलीफ कम करने की कोशिश की। राशन मे आटा-दाल भाई नेवी जैन और बिस्किट-दूध-चावल सेवादल की तरफ से वितरित किया गया।

पढ़िए : सागर का दूसरा पाजिटिव मरीज  हुआ डिस्चार्ज,  मेडिकल स्टाफ ने बरसाए फूल और बजाई तालिया

सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे का कहना है कि इस दुख की घड़ी में जिस तरह से समाज के लोग, समाजसेवी संस्थाएं आगे आए हैं, यह हमारी संस्कृति की खूबसूरती है। सागर तो वैसे भी दान और त्याग के मामले में इतिहास में दर्ज है। यहां डा.गौर  जैसे कई उदाहरण मौजूद है । उसी पथ पर चलते हुए उन्होंने बताया कि जरूरतमंद की मदद के लिए कांग्रेस सेवादल के सभी कार्यकर्ता पूरी तरह तन मन धन से समर्पित है।
आज सेवादल के इस अभियान मे ब्लाकाध्यक्ष नितिन पचौरी, जयदीप यादव, प्रवीण यादव, नवीन यादव, आकाश नामदेव, मोंटी साहू, शैलेंद्र नामदेव, गोलू सोनी सोरई, अंकुर यादव आदि सदस्य मौजूद थे।

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सागर का दूसरा पाजिटिव मरीज हुआ डिस्चार्ज, मेडिकल स्टाफ ने बरसाए फूल और बजाई तालिया

सागर का दूसरा पाजिटिव मरीज  हुआ डिस्चार्ज,  मेडिकल स्टाफ ने बरसाए फूल और बजाई तालिया

#COVID19_SAGAR

सागर।  सागर में कोरोना के पाँच पॉजिटिव मरीजो में दूसरा मरीज  P2  अनवर को स्वस्थ्य होने पर छुट्टी  मिली।बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज से डिस्चार्ज होते समय पूरे मेडिकल स्टाफ और अधिकारियों ने तालिया बजाकर विदा किया। वही उस पर फूल भी बरसाए। स्वस्थ्य हुए अनवर ने कहा कि छोटी सी गलती से पूरा परिवार मुसीबत में फंस गया। सभी को नियमो का पालन करना चाहिए। पहले कोरोना पाजिटिव  मरीज समीर खान का दोस्त था।  दोनो के टिकटाक वीडियो भी जमकर वायरल हुई थे।  दोनो दोस्त स्वस्थ्य हुए और अपनी गलती भी स्वीकारी ।

पढ़िए: कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..!
@ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट


आज  कोविड हॉस्पिटल बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज में खुशियों का क्षण था। दूसरा मरीज ठीक होकर विदा हुआ। इस मौके पर डीन डॉ जी इस पटेल सहित पूरा स्टाफ  मौजूद था। रेड  कार्पेट पर जैसे  मरीज बाहर निकला तो सभी ने तालिया बजाकर स्वागत किया और  फूल बरसाए और उपहार भी दिए।वही मरीज ने अभी का हाथ जोड़कर आभार जताया ।
मेडिकल कालेज के कोविड हॉस्पिटल के प्रमुख डॉ उमेश पांडे के अनुसार  दूसरे मरीज की उसकी बाद कि रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इसलिए छुट्टी हुई। वही मरीज ने कहा कि छोटी से गलती से इतनी बड़ी परेशानी हुई। सभी की मदद से आज स्वस्थ्य हुआ। आज कोरोना हार गया हिंदुस्तान जीत गया। उसने कहा कि सभी को मास्क पहनना चाहिए । घर पर रहे स्वस्थ्य रहे। सरकार के नियमो का पालन करे। सागर में अभी तीन पाजिटिव मरीजों का इलाजे जारी है। ये सभी दूसरे मरीज के परिजन है। 
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कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..! @ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट


कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..!

@ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट
 

शराब सरकार की जरूरत है या समाज की ? यह जानना आवश्यक है । शराब बंदी वाले राज्यों में शराब बिकना तो बंद हो गया है पर शराब पीना बंद नही हुआ है । लेकिन शराबबंदी की एक अच्छी बात यह है कि राज्य में अगर शराब अधिकृत रूप से बिकेगा नही तो जनता पब्लिकली इसका सेवन नही कर सकती । अगर वह सेवन परिवहन या शराब पीकर पड़े रहने की शिकायत आएगी तो उस पर एफ आई आर होगी, केस बनेगा और जांच होगी कि इसको शराब मिला कहाँ से । तो पीने वाला और बेचने वाला दोनो अपराधी साबित होगा ।  उससे उन दोनो पर अवैध शराब  पीने रखने परिवहन और बेचने का आरोप लगेगा । वैसे ही जैसे बारूद कहीं पकड़ायेगा तो बेचने वाले को ढूंढा जाता है । उससे पीना बंद नही होगा लेकिन पुलिस के डर से सार्वजनिक पीना कम होगा । 
शराबबंदी की योजना और सरकार का संकल्प तभी पूरा औऱ सफल होगा जब,  पहले -इसे लागू करने के साथ कानून में संसोधन भी किया जाय । 
दूसरे - कि पुलिस को अधिकार मिलने के बाद उस पर भी बेलगाम और भ्रष्ट होने की स्थिति और आरोप लगने पर उनको कड़ी सजा का प्रावधान हो । जब तक पुलिस और आबकारी के लोग अवैध शराब पर अंकुश नही लगाएंगे । कोई राज्य शराबबंदी को सफल नही बना सकता ।
छत्तीसगढ़ में पुलिस को अभी भी एक डर समझा जाता है 
 अगर शराबबंदी होती है तो थाने कचहरी के चक्कर के डर से तीस प्रतिशत लोग शराब पीने से दूर हो जाएंगे । दूसरा काम समाज को करना होगा 
 शराब के केस में फंसे बन्धु से सामाजिक दूरी की सजा आदि के प्रवधान कर इसे समाजिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है । तीसरा काम ग्राम पंचायत करे , कि एक बार कोर्ट में शराब के केस में सजा होने पर सरकारी योजना के लाभ से दूर किया जाय । चौथी बात - किसी युवा को शराब के किसी भी केस पर कोर्ट से सजा के बाद नौकरी और व्यावसायिक लोन से दूर या वंचित कर दिया जाय । 

पढ़िए : बीड़ी निर्माण और विक्रय को लेकर राहत, कोविड 19 के सतर्कता सम्बन्धी आदेश का करना होगा पालन
 https://www.teenbattinews.com/2020/05/19.html


इन सब उपायों से यह केवल सरकार की नही अपितु समाज की पाबंदी होगी और समाज बचेगा । परन्तु इसकी पहल तो पहले सरकार को ही करनी पड़ेगी । वह शराबबंदी की जिम्मेदारी सामाजिक जागरूकता के झुनझुने को पकड़ाकर अपना पल्ला झाड़ती है यह मात्र बहाना है । मप्र में जब कमलनाथ की कांग्रेस सरकार शराब की उपदुकाने खोल रही थी तब वर्तमान मुख्यमंत्री ने विपक्ष की ओर से कड़ा एतराज दिखाया था । वो शराबबंदी का फैसला समाज की जागरूकता पर छोड़ने की बात कह देते हैं । 
अभी अच्छा मौका था । सरकारों  को यह शराबबंदी लागू करना चाहिए था । नए नीलामी नही हुए थे । अगर कहीं हुए भी हों तो इसकी फीस वापसी की जा सकती थी । फाइनेंसियल ईयर की समाप्ति थी । शराबबंदी के 45 दिन का शानदार अनुभव था । कोरोना के फैलाव में शराब की मजबूत भूमिका बन सकती है । यह बहुत बड़ा खतरा है ।  इस समय इसे बंद करने से सरकार की हर तरफ यहां तक कि स्वास्थ्य से जुड़ी संगठनों और संस्थाएं इन सरकारों की तारीफ भी करती ।  
शराबियों से पुलिस परेशान नही होती ये तो इनके लिए कभी कभी  बड़े काम के कर्ता भी साबित होते हैं । अवैध की कमाई । अवैध को वैध करने का गणित और तस्करी में कई बार पुलिस के निचले कर्मचारियों की गिरफ्तारी होते रहते हैं  पर सह भी पुलिस से ऐसे लोगो को मिलता रहता है । ऐसे आरोप हमेशा लगते रहते हैं ।
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 ब्रजेश राजपूत /ग्राउंड रिपोर्ट
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छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी आखिर कब लागू कर पाएगी, इसको लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं दिख रही है । कोरोना का lockdown एक अच्छा मौका था जो उसके हाथ से निकल गया । कांग्रेस सरकार की इस ढुलमुल नीति को लेकर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा विधानसभा के पिछले साल बजट सत्र के दौरान सदन में सरकार को घेर रही थी 
 शराबबंदी को लेकर एक तरफ छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार चुप बैठी रही तो वहीं प्रदेश के लोग सबसे अधिक शराब पीने में जुटे रहे ।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों और कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 35 फीसदी से अधिक लोग शराब पीते हैं, जो इस मामले में दूसरे राज्यों से अव्वल है । शराब पीने के मामले में दूसरे नंबर पर त्रिपुरा और तीसरे नंबर पर पंजाब के लोग हैं ।शराब के मामले में छत्तीसगढ़ आबादी में अपने से चार गुना बड़े महाराष्ट्र से भी दोगुनी ज्यादा कमाई कर रहा है ।महाराष्ट्र की आबादी 11.47 करोड़ है, जबकि शराब से कमाई करीब 10546 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष है वहीं हमारे छत्तीसगढ़ की आबादी 2.55 करोड़ है और यहां शराब से कमाई साल 2018-19 में लगभग 4700 करोड़ रुपए हुई है । केवल शराब से हुई इस कमाई को आबादी से भाग दें तो छत्तीसगढ़ में शराब की खपत प्रति व्यक्ति 1843 रुपए प्रतिदिन की है । महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 919 रुपए प्रति व्यक्ति है, लेकिन यहाँ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने  पिछले साल  1अप्रैल से शराब की 50 दुकाने बंद करके अपनी पीठ थपथपवा ली थी ।

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शराबबंदी को लेकर छत्तीसगढ़  बीजेपी, भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार को सदन में घेर रही थी  और अब बाजू के मप्र की भाजपा सरकार शराबबंदी को समाज में जागरूकता का काम बता रही है । छत्तीसगढ़ के बीजेपी के ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का जनता से वादा किया था, लेकिन उस वादे को वह भूल गई है । सरकार शराब बंद तो नहीं कर रही है, उल्टे 13 .62 करोड़ रुपये की रोज की कमाई को दबा कर मौन साध कर बैठ गई है । बल्कि उल्टे दुकानें बढ़ाने की कोशिश में लगी रही है 
  छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग के आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में अभी 701 शराब दुकानें संचालित हैं । इनमें से 377 देशी शराब बेचती हैं और 324 दुकानों से विदेशी शराब बेची जाती है । इन दुकानों से लगभग 40 करोड़ का लेनदेन रोज होता है ।
मप्र में प्रतिदिन की कमाई लगभग 30 करोड़ का अनुमान है ।
यह सब तो एक मोटा मोटा अनुमान है । इतने दुकानों के बाद कहीं अवैध या ब्लैक का व्यापार नही होता यह कोई यकीन नही करेगा । अफसरों नेताओं को तोहफों की बतसात भी ऐसे ही अवैध धंधों से होती है चाहे कोई भी राज्य हो । राजनैतिक पार्टियों को चंदे बड़े आयोजनों और बड़े नेताओं के दौरों के समय यही शराब व्यापारी सूटकेस भी पहुचाते हैं । ऐसे में सरकारों और राजनीतिक दलों सहित इन विभागों से जुड़े लोगों के लिए शराब का व्यापार और शराब और शराबी एक चारागाह ही है । मप्र में सरकार और छत्तीसगढ़ में 
विपक्षी दल भाजपा के दांत अगर दिखाने के नही तो यह शराब बंदी को लागू करवाने का उसके लिए भी अच्छा मौका है । केंद्र से वह इसके भरपाई के लिए मदद भी ले सकती है । कोरोना का अच्छा बहाना भी है ।
हालांकि 4 मई से छत्तीसगढ़ और 5 मई से मध्यप्रदेश के कई जिलों में शराब की दुकानें खुल रही हैं ।

45 दिन शराब न पीकर जनता ने यह बता दिया है कि  'शराब के बिना वह जिंदा रह सकते हैं
लेकिन शराब की दुकानें खोल कर क्या सरकार ने यह बता दिया कि " शराब के बिना सरकारें जिंदा नहीं रह पाएगी।"

पर देर अभी भी नही हुई है ।
इसलिये सभी शराब के विरोधी दल, समाज, संगठन ,बुद्धिजीवी ध्यान दें..
"धक्का मारो मौका है"

आज बस इतना ही..!

(होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट ,एबीपी न्यूज़ भोपाल)


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