कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..! @ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट


कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..!

@ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट
 

शराब सरकार की जरूरत है या समाज की ? यह जानना आवश्यक है । शराब बंदी वाले राज्यों में शराब बिकना तो बंद हो गया है पर शराब पीना बंद नही हुआ है । लेकिन शराबबंदी की एक अच्छी बात यह है कि राज्य में अगर शराब अधिकृत रूप से बिकेगा नही तो जनता पब्लिकली इसका सेवन नही कर सकती । अगर वह सेवन परिवहन या शराब पीकर पड़े रहने की शिकायत आएगी तो उस पर एफ आई आर होगी, केस बनेगा और जांच होगी कि इसको शराब मिला कहाँ से । तो पीने वाला और बेचने वाला दोनो अपराधी साबित होगा ।  उससे उन दोनो पर अवैध शराब  पीने रखने परिवहन और बेचने का आरोप लगेगा । वैसे ही जैसे बारूद कहीं पकड़ायेगा तो बेचने वाले को ढूंढा जाता है । उससे पीना बंद नही होगा लेकिन पुलिस के डर से सार्वजनिक पीना कम होगा । 
शराबबंदी की योजना और सरकार का संकल्प तभी पूरा औऱ सफल होगा जब,  पहले -इसे लागू करने के साथ कानून में संसोधन भी किया जाय । 
दूसरे - कि पुलिस को अधिकार मिलने के बाद उस पर भी बेलगाम और भ्रष्ट होने की स्थिति और आरोप लगने पर उनको कड़ी सजा का प्रावधान हो । जब तक पुलिस और आबकारी के लोग अवैध शराब पर अंकुश नही लगाएंगे । कोई राज्य शराबबंदी को सफल नही बना सकता ।
छत्तीसगढ़ में पुलिस को अभी भी एक डर समझा जाता है 
 अगर शराबबंदी होती है तो थाने कचहरी के चक्कर के डर से तीस प्रतिशत लोग शराब पीने से दूर हो जाएंगे । दूसरा काम समाज को करना होगा 
 शराब के केस में फंसे बन्धु से सामाजिक दूरी की सजा आदि के प्रवधान कर इसे समाजिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है । तीसरा काम ग्राम पंचायत करे , कि एक बार कोर्ट में शराब के केस में सजा होने पर सरकारी योजना के लाभ से दूर किया जाय । चौथी बात - किसी युवा को शराब के किसी भी केस पर कोर्ट से सजा के बाद नौकरी और व्यावसायिक लोन से दूर या वंचित कर दिया जाय । 

पढ़िए : बीड़ी निर्माण और विक्रय को लेकर राहत, कोविड 19 के सतर्कता सम्बन्धी आदेश का करना होगा पालन
 https://www.teenbattinews.com/2020/05/19.html


इन सब उपायों से यह केवल सरकार की नही अपितु समाज की पाबंदी होगी और समाज बचेगा । परन्तु इसकी पहल तो पहले सरकार को ही करनी पड़ेगी । वह शराबबंदी की जिम्मेदारी सामाजिक जागरूकता के झुनझुने को पकड़ाकर अपना पल्ला झाड़ती है यह मात्र बहाना है । मप्र में जब कमलनाथ की कांग्रेस सरकार शराब की उपदुकाने खोल रही थी तब वर्तमान मुख्यमंत्री ने विपक्ष की ओर से कड़ा एतराज दिखाया था । वो शराबबंदी का फैसला समाज की जागरूकता पर छोड़ने की बात कह देते हैं । 
अभी अच्छा मौका था । सरकारों  को यह शराबबंदी लागू करना चाहिए था । नए नीलामी नही हुए थे । अगर कहीं हुए भी हों तो इसकी फीस वापसी की जा सकती थी । फाइनेंसियल ईयर की समाप्ति थी । शराबबंदी के 45 दिन का शानदार अनुभव था । कोरोना के फैलाव में शराब की मजबूत भूमिका बन सकती है । यह बहुत बड़ा खतरा है ।  इस समय इसे बंद करने से सरकार की हर तरफ यहां तक कि स्वास्थ्य से जुड़ी संगठनों और संस्थाएं इन सरकारों की तारीफ भी करती ।  
शराबियों से पुलिस परेशान नही होती ये तो इनके लिए कभी कभी  बड़े काम के कर्ता भी साबित होते हैं । अवैध की कमाई । अवैध को वैध करने का गणित और तस्करी में कई बार पुलिस के निचले कर्मचारियों की गिरफ्तारी होते रहते हैं  पर सह भी पुलिस से ऐसे लोगो को मिलता रहता है । ऐसे आरोप हमेशा लगते रहते हैं ।
पढ़िए : मैंने यमराज को कोरोना पर सवार होते आते देखा है....
 ब्रजेश राजपूत /ग्राउंड रिपोर्ट
 https://www.teenbattinews.com/2020/05/blog-post_3.html


छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी आखिर कब लागू कर पाएगी, इसको लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं दिख रही है । कोरोना का lockdown एक अच्छा मौका था जो उसके हाथ से निकल गया । कांग्रेस सरकार की इस ढुलमुल नीति को लेकर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा विधानसभा के पिछले साल बजट सत्र के दौरान सदन में सरकार को घेर रही थी 
 शराबबंदी को लेकर एक तरफ छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार चुप बैठी रही तो वहीं प्रदेश के लोग सबसे अधिक शराब पीने में जुटे रहे ।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों और कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 35 फीसदी से अधिक लोग शराब पीते हैं, जो इस मामले में दूसरे राज्यों से अव्वल है । शराब पीने के मामले में दूसरे नंबर पर त्रिपुरा और तीसरे नंबर पर पंजाब के लोग हैं ।शराब के मामले में छत्तीसगढ़ आबादी में अपने से चार गुना बड़े महाराष्ट्र से भी दोगुनी ज्यादा कमाई कर रहा है ।महाराष्ट्र की आबादी 11.47 करोड़ है, जबकि शराब से कमाई करीब 10546 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष है वहीं हमारे छत्तीसगढ़ की आबादी 2.55 करोड़ है और यहां शराब से कमाई साल 2018-19 में लगभग 4700 करोड़ रुपए हुई है । केवल शराब से हुई इस कमाई को आबादी से भाग दें तो छत्तीसगढ़ में शराब की खपत प्रति व्यक्ति 1843 रुपए प्रतिदिन की है । महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 919 रुपए प्रति व्यक्ति है, लेकिन यहाँ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने  पिछले साल  1अप्रैल से शराब की 50 दुकाने बंद करके अपनी पीठ थपथपवा ली थी ।

पढ़िए : कोरोना देवदूतों का बनेगा  सागर में मंदिर, अनूठे मंदिर निर्माण की रखी गई आधार शिला 
 https://www.teenbattinews.com/2020/05/blog-post_33.html


शराबबंदी को लेकर छत्तीसगढ़  बीजेपी, भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार को सदन में घेर रही थी  और अब बाजू के मप्र की भाजपा सरकार शराबबंदी को समाज में जागरूकता का काम बता रही है । छत्तीसगढ़ के बीजेपी के ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का जनता से वादा किया था, लेकिन उस वादे को वह भूल गई है । सरकार शराब बंद तो नहीं कर रही है, उल्टे 13 .62 करोड़ रुपये की रोज की कमाई को दबा कर मौन साध कर बैठ गई है । बल्कि उल्टे दुकानें बढ़ाने की कोशिश में लगी रही है 
  छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग के आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में अभी 701 शराब दुकानें संचालित हैं । इनमें से 377 देशी शराब बेचती हैं और 324 दुकानों से विदेशी शराब बेची जाती है । इन दुकानों से लगभग 40 करोड़ का लेनदेन रोज होता है ।
मप्र में प्रतिदिन की कमाई लगभग 30 करोड़ का अनुमान है ।
यह सब तो एक मोटा मोटा अनुमान है । इतने दुकानों के बाद कहीं अवैध या ब्लैक का व्यापार नही होता यह कोई यकीन नही करेगा । अफसरों नेताओं को तोहफों की बतसात भी ऐसे ही अवैध धंधों से होती है चाहे कोई भी राज्य हो । राजनैतिक पार्टियों को चंदे बड़े आयोजनों और बड़े नेताओं के दौरों के समय यही शराब व्यापारी सूटकेस भी पहुचाते हैं । ऐसे में सरकारों और राजनीतिक दलों सहित इन विभागों से जुड़े लोगों के लिए शराब का व्यापार और शराब और शराबी एक चारागाह ही है । मप्र में सरकार और छत्तीसगढ़ में 
विपक्षी दल भाजपा के दांत अगर दिखाने के नही तो यह शराब बंदी को लागू करवाने का उसके लिए भी अच्छा मौका है । केंद्र से वह इसके भरपाई के लिए मदद भी ले सकती है । कोरोना का अच्छा बहाना भी है ।
हालांकि 4 मई से छत्तीसगढ़ और 5 मई से मध्यप्रदेश के कई जिलों में शराब की दुकानें खुल रही हैं ।

45 दिन शराब न पीकर जनता ने यह बता दिया है कि  'शराब के बिना वह जिंदा रह सकते हैं
लेकिन शराब की दुकानें खोल कर क्या सरकार ने यह बता दिया कि " शराब के बिना सरकारें जिंदा नहीं रह पाएगी।"

पर देर अभी भी नही हुई है ।
इसलिये सभी शराब के विरोधी दल, समाज, संगठन ,बुद्धिजीवी ध्यान दें..
"धक्का मारो मौका है"

आज बस इतना ही..!

(होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट ,एबीपी न्यूज़ भोपाल)


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पीएम केयर फंड से राज्यो को राशि मिले, ताकि वित्तीय संकट कम हो सके राज्यो के: मोतीलाल वोरा

पीएम केयर फंड  से राज्यो को राशि मिले, ताकि वित्तीय संकट कम हो सके राज्यो के: मोतीलाल वोरा

नईदिल्ली। काँग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदेव को पत्र लिखा है । उसमें कहा है कि समस्त विश्व में कोविड-19 के संक्रमण के कारण हुई अप्रत्याशित लॉकडाउन मेंन केवल अविकसित एवं विकासशील देशों को, अपितु संसाधन बहुल देशों को भीआर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है।
संघीय व्यवस्था में केन्द्रीय राजस्व को केन्द्र सरकार द्वारा एकत्र किया जाता हैऔर निश्चित अनुपात में राज्यों को बांटा जाता है। इस प्रकार प्राप्त धन राज्य सरकार केराजस्व का एक बड़ा हिस्सा होता है। वर्तमान में आये लॉकडाउन के कारण भारत सरकार का जीएसटी व अन्य करों का संग्रह न के बराबर रहा, जिससे न सिर्फ केन्द्र
सरकार तकलीफ में आई, बल्कि सारी राज्य
सरकारों को भी तंगी का सामना करनापड़ा।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने वर्तमान अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए देश - विदेश सेआ रहे दान को एकत्र करने के लिए प्रधानमंत्री केयर फण्ड की स्थापना की।

पढ़िए : हम नाराज हो जेहे तो बचहे का... गोपाल भार्गव
भार्गव जी नाराज हो  या न हो मनाने की क्षमता मुझमें  नही...गोविन्द राजपूत

हमारे देशवासियों ने, जैसाकि वे ऐसी परिस्थितियों में हमेशा करते आये हैं, बढ़चढ़कर दान दिया। काफी धन एकत्र हुआ है, हालांकि वह इतना नहीं है कि अकेले कोविद-19 की लड़ाई में पूरा पड़ सके। लेकिन यह फण्ड भारत सरकार को कुछ राहत देता है। चूंकि संघ और राज्य – दोनों को आर्थिक तंगी हुई है जिसमें राज्यों को ज्यादा
कष्ट हुआ। पूर्व सांसद एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव मोतीलाल वोरा ने आज दिनांक 4 मई, 2020 को प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदीको पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि पीएम केयर फण्ड में से राज्य सरकारों को भीउचित अनुपात में धन उपलब्ध कराया जाये जिससे कि उनके वित्तीय संकट का निवारणकुछ हद तक हो सके।

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लॉक डाउन में बेसहारा घायल गायों का ईलाज करा रहा धर्म रक्षा संगठन

लॉक डाउन में बेसहारा घायल गायों का ईलाज करा रहा धर्म रक्षा संगठन

सागर। लॉक डाउन चल रहा है जहाँ लोगो को इस संकट की घड़ी में घर से निकलना खतरे से कम नहीं है। वही धर्म रक्षा संगठन गौ रक्षा कमांडो फोर्स के गौ भक्त अपनी जान को खतरे में डालकर सागर शहर में बीमार घायल गायों के लिये घरों से बाहर निकलकर  डॉक्टरों की मदद से पहुँचकर ईलाज कर रहे है। चाहे वह नाले में गिरे नंदी बैल हो या फिर गौमाता हो, तुंरत सूचना मिलने पर तत्काल गौ भक्तो की टीम पहुँचकर निकालकर डॉ. की मदद से ईलाज करती है, ऐसे लगभग सागर शहर के हर जगह टीम पहुँचकर अपने कर्तव्यों का पालन करती है। धर्म रक्षा संगठन के अध्यक्ष सूरज सोनी ने बताया कि पिछले कई दिनों से लॉक डाउन के चलते गायो की हालत बहुत बुरी हो गई है। 

पढ़िए: बीड़ी निर्माण और विक्रय को लेकर राहत, कोविड 19 के सतर्कता सम्बन्धी आदेश का करना होगा पालन

किसी के घायल होने तो किसी के नाले में गिरने की सूचनाएं निरंतर प्राप्त हो रही है।  जिला कार्यवाहक नीलेश प्रजापति ने बताया कि ईलाज के साथ हम गौ भक्त रोज शहर की गायो को भूसा सानी बनाकर खिलाते रहे है। शाम को जाकर पूरा शहर  कबर करते है। 
वही नगर अध्यक्ष आकाश प्रजापति ने बताया कि हम गौ भक्त रोज पहले खेत से बरसीन बाजरा तोड़कर लाते है फिर उसे काटकर  भूसा, सानी, नमक, चापर मिलाकर गाड़ी करके गायो को खिलाते है। विगत दिवस कुछ लोगो के खेत में फूल, गोबी, ककड़ी मिल गई थी जो हमने गायो के लिये खिलाई। जब तक लॉक डाउन चलता रहेगा ये गौ भक्त सेवा में लगे हुए है। संतु पोपटानी, विक्रम, आयुष साहू, पुष्पराज ठाकुर, मनीष साहू, प्रदीप पांडे, सचिन, अम्मू रैकवार, आशुतोष, गजेंद्र, नितिन, शिवा, कृष्ण, शैलेन्द्र, अभिनाष, विकी, निक्की राय, शैलू सेन, नीलू पटैल गौ वंश की सेवा में लगातार कार्य कर रहे है। 
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कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..! @ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट

कोरोना काल मे शराबबंदी :"धक्का मारो मौका है"..!

@ होमेन्द्र देशमुख, वीडियो जर्नलिस्ट 

शराब सरकार की जरूरत है या समाज की ? यह जानना आवश्यक है । शराब बंदी वाले राज्यों में शराब बिकना तो बंद हो गया है पर शराब पीना बंद नही हुआ है । लेकिन शराबबंदी की एक अच्छी बात यह है कि राज्य में अगर शराब अधिकृत रूप से बिकेगा नही तो जनता पब्लिकली इसका सेवन नही कर सकती । अगर वह सेवन परिवहन या शराब पीकर पड़े रहने की शिकायत आएगी तो उस पर एफ आई आर होगी, केस बनेगा और जांच होगी कि इसको शराब मिला कहाँ से । तो पीने वाला और बेचने वाला दोनो अपराधी साबित होगा ।  उससे उन दोनो पर अवैध शराब  पीने रखने परिवहन और बेचने का आरोप लगेगा । वैसे ही जैसे बारूद कहीं पकड़ायेगा तो बेचने वाले को ढूंढा जाता है । उससे पीना बंद नही होगा लेकिन पुलिस के डर से सार्वजनिक पीना कम होगा । 
शराबबंदी की योजना और सरकार का संकल्प तभी पूरा औऱ सफल होगा जब,  पहले -इसे लागू करने के साथ कानून में संसोधन भी किया जाय । 
दूसरे - कि पुलिस को अधिकार मिलने के बाद उस पर भी बेलगाम और भ्रष्ट होने की स्थिति और आरोप लगने पर उनको कड़ी सजा का प्रावधान हो । जब तक पुलिस और आबकारी के लोग अवैध शराब पर अंकुश नही लगाएंगे । कोई राज्य शराबबंदी को सफल नही बना सकता ।
छत्तीसगढ़ में पुलिस को अभी भी एक डर समझा जाता है 
 अगर शराबबंदी होती है तो थाने कचहरी के चक्कर के डर से तीस प्रतिशत लोग शराब पीने से दूर हो जाएंगे । दूसरा काम समाज को करना होगा 
 शराब के केस में फंसे बन्धु से सामाजिक दूरी की सजा आदि के प्रवधान कर इसे समाजिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है । तीसरा काम ग्राम पंचायत करे , कि एक बार कोर्ट में शराब के केस में सजा होने पर सरकारी योजना के लाभ से दूर किया जाय । चौथी बात - किसी युवा को शराब के किसी भी केस पर कोर्ट से सजा के बाद नौकरी और व्यावसायिक लोन से दूर या वंचित कर दिया जाय । 

पढ़िए : बीड़ी निर्माण और विक्रय को लेकर राहत, कोविड 19 के सतर्कता सम्बन्धी आदेश का करना होगा पालन

इन सब उपायों से यह केवल सरकार की नही अपितु समाज की पाबंदी होगी और समाज बचेगा । परन्तु इसकी पहल तो पहले सरकार को ही करनी पड़ेगी । वह शराबबंदी की जिम्मेदारी सामाजिक जागरूकता के झुनझुने को पकड़ाकर अपना पल्ला झाड़ती है यह मात्र बहाना है । मप्र में जब कमलनाथ की कांग्रेस सरकार शराब की उपदुकाने खोल रही थी तब वर्तमान मुख्यमंत्री ने विपक्ष की ओर से कड़ा एतराज दिखाया था । वो शराबबंदी का फैसला समाज की जागरूकता पर छोड़ने की बात कह देते हैं । 
अभी अच्छा मौका था । सरकारों  को यह शराबबंदी लागू करना चाहिए था । नए नीलामी नही हुए थे । अगर कहीं हुए भी हों तो इसकी फीस वापसी की जा सकती थी । फाइनेंसियल ईयर की समाप्ति थी । शराबबंदी के 45 दिन का शानदार अनुभव था । कोरोना के फैलाव में शराब की मजबूत भूमिका बन सकती है । यह बहुत बड़ा खतरा है ।  इस समय इसे बंद करने से सरकार की हर तरफ यहां तक कि स्वास्थ्य से जुड़ी संगठनों और संस्थाएं इन सरकारों की तारीफ भी करती ।  
शराबियों से पुलिस परेशान नही होती ये तो इनके लिए कभी कभी  बड़े काम के कर्ता भी साबित होते हैं । अवैध की कमाई । अवैध को वैध करने का गणित और तस्करी में कई बार पुलिस के निचले कर्मचारियों की गिरफ्तारी होते रहते हैं  पर सह भी पुलिस से ऐसे लोगो को मिलता रहता है । ऐसे आरोप हमेशा लगते रहते हैं ।
पढ़िए : मैंने यमराज को कोरोना पर सवार होते आते देखा है....
 ब्रजेश राजपूत /ग्राउंड रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी आखिर कब लागू कर पाएगी, इसको लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं दिख रही है । कोरोना का lockdown एक अच्छा मौका था जो उसके हाथ से निकल गया । कांग्रेस सरकार की इस ढुलमुल नीति को लेकर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा विधानसभा के पिछले साल बजट सत्र के दौरान सदन में सरकार को घेर रही थी 
 शराबबंदी को लेकर एक तरफ छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार चुप बैठी रही तो वहीं प्रदेश के लोग सबसे अधिक शराब पीने में जुटे रहे ।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों और कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 35 फीसदी से अधिक लोग शराब पीते हैं, जो इस मामले में दूसरे राज्यों से अव्वल है । शराब पीने के मामले में दूसरे नंबर पर त्रिपुरा और तीसरे नंबर पर पंजाब के लोग हैं ।शराब के मामले में छत्तीसगढ़ आबादी में अपने से चार गुना बड़े महाराष्ट्र से भी दोगुनी ज्यादा कमाई कर रहा है ।महाराष्ट्र की आबादी 11.47 करोड़ है, जबकि शराब से कमाई करीब 10546 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष है वहीं हमारे छत्तीसगढ़ की आबादी 2.55 करोड़ है और यहां शराब से कमाई साल 2018-19 में लगभग 4700 करोड़ रुपए हुई है । केवल शराब से हुई इस कमाई को आबादी से भाग दें तो छत्तीसगढ़ में शराब की खपत प्रति व्यक्ति 1843 रुपए प्रतिदिन की है । महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 919 रुपए प्रति व्यक्ति है, लेकिन यहाँ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने  पिछले साल  1अप्रैल से शराब की 50 दुकाने बंद करके अपनी पीठ थपथपवा ली थी ।

पढ़िए : कोरोना देवदूतों का बनेगा  सागर में मंदिर, अनूठे मंदिर निर्माण की रखी गई आधार शिला 
शराबबंदी को लेकर छत्तीसगढ़  बीजेपी, भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार को सदन में घेर रही थी  और अब बाजू के मप्र की भाजपा सरकार शराबबंदी को समाज में जागरूकता का काम बता रही है । छत्तीसगढ़ के बीजेपी के ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का जनता से वादा किया था, लेकिन उस वादे को वह भूल गई है । सरकार शराब बंद तो नहीं कर रही है, उल्टे 13 .62 करोड़ रुपये की रोज की कमाई को दबा कर मौन साध कर बैठ गई है । बल्कि उल्टे दुकानें बढ़ाने की कोशिश में लगी रही है 
  छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग के आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में अभी 701 शराब दुकानें संचालित हैं । इनमें से 377 देशी शराब बेचती हैं और 324 दुकानों से विदेशी शराब बेची जाती है । इन दुकानों से लगभग 40 करोड़ का लेनदेन रोज होता है ।
मप्र में प्रतिदिन की कमाई लगभग 30 करोड़ का अनुमान है ।
यह सब तो एक मोटा मोटा अनुमान है । इतने दुकानों के बाद कहीं अवैध या ब्लैक का व्यापार नही होता यह कोई यकीन नही करेगा । अफसरों नेताओं को तोहफों की बतसात भी ऐसे ही अवैध धंधों से होती है चाहे कोई भी राज्य हो । राजनैतिक पार्टियों को चंदे बड़े आयोजनों और बड़े नेताओं के दौरों के समय यही शराब व्यापारी सूटकेस भी पहुचाते हैं । ऐसे में सरकारों और राजनीतिक दलों सहित इन विभागों से जुड़े लोगों के लिए शराब का व्यापार और शराब और शराबी एक चारागाह ही है । मप्र में सरकार और छत्तीसगढ़ में 
विपक्षी दल भाजपा के दांत अगर दिखाने के नही तो यह शराब बंदी को लागू करवाने का उसके लिए भी अच्छा मौका है । केंद्र से वह इसके भरपाई के लिए मदद भी ले सकती है । कोरोना का अच्छा बहाना भी है ।
हालांकि 4 मई से छत्तीसगढ़ और 5 मई से मध्यप्रदेश के कई जिलों में शराब की दुकानें खुल रही हैं ।

45 दिन शराब न पीकर जनता ने यह बता दिया है कि  'शराब के बिना वह जिंदा रह सकते हैं ।
लेकिन शराब की दुकानें खोल कर क्या सरकार ने यह बता दिया कि " शराब के बिना सरकार मर जाएगी।
पर देर अभी भी नही हुई है ।
इसलिये सभी शराब के विरोधी दल, समाज, संगठन ,बुद्धिजीवी ध्यान दें..

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अनुशा ने जन्मदिन को सार्थक बनाया असहायों की सेवा करके, माँ जानकी अन्नपूर्णा सेवा समिति के माध्यम से

अनुशा ने जन्मदिन को सार्थक बनाया असहायों की सेवा करके,   माँ जानकी अन्नपूर्णा सेवा समिति  के माध्यम से


सागर। कोरोना आपदा में  लोग विभिन्न माध्यमो से सेवा धर्म निभा रहे है। जन्मदिन पर अपनी खुशियां इनकी मदद करके मना रहे है । ऐसी ही एक तस्वीर जैन पब्लिक हाॅ•से•सी•बी•एस•ई स्कूल, सागर  के प्राचार्य रजनीश प्रतिभा जैन की पुत्री अनुशा जैन  की सामने आई । अनुषा ने ने अपने जन्मदिन को सार्थक बनाने के उद्देश्य से माॅ जानकी अन्न पूणाँ सेवा समिति के माध्यम से असहाय एवं अप्रवासी व्यक्तियों को खाना वितरण कराया ।

पढ़े : बीड़ी निर्माण और विक्रय को लेकर राहत, कोविड 19 के सतर्कता सम्बन्धी आदेश का करना होगा पालन ,बीड़ी उधोग संघ ने माना आभार

मा जानकी अन्नपूर्णा सेवा समिति जुटी है सेवा में 
मां जानकी अन्नपूर्णा सेवा समिति द्वारा कोरोना महामारी के चलते सागर शहर मे टोटल लाकडाऊन के दौरान गत 24 मार्च से समिति के सदस्यों द्वारा गरीब,निसहाय और अप्रवासी मजदूरो को दोनो टाइम भोजन का वितरण किया जा रहा है । इसी श्रंखला के तहत आज भाग्योदय अस्पताल मे भोजन का वितरण किया गया ।
समिति मे विशेष सहयोग मां जानकी अन्नपूर्णा सेवा समिति द्वारा 24 मार्च से लगातार गरीब असहाय के लिए भोजन तैयार करा रहे हैं जो कि शहर के विभिन्न स्थानों पर जा जाकर भोजन वितरण किया जा रहा है समिति के अध्यक्ष ने बताया की लॉक डॉन के चलते
गरीबों भोजन की व्यवस्था करा रही है इतना ही नहीं यह संस्था खुद के पैसों से और लोगों के सहयोग से भोजन तैयार करा रही हैं क्या संस्था सुबह से ही खाना बनाने का कार्य प्रारंभ करती है जो करीब दिन भर खाना की तैयारी कर लोगों को वितरण करती है साथ ही शाम को खिचड़ी तैयार कर शनि देव मंदिर असहाय परिवारों के लिए भेजती है ऐसे ही महामारी के दौर में अगर संभव हुआ तो आगे भी यह संस्था कार्य  करने में सहमत रहेगी । 

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कामकाजी महिलाओं को मिला राशन, सेवादल ने बांटा

कामकाजी महिलाओं को मिला राशन, सेवादल ने बांटा

सागर। कोरोना काल की इस विषम परिस्थिति में सेवादल ने 37 वें दिन भी 15 गरीब-कामकाजी महिलाओं को और ट्राईसायकल से आये एक दिव्यांग युवक को राशन वितरण कर उनकी परेशानियों को कम करने का प्रयास किया।

पढ़े: भारतीय सेना  ने किया सागर के कोरोना वारियर्स का सम्मान
आज सूबेदार वार्ड और धर्मश्री वार्ड की महिलाओ को राशन वितरित किया गया ,राशन वितरण में सेवादल अध्यक्ष द्वारा सोशल डिस्टेसिंग का विशेष ध्यान रखा गया और कोरोना से बचाव की सावधानियों से भी अध्यक्ष ने इन सभी को जागृत किया।राशन मे आटा-दाल भाई नेवी जैन और दूध-चावल-बिस्किट सेवादल अध्यक्ष की तरफ से वितरित किया गया। कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे के साथ ब्लाकाध्यक्ष नितिन पचौरी,जयदीप यादव,प्रवीण यादव,आकाश नामदेव,शैलेन्द्र नामदेव,लकी,ईशू तिवारी,हनी सोनी ,नवीन यादव,अंकुर यादव आदि सभी सदस्य मौजूद थे।

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भारतीय सेना ने किया सागर के कोरोना वारियर्स का सम्मान

भारतीय सेना  ने किया सागर के कोरोना वारियर्स का सम्मान

#COVID19_SAGAR

सागर।कोरोना आपदा से निपटने में जूझ रहे कोरोना वारियर्स को आज पूरे देश मे  भारतीय सेना की थल,जल और नभ सेना ने  सलाम और सम्मान किया। इसी कड़ी में सेना का एकजुटता दिवस कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमे  कोरोना वारियर्स का सम्मान किया गया। पुलिस कंट्रोल रूम और पुलिस लाईन सहित कई जगह आयोजन हुए। 

पढ़िए मैंने यमराज को कोरोना पर सवार होते आते देखा है....
 @ब्रजेश राजपूत /ग्राउंड रिपोर्ट

#COVID19 से जंग जीत चुके देशभर के लोगों और #CoronaWarriors को देश के फ्रंटलाइन वॉरियर्स ने आज अनूठा सम्मान दिया।सेना और पुलिस के अफसरों ने पुलिस,सफाईकर्मी,पैरामेडिकल यूनिट और अन्य कोरोना के योद्धाओ को शाल श्रीफल के स्थान संम्मानित किया । वही  बैंड्स ने उत्साहवर्धक स्वरलहरियां पेश की।
पुलिस लाईन में पुलिस शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर सभी ने जम्मू कश्मीर में आज शहीद हुए सेना के जवानों को मौन रखकर  श्रद्धांजलि अर्पित की।

पढ़िए : बीड़ी निर्माण और विक्रय को लेकर राहत, कोविड 19 के सतर्कता सम्बन्धी आदेश का करना होगा पालन
बीड़ी उधोग संघ ने माना आभार

झील किनारे  मिलिट्री  बेंड की गूंजी स्वर लहरिया
भारतीय सेना ने कोरोना वायरस की लड़ाई लड़ रहे कोरोना योद्धाओं के सम्मान में रविवार को लाखा बंजारा झील पर सेना के बैंड दल द्वारा सम्मान स्वरूप बैंड दल द्वारा देशभक्ति गीत बजाकर  आकर्षक प्रस्तुति दी गई ।

ये हुए शामिल
ब्रिगेडियर अतुल कुमार, ढाना ब्रिगेड,
कर्नल मुनीश गुप्ता, एडम कमांडेंट सागर, कर्नल सुजॉय घोष, 15 मराठा लाईट इन्फेंट्री ,कर्नल श्रीकांत ,गोरखा, डीआईजी आर एस डेहरिया, ASP विक्रम सिंह और प्रवीण भूरिया ,निगम आयुक्त आर पी अहिरवार  सहित अनेक अधिकारियों ने सभी कोरोना वारियर्स की हौसला अफजाई की।

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मैंने यमराज को कोरोना पर सवार होते आते देखा है.... @ब्रजेश राजपूत /ग्राउंड रिपोर्ट

मैंने यमराज को कोरोना पर सवार होते आते देखा है....

@ब्रजेश राजपूत /ग्राउंड रिपोर्ट 

वो शायद एक तारीख की दोपहर होगी जब मैं खबर की तलाश में कुछ दोस्तों के साथ पुलिस कंटोल रूम गया और एक सीएसपी के पास बैठकर एसएसपी का इंतजार करने लगा। वहां चाय आयी और हम सबने चाय पी। दो दिन बाद खबर आयी कि वो सीएसपी साहब कोरोना की चपेट में आ गये।ये खबर सुनते ही दिल बैठ सा गया। लगा कि ऐसा ना हो वहां से हम भी कोरोना लेकर घर आ गये हों। मेरा शक सही निकला तीन तारीख को हल्की सी हरारत बदन में हुयी पर ये क्या रात में बुखार भी आ गया। अब दिमाग में घंटी बजी और मैंने अपने परिवार को सारा किस्सा बताया और अपने को अलग कमरे में कैद कर लिया। अगले ही दिन जेपी अस्पताल में ढाई घंटे लाइन में लगकर कोरोना टेस्ट के लिये सेंपल भी दे आया और घर पर सतर्कता बरतने लगा। अकेले कमरे में सोना बच्चों और परिवार से दूर रहना खाना दरवाजे से नीचे से लेने लगा और भगवान के नाम के साथ ही इंतजार करने लगा टेस्ट की रिपोर्ट का। 
आठ तारीख को कमिश्नर मैडम का फोन आता है वो बतातीं हैं कि तुम्हारा कोरोना टेस्ट पोजिटिव आया है बताओ कहां भर्ती होना चाहोगे एम्स, बंसल या फिर चिरायू। मगर ये खबर सुनने को मैं तैयार था इसलिये फोन सुनते सुनते ही घर से नीचे आ गया और अगला फोन घर पर किया कि नीचे तीन कपडे रखकर मेरा बैग फेक दो मैं एडमिट होने अस्पताल जा रहा हूं। घर वाले हैरान परेशान मैंने कहा कोई सवाल नहीं करो जो कह रहा हूं करते जाओ और अगले एक घंटे बाद में बंसल अस्पताल के कमरे में था अकेला।

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 खबर फैल गयी थी कि मुझे करोना हो गया है दोस्तों के सांत्वना भरे फोन आने लगे थे और मैं हंस कर जबाव दे रहा था मगर अंदर से तो डरा हुआ था कि जाने क्या कर बैठे ये बीमारी जिसका कोई इलाज ही नहीं है। 
एक दो दिन बाद ही मैं बंसल अस्पताल से चिरायू अस्पताल आ गया था जो कोरोना के इलाज के लिये ही था। यहाँ मेरे जैसे तीन सौ मरीज थे कोरोना के। आते ही मुझे बडा सदमा मिला। पहली जांच में ही सामने आ गया कि मेरे फेंफडों तक कोरोना पहुंच गया है। आमतौर पर लोगों के गले तक ही ये वाइरस अटैक करता है मगर मेरे फेफडों तक ये प्रवेश कर गया था अब क्या होगा यही सवाल था मेरे सामने। डाक्टर ने सलाह दी घबडाओ नहीं बस खूब पानी पियो और चौबीस घंटे में से अठारह घंटे आक्सीजन लो। मरता क्या नहीं करता दिन भर में सात आठ बोतल पानी की पीता और पूरे वक्त आक्सीजन का मास्क नाक में  लगाकर अपने घंटे गिनता। कोरोना वाइरस कार्बन मोनोक्साइड में पनपता है इसलिये आक्सीजन उसकी दुश्मन है तो पानी शरीर से सारी बीमारी और गंदगी को बाहर निकाल देता है। डाक्टर ने अठारह घंटे कहा मैं उन्नीस घंटे आक्सीजन लेता। मेरे बिस्तर के आसपास लगी मशीनों से मेरी पहचान हो गयी थी। नाक में आक्सीजन आक्सीमीटर से जाती थी तो पल्स मीटर से पल्स देखता। दिन भर किसी का ख्याल नहीं आता बस यही आक्सीजन के घंटे गिनता, खाना खाता और लेटा रहता। फोन पर बात करनी तकरीबन बंद ही थी। कभी कभार पापा से बात करता या फिर दोस्तों से पत्नी बहन और बच्चों से फोन पर बात बिलकुल बंद। उनसे बात करने में डर लगता था भावुक हो जाता था वो भी और मैं भी। बच्चे पूछते पापा कब आओगे तो आंसू आ जाते और गला भर आता। बिस्तर पर पडे पडे कमरे का एक एक इंच मेरी आंखों को याद हो गया था। दिन मुश्किल से कटता था तो रात तो और भारी होती थी कभी गायत्री मंत्री पढता तो कभी दूसरे श्लोक। निराशा लगातार घर करने लगी थी ऐसे में कभी अंधेरे में यमराज भी दिखते तो कभी ये लगता कि अब घर तो लौट ही नहीं पाउंगा। आसपास के मरीजों ने बता दिया था कि करोना में फेफडों में संक्रमण यानिकी निमोनिया का शुरूआती लक्षण और यही से कोरोना जानलेवा हो जाता है। हांलाकि अस्पताल के डाक्टर मेरा हमेशा हौसला बढाते मगर मेरा पत्रकार मन पूरे वक्त अपनी तबियत को लेकर सवाल ही उठाता रहता। मेरे सीटी स्केन की जब दूसरी रिपोर्ट आनी थी तो फिर रात भर नहीं सोया। जाने क्या लिखा आ जाये रिपोर्ट मंे। 
शुक्र था भगवान का दूसरी रिपोर्ट में वाइरस फैलता नहीं दिखा। डा अजय गोयनका ने जब हौसला बढाया तब लगा कि अब ठीक हो जाउंगा। बस फिर क्या था अब अस्पताल में मेरा मन लगने लगा था। दोस्ती हो गयी थी बहुत सारे लोगांे से। मगर इंतजार था कब निकल पायेगे यहां से दिन लगातार गुजरते जा रहे थे। आम तौर पर सामान्य मरीज सात से आठ दिन में वापस चला जाता है मगर मुझे तो चौदह दिन होने को थे। बाहर मेरे मित्र और परिवार इंतजार कर रहे थे। खैर वो दिन भी आ गया पहले पहली रिपोर्ट निगेटिव आयी तो मैं खुश था मगर कुछ रायचंदों ने बताया कि पहली से कुछ नहीं बहुतों की दूसरी पाजिटिव आ जाती है इसलिये फिर दो दिन तक फिर दिल दिमाग पर तनाव रहा। और मेरी दूसरी रिपेार्ट की खबर मुझे नही मेरे खबरनवीसों दोस्तों को मुझसे पहले मिली कि वो भी निगेटिव आयी है। बस फिर क्या था वापसी की तैयारी की और एक वीडियो बनाया उन सबके लिये जो करोना से डरते हैं मेरा अनुभव यही कहता है कि बीमारी बडी नहीं है मगर इसका डर इससे बडा है इसलिये उस डर से पहले जीतना पडता है बीमारी से तो जीत ही जायेगे और मैंने जीतकर बताया। 
( भोपाल के टीवी पत्रकार जुगल किशोर शर्मा की सच्ची कहानी ) 

ब्रजेश राजपूत,  एबीपी न्यूज  भोपाल
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