पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने पर प्रशासकीय समिति के गठन के आदेश, निवर्तमान सरपंच बनेगा समिति का प्रधान
भोपाल। एमपी में सरपंचों के कार्यकाल खत्म होने के मद्देनजर अब पंचायतों में प्रशासकीय समिति के गठन करने के दिशा निःर्देश जारी किए हैं। इसमे ग्राम के ही लोगो को लिया जाएगा। पूर्व सरपंच को इस समिति का प्रधान बनाया जाएगा । प्रदेश के सभी कलेक्टरों को आज पंचायत एवम ग्रामीण विकास विभाग ने निःर्देश जारी किए है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वाराया जारी आदेशानुसार निर्देशित किया गया था
कि ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के दिनांक से मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 की धारा 87(3)(ख) अनुसार वैकल्पिकव्यवस्था होने तक ग्राम पंचायतों के खातों का परिचालन एवं आहरण संवितरणसरपंचों के हस्ताक्षर से किये जाने पर पाबंदी लगाई जावे। इसी अनुक्रम में ग्राम
पंचायतों के कार्यकलापों के सुचारू संचालन की दृष्टि से वैकल्पिक व्यवस्था स्वरूप ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन होने तक प्रशासकीय समितियों के गठन कानिर्णय लिया गया है।अतः म.प्र. पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 की धारा 87 की उपधारा (3)(ख) अनुसार प्रत्येक ग्राम पंचायत हेतु एक प्रशासकीय समिति का गठन किया जाए। प्रशासकीय समिति में वे सब पदाधिकारी जो कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व ग्राम पंचायत के सदस्य रहे हैं, सदस्य बनाये जाएं। ग्राम
पंचायत का कार्यकाल (2015-2020) समाप्त होने के पूर्व सरपंच रहे व्यक्ति कोइस प्रशासकीय समिति का प्रधान बनाया जाए। इस समिति में ऐसे 2 व्यक्ति मनोनीत किये जाएं, जिनका नाम संबंधित ग्राम पंचायत की निर्वाचक नामावली में
सम्मिलित हो। यह प्रशासकीय समिति मनोनीत सदस्य न होने अथवा मनोनयनके अभाव में भी कार्य करती रहेगी। प्रशासकीय समिति के प्रधान एवं ग्रामपंचायत के सचिव, मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 की
धारा 66 एवं सुसंगत नियमों के अनुसार ग्राम पंचायत के खातों से राशि काआहरण संवितरण कर सकेंगे। ग्राम पंचायतों की प्रशासकीय समिति के गठन हेतु कलेक्टर विहित प्राधिकारी होंगे।
उक्तानुसार ग्राम पंचायतों की प्रशासकीय समितियों के गठन काप्रतिवेदन तत्काल आयुक्त/संचालक पंचायत राज संचालनालय, म.प्र. को प्रेषित किया जाना सुनिश्चित करें।