ओरछा । लाखों खर्च करने के बाद विकास को ही नमस्ते कर दिया, मोदी सरकार ने ओरछा को यूनेस्को की सूची में शामिल कराकर दी बड़ी सौगात:भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल

ओरछा । लाखों खर्च करने के बाद विकास को ही नमस्ते कर दिया, मोदी सरकार ने ओरछा को यूनेस्को की सूची में शामिल कराकर दी बड़ी सौगात:भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल
भोपाल। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल यूनेस्को की सूची में ओरछा को शामिल कराया। ओरछा देश के 30 स्थानों में शामिल किया है जिन्हें स्वच्छ आईकॉनिक सेंटर के रूप में विकसित जा रहा है। ओरछा तो मोदी सरकार के आने के सदियों पहले से है, पर उसे यूनेस्को की सूची में शामिल कराने का कार्य केंद्र में कांग्रेस की या बाद में यूपीए की सरकार ने कभी नहीं किया। यूनेस्को की सूची में शामिल किए जाने और स्वच्छ आईकॉनिक सेंटर बनाने के कारण देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने का अनुमान है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री रजनीश अग्रवाल ने कही।
उन्होंने कहा कि ओरछा में 2003 के पहले सड़क मार्ग से जाना भी दूभर था। सुविधाओं की दृष्टि से बदहाली थी। भाजपा सरकार आने के बाद बुनियादी सुविधाओं का विकास हुआ। न केवल घरेलू पर्यटक बढ़े बल्कि विदेशी पर्यटक भी बड़ी तादाद में आना शुरू हुए। यही कारण है कि आज मध्यप्रदेश देश में भाजपा  सरकार के कारण ही पर्यटन की दृष्टि से पहले पांच राज्यों में एक है। 
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को नमस्ते ओरछा कार्यक्रम पर कोई आपत्ति नहीं है, यह सफल सार्थक सिद्ध हो। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। इस आयोजन के पश्चात किए गए कार्यों का सोशल ऑडिट कराया जाए ताकि जनता को भी पता चले कि कितने राशि के टेंडर हुए? किसको मिले? कितना कार्य हुआ और कितना पैसा गपा गए? जनता को क्या मिला ? ओरछा को क्या मिला ? प्रदेश सरकार के जिम्मेदार और जिम्मेदार अधिकारी ही कह रहे हैं कि 50 करोड़ के नाम पर सब कुछ बर्बाद कर दिया।
उन्होंने कहा कि ओरछा, मध्य प्रदेश की ही धरती पर जन्में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के अज्ञातवास का स्थान रहा है। जहां उनकी कुटिया है, मूर्ति है, उनका स्थान है। नमस्ते ओरछा कार्यक्रम में चंद्रशेखर आजाद का कहीं कोई महत्त्व नहीं है। उनके स्मारक की दृष्टि से कोई राशि नहीं दी जा रही है। मात्र 22-23 वर्ष की उम्र में जो क्रांतिकारी  चटगांव से पेशावर तक क्रांतिकारियों का नेता  बन गया हो, इसी प्रदेश में जन्मा हो, निश्चित तौर पर ओरछा में अमर शहीद की अनदेखी यह आजाद का अपमान है। भाजपा सरकार आने के बाद 2006 में चंद्रशेखर आजाद का जन्म शताब्दी वर्ष का आयोजन हुआ तब से लेकर लगातार हर साल विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते रहे है। 2008 से ओरछा में भी आजाद की पुण्यतिथि के अवसर पर हर साल आयोजन किया जाता था जो कांग्रेस की सरकार आने के बाद बंद कर दिया गया।



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ये दागदार उजाला और वो तीन छोटे बल्ब,,,, ब्रजेश राजपूत/ सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट

ये दागदार उजाला और वो तीन छोटे बल्ब,,,,

 ब्रजेश राजपूत/ सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट 

जबलपुर के बाहर खमरिया की पहाडी की उंचाई से जगमगाते शहर का नजारा देखते ही बन रहा था। उपर आसमान में तारे चमक रहे थे तो नीचे जमीन पर लाखों रोशनियाँ थी। ये बिजली की रोशनी तरक्की और विकास का प्रतीक है। पिछले सत्तर सालों में जबलपुर कस्बा पहले बडा शहर और अब महानगर बनने की राह पर है। शहर से निकल रही रोशनियाँ आकाश से आ रही तारों की टिमटिमाहट को फीका कर रही थी। शहर में घुसते ही हर और बडे बडे होर्डिग्स और चमकीले बैनरों की जोरदार चमक थी और पूरे शहर में उजाला ही उजाला था मगर होर्डिग्स पर लगे ये सैंकडों लाइट और एलईडी की मीटर मीटर भर लंबी रंगबिरंगी झालरों की रोशनी मुझे चुभ रही थी। वजह शायद ये रही हो कि मैं इस बडे शहर से डेढ सौ किलोमीटर दूर उस जगह से आ रहा था जहाँ पर मकान में एलईडी के छोटे छोटे तीन बारीक से बल्ब भी दिन भर सोलर पैनल से ऊर्जा इकटठी कर रात में बडे संघर्ष के बाद जल पाते हैं। 
डिंडोरी जिले के माधोपुरा पंचायत के ददरा टोला गांव में अलग अलग बिखरे हुये दस पंद्रह घर हैं। मगर इन घरों को घर कहने में भी हमें हिचक होती है क्योंकि हम शहर के लोग घर यानिकी टू और थ्री बीएचके को ही मानते है। मगर ददरा टोला के अनंदी सिहं पंद्रो के लिये तो ये उनका घर नहीं बंगला था जिसमें आगे छोटा बगीचा है इसी घर से लगा उनका खेत है इसी घर में एक तरफ उनके पालतू जानवरों की जगह है। और घर के आगे आंगन है जहां उनके परिवार के बच्चे और दो तीन पालतू कुत्ते हलचल मचाते रहते हैं। आंगन में ही वो भुटटे सूख रहे हैं जिनके दाने निकाल लिये गये हैं और साथ ही भुटटे के उपर लिपटे पत्तों को जानवरों को खिलाने के लिये सुखाया जा रहा है। पंद्रो का घर की पहचान ये भी है कि घर के पिछवाडे ही सड़क से बिजली का तार खीचकर दो बडे खंबों पर ट्रांसफार्मर और मीटर लगा है। पंद्रो इस बात से खुश है कि उसके घर के पास ही ट्रांसफार्मर लग गया है मगर वो दुखी इस बात पर होता है कि महीनों पहले ये टांसफार्मर लग तो गया है मगर इसमें करंट या बिजली अब तक नहीं आयी है। हमें बिजली विभाग का अफसर जान कर हाथ जोडकर कहता है कि श्रीमान से निवेदन है कि इस ट्रांसफार्मर में करंट छोड दीजिये जिससे हमारे घर बिजली आ जाये हमारी समस्या की अति है साहब झींटी तापकर गुजारा करते हैं, मिटटी के तेल की बाती भी हम रोज नहीं जला पाते क्योंकि वो तेल कभी मिलता है कभी नहीं और उसे लेने दूर तक पैदल ही जाना पडता है। हमारे भी छोटे छोटे बच्चे हैं वो भी रात में पढना चाहते हैं तो साहब हमारी झोपडी में बिजली पहुँचा दो तो हम भी मानें कि हमारा विकास हो गया। अनंदी सिहं के बेटे देवेद्र भी ये बात सुनकर ऐसा सवाल कर बैठा जिसका जबाव हमारे पास नहीं था कि साहब ये ट्रांसफार्मर यहां चार महीने से लगा है फिर दो कदम पर हमारे घर तक बिजली क्यों नही आ रही और कितने महीने साल हमको बिजली की राह देखनी होगी। जब खंबा गडा हमने नारियल फोडा, फिर जब ट्रांसफार्मर टंगा तब हमने नारियल फोडा अब करंट आने का नारियल कब फोडेंगे। कब तक हम नकली बिजली से काम चलायेंगे। हमने कहा कि भाई ये नकली बिजली क्या होती है और इससे कैसे कामचलता है बताओ जरा। इस पर वो अपने घर के अंदर ले गया। कच्चे कबेलू वाले कम उंचाई के दरवाजे वाली इस झोपडी में सर झुकाकर घुसते ही देखा कि एक आले में छोटी सी बैटरी रखी थी जिसमें दो क्लिप के साथ एक छह इंच लंबी छोटी सी झालर टंगी थी जिसमें तीन नन्हे से बल्ब लगे थे। बैटरी में क्लिप लगाते ही इन छोटे से बल्ब चमकने लगे। तो यही है नकली बिजली इससे गुजारा हो जाता है। हां साब झोपडी में थोड़ी मोडी रोशनी हो जाती है इन बल्बों से। हमारे आस पास के घरों में भी बिजली का यही इंतजाम हैं। तो कितने में आया ये सब। जी दो हजार रूप्ये का सोलर पैनल लेकर कबेलू के उपर रख दिया और उसे इस बेटरी से कनेक्ट कर इस नकली बिजली पर ढाई तीन हजार खर्च किये हैं। मेरे लिये ये कल्पना करनी कठिनहो रही थी कि चारों तरफ सुनसान जंगल और  खेत से घिरे इस घर में जब ये छोटे छोटे एलईडी के तीन नन्हे बल्ब जलते होंगे तो इससे कितना उजाला होता होगा और उस उजाले में ये परिवार क्या करता होगा। क्या बच्चे इस नकली उजाले में पढते होंगे या फिर ये उजाला सिर्फ उजाले का अहसास कराने के लिये ही होता होगा। अब सर कुछ नहीं से कुछ होना तो अच्छा ही है। जब बिजली आयेगी तब आयेगी। वैसे पहले खंबे लगे तब लगा कि अब बिजली आने वाली है हमारा अंधेरा दूर हो जायेगा उसके बाद जब ट्रांसफार्मर लगा फिर लगा कि अब तो जल्दी ही अंधेरा दूर होजायेगा मगर अब आप मीडिया वाले आ गये हो तो फिर लगने लगा है कि अब तो बिजली आ ही जायेगी और हमारा घर असल बिजली से चमचमायेगा। वेसे साहब हमको ज्यादा बिजली भी नहीं चाहिये बस दो बल्ब जल जायें एक घर के अंदर और एक बाहर इतने में ही हमारा काम हो जायेगा तो आप जरा पहुंचा दीजिये बिजली हमारे गांव में। हाथ जोडकर बोला देवेंद्र पंद्रो। 
तो ये सारी बातें सुनकर आने के बाद भला किसी को जबलपुर की सडकों पर बिखरी ये बर्बादी की हद तक बेतहाशा फैली बिजली किसको अच्छी लगेगी। अभी बिजली विभाग में काम करने वाले हमारे मित्र ने बताया कि प्रदेश में बीस हजार मेगावाट बिजली की उपलब्धता है और इसमें भी यदि हमारे ददरा टोला के अनंदी सिहं को तीन एलईडी के छोटे बल्ब जलाने पड रहे हैं तो ऐसी बिजली का क्या अचार डालना। 
ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज,  भोपाल
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रिटायर्ड पुलिस अफसरों ने दिए सुझाव व्यवस्था को लेकर, पुलिस रीयूनियन में

रिटायर्ड पुलिस अफसरों ने दिए सुझाव व्यवस्था को लेकर, पुलिस रीयूनियन में
सागर।  जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी सागर में  तीन दिनी सन् 1906 से 1969 के वरिष्ठ प्रशिक्षु उपनिरीक्षक अधिकारी सेमीनार में आयोजित किया गया है। इसमें अधिकांश अधिकारियों का आगमन हुआ। सभी का वर्षो बाद हुआ यह मधुर मिलन, अकादमी प्रेम जिन लोगों ने देखा वे अपलक देखते ही रह गये। देर रात तक सभी एक दूसरे से पुरानी यादे, अपनी जिन्दगी के गुजरे हुये लम्हे चर्चा कर बांटते रहे। इस मिलन के बाद शायद ही को रात्रि में सोया हो। इस सेमिनार का प्रारंभ सुबह के चाय, नास्ते से हुआ। इसके उपरांत सभी उसी ग्राउंड पर गये जहां वर्षो पहले इन सभी ने अपने आपको देश की सेवा कि लिये समर्पित किया था। उसी जेएनपीए स्थित परेड ग्राउंड पर उनकी यादों को ताजा करने के लिये ग्रुप फोटों का आयोजन किया गया। जिसमें सभी एकत्रित हुये। पुराने दोस्तों से मिलकर उनका वही वर्षों पुराना जोश, वही युवावस्था की मस्ती, वही पुराने नामों से एक दूसरे को पुकारना दिखाई दिया। 
प्रथम बेच के एस एस श्रीवास्तव भी पहुचे
इनमें एक वरिष्ठ अधिकारी श्री एस0एस0 श्रीवास्तव तो ऐसे भी थे। जिन्होंने सन् 1947 में जबाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी से ट्रेनिंग ली थी। उनकी उम्र 95 वर्ष है। ये इनमें सबसे सीनियर थे। आजादी के तुरंत बाद इस प्रथम बैच के ये अधिकारी अपने पुराने मित्रों को देखते ही अपने हांथ में लिये जिस लाठी के सहारे वे चल रहे थे। उसे ऊपर उठाकर दौड़ पड़े। ये अद्भुद मिलन देखकर सब भौचक्के रह गयेे। ग्राउण्ड ठहाकों से गूंज उठा। सभी के ग्रुप फोटो तथा अन्य फोटोज लिये गये। 
 कोर्स का उद्घाटन समारोह अकादमी स्थित आॅडिटोरियम में आयोजित किया गया। जिसमें नवागत उप पुलिस महानिरीक्षक,  राजेश हिंगणकर , जेएनपीए सागर द्वारा बैच के सबसे वरिष्ठ अधिकारी श्री एस0एस0 श्रीवास्तव (95 वर्ष)को आमंत्रित किया गया तथा उनके द्वारा मां सरस्वती का पूजन, दीप प्रज्जवन तथा पुष्पार्पण किया गया। तत्पश्चात सभी वरिष्ठ जनों का स्वागत, अभिनंदन किया गया।
अनुभव साझा और अफसरो का आभार
सभी सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधि0 तथा उनकी धर्मपत्नियों से अपनी पुलिस विभाग में रहते हुये तथा सेवानिवृत्ति के पश्चात की जीवन यात्रा, अनुभव तथा पुलिस विभाग के लिये उनके सुझाव चाहे गये। इस दौर मंे सर्व प्रथम तो सभी ने विशेष पुलिस महानिदेशक,  संजय राणा तथा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक महोदया सुश्री अनुराधा शंकर का बार-बार धन्यवाद प्रकट किया गया कि, उन्होने इतना अच्छा आयोजन किया। ये आयोजन हमेशा आगे भी करते रहने का आग्रह किया। कुछ अधिकारियों द्वारा विशेष पुलिस महानिदेशक , श्री संजय राणा के साथ ग्वालियर में किये गये यादगार कार्यों का स्मरण किया तथा कुछ के द्वारा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक  सुश्री अनुराधा शंकर की दयालुता व उनके द्वारा किये गये पुलिस विभाग के लिये वेलफेयर कार्यों की सराहना की। 
सेवानिवर्तो के सुझाव को भेजा जाएगा

 सेवानिवृत्त अधिकारियों द्वारा अपने सुक्षाव दिये गये। श्री आर0पी0 तिवारी बैच 1967 द्वारा बताया गया कि, पुलिस के लिये सबसे महत्वपूर्ण है अपनी छबि को बनाये रखना। यदि आपने समाज में अपनी छबि एक अच्छे अधिकारी के रूप में निर्मित कर ली है। तो आपके कार्य में किसी भी प्रकार का अवरोध कतई नहीं आ सकता। श्री बी0पी0 शुक्ला बैच 1965 द्वारा मुखबिर तंत्र की मजबूती में पुलिस विभाग की सफलता पर जोर दिया। इन्होने बताया कि पुलिस सोर्स आफ इनफोर्मेसन बनाये। कुछ अधिकारियों द्वारा प्रमोशन के क्रम पर कहा कि निम्न स्तर से उच्च की तरफ प्रमोशन से पद भरे जाना चाहिए। ताकि विभाग में अधिक अनुभवी अधिकारी हो। श्री परिहार साहब द्वारा बताया गया कि छोटी-छोटी शिकायतों पर भी बारीकी से जांच हो ताकि आगे जाकर वे शिकायते काननू व्यवस्था की स्थिति निर्मित न करें। विभागीय जांच सिखाने के लिये अधिकारियों के रिफ्रेसर कोर्स आयोजित कराये जाये। अधिकारी की धर्म पत्नि श्रीमती कुशुम शुक्ला द्वारा अपने जीवन की कठिनाई का जिक्र करते हुये सुझाव दिया कि, पुलिस विभाग में ट्रासफर करते वक्त उनके बच्चों केे भविष्य का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये। क्यांेकि अचानक तथा बार-बार हुये तबादलो से पुलिस अधि0/कर्म0 के बच्चों का भविष्य डगमगा जाता है। अधिकांश अधि0 के द्वारा सेवानिवृति के बाद पुलिस वेलफेयर सुविधायें प्रदान करने पर जोर दिया। स्वस्थ्य सुरक्षा योजना में शामिल किये जाने की बात कही गई। कार्यक्रम में शामिल हुये सागर तथा पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों द्वारा सुझावों पर निश्चित ही अमल किये जाने का भरोसा दिलाया गया।  उमनि, जेएनपीए द्वारा सेवानिवृत्त पुलिस अधि0 के सम्मान के लिये उनके निवास स्थान के संबंधित थाना प्रभारी उनके जन्म दिवस पर गुलदस्ता भेंट करें तथा समय9:30 पर उनसे मिलते रहें इस हेतु प्रदेश स्तर पर विशेष पुलिस महानिदेशक , प्रशिक्षण पुमु भोपाल को सुझाव के रूप में भेजने का आश्वासन दिया गया। 
कार्यक्रम में पुलिस मुख्यालय भोपाल प्रशिक्षण शाखा से सहा0 पुलिस महानिरीक्षक  मलय जैन कार्यक्रम में  शामिल हुये।सागर से पुलिस महानिरीक्षक  अनिल शर्मा, पुलिस अधीक्षक  अमित सांघी, पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त  रामेश्वर यादव एवं समस्त जेएनपीए स्टाफ शामिल हुआ। इस कार्यक्रम में अकादमी में पदस्त डाॅ0 चंद्रप्रभा जैन का योगदान विशेष सराहनीय रहा।
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अपराधों पर अंकुश लगाने की अपील करता दिखा नाटक 'कुत्ते'

अपराधों पर अंकुश लगाने की अपील करता दिखा नाटक 'कुत्ते'
#रवीन्द्र भवन में आयोजित हुए अन्वेषण थियेटर ग्रुप केशो
सागर । सागर नगर के नाट्य कला प्रेमी दर्शकों को महान नाट्य लेखक विजय तेंदुलकर के नाटक कुत्ते का प्रदर्शन देखने को मिला । स्थानीय रविंद्र भवन में जगदीश शर्मा के निर्देशन में उक्त नाटक प्रस्तुत किया गया । नाटक की कथा को देखें तो किसी कंपनी का एक सेल्समैन एक पिछड़े गांव में नियुक्त होता है। वहां वह अपने सहायक कर्मी घोड़के के माध्यम से एक असामान्य मनोवृत्ति की स्त्री के संपर्क में आता है । पहले वह उससे बहुत प्रभावित होता है और उसके साथ उसकी आध्यात्मिक वृत्ति से जुड़कर बीमार सा हो जाता है । दरअसल वह महिला विधवा है और उसका मानना है कि उसके पति ने पुनर्जन्म लिया है तथा वर्तमान में एक काले कुत्ते के रूप में धरती पर है । अपनी इसी सोच के चलते वह काफी संख्या में काले कुत्ते पालती और उनकी देखरेख करती है।  मंच पर कुत्तों की उपस्थिति ध्वनि के माध्यम से दिखाई गई है। आगे बढ़ते हुए कथाक्रम में जीवन की अनेक विडंबनाओं को दिखाया गया है। अंत में सेल्समैन की मानसिकता में विकृति आती है, घोड़के उसे हवा देता है और सेल्समैन महिला के साथ बलात्कार हेतु चला जाता है । लेकिन वह गलती से महिला की विक्षिप्त बेटी के कमरे में पहुंचता है और उसी को अपनी हवस का शिकार बना डालता है ।
क्या दिशा देता है नाटक -
एकदम सामान्य तरीके से समझें तो नाटक यही संदेश देता है कि जब भी हमारी इंसानियत पर विकृत मानसिकता हावी होती है, तो उसका नतीजा हमेशा बुरा होता है, और लोग बलात्कार जैसे पाप कर डालते हैं। कैसे? शायद इसी का मनोविज्ञान इस नाटक में दिखाया गया है। वर्तमान समय में हो रही नित नई रेप की घटनाओं को देखते हुए निश्चित ही यह नाटक हमें बहुत कुछ संदेश देता है, जिसे आत्मसात कर हम अपने समाज को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में बढ़ सकते हैं।
 क्या कहते हैं निर्देशक जगदीश शर्मा -
आपराधिक प्रवृत्ति हमारे समाज में दिनों दिन बढ़ती जा रही है तो इस नाटक के माध्यम से समाज में अपराध रोकने खासतौर से बलात्कार की घटनाओं के विरोध में संदेश प्रस्तुत किया जा सकता है ।अन्वेषण की युवा इकाई द्वारा इस नाटक के प्रस्ताव पर इसीलिए मैंने सहमति दी । उक्त चर्चा करते हुए नाटक के निर्देशक जगदीश शर्मा कहते हैं कि यदि दो लोगों तक भी इस नाटक का सार्थक संदेश पहुंचता है तो अन्वेषण की यह प्रस्तुति सफल होगी।
 नाटक के कलाकारों के कथन
दीपगंगा साहू - नाटक में मुख्य भूमिका निभा रही दीपगंगा का कहना है कि इस नाटक का अनुभव अलग ही रहा है क्योंकि इसकी कथावस्तु रेप जैसे अपराधों पर रोक लगाने का संदेश देती है डीप गंगा का कहना है कि मेरा खुद का अनुभव है कि लोग महिलाओं लड़कियों को गंदी नजर से देखते हैं यह सब बंद होना चाहिए।
करिश्मा गुप्ता - इस नाटक के दो में दो में से एक शो में करिश्मा गुप्ता औरत का किरदार निभा रही हैं। उन्होंने बताया कि मैं यह नाटक पहले भी कर चुकी हूं लेकिन अब और विस्तृत तरीके से स्क्रिप्ट को समझते हुए करने का अवसर मिला है तो बहुत कुछ नया सीखने भी मिल रहा है बहुत अच्छा अनुभव है उनका कहना है कि समाज में हो रहे अपराधों में दोनों हाथ से तालियां बजने वाली बात लागू होती है यह बात भी नाटक में शामिल है इसलिए सभी पक्षों को इस नाटक से सीख लेना चाहिए। संतोष सिंह दांगी- नाटक कुत्ते में संतोष मुख्य भूमिका (सेल्समैन) में है संतोष का कहना है कि एक बार उन्होंने यह कहानी पढ़ी और इसे करने की इच्छा हुई, पहले इसे किया भी लेकिन अब इसे और बारीकियों और उत्कृष्टता के साथ करने का प्रयास है। समाज में लड़कियों के साथ हो रही घटनाओं को देखकर दुख होता है। एक अभिनेता और कला के स्तर पर इस नाटक को करने में आनंद आ रहा है लेकिन समाज की इन घटनाओं से मन का दुख स्थाई है। महिलाओं के साथ होने वाली घटनाएं रुकना ही चाहिए।
अतुल श्रीवास्तव- नाटक में ताड़पत्री वाले साहब की भूमिका में अतुल श्रीवास्तव हैं। उनका कहना है इसे करने में बहुत मजा आया । मेरा दृश्य हास्य भी पैदा करता है और लोगों का मनोरंजन होता है । हालांकि नाटक एकदम समसामयिक है । विकृत मानसिकता और बलात्कार जैसे मामलों पर इसकी कथावस्तु मारक है और लोग इस से सीख ले सकते हैं।
 प्रवीण कैम्या - नाटक में सेल्समैन के सहायक घोड़के की भूमिका में प्रवीण हैं । दो साल तक सीखने के बाद पहली बार मंच पर आ रहे हैं उनका कहना है कि मेरे लिए यह एक अवसर था और लोगों ने मेरे काम को पसन्द भी किया है।
मनोज सोनी - नाटक के एक शो में घोड़के का किरदार निभा रहे मनोज सोनी का कहना है कि मंचीय भाषा और साहित्य के नजरिए से विजय तेंदुलकर की स्क्रिप्ट उत्कृष्ट होने के साथ ही कठिन भी होती हैं  । इनमें काम करने की अपनी अलग गरिमा तो होती ही है उसके साथ एक चुनौती भी होती है मैं इस नाटक का हिस्सा बना यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है ।
बेक स्टेज के कलाकारों की भूमिका
नाटक में बैकस्टेज कार्यों से जुड़े कलाकारों में सतीश साहू राजीव जाट ऋषभ सैनी आकाश विश्वकर्मा छोटू कपिल नाहर राहुल सेन क्षमता जुड़े ले असरार अहमद आदि ने मंच सज्जा कॉस्टयूम लाइट साउंड प्रॉपर्टी जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों के निर्वहन निभाए दायित्व को निभाया। जबकि मंच की कलाकार प्रतिदिन लगभग 8:00 10 घंटे अपनी-अपनी भूमिकाओं के अभ्यास हेतु निर्देशक श्री शर्मा के साथ रिहर्सल में मशगूल रहे। इससे पूर्व आयोजन के आरंभ में साहित्यकार डॉ शरद से डॉक्टर वर्षा ...सहित नाट्य निर्देशक जगदीश शर्मा व सभी कलाकारों ने मां सरस्वती का पूजन किया ।तत्पश्चात नाटक की प्रस्तुति आरंभ हुई। 
नाट्य प्रस्तुति के दौरान सभागार में देश देश देश देश सहित नगर के रंग कला प्रेमी दर्शक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे । 
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चाईम्स एविएशन अकादमी की गतिविधियों पर लगी रोक,ढाना हवाई पट्टी के उयोग पर,विमानन संचालनलय भोपाल ने दिए आदेश

# ट्रेनी पायलट और ट्रेनी की मौत को लेकर सने आई लापरवाहियां,उड़ान में मानकों का हुआ उल्लंघन

सागर । विमानन संचालनालय मध्यप्रदेश  राजाभोज अंतर्राष्ट्रीय विमानतल भोपाल ने ढाना स्थित शासकीय हवाई पट्टी के उपयोग चाईम्स एविएशन अकादमी की गतिविधियों स्थिगित कर दिया है।  ट्रेनी पायलट और ट्रेनी की मौत को लेकर यह सने आया कि उड़ान सम्बन्धी गतिविधयों में मानकों  का उल्लंघन हुआ है और ट्रेनी और ट्रेनर की मौत होना एक गंभीर लापरवाही है । तीन जनवरी को हुए इस हादसे की जांच  मंत्रालय द्वारा की जा रही है


इसमे घटना के विसुल 

और रोक सम्बन्धी पत्र की प्रति है

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चाईम्स एविएशन अकादमी की गतिविधियों पर लगी रोक,ढाना हवाई पट्टी के उयोग पर,विमानन संचालनलय भोपाल ने दिए आदेश

चाईम्स एविएशन अकादमी की गतिविधियों पर लगी रोक,ढाना हवाई पट्टी के उयोग पर,विमानन संचालनलय भोपाल ने दिए आदेश

# ट्रेनी पायलट और ट्रेनी की मौत को लेकर सने आई लापरवाहियां,उड़ान में मानकों का हुआ उल्लंघन

सागर । विमानन संचालनालय मध्यप्रदेश  राजाभोज अंतर्राष्ट्रीय विमानतल भोपाल ने ढाना स्थित शासकीय हवाई पट्टी के उपयोग चाईम्स एविएशन अकादमी की गतिविधियों स्थिगित कर दिया है।  ट्रेनी पायलट और ट्रेनी की मौत को लेकर यह सने आया कि उड़ान सम्बन्धी गतिविधयों में मानकों  का उल्लंघन हुआ है और ट्रेनी और ट्रेनर की मौत होना एक गंभीर लापरवाही है । तीन जनवरी को हुए इस हादसे की जांच विमानन मंत्रालय द्वारा की गई थी। इसमे स्पस्टीकरण मांगा गया था।  विमानन संचालनालय मध्यप्रदेश  के अनिरूद्व-मुकर्जी , आयुक्त विमानन नेे चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफीसर, मेसर्स चाईम्स् एविएशन प्रा. लि., ढाना हवाई पट्टी, सागर मध्यप्रदेश को  यह जानकारी दी। इसके अनुसार  सागर स्थित हवाई पट्टी पर दिनांक 03/01/2020 को आपकी संस्था का सेसना विमान VT-CAF की दुर्घटना के संबंध में आपकी संस्था से इस कार्यालय द्वारा स्पष्टीकरण चाहा गया था, जिसके प्रतिउत्तर में आपके द्वारा दिनांक 05.02.2020 में उल्लेख किया गया है कि दुर्घटना की जांच भारत शासन की संस्था AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) एवं Air Safety (DGCA) के जाँच दल द्वारा की जा रही है, DGCA द्वारा फ्लाईंग ट्रेनिंग इत्यादि पर रोक न लगाते हये फ्लाईंग गतिविधियों को जारी रखा गया है |

आपकी संस्था द्वारा भारत सरकार, नागर विमानन के पत्र क्रमांक AV 22011/6/2007-FGIP) दिनांक 2/3/2012 में दी गई अनुमति के बिन्दु क्रमांक-7 के विपरीत रात्रि में ट्रेनिंग फ्लाईंग हेतनिर्धारित मानकों का उल्लंघन किया गया है जिसके अनुसार "नाईट फ्लाईट कंडीशन में विमान 2500 की AGL (Above Ground Level) उंचाई पर उडान एवं एरोड्म से 2 nm (Nautical miles) से अधिक दूरी की उडान की अनुमति नहीं होती है ।

यह मानक संभवतः रात्रि के समय दुर्घटना को दृष्टिगत रखते हये इसलिये भी रखे गये है कि ट्रेनी  विमान को रात्रि के समय विमान को अधिक उंचाई और बहुत अधिक दूरी परन जाने लिये जावें ।"

उपरोक्त दुर्घटना के संबंध में कार्यालय कलेक्टर, सागर से प्राप्त जाँच रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया
गया है कि चाईम्स एविएशन के पायलेट पी.ओ.सी. केप्टन अशोक मकवाना एवं देनी पियूष चंदेल द्वारा दिनांक03.02.2020 को समय 18:50 बजे विमान से कास कंटी उडान (ढाना से महोबा) उडान की उचाई 4000 की
AGL (Above Ground Level) से अधिक एवं इस मार्ग की दूरी 106 nm (Nautical miles) थी, जो कि डीजीसीए द्वारा दी गई अनुमति का स्पष्ट उल्लधंन है । जिसकी पुष्टि संचालनालय स्तर पर गठित पायलेटों
की समिति द्वारा भी की गई है। इसी क्रम में संस्था के साथ हुये अनुबंध के बिन्दु क्रमांक 04, 16 एवं 20 में उल्लेख अनुसार हवाई पट्टी पर पार्किंग, संधारण, पायलेट प्रशिक्षण, वायुयान अनुरक्षण से संबंधित समस्त गतिविधिया, आवश्यक संचार के लिये वी.एच.एफ. उपकरण के कय तथा संधारण, विमान की सुरक्षा, पर्यावरण, आग्नचिकित्सा आदि समस्त की जिम्मेदारी भी आपकी संस्था मैसर्स चाईम्स एविएशन की है ।रात्रि में प्रशिक्षण उडान हेतु डीजीसीए के पैरा 2 में वर्णित मानको के विरूद्ध फ्लाईग के कारण उक्त घटना घटित हई जिससे एक पायलेट एवं एक ट्रेनी की मृत्यु हुई यह एक बहुत की गभीर मामला है, जो कि आपकी संस्था द्वारा बरती गई लापरवाही को दर्शाता है

अतः उपरोक्त अनुबंध की शर्तों, आपकी संस्था को जारी कारण बताओं सूचना-पत्र के प्रतिउत्तर, कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त रिपोर्ट एवं संचालनालय स्तर पर गठित समिति की रिपोर्ट अनुसार आपकी संस्था के साथ किये गये अनुबंध दिनांक 25/08/2007 के अनुक्रम में राज्य शासन आपकी संस्था द्वारा सागर स्थित हवाई पट्टी पर संचालित समस्त विमानन गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक स्थागित करने का आदेश देता है ।

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कपिल धारा का कुआँ बना कागजो में ,अदालत ने दिए कार्यवाही के निःर्देश

कपिल धारा का कुआँ बना कागजो में ,अदालत ने दिए कार्यवाही के निःर्देश
सागर । सागर जिले के रहली के ग्राम पंचायत बरोदा  में हुई बढी धाधली भ्रष्टाचार किसान का कपिल धारा योजना का कुंआ गायब हो गया। किसान ने  उच्च न्यायालय की शरण ली ।  उच्च न्यायालय ने दिये दो माह में प्रकरण के संबंध में निराकरण के निर्देश जिला कलेक्टर न्यायालय ने किये है। 
मीडिया को एडवोकेट दीपक पौराणिक और पीड़ित राजबहादुर सिंह ने आज मीडिया को पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 
न्यायालय कलेक्टर जिला सागर म0प्र0 के प्रकरण क्र. 0298/बी 121/2017-18 ग्राम बरोदा के राजबहदुर सिहं विरूद्ध मध्यप्रदेश शासन के मामले में दिये आदेश के अनुपालन में आवेदन स्वीकार कर मुख्य कार्यपालन अधीकारी जिला पंचायत सागर की ग्राम पंचायत बरोद रहली के पंचायत के कौन से सदस्य/सरपंच/सचिव/ग्राम रोजगार सहायक/ उत्तरदायी है, तथा जनपद पंचायत स्तर पर कौन अधिकारी उत्तरदायी है उनके विरूद्ध वैधानीक कार्यवाही हो ।
प्रकरण इस प्रकार 

 राजबहादुर सिंह पिता श्री जगतसिंह ग्राम बरोदा रहली ने माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका क्र. 1020/2018 लगाई गई माननीय उच्च न्यायालय में 20.04.2018 को आदेश/निर्देष दिया की जिलाधीश सागर  दो माह के समय में कार्यवाही करे तथा आवेदक के द्वारा अधिवक्ता के माध्यम से जिला कलेक्टर महोदय की न्यायालय में मय दस्तावेजो के लगाया गया ।उक्त प्रकरण में आवेदक राजबहादूर सिंह ने अपनी खेती सिंचित करने के लिए खसरा क्र. 61 पर कपिल धारा योजना के अंतर्गत आवेदन किया लेकिन कार्यलायों से ज्ञात हुआ की उस स्थान पर उपरोक्त योजना का कूप बना दिया गया है एवं राशि का भी भुगतान हो चुका है।  तब किसान राजबहादूर सिंह ने सूचना के अधिकार के माध्यम से जब दस्तावेज प्राप्त किये तो पाया की उसके फर्जी एवं झूठे दस्तावेज बनाकर झूठे हस्ताक्षर कर एवं झूठा मस्टर बनाकर यहां तक की मृत व्यक्तियों के खातें में मजदूरी का पैसा भेज कर उस कुऐं की राशि तक भूगतान हो चुका है। तब आवेदक ने जिला पंचायत, कलेक्टर कार्यालय में आवेदन दिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई तब आवेदन ने अधिवक्ता के माध्यम से  उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की, जिसमें मान. उच्च न्याय. ने आदेशानंुसार जिला कलेक्टर सागर की कोर्ट में प्रकरण प्रस्तुत किया प्रकरण के आदेश में जिला कलेक्टर महोदया ने यह लिखा है कि खसरा क्र. 61 पर जिसका रकवा 2.50 है उस पर कोई कुआ नहीं है, तथा ग्राम पंचायत की संपूर्ण कार्यवाही संधिग्ध पाई जाती है और जिला पचायंत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निदेशित किया कि इस में कौन कौन उत्तरदायी है और संबंधितो पर वैधानिक कार्यावाही करे।
 उक्त प्रकरण में आवेदक राजबहादुर सिंह की ओर से अधिवक्ता दीपक पौराणिक ने पैरवी की।

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अंतिम संस्कार को मिले लकड़ियां,राजस्व मंत्री गोविन्द राजपूत ने सख्त निःर्देश

अंतिम संस्कार को मिले लकड़ियां,राजस्व मंत्री गोविन्द राजपूत ने सख्त निःर्देश

सागर। अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी नही मिलने की खबरों  ने राजस्व मंत्री गोविन्द राजपूत को हैरानी और चिंता में डाल दिया। दरअसल मामला उनके विधानसभा क्षेत्र सुरखी के  जैसीनगर क्षेत्र का था। मन्त्री श्री राजपूत को मीडिया के जरिये इसकी खबर लगी। उन्होंने मानवता दिखाई।  मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने अपने दूरभाष से डीएफओ से चर्चा कर दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की व्यवस्था के लिए सख्त निर्देश देते हुए कहा कि 3 दिवस के अंदर संपूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए और श्मशान घाट पर किसी भी प्रकार की कमी एवं अनियमितताओं को नजर अंदाज नहीं किया जाएगा ।साथ ही साथ मंत्री जी ने पंचायत द्वारा इन व्यवस्थाओं की देखरेख के लिए एक व्यक्ति की नियुक्ति के लिए कहा जो यह सुनिश्चित करेगा कि सभी हितग्राहियों को लकड़ियां समय पर उपलब्ध हो रही है या नहीं।
यही नही उन्होंने साफ कहा कि अपने क्षेत्र में ही नही  कही भी  इस तरह की कमी नही दिखनी चाहिए कि अंतिम संस्कार को हमेशा मानवीयता के आधार  पर  देखना चाहिए।
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