म.प्र का बेस्ट परफॉर्मर का ऑवर्ड सागर जिले के 108 एंबुलेंस के ज़िला प्रभारी को मिला

म.प्र का बेस्ट परफॉर्मर का ऑवर्ड सागर जिले के 108 एंबुलेंस के ज़िला प्रभारी को मिला

भोपाल में आयोजित हुआ समारोह, सागर जिले के कर्मचारियों की हुई प्रशंसा
सागर।  भोपाल में 108 एम्बुलेंस के मुख्यालय में प्रदेश स्त्ररीय जिला प्रभारियों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। सम्मान समारोह में सागर जिले के कर्मचारियों के कार्य की प्रशंसा हुई और सागर जिले के 108 एम्बुलेंस के ज़िला प्रभारी तबरेज ख़ान को  ऑवर्ड से सम्मानित किया गया। सागर जिले को प्रदेश में सबसे से अधिक ट्रिप पर सम्मानित किया गया।
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सम्बद्ध महाविद्यालय की टीम ने 4 विकेट से हराया एमपीईबी को

सम्बद्ध महाविद्यालय की टीम ने 4 विकेट से हराया एमपीईबी को
सागर। डां हरीसिंह गौर क्रिकेट टूर्नामेंट का दूसरा मैच आज वि वि खेल मैदान पर एम पी ई बी सागर एवं सम्बद्ध महाविधयालय विभाग एकादश के बीच खेला गया। जिसमें सम्बद्ध एकादश की टीम ने टास जीतकर एम पी ई बी को पहले बल्लेबाज़ी करने को आमंत्रित किया ।एम पी ई बी ने निर्धारित 20 ओवर में 7 विकेट खोकर 152 रन बनाए, सर्वाधिक 69 रन की पारी राहुल सिंह खेली। मुबीन 19 रनो की पारी खेली, 
सम्बद्ध महाविद्यालय की ओर से गेंदबाज़ी करते हुए सिद्धार्थ ने 2 एवं पुष्पेंद्र 1 विकेट लिया लिया।

लक्ष्य का पीछे करने उतरी सम्बद्ध महाविद्यालय की टीम ने 6 विकेट खोकर लक्ष्य प्राप्त कर 4 विकेट से जीत अर्जित कर अगले दौर में प्रवेश किया। 
सर्वाधिक नाबाद 71 रन पुष्पेंद्र ने एवं सतीश  ने 20 रनो की पारी खेली। एम पी ई बी टीम की ओर से गेंदबाज़ी करते हुए राहुल  एवं मुबीन ने 2-2 विकेट लिए।
मैन आफ द मैच पुष्पेंद्र रहे।
मैच के निर्णायक विनय शुक्ला एवं महेन्द्र कुमार खान स्कोरर अनवर खान रहे।
इस अवसर पर प्रो. एस एच आदिल, प्रो. आशीष वर्मा, डा सुरेन्द्र गादेवार, डा प्रदीप तिवारी, डा सुमन पटेल, डा संदीप के राय, ड़ा गौरव कुमार सिंह, आयोजन  समिति के अजय श्रीवास्तव, डा सुशील गुप्ता, उपस्थित रहे।
टूर्नामेंट के संयोजक ड़ा राजू टंडन ने बताया की अगला मैच रविवार को ड़ा हरीसिंह गौर वि वि एवं सिंचाई विभाग और पत्रकार एकादश एवं जिला प्रशासन एकादश के बीच खेला जावेगॉ।
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किसानों की सरकार और वचन पूरा करने वाली सरकार:अरुणोदय चोबे

किसानों की सरकार और वचन पूरा करने वाली सरकार:अरुणोदय चोबे
''आपकी सरकार आपके द्वार'' कार्यक्रम खिमलासा में
सागर । खिमलासा में शीघ्र ही पेयजल समस्या हल होगी एवं सरकार द्वारा किए गए वचनों का चरणबद्ध पालन किया जा रहा है और आने वाले समय में सभी वचनांं को पूर्ण कर सरकार अपना कार्य करेगी। उक्त विचार खुरई के पूर्व विधयाक श्री अरूणोदय चौबे ने ग्रामीणजनों की समस्याओं के समाधान हेतु मध्यप्रदेश शासन द्वारा ''आपकी सरकार आपके द्वार'' खिमलासा में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। इस अवसर पर खुरई पूर्व विधयाक श्री अरूणोदय चौबे, श्री प्रभुदयाल सिंह, श्री शषि कैथौरिया, श्री इंदर सिंह, श्री रघुवीर दाउ, निर्मला सप्रे, किरण राजपूत, किरण कुषवाहा, मोनू राजपूत, कमलेष सिंघई, वाधरी, हनुमत यादव, सुरेन्द्र बुन्देला, कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक, पुलिस अधीक्षक श्री अमित सांघी, जिला पंचायत सीईओ श्री चन्द्रषेखर शुक्ला, एसडीएम सीएल वर्मा, श्री जितेन्द्र जैन, सीईओ, तहसीलदार, बीएमओ सहित खिमलासा सरपंच तथा बड़ी संख्या जनसमुदाय एवं समस्त विभागों के अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे।
श्री चौबे ने कहा कि प्रदेष की सरकार गरीब, किसानों की सरकार और वचन पूरा करने वाली सरकार है। उन्होंने कहा कि सरकार बनने के पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने किसानों की कर्जमाफी सहित जो वचन दिए थे। वो पूरे किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि यदि आप लोगों का विगत चुनाव में आप लोगों का आर्षीवाद के माध्यम से विजय श्री मिली होती तो आज खुरई, बीना छिंदवाड़ा जैसा दिखाई देता। उन्होंने कलेक्टर से आव्हान किया कि आप 10-10 पंचायतों में षिविर लगाकर ग्रामीणजनों की समस्याओं का निराकरण कराएं। क्यांकि आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में अनेक समस्याएं लंबित रह जाती है किन्तु इस षिविर से ग्रामीणजनां को सागर जिला मुख्यालय पर नहीं जाना पड़ता। उन्होंने कहा कि उनकी षिकायतों का निराकरण कार्यक्रम स्थल पर किया जा रहा है। उनहोंने विभिन्न योजनाओं के तहत लाभाविंत हितग्राहियों को प्रमाण पत्र वितरित किए।
पूर्व मंत्री श्री प्रभुसिंह ठाकुर ने कहा कि मध्यप्रदेष में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तब शासकीय खजाना पूर्णतः खाली था। किन्तु हमारे मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ अर्थषास्त्री के साथ-साथ दूरदर्षी भी है। जिससे आज वो अपने दिए गए वचनों को चरणबद्ध तरीके से पूर्ण कर रहे है। इसके पूर्व जिला पंचायत सीईओं श्री सीएस शुक्ला ने षिविर के बारे में विस्तृत जानकारी एवं योजनाओं की जानकारी दी। वरिष्ठ जनप्रतिनिधि श्री शषि कैथोरिया, श्रीमती निर्मला सप्रे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। षिविर में कुल 194 आवेदन प्राप्त हुए।
अनेक हितग्राही हुए लाभांवित
मुख्यमंत्री श्रमिक सहायता योजना संबल योजना के तहत 5 हितग्राहियों को 16-16 हजार रूपये की सहायता, मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिषन योजना अंतर्गत 5 हितग्राहियों को 120000-120000 रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई। मनरेगा अंतर्गत एक हितग्राही को कपिलधारा हेतु 2 लाख 30 हजार एवं 4 हितग्राहियों को खेत तालाब हेतु 96-96 हजार रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई। मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना अंतर्गत एक हितग्राही को 4 लाख रूपये एवं 5 हितग्राहियों को 2-2 लाख रूपये की अनुग्रह सहायता राषि स्वीकृत की गई। राजस्व विभाग अंतर्गत 4 हितग्राहियों को आवासीय पट्टा वितरण किए गए। महिला एवं बाल विकास परियोजना अंतर्गत 4 हितग्रहियों को लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रमाण पत्र वितरण किए गए। म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिषन विकासखण्ड खुरई अंतर्गत सहारा संकुल स्तरीय संगठन खिमलासा एवं नीलकण्ठ संकुल स्तरीय संगठन वारधा राषि स्वीकृत की गई
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दो हजार की रिश्वत लेने वाले सहायक पुलिस उप निरीक्षक को चार साल की सजा

 दो हजार की रिश्वत लेने वाले  सहायक उप निरीक्षक को चार साल की सजा
सागर। न्यायालय- विषेष न्यायाधीष (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) श्री रामबिलास गुप्ता सागर की  अदालत ने आरोपी स.उ.निरी. नाथूराम अहिरवार पिता स्व. बी.एल. अहिरवार उम्र 57 साल निवासी रविदास धर्मषाला के सामने राजमहल के पास कोतवाली टीकमगढ़ जिला टीकमगढ़ को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 एवं 13(1)डी सहपठित धारा 13(2)में दोषी पाते हुए  04-04 वर्ष का सश्रम  कारावास एवं 10000-10000 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। म.प्र. शासन की ओर से पैरवी विषेष लोक अभियोजक श्री आर. के. पटेल ने की।

अभियोजन मीडिया प्रभारी एडीपीओ सौरभ डिम्हा ने बताया कि दिनांक 06.06.2016 को आवेदक जीतेष राय ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर के समक्ष उपस्थित होकर षिकायत की थी कि दिनांक 31.05.2016 को आवेदक के बडे भाई जयकुमार राय के विरूद्ध शराब बेचने का झूठा केस बनाबा कर उसे जेल भेज दिया है। भाई को छुडवाने के एवज में सउनि नाथूराम के द्वारा 25000 रूप्ये लाने को कहा गया था, 18000 रूप्ये दे दिये है तो भी भाई को नही छोड़ा। दिनांक 05.06.2016 को नाथूराम से आवेदक ने सम्पर्क किया तो उसके द्वारा 10000 रूप्ये की मांग की गयी। बाद में 2000 रूप्ये दिनांक 08.06.2016 को देना तय हुआ। आवेदक आरोपी को रिष्वत नही देना चाहता था बल्कि उसे रिष्वत लेते हुए रंगे हाथ पकडवाना चाहता था आवेदक की षिकायत का सत्यापन कराया गया आरोपी की  बार्ता रिकार्ड की गयी 2000 लेने के लिए सहमत हुआ, ट्रेप कार्यवाही आयोजित की गयी। दिनांक 08.06.2016 को आरोपी नाथूराम अहिरवार आवेदक जीतेष राय से 2000 रूपये की रिष्वत लेते हुए रंगे हाथ पकडा गया। उक्त राषि आरोपी के कब्जे से जप्त की गयी। लोकायुक्त पुलिस सागर द्वारा विवेचना उपरांत उक्त मामले का अभियोग पत्र विषेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण सागर के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अभियोजन द्वारा न्यायालय के समक्ष साक्ष्यों को सूक्ष्मता से प्रस्तुत किया गया। मामले में आयी साक्ष्य के आधार पर एवं अभियोजन के तर्को से सहमत होकर विषेष न्यायाधीष (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) श्री राम विलास गुप्ता सागर की  अदालत आरोपी स.उ.निरी. नाथूराम अहिरवार को  भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 एवं 13(1)डी सहपठित धारा 13(2)में दोषी पाते हुए  04-04 वर्ष का सश्रम  कारावास एवं 10000-10000 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया।




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रिश्वतखोर सहायक उप निरीक्षक को चार साल की सजा,लोकायुक्त पुलिस ने पकड़ा था रिश्वत लेते

रिश्वतखोर  सहायक उप निरीक्षक  को चार साल की सजा,लोकायुक्त पुलिस ने पकड़ा था रिश्वत लेते
सागर। न्यायालय- विषेष न्यायाधीष (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) श्री रामबिलास गुप्ता सागर की  अदालत ने आरोपी स.उ.निरी. नाथूराम अहिरवार पिता स्व. बी.एल. अहिरवार उम्र 57 साल निवासी रविदास धर्मषाला के सामने राजमहल के पास कोतवाली टीकमगढ़ जिला टीकमगढ़ को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 एवं 13(1)डी सहपठित धारा 13(2)में दोषी पाते हुए  04-04 वर्ष का सश्रम  कारावास एवं 10000-10000 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। म.प्र. शासन की ओर से पैरवी विषेष लोक अभियोजक श्री आर. के. पटेल ने की।
अभियोजन मीडिया प्रभारी एडीपीओ सौरभ डिम्हा ने बताया कि दिनांक 06.06.2016 को आवेदक जीतेष राय ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर के समक्ष उपस्थित होकर षिकायत की थी कि दिनांक 31.05.2016 को आवेदक के बडे भाई जयकुमार राय के विरूद्ध शराब बेचने का झूठा केस बनाबा कर उसे जेल भेज दिया है। भाई को छुडवाने के एवज में सउनि नाथूराम के द्वारा 25000 रूप्ये लाने को कहा गया था, 18000 रूप्ये दे दिये है तो भी भाई को नही छोड़ा। दिनांक 05.06.2016 को नाथूराम से आवेदक ने सम्पर्क किया तो उसके द्वारा 10000 रूप्ये की मांग की गयी। बाद में 2000 रूप्ये दिनांक 08.06.2016 को देना तय हुआ। आवेदक आरोपी को रिष्वत नही देना चाहता था बल्कि उसे रिष्वत लेते हुए रंगे हाथ पकडवाना चाहता था आवेदक की षिकायत का सत्यापन कराया गया आरोपी की  बार्ता रिकार्ड की गयी 2000 लेने के लिए सहमत हुआ, ट्रेप कार्यवाही आयोजित की गयी। दिनांक 08.06.2016 को आरोपी नाथूराम अहिरवार आवेदक जीतेष राय से 2000 रूपये की रिष्वत लेते हुए रंगे हाथ पकडा गया। उक्त राषि आरोपी के कब्जे से जप्त की गयी। लोकायुक्त पुलिस सागर द्वारा विवेचना उपरांत उक्त मामले का अभियोग पत्र विषेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण सागर के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अभियोजन द्वारा न्यायालय के समक्ष साक्ष्यों को सूक्ष्मता से प्रस्तुत किया गया। मामले में आयी साक्ष्य के आधार पर एवं अभियोजन के तर्को से सहमत होकर विषेष न्यायाधीष (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) श्री राम विलास गुप्ता सागर की  अदालत आरोपी स.उ.निरी. नाथूराम अहिरवार को  भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 एवं 13(1)डी सहपठित धारा 13(2)में दोषी पाते हुए  04-04 वर्ष का सश्रम  कारावास एवं 10000-10000 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया
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निगम दुकानों की किराया वृद्धि को लेकर धरना देंगे दुकानदार

निगम दुकानों की किराया वृद्धि को लेकर धरना देंगे दुकानदार
जागर।नगर निगम सागर द्वाराया दुकानों के कराया बढाने से दुकानदारों में नाराजगी बनी है । ञ्जर निगम व्यापारी जांगह के अध्यक्ष भीष्म राजपूत,सुरेश पिंजवानी और विकास केशरवानी ने आज मिसिता को बताया कि  नगर पालिका निगम सागर के समस्त दुकान किरायेदारलगभग 2300 म.प्र. शासन द्वारा जारी अधिसूचना के अन्तर्गत नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग भोपाल द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 24 फरवरी 2016 के दायरे में नहीं आते है। परंतु नगर पालिका निगम सागर वर्ष 2016-2017 वर्ष 2017-2018 वर्ष 2018-2019 वर्ष 2019-2020 का किराया अप्रत्याशित वृद्धि
कर किराया वसूली के नोटिस दे रही है। तथा वर्ष 2016-2017 से अब तक बकाया किराया वसूलीपर भारी पैनाल्टी लगाई गई है। तथा व्यापारियों को वर्ष 2016-2017 से वर्ष 2018-2019 तककम्प्यूटरी प्राणाली जारी किये जाने के कारण किराया बिल नही दिये गये न ही किराया लिया गया है। वर्तमान में नगर पालिका निगम सागर उक्त वर्षों के बिलो का भुगतान करने के लिए अवैध तरीके से दबाव बना रही है। कि किरायेदार वर्ष 2017-2018 से वर्ष 2019 2020 तक किराया पैनाल्टी सहित जम्माकिया जाये अन्यथा संबंधित व्यक्ति की किरायेदारी समाप्त कर दुकान कुर्क कर
ली जाएगी नगर पालिका निगम सागर के इस मनमाने रवैये से परेशान होकर समस्त नगर निगम सागर के किरायेदार नगर निगम मार्केट, बक्सीखाना मार्केट, साबूलाल मार्केट ,सुभाष बाजार, नया बाजार, सिधी बाजार, रहतगढ़ बस स्टैन्ट और मुख्य बस स्टैन्ट ,नगर पालिक निगम के मनमाने प्रत्यासित किराये एव उस पर पैनाल्टी का पुरजोर विरोध करती है। एवं शांति पूर्ण तीन दिवसीय धरना प्रदर्शन कर म. प्र. सरकार को अपनी समस्त समस्याओं से अवगत कराएगी।तथा एक दिवसीय समस्त व्यापारिक
संस्थाओं को बन्द रखेगी। म. प्र. सरकार एवं नगरपालिक निगम सागर से हम नगर निगम सागर के दुकान किराये दार (व्यापारियो ) की निम्नलिखित मांगे है।
(1)नगर पालिक निगम सागर के दुकान किरायेदार व्यापारियों को किराया वसूली के नाम पर परेशान एवं प्रताडित न किया जाय।
(2) पुराने किरायेदारों को अधिसूचना दिनांक 24/02/2016 के बाहर रखा जाय।
( 3 ) पुराने किरायेदारों से वर्ष 2016-2017 से 2019-20 तक किराया 10 प्रतिशत वृद्धि करके लिया जाय एवं उस पर पैनाल्टी नहीं लगाई जाय।
(4)जिन व्यापारियों ने वर्ष 2016-2017 से 2019-2020 तक का किराया अथवा अंश किराया जमा किया है। उनके किराये को पुराने किराये के अनुसार 10 प्रतिशत वृद्धि कर समायोजन किया जाये।
(5) पुराने दरों से वर्ष 2020 2021 से 30 वर्षो का पट्टा निष्पादित किया जाये।
 उक्त मांगों के साथ समस्त व्यापारी संगठन विरोध प्रदर्शन हेतु 3 दिवसीय प्रदर्शन करेगें एवं मांगों पर विचार अथवा मांगे नहीं मानी गई तो धरना अनिश्चित कालीन किया जायेगा।
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विवि बचाओ संघर्ष मोर्चा की बैठक,संकल्प पत्र होगा जारी

विवि बचाओ संघर्ष मोर्चा की बैठक,संकल्प पत्र होगा  जारी
सागर। डॉ हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में हुई व्यापक अनिमितताओं व भ्रष्टाचार को जन-जन में उजागर करने व सागर की धरोहर सागर विश्वविद्यालय को बचाने के उद्देश्य को लेकर विश्वविद्यालय बचाओ संघर्ष मोर्चा की बैठक आज  तीन बत्ती स्थित प्रदीप गुप्ता के कार्यालय  पर संपन्न हुई ।बैठक में दो संकल्प पत्र जारी करने का निर्णय किया गया। सागर विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की प्रमाणित जानकारियां आम नागरिकों द्वारा एकत्रित की गई है वही अन्य अपराधिक गतिविधियो पर महिला अत्याचार के मामले भी सामने आए। इन सब अव्यवस्थाओं के खिलाफ शीघ्र ही विश्वविद्यालय बचाओ संघर्ष मोर्चा आम जनता के सामने एक आरोपपत्र केंद्र शासन व राज्य शासन को सबोधित भेजेगा व सागर विश्वविद्यालय की एवं डॉ गौर की  गरिमा बचाने संघर्ष रहेगा । बैठक में मुख्य रूप से मोर्चा के सयोंजक अखिलेश केशरवानी, डॉक्टर बद्री प्रसाद ,वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेंद्र सुहाने विश्वविद्यालय कार्य परिषद के पूर्व सदस्य प्रदीप गुप्ता पप्पू, विश्वविद्यालय कर्मचारी  संघ के अध्यक्ष  संदीप बाल्मीकि, आरटीआई कार्यकर्ता पंकज सिंघई ,कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष पारितोष कटारे सिंटू, वरिष्ठ समाजसेवी रफीक गनी ,गौरव राजपूत ,रवि मिश्रा ,शाहगढ़ के कांग्रेस नेता दीपक सिंघई श्रेयांश जैन भी उपस्थित थे ।
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मध्यप्रदेश में अलग से महिला शराब दुकान खोलने के मायने

मध्यप्रदेश में अलग से महिला शराब दुकान खोलने के मायने

@अजय बोकिल 

बेशक मध्यप्रदेश में वक्त 'बदलाव' का है, लेकिन वह इतना खुमारी भरा होगा, यह अंदाज कम ही लोगों को होगा। मध्यप्रदेश सरकार की नई शराब नीति से राज्य  के शराबियों तो 'हर्ष' है ही, अब उन महिलाअों में भी 'सुलभ संदेश' गया है। ताजा खबर यह है कि राज्य सरकार महिलाअों की जरूरत के मद्देनजर प्रदेश में महिलाअों के ‍िलए अलग से शराब दुकाने खोलने जा रही है। एक प्रति‍ष्ठित अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक सरकार की कोशिश यही है कि महिलाअों को शराब खरीदने में कोई दिक्कत न हो। शुरु में भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में एक-एक दुकानें खोली जाएंगी। इन पर वाइन और विस्की के वे सभी ब्रैंड्स उपलब्ध होंगे, जो महिलाएं पसंद करती हैं। ये दुकानें मुंबई, दिल्ली और अन्य मेट्रो सिटी की तर्ज पर  खुलेंगी। क्वालिटी बनाए रखने विदेशी शराबों को ही बेचने की इजाजत होगी। जरूरी नहीं कि सारे ब्रांड मप्र में रजिस्टर्ड ही हों। उन पर कोई अतिरिक्त ड्यूटी भी नहीं वसूली जाएगी। उम्मीद यह है कि इससे महंगी शराब का कारोबार बढ़ेगा। लोगों की जिंदगी में सुरूर आएगा और सरकारी खजाना तेजी से भरेगा। खबर में  प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य  सचिव आईसीपी केशरी के हवाले से कहा गया है ‍िक यह सब करने का नेक मकसद सरकार के खाली खजाने को भरना है। इस के लिए सरकार  भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में वाइन फेस्टिवल भी आयोजित करेगी। वाइन ( अंगूरी) के 15 नए आउट लेट भी खुलेंगे। बता दें कि इसके पहले जारी अपनी नई शराब नीति में कमलनाथ सरकार ने सुराप्रेमियों को शराब की 'आॅन लाइन'  उपलब्धता का तोहफा दिया था। हालांकि ये अंगरेजी पीने वालो के लिए ही है। देशी वाले यहां भी पीछे रह गए हैं। 

शराबबंदी पर सरकारों के चोचले ही रहे है

शराबबंदी से शराब के मामले मध्यप्रदेश की सरकारें ( शिवराज के टाइम आंशिक शराबबंदी को छोड़ दें) तो शराबबंदी जैसे राजनीतिक चोचलों में नहीं उलझी। वर्तमान कांग्रेस सरकार भी खाली खजाने को भरने की शराब की ताकत को बखूबी समझती है। शायद इसीलिए उसने शराब जगत में हाशिए पर समझे जाने वाले महिला वर्ग के लिए भी अलग से प्रावधान करने का साहसिक और  दूरदर्शी निर्णय लिया है। क्योंकि सूचनाएं ये हैं कि देश में महिलाअों में शराब, बीयर आदि का शौक बढ़ता जा रहा है। वे अब इस मामले में भी पुरूषों को चुनौती दे रही हैं।  
क्या है आंकड़ा महिलाओं के शराब पीने का
हालां‍कि  मध्यप्रदेश जैसे विकासशील राज्य में कितनी महिलाएं शराब पीती हैं, इसका कोई अलग से आंकड़ा उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन समूचे भारत में महिलाअों में शराब खोरी की लत बढ़ रही है, यह सच है। 'इंडिया टुडे' में पिछले साल छपी एक रिपोर्ट में एक सरकारी सर्वे के हवाले से बताया  गया था कि भारत में 16 करोड़ लोग शराब  के शौकीन हैं। इनमे 10 साल के बच्चों से लेकर 75 साल के बुजुर्ग तक शामिल हैं। अगर राज्यवार तस्वीर देखें  तो मप्र इस मामले में  दूसरे राज्यों से अभी पीछे है। वित्तीय वर्ष 2016 के आंकड़ों को देखें तो मप्र का नंबर  शराब खपत में आठवां था। इस मामले में दक्षिण के राज्य हमसे काफी आगे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक सर्वे रिपोर्ट बताती है कि भारत में शराब की खपत पिछले तीन साल में 38 फीसदी बढ़ी है। 'बिजनेस वायर' पर शाया  इंडियन अल्कोहल कंजंम्पशन रिपोर्ट 2018' के अनुसार देश में मदिरा का बाजार हर साल 8.8 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। 2022 तक देश में तमाम तरह की शराब की खपत 16.8 अरब लीटर हो जाने  की उम्मीद है। 
जहां तक मप्र की बात है कि तो दो साल पहले बिहार में शराबबंदी के हो हल्ले के बीच मध्यप्रदेश में भी शराबबंदी लागू करने का दबाव तत्कालीन शिवराजसिंह सरकार पर बढ़ा था। तब शिवराज सरकार ने नर्मदा और हाइवे के किनारे से शराब की दुकानों को हटाने का नियम भी बनाया था। यानी आंशिक शराबबंदी लागू की थी। लेकिन इसने इससे जाम छलकाने वालों का हौसला घटने के बजाए बढ़ा ही। एक साल में ही राज्य में शराब की बिक्री 27 फीसदी बढ़ गई। सरकारी खजाना भी तेजी से भरने लगा। शराब से वर्ष 2018 में जहां सरकार को शराब बिक्री से  8233 करोड़ रू. मिले थे, वही 2019 में यह कमाई बढ़कर 9600 करोड़ रू. हो गई। कमलनाथ सरकार ने आबकारी से चालू वित्तीय वर्ष में 13 हजार करोड़ रू. का टारगेट रखा है। सरकार को जनता पर भरोसा है। 
हकीकत यही है कि शौकीनो और ‍लतियलों के साथ साथ ‍सरकार भी आमदनी के लिए काफी कुछ शराब के भरोसे है। जितनी बिकेगी, उतनी खनकेगी भी। शराब की लत या शौक समाज और खासकर महिलाअों में क्यों बढ़ रहा है, इस पर अब शोध होने लगा है, क्योंकि महिलाअों का सार्वजनिक रूप से शराब पीना तो भारतीय संस्कृति में वर्जित माना जाता रहा है। लेकिन अब सोच और जीवन शैली तेजी से बदल रही है। महिलाएं बेझिझक शराब खरीदने और पीने लगी है। इसके पीछे आर्थिक-सामाजिक कारण हैं। डब्ल्यूएचअो के सर्वे में देश के कुछ राज्यों में महिलाअोंकी शराबखोरी की जानकारी एकत्रित की गई थी। इसके मुताबिक दिल्ली में जहां 40 पुरूष शराब पीते हैं, वहीं महिलाअों में यह प्रतिशत 20 है यानी‍ कि आधा। कुछ अर्सा पहले बीबीसी की एक रिपोर्ट में  बताया गया था कि पिछली सदी में महिलाएं अपेक्षाकृत कम शराब पीती थीं,  लेकिन 1991 से 2000 के बीच  जन्मी महिलाएं उतनी ही शराब पी रही हैं जितना उनके पुरुष साथी। 21 सदी में यह प्रमाण और बढ़ गया है। इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं।  हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एडिक्शन साइकोलॉजिस्ट डॉन सुगरमैन का कहना था कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में कहीं देरी से शराब पीना शुरू करती हैं लेकिन जल्दी ही उसकी चपेट में आ जाती हैं। इसे टेलीस्कोपिंग कहते हैं। महिलाअोंमें शराब के बढ़ते चलन के पीछे सामाजिक दबाव, मानसिक तनाव, कुछ अलग तरह से जीने की चाहत, मौज मस्ती, आर्थिक स्वावलंबन और इस क्षेत्र में भी पुरूषों से बराबरी करने की तमन्ना है। 
लगता है कि मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाअों के बदलते मानस और शराब के प्रति आकर्षण को ध्यान में रखते हुए राज्य में उनके लिए अलग से दुकान खोलने की पहल की है। एक अध्ययन के मुताबिक इस मामले में महिलाअोंकी पसंद देशी के बजाए विदेशी दारू है। जैसे कि वाइन, जिन, रम आदि। महिलाअों  का बीयर पीना तो अब चर्चा का विषय भी नहीं रहा।
वैसे लोग शराब कई कारणों से पीते हैं। कुछ लोगों के लिए यह 'दवा' है तो समाज के लिए यह बड़ा 'दर्द'है। इसका विस्तार अब महिलाअोंतक होने से समस्या और जटिल होगी। शराब नीति राजनीति के लिए भी मुफीद होती है। विपक्ष सत्ता पक्ष पर प्रदेश को मदिरा प्रदेश बनाने के आरोप लगाता रहता है तो सरकारें खुद को 'दारू की धुली' साबित करने की कोशिश करती हैं। वैसे भी मप्र सरकार की माली हालत इतनी पतली है कि उसे शराब पर भरोसा रह गया है। सरकार की मजबूरी यह है कि केन्द्र से मिलने वाले साढ़े 14 हजार करोड़ रू. के नुकसान की भरपाई कहां करे। 
हो सकता है सरकार के इस फैसले से सांस्कृतिक शुद्धतावादियों को गहरी ठेस लगे, लेकिन वक्त का  बदलाव जीवन के हर क्षेत्र में है। ऐसे में सरकारों ने सुरापान को हतोत्साहित करने की जगह उसे 'घर घर पहुंचाने'का तय कर लिया है। ऐसे में महिलाअों को अलग दुकानों के ‍जरिए शराब मुहैया कराना महिला सशक्तीकरण की दिशा में उठाया गया कदम है या फिर सरकार महिलाअों में शराबखोरी के बढ़ते ट्रेंड और हवा देना चाहती है, समझना मुश्किल है। शायराना तबीयत में तो यह शराब को शबाब के और करीब लाना है। किसी ने कहा भी है-
न हो शबाब तो कैफियत-ए-शराब कहां
न हो शबाब तो कैफियत-ए-शबाब कहां
अजय बोकिल ,वरिष्ठ संपादक  'राइट क्लिक' ,( 'सुबह सवेरे' में प्रकाशित)
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