डॉ गौर विवि का हुआ है विकास,विरोध दुर्भाग्यपूर्ण
पूर्व सांसद यादव,और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुशील तिवारी और मोकलपुर आये मैदान में
सागर। डॉ हरीसिंह गौर केन्द्रीय विवि सागर में हाल ही में कुलपति के कार्यकाल पर उठे विरोध के स्वरों के बीच भाजपा के तीन बड़े नेता पक्ष में उतरे है । पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव एवं विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. सुषील तिवारी ने एक बयान में कहा है कि वर्तमान डाॅ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विष्वविद्यालय विगत चार-पांच वर्षों से निरंतर विकास की ओर अग्रसर है। डाॅ. गौर साहब की जन्मस्थली को नया स्वरूप् और उसके विकास के लिए जो कार्य किया गया है वह किसी से छिपा नहीं है।
वि बयान का पूर्व मंडी अध्यक्ष राजेन्द्रसिंह मोकलपुर ने भी समर्थन किया है।
जारी सयुंक्त बयान के अनुसार विवि मूलतः अध्ययन, अध्यापन, शोध सेमिनार के आयोजनों से प्रसिद्धि पाता है। इस संबंध में असंख्य शोध पत्रों का न केवल प्रकाषन हुआ बल्कि अधिकांष विभागों में राष्ट्रीय स्तर के शोधपरक व्याख्यान तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के व्याख्यान भी आयोजित हुए हैं। यह विष्वविद्यालय के शैक्षणिक स्तर को षिक्षा जगत में प्रतिष्ठिापित भी करता है। विष्वविद्यालय के इतिहास में पहले कभी इतने काम नहीं हुए जो विगत चार वर्षों में हुए है। कन्या छात्रावास का निर्माण, विभिन्न विभागों का जीर्णोद्धार 7 नए भवनों का निर्माण, 77 नए पद तथा 600 सींटे बढ़ना, नए पाठ्यक्रमों का जुड़ना, कम्युनिटी काॅलेज में कौषल विकास योजना के अंतर्गत 12 पाठ्यक्रमों का आरंभ होना व डाॅ. गौर फाउन्डेषन की समिति आदि तमाम ऐसे पक्ष हैं जो शैक्षणिक विकास के स्तर को गति प्रदान करता है तथा विष्वविद्यालय के नवनिर्माण में भी नई इबारत लिख रहा है। यह सारा उपक्रम डाॅ. गौर की विरासत को समृद्ध करने में नया अध्याय भी जोड़ रहा है।
विरोध नही स्वच्छ वातावरण बनाये
बयान में लिखा है कि आज आवष्यकता इस बात की है कि अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर विष्वविद्यालय में स्वच्छ वातावरण निर्मित करें केवल विरोध के लिए विरोध करना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह पहला अवसर है जब सागर शहर और विष्वविद्यालय के बीच कुलपति ने समन्वयात्मक दृष्टिकोण अपनाया है अन्यथा पूर्व में विष्वविद्यालय अपना पृथक अस्तित्व बनाये रहता था। आज विष्वविद्यालय और शहर सह-अस्तित्व में जान जाता है। विकास को गतिषील बनाये रखने के लिये कुलपति के सक्षम नेतृत्व से संभव हुआ है।
पूर्व सांसद ने कहा कि डाॅ. गौर ने सागर के पिछड़ेपन, गरीब छात्रों को षिक्षित करने उद्देष्य से विद्या का मंदिर स्थापित किया था। इस विष्वविद्यालय में पीढ़ियों से जो लोग पढ़-लिखकर निकल चुके हैं वह ऋण हम सबके ऊपर भी है। डाॅ. गौर के ऋण को उतारने की तथा सकारात्मक सहयोग की जिम्मेदारी हम सबकी है। जो लोग अनावष्यक और तथ्यहीन विरोध कर रहे हैं वो विष्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहे हैं। मेरा मानना है कि शहर के संभ्रांत बुद्धिजीवी नागरिक स्वयं की आंखों से विष्वविद्यालय के विकास को जाकर देखें और वास्तविकता से परिचित हों। प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवष्यकता नहीं होती
पूर्व सांसद यादव ने कहा कि 1967 से दीक्षांत समारोह आयोजित नहीं हुए वर्तमान में दीक्षांत समारोह का सिलसिला आरंभ होना सुखद अनुभूति कराता है। उक्त विष्वविद्यालय को केन्द्रीय विष्वविद्यालय बनाने में आन्दोलन में सबकी भागीदारी रही है। समूचे देष-दुनिया में आज भी सागर का नाम विष्वविद्यालय के कारण ही जाना जाता है। उपरोक्त बयान के संबंध में पूर्व मंडी अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह मोकुलपुर ने भी समर्थन किया है।