तीन सूत्रीय मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन ,उल्दन सिंचाई परियोजना से प्रभावितों का

तीन सूत्रीय मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन ,उल्दन सिंचाई परियोजना से प्रभावितों का
सागर। सागर जिले के बन्डा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम उल्दन के पास वृहद सिंचाई परियोजना के तहत बांध का निर्माण किया जा रहा है। जिस कारण प्रभावित क्षेत्र के किसानों एवं ग्रामीणों ने अपने जीवन यापन एवं भविष्य निर्धारण हेतु अपनी तीन सुत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया ।
इस के बाद किसानों के द्वारा अपनी मांगों को लेकर बहरोल चौराहे पर थाने के बाजु मे शांति पूर्ण रूप से धरने पर बैठ गए वहां पर मौजूद रहे किसानों से बात की तो उन्होंने बताया कि हम लोग अपनी तीन सुत्रीय मांगों को लेकर विशाल धरना प्रदर्शन कर है एवं उन्होंने बताया कि हम लोग दर दर भटक रहे हैं इन्हीं मांगों को लेकर जहां भी जाते हैं तो वहां पर सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है कि मुआवजे की राशि अच्छी दिलवाएंगे लेकिन अभी तक ना तो किसी अधिकारियों ने ना कोई जनप्रतिनिधियों मुआवजे की राशि नहीं बताई है पहले ही दिन धरना प्रदर्शन में  बहरोल कुल्ल किरौला कोटिया पिपरिया इल्लाई सेमरा नीमोन पड़वार उल्दन  आदि गांवों के पीड़ित किसान उपस्थित रहे।
ये है मांगे
 1 डूब प्रभावित क्षेत्र के अंतर्गत प्रत्येक परिवार के एक व्यक्ति को रोजगार मिले 
2 विस्थापन केवल बन्डा विकासखंड में ही किया जाए जो की शिक्षा चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं से परिपूर्ण हो 
3 मुआवजे की राशि दर्शाई जाए जो की 2013 के अनुसार पांच गुना हो
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आईफा का सबसे सस्ता टिकट 7500, सबसे महंगा 2 लाख का; विजक्राफ्ट ने तीन कैटेगरी बनाईं

आईफा का सबसे सस्ता टिकट 7500, सबसे महंगा 2 लाख का; विजक्राफ्ट ने तीन कैटेगरी बनाईं
इंदौर । 28-29 मार्च को इंदौर के डेली कॉलेज में होने जा रहे आईफा अवॉर्ड के लिए आयोजक कंपनी विजक्राफ्ट ने टिकट दरें लगभग फाइनल कर दी हैं। टिकट की तीन कैटेगरी होंगी। सबसे महंगा टिकट वीआईपी क्लास का दो लाख रु. का होगा। गोल्ड क्लास 40 हजार रु., जबकि सिल्वर क्लास का टिकट 7500 रु. में मिलेगा। हालांकि आईफा या विजक्राफ्ट ने इसका आधिकारिक ऐलान नहीं किया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि दरों पर सहमति बन गई है।
पिछले साल मुंबई आयोजन में सबसे महंगा टिकट 2.15 लाख रु. का था, जबकि सस्ता वाला 10 हजार रुपए में बिका था। इसके आधार पर ही यहां के रेट तय हुए हैं। दर्शकों को इसमें ये राहत रहेगी कि एक ही टिकट से दोनों दिन इंट्री हो सकेगी, पर एक टिकट पर एक ही व्यक्ति का प्रवेश होगा।  मुख्य आयोजन डेली कॉलेज के हनुमंत ओवल क्रिकेट ग्राउंड पर होगा। यहां स्टेज बनेगा,  जिस पर अवॉर्ड नाइट की प्रस्तुतियां होंगी।  
आयोजक डेली कॉलेज की खूबसूरत बिल्डिंग का उपयोग कार्यक्रम को भव्यता देने के लिए करना चाहते हैं, इसलिए स्टेज के बैक ड्रॉप के रूप में उसे दिखाएंगे। इसे खूबसूरत लेजर लाइटों से सजाया जाएगा। हनुमंत ओवल क्रिकेट ग्राउंड के पास वाले फुटबॉल ग्राउंड में ग्रीन रूम, प्रॉप रूम सहित दूसरे अस्थायी निर्माण किए जाएंगे। 
वीआईपी मुख्य द्वार से करेंगे प्रवेश
वीआईपी बैठक चूंकि स्टेज के नज़दीक होगी, इसलिए इनका प्रवेश पुलिस ट्रेनिंग स्कूल वाली सड़क पर बने डेली कॉलेज बिजनेस स्कूल के मुख्य द्वार और सात बंगले वाले हिस्से से होगा। बाकी दर्शक सेंट्रल जेल की ओर बने डेली कॉलेज के ज्ञान द्वार से आएंगे। वीआईपी पार्किंग के लिए पुलिस प्रशिक्षण केंद्र के मैदान का उपयोग किया जा सकता है। बाकी दर्शकों के वाहन नेहरू स्टेडियम, उसके आसपास के खाली मैदान, जमीनों पर पार्क होंगे। इन सभी तैयारियों में जरूरत के हिसाब से बदलाव भी होंगे।
ओपन बस में घूमेंगे सितारे
आयोजन की सारी चमक-धमक आयोजन स्थल के भीतर तक सीमित रहेगी। ऐसे में आईफा अवॉर्ड को शहर की जनता से जोड़ने के लिए आयोजकों ने एक रोड शो या रैली निकालने की योजना बनाई है। सूत्रों के मुताबिक अवॉर्ड फंक्शन में आने वाले नामी सितारे ओपन लग्जरी बस में सवार होकर शहर का भ्रमण करेंगे। ये भ्रमण संभवत: डेली कॉलेज से राजबाड़ा के बीच होगा।
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राष्ट्र उन्नयन के लिए मातृभाषा जरुरी: डाॅ. वेदप्रकाश दुबे

राष्ट्र उन्नयन के लिए मातृभाषा जरुरी: डाॅ. वेदप्रकाश दुबे
सागर। राष्ट्र के चहुमुखी विकास के लिए मातृभाषा एक माध्यम के रूप में बेहद जरुरी है। षिक्षा के सभी माध्यमों में मातृभाषा का स्थान सर्वाेपरि है। प्रत्येक भारतीय को मातृभाषा के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए। मातृभाषाओं के सम्मान से सामासिक संस्कृति का निर्माण होता है, जो राष्ट्र के निर्माण के लिए अत्यन्त आवष्यक है। यह बात गृह मंत्रालय, भारत सरकार के राजभाषा विभाग के पूर्व निदेषक डाॅ. वेदप्रकाश दुबे ने कही। डाॅ. दुबे ने मातृभाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए विभिन्न भारतीय भाषाओं की शब्द परम्परा और शब्द शक्तियों को नये रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रत्येक विद्यार्थी से इस अवसर पर अपनी मातृभाषा के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं के प्रति रूचि जागृति करने पर बल दिया। भारतीय संस्कृति और विभिन्न भारतीय भाषाओं की चर्चा करते हुए डाॅ. दुबे ने शब्द ब्रह्म और ब्रह्माण्ड की शक्तियों को निर्देषित करने की भारतीय भाषा परम्परा को याद दिलाया। 
कार्यक्रम में प्रभारी कुलपति प्रो. जनक दुलारी आही एवं कुलसचिव कर्नल राकेष माहेन जोशी ने भी मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया। कार्यक्रम की समन्वयक प्रो. चन्दा बैन ने मातृभाषा दिवस के अवसर पर अतिथियों और सभागार में उपस्थित छात्रों और विद्वानों का स्वागत करते हुए कहा कि मातृभाषा में ही हमारा जीवन और उसके सुख-दुःख की अभिव्यक्ति सहजता से हम कर पाते हैं।  
मातृभाषा दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग, डाॅ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में 20 फरवरी, 2020 को आयोजित निबन्ध एवं भाषण प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सान्त्वना पुरस्कार पाने वाले विद्यार्थियों को प्रभारी कुलपति प्रो. जे.डी. आही, कुलसचिव कर्नल राकेश मोहन जोशी तथा विषिष्ट वक्ता डाॅ. वेदप्रकाष दुबे ने प्रमाण पत्र एवं विजयी ट्राफी प्रदान की। प्रतियोगिताओं में विजयी रहने वाले विद्यार्थी क्रमष निबन्ध प्रतियोगिता में प्रथम धीरज कुमार पटेल, द्वितीय- प्रसन्न विष्वकर्मा, तृतीय- जागृति तिवारी। इसी प्रकार भाषण प्रतियोगिता में क्रमषः विकास कुमार को प्रथम, दीक्षा कुषवाहा को द्वितीय और मनीष सोनी को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को भी प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा।  
पुस्तक का विमोचन
इस अवसर पर विष्वविद्यालय हिन्दी प्रकोष्ठ की पत्रिका 'भाषा भारती' और डाॅ. हरीसिंह गौर विष्वविद्यालय पाठ्यक्रम पर आधारित 'आधुनिक भारतीय भाषा हिन्दी' की पाठ्य पुस्तक का विमोचन किया गया। 
इस कार्यक्रम में विष्वविद्यालय में कार्यरत विभिन्न भारतीय भाषा-भाषी षिक्षकों ने अपनी मातृभाषा में मातृभाषा को रोचक रूप में प्रस्तुत किया, जिनमें डाॅ. बुद्ध सिंह ने पंजाबी, डाॅ. चिटटी बाबू ने तेलगू, डाॅ.शिव शंकर  जैना ने उड़िया भाषा में अपने विचार रखे। 'मातृभाषा दिवस' के अवसर के अवसर पर विषेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। हिन्दी विभाग के तत्त्वावधान में  आयोजित इस व्याख्यान का विषय था 'षैक्षिक उन्नयन में मातृभाषा की भूमिका'। 

ये रहे उपस्थित
आयोजित कार्यक्रम में शहर के गणमान्य अतिथियों के साथ विष्वविद्यालय के वभिन्न संकायों के षिक्षक तथा स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्र के साथ बड़ी संख्या में शोधार्थी उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख रूप से प्रो. सुरेश आचार्य, प्रो. उदयचन्द जैन, प्रो. डी.के. नेमा, प्रो. जी.एल. पुणताम्बेकर, प्रो. ए.एन. शर्मा, प्रो. वाई.एस. ठाकुर, प्रो. अषोक अहिरवार, प्रो. राजेष गौतम, डाॅ. रितु यादव, डाॅ. विवेकानंद उपाध्याय, डाॅ. विवेक जायसवाल, प्रो. कन्हैया त्रिपाठी, डाॅ. संजय कुमार, डाॅ. आर.पी. सिंह, डाॅ. अरविन्द गौतम, डाॅ. बबलू राय, डाॅ. लक्ष्मी पाण्डेय, डाॅ. सुजाता मिश्रा, डाॅ. अवधेष कुमार, प्रदीप कुमार सौंर, कपिल कुमार गौतम, संजय कुमार, विकास कुमार पाठक, जुगुल किषोर, नताषा इन्दुस्काया, राखी वर्मा, साधना यादव, ज्योति गिरि, आकांक्षा जैन सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। 
कार्यक्रम का संचालन डाॅ. आषुतोष कुमार मिश्र ने किया तथा आभार डाॅ. राजेन्द्र यादव ने माना।
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नसबन्दी का विवादित आदेश वापिस, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक का तबादला

नसबन्दी का विवादित आदेश वापिस, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक का तबादला

भोपाल । कमलनाथ सरकार ने नसबन्दी को लेकर दिया गया विवादित आदेश को वापस ले लिया है । जनसम्पर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि हम सर्कुलर को वापस ले रहे हैं. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट  ने कहा कि राज्य सरकार ने आदेश वापस ले लिया है. हम किसी को बाध्य नहीं करेंगे और हम आदेश का अध्ययन करेंगे। आदेश जारी करनेवाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन संचालक छवि भारद्वाज का तबादला कर दिया गया है। उनको सचिवालय  में ओएसडी बनाया दिया गया। भारद्वाज ने अपने आदेश में कहा था कि कर्मचारियों कोटारगेट पूरा नहीं करने पर नो-वर्क, नो-पे के आधार पर वेतन नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। पूर्वमुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेससरकार के इस आदेश की तुलना इमरजेंसी के दौरानसंजय गांधी के नसबंदी अभियान से की थी।आज दिनभर मीडिया खासकर सोसल मीडिया पर जमकर चर्चा रही। 
विवादित आदेश 
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मध्य प्रदेश मिशन संचालक छवि भारद्वाज की ओर से जारी आदेश को राज्य के सभी संभागीय आयुक्तों, जिला अधिकारियों, सीएमओ और अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों को भेजा गया था. साल 2019-20 में पुरुष नसबंदी की असंतोषजनक जाहिर करते हुए छवि भारद्वाज ने आदेश में पुरुष नसबंदी की गंभीरता से समीक्षा करने की अपील की थी.
उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन के अभियान के तहत हर साल प्रदेश के जिलों को कुल आबादी के 0.6% नसबंदी ऑपरेशन का टारगेट दिया जाता है। इंदौर में यह टारगेट 22 हजार ऑपरेशन का है। कुछ जिले इसे हासिल कर भी लेते हैं, लेकिन इनमें पुरुषों की सहभागिता बहुत कम है। हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्धाज ने इस पर नाराजगी जताते हुए सभी कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र लिखा।
इस आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल है। क्या ये कांग्रेस का इमरजेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू के प्रयास में कमी हो, तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है.'वहीं, कमलनाथ सरकार के इस आदेश पर बीजेपी नेता संबित पात्रा ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार के फैसले के इमरजेंसी की याद दिलाती है. कांग्रेस आज इसे इमरजेंसी की बात करते हैं, जबकि उनके राज्य में इमरजेंसी लगी है. मध्यप्रदेश के मंत्री अगर उनका बचाव करते है तो उनके पास इनका अनुभव है.
इसमें भारद्वाज ने कहा- प्रदेश में मात्र 0.5% पुरुष नसबंदी के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। अब ‌विभाग के पुरुषकर्मियों को जागरूकता अभियान के तहत परिवार नियोजन का टारगेट दिया जाए। इस पत्र के बाद इंदौर सीएमएचओ कार्यालय ने पत्र जारी कर कर्मचारियों से कहा कि अगर टारगेट के तहत काम नहीं किया तो अनिवार्य सेवानिवृत्ति के प्रस्ताव भेजेंगे। अफसरों के मुताबिक, प्रदेश की आबादी 7 करोड़ से अधिक है, हर साल 6 से 7 लाख नसबंदी ऑपरेशन के टारगेट होते हैं, पर पिछले साल ये संख्या सिर्फ 2514 रही।
स्वास्थ्य कर्मचारीयो का विरोध
सरकार के आदेश के बाद एमपीडब्ल्यू और पुरुष सुपरवाइजरों ने विरोध शुरू कर दिया था। उनका कहना है कि वे जिले में घर-घर जागरूकता अभियान तो चला सकते हैं, लेकिन किसी का जबरदस्ती नसबंदी ऑपरेशन नहीं करवा सकते। वहीं,भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा- नसबंदी के मामले में ऐसा लग रहा है कि मप्र में आपातकाल लगा हो और संजय गांधी की चौकड़ी अपने नियम बनाकर शासन चलाने का प्रयास कर रही हो। हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता सैय्यद जाफर का कहना था किआदेश का मकसद सिर्फ नसबंदी के लक्ष्य को पूरा करना है। वेतन वृद्धि रोकना या नौकरी से निकाल देना मकसद नहीं है।
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महाशिवरात्रि पर महाकाल मंदिर में विशेष पूजा, शुक्रवार से 44 घंटे तक खुले रहेंगे महाकाल के पट

महाशिवरात्रि  पर महाकाल मंदिर में  विशेष पूजा, शुक्रवार से 44 घंटे तक खुले रहेंगे महाकाल के पट
उज्जैन. महाकालेश्वर मंदिर में 21 व 22 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व मनेगा। इस दौरान 44 घंटे मंदिर के पट खुले रहेंगे। श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे। इस दौरान गर्भगृह में पुजारियों का ही प्रवेश रहेगा। कोई भी श्रद्धालु, वीआईपी गर्भगृह में प्रवेश नहीं करेगा।
मंदिर प्रबंध समिति ने श्रद्धालुओं को सुलभ दर्शन के लिए गर्भगृह में किसी का भी प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है, ताकि कतारों से आ रहे श्रद्धालुओं को दर्शन में किसी तरह का व्यवधान न हो। मंदिर समिति सदस्य पं. आशीष पुजारी के अनुसार मंदिर में 20 फरवरी को भगवान का नियमित पूजन व आरती होगी। यानी तड़के 4 बजे भस्म आरती, सुबह 7 बजे, 10.30 बजे और शाम 7.30 बजे और रात 10.30 बजे आरती के बाद पट बंद होंगे। 21 फरवरी को भस्म आरती के लिए तड़के 2.30 बजे पट खुलेंगे। भस्म आरती के बाद सुबह 7 बजे, 10.30 बजे आरती होगी। भगवान का केवल चंदन शृंगार होगा। दोपहर 12 बजे शासन की ओर से भगवान का अभिषेक किया जाएगा। शाम 4 बजे सिंधिया और होल्कर घराने की ओर से अभिषेक पूजन होगा, शाम 7.30 बजे आरती होगी। इस रात शयन आरती नहीं होगी। मंदिर के पट खुले रहेंगे।
रात 11 बजे से महाशिवरात्रि महापूजन होगा, जो 22 फरवरी को तड़के तक चलेगा। 22 को सुबह 6 बजे से सेहरा दर्शन होंगे। सुबह 7.30 बजे आरती होगी। 11 बजे सेहरा उतरेगा तथा दोपहर 12 बजे भस्म आरती की जाएगी। दोपहर 2 बजे भगवान की भोग आरती होगी। शाम 7.30 बजे सांध्य आरती और रात 10.30 बजे से शयन आरती के बाद मंदिर के पट बंद होंगे।
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धार्मिक प्रतीकों से रंगा भूतेश्वर मंदिर परिसर,हम हैं इंसान टीम लगी भोले की बारात की तैयारियों में

धार्मिक प्रतीकों से रंगा भूतेश्वर मंदिर परिसर,हम हैं इंसान टीम लगी भोले की बारात की तैयारियों में
सागर।जाग्रत युवाओं के संगठन "हम है इंसान ग्रुप के सदस्यों  द्वारा महाशिवरात्रि पर्व की पूर्व संध्या पर नगर के प्राचीन  मंदिर श्री देव भूतेश्वर महादेव मंदिर में स्वच्छ्ता ओर सुंदरता अभियान चलाया गया , जिसमे ग्रुप के सदस्यों ने पहले मंदिर परिसर की साफ सफाई की उसके बाद  मंदिर परिसर की दीवारों पर सनातन संस्कृति से ओतप्रोत भगवान शिवजी की आकृतियों ओर मुद्राओ को उकेरा ।गौरतलब है की कल होने बाले शिवरात्रि मैले में भूतेश्वर मंदिर परिसर में नगर के सैकड़ो  श्रद्धालू दर्शन हेतु आते है , जिसमे ग्रुप के युवाओं द्वारा बनाई गयी सुंदर कलाकृतिया मंदिर परिसर में और मैले में आने वाले समस्त श्रद्धालुओं के लिए आकर्षक का केंद्र रहेगी , ग्रुप के सदस्य ने बताया की हम है इंसान ग्रुप द्वारा लगभग 5 महीनों से निरन्तर  नगर के उपेक्षित स्थानों को सँवारा जा रहा है और ग्रुप का स्वच्छ्ता और सुंदरता अभियान इसी तरह सतत जारी रहेगा। ग्रुप ने सभी शहर वासियों से अपील की है कि मंदिरों में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखे और अपने शहर को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान दे।
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गिरिजा दहार: बुन्देलखण्ड का अद्भुत जलकुंड जहा सिर्फ डूबती है पवित्र बेलपत्र

गिरिजा दहार: बुन्देलखण्ड का अद्भुत जलकुंड जहा सिर्फ डूबती है पवित्र बेलपत्र
#भगवान शंकर के धाम में एक ऐसा चमत्कारी कुंड जहाँ शिव की शक्ति से वेल पत्र अपने आप खिंचे चले आते है

सागर। पानी के ऊपर हर तरह के पत्तो को तैरते हुए देखा है पर एक कुंड ऐसा भी है ।जहाँ वेल पत्र डूब जाते है।पत्तो की पहचान करने वाले इस कुंड में ऐसी क्या खास बात है जो बाकी सभी कुंडों से इसको अलग करती है।और क्यों इसमें एक खास तरह का ही पत्ता डूबता है बाकी तमाम तरह के पत्ते सतह पर ही तैरते रहते है।शिव को प्रिय वेलपत्र डूबने के पीछे क्या शिवमहिमा है या कोई वैज्ञानिक कारण।आईये हम देखते है कि आखिर इसके पीछे क्या राज छुपा है आखिर क्यों ये चमत्कार यहाँ होता है।

एमपी के बुन्देलखण्ड अंचल के सम्भागीय मुख्यालय सागर  लाखा बंजारा झील और डॉ हरिसिंह गौर के नाम से पहचाना जाता है। सागर से चालीस किलोमीटर दूर राहतगढ़ विदिशा मार्ग पर और राहतगढ़ से 8 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच मे मिलता है गिरजादहार।
गिरिजा दहार जहा तैर नही पाती बेलपत्री
राहतगढ़ के पास से निकली बीना नदी के बीचो बीच एक कुंड मिलता है वो कुंड जो शिव के प्रिय बेल पत्र को तैरने नही देता और बाकी सामान्य पत्तो को डूबने नही देता।गिरजादहार के बारे में कहा जाता है और लोगो की ऐसी मान्यता भी है कि इस कुंड में भगवान शिव बिराजमान है मतलब कई वर्षों पहले यहाँ शिव लिंग था ।लेकिन आपदा विपदा के कारण ये स्थान पानी से डूब गया । इसी वजह से बेलपत्र यहाँ शिवजी को अर्पित किए जाते है और इसी वजह से नदी के खास स्थान पर बेलपत्र डालने पर डूब जाते है और यही एक बात जो बाकी कुंड से गिरजादहार को अलग करती है।बताया ये भी जाता है कि माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने साधना की थी। जिसके बाद भगवान शिव ने यहाँ माता पार्वती को दर्शन दिए और यह स्थान सिद्ध हो गया। यही कारण है कि जो भी बिल्व पत्र चढ़ाए जाते हैं वह कुंड की गहराई में बने मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित हो जाता है। एक और बड़ी विशेषता है कि बीना नदी पश्चिम की ओर बह रही है लेकिन नदी किनारे लगे हुए वृक्ष की शाखाएं विपरीत दिशा पूरब की ओर है लोग बताते हैं कि कितनी पानी आए लेकिन इस कुंड का परिक्रमा लगाकर ही वह जल आगे जाता है इसीलिए यह शाखाएं जिस ओर से पानी आता है उस ओर ही मुड़ी हुई है। यहाँ पास ही में बने शिव पार्वती मंदिर के गिरजादहार के कुंड की शक्ति उस शिवलिंग में छुपी है जो कि 300 फ़ीट नीचे जमीन में बना हुआ है वह शक्ति बेलपत्र को तो स्वीकार कर लेती है लेकिन बाकी पत्तियों को पानी के नीचे नही जाने देती।दूर दूर से कई लोग यहाँ इस सिद्ध स्थान पर आते है और पुण्य लाभ कमाते है। 
बताते है कि यहां एक संत पुरुष भी आराधना किया करते थे। अक्सर इस कुंड में घण्टो अंदर लीन होकर शिवभक्ति किया करते थे । पर्यटन जैसा केंद्र यह बनगया है।

महाशिवरात्रि पर उमड़ेगी भीड़ श्रद्धालुयों की
महाशिवरात्रि पर यहां मेला भरता है। आसपास के क्षेत्रो और दूरदराज से श्रद्धालु यहां आते है। यह एक पर्यटन धार्मिक स्थल बन गया है । इस बीना नदी पर कुंड के पास ही डेम का काम लगा हुआ है। इस कुंड के चारो तरफ बेलपत्री डालने वालो कि कमी सामान्य दिनों में भी खूब रहती है। यहां बेलपत्री का पेड़ लगा हुआ है।  

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महाशिवरात्रि :दुर्लभ मणिकांचन योग, जानें क्या है शिव आराधना का मुहूर्त, क्या करे उपाय

महाशिवरात्रि :दुर्लभ मणिकांचन योग, जानें क्या है शिव आराधना का मुहूर्त, क्या करे उपाय

भगवान शिव की आराधना का महापर्व महाशिवरात्रि 21 फरवरी दिन शुक्रवार को है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। हालांकि प्रत्येक मास की चतुर्दशी तिथि को मासिक ​शिवरात्रि मनाई जाती है। इस वर्ष महा​शिवरात्रि के दिन अद्भुत संयोग बन रहा है, ​जो भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना के लिए बहुत ही उत्तम है। आइए जानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन पूजा का मुहूर्त 
महाशिवरात्रि मुहूर्त फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 21 फरवरी दिन शुक्रवार को शाम 05 बजकर 20 मिनट से हो रहा है, जो 22 फरवरी दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि व्रत अर्धरात्रिव्यापिनी चतुर्दशी तिथि में ही करना चाहिए, इसलिए इस वर्ष महाशिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जाएगी। आप सभी को व्रत 21 को ही रखना चाहिए।
निशिता काल पूजा समय
निशिता काल का अ​र्थ है कि वह समय जब भगवान शिव लिंग स्वरुप में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। इस समय में भी आप भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। 21 फरवरी की देर रात्रि 12 बजकर 9 मिनट से देर रात 01 बजे तक।
महाशिवरात्रि पारण समय
महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले लोगों को 22 फरवरी दिन शनिवार को पारण के साथ व्रत खोलना चाहिए। महाशिवरात्रि व्रत के पारण का समय 22 फरवरी को सुबह 06 बजकर 54 मिनट से दोपहर 03 बजकर 25 मिनट तक है। आप 06 बजकर 54 मिनट के बाद कभी भी पारण कर सकते हैं।
बन रहा है अद्भुत मणिकांचन योग
ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि पर मणिकांचन योग बना है। इस बार श्रवण नक्षत्र, शुक्रवार दिन और सायंकाल में चतुदर्शी के संयोग से मणिकांचन योग बन रहा है। जब भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह हुआ था तो उस दिन भी श्रवण नक्षत्र, शुक्रवार दिन और सायंकाल में चतुदर्शी का संयोग बना था। कई वर्षों के बाद ऐसा संयोग आया है कि महाशिवरात्रि पर यह अद्भुत मणिकांचन योग बना है।

इस बार महाशिवरात्रि पर अद्भुत संयोग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना हुआ है। सर्वार्थ सिद्धि योग 21 फरवरी को सुबह 09 बजकर 14 मिनट से बन रहा है, जो 22 फरवरी को सुबह 06 बजकर 54 मिनट तक है। वहीं, ज्योतिष के अनुसार, इस बार शिवरात्रि पर शुक्र अपनी उच्च रा​शि मीन में होगा और शनि मकर में। यह एक दुर्लभ योग है, जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा उत्तम मानी गई है

महाशिवरात्रि में जरूर करें ये उपाय, धन-संपत्ति में होगी वृद्धि और बढ़ेगा
महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी को है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, तीनों लोकों के मालिक भगवान शिव का सबसे बड़ा त्योहार महाशिवरात्रि है। कहते हैं महाशिवरात्रि ऐसा दिन होता है जब भगवान शंकर पृथ्वी पर उनके जितने शिवलिंग हैं उन सभी में विराजमान रहते हैं।इस दिन भक्त भगवान शिव को प्रसन्न कर ले तो उसकी सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। सबसे बड़ी बात यह है कि महादेव तो औढरदानी हैं बड़ी ही आसानी से खुश होकर भक्तों का निहाल कर देते हैं, ऐसे में अगर महाशिवरात्रि का संयोग हो तब तो शिव जी को खुश करना और भी सरल हो जाता है। 
अगर आपके जीवन में धन संबंधी परेशानी चल रही है या स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए चिंतित हैं तो महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान शिव को प्रसन्न करके उनसे धन और आयु वृद्घि का आशीर्वाद दिलाने वाले इन पांच उपायों को आजमा सकते हैं।
शिव जी की कृपा पाने के लिए करें यह काम
शास्त्रों में दिन को चार में बांटा गया है। महाशिवरात्रि का हर प्रहर खास होता है। शिवपुराण में महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की चार प्रहर पूजा करने का बड़ा महत्व बताया गया है। इस दिन सुबह, दोपहर, शाम और रात इन चारों प्रहर में रुद्राष्टाध्यायी पाठ के साथ भगवान शिव का अलग-अलग पदार्थों जैसे दूध, गंगाजल, शहद, दही या घी से अभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। अगर आप रुद्राष्टाध्यायी का पाठ नहीं कर पाते हैं तब शिव षडक्षरी मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' का जप करते हुए भी शिव जी का अभिषेक कर सकते है।
महाशिवरात्रि के दिन धारण करें यह रुद्राक्ष
प्रकृति में मुख के आधार पर कई प्रकार रुद्राक्ष पाए जाते हैं। धन एवं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जो लोग गुजर रहे हैं उन्हें 6मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग से स्पर्श करवाकर इस रुद्राक्ष को धारण करने से इसका प्रभाव जल्दी दिखने लगता है। छह मुखी रुद्राक्ष को कुमार कार्तिक का स्वरुप माना जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह शुक्र से प्रभावित होता है। शुक्र सुख और वैभव के दाता हैं और महामृत्युंजय मंत्र के ज्ञाता। इसलिए इस रुद्राक्ष को धारण करने से धन और स्वास्थ्य दोनों पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।


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