मधुबाला:भारतीय सिनेमा इतिहास की एक सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री

मधुबाला:भारतीय सिनेमा इतिहास की एक सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री

भारतीय सिनेमा इतिहास की एक सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रीमुमताज़ जहाँ बेगम देहलवी उर्फ मधुबाला  का जन्मदिन।

जन्म- 14 फ़रवरी 1933 दिल्ली, 
मृत्यु- 23 फ़रवरी 1969 मुम्बई, महाराष्ट्र ।

सिने जगत् में मधुबाला के नाम से मशहूर महान् अभिनेत्री मुमताज़ जहाँ बेगम देहलवी का जन्म दिल्ली शहर के मध्य वर्गीय मुस्लिम परिवार में 14 फ़रवरी, 1933 को हुआ था। मधुबाला अपने माता-पिता की 5वीं सन्तान थी। उनके माता-पिता के कुल 11 बच्चे थे। मधुबाला के पिता अताउल्लाह ख़ान दिल्ली में एक कोचमैन के रूप मे कार्यरत थे। मधुबाला के जन्म के कुछ समय बाद उनका परिवार दिल्ली से मुम्बई आ गया।
बचपन के दिनों से ही मधुबाला अभिनेत्री बनने का सपना देखा करती थी। सबसे पहले वर्ष 1942 में मधुबाला को बतौर बाल कलाकार बेबी मुमताज़ के नाम से फ़िल्म 'बसंत' में काम करने का मौक़ा मिला। बेबी मुमताज़ के अभिनय से प्रभावित होकर हिन्दी फ़िल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री देविका रानी ने उनसे अपने बैनर 'बाम्बे टाकीज' की फ़िल्म 'ज्वार भाटा' में काम करने की पेशकश की लेकिन मधुबाला उस फ़िल्म मे काम नहीं कर सकी। मधुबाला को फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में पहचान निर्माता निर्देशक केदार शर्मा की वर्ष 1947 मे प्रदर्शित फ़िल्म 'नील कमल' से मिली। इस फ़िल्म के असफल होने से भले ही वह कुछ ख़ास पहचान नहीं बना पायीं लेकिन बतौर अभिनेत्री उनका सिने कैरियर अवश्य शुरू हो गया।
1949 तक मधुबाला की कई फ़िल्में प्रदर्शित हुई लेकिन इनसे मधुबाला को कुछ ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ। वर्ष 1949 मे बॉम्बे टाकीज के बैनर तले बनी फ़िल्म 'महल' की कामयाबी के बाद मधुबाला फ़िल्म इंडस्ट्री मे अपनी पहचान बनाने में सफल हो गयीं। इस फ़िल्म का एक गीत 'आयेगा आने वाला...' सिने दर्शक आज भी नहीं भूल पाये है। वर्ष 1950 से 1957 तक का वक्त मधुबाला के सिने कैरियर के लिये बुरा साबित हुआ। इस दौरान उनकी कई फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल हो गयीं। लेकिन वर्ष 1958 में उनकी फागुन, हावडा ब्रिज, काला पानी तथा चलती का नाम गाड़ी की सफलता ने एक बार फिर मधुबाला को शोहरत की बुंलदियों पर पहुँचा दिया। फ़िल्म हावड़ाब्रिज में मधुबाला ने क्लब डांसर की भूमिका अदा कर दर्शकों का मन मोह लिया। इसके साथ ही वर्ष 1958 में हीं प्रदर्शित फ़िल्म चलती का नाम गाड़ी में उन्होंने अपने कॉमिक अभिनय से दर्शकों को हंसाते-हंसाते लोटपोट कर दिया।
पचास के दशक मे स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान मधुबाला को यह अहसास हुआ कि वह हृदय की बीमारी से ग्रसित हो चुकी है। इस दौरान उनकी कई फ़िल्में निर्माण के दौर में थी। मधुबाला को लगा यदि उनकी बीमारी के बारे में फ़िल्म इंडस्ट्री को पता चल जायेगा तो इससे फ़िल्म निर्माता को नुकसान होगा इसलिये उन्होंने यह बात किसी को नहीं बतायी। के.आसिफ की फ़िल्म मुग़ल ए आज़म के निर्माण मे लगभग दस वर्ष लग गये। इस दौरान मधुबाला की तबीयत काफ़ी ख़राब रहा करती थी फिर भी उन्होंने फ़िल्म की शूटिंग जारी रखी क्योंकि मधुबाला का मानना था कि अनारकली के किरदार को निभाने का मौक़ा बार-बार नहीं मिल पाता है। 
वर्ष 1960 में जब मुग़ल ए आज़म प्रदर्शित हुई तो फ़िल्म में मधुबाला के अभिनय को देख दर्शक मुग्ध हो गये। हालांकि बदकिस्मती से इस फ़िल्म के लिये मधुबाला को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्म फेयर पुरस्कार नहीं मिला लेकिन सिने दर्शक आज भी ऐसा मानते है कि मधुबाला उस वर्ष फ़िल्म फेयर पुरस्कार की हकदार थी।
मधुबाला की प्रमुख फ़िल्में...
1934 बगदाद का चोर ;
1936 शहीद-ए-मोहब्बत ;
1942 बसंत ;
1944 मुमताज महल ;
1945 धन्ना भगत ;
1946 राजपूतानी ;
1946 पुजारी ;
1946 फुलवारी ;
1947 सात समुंदरों की मलिका ;
1947 मेरे भगवान ;
1947 खूबसूरत दुनिया ;
1947 दिल की रानी ;
1947 चित्तौड़ विजय ;
1947 नील कमल ;
1948 पराई आग ;
1948 लाल दुपट्टा ;
1948 देश सेवा ;
1948 अमर प्रेम ;
1949 सिपहिया ;
1949 सिंगार ;
1949 पारस ;
1949 नेकी और बदी ;
1949 महल ;
1949 इम्तिहान ;
1949 दुलारी ;
1949 दौलत ;
1949 अपराधी ;
1950 परदेश ;
1950 निशाना ;
1950 निराला ;
1950 मधुबाला ;
1950 हँसते आँसू ;
1950 बेकसूर ;
1951 तराना ;
1951 सैंया ;
1951 नाज़नीन ;
1951 नादान ;
1951 खजाना ;
1951 बादल ;
1951 आराम ;
1952 साकी ;
1952 संगदिल ;
1953 रेल का डिब्बा ;
1953 अरमान ;
1954 बहुत दिन हुये ;
1954 अमर ;
1955 तीरंदाज ;
1955 नकाब़ ;
1955 नाता ;
1956 शीरी फरहाद ;
1956 राज हठ ;
1956 ढाके का मलमल ;
1957 यहूदी की लड़की ;
1957 गेटवे आफ इंडिया ;
1957 एक साल ;
1958 पोलिस ;
1958 फागुन ;
1958 कालापानी ;
1958 हावड़ा ब्रिज ;
1958 चलती का नाम गाड़ी ;
1958 बाग़ी सिपाही ;
1959 कल हमारा है ;
1959 इंसान जाग उठा ;
1959 दो उस्ताद ;
1960 महलों के ख्वाब ;
1960 जाली नोट ;
1960 बरसात की रात ;
1960 मुग़ल ए आज़म ;
1961 पासपोर्ट ;
1961 झुमरू ;
1961 ब्वाय फ्रेंड ;
1962 हाफ टिकिट ;
1964 शराबी ;
1971 ज्वाला ....
साठ के दशक में मधुबाला ने फ़िल्मों मे काम करना काफ़ी हद तक कम कर दिया था। चलती का नाम गाड़ी और झुमरू के निर्माण के दौरान ही मधुबाला किशोर कुमार के काफ़ी क़रीब आ गयी थीं। मधुबाला के पिता ने किशोर कुमार को सूचित किया कि मधुबाला इलाज के लिये लंदन जा रही है और लंदन से आने के बाद ही उनसे शादी कर पायेगी। लेकिन मधुबाला को यह अहसास हुआ कि शायद लंदन में हो रहे आपरेशन के बाद वह जिंदा नहीं रह पाये और यह बात उन्होंने किशोर कुमार को बतायी इसके बाद मधुबाला की इच्छा को पूरा करने के लिये किशोर कुमार ने मधुबाला से शादी कर ली। शादी के बाद मधुबाला की तबीयत और ज़्यादा ख़राब रहने लगी हालांकि इस बीच उनकी...
पासपोर्ट (1961),
झुमरू (1961)
ब्वॉय फ्रेंड (1961),
हाफ टिकट (1962) और शराबी (1964) जैसी कुछ फ़िल्में प्रदर्शित हुई। वर्ष 1964 में एक बार फिर से मधुबाला ने फ़िल्म इंडस्ट्री की ओर रुख़ किया। लेकिन फ़िल्म चालाक के पहले दिन की शूटिंग में मधुबाला बेहोश हो गयी और बाद में यह फ़िल्म बंद कर देनी पड़ी। 

मृत्यु ...अभिनेत्री मधुबाला ने मुम्बई में 23 फ़रवरी 1969 को इस दुनिया से अलविदा कह दिया।
अपनी दिलकश अदाओं से लगभग दो दशक तक सिने प्रेमियों को मदहोश करने वाली महान् अभिनेत्री मधुबाला जीं की स्मृति को आदरांजली
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CBSE अध्यक्ष की बोर्ड परीक्षार्थियों को चिट्ठी, लिखा - 'कुछ भी करो पर इतिहास मत बनाना

CBSE अध्यक्ष की बोर्ड परीक्षार्थियों को चिट्ठी, लिखा - 'कुछ भी करो पर इतिहास मत बनाना
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE - Central Board of Secondary Education) की कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 15 फरवरी 2020 से शुरू हो रही हैं। इस परीक्षा को लेकर सिर्फ विद्यार्थी ही नहीं, उनके माता-पिता भी काफी तनाव में रहते हैं। इस तनाव को दूर करने और बोर्ड परीक्षा के सही मायने समझाने के लिए सीबीएसई अध्यक्ष अनीता करवल पिछले तीन सालों से परीक्षा से पहले छात्र-छात्राओं के नाम चिट्ठी लिखती आ रही हैं।
इस बार भी अनीता करवल ने परीक्षार्थियों के लिए चिट्ठी लिखी है। इसमें कई दिलचस्प और हौसला बढ़ाने वाली बातें लिखी हैं। सीबीएसई अध्यक्ष ने बच्चों से ये भी कहा है कि - 'जीवन में कुछ भी करो, पर इतिहास मत बनाना।'

अनीता करवल के शब्दों में पूरी चिट्ठी

'प्यारे बच्चों,
स्कूलिंग का मतलब सिर्फ बोर्ड पीरक्षाएं नहीं हैं। अब जब मैं पीछे देखती हूं, सोचती हूं कि स्कूल में पढ़ी कौन सी चीज मैं घर ला पाई। मुझे याद आती है - पिकनिक, वार्षिक मेले, खेल, दोस्त और उनके साथ की मस्ती, हंसना-रोना, शेयरिंग और केयरिंग। लेकिन पढ़ाई के मामले में सब धुंधला सा है। जैसे - इतिहास में ढेर सारी तारीखें जो मैंने तब याद की थीं, लेकिन अब याद नहीं। मैं अपने दोस्तों से कहना चाहूंगी, 'जिंदगी में कुछ भी करो, लेकिन इतिहास बनाने से दूर रहना। अगली पीढ़ी तुम्हें माफ नहीं करेगी। मैं हमेशा अमेरिकियों को कोसती थी क्योंकि उनके फ्लोरा और फॉना अफ्रीका से बिल्कुल अलग थे। दुनिया एक जैसी और आसान क्यों नहीं हो सकती?

गणित में मेरी हालत 'Alice in Wonderland' जैसी थी। केमिस्ट्री मेरे लिए कई अंग्रेजी अल्फाबेट और अरबी अंकों का मिश्रण थी। लेकिन बायोलॉजी ऐसा विषय था जो मुझे जिज्ञासु बनाता था। ये विषय इतना पसंद था कि मैं रेड ब्लड सेल्स पर ऑटोबायोग्राफी लिख देती थी। मुझे अपनी पनाह वहां मिली। ये मेरे लिए आर्ट रूम की तरह था। एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में मैं पढ़ाई-लिखाई से बेहतर थी। मुझे अच्छा लकता था कि मैं खाली कैनवास पर रंगों से कुछ भी बना सकती हूं। या स्टेज पर एक्टिंग के दौरान लंबे से लंबे डायलॉग याद रख सकती हूं। लेकिन मुझे ये याद नहीं कि बोर्ड परीक्षा में मुझे क्या सवाल पूछे गए थे और परीक्षा कैसी गई थी।
मैं ये सब आपसे इसलिए साझा कर रही हूं क्योंकि मैं चाहती हूं कि ऐसा नहीं है कि हम स्कूल में हर विषय और हर गतिविधि में अच्छे होकर ही जिंदगी में सफल हों। स्कूलिंग विभिन्न विषयों से रूबरू होने के बारे में है। लेकिन इससे ज्यादा ये समय ये सीखने के लिए है जीवन भर के लर्नर कैसे बनें। ये समय जीवन के मूल्य और कौशल सीखने का है।
आप 21वीं सदी के बच्चे है। आपको नौकरी देने वालों को शायद स्कूल में मिले आपके अंकों से फर्क न पड़े। बल्कि वे ये जानना चाहेंगे कि आप कितने रचनात्मक व सृजनशील हैं। आप कड़ी मेहनत करने में सक्षम हैं या नहीं। ईमानदार, अच्छे नागरिक, मुश्किलों का समाधान ढूंढने और टीम का हिस्सा बनने में सक्षम हैं या नहीं। आपको लगे या ना लगे, लेकिन मुझे यकीन है कि आपमें ये चीजें हैं, कई कौशल हैं और जहां तक आपके भविष्य का सवाल है, आप पहले ही परीक्षा में पास हो चुके हैं।
आपने जिंदगी में कई चढ़ाई चढ़ी है - घिसटने से चलना सीखने तक, अस्पष्ट से स्पष्ट बोलना सीखने तक, दोस्त बनाना सीखने से लेकर टीमवर्क तक, लिखना, पढ़ना, खेलना, पेंट करना, गाना, डांस करना, खाना पकाना, गार्डनिंग करना, इंटरनेट सर्च करना, बड़ों का सम्मान करना, अपनी संस्कृति को जानना और भी बहुत कुछ। इन सभी ने आपके व्यक्तित्व को निखरने और और अतुल्य बनाने में भूमिका अदा की है।

परीक्षा इन हजारों चीजों की सूची में से महज एक चीज है। ये इतनी बड़ी चीज नहीं जितना इसे बना दिया जाता है। ये सिर्फ अपनी वास्तविक क्षमता ढूंढने के आपके सफर में एक पड़ाव है। उस सूची में से जो भी आपने सीखा है, वो सब एक ही मान्यता के साथ शुरू होता है - मैं ये कर सकता / सकती हूं। 

इसलिए अपने पूरे ज्ञान और क्षमता के साथ आगे बढ़ें, अपनी चिंताओं को खत्म करें, कड़ी मेहनत करें और अपना सर्वश्रेष्ठ दें।'
साभार :अमर उजाला

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सांसद ट्रॉफी के शुभारंभ मैच में पत्रकार एकादश जीती, पूर्व गृहमन्त्री ने किया शुभारम्भ

सांसद ट्रॉफी के शुभारंभ मैच में पत्रकार एकादश जीती, पूर्व गृहमन्त्री ने किया शुभारम्भ
सागर। सांसद ट्रॉफी के आयोजन से क्रिकेट जगत से जुड़े लोकसभा क्षेत्र के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा निखारने का प्लेटफार्म मिलेगा। उक्त बात नगर निगम स्टेडियम में सांसद ट्रॉफी 2020 के शुभारंभ के अवसर पर पूर्व गृह एवं परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कही उन्होंने कहा कि जब मैं सागर से सांसद रहा तब खेल जगत की प्रतिभाओं को तराशने के उद्देश्य सांसद ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन शुरू हुआ था। वर्तमान सांसद राज बहादुर सिंह ने उसे आगे बढ़ाने का कार्य किया है ।
सागर विधायक शैलेन्द्र जैन ने कहा कि आज का देश का युवा प्रत्येक विद्या में अपनी प्रतिभा को साबित करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहा है। यही कारण है कि देश भर में खेल प्रतिभाएं अपने खेल के माध्यम से सभी को प्रभावित कर रही है । वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.जी.एस.चौबे ने अपने संबोधन में कहा कि खिलाड़ियों को अपनी फिटनेस का भी संपूर्ण ध्यान रखना चाहिए। यदि उन्हें लंबे समय तक मैदान में बने रहना है तो चोट से बचना होगा । उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को तनाव रहित होकर अपने खेल प्रतिभा को संवारने का प्रयास करना चाहिए।  सांसद ट्रॉफी के आयोजक सांसद राजबहादुर सिंह ने स्वागत भाषण में कहा कि मैं स्वयं  खेल ग्राउंड से जुड़ा हुआ व्यक्ति हूँ । सागर क्षेत्र के लिए खेल प्रतिभाओं को उभारने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा। क्षेत्र में खेल से जुड़ी गतिविधियों में इजाफा हो और खेल से संबंधित सभी सुविधाओं का लाभ खिलाड़ियों को प्रदान करने हेतु हमेशा प्रयासरत रहूंगा।
 सभी मुख्य अतिथियों ने जहां सांसद ट्रॉफी का अनावरण कर एवं ध्वजारोहण कर इस टूर्नामेंट का उद्घाटन किया । वहीं सांसद इलेवन और पत्रकार इलेवन के बीच खेले गए मैच में विजेता रही पत्रकार एकादश को बधाई प्रेषित की । 
आज के मैच
सांसद ट्राफी में खेले गए आज के मैच में  शुक्रवारी इलेवन एवं यंग स्टार बांदरी जिसमें शुक्रवारी ईलेवन विजेता रही। दूसरे मैच में सदर बॉय नरयावली एवं बीएमसी सागर के मैच में सदर ब्वॉय नरयावली विजेता रही। 
उद्घाटन समारोह में मंच संचालन राजेश सैनी एवं आभार  लक्ष्मण सिंह ने व्यक्त किया।
उद्घाटन समारोह में भाजपा जिला अध्यक्ष प्रभुदयाल पटेल, लक्ष्मण सिंह, सुखदेव मिश्र, राजेश सैनी, राम अवतार पाण्डेय, प्रदीप पाठक, श्याम तिवारी,, नरेश यादव, आदेश जैन राजेश ठाकुर संतोष दुबे, देवेंद्र पांडे प्रदीप तिवारी, मिलन्द देउस्कर, नईम खान, मनीष चौबे, शैलू जैन, राजेश केशरवानी, डॉ चन्द्रभान तिवारी, राजीव सोनी, मनोज शुक्ला, विकास बेलापुरकर, श्वेता यादव, सुषमा यादव, राजकुमार जैन,शैलेन्द्र ठाकुर, रविन्द्र गौर, आकाश शुक्ला, देवेन्द्र दुबे, राहुल रजक, सचिन दुबे, राजकुमार नामदेव आदिब पठान, आदित्य राजा ठाकुर,शेखर चौधरी, मनोज राय, शुभम नामदेव एवं संजय दुबे आदि की उपस्थिति रही।
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यश,मान,पद प्रतिष्ठा व्यक्ति को अपने कर्मो से मिलती है- श्री रावतपुरा सरकार स्वामी विवेकानंद विवि पहुचे सरकार

यश,मान,पद प्रतिष्ठा व्यक्ति को अपने कर्मो से मिलती है- श्री रावतपुरा सरकार 

#स्वामी विवेकानंद विवि पहुचे सरकार
सागर। दूसरों की उन्नति या प्रगति देखकर जलने वाला कभी जीवन में यषस्वी नहीं हो सकता। यष मान पद प्रतिष्ठा मनुष्य को अपने कर्मो से मिलती है। गुरूवार को संतश्री रावतपुरा सरकार ने कहा।  संत श्री रावतपुरा सरकार ने कहा कि व्यक्ति को ईष्र्यालु नहीं होना चाहिये। ईष्र्यालु व्यक्ति बिना परिश्रम के फल खाना चाहता है इसी लालसा मे उसका जीवन नष्ट हो जाता है। ईष्र्या ऐसा विकार है जो भक्ति और उन्नति दोनो के लिये घातक है इसलिये इसका त्याग कर सबकी प्रगति सबकी उन्नति में सहयोगी बनें और खुद प्रगति पथ पर आगे बढे। कल्याण होगा। इसके पूर्व बुधवार को पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने गुरूदेव का आषीर्वाद लिया। 
बधाई गीत पर झूमें श्रद्वालु  
वहीं श्रीमद भागवत कथा के चैथा दिन रावतपुरा धाम से पधारे आचार्य अंकित पचैरी ने माता सती के पावन चरित्र एवं भगवान के परमभक्त प्रहलाद के पावन चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान की नौ प्रकार की भक्ति होती है इन्ही नौ में से अगर प्राणी के अंदर एक भी भक्ति रहती है तो भगवान को अतिप्रिय लगता है। समुद्र मंथन एवं भगवान वामन अवतार की कथाओं के द्वारा भक्तों को परमांनद की अनुभूति कराई इसी के साथ भगवान बालकृष्ण के जन्मोत्सव को मनाते हुये विविध बधाईयों के साथ कृष्ण चरित्र का वर्णन किया।
स्वामी विवेकानंद विवि पहुचे रावतपुरा सरकार
 स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय में पधारे रावतपुरा सरकार ने अपने वक्तव्य में कहा कि सभी दानों में सबसे बड़ा दान है शिक्षा दान स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह से कार्य कर रहा है वह अत्यंत सराहनीय है कौशल विकास कार्यक्रम, मूल्य आधारित शिक्षा जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सागर नगर व आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाये हुये और निरंतर प्रयासरत है। विश्वविद्यालय के रोजगान्मुखी पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेकर छात्र-छात्राएं अपना उज्जवल भविष्य बना रहे हैं यह अत्यंत सराहनीय है।  जिसके बाद संत श्री रावतपुरा विष्वविद्यालय स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय पहुंचे। जहां पंचकर्म प्रक्रिया देखी। इसके साथ ही विष्वविद्यालय के फायर सेफ्टी प्रदर्षन प्रक्रिया का भी अवलोकन किया।कार्यक्रम में समस्त एस.व्ही.एन छात्र-छात्राएं एवं अधिकारी कर्मचारी सम्मिलित हुये।

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पुरानी बुराई पर से हत्या का प्रयास करने वाले आरोपी कोसात साल की सजा

पुरानी बुराई पर से हत्या का प्रयास करने वाले आरोपी कोसात साल की सजा
सागर। न्यायालय- द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीष अनिल चैहान बीना, जिला सागर की अदालत ने आरोपी दिलीप कुर्मी पिता मिहीलाल कुर्मी उम्र 53 वर्ष निवासी ग्राम बारधा तहसील बीना, जिला सागर को धारा 307 भादवि में दोषी पाते हुए 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रूपये के अर्थदण्ड एवं धारा 506 भाग 2 भादवि में 02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये अर्थदण्ड से दंडित किया। म.प्र. शासन की ओर से पैरवी दिनेष मालवीय एवं एम.डी. अवस्थी, बीना ने की।
लोक अभियोजन के मीडिया प्रभारी ए.डी.पी.ओ. सौरभ डिम्हा ने बताया कि फरियादी रामस्वरूप ने थाना बीना में सूचना दी की आरोपी दिलीप कुर्मी उससे पुरानी बुराई रखता है। उसके खेत के पास आरोपी का भी खेत है घटना दिनांक 28.11.2017 को दिन करीब 12 बजे अपने खेत पर था और मवेषी पास में चर रहे थे तभी अरोपी दिलीप कुर्मी हाथ में धारदार कुल्हाडी लेकर आया और गाली गलोज करने लगा और बोला की आज जान से खतम कर दूंगा फरियादी ने  रोकने की कोषिष की तो आरोपी ने जान से मारने की नियत से कुल्हाडी उसकी गर्दन में मारी जिससे उसे घाव होकर खून निकलने लगा। फरियादी चिल्लाया तो खेत में काम करने वाले मजदूर मौके पर आ गयें और उसे बचाया। जिन्हें देखकर आरोपी दिलीप कुल्हाडी लेकर भाग गया। परिवार वाले इलाज के लिए उसे बीना अस्पताल लेकर आये। फरियादी आहत की सूचना पर थाना बीना में देहाती नालसी के आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। मामला विवेचना में लिया गया। जिस पर से थाना बीना ने मामले की पूरी जाॅच होने के उपरांत साक्ष्य संग्रहित कर आरोपी दिलीप के विरूद्ध अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जहां अभियोजन ने महत्वपूर्ण साक्ष्य व तर्क प्रस्तुत किये एवं मामला संदेह से परे साबित किया। जहां विचारण उपरांत द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीष अनिल चैहान बीना, जिला सागर की अदालत ने आरोपी दिलीप कुर्मी को धारा 307 भादवि में दोषी पाते हुए 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रूपये के अर्थदण्ड एवं धारा 506 भाग 2 भादवि में 02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये अर्थदण्ड से दंडित किया।

 


 







 



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संभागीय जनसंपर्क अधिकारी सागर अमित जैन को, संचालक लोक अभियोजन म.प्र. ने उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित

संभागीय जनसंपर्क अधिकारी सागर अमित जैन को, संचालक लोक अभियोजन म.प्र. ने उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित

सागर। इंदौरमें  संचालक लोक अभियोजन म.प्र,  पुरूषोत्तम शर्मा ने प्रदेष के सभी जनसंपर्क अधिकारियों की समीक्षा बैठक अयोजित की थी जिसमें सागर संभाग का प्रतिनिधित्व संभागीय जनसंपर्क अधिकारी सागर अमित जैन ने किया। बैठक में संचालक  द्वारा सागर संभाग में किऐ गए कार्यों की प्रषंसा की तथा श्री अमित जैन को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।

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समग्र किशोरी कार्यक्रम के तहत बालिकाओं से चर्चा की ,भारतीय शिक्षण मंडल ने

समग्र किशोरी कार्यक्रम के तहत बालिकाओं से चर्चा की ,भारतीय शिक्षण मंडल ने
सागर। भारतीय शिक्षण मण्डल के महिला प्रकल्प के समग्र किशोरी विकास कार्यक्रम के तहत आजहायर सेकेंडरी स्कूल बाघराज तिली में प्राचार्या श्रीमती मनोरमा श्रीवास्तव  की अनुमति से बालिकाओं से विभिन्न विषयों पर चर्चा की बालिकाओं में इस उम्र में होने वाले शारीरिक बदलाव के विषय में श्रीमती शोभा सराफ ने अपने विचार रखे।
 परीक्षा के समय होने तनाव को कैसे नियंत्रित करें इस विषय पर योग शिक्षका श्रीमती जयंती सिंह ने प्राणायाम एवम मेडिटेशन से एकाग्रता बढ़ाने के टिप्स दिए ,आराधना रावत ने बेलेंस डाइट पर ध्यान केन्दित किया
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केंद्रीय जेल सागर में हाथ करघा की प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर होगा समवसरण विधान

केंद्रीय जेल सागर में हाथ करघा की प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर होगा समवसरण विधान

सागर। केंद्रीय जेल सागर में बंदियों के हितार्थ एवं अपराध मुक्त भारत बने इस भावना के साथ सकल दिगंबर जैन समाज ,सागर द्वारा तीन दिवसीय 16,17 एवं 18 फरवरी को जेल प्रांगण में श्री समवसरण  विधान का आयोजन किया जा रहा है ।जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी ने बताया कि हाथकरघा के कार्यों से बंदियों में काफी मानसिक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। यह विधान ब्रह्मचारी संजीव भैया कटंगी एवं ब्रह्मचारी अरुण भैया जी कटंगी के निर्देशन में होगा।
मुनि सेवा समिति के मनोज जैन लालो ने बताया संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से बंदियों द्वारा हाथकरघा की प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर विधान का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें 108 इंद्र ,इंद्राणी हिस्सा लेकर बंदियों के हितार्थ विधान करेंगे । विधान में संजीव दिवाकर, संतोष बिलहरा, अरुण जैन, संतोष अनंतपुरा ,सटटू कर्रापुर सीए प्रियेश जैन, प्रदीप राधेलिया, श्रीमती जयंती पत्नी श्री उत्तम चंद जैन वकील साहब ,दिनेश कर्रापुर ने भी महापात्र बनने की स्वीकृति प्रदान की है।डिप्टी जेलर नागेंद्र चौधरी जी ने बताया कि जहां सभी जीवो को बिना किसी भेदभाव के शरण मिलती है ऐसे समवसरण विधान में डॉ संज्योत माहेश्वरी, स्वाति हलवे ,डॉ स्मिता दुबे एवं सभी वर्ग के पात्र समवसरण विधान में उपस्थित होकर पूजा-अर्चना करेंगे।
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