एमपी में में पानी पर सरकार और समाज की साझा पहल स्वागत योग्य:जलपुरुष राजेन्द्र सिंह
भोपाल। मैग्सेसे पुरस्कार विजेता जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा है कि गंगा आईसीयू में है। हमारी इस पवित्र नदी की मौत किसी भी वक्त हो सकती है। उन्होंने 'गंगा को आजादी' की मांग करते हुए कहा कि अब तक चार महापुरुषों ने मां गंगा के लिए प्राण त्याग दिए। अब पांचवीं कड़ी में साध्वी पद्मावती 58 दिन से अनशन पर हैं। लेकिन अब तक उनसे किसी ने वार्ता तक नहीं की है।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आज विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ। विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी ने श्री सिंह के योगदान को देश के लिए अनमोल बताया। इस दौरान मध्यप्रदेश में 'राइट टू वाटर' के प्रयोग पर भी चर्चा हुई।
जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने मध्यप्रदेश को 'प्रकृति का लाड़ला बेटा' का नाम देते हुए कहा कि यहां की उपजाऊ मिट्टी और पांचों क्षेत्र में अच्छी बारिश एक बड़ी देन है। लेकिन अभी यहां 84 फीसदी खेती भूमिगत जल से होना चिंताजनक है। श्री सिंह ने मध्यप्रदेश के जल प्रबंधन में सरकार और समाज के साझा प्रयास को स्वागतयोग्य बताया।
श्री सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति में हम पानी का संस्कार और सम्मान जानते आए हैं। इसीलिए भारत अब तक पानीदार बना रहा। लेकिन अब हम बेपानी होते जा रहे हैं, क्योंकि हमने पानी का संस्कार और सम्मान छोड़ दिया है।
उन्होंने कहा कि हमारी पारंपरिक शिक्षा प्रणाली हमें प्रकृति का दोहन नहीं, बल्कि पोषण करना सिखाती थी। लेकिन अब इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा सिर्फ प्रकृति का दोहन सिखाती है। व्यावसायिक प्रबंधन पाठ्यक्रम में भी सिर्फ 'लाभ' सिखाया जाता है और 'शुभ' की परिकल्पना भुला दी गई है। श्री सिंह ने कहा कि भारतीय ज्ञानतंत्र के रास्ते पर चलकर प्रकृति और मानवता का सम्मान करना ही एकमात्र विकल्प है।
इस दौरान श्री सिंह ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों और अधिकारियों के सवालों का जवाब भी दिया। उन्होंने देश में पत्रकारिता की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि पर्यावरण के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर करने वालों खबरें मीडिया नहीं दिखा रहा। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे के नाम पर 20 हजार करोड़ खर्च के बावजूद गंगा की स्वच्छता के गंभीर प्रयास के बजाय महज घाट निर्माण किया जा रहा है।