दुर्भावना ही नाश का कारण है :पण्डित ब्रजपाल शुक्ल
सागर।ढाना,( सागर )ग्राम में दीपक तिवारी के निवास पर चल रही राम कथा के पंचम दिवस कथा व्यास आचार्य ब्रजपाल शुक्ल ने व्यास पीठ से कहा।उन्होंने कहा किमहाराज जनक के धनुष यज्ञ में आये हुए सभी प्रकार की बुद्धि के राजा विदयमान थे। सीता से विवाह की कामना सभी राजाओं के मन मे थी लेकिन सीता को देखकर कुछ राजाओं के मन मे भावना ही बदल गयी और वे सीता को अपनी माता के रूप में देखने लगे। जो राजा सीता को काम भावना से देख रहे थे , युद्ध करके भी छुड़ाने की बात कर रहे थे उनके लिए सद्बुद्धि सम्पन्न राजाओं ने कहा
सिख हमारी सुनि परम् पुनीता।
जगदम्बा जानहु जिय सीता।।
हे! राजाओ सीताजी को देख करके हमारा मन विशुद्ध हो गया है जिससे हम विवाह करने के लिए आये थे वास्तव में वह जगत जननी जगदम्बा है। हम लोग अपनी माता के ही प्रति विवाह की कामना करने लगे हैं।
श्री शुक्ल ने बताया कि श्रीराम जगत पिता हैं और सीता जगत जननी हैं। मनुष्य के कुबुद्धि होती है तब उसकी दुर्भावना ही उसके नाश का कारण बनती है।सीता और राम को आज नेत्र भर करके देख लो यह अपने माता पिता हैं। धनुष यदि बल के कारण टूट भी गया तो भी सीता के साथ विवाह करने योग्य नही हैं क्योंकि संसार के किसी मनुष्य के लिए अपनी माँ भोग्य योग्य नही हो सकती।रामजी को रंगमंच में देखकर जैसे सभी की अपनी अपनी भावना के अनुसार दर्शन हो रहे थे उसी प्रकार रंगमंच में आई हुई सीता को देखकर सभी के अंदर भावना के अनुसार भाव जग रहे थे।सद्बुद्धि सम्पन्न राजाओ ने कहा कि सीता और राम दुष्ट भोगी मनुष्यो के काल के समान हैं और यही सीता राम सद्भावना सम्पन्न मनुष्य के लिए माता पिता हैं।
जो मनुष्य इनको माता पिता के रूप में देखता है तो सीता राम उनको पुत्र के रूप में देखते हैं उनका पालन पोषण करते हैं उनकी दुःखो से रक्षा करते हैं उनकी दुःखो से रक्षा करते है लेकिन दुष्टो के लिए वे दोनों साक्षात काल ही हैं।
सीताजी के रूप को देख करके मोह काम जिनके हृदय में उतपन्न होता है उनका नाश निश्चित ही है।जगदम्बिका रूप गुण खानी
जगतजननी सीता जी के सौंदर्य का वर्णन करना भी हम लोगो के लिए एक बड़ा दोष है। माता की सुंदरता पुत्र के गौरव का साधन है न कि भोग्य का साधन है इसलिए हे राजाओ सीताजी को जगदम्बा मानकर अपने जीवन को सफल कर लो क्योकि जिनसे यह शरीर उतपन्न होता है उन माताओं की भी यह माता है।
उन्होंने कहा कि स्त्री और पुरुष दोनों का उतपन्न करने वाली जगतजननी जानकी है हम सब उनके पुत्र हैं और यह दोनों भावना बदल जाती हैं तो आनन्द और दुःख दोनो प्राप्त होते हैं। सद्भावना का परिणाम है सुख और दुर्भावना का परिणाम दुःख है।
परिवहन मंत्री ,पूर्व गृहमन्त्री,पत्रकार ब्रजेश राजपूत और मनोज शर्मा हुए कथा में शामिल
आज की कथा में कैबिनेट मंत्री गोविंद राजपूत,खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह, वरिष्ट पत्रकार ब्रजेश राजपूत,मनोज शर्मा, रविन्द्र व्यास, पुष्पेंद्र पल सिंह,संतोष पांडेय, देवी प्रसाद दुबे, ऐस के मिश्रा, आशीष पटेरिया, सरस जैन ,डॉ एन पी शर्मा, अनिल तिवारी, सुकदेव मिश्रा ,प्रमोद नायक ,अजय दुबे , कैलाश देवलिया, डॉ सौरव पुरोहित, नीरज पांडे, राजीव हजारी , रजनीश जैन, शैलेंद्र ठाकुर,अभिषेक यादव,पंकज सोनी, आशीष दिवेदी, आदि ने कथा का श्रवण किया व आचार्य जी से आशीर्वाद ग्रहण किया।