श्री रामकथा भगवान शिव-पार्वती का संवाद है:आचार्य पंडित बृजपाल शुक्ल,
रामकथा में पहुचे विधानसभा अध्यक्ष
सागर। आचार्य पंडित बृजपाल जी शुक्ल का कहना है कि सम्पूर्ण श्री राम कथा शिव पार्वती का संवाद ही है। शिवजी इस के वक्ता हैं और पार्वती जी इसकी श्रोता हैं। आचार्य शुक्ल ने ग्राम ढाना आयोजित सात दिवसीय श्री रामकथा के प्रथम दिन में यह बात कही। इसके आयोजक माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्विद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी है। प्रथम दिन विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति सहित अनेक श्रद्धालुयों ने कथा का श्रवण किया।
आचार्य शुक्ल ने बताया कि एक दिन शांत मन से विराजमान शिवजी से पार्वती जी ने प्रश्न किया ।प्रथम सो कारण कहहु बिचारी।
निर्गुण ब्रह्म सगुण वपुधारी ।।
पार्वती जी ने कहा कि हे! नाथ निर्गुण ब्रह्म सगुण स्वरूप को धारण कैसे करते हैं?
यदि निर्गुण ब्रह्म सगुण होते हैं तो क्या सगुण होते हुए भी वे निर्गुण ही होते है?
बस यह प्रथम प्रश्न ही सम्पूर्ण राम चरित मानस का मूल है।
उन्होंने कहा कि प्रकृति के सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण इन तीनो गुणों से 84 लाख योनियो की सृष्टि होती है।इन तीनो गुणों के प्रभाव के कारण सभी जीव सगुण कहलाते हैं।
काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, ईर्ष्या इत्यादि सगुण शरीर मे होते ही हैं।यदि भगवान भी सगुण होंगे तो उनमें भी काम, क्रोध, लोभ, मोह इत्यादि दोष होंगे।जो इन दोषों से रहित होता है उसे निर्गुण कहते हैं।निर्गुण स्वरूप ही भगवान का यथार्थ स्वरूप है।इसलिए भगवान में कर्म का बंधन नही होगा।भगवान में सांसारिक दुख-सुख स्वरूप आदि नही होते।
किन्तु सगुणरूप धारी भगवान में यह दोष दिखाई देते हैं।
इसी प्रश्न का उत्तर देते हुए शंकरजी ने पार्वती जी को भगवान के निर्गुण स्वरूप तथा सगुण स्वरूप का वर्णन करके राम चरित मानस की रचना कर डाली।शंकर जी के मन मे राम चरित का निवास होने से उसको राम चरित मानस कहते हैं।
ये रहे कथा में शामिल
* ग्राम ढाना में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्विद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी के निवास पर आज से शुरू हुई राम कथा के प्रथम दिवस मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति पहुचे। कथा श्रवण के लिए कमिश्नर आनंद शर्मा , आईजी सतीश सक्सेना, विधायक शैलेंद्र जैन , नगर निगम कमिश्नर, आरपी अहिरवार, सिटी मजिस्ट्रेट पवन बारिया, सनार्ट सिटी सीईओ राहुल सिंह ,कांग्रेस सहर अध्यक्ष रेखा चौधरी, श्याम तिवारी, संदीप सबलोक आदि भी कथा श्रवण करने पहुँचे और आचार्य बृजपाल शुक्ल से आशीर्वाद भी लिया