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केंद्रीय नितिन गडकरी ने किया सम्मानशिक्षा में क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए क्षेत्र डाॅ.अनिल तिवारी को

केंद्रीय नितिन गडकरी ने किया सम्मानशिक्षा में क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए क्षेत्र  डाॅ.अनिल तिवारी को
नई दिल्ली। भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग, जहाजरानी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन  गडकरी जी ने सागर के वरिष्ठ समाजसेव डॉ अनिल तिवारी को उत्कृष्ट षिक्षा, समर्पित समाजसेवा के कार्याें को एवं स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय द्वारा षिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्षन को देखते हुए एमएसएमई इनक्लेव-2019 से सम्मानित किया।
वर्ष 2011 में डाॅ.अनिल तिवारी ने बुंदेलखण्ड में अच्छी षिक्षा की आवष्यकता को देखते हुए स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय की स्थापना की इस विष्वविद्यालय में मूल्य आधारित षिक्षा को बढ़ावा देने के लिये सभी पाठ्यक्रमांें में अनिवार्य विषय के तौर पर नैतिक षिक्षा मूल्य आधारित षिक्षा को शामिल किया गया यह देष भर का एकमात्र ऐसा विष्वविद्यालय बना जिसमें मूल्य आधारित षिक्षा पाठ्यक्रम का हिस्सा है और इस हेतु उनको देषभर में कई संस्थानों ने सम्मानित किया।
डाॅ.अनिल तिवारी को पूर्व में भी कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरूस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। गौरतलब है कि अनिल तिवारी जी सागर में कई प्रकार के सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे है उनके द्वारा ज्ञान चेतना यात्रा का आयोजन किया गया था जिसमें लगभग 8000 किलोमीटर की यात्रा जन जागरण हेतु की गई थी ज्ञान चेतना यात्रा में विभिन्न सामाजिक मुद्दों को लिया गया था जिनमें नषा मुक्ति स्वच्छता आपदा प्रबंधन, युवा रोजगार आदि प्रमुख विषय थे और उनको लेकर गांव-गांव में रथयात्रा निकाली के माध्यम से जनजागृति का अभियान को राजनीतिक सामाजिक तथा अन्य लोगों ने बहुत सराहा था अनिल तिवारी एक मध्यम परिवार से संबंध रखते हैं। स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय द्वारा नगर व ग्रामों के युवाओं में कई ऐसे टैलेंट भी हैं, जो हैं तो कारगर किन्तु किसी वजह से लोगों तक नहीं पहुँच पा रहे और लोग उसका लाभ नहीं उठा पा रहे. ऐसे स्किल को लोगों के बीच लाने का प्रयास निरंतर किया जा रहा है व उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने का निरंतर प्रयास विष्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है विष्वविद्यालय के स्किल डेव्हलपमेंट प्रोग्रामों में प्रशिक्षण के बाद युवाओं को विभिन्न सरकारी योजनाएँ जैसे मेक इन इंडिया योजना, डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट, स्वच्छ भारत अभियान से जोड़ने व उनके प्रति जागरूक करना तथा ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर षिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना व भारत सरकार द्वारा स्वरोजगार हेतु स्किल डेव्लपमेंट प्रोग्राम जैसे कम्प्यूटर षिक्षा, सिलाई, कढ़ाई, फेषन डिजाइनिंग इत्यादि स्किल डेव्हलपमेंट प्रोग्रामों का संचालन विष्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है। जिनमें प्रवेष लेकर युवा अपना उज्जवल भविष्य बनाते आ रहे हैं, विष्वविद्यालय द्वारा समय-समय पर अंतर्राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय कम्पनीयों के कैम्पसों का निरंतर आयोजन भी किया जाता है। जिसमें छात्र-छात्राओं व सागर नगर के युवाओं को भी रोजगार प्राप्त होता है। शामिल षिक्षा के क्षेत्र में इन्ही योगदानों को देखते हुये यह अवार्ड दिया गया। 
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सत्य और तथ्य से नफरत है भाजपा नेताओं को - भूपेंद्र गुप्ता

सत्य और तथ्य से नफरत है भाजपा नेताओं को - भूपेंद्र गुप्ता

भोपाल । भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि भाजपा नेताओं को तथ्य और सत्य से परहेज़ है। इसलिए वे हमेशा जनता को गुमराह करने वाली बातें दोहराते रहते हैं । मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने जारी बयान में कहा कि यदि राकेश सिंह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछते तो उनको पता चलता है कि पिछले 13 सालों में शिवराज सरकार ने एक भी शासकीय गौशाला का निर्माण नहीं किया। इस तथ्य के ध्यान में आते ही कमलनाथ सरकार ने गौशाला निर्माण का प्रोजेक्ट हाथ में लिया। कांग्रेस सरकार ने गौ सेवा आयोग बनाया था । भाजपा सिर्फ बातें और भाषण देने वाली पार्टी है।
उन्होंने कहा कि जब बेसहारा पशुओं और गौ माता के लिए कमलनाथ सरकार ने पहल की तो इसमें भाजपा को राकेश सिंह को कौन सी आपत्ति है। राकेश सिंह हिम्मत कर बताएं कि क्या ऐसी पहल को सरकार को बंद कर देना चाहिए? उनको तो खुश होना चाहिए और इस काम में सहयोग करना चाहिए ।
राकेश सिंह को शिवराज सिंह से यह भी पूछना चाहिए कि बजट के अभाव में सुसनेर में हजारों गौ माताओं ने दम कैसे तोड़ दिया था? क्या राकेश सिंह विदेश में रहते हैं जो उन्हें यह सब नही मालूम?
भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि शिवराज सिंह से राकेश सिंह  पूछ कर बताएं कि उन्होंने कर्जे में दबे किसानों का कर्जा माफ क्यों नहीं किया था। उन पर एके-47 से गोलियां क्यों चलाई थीं ? किसानों की फसल बीमा के 10000 करोड़ से ज्यादा रुपयों को अपनी जेब में डालने वाली बीमा कंपनी का हिसाब क्यों नहीं लिया ? जब कमलनाथ सरकार इन मुद्दों पर काम करना शुरू कर रही है तो उन्हें तकलीफ क्यों हो रही है ? 
राकेश सिंह ने अपने बयान से यह साबित कर दिया है कि वह शिवराज सिंह सरकार के कार्यकाल में सोते रहे इसलिए उन्हें इन मुद्दों का कोई ज्ञान नहीं है । हारने के बाद ही उनकी नींद खुली है। यदि राकेश सिंह में साहस है तो वे प्रधानमंत्री मोदी जी से गुहार लगाएं कि जो काम शिवराज सिंह सरकार ने नहीं किया उसे कमलनाथ सरकार पूरा कर रही है तो इसके लिए केंद्र सरकार मदद करे। कांग्रेस सत्ता में रहे या विरोधी पार्टी के रूप में रहे भाजपा का एक ही काम बचा है सिर्फ कांग्रेस की आलोचना करना। 
भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि बंटाधार युग में लौटने की बात कहकर राकेश सिंह ने यह साबित कर दिया है कि पिछले 13 सालों में शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश में बंटाधार किया है। कोई ठोस काम नहीं किया । झूठे आंकड़ों को प्रचारित किया। अब कमलनाथ सरकार मध्य प्रदेश का असली विकास कर रही है तो भाजपा के नेताओं को इसमें परेशानी क्यों हो रही है । यदि भाजपा सरकार ने मध्यप्रदेश को स्वर्णिम युग में ला दिया था तो फिर लोगों ने उन्हें क्यों हरा दिया? सच्चाई यह है कि शिवराज सरकार माफियाओं को संरक्षण देती रही। आज जो माफिया हैं वे उन्ही के राज में पनपे थे। यदि राकेश सिंह गलत बयानी करने से पहले शिवराज सिंह चौहान से मिल लेते तो उनकी बोलती बंद हो जाती।
 राकेश सिंह पूछे शिवराज जी  से गौ शाला क्यों नही बनाई, किसानों पर गोली क्यों चलाई, कर्ज़ माफ क्यों नही किया?
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जब सांस में धड़कती हैं किताबें @राजेश बादल

जब सांस में धड़कती हैं किताबें 
@राजेश बादल
सीने में जलन आंखों में तूफ़ान सा क्यों है/इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यों है/
उत्तर साफ़ है कि हमने अपनी ज़िंदगी से पढ़ने की आदत समाप्त कर दी है । सांसों के बिना देह का मतलब क्या है ? ज़िंदा लाश को उठाए फिरते हैं बेजान । न बड़ी गाड़ी सुकून देती है न मौटी वेतन न बड़ा मकान आलीशान । न दीवार के बराबर टीवी और न बड़ी जान पहचान । किसी ने गहराई से नहीं सोचा कि हम क्यों हैं परेशान ? 
तीन भूख़ हैं ज़िन्दगी में । पेट की भूख , देह की भूख और दिमाग़ की भूख। पहली दोनों भूख का आपको अहसास होता है,लेकिन तीसरी छिपी हुई है । उसका पता ही नहीं चलता ।वह साइलेंट किलर की तरह इंसान को मार डालती है । यह मेरी अब तक की ज़िन्दगी का निचोड़ है । तीस - पैंतीस बरस से कमोबेश हर सप्ताह एक किताब पढ़ने की आदत ने अंदर की बहुत सी ताक़त और संवेदना को बचाकर रखा है । यही सबसे बड़ी पूंजी है । इसे आपसे कोई लूट नहीं सकता । किताबों से जो आनंद मिलता है,अब सोचता हूं कि आप तक बीच बीच में पहुंचाऊं ।शायद यह और भी सुख देने वाली क्रिया होगी।
पत्रकारिता में अधिक गहराई से लेखन करने का अवसर  कम मिलता है लेकिन पत्रकार साथी और मेरे लिए छोटे भाई जैसे ब्रजेश राजपूत ने इस मिथक को तोड़ा है । उनकी तीसरी किताब चुनाव है बदलाव का - बाज़ार में आ चुकी है । इससे पहले उनकी दो पुस्तकों को पाठकों ने हाथों हाथ लिया है ।कल इस पुस्तक का विमोचन भोपाल में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किया । इस आयोजन में बृजेश के जलेबी नुमा सवाल का गोल रोटी जैसा उत्तर मुख्यमंत्री ने दिया । बकौल बृजेश , मैंने उनसे पूछा कि आपने चार सीटों में से कैसे यह गणित लगाया कि दो जीत रहे हैं और दो हार रहे हैं । कमलनाथ ने साफ तौर पर स्वीकार किया कि प्रचार अभियान में ही पता लग जाता है कि जीत होगी या हार । दो तरह की भीड़ सभाओं में होती है । वह या तो लाई होती है या स्वतः आई होती है ।बस लाई और आई से पता लग जाता है । बहरहाल इस किताब पर विस्तृत टिप्पणी किताब पढ़ने के बाद । 
अभी तो बता दूं कि इन दिनों  उपहार में  प्राप्त या खरीदी गई किताबों में से एक खुशवंत सिंह की आत्मकथा सच,प्यार और थोड़ी सी शरारत दूसरी बार पढ़ रहा हूं ।इससे पहले मित्र प्रमोद भार्गव का ग्रंथ दशावतार पढ़ा । अगली पुस्तक भाई पंकज सुवीर की  है - जिन्हें जुर्मो इश्क़ पे नाज़ था । सुनील खिलनानी की किताब अवतरण इसके बाद । अवतरण में भारत की 50 विभूतियों के बारे में गहराई से विवेचन है । इसके बाद देवानंद की आत्मकथा रोमांसिंग विथ लाइफ कतार में है । उसके बाद उर्दू  शायरी और शायरों पर प्रकाश पंडित की तरह ही बड़ा काम नए सिरे से हुआ है । ज़ौक ,इक़बाल,मोमिन, दाग़, मीर, जफर और ग़ालिब पर मंजुल प्रकाशन ने एक लंबी श्रृंखला शुरू की है । यह शानदार है । दिखने में अच्छी लगती है । बाकी पढ़ने के बाद लिखूंगा । इन्हीं पुस्तकों के कवर आप देख सकते हैं।
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मिर्ची की पैदावार से कमाते है 5 लाख रुपये से अधिक ,एक एकड़ में, किसान लक्ष्मी नारायण

मिर्ची की  पैदावार से कमाते है 5 लाख रुपये से अधिक ,एक एकड़ में, किसान लक्ष्मी नारायण
सागर ।सागर जिले  रहली तहसील के ग्राम चनौआ के प्रगतिषील कृषक श्री लक्ष्मीषंकर कुर्मी मल्चिंग पद्धति से मिर्च का भरपूर उत्पादन ले रहे है। उन्होंने पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप लगाया हुआ है। ड्रिप के जरिए ही पौधों में आवष्यकतानुसार पानी और उर्वरक देते है। वे हरि मिर्च का अच्छा उत्पादन ले रहे है। 47 वर्षीय श्री लक्ष्मीषंकर कक्षा आठवीं तक षिक्षित है। वे सब्जी फसलों के अच्छे जानकार है। उनको सब्जी फसलों का अच्छा उत्पादन लेता देखकर आसपास के कृषक उनसे सलाह लेने आते है। वे बागवानी फसलों की किसानों को अच्छी तरह बारीकियां समझाते है।
श्री लक्ष्मीषंकर बताते है कि एक एकड़ में मिर्च के साढ़े आठ हजार पौधे लगते है। पौधे से पौधे की दूरी लगभग सवा फीट और कतार से कतार की दूरी लगभग 5 फीट रखना होती है। उन्होंने बताया एक एकड़ मंे लगभग एक से सवा लाख रूपये की लागत आ जाती है। किसान तकनीक, मेहनत और जागरूकता अपनाकर एक एकड़ में मिर्च की फसल से 5 से 7 लाख रूपये की आय प्राप्त कर सकता है। उसे अच्छी किस्म का बीज उपयोग में लेना होगा और वैज्ञानिक पद्धति को अपनाना होगा।  

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सागर जिले में धारा 144 लागू। जिला दंडाधिकारी/ कलेक्टर प्रीति मैथिल ने दिये आदेश

सागर जिले में धारा 144 लागू। जिला दंडाधिकारी/ कलेक्टर प्रीति मैथिल ने दिये आदेश
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सीएम कमलनाथ ने किया पत्रकार ब्रजेश राजपूत की किताब"चुनाव है बदलाव का " का विमोचन

सीएम कमलनाथ ने किया पत्रकार ब्रजेश राजपूत की किताब"चुनाव है बदलाव का "  का विमोचन
भोपाल।मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि प्रदेश की प्रगति और जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शासन-प्रशासन की सोच सकारात्मक हो यह जरूरी है। उन्होंने कहा ‍कि मुख्यमंत्री बनने के बाद तंत्र में सुधार के लिए मैंने ना कहने की मानसिकता को बदलकर हाँ कहने की मानसिकता बने यह प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मैं मध्यप्रदेश की एक ऐसी प्रोफाइल तैयार कर रहा हूँ जिससे प्रदेश की पहचान ना केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में बने। श्री नाथ आज एक निजी होटल में पत्रकार श्री बृजेश राजपूत द्वारा लिखित "चुनाव है बदलाव का" पुस्तक का विमोचन कर रहे थे। इस मौके पर जनसंपर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा भी उपस्थित थे। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी काम के लिए ना कहना सबसे आसान होता है क्योंकि हाँ कहने पर आपको करके दिखाना होता है परिणाम देने पड़ते है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि मैं तंत्र में इस मानसिकता में कैसे बदलाव करूँ। श्री नाथ ने कहा कि इस दिशा में मेरे प्रयास निरंतर है उन्होंने कहा कि राजनीतिक बदलाव से परिवर्तन नहीं आता हमें यह भी देखना होता है जो मशीनरी, डिलीवरी सिस्टम में काम कर रही है। उसके काम करने के तरीके में क्या परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में परिवर्तन आया है जिन लोगों के हित में हम काम कर रहे है उनकी अपेक्षाएँ बढ़ी ऐसी स्थिति में जरूरी है कि हमारे तंत्र के कार्य करने के तरीकों में भी बदलाव आए। जिससे हमें बेहतर परिणाम मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 साल बाद जो राजनीतिक बदलाव मध्यप्रदेश में हुआ है उसे में मतदाता के नजरिए से देखता हूँ कि उन्होंने यह परिवर्तन क्यों चाहा। हमारे सामने चुनौती है कि मतदाताओं के परिवर्तन की भावनाओं को समझे और उसके अनुसार काम करें। प्रदेश में आर्थिक समृद्धि आए लोगों का जीवन खुशहाल हो, युवाओं को रोजगार मिले इसके लिए जरूरी है कृषि के क्षेत्र में क्रांति आए। जब तक कृषि क्षेत्र को मजबूत नहीं करेंगे, तब तक अर्थव्यवस्था को मजबूत नहीं बनाया जा सकता क्योंकि प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ना जरूरी है क्योंकि इससे ही रोजगार के अवसर पैदा होते है और बुनियादी अर्थव्यवस्था का निर्माण होता है।  श्री नाथ ने कहा कि अधिक उत्पादन के बाद उसका बेहतर तरीके से कैसे उपयोग हो यह भी हमारे सामने चुनौती है। हमारी खरीदी की जो व्यवस्था है वह उस समय की है जब कम उत्पादन होता था। उस व्यवस्था में भी हमें बदलाव लाना होगा ताकि किसानों अपनी उपज को आसानी से बेच सके और उन्हें सही दाम मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीतियाँ भी हमारी सरल होना चाहिए। उस नीति का कोई मायना नहीं जो हमारे विकास को अवरुद्ध करें। उन्होंने निवेश के लिए विश्वास का वातावरण बनाने का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने अपनी नीतियों में परिवर्तन किया जिससे कई क्षेत्रों में न केवल हमारे देश का बल्कि विदेशी निवेश भी आया। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि बदलाव के बाद हमारे सामने एक और चुनौती थी वित्तीय संकट की। पूर्ववर्ती सरकार ने कई ऐसी योजनाओं की घोषणा कर दी लेकिन उसका कोई बजट प्रावधान नहीं था। खाली खजाने के साथ-साथ इन योजनाओं का भी वित्तीय भार वहन करना पड़ रहा है। अतिवृष्टि के कारण 8 हजार करोड़ रुपए का नुकसान किसानों और अधोसंरचना को पहुँचा है। इन विपरीत परिस्थितियों में भी  प्रबंधन के साथ हम काम कर रहे है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि बदलाव समाचार माध्यमों के क्षेत्र में भी आया है। प्रिंट मीडिया के बाद इलेक्ट्रानिक मीडिया और अब गुगल और इंटरनेट ने कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में एक नई क्रांति कर दी है। इसमें हमारे समाचार माध्यमों से जुड़े सभी लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह अपने प्रोफेशन के सम्मान को कैसे कायम रखे। उन्होंने कहा कि मीडिया जगत अगर गलत दिशा में जाता है तो उससे देश का नुकसान होता है। 
 प्रारंभ में वरिष्ठ पत्रकार श्री रशीद किदवई ने लेखक श्री बृजेश राजपूत और उनकी पुस्तक के बारे में जानकारी दी। लेखक श्री बृजेश राजपूत ने पुस्तक लेखन की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार श्री मनोज शर्मा ने किया।
 इस मौके पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी, राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त श्री राहूल सिंह एवं श्री विजय मनोहर तिवारी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरुण यादव ,मंजुल पब्लिकेशन के एमडी विकास रखेजा,एवं बड़ी संख्या में पत्रकार, वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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सीएम कमलनाथ ने किया पत्रकार ब्रजेश राजपूत की किताब"चिनाव है बदलाव"का विमोचन

सीएम कमलनाथ ने किया पत्रकार ब्रजेश राजपूत की किताब"चिनाव है बदलाव"का विमोचन

भोपाल।मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि प्रदेश की प्रगति और जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शासन-प्रशासन की सोच सकारात्मक हो यह जरूरी है। उन्होंने कहा ‍कि मुख्यमंत्री बनने के बाद तंत्र में सुधार के लिए मैंने ना कहने की मानसिकता को बदलकर हाँ कहने की मानसिकता बने यह प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मैं मध्यप्रदेश की एक ऐसी प्रोफाइल तैयार कर रहा हूँ जिससे प्रदेश की पहचान ना केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में बने। श्री नाथ आज एक निजी होटल में पत्रकार श्री बृजेश राजपूत द्वारा लिखित "चुनाव है बदलाव का" पुस्तक का विमोचन कर रहे थे। इस मौके पर जनसंपर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा भी उपस्थित थे। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी काम के लिए ना कहना सबसे आसान होता है क्योंकि हाँ कहने पर आपको करके दिखाना होता है परिणाम देने पड़ते है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि मैं तंत्र में इस मानसिकता में कैसे बदलाव करूँ। श्री नाथ ने कहा कि इस दिशा में मेरे प्रयास निरंतर है उन्होंने कहा कि राजनीतिक बदलाव से परिवर्तन नहीं आता हमें यह भी देखना होता है जो मशीनरी, डिलीवरी सिस्टम में काम कर रही है। उसके काम करने के तरीके में क्या परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में परिवर्तन आया है जिन लोगों के हित में हम काम कर रहे है उनकी अपेक्षाएँ बढ़ी ऐसी स्थिति में जरूरी है कि हमारे तंत्र के कार्य करने के तरीकों में भी बदलाव आए। जिससे हमें बेहतर परिणाम मिल सके।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 साल बाद जो राजनीतिक बदलाव मध्यप्रदेश में हुआ है उसे में मतदाता के नजरिए से देखता हूँ कि उन्होंने यह परिवर्तन क्यों चाहा। हमारे सामने चुनौती है कि मतदाताओं के परिवर्तन की भावनाओं को समझे और उसके अनुसार काम करें। प्रदेश में आर्थिक समृद्धि आए लोगों का जीवन खुशहाल हो, युवाओं को रोजगार मिले इसके लिए जरूरी है कृषि के क्षेत्र में क्रांति आए। जब तक कृषि क्षेत्र को मजबूत नहीं करेंगे, तब तक अर्थव्यवस्था को मजबूत नहीं बनाया जा सकता क्योंकि प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ना जरूरी है क्योंकि इससे ही रोजगार के अवसर पैदा होते है और बुनियादी अर्थव्यवस्था का निर्माण होता है।  श्री नाथ ने कहा कि अधिक उत्पादन के बाद उसका बेहतर तरीके से कैसे उपयोग हो यह भी हमारे सामने चुनौती है। हमारी खरीदी की जो व्यवस्था है वह उस समय की है जब कम उत्पादन होता था। उस व्यवस्था में भी हमें बदलाव लाना होगा ताकि किसानों अपनी उपज को आसानी से बेच सके और उन्हें सही दाम मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीतियाँ भी हमारी सरल होना चाहिए। उस नीति का कोई मायना नहीं जो हमारे विकास को अवरुद्ध करें। उन्होंने निवेश के लिए विश्वास का वातावरण बनाने का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने अपनी नीतियों में परिवर्तन किया जिससे कई क्षेत्रों में न केवल हमारे देश का बल्कि विदेशी निवेश भी आया। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि बदलाव के बाद हमारे सामने एक और चुनौती थी वित्तीय संकट की। पूर्ववर्ती सरकार ने कई ऐसी योजनाओं की घोषणा कर दी लेकिन उसका कोई बजट प्रावधान नहीं था। खाली खजाने के साथ-साथ इन योजनाओं का भी वित्तीय भार वहन करना पड़ रहा है। अतिवृष्टि के कारण 8 हजार करोड़ रुपए का नुकसान किसानों और अधोसंरचना को पहुँचा है। इन विपरीत परिस्थितियों में भी  प्रबंधन के साथ हम काम कर रहे है। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि बदलाव समाचार माध्यमों के क्षेत्र में भी आया है। प्रिंट मीडिया के बाद इलेक्ट्रानिक मीडिया और अब गुगल और इंटरनेट ने कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में एक नई क्रांति कर दी है। इसमें हमारे समाचार माध्यमों से जुड़े सभी लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह अपने प्रोफेशन के सम्मान को कैसे कायम रखे। उन्होंने कहा कि मीडिया जगत अगर गलत दिशा में जाता है तो उससे देश का नुकसान होता है। 
 प्रारंभ में वरिष्ठ पत्रकार श्री रशीद किदवई ने लेखक श्री बृजेश राजपूत और उनकी पुस्तक के बारे में जानकारी दी। लेखक श्री बृजेश राजपूत ने पुस्तक लेखन की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार श्री मनोज शर्मा ने किया।
 इस मौके पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी, राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त श्री राहूल सिंह एवं श्री विजय मनोहर तिवारी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरुण यादव एवं बड़ी संख्या में पत्रकार, वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा को 6 महीने की जेल ,25 हजार के मुचलके पर मिली जमानत

पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा को 6 महीने की जेल ,25 हजार के मुचलके पर मिली जमानत 
भोपाल।शिवराज सरकार में  पर्यटन मंत्री रहे और विधायक सुरेंद्र पटवा को चेक बाउंस मामले में जेल की सजा सुनायी गयी है। हालांकि फिलहाल उन्हें 25-25 हजार के निजी मुचलके पर जमानत मिल गयी है। लेकिन उनकी मुश्किलें बरकरार है। एमपी एमएलए की कोर्ट ने आज सजा सुनाई।
पूर्व पर्यटन मंत्री और भोजपुर विधानसभा से भाजपा विधायक सुरेन्द्र पटवा को चेक बाउंस के दो मामलों में एमपी-एमएलए के लिए गठित अदालत ने छह-छह महीने की सजा समेत चेक राशि का डेढ़ गुना बतौर क्षतिपूर्ति के तौर पर चुकाने की सजा सुनाई है। यह सजा विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र सिंह की अदालत  ने सुनाई ।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता बंसत सितोले ने बताया कि साल 2017 में तत्कालीन मंत्री और वर्तमान विधायक सुरेन्द्र पटवा ने इंदौर निवासी प्रकाश सहसित्तल से 12 लाख स्र्पए और उनकी पत्नी मीनाक्षी सहसित्तल से 8 लाख स्र्पए उधार लिए थे। इसके बदले उन्होंने दोनों को चेक दिए थे। यह चेक जब दंपती ने खाते में डाले तो वे बाउंस हो गए। कई बार मांगने पर भी जब पटवा ने राशि नहीं लौटाई तो दंपती ने कोर्ट में केस कर दिया था। इसके बाद कोर्ट ने पटवा को सजा सुनाते हुए मूल रकम का डेढ़ गुना क्षतिपूर्ति की राशि देने के लिए कहा है।



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