एमपी में शराब /बार दुकान खुलने,बन्द होने ,शराब परोसने आदि का टाईमटेबिल हुआ निर्धारित

एमपी में शराब /बार दुकान खुलने,बन्द होने ,शराब परोसने आदि का टाईमटेबिल हुआ निर्धारित

आबकारी विभाग ने एमपी में शराब दुकानों के खुलने,इसकी बिक्री,शराब परोसने से लेकर बीयर वार, होटल ,रिसोर्ट और क्लब आदि में शराब परोसने का समय तय कर दिया है । आबकारी आयुक्त राजेश बहुगुणा  ने इसके आदेश जारी किए हैं। इसका उल्लंघन करने वालो के खिलाफ़ कार्यवाही होंगी।
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गर्ल्स डिग्री कालेज में छात्राओं को विकास शुल्क एक हजार नही लगेगा,कलेक्टर ने प्रस्ताव नामंजूर किया

गर्ल्स डिग्री कालेज में छात्राओं को विकास शुल्क एक हजार नही लगेगा,कलेक्टर ने प्रस्ताव नामंजूर किया
सागर । कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक की अध्यक्षता में संपन्न हुई। शासकीय स्वषासी कन्या स्नातकोत्तर उत्कृष्ट महाविद्यालय सागर की जनभागीदारी समिति की बैठक में छात्राआंे के हित में अनेक निर्णय लिए गए। कलेक्टर ने छात्राओं से विकास शुल्क 500 रूपये से बढ़ाकर 1000 रूपये करने के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया। उन्होंने कहा कि इसकी कोई आवष्यकता नहीं है।
स्ववित्तीय पाठ्यक्रमों की पुस्तकों के क्रय करने के लिए 8 लाख रूपये की, परम्परागत पाठ्यक्रमों के प्रायोगिक कार्य के लिए 2 लाख 65 हजार रूपये की, स्ववित्तीय पाठ्यक्रम में प्रायोगिक उपकरण के लिए 2 लाख 60 हजार, प्रायोगिक कार्य के लिए एक लाख 40 हजार रूपये स्वीकृत किए गए। वाणिज्य विभाग में छात्राआंे की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए एक अतिथि विद्वान रखे जाने की जाने की स्वीकृति दी गई। कलेक्टर ने कहा कि पूरी पारदर्षिता के साथ अतिथि विद्वान रखंे। प्रायोगिक कार्य हेतु विभाग को रसायन विभाग में विगत वर्षाें की भांति 3 लाख रूपये स्वीकृत किए गए। इसी प्रकार संदर्भ पुस्तकों के लिए 3 लाख रूपये स्वीकृत किए गए। कलेक्टर ने महाविद्यालय में टायलेट निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग से प्राकलन बनवाने के लिए कहा और 10 लाख रूपये स्वीकृति दी।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डा. इला तिवारी, सागर सासंद प्रतिनिधि तान्या चुन्नी, विधायक प्रतिनिधि दीप्ती चंदेरिया उपस्थित थे।  कंप्यूटर लैब के कम्प्यूटर छात्राएं के उपयोग के लिए हो
 कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक ने शासकीय स्वषासी कन्या स्नातकोत्तर उत्कृष्ट महाविद्यालय सागर का भ्रमण किया। उन्होंने कम्प्यूटर लैब का निरीक्षण किया। कम्प्यूटर लैब में रखे कंप्यूटर बंद मिलने पर उन्होंने निर्देष दिए कि कंप्यूटरों को कार्यषील अवस्था में रखें। जिससे की छात्राएं उनका शैक्षणिक कार्यों के लिए उपयोग कर सकें। कलेक्टर ने महाविद्यालय की लायब्रेरी का निरीक्षण भी किया। उन्होंने लायब्रेरी में विभिन्न प्रतियोगिताओं से संबंधित पुस्तके और पत्रिकाएं अनिवार्य रूप से रखे जाने के निर्देष दिए। उन्होंने छात्राओं से चर्चा की और पूछा की कोई समस्या तो नहीं है। छात्राओं द्वारा प्रसाधन संबंधी समस्या बताने पर प्रसाधन कक्ष के लिए 10 लाख रूपये की स्वीकृति दी गई।     
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मादक पदार्थो की रोकथाम को लेकर पुलिस की एक दिनी कार्यशाला

मादक पदार्थो की रोकथाम को लेकर  पुलिस की एक दिनी कार्यशाला
सागर।  पुलिस कट्रोल रूम सागर में राष्ट्रीय सामाजिक रक्षासंस्थान एनआईएसडी और जवाहर लाल नेहरू पुलिस अकादमी के तत्वाधान में सागर पुलिस द्वारा मादक पदार्थों के दुर्व्यसन कीरोकथाम पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका शुभारम पुलिस महानिरीक्षक  सतीश सक्सेना एवं पुलिस अधीक्षक आमित साधी द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम में कई विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें डॉ0 नरेन्द्र शाक्य
डॉ० मनीष जैन (एमडी मेडीसिन एसोसिएट प्रोफेसर बीएमसी सागर),  अनुप दुबे एव अन्य
सदस्य (एल्कोहोलिक एनोनिमस सस्था भोपाल) श्रीमति दीपाली शर्मा मान० विशेष न्यायधीश
एनडीपीएस एव डॉ० राजीव जैनमनोचिकित्सक शामिल हुये। इसी के साथ कार्यक्रम मेंप्रशिक्षित पुलिस अधिकारी निरीक्षक  प्रशात सेन एवं उनि श्रीमति बबीता चौधरी द्वारा भीप्रशिक्षण दिया गया।
इस कार्यशाला में जिले में पदस्थ प्रो० उप पुलिस अधीक्षक, पीएसआई एवं अन्य पुलिस
अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे ।जिन्हें मादक पदार्थो के दुव्र्यसन की रोकथाम से संबंधित
विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया साथ ही इस विषय पर डीव्हीडी प्रदाय की गई।
डॉ० मनीष जैन द्वारा अंग्स एवं उनके प्रकार जैसे प्राकृतिक अर्ध कृत्रिम एव कृत्रिम ड्रग्स
एव उनके लक्षणों व दुव्र्यसन के बारे में विस्तार से बताया गया।श्रीमति दीपाली शर्मा विशेष न्यायधीश एनडीपीएस द्वारा एनडीपीएस की कार्यवाही पुलिस किस प्रकार सशक्त कर सकती है। एवं इस अधिनियम की मुख्य धाराओं
से अवगत कराया गया।
भोपाल की एल्कोहोलिक एनोनिमस सस्था द्वारा अपने अनुभव एव किस प्रकार नशीले
पदार्थों के सेवन से निजात पाया जाये एव किस प्रकार यह सस्था सहायता करती है बताया
गया।मनोचिकित्सक डॉ० राजीव जैन ने भी मादक पदार्थों के सेवन से ग्रसित व्यक्ति के
व्यवहार उसका सामाजिक आचरण एवं नग के उपयोग, अपराध व रोजगार के तुलनात्मक
अध्ययन पर प्रकाश डाला। थाना प्रभारी  प्रशांत सेन एवं उनि श्रीमति बबीता चौधरी द्वारा तनाव के कारण किस प्रकार तनाव से दूर रहा जाये के उपाय बताये।
एसपी अमित सांघी ने  मीडिया को बताया कि मादक पदार्थो के दुर्व्यसन की रोकथाम के लिए जिले के 60 पुलिस इंस्पेक्टर और अधिकारी गणों ने प्रशिक्षण लिया है । यह प्रशिक्षण अपने अपने क्षेत्रों में कार्य करने में कारगर साबित होगा। इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।
इस कार्यक्रम के समन्वयक अतिरिक्त  पलिस अधीक्षक  बीना  विजर्म सिंह एवं अति
पुलिस अधीक्षक सागर  राजेश व्यास रहे।
समापन पुलिस अधीक्षक सागर अमित साधी द्वारा किया गया । 
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केन्द्र ने पाँच मेडिकल कॉलेज में 803 पी.जी. सीट बढाने की मंजूरी दी,सागर में बढ़ेगी 85 सीट

केन्द्र ने  पाँच मेडिकल कॉलेज में 803 पी.जी. सीट बढाने की मंजूरी दी,सागर में बढ़ेगी 85 सीट
सागर ।केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तकनीकी मूल्यांकन समिति ने मध्यप्रदेश के पाँच शासकीय मेडिकल कॉलेज में स्नातकोत्तर (पी.जी.) पाठ्यक्रम में 803 सीट बढाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इन सीटों को बढाने पर 521 करोड़ 74 लाख 45 हजार रूपये खर्च होंगे। इस खर्च का 60 प्रतिशत केन्द्र सरकार और 40 प्रतिशत राज्य शासन द्वारा वहन किया जायेगा।
केन्द्र सरकार से मंजूरी से प्रदेश के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर में 85, श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा में 88, गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर में 91, महात्मा गाँधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज इंदौर में 169, बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज सागर में 85 और गाँधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में 285 सीटें बढेंगी।
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि सागर के शासकीय मेडिकल कॉलेज में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, फॉर्माकोलॉजी, रेडियो डायग्नोसिस की 2-2, कम्युनिटी मेडिसिन, ऑप्थलमोलॉजी की 3-3, पैथालॉजी की 9, माइक्रोबॉयोलॉजी, बॉयोकेमेस्ट्री, पीडियाट्रिक्स, ऑथोपेडिक्स, ईएनटी की 5-5, जनरल मेडिसिन और जनरल सर्जरी की 11-11, गॉयन्कोलॉजी की 8 और एनिस्थीसियोलॉजी की 7 सीट्स की वृद्धि की गई है। इन पर 92 करोड़ रुपये से अधिक राशि व्यय होगी।
जबलपुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज के लिये द्वितीय चरण में 17 पी.जी. पाठ्यक्रमों में सीट बढाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है।  इससे बॉयो केमिस्ट्री, माईक्रो बॉयोलॉजी, फॉरेन्सिक मेडिसिन, इमरजेंसी मेडिसिन और पल्मोनरी मेडिसिन (डीएम) की क्रमशरू पाँच, दो, तीन और दस सीट बढेंगी। इसी के साथ, द्वितीय चरण में पैथालॉजी, साइकियाट्रिक, रेडियो डायग्नोसिस में दो-दो, फॉर्माकोलॉजी में 6, ऑप्थलमोलॉजी में 4, ईएनटी में एक, जनरल मेडिसिन में 18, जनरल सर्जरी में 8, ऑर्थोपेडिक्स में 7, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में 5, रेस्पॉयरेटरी में 5 और न्यूरो सर्जरी में 3 सीट की वृद्धि होगी, जिसका अनुमानित व्यय लगभग 93 करोड़ रूपये है।
रीवा के शासकीय श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय में बॉयो-केमेस्ट्री और फॉरेंसिक मेडिसिन की 3-3, ओटोरिनोलेरिंगोलॉजी की 4, रेडियो डायग्नोसिस की 4 और डर्माटोलॉजी, वेनेरेलॉजी एण्ड लेप्रसी की 2 सीट की वृद्धि होगी। साथ ही, एनाटॉमी की 4, फिजियोलॉजी की 5, पैथालॉजी की 8, फार्माकोलॉजी की 3, कम्युनिटी मेडिसिन की 4, ऑप्थलमोलॉजी की 4, जनरल मेडिसिन की 8, जनरल सर्जरी की 6, ऑर्थोपेडिक्स की 7, गॉयन्कोलॉजी की 5, पीडियाट्रिक्स की 3, एनिस्थीसियोलॉजी की 14 और साइकियाट्री में एक सीट की वृद्धि होगी, जिस पर 77.17 करोड़ रूपये की राशि व्यय होगी।
ग्वालियर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में एनाटॉमी की 8, फिजियोलॉजी की 6, पैथालॉजी की 10, माइक्रो बॉयोलॉजी की 7, फार्माकोलॉजी की 8, कम्युनिटी मेडिसिन की 7, ऑथोपेडिक्स की 5, जनरल सर्जरी की 11, एनिस्थीसियोलॉजी की 4, गॉयन्कोलॉजी की 8, जनरल मेडिसिन की 10, रेडियो डॉयग्नोसिस की 4 और पीडियाट्रिक्स की 3 बढेंगी, जिस पर लगभग 60 करोड़ व्यय होंगे।
केन्द्र द्वारा मंजूर की गई सीटों में इंदौर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में 175 करोड़ 63 लाख से 169 पी.जी. सीट्स की वृद्धि होगी। इनमें एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, एनिस्थीसिया की 8-8, बॉयो केमेस्ट्री की 10, पैथालॉजी की 15, माइक्रोबॉयोलॉजी की 14, फारेंसिक मेडिसिन की 7, कम्युनिटी मेडिसिन की 14, डर्माटोलॉजी की एक, रेडियो डायग्नोसिस की 5, सर्जरी की 20 एनिस्थीसिया की 8, ऑर्थोपेडिक्स की 5, मेडिसिन की 21, साइक्रियाट्रि की 6, ऑब्सटेट्रिक्स एण्ड गॉयन्कोलॉजी की 10, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की 5 और ईएनटी की 4 सीट शामिल हैं।
भोपाल के गाँधी मेडिकल कॉलेज में लगभग 117 करोड़ से 285 पी.जी. सीट की वृद्धि अनुमानित है। इनमें एनाटॉमी की 16, फिजियोलॉजी, माइक्रोबॉयोलॉजी, फॉरेंसिक मेडिसिन की 9-9 सीट्स, बॉयोकेमेस्ट्री, रेडियो डॉयग्नोसिस की 10-10, फॉर्माकोलॉजी की 14, पैथालॉजी की 20, कम्युनिटी मेडिसिन की 17, जनरल मेडिसिन, जनरल सर्जरी की 24-24, पीडियाट्रिक्स की 25, टी.बी. चेस्ट की 5, साइकियाट्रि की 3, ऑथोपेडिक्स की 17, ओटोरिनोलेरिंगोलॉजी की 5, ऑप्थलमोलॉजी की 8, गॉयन्कोलॉजी की 25 और एनिस्थीसियालॉजी की 35 पी.जी. सीट शामिल हैं।         
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लोकायुक्त सागर ने डिप्टी रेंजर को सात हजार की रिश्वत लेते पकड़ा

लोकायुक्त सागर  ने डिप्टी रेंजर को सात हजार की रिश्वत लेते पकड़ा
सागर। लोकायुक्त पुलिस सागर ने दमोह जिले के वन परिक्षेत्र नोहटा, के डिप्टी रेंजर राधेश्याम श्रीवास्तव को दमोह में एक चौराहे से सात हजार रूपए रिश्वत लेेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। फर्शी से भरे ट्रेक्टर को छोड़ने के एवज में रिश्वत मांगी थी। इस कार्यवाही से वन महकमे में हड़कम्प मंचा हुआ है।
लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक रामेश्वर यादव ने बताया कि आवेदक उत्तम पटेल पिता बाबूलाल पटेल ग्राम बड़गुंवा, तहसीलजबेरा जिला दमोह द्वारा पुलिस अधीक्षक विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्तकार्यालय, सागर संभाग सागर के समक्ष शिकायत प्रस्तुत की गई कि आवेदक का फर्शी से भरा ट्रेक्टर पकड़ा था।जिसको छोड़ने के एवज में राधेश्यामश्रीवास्तव, डिप्टी रेंजर, वन परिक्षेत्र, नौहटा द्वारा सात रूपए की मांग की
जा रही है। आज आरोपी राधेश्याम श्रीवास्तव,डिप्टी रेंजर, वन परिक्षेत्र नोहटा, रेंजर सगोनी, वन संभाग दमोह, को सातहजार रूपए रिश्वत लेते किल्लाई चौराहा दमोह में रंगे हाथों गिरफ्तार किया।गया। लोकायुक्त कार्यालय सागर की टीम द्वारा डीएसपी राजेश खेड़े के नेतृत्व में यह कार्यवाही की गई।
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भारतीय सेना और अफगानिस्तान सेना का महार रेजिमेंट केद्र, सागर में संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास

भारतीय सेना और अफगानिस्तान  सेना का महार रेजिमेंट केद्र, सागर में संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास
सागर। महार रेजिमेंट केन्द्र सागर में अफगानिस्तान नेशनल आर्मी के 16
सदस्यीय सैन्य दल ने भारतीय सेना के महार रेजिमेंट केन्द्र के बहादुर सैनिकों के साथ एक महीने तक संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास किया । यह संयुक्त प्रशिक्षणअभ्यास 18 नवम्बर 2019 से 14 दिसम्बर 2019 तक चलेगा । जिसके तहत
इन्हें आतंकवाद से निपटने के लिए कई प्रेक्टिकल अभ्यास कराये गए ।आपरेशन के टैक्टिकल विषयों के अलावां उन्हें व्यक्तिगत स्वक्षता, प्राथमिकचिकित्सा के सिद्धांत, शारीरिक प्रशिक्षण और खेल-कूद के बारे में प्रशिक्षणदिया गया।
अफगानिस्तान और भारत के मध्य ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि सेबहुत ही मधुर सम्बन्ध रहे है। भारत हमेशा से ही अपने पड़ोसी देशअफगानिस्तान के बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और रक्षा जैसे क्षेत्रों मेंसहायता प्रदान करता रहा है । साँची , राहतगढ़ और डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय जैसे विभिन्न
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थानों पर प्रत्येक सप्ताह के अंत में यात्रा कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें भारत की समृद्ध संस्कृति और इतिहास की झलक दिखानेका प्रयास किया गया । इसी कड़ी में जॉइंट ट्रेनिंग के सफल समापन केअवसर पर महार रेजिमेंट केन्द्र की तरफ से अफ़गान सैनिकों को मध्य प्रदेशके संस्कृति से रूबरू कराने के लिए बधाई नौरता और बरेदी जैसे सांस्कृतिकलोकनृत्यों का आयोजन भी किया गया । सफल संयुक्त प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत अपने स्वदेश वापस लौटे । 
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बीना-गुना के बीच निर्माण कार्य,छह ट्रेन एक महीने के लिए प्रभावित,पैसेंजर ट्रेन रद्द

बीना-गुना के बीच निर्माण कार्य,छह ट्रेन एक महीने के लिए प्रभावित,पैसेंजर ट्रेन रद्द
भोपाल। पश्चिम मध्य रेल भोपाल मंडल के बीना-गुना रेल खण्ड पर अधोसंरचना का विकास एवं अनुरक्षण का  कार्य किये जाने के परिणामस्वरूप इस खण्ड पर चलने वाली निम्नलिखित गाड़ियां प्रभावित रहेंगी।
1- गाड़ी संख्या-51607/51608 बीना-गुना-बीना पैसेंजर दिनांक 14.12.2019 से 13.01.2020 तक निरस्त रहेगी।

2- गाड़ी संख्या-51884/51883 ग्वालियर-बीना-ग्वालियर पैसेंजर दिनांक- 14.12.2019 से 13.01.2020 तक ग्वालियर-गुना-ग्वालियर के मध्य चलेगी एवं गुना-बीना-गुना के मध्य आंशिक निरस्त रहेगी। इसी प्रकार गाड़ी संख्या- 12198/12197 ग्वालियर-भोपाल-ग्वालियर इंटरसिटी  एक्सप्रेस दिनांक- 14.12.2019 से 13.01.2020 तक ग्वालियर-गुना-ग्वालियर के मध्य चलेगी एवं गुना-भोपाल-गुना के मध्य आंशिक निरस्त रहेगी।

3- गाड़ी संख्या- 59342 बीना-नागदा पैसेंजर दनांक-14.12.2019 से 13.01.2020 तक अपने निर्धारित समय 04.00 बजे से 01.30 घंटा Re-Schedule (पुनर्निर्धारित) होकर बीना स्टेशन से 05.30 बजे गंतव्य के लिए प्रस्थान करेगी।

              
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पिंक सिटी जयपुर की तर्ज पर राम राजा की नगरी ओरछा को 'क्रीम सिटी' बनेगी

पिंक सिटी जयपुर की तर्ज पर  राम राजा की नगरी ओरछा को 'क्रीम सिटी' बनेगी
भोपाल/ओरक्षा।ओरछा महोत्सव से पहले राम राजा की ये नगरी नये रंग में रंगी नज़र आ सकती है. सरकार इसे न्यू लुक दे रही है. मार्च में ये महोत्सव होगा. उससे पहले इस धार्मिक नगरी को नया कलेवर देने की तैयारी है. नमस्ते ओरछा नाम से हो रहे इस महोत्सव का प्रचार विदेश तक में किया जाएगा ताकि वहां से भी सैलानी यहां आएं।
ओरछा में 6 से 8 मार्च तक नमस्ते ओरछा महोत्सव पहली बार होने जा रहा है.मुख्य सचिव एस आर मोहंती का कहना है इसके पीछे मकसद यही है कि ओरछा की खूबसूरती और हेरिटेज सिटी के बारे में लोग ज़्यादा से ज़्यादा जान सकें. धार्मिक नगरी के चलते यहां धार्मिक पर्यटन को तो बढ़ावा दिया ही जाएगा, अब साथ ही फिल्म शूटिंग और वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी विकसित करने का प्लान है। नगरीय प्रशाशन विभाग के मुख्य सचिव संजय दुबे और कमिश्नर आनंद शर्मा ने कल गरुवार को ओरक्षा में बैठक ली और प्रमुख क्षेत्रो का जायजा लेकर जरूरी निःर्देश दिये।
 ओरछा विश्व पर्यटन का उभरता हुआ धार्मिक स्थल
 देश की राजधानी से महज 5 घंटे की दूरी पर ओरछा एक ऐसा पर्यटन स्थल है जिसे राष्ट्रीय पर्यटन अवॉर्ड में बेस्ट हेरिटेज सिटी का खिताब मिला है। अब मप्र पर्यटन विभाग ओरछा के माध्यम से एमपी टूरिज्म को प्रमोट करने व खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर के भारतीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए मार्च 2020 में कल्चरल फेस्टिवल 'नमस्ते ओरछा' का आयोजन करने जा रहा है, जोकि 6 से 8 मार्च तक चलेगा। मुख्य सचिव एसआर मोहंती, प्रमुख सचिव संस्कृति पंकज राग और सचिव पर्यटन फैज अहमद किदवई ने बुधवार को मिंटो हॉल में आयोजित एक प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी।
गोल्डन ट्रायएंगल में शामिल होगा ओरछा
मोहंती ने बताया कि ओरछा पहले ही यूनेस्को वल्र्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में है। भारत आने वाले पर्यटकों के लिए टूर ऑपरेटर्स द्वारा अभी तक गोल्डन ट्रायएंगल (दिल्ली-जयपुर-आगरा) पैकेज ऑफर किया जाता है। इस गोल्डन ट्रायएंगल में ओरछा को जोड़ कर इसे गोल्डन क्वाड्रीलैटरल (चतुर्भुज) में तब्दील किया जा रहा है।
प्रभू श्री राम राजा सरकार की नगरी ओरछा
भारत के इतिहास में झांसी के पास स्थित ओरछा का एक अपना महत्व है। इससे जुड़ी तमाम कहानियां और किस्से पिछली कई दशकों से लोगों की जुबान पर हैं।
कुछ लोग कहते हैं कि सबसे पहले लोगों ने बुंदेलखंड में रहना शुरू किया था। यही वजह है कि इस इलाके के हर गांव और शहर के पास सुनाने को कई कहानियां हैं। बुंदेलखंड की दो खूबसूरत और दिलचस्प जगहें हैं ओरछा और दातिया । भले ही दोनों जगहों में कुछ किलोमीटर का फासला हो, लेकिन इतिहास के धागों से ये दोनों जगहें बेहद मजबूती से जुड़ी हुई हैं। ओरछा झांसी से लगभग आधे घंटे की दूरी पर स्थित है।
रामराजा मन्दिर
भगवान श्रीराम का ओरछा में ४०० वर्ष पूर्व राज्याभिषेक हुआ था और उसके बाद से आज तक यहां भगवान श्रीराम को राजा के रुप में पूजा जाता है। यह पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है।
रामराजा के अयोध्या से ओरछा आने की एक मनोहारी कथा है।
एक दिन ओरछा नरेश मधुकरशाह ने अपनी पत्नी गणेशकुंवरि से कृष्ण उपासना के इरादे से वृंदावन चलने को कहा। लेकिन रानी राम भक्त थीं। उन्होंने वृंदावन जाने से मना कर दिया। क्रोध में आकर राजा ने उनसे यह कहा कि तुम इतनी राम भक्त हो तो जाकर अपनेराम को ओरछा ले आओ। रानी ने अयोध्या पहुंचकर सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण किले के पास अपनी कुटी बनाकर साधना आरंभ की। इन्हीं दिनों संत शिरोमणि तुलसीदास भी अयोध्या में साधना रत थे। संत से आशीर्वाद पाकर रानी की आराधना दृढ से दृढतर होती गई। लेकिन रानी को कई महीनों तक रामराजा के दर्शन नहीं हुए। अंतत: वह निराश होकर अपने प्राण त्यागने सरयू की मझधार में कूद पडी। यहीं जल की अतल गहराइयों में उन्हें रामराजा के दर्शन हुए। रानी ने उन्हें अपना मंतव्य बताया। रामराजा ने ओरछा चलना स्वीकार किया किन्तु उन्होंने तीन शतर्ें रखीं- पहली, यह यात्रा पैदल होगी, दूसरी- यात्रा केवल पुष्प नक्षत्र में होगी, तीसरी- रामराजा की मूर्ति जिस जगह रखी जाएगी वहां से पुन: नहीं उठेगी।
रानी ने राजा को संदेश भेजा कि वो रामराजा को लेकर ओरछा आ रहीं हैं। राजा मधुकरशाह ने रामराजा के विग्रह को स्थापित करने के लिए करोडों की लागत से चतुर्भुज मंदिर का निर्माण कराया। जब रानी ओरछा पहुंची तो उन्होंने यह मूर्ति अपने महल में रख दी। यह निश्चित हुआ कि शुभ मुर्हूत में मूर्ति को चतुर्भुज मंदिर में रखकर इसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। लेकिन राम के इस विग्रह ने चतुर्भुज जाने से मना कर दिया। कहते हैं कि राम यहां बाल रूप में आए और अपनी मां का महल छोडकर वो मंदिर में कैसे जा सकते थे। राम आज भी इसी महल में विराजमान हैं और उनके लिए बना करोडों का चतुर्भुज मंदिर आज भी वीरान पडा है। यह मंदिर आज भी मूर्ति विहीन है।
यह भी एक संयोग है कि जिस संवत 1631 को रामराजा का ओरछा में आगमन हुआ, उसी दिन रामचरित मानस का लेखन भी पूर्ण हुआ। जो मूर्ति ओरछा में विद्यमान है उसके बारे में बताया जाता है कि जब राम वनवास जा रहे थे तो उन्होंने अपनी एक बाल मूर्ति मां कौशल्या को दी थी। मां कौशल्या उसी को बाल भोग लगाया करती थीं। जब राम अयोध्या लौटे तो कौशल्या ने यह मूर्ति सरयू नदी में विसर्जित कर दी। यही मूर्ति गणेशकुंवरि को सरयू की मझधार में मिली थी। यह विश्व का अकेला मंदिर है जहां राम की पूजा राजा के रूप में होती है और उन्हें सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के पश्चात सलामी दी जाती है। यहां राम ओरछाधीश के रूप में मान्य हैं। रामराजा मंदिर के चारों तरफ हनुमान जी के मंदिर हैं। छडदारी हनुमान, बजरिया के हनुमान, लंका हनुमान के मंदिर एक सुरक्षा चक्र के रूप में चारों तरफ हैं। ओरछा की अन्य बहुमूल्य धरोहरों में लक्ष्मी मंदिर, पंचमुखी महादेव, राधिका बिहारी मंदिर , राजामहल, रायप्रवीण महल, हरदौल की बैठक, हरदौल की समाधि, जहांगीर महल और उसकी चित्रकारी प्रमुख है। ओरछा झांसी से मात्र 15 किमी. की दूरी पर है। झांसी देश की प्रमुख रेलवे लाइनों से जुडा है। पर्यटकों के लिए झांसी और ओरछा में शानदार आवासगृह बने हैं।
इतिहास
इसका इतिहास 15वीं शताब्दी से शुरू होता है, जब इसकी स्थापना रुद्र प्रताप सिंह जू बुन्देला ने की थी जो सिकन्दर लोदी से भी लड़ा था इस जगह की पहली और सबसे रोचक कहानी एक मंदिर की है। दरअसल, यह मंदिर भगवान राम की मूर्ति के लिए बनवाया गया था, लेकिन मूर्ति स्थापना के वक्त यह अपने स्थान से हिली नहीं। इस मूर्ति को मधुकर शाह बुन्देला के राज्यकाल (1554-92) के दौरान उनकी रानी गनेश कुवर अयोध्या से लाई थीं। रानी गनेश कुंवर वर्तमान ग्वालियर जिले के करहिया गांव की परमार राजपूत थीं। चतुर्भुज मंदिर बनने से पहले रानी पुख्य नक्षत्र में अयोध्या से पैदल चल कर बाल स्वरूप भगवान राम(राम लला)को ओरछा लाईं परंतु रात्रि हो जाने के कारण भगवान राम को कुछ समय के लिए महल के भोजन कक्ष में स्थापित किया गया। लेकिन मंदिर बनने के बाद कोई भी मूर्ति को उसके स्थान से हिला नहीं पाया। इसे ईश्वर का चमत्कार मानते हुए महल को ही मंदिर का रूप दे दिया गया और इसका नाम रखा गया राम राजा मंदिर। आज इस महल के चारों ओर शहर बसा है और राम नवमी पर यहां हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। वैसे, भगवान राम को यहां भगवान मानने के साथ यहां का राजा भी माना जाता है, क्योंकि उस मूर्ति का चेहरा मंदिर की ओर न होकर महल की ओर है।आज भी भगवान राम को राजा के रूप में(राम राजा सरकार) ओरछा के इस मंदिर में पूजा जाता है और उन्हें गार्डों की सलामी देते हैं।मंदिर में चमड़े से बनी वस्तुओं का प्रवेश निषिद्ध हैं। मंदिर_व_आस_पास
मंदिर के पास एक बगान है जिसमें स्थित काफी ऊंचे दो मीनार (वायू यंत्र) लोगों के आकर्षण का केन्द्र हैं। जि्न्हें सावन भादों कहा जाता है कि इनके नीचे बनी सुरंगों को शाही परिवार अपने आने-जाने के रास्ते के तौर पर इस्तेमाल करता था। इन स्तंभों के बारे में एक किंवदंती प्रचलित है कि वर्षा ऋतु में हिंदु कलेंडर के अनुसार सावन के महीने के खत्म होने और भादों मास के शुभारंभ के समय ये दोनों स्तंभ आपस में जुड़ जाते थे। हालांकि इसके बारे में पुख्ता सबूत नहीं हैं। इन मीनारों के नीचे जाने के रास्ते बंद कर दिये गये हैं एवं अनुसंधान का कोई रास्ता नहीं है।
इन मंदिरों को दशकों पुराने पुल से पार कर शहर के बाहरी इलाके में 'रॉयल एंक्लेव' (राजनिवास्) है। यहां चार महल, जहांगीर महल, राज महल, शीश महल और इनसे कुछ दूरी पर बना राय परवीन महल हैं। इनमें से जहांगीर महल के किस्से सबसे ज्यादा मशहूर हैं, जो मुगल बुंदेला दोस्ती का प्रतीक है। कहा जाता है कि बादशाह अकबर ने अबुल फज़ल को शहजादे सलीम (जहांगीर) को काबू करने के लिए भेजा था, लेकिन सलीम ने बीर सिंह की मदद से उसका कत्ल करवा दिया। इससे खुश होकर सलीम ने ओरछा की कमान बीर सिंह को सौंप दी थी। वैसे, ये महल बुंदेलाओं की वास्तुशिल्प के प्रमाण हैं। खुले गलियारे, पत्थरों वाली जाली का काम, जानवरों की मूर्तियां, बेलबूटे जैसी तमाम बुंदेला वास्तुशिल्प की विशेषताएं यहां साफ देखी जा सकती हैं।
अब बेहद शांत दिखने वाले ये महल अपने जमाने में ऐसे नहीं थे। यहां रोजाना होने वाली नई हलचल से उपजी कहानियां आज भी लोगों की जुबान पर हैं। इन्हीं में से एक है हरदौल की कहानी, जो जुझार सिंह (1627-34) के राज्य काल की है। दरअसल, मुगल जासूसों की साजिशभरी कथाओं के कारण् इस राजा का शक हो गया था कि उसकी रानी से उसके भाई हरदौल के साथ संबंध हैं। लिहाजा उसने रानी से हरदौल को ज़हर देने को कहा। रानी के ऐसा न कर पाने पर खुद को निर्दोष साबित करने के लिए हरदौल ने खुद ही जहर पी लिया और त्याग की नई मिसाल कायम की।
बुंदेलाओं का राजकाल 1783 में खत्म होने के साथ ही ओरछा भी गुमनामी के घने जंगलों में खो गया और फिर यह स्वतंत्रता संग्राम के समय सुर्खियों में आया। दरअसल, स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद यहां के एक गांव में आकर छिपे थे। आज उनके ठहरने की जगह पर एक स्मृति चिन्ह भी बना है।
ओरक्षा के आकर्षण
जहांगीर महल 
बुन्देलों और मुगल शासक जहांगीर की दोस्ती की यह निशानी ओरछा का मुख्य आकर्षण है। महल के प्रवेश द्वार पर दो झुके हुए हाथी बने हुए हैं। तीन मंजिला यह महल जहांगीर के स्वागत में राजा बीरसिंह देव ने बनवाया था। वास्तुकारी की दृष्टि से यह अपने जमाने का उत्कृष्ट उदाहरण है।
राजमहल 
यह महल ओरछा के सबसे प्राचीन स्मारकों में एक है। इसका निर्माण मधुकर शाह ने 17 वीं शताब्दी में करवाया था। राजा बीरसिंह देव उन्हीं के उत्तराधिकारी थे। यह महल छतरियों और बेहतरीन आंतरिक भित्तिचित्रों के लिए प्रसिद्ध है। महल में धर्म ग्रन्थों से जुड़ी तस्वीरें भी देखी जा सकती हैं।
राय प्रवीन महल
यह महल राजा इन्द्रमणि की खूबसूरत गणिका प्रवीणराय की याद में बनवाया गया था। वह एक कवयित्री और संगीतकारा थीं। मुगल सम्राट अकबर को जब उनकी सुंदरता के बार पता चला तो उन्हें दिल्ली लाने का आदेश दिया गया। इन्द्रमणि के प्रति प्रवीन के सच्चे प्रेम को देखकर अकबर ने उन्हें वापस ओरछा भेज दिया। यह दो मंजिला महल प्राकृतिक बगीचों और पेड़-पौधों से घिरा है। राय प्रवीन महल में एक लघु हाल और चेम्बर है।
लक्ष्मीनारायण_मंदिर
यह मंदिर 1622 ई. में बीरसिंह देव द्वारा बनवाया गया था। मंदिर ओरछा गांव के पश्चिम में एक पहाड़ी पर बना है। मंदिर में सत्रहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी के चित्र बने हुए हैं। चित्रों के चटकीले रंग इतने जीवंत लगते हैं जसे वह हाल ही में बने हों। मंदिर में झांसी की लड़ाई के दृश्य और भगवान कृष्ण की आकृतियां बनी हुई हैं।
चतुर्भुज मंदिर
राज महल के समीप स्थित चतुभरुज मंदिर ओरछा का मुख्य आकर्षण है। यह मंदिर चार भुजाधारी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1558 से 1573 के बीच राजा मधुकर ने करवाया था। अपने समय की यह उत्कृष्ठ रचना यूरोपीय कैथोड्रल से समान है। मंदिर में प्रार्थना के लिए विस्तृत हॉल है जहां कृष्ण भक्त एकत्रित होते हैं। ओरछा में यह स्थान भ्रमण के लिए बहुत श्रेष्ठ है..!
फूलबाग 
बुन्देला राजाओं द्वारा बनवाया गया यह फूलों का बगीचा चारों ओर से दीवारों से घिरा है। पालकी महल के निकट स्थित यह बाग बुन्देल राजाओं का आरामगाह था। वर्तमान में यह पिकनिक स्थल के रूप में जाना जाता है। फूलबाग में एक भूमिगत महल और आठ स्तम्भों वाला मंडप है। यहां के चंदन कटोर से गिरता पानी झरने के समान प्रतीत होता है।
सुन्दर_महल 
इस महल को राजा जुझार सिंह के पुत्र धुरभजन के बनवाया था। राजकुमार धुरभजन को एक मुस्लिम लड़की से प्रेम था। उन्होंने उससे विवाह कर इस्लाम धर्म अंगीकार कर लिया। धीर-धीर उन्होंने शाही जीवन त्याग दिया और स्वयं को ध्यान और भक्ति में लीन कर लिया। विवाह के बाद उन्होंने सुन्दर महल त्याग दिया। धुरभजन की मृत्यु के बाद उन्हें संत से रूप में जाना गया। वर्तमान में यह महल काफी क्षतिग्रस्त हो चुका है।

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