‘‘टाइगर स्टेट‘‘ बनने के साथ सिंहों के स्वागत को भी तैयार मध्यप्रदेश

 ''टाइगर स्टेट'' बनने के साथ सिंहों के स्वागत को भी तैयार मध्यप्रदेश
सागर । मध्यप्रदेश ने पिछले एक साल में न केवल एक बार फिर देश में टाइगर स्टेट होने का गौरव प्राप्त किया है बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के साथ वन-वन्य प्राणी संरक्षण और वनवासियों के उत्थान के सतत प्रयास भी शुरू कर दिये हैं। गुजरात के गिर में बचे हुए एशियाटिक लायन को विलुप्ति से बचाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कूनो अभयारण्य में कुछ सिंहों की शिफ्टिंग के लिये भी राज्य सरकार लगातार सक्रिय है। प्रदेश में वनोपज का उत्पादन पिछले वर्ष से अधिक हुआ है। इस वर्ष 2.73 लाख घन मीटर इमारती लकड़ी, 1.62 लाख घन मीटर जलाऊ चट्टे और 34 हजार नोशनल टन बाँस का उत्पादन हुआ है, जो विगत वर्ष की तुलना में इमारती लकड़ी के लिये 56 प्रतिशत, जलाऊ लकड़ी के लिये 30 प्रतिशत और बाँस में 26 प्रतिशत अधिक है।
526 बाघ के साथ म.प्र. फिर देश में प्रथम
अखिल भारतीय बाघ आंकलन के 29 जुलाई 2019 को घोषित परिणाम में 526 बाघ के साथ मध्यप्रदेश पुनः देश में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2014 में हुई गणना में 306 बाघ आंकलित हुए थे। प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व- पेंच, कान्हा और सतपुड़ा देश में प्रबंधकीय दक्षता में प्रथम तीन स्थानपर हैं।
मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं एवं सेवाओं के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को ''मोस्ट टूरिस्ट फ्रेंडली नेशनल पार्क'' का अवार्ड मिला है। वन पर्यटन पर जोर देते हुए वन्य-प्राणी पर्यटन संबंधी निर्णयों के अमल की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। प्रदेश में दूसरी बार 12 जनवरी 2019 में की गई गिद्ध गणना में प्रदेश के 33 जिलों में 7900 गिद्ध पाए गए हैं। टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने वन्य-प्राणी अपराध में लिप्त राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अपराधियों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है।  

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सिटी हैरिटेज वॉक /प्लॉग रन का आयोजन,कलेक्टर-एसपी ने उठाया कचरा

सिटी हैरिटेज वॉक /प्लॉग रन का आयोजन,कलेक्टर-एसपी ने उठाया कचरा
सागर ।जिला पर्यटन संवर्धन समिति, जिला प्रषासन एवं इंटेक  के संयुक्त तत्वाधान में डफरिन अस्पताल के सामने अब्दुल गनी पार्क से चकराघाट तक हैरिटेज वाक का आयोजन मंगलवार को किया गया। वॉक का उद्देष्य शहर के प्रमुख ऐतिहासिक, धार्मिक, प्राकृतिक एवं सामुयिक स्थलों से परिचय करवाना था। प्रति सप्ताह हैरिटेज वॉक का आयोजन किया जायेगा।
कमिष्नर  आनंद कुमार शर्मा और वरिष्ठ समाजसेवी श्रीमती मीनाताई पिंपलापुरे ने हरी झण्डी दिखाकर हैरिटेज वॉक को रवाना किया। इस अवसर पर कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक, पुलिस अधीक्षक  अमित सांघी, नगर निगम कमिष्नर श्री आरपी अहिरवार, स्मार्ट सिटी सीईओ  राहुल सिंह राजपूत, डिप्टी कलेक्टर सुश्री अमृता गर्ग, जिला कार्यक्रम अधिकारी  भरत सिंह राजपूत, इंटेक संस्था की ओर से अंजली भृतहरि,  रजनीष जैन, डा. मनीष झा, कर्नल मुनीष गुप्ता,  प्रफुल्ल हल्वे,  अतुल जैन, डा. चौहान, एनसीसी केडिट, छात्र-छात्राओं सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी और नागरिकगण मौजूद थे।
हैरिटेज वॉक ने पुरानी डफरिन अस्पताल का भ्रमण किया और अस्पताल की साफ-सफाई की। वहां फैले हुए कचरे को काली प्लास्टिक में एकत्रित कर स्वच्छ तरीके से कचरे का निपटारा किया। यहां इंटेक की अंजली भृतहरि ने बताया कि 1800 ईषवी के आसपास अंग्रेजांे द्वारा अस्पताल का निर्माण जन सहयोग से किया गया था। इसका उदघाटन लेडी डफरिन ने किया था। बाद में उनके नाम पर ही अस्पताल चला। डफरिन अस्पताल के भ्रमण के बाद हैरिटेज वॉक धीरे-धीरे सड़क की दोनों किनारों की सफाई करते हुए चकराघाट पर समाप्त हुई।      कलेक्टर और एसपी ने स्वयं कचरा उठाकर दिया स्वच्छता संदेश
इस  दौरान रास्ते मेंं  कलेक्टर  प्रीति मैथिल नायक और पुलिस अधीक्षक  अमित सांघी ने स्वयं अपने हाथों से कई स्थानांे पर कचरा एकत्रित कर स्वच्छता के प्रति जागरूकता रहने का संदेष दिया यदि सागर शहर को साफ-स्वच्छ रखना है तो स्वच्छता के कार्य में हर एक नागरिक को हाथ बंटाना होगा। साफ-सफाई में नागरिकों को सहयोग करना होगा। कलेक्टर और एसपी के साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और गणमान्य नागरिकों ने भी कचरा उठाया और साफ-सफाई की। एक स्थान पर एक पान दुकानदार द्वारा कचरा नाली में डाला जा रहा था। उसे कलेक्टर ने समझाईष दी कि नालियांें में कचरा नहीं डालें। कचरा डस्टबिन का उपयोग करें। श्रीमती प्रीति मैथिल नायक ने नगर निगम आयुक्त को निर्देष दिए कि चकराघाट में आवारा पषुओं का प्रवेष न हो इसके लिए प्रवेष स्थान पर ऐसी रैलिंग लगाए जिससे नागरिक आ सके परंतु आवारा पषु न आ पाएं।
चकराघाट पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बताया साफ-सफाई का महत्व
हैरिटेज वॉक का समापन चकराघाट पर हुआ यंहा रंग थियेटरपुरम सागर के सदस्यों द्वारा नुक्कड़ नाटक के माध्यम साफ-सफाई का महत्व बताया गया। नुक्कड़ नाटक में बताया गया कि यदि सब्जी देने वाले को सब्जी वाला, दूध देने वाले को दूधवाला तो कचरा करने वाले को कचरावाला कहा जाए। कचरा कौन करता है आप और हम। तो कचरा वाला कौन होगा आप और हम। अभी हो यह रहा है कि जो सफाई करता है उसे कचरा वाला कहा जाता है।
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मिलावटी खोवा बेचने वाले दो आरोपियों को एक-एक वर्ष का कारावास,सागर की एक होटल का मामला

मिलावटी खोवा बेचने वाले दो आरोपियों को एक-एक वर्ष का कारावास,सागर की एक होटल का मामला
सागर। गुजराती बाजार स्थित अपने होटल से मिलावटी खोवा बेचने वाले दो आरोपियों को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी रवि कुमार बौरासी जिला सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुए एक-एक वर्ष के सश्रम कारावास और अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।
जिला लोक अभियोजन के मीडिया प्रभाकरी ब्रजेश दीक्षित ने बताया कि दिनांक 30.10.2010 को खाद्य निरीक्षक राकेश कुमार अहिरवाल ने विभाग की टीम के साथ गुजराती बाजार स्थित शिमला होटल निरीक्षण करते हुए खोवा का सेंपल लिया। सेंपल को जांच के लिए भेजा गया। इस मामले में शिमला होटल के संचालक आरोपी श्रीकांत केशरवानी पुत्र हरिशंकर केसरवानी एवं राजकुमार केशरवानी पुत्र हरिशंकर केसरवानी के विरूध मामला दर्ज चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। विचारण उपरांत न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी रवि कुमार बौरासी जिला सागर की अदालत ने  दोनों आरोपियों को अपमिश्रित खाद्य पदार्थ के विक्रय का दोषी पाते हुए खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 की धारा 16(1)(ए)(1) में दोषी करार देते हुए एक-एक वर्ष के सश्रम कारावास और 2-2 हजार रूपए अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी अभियोजन की ओर से एडीपीओ प्रियंका जैन सीनियर ने की।
छेडछाड के आरोपी को एक वर्ष का कारावास
सागर। घर में घुसकर महिला से छेडछाड करने वाले एक आरोपी को विशेष न्यायाधीश नीलू संजीव श्रंृगीऋषि सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुए अलग-अलग धाराओं में दंडित करते हुए एक वर्ष के सश्रम कारावास और अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।
जिला लोक अभियोजन के मीडिया प्रभारी ब्रजेश दीक्षित ने बताया कि दिनांक 15.04.2019 की शाम आरोपी तेजेन्द्र उर्फ टिंकू लोधी पिता मुन्नालाल उम्र 23 वर्ष निवासी ग्राम सलैया थाना सानौधा ने फरियादिया के घर में घुसकर बुरी नीयत से उसका हाथ पकड लिया। विरोध करने पर आरोपी ने फरियादिया को थप्पड मारते हुए भाग गया। घटना की सूचना फरियादिया ने परिजनों को दी जिसके बाद सूचना पर थाना पुलिस ने आरोपी के विरूध मामला दर्ज करते हुए चालान न्यायालय में पेश किया। जहां विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश नीलू संजीव श्रंृगीऋषि सागर की अदालत ने आरोपी तेजेन्द्र को को दोषी करार देते हुए भादवि की धारा 452 में एक वर्ष का सश्रम कारावास, एक हजार रूपए अर्थदण्ड, धारा 354 ए (1) में एक वर्ष का सश्रम कारावास, एक हजार अर्थदण्ड एवं धारा 323 में न्यायालय उठने तक की सजा ओर एक हजार रूपए अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी अभियोजन की ओर से डीपीओ राजीव रूसिया ने की।
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अनूठी शादी :सात फेरे नही संविधान की शपथ लेकर विवाह सूत्र में बंधे वर-वधू

अनूठी शादी :सात फेरे नही संविधान की शपथ लेकर विवाह सूत्र में बंधे वर-वधू 
खरगोन। बिन फेरे हम तेरे ये अब तक हमने ये सिर्फ फिल्मों में सुना था लेकिन ये हकीकत भी हो सकता है दरअसल शादी एक ऐसा शब्द हैं जिसका नाम सुनते ही हमे मंगलसूत्र, अग्नि फेरे  याद आ जाते हैं । लेकिन यंहा ऐसा कुछ नहीं है । जहां देश में एक और लोग शादियों में चाक-चौबंद व्यवस्था कर खूब खर्चा करते हैं वहीं दूसरी ओर खरगोन में एक अनूठी शादी देखने को मिली जो शायद देश मे पहली शादी होगी जिसमें अग्नि को साक्षी मानकर वर-वधू ने फिरे नहीं लिए बल्कि भारत के संविधान को साक्षी मानकर एक दूसरे का साथ देने का वचन लिया और शपथ ग्रहण करी । 
दरअसल मामला कुछ यूं है किखरगोन जिले के कसरावद निवासी वज्र कलमें व खरगोन निवासी अंजलि रोकड़े विवाह बंधन में बंधे ।जिसमें उन्होंने भारत के संविधान की शपथ ली। और एक दूसरे का सात जन्म तक साथ देने का वादा किया ।वर वधु का मानना है कि समाज में लेन-देन जैसी प्रथा व खर्चीली कुरीतियां फैली हुई है। जिन्हें बंद होना चाहिए और इस तरह की शादी कर फिजूल खर्च बचाना चाहिए जो कि किसी नेक कार्य में लगाया जा सके । समाजसेवी रामेश्वर बडोले का मानना है कि कलमें परिवार व रोकड़े परिवार द्वारा एक अच्छी पहल की गई है जिससे कि समाज में एक नया संदेश जाएगा कलमें परिवार द्वारा पहले भी समाज में नया संदेश देते हुए उनके पिताजी की मृत्यु होने पर उनके पिताजी की देहदान मेडिकल कॉलेज को की गई थी।


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सड़क हादसा ।एक परिवार के 4 सदस्य की मौत, दो घायल,सभी सागर जिले का जैन परिवार

सड़क हादसा ।एक परिवार के 4 सदस्य की मौत, दो घायल,सभी सागर जिले के  जैन परिवार  के                                  
विदिशा ।जिला मुख्यालय से ग्यारसपुर जाने वाले नेशनल हाइवे क्रमांक 146 पर ग्राम अटारी खेजड़ा मेन रोड पर खड़े ट्राला में  कार  घुस गई । घटना थाना ग्यारसपुर की है । सागर जिले के रहली का जैन परिवार इस हादसे का शिकार बना। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में शोक छाया है।
  थाना ग्यारसपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार  इस कार में सागर के रहली निवासी एक ही परिवार 6 लोग सवार थे। जिनमें से मौके पर ही 4 लोगों की मृत्यु हो गई जिनमें से एक महिला  ज्योति जैन पति अनिल जैन और उनके बेटी को गंभीर रूप  घायल अवस्था में  विदिशा जिला चिकित्सालय  से  भोपाल रेफर कर दिया। बच्ची की उम्र 10-12साल की बताई गई है जिसका नाम आस्था जैन पिता अनिल जैन बताया जा रहा है जिस को मामूली चोटें आई हैं।
मृतक रहली /जरुआखेड़ा के
भोपाल  से  रहली जा रहे अनंत पूरा परिवार के  अनिल जैन  की कार  विदिशा से सागर रोड पर स्थित अटारी खेजड़ा  गांव में खड़े ट्रक से  टकरा गई  इस दुर्घटना में  चार लोगों की  मौत हो गई।।  सभी मृतकों का पोस्टमार्टम ग्यारसपुर में हुआ है  ।बताया जाता है कि रहली निवासी अनिल जैन (अन्नू)'श्रीजी साड़ी बस स्टैंड रहली' (अनंतपुरा) साथ में उनकी बहन सुनीता सिंघई पत्नी सुनील सिंघई निवासी जरुआखेड़ा ,माँ, बेटा का भी निधन हो गया है। अन्नू की पत्नी और बेटी गंभीर हालत में हैं।
यह पुलिस द्वारा घटना बीती रात 2:00 से 2:30 की बताई जा रही है, घटना की सूचना मिलने पर सबसे पहले ग्यारसपुर की  डायल100 जिसके पायलट गोपी प्रजापति और उनके सहयोगी मौके पर पहुंचे । यह कार भोपाल से सागर की ओर जा रही थी जिसका नंबर MP15 -CB-7990 है।  


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कांग्रेसी नेता कर रहे हैं खाद की कालाबाजारी,पूर्व गृहमन्त्री भूपेंद्र सिंह ने लगाया आरोप, मंच से जलाए बिजली बिल

कांग्रेसी नेता कर रहे हैं खाद की कालाबाजारी,पूर्व गृहमन्त्री भूपेंद्र सिंह ने लगाया आरोप, मंच से जलाए बिजली बिल
सअगर ।पूर्व गृहमन्त्री और खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह ने मध्यप्रदेश की कांग्रेस की सरकार पर लगाया खुरई में किसान व गरीबों  के हित के लिए आयोजित  कांग्रेस सरकार के विरोध में धरना प्रदर्शन में शामिल हजारों की संख्या में आम जनों के बीच कही,रैली निकालकर तहसील परिसर में सभा को संम्बोधित करते हुए विधायक भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि  किसानों को 2 लाख कर्ज माफी का झांसा देकर सरकार बना ली इस चक्कर मे सम्मानित किसान भी डिफाल्टर हो गया ।पर आज तक किसी का भी कर्ज माफ नहीं हुआ। सरकारों को खाद की डिमांड पहले बनाना पड़ती है, इस सरकार के मंत्री व अधिकारियों ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया।खाद की कमी का रोना रोने वाली सरकार बताए बाजार में तो यूरिया है सरकार के पास क्यों नहीं है।सरकारी खाद प्राइवेट दुकानों से बेचा जा रहा है साथ में शर्त डी ए पी भी लेना पड़ेगा इस तरह किसानों को परेशान किया जा रहा है। कांग्रेस के नेता खाद की कालाबाजरीमे लगे है।
आमरण अनशन करेंगे ,आवास की राशि को लेकर
उन्होंने कहाकी आवास योजना का रुका हुआ पैसा 25 दिसम्बर तक खातों में नहीं डाली गई तो  नगरपालिका के सामनेआमरण अनशन करूँगा।महामहिम राज्यपाल के नाम विधान सभा में 20 बिंदुओं की समस्याओं का ज्ञापन एस डी एम वर्मा को सौंपा।जिसके बिजली के बिल ज्यादा हैं, वो बिल न भरें यह कहते हुए विरोध स्वरूप बिजली के बिल भी भूपेन्द्र सिंह ने जलाए
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होमगार्ड सैनिक से बने आरक्षक ,अब बनेंगे हिंदी के प्रोफेसर,देशराज का हुआसिलेक्शन

होमगार्ड सैनिक से बने आरक्षक ,अब बनेंगे हिंदी के प्रोफेसर,देशराज का हुआ,सिलेक्शन
सागर। यदि लग्न हो तो मंजिल सम्भव है । ऐसी ही कहानी पुलिस के सिपाही देशराज यादव की है । पहले होमगार्ड के जवान बने। फिर हुआ आरक्षक में चयन। अब उसका चयन MPPSC से हिंदी के सहायक प्रोफेसर में हो गया है । इस उपलब्धि पर सागर पुलिस अधीक्षक अमित सांघी सहित सभी ने बधाईया दी और खुशियां मनाई।सागर जिले के थाना शाहगढ मे पदस्थ है आरक्षक देशराज यादव। पढ़ने लिखने में होशियार देशराज ने पुलिस की नोकरी  करते हुए सभी पढ़ाई की। यूजीसी की नेट परीक्षा भी।
 छतरपुर जिले के रमपरा गांव थाना मातगवां के देशराज निवासी है।देशराज यादव पूर्व मे होमगार्ड गे सैनिक के पद चयन हुआ था।पुलिस आरक्षक मे 2010 मे चयन होकर वर्तमान तक कार्यरत रहे।आरक्षक द्वारा 12 वी तक की पढाई नियमित रूप से जिला छतरपुरमें की गई एवं उसके बाद आरक्षक के पद पर चयन हो जाने से
स्नातकोत्तर तक की शिक्षा स्वाध्यायी छात्र के रूप में ली। आरक्षक द्वारा तीन बार यूजीसी नेट. दो बार जेआरएफ. एवं सात  राज्यों जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश असम.म0प्र0 गुजरात,आंध्रप्रदेश,तेलंगाना का रोट/स्लेट को क्वालीफाई किया  है।
पुलिस अधीक्षक सागर श अमित सांघी एवं पुलिसअधिकारियों द्वारा आरक्षक को आज बधाई दी। एवं सफल उज्ज्वलभविष्य की कामना करते हुये आज आरक्षक को कार्यमुक्त किया।  आरक्षक देशराज यादव का पुलिस विभाग कोछोडते समय भावुक होकर पुलिस अधीक्षक सागर एवं सभी साथियोंको धन्यवाद देते हुये बताया गया कि यह सब मे सभी के सहयोग कीवजह से ही कर पाया हूँ। मैं अपने पुलिस के कार्यकाल को कभीभुला नही पाउंगा।
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अध्यात्म एवं लोक-जीवन में अद्वैत पर हुआ विचार-विमर्श अद्वैत वेदान्त पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का द्वितीय दिवस

अध्यात्म एवं लोक-जीवन में अद्वैत पर हुआ विचार-विमर्श
अद्वैत वेदान्त पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का द्वितीय दिवस
सागर । डाॅ. हरीसिंह गौर विष्वविद्यालय में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संगोष्ठी में दूसरे दिन विद्वानों, सन्तों और विचारकों ने आध्यात्मक और लोक-जीवन में अद्वैत सिद्धान्त की भूमिका और उसके महत्त्व को लेकर गहन चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत में वैदिक ज्ञान की जड़े बहुत गहरी हैं। वे जनमानस की चेतना में हैं और उसके रक्त में प्रवाहमान हैं। एक तरफ जहाँ विष्व की कई सभ्यताएँ नष्ट हो गईं वहीं भारत की ज्ञान परम्परा अक्षुण्ण रही। 
मोक्ष केवल वेदान्त को समझने से ही सम्भव है: स्वामिनी विद्यानन्द सरस्वती जी 
चतुर्थ तकनीकी सत्र: समकालीन आध्यात्मिक परम्परा में शंकर के अद्वैत वेदान्त का अंतरण विषय पर केन्द्रित था। सत्र की अध्यक्षता स्वामी अद्वेयानन्द सरस्वती ने की। मुख्य वक्ता के रूप में स्वामिनी विद्यानन्द सरस्वती, स्वामी हरीब्रह्मेन्द्रानन्द तीर्थ एवं स्वामी शुद्धिदानन्द जी रहे। स्वामिनी विद्यानन्द सरस्वती ने कहा कि षास्त्र आत्मज्ञान के प्रमाण हैं। उपनिषद् अद्वैत सिद्धान्त पर आधारित हैं। शास्त्रों से इस आत्मज्ञान को अर्जित करने के लिए गुरु आवष्यक है क्योंकि शास्त्र एक दर्पण की तरह है जिसमें हम अपना ही प्रतिबिम्ब देख पाते हैं। गुरु की दृष्टि सदा निरपेक्ष होती है। मोक्ष केवल वेदान्त को समझ पाने एवं आत्मसात कर पाने से ही सम्भव है।
स्वामी हरिब्रह्मेन्द्रानन्द तीर्थ ने अपने वक्तव्य में बताया कि आचार्य शंकर ने केरल में जन्म लेकर मध्यप्रदेष में आकर गुरु से दीक्षा ली और अपना सम्पूर्ण जीवन इस देष की संस्कृति के उद्धार में लगाया। संस्कृति की एकता को संरक्षित करने के लिए ही आचार्य शंकर ने पूरे देष का भ्रमण किया। आचार्य शंकर ने मठों के साथ-साथ मंदिरों की भी स्थापना की। बद्रीनाथ सबसे प्राचीन मंदिर है। यहाँ के मुख्य पुजारी को 'रावल' कहा जाता है। 'रावल' का चयन केरल राज्य के नम्बूदरी कुटुम्ब में से किया जाता है। पूजा व्यवस्था इस प्रकार है कि 'रावल' मंदिर के मुख्य पुजारी मात्र हैं। वे मंदिर परिसर में दक्षिणा नहीं ले सकते और न ही किसी से वार्तालाप कर सकते हैं। परिसर में पूजा एवं दक्षिणा का अधिकार स्थानीय पुजारियों को दिया गया। जिन मंदिरों में पूजा की व्यवस्था आचार्य शंकर द्वारा तय की गई वहाँ आज भी किसी प्रकार का कोई गतिरोध नहीं है।। 
सभी दर्षन ब्रह्म को खोजने का मार्ग: स्वामी शुद्धिदानन्द जी
स्वामी शुद्धिदानन्द जी के वक्तव्य के मूल में अद्वैत वेदान्त का रामकृष्ण संघ से सम्बन्ध रहा। रामकृष्ण संघ रूपी शरीर की आत्मा सर्वसमन्वयात्मक अद्वैत वेदान्त है। इस अवसर पर स्वामी विवेकानन्द के षिकागो भाषण के एक सौ पच्चीस वर्ष पूर्ण होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस भाषण के माध्यम से ही अद्वैत का सिद्धान्त अखिल विष्व के समक्ष पहुँचा। 'गीता' के श्लोक 'यदा यदा हि धर्मस्य...' के सार को व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सनातन परम्परा और समाज को अंधकार की गर्त में जाने पर ही आचार्य शंकर एवं स्वामी विवेकानन्द का अवतरण हुआ
स्वामी अद्वेयानन्द सरस्वती ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अपने गुरु स्वामी चिन्मयानन्द जी के जीवन एवं संन्यास का वर्णन किया तथा उनके षिष्यों द्वारा चिन्मय मिषन की स्थापना का उल्लेख किया। अवतार की अवधारणा का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि सनातन परम्परा के निर्वाह में जो सन्त लगे हुए हैं वे नित्यावतार हैं। उन्होंने संदीपनी साधनालयों की स्थापना एवं उद्देष्यों पर प्रकाष डालते हुए कहा कि स्वामी चिन्मयानन्द जी का उद्देष्य आध्यात्म को सर्वजनों तक पहुँचाने का था न कि उसे संगृहित करने का। आधुनिक विषय एवं अनुषासनों को चिन्मया विद्यापीठ में भारतीय शास्त्रों से लिए गए ज्ञान से भी परिपूर्ण किया जा रहा है। 
स्वामी हरिब्रह्मेन्द्रानन्द तीर्थ ने आचार्य शंकर के मंडन मिश्र के साथ हुए शास्त्रार्थ की घटना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस षास्त्रार्थ में मंडन मिश्र की पत्नी निर्णायक थीं। इसमें शर्त यह थी कि जो भी शास्त्रार्थ में हारेगा वह जीतने वाले का षिष्य बन जायेगा। मंडन मिश्र की पत्नी को यह ज्ञात था कि उनके पति हार जाने पर घर छोड़कर चले जायेंगे। ।
पंचम तकनीकी सत्र: लोक एवं जनजातीय परम्परा में षंकर के अद्वैत वेदान्त का प्रतिबिम्ब पर केन्द्रित था। सत्र की अध्यक्षता स्वामी मुक्तानन्द पुरी ने की। वक्ता के रूप में डाॅ. कपिल तिवारी एवं श्री् मनोज श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
लोकजीवन की चेतना के केन्द्र में है अद्वैत: डाॅ. कपिल तिवारी
भारतीय वाचिक परम्परा के अध्येता डाॅ. कपिल तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत के लोकजीवन  की चेतना के केन्द्र में अद्वैत है। अद्वैत ही उसका जीवन है। आम लोग अद्वैत को जानते नहीं बल्कि जीते हैं। जिस तरह से सूर्य का प्रकाष फैलता है वैसे ही वैदिक ज्ञान परम्परा के प्रकाष में भारत में जीवन दृष्टि विकसित हुई। भारत की दो ज्ञान परम्परायें श्रुति और श्रमण हैं। श्रुति ज्ञान परम्परा एक वैदिक उन्मेष है और आनंद-उत्सव से जुड़ी हुई है, जबकि श्रमण परम्परा दुख और अवसाद से संबंद्ध है। श्रमण परम्परा एषियाई देषों में तो खूब फली-फूली, परन्तु भारत में अपनी जड़ें नहीं फैला पाई। उन्होंने कहा कि श्रुति के षासन में ही ज्ञान के कई अनुषासन विकसित हुए जो वैदिक परम्परा का अनुगमन करते हैं। ऋषियों ने वैदिक ज्ञान को ही रसपूर्ण बनाकर 'रामायण' और 'महाभारत' जैसे लौकिक साहित्य की रचना की। उन्होंने लोकजीवन को परिभाषित करते हुए कहा कि लोक जीवन षटमात्रिकाओं: धरती, प्रकृति, स्त्री, नदी, गाय और भाषा का समन्वय है, लेेकिन आज ये ही सर्वाधिक प्रभावित हो रही हैं और इनके लोक-संबंधों में विकार पैदा किया जा रहा है। 
आचार्य शंकर भारत का भविष्य: मनोज श्रीवास्तव
भारतीय प्रषासनिक सेवा के अधिकारी और भारतीय वाङ्मय के चिंतक मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि आचार्य शंकर भारत का अतीत ही नहीं, भविष्य भी हैं। उन्होंने भारत के चारों कोनों को एक किया। भविष्य में उनका अद्वैत सिद्धान्त ही भारत को एकसूत्र में बांधेगा। उन्होंनेे कहा कि पष्चिम की दृष्टि में हमेषा लोक के प्रति तिरस्कार का भाव रहा है। हमारे यहाँ प्रकृति भी ईष्वरीय देन है। यहाँ लोक, द्वैत और गुरु के बीच द्वंद्व नहीं है। उनके बीच सत स्पंदन रहा है। अद्वैत के चलते ही आदिवासियों ने पेड़, पौधों को व्यक्तिषीलता दी। वस्तुनिष्ठ संसार से संबंध स्थापित किया। इस बात के प्रमाण हमारे लोकगीतों और लोक आख्यानों में मिलते हैं।
पश्चिमी विचारकों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पष्चिम ने प्रकृति को 'कमोडिटी' माना गया। हमारे लोक जीवन में प्रकृति को पूजा गया और लोक ने उसके साथ संबंध स्थापित किया और समान का भाव पैदा किया। लोक आख्यानों मंे स्पष्ट रूप से यह बात देखने को मिलती है। हमारा लोक जीवन अद्वैत से ओतप्रोत रहा है। अद्वैत को उस लोकजीवन ने जिया है। लोक के पास अद्वैत अध्ययन से नहीं उसके अनुभव से आया है।
स्वामी मुक्तानन्द गिरी ने कहा कि भारत की संस्कृति में अद्वैत रचा बसा है और वन समाजों में भी इसके पदचिन्ह स्पष्ट नजर आते हैं। आदि शंकराचार्य ने वन समाजों में विषेष रूप से कार्य किया। जिसका उल्लेख हमें प्राप्त है। इस पर और शोध की आवष्यकता है।
इसके पूर्व रविवार षाम को आयोजित तृतीय तकनीकी सत्र षंकराचार्य के अद्वैत वेदान्त के पूर्व एवं पष्चात दार्षनिक विकास पर केन्द्रित था। इस सत्र की अध्यक्षता स्वामी अद्वेयानन्द सरस्वती ने की। मुख्य वक्ता के रूप में श्री श्याम मनोहर गोस्वामी, प्रो. वी. कुटुम्ब षास्त्री एवं डाॅ. मणि द्रविड़ शास्त्री उपस्थित रहे। 
षंकराचार्य ने विभिन्न द्वैतों में खोजा अद्वैत: श्री गोस्वामी
श्री श्याम मनोहर गोस्वामी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अद्वैतवाद एक अनूठा उत्सव है। उत्सवप्रिया वै जनः - मनुष्य उत्सव प्रिय होते हैं। भारत में उत्सवों की भरमार है। जहाँ द्वैत होता है वहाँ अद्वैत से उत्सव हो जाता है। उत्(आनन्दस्य) सवः(प्रसवः) सः उत्सवः- ऐसे ही जहाँ अद्वैत का उत्सव होता है वहाँ द्वैत के आनंद का प्रसव होता है। उन्होंने अद्वैत के महत्त्व पर चर्चा करते हुए कहा कि कस्मात विभेभि? आत्मा ने सोचा मैं किससे डरूँ, मेरे अतिरिक्त कोई है ही नहीं। किसी भी स्थिति में जब हमें अद्वैत की अनुभूति होती है, वहाँ भय समाप्त हो जाता है। षंकराचार्य ने विभिन्न द्वैतों में अद्वैत को खोजा यह भारतीय इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटना है। सर्वे वेदा यत्रैंक भवन्ति- जहाँ सारे वेद एक होते हैं, वह अद्वैत है। ज्ञानात्मक अद्वैत की स्थापना षंकराचार्य ने चारों दिषाओं में चार मठों की स्थापना कर की। जीव जो भी है उसका ब्रह्म के साथ अद्वैत है। सम्प्रदाय भले ही अलग-अलग हो और उनका एक-दूसरे के साथ संघर्ष हो परन्तु उनके देवता एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। 
लौकिक भ्रम को दूर करना ही दर्षन का कार्य: प्रो. कुटुम्ब शास्त्री
प्रो. कुटुम्ब षास्त्री ने कहा कि अद्वैत प्रतिपादन सरल है पर अद्वैत स्थापना कठिन। उपनिषदों का तात्पर्य ही अद्वैत है। षंकराचार्य ने शास्त्रीय अनेेक प्रमाणों के माध्यम से अद्वैत का प्रतिपादन किया। जैसे लोक में मृगमारिचिका भ्रम होता है वैसा ही भ्रम ब्रह्म, जीव, जगत, तत्व में भी होता है। इस भ्रम को दूर करना ही दर्षन का कार्य है तभी अद्वैत का प्रतिपादन होता है। 
अद्वैत एक तत्व है: डाॅ. शास्त्री
डाॅ. मणि द्रविड़ षास्त्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि कविः करोति काव्यानि अर्थं जानाति पण्डितः अर्थात कवि केवल काव्य करते हैं किन्तु उसका अर्थ विद्वान करते हैं। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य के पूर्व भी अद्वैत का निरूपण था। शंकराचार्य लिखते हैं कि 'अस्य अनर्थहेतोः प्रहाणाय आत्मैकत्व विद्याप्रतिपत्तमे सर्वे वेदा आरभ्यन्ते'। इस वाक्य में आत्मैकत्व षब्द ही अद्वैत का निरूपण करता है। आत्मैकत्व अर्थात चैतन्य स्वरूप आत्मा एक है। उपनिषद इसलिए पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि उससे व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को जानने का प्रयास करता है। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य ने स्वतन्त्र अद्वैत का उल्लेख नहीं किया अपने पदवाक्य प्रमाणज्ञ जो बताते आये हैं उनका प्रतिपादन कर रहे हैं। अद्वैत एक तत्व है। लोक की दृष्टि में जो एकता दर्षन करते हैं, जो व्यवहार के लिए उपयुक्त है वही अद्वैत है। आनन्दमय ब्रह्म का प्रतीक है। एक आत्मा है, वह ईष्वर का प्रतीक है, वह अनेकानेक जीवों में है। आनन्दमय को समझने वाला व्यक्ति ब्रह्म हो जाता है।
सांस्कृतिक संध्या: कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध गायिका श्रीमती सुधा रघुरामन ने आचार्य शंकर के स्त्रोंतो का गायन किया। इस षास्त्रीय प्रस्तुति ने इस त्रिदिवसीय संगोष्ठी के प्रथम दिवस की गतिविधियों को एक ऊँचाई प्रदान की।
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